19 साल की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई आखिरकार ट्विटर पर आ गई हैं। इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके आने की सूचना मिलते ही लोगों ने उन्हें फॉलो करना शुरू कर दिया। एक दिन के भीतर ही उनके फॉलोअर्स की संख्या 4 लाख के पार पहुंच गई। मलाला ने दसवीं पास करने
टेक महिंद्रा के एक कर्मचारी को बिना वक्त दिए नौकरी से हटाए जाने के तरीके पर महिंद्रा समूह के मालिक आनंद महिंद्रा ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। इस कर्मचारी और एचआर के बीच नौकरी से निकाले जाने को लेकर हुई कथित बातचीत का टेप वायरल हो गया था। इसे लेकर हो रही आलोचनाओं
Uncategorized
और, जीवित हो उठी बकुलाही नदी…
बकुलाही नदी भारत की वेद वर्णित प्राचीन नदियों में से एक है। हिन्दुओं के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थ ‘वाल्मीकि रामायण’ में भी इस नदी का उल्लेख हुआ है। बकुलाही नदी का प्राचीन नाम ‘बालकुनी’ था, किन्तु बाद में परिवर्तित होकर ‘बकुलाही’ हो गया। बकुलाही शब्द लोक भाषा अवधी से उद्धृत है। जनश्रुति के अनुसार बगुले की
Uncategorized
बेटी के लिए माँ ने बनाया वाटरप्रूफ फीडिंग सूट
हर मां अपने बच्चे के लिए अलग तरह से सोचती है और उसके पालन-पोषण का तरीका भी दूसरों से अलग होता है। ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली एक मां ने अपने बच्चे के लिए कुछ ऐसा बनाया, जिसकी डिमांड पूरी दुनिया से आने लगी है। ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली 37 साल की ग्रुबेज रेने ने अपनी
जब वह महज आठ साल की थी, तभी उसकी शादी कर दी गई। उसने दसवीं भी नहीं पास किया था और उसे ससुराल भेज दिया गया। लेकिन लड़की की मेहनत और लगन देखिए कि 21 साल पूरा करने से पहले ही अब वह राजस्थान के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर बनने की पढ़ाई करेगी।
महाराष्ट्र में वर्सोवा की एमएलए डॉ. भारती लावेकर ने एक नई पहल करते हुए अपनी एनजीओ टी फाउंडेशन के जरिये आदिवासी इलाके की औरतों एवं जरूरतमंद लड़कियों के लिए सेनेटरी पैड बैंक लॉन्च किया है। इस अभियान के तहत ना सिर्फ महिलाओं को पैड दिया गया बल्कि एक नए सैनेटरी पैड को भी लॉन्च किया
Uncategorized
उसने बना डाले 40 से ज्यादा एजुकेशनल एप्स
देश में ऐसे लाखों करोड़ों बच्चे हैं, जिनके पास किताबें खरीदने को पैसे नहीं, ऐसे अनगिनत बच्चे हैं, जो चाहते तो पढ़ना-लिखना हैं, लेकिन मजबूर हैं न कर पाने को, उन्हीं मजबूर बच्चों में से निकले हैं रावपुरा जयपुर के शंकर यादव। शंकर यादव की सबसे अच्छी बात है, कि उन्होंने अपनी मजबूरियों का
Uncategorized
इन दिनों (चाय बागान)
सुलोचना वर्मा नहीं तोड़ती एक कलि दो पत्तियाँ कोई लक्ष्मी इनदिनों रतनपुर के बागीचे में अपनी नाजुक-नाजुक उँगलियों से और देख रहा है कोई जुगनू टेढ़ी आँखों से बागान बाबू को, लिए जुबान पर अशोभनीय शब्द सिंगार-मेज के वलयाकार आईने में उतर रही हैं जासूसी कहानियाँ बागान बाबू के घर दोपहर की निष्ठूर
Uncategorized
महिला हो या पुरुष, जो अच्छा करेगा, वही आगे बढ़ेगा
महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और ज्योतिष ऐसा ही क्षेत्र है जहाँ महिलाएँ कम हैं। ऐसे में ज्योतिष को अपना कार्यक्षेत्र बना लेना आसान नहीं है बल्कि जोखिम भरा कदम है मगर जिसके लिए काम जुनून हो, उसके लिए सब आसान है। इस मुश्किल फैसले को श्रद्धा गुप्ता ने आसानी से लिया
Uncategorized
कर सुधार में क्रांति ला रहे हैं, संवेदना में भी लाइए
सुधार लाना आसान नहीं होता और सदियों से चली आ रही परम्परा को तोड़ना तो और भी मुश्किल है। 30 जून की आधी रात को गुड एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी ने इस देश में कदम रख दिया। हमारे देश में आजादी भी आधी रात ही आई थी मगर हम अभी भी कैद में हैं।