महिला हो या पुरुष, जो अच्छा करेगा, वही आगे बढ़ेगा

महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और ज्योतिष ऐसा ही क्षेत्र है जहाँ महिलाएँ कम हैं। ऐसे में ज्योतिष को अपना कार्यक्षेत्र बना लेना आसान नहीं है बल्कि जोखिम भरा कदम है मगर जिसके लिए काम जुनून हो, उसके लिए सब आसान है। इस मुश्किल फैसले को श्रद्धा गुप्ता ने आसानी से लिया और सफलता की ओर बढ़ रही हैं। अपराजिता ने वैदिक ज्योतिषविद् श्रद्धा गुप्ता से बातचीत की, पेश हैं प्रमुख अंश –

ज्योतिष मेरे खून में है

ज्योतिष मेरे खून  में है, मेरी आत्मा में बसा है। दरअसल, मेरे नाना – मामा ज्योतिषी हैं। छुट्टियों में जब मैं नानी के घर जाती थी, वहाँ अपने नाना – मामा को दूसरों का भविष्य बताते देखती थी। इससे मेरे मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि किसी व्यक्ति के जीवन का पूरा चित्रण कुण्डली (जन्म पत्रिका) द्वारा बताया जा सकता है। यह बात जानने के बाद ज्योतिष शास्त्र सीखना मेरा सपना बन गया। मैंने अपनी पूरी पढ़ाई कोलकाता से की है। मुझे अमेरिका से स्कॉलरशिप भी मिली है। मैंने जे आई ए (जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ अमेरिका) से स्नातक किया है। पिछले 7 सालों में मैंने इस विद्या का गूढ़ अध्ययन किया है और अब कह सकती हूँ कि मैं निपुण हूँ।

मुझमें एक शक्ति है, जो ईश्वर ने मुझे दी है

मेरा सपना जुनून में बदला जब मेरा स्वास्थ्य नाजुक था। अपने स्वास्थ्य पर प्रकृति का प्रतिकूल प्रभाव देखकर ये जानने की इच्छा हुई कि संसार में हर व्यक्ति पर प्रकृति का प्रभाव अलग – अलग कैसे पड़ता है, कहीं न कहीं इसका सम्बन्ध व्यक्ति के जन्म के समय ब्रम्हाण्ड में फैले ग्रहों से है। जब व्यक्ति जन्म लेता है, उस समय जो ग्रह रहते हैं, उनके प्रभाव से व्यक्ति के पूर्ण जीवन की रचना होती है। इन ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के हर पहलू पर पड़ता है। स्वास्थ्य भी इसका एक पक्ष है। मुझे अपनी खोज में सफलता मिली और मेरा विश्वास ज्योतिष में प्रगाढ़ हो गया। मैंने ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन करना आरम्भ किया और मुझे सफलता मिली। मैं किसी व्यक्ति को देखकर कुछ हद तक उसके बारे में परिकल्पना कर सकती हूँ, मुझमें एक शक्ति है, जो ईश्वर से मुझे मिली है।

अब तक जो भी गणना की, सत्य हुई

मैं इस क्षेत्र में पिछले 7 साल से हूँ। आज तक जो भी गणना की, सत्य हुई। मेरे गुरु योगी आनंद सिंह जी ने मेरे ज्ञान को और भी निखारा। कभी कोई प्रचार या विज्ञापन नहीं किया, लोगों ने ही प्रसार किया। बंगाल ही नहीं, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेशन आदि राज्यों के लोग मुझे अपनी जन्म पत्रिका दिखाते हैं, विदेशों से भी लोग अपनी जन्म पत्रिका भेजकर अपना वर्तमान और भविष्य जानने की इच्छा रखते हैं। मैं उनके प्रश्नों के उत्तर देती हूँ और कठिनाई होने पर वार्तालाप भी करती हूँ। रत्नों की जानकारी अच्छी है। जन्म पत्रिका देखकर रत्नों की आवश्यकता पड़ने पर उचित रत्न बताती हूँ।

मेरे पिता ही मेरी प्रेरणा हैं

मेरी प्रेरणा मेरे पिता हैं। उन्होंने मुझ पर विश्वास किया। मुझे हिम्मत और हौसला दिया। कभी ये नहीं कहा कि मुझसे यह नहीं हो पाएगा। जब टूटती थी तो मुझे प्रेरित करते रहे और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे। परिवार का पूरा सहयोग मुझे मिला है।

निडर होकर आगे बढ़ें और अपना मुकाम हासिल करें

21वीं सदी में महिलाएँ और पुरुष बराबर हैं। जो लोग यह  सोचते हैं कि महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग – अलग कार्यक्षेत्र निर्धारित हैं, भूल करते हैं। महिला हो या पुरुष, जो अच्छा करेगा, वही आगे बढ़ेगा। महिलाओं को निडर होकर अपने क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। महिला होने पर गर्व करें। ईमानदारी और काम के प्रति निष्ठा महिलाओं की सफलता का प्रमुख स्त्रोत है। अपने सपने को मरने न दें, उसके लिए मेहनत करते रहें। निडर होकर आगे बढ़ें और अपना मुकाम हासिल करें।

 

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