कर सुधार में क्रांति ला रहे हैं, संवेदना में भी लाइए

सुधार लाना आसान नहीं होता और सदियों से चली आ रही परम्परा को तोड़ना तो और भी मुश्किल है। 30 जून की आधी रात को गुड एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी ने इस देश में कदम रख दिया। हमारे देश में आजादी भी आधी रात ही आई थी मगर हम अभी भी कैद में हैं। हम कैद हैं लिजलिजी विचारधाराओं में। घटनाओं को एक खास चश्मे से देखने की आदत है हमको। हैरत की बात है कि जिस यूपीए के शासनकाल में जीएसटी की आधारशिला रखी गयी, वह काँग्रेस मध्यरात्रि के विशेष सत्र से गायब रही। जो भाजपा जीएसटी का विरोध करती आ रही थी, आज उसी ने इस ऐतिहासिक कर प्रणाली को लागू करवाया। देश में आर्थिक उदारता की नींव काँग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहा राव और तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने रखी थी मगर राजनीतिक वफादारी ने इस  उदार अर्थशास्त्री को भी ऐतिहासिक क्षण का गवाह नहीं बनने दिया। पी. वी. नरसिंहा राव को काँग्रेस की परिवारवादी राजनीति ने हाशिए पर डाल दिया।

यह राजनीति की ही नहीं इस देश के इतिहास की भी विडम्बना है जहाँ हिंसा को एक खास धार्मिक चश्मे से देखा जा रहा है और इस भयावह सत्य यह है कि इसमें लेखकों और बुद्धिजीवियों की भागीदारी है जो विरोध भी चुनकर करते हैं। हिंसा और कविता, दोनों हिन्दू और मुसलमान के खेमों में बँट गयी है। हिंसा को किसी भी रूप में जस्टिफाई नहीं किया जा सकता मगर आज यही हो रहा है। हिन्दू और मुसलमान, दोनों हिंसा का बचाव कर रहे हैं। एक खास वर्ग पर हमारे कवि मेहरबान हैं और उन्होंने कविता में धार्मिक रंग भरने शुरू कर दिए हैं। जाहिर है कि इस तरह की प्रवृति समाज में विभाजन और अंसतोष पैदा करेगी, खाई और गहरी होगी और इन सबके लिए सस्ती लोकप्रियता का शौक रखने वाला साहित्य जिम्मेदार होगा। खून और अपराध का धर्म देखना बंद कीजिए और ये भी जरूरी है कि कोई भी समुदाय हो, अपनी गलतियों को मानना और सुधारना शुरू कर दे। भीड़ का कोई मजहब नहीं होता इसलिए इन मार्मिक हत्याओं को मजहबी रंग देना बंद किया जाना चाहिए। जीएसटी लागू हो गया है मगर इसके लिए पर्याप्त प्रशिक्षण और सटीक कार्य प्रणाली की जरूरत है और यह सरकार के लिए चुनौती है। अब समान नागरिक संहिता की माँग भी जोर पकड़ सकती है। एक देश, एक कानून की माँग और तेज होगी यानी एक और सुधार और एक नयी क्रांति…इंतजार है। कर सुधार में क्रांति ला रहे हैं, संवेदना में भी लाइए तभी भारत नया बनेगा।

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