उसने बना डाले 40 से ज्यादा एजुकेशनल एप्स

 

देश में ऐसे लाखों करोड़ों बच्चे हैं, जिनके पास किताबें खरीदने को पैसे नहीं, ऐसे अनगिनत बच्चे हैं, जो चाहते तो पढ़ना-लिखना हैं, लेकिन मजबूर हैं न कर पाने को, उन्हीं मजबूर बच्चों में से निकले हैं रावपुरा जयपुर के शंकर यादव। शंकर यादव की सबसे अच्छी बात है, कि उन्होंने अपनी मजबूरियों का रोना न रोते हुए उसे ही अपनी ताकत बना लिया…

राजस्थान जयपुर गांव रावपुरा के शंकर यादव ने दूसरों के लिए देखा किताबों का सपना और समाधान नज़र आया डिजिटल ऐप्स में। आज की तारीख में शंकर बना चुके हैं 40 से ज्यादा एजुकेशनल ऐप। उनके ऐप कर रहे हैं, दूसरों के पढ़ने में मदद।  शंकर यादव के सारे ऐप्स गूगल प्ले स्टोर पर फ्री में उपलब्ध हैं, जिन्हें कोई भी वहां से डाउनलोड कर सकता है। शंकर द्वारा बनाये गये ये ऐप्स ऑफलाइन काम करते हैं और टाइम-टू-टाइम अपने हिसाब से ऑटोमेटिक अपडेट हो जाते हैं।

हम एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां लाखों-करोड़ों बच्चे चाह कर भी पढ़-लिख नहीं पाते। उन्हीं बच्चों में से एक हैं राजस्थान, जयपुर जिला स्थित रावपुरा गांव के रहने वाले शंकर यादव। एक समय ऐसे था, कि शंकर यादव के पास भी अपने सिलेबस के अलावा अन्य किताबें खरीदने के पैसे नहीं थे। वे किसी तरह से अपनी पढ़ाई को जारी रखे हुए थे। उन्हीं दिनों शंकर यादव ने एक सपना देखा, कि वह कुछ ऐसा करेंगे, जिससे उनके जैसे बच्चों को किताबें खरीदने की जरूरत ही न रहे। इस समस्या का समाधान शंकर को डिजिटल ऐप में नजर आया और बगैर किसी प्रोफेशनल डिग्री के 21 साल के शंकर ने बना डाला एजुकेशनल ऐप। आज की तारीख में शंकर 40 से ज्यादा ऐप्स बना चुके हैं।

अपने गांव को डिजिटल बनाने की पहल में शंकर ने एसआर डेवलपर्स के नाम से अपनी खुद कंपनी भी शुरू की है। लगभग आठ महीने पहले ही इन ऐप्स को गूगल प्ले स्टोर पर डाला गया था। खास बात है कि अब तक इन ऐप्स को 20 लाख से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं। गूगल प्ले स्टोर पर शंकररावपुरा डॉट कॉम (shankarraopura.com) सर्च करने पर ये सारे ऐप्स डाउनलोड के लिए उपलब्ध हो जाते हैं।

वर्ष 2009 में शंकर जब 8वीं कक्षा के छात्र थे, तब गांव के सरकारी स्कूल के शिक्षक शिवचरण मीणा ने उन्हें प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने हेतु प्रश्नों के उत्तर ऑनलाइन खोजने की सलाह दी। तब उन्हें एहसास हुआ कि ऑनलाइन भी पढ़ाई की जा सकती है। शंकर के मुताबिक, यह पहला मौका था, जब उन्हें लगा कि किताबों को भी डिजिटल स्वरूप में एक्सेस किया जा सकता है। इसके बाद उनकी रुचि कंप्यूटर में बढ़ने लगी। कंप्यूटर में बेटे की बढ़ती रुचि को देख शंकर के पिता कल्लूराम यादव ने कठिन आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद कंप्यूटर खरीदा। इसके बाद शंकर पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर पर भी समय बिताने लगेष। इस दौरान उन्होंने गूगल पर ऐप बनाने की तकनीक को भी सर्च करके सीखने की शुरुआत की।

शंकर ने रावपुरा स्थित सरकारी स्कूल से वर्ष 2011 में 10वीं बोर्ड की परीक्षा पास की। फिर गांव के ही एक प्राइवेट प्लस-टू स्कूल से गणित विषय से 12वीं पास की। ऐप को लेकर शंकर की दिलचस्पी इस तरह बढ़ी कि वे प्रोग्रामिंग सीखने की ऑनलाइन क्लासेज के बारे में सर्च करने लगे और उन्होंने एंड्रॉयड डेवलपमेंट की ट्रेनिंग बेंगलुरु से ऑनलाइन लेनी शुरू कर दी।

एंड्रॉयड डेवलपमेंट का कोर्स करने के बाद शंकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किये गये डिजिटल इंडिया मुहिम से खासा प्रेरित हुए और इसी मुहिम से प्रेरणा लेते हुए वे बदलाव की राह पर आगे चल निकले। एक के बाद एक एजुकेशनल ऐप बनाये। एजुकेशनल ऐप के अलावा शंकर ने धर्म, स्वास्थ्य, खेल आदि से संबंधित ऐप्स भी बनाये हैं। एप्स के कंटेंट जेनरेशन में उनके कई शिक्षकों और दोस्तों ने मदद की। अभी शंकर समेत चार अन्य लोगों की एक टीम है, जो ऐप्स को अपडेट रखने में उनका सहयोग करते हैं। गांव में इंटरनेट व नेटवर्क की अनुपलब्धता को देखते हुए उन्होंने इस तरह के ऐप्स बनायें हैं, जो अॉफलाइन भी इस्तेमाल में लाये जा सकते हैं।

शंकर अपने गांव के पहले ऐप डेवलपर हैं। उन्होंने अपने गांव की हर छोटी-बड़ी जानकारी से लैस डिजिटल रावपुरा नाम से एक एप तैयार किया है, जिसमें गांव की सभी जानकारियों को उसमें डाला गया है। शंकर की इस पहल के लिए आईएएस अधिकारी व जिला कलेक्टर  (दक्षिण सिक्किम)  राजकुमार यादव तथा  के राजस्थान भाजपा सह संयोजक खेल प्रकोष्ठ के  राजकुमार देवायुष सिंह  ने उन्हें सम्मानित भी किया है। शंकर के पिता कल्लूराम यादव एक किसान हैं और उनकी माता ज्याना देवी गृहिणी हैं। शंकर बताते हैं कि इन ऐप्स से थोड़ी कमाई भी होने लगी है, लेकिन उन्हें मिल रही तारीफ से उनके माता-पिता ज्यादा खुश हैं।

शंकर ने अपने सभी एजुकेशनल ऐप्स 10वीं और 12वीं के बच्चों व प्रतियोगी परीक्षा को ध्यान में रख कर बनाया हैं। विज्ञान, गणित, भूगोल व सोशल साइंस के अलावा भारतीय संविधान, राजस्थान की संस्कृति,जनरल नॉलेज से जुड़े एप्स भी बनाये हैं। इनके भौतिक विज्ञान समेत दर्जनों ऐप्स को 50 हजार से ज्यादा लोग इंस्टॉल कर चुके हैं। शंकर के मुताबिक, हर दिन उनके एप्स को लगभग 1.5 करोड़ व्यूज मिलते हैं। शंकर कहते हैं कि एड से नॉर्मल इनकम हो जाती है, जिससे अपडेट करने का खर्च निकल जाता है। शंकर का मानना है कि एेप्स एक ऐसा जरिया है, जिससे देश का बच्चा-बच्चा आसानी से शिक्षित हो सकता है।

 

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