Tuesday, September 16, 2025
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आने वाले कल के लिए तैैयार रहें आपके बच्चे

अक्सर हम बच्चों के बड़े होने के दौरान ही उन्हें निर्णय लेने की क्रिया से वंचित करते चलते हैं और फिर जब वे बड़े हो जाते हैं तब एकाएक उन्हें कहने लगते हैं कि अब बड़े हो गए हो, अपने निर्णय खुद ही करो। उस पर जब उनका निर्णय गलत सिद्ध होता है तब हम उन्हें ही दोष देने लगते हैं कि इतने बड़े हो गए, लेकिन अब तक यह समझ नहीं आया कि अपने लिए क्या सही है और क्या गलत है?

बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा होने देना सिर्फ एक कहावत नहीं है, बल्कि उन्हें हर तरह से आने वाले जीवन और हकीकतों के सामने खड़े होने और लड़ने की ताकत देना है। इस मामले में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जब बच्चे घर से बाहर पढ़ने के लिए जाते हैं तब लड़कियां लड़कों की तुलना में जल्दी सामंजस्य बैठा लेती है। हो सकता है इसके सामाजिक कारण भी हो, लेकिन एक बात यह भी है कि बहुत सारे मामलों में लड़कियां ज्यादा लचीली होती है और दूसरे घर के छोटे-मोटे कामों में मां का हाथ बंटाते-बंटाते वह कब आत्मविश्वास पा लेती है, इसका उन्हें खुद भी ज्ञान नहीं होता है।

अपने बच्चों को बाहरी दुनिया में रहने के लिए प्रशिक्षण दें। कभी अपने घर के आंगन में अपने बच्चों को उड़ना सिखाती चिड़िया को देखें तो आपको एहसास होगा कि उड़ने की कला उन्हें प्रकृति से मिली जरूर है, लेकिन कौशल उन्हें खुद ही हासिल करना होता है। देखें आप अपने बच्चे को कैसे आत्मविश्वासी और आत्म-निर्भर बना सकते हैं।

उन्हें एक कोना दें

चाहे जो परिस्थिति हो, आप अपने बच्चे को एक ऐसा कोना जरूर उपलब्ध कराएं, जिसे वह स्वयं व्यवस्थित करें। याद करें स्कूलों में बच्चों को दिया जाना वाला लॉकर। इसी तरह एक ड्रॉवर या एक लॉकर उसे जरूर दें, जहां वह अपनी चीजें व्यवस्थित कर रख सकें। इससे उसमें जिम्मेदारी का भाव भी आएगा और निर्णय करने की क्षमता का विकास भी होगा। जब वह उसे अपनी तरह से व्यवस्थित कर पाएगा तो उसमें आत्मविश्वास भी आएगा।

छोटे-छोटे निर्णय करने दें

अपने बच्चे को छोटे-छोटे निर्णय स्वयं करने दें। जैसे अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी में वह क्या पहन कर जाना चाहता है? या फिर डिनर के लिए जाते हुए वह किस तरह के कपड़े पहनना चाहता है? या रेस्टोरेंट में उसे स्वयं अपना ऑर्डर देने के लिए कहें। आइसक्रीम का कौन-सा फ्लैवर या किस तरह का पित्जा वह खाना चाहता है, इसका निर्णय उसे स्वयं करने दें।

अपने रिश्ते उसे ही निभाने दें

यदि उसके दोस्त का जन्मदिन है या वह अपने दोस्त को किसी खास मौके पर पार्टी देना चाहता है या गिफ्ट देना चाहता है तो उसे खुद ही निर्णय करने दें। यदि वह आपसे राय मांगे तो उसे सुझाव दें। उसके समक्ष विकल्प रखें, उसे निर्णय न सुनाएं। उससे पूछे कि उसके दोस्त की रूचि क्या करने में है? उसी हिसाब से वह उसे गिफ्ट दें, लेकिन यह न बताएं कि उसे क्या गिफ्ट दे!

घर के छोटे-छोटे काम करने के लिए कहें

भारतीय घरों में अक्सर घर के कामों को लड़कियों के हिस्से में माना जाता है। ऐसे में अक्सर हम लड़कों को इससे अलग रखते हैं। लेकिन अब चूंकि लड़कों को भी अलग-अलग वजहों से घर से बाहर जाना पड़ता है, इसलिए उन्हें भी घर के काम करना आना चाहिए। इससे घर से बाहर एडजस्ट करने में उन्हें असुविधा नहीं होगी। खासतौर पर चाय बनाना, नाश्ता बना पाना और हां अपने कपड़ों को खुद ही धोना अपने बच्चे को जरूर सिखाएं।

अपनी समस्याओं को उन्हें ही हल करने दें

भाई-बहनों के बीच के झगड़े हो या फिर दोस्तों के बीच हुए विवाद…बच्चे को अपनी समस्याओं से खुद ही लड़ने को कहें। स्कूल के कार्यक्रम में भाग के लिए डांस की तैयारी करनी हो या फिर कॉस्ट्यूम अरेंज करना हो, बच्चों को मार्गदर्शन तो दें, लेकिन उसका काम आप न करें। इस तरह की छोटी-छोटी चीजें करके आप बच्चे को भविष्य के लिए तैयार कर सकती हैं। आखिर उसे आपके घर की छत से बाहर जाकर अपने लिए जमीन तलाशनी है और दुनिया बनानी है। अपनी छाया से अलग करके ही आप उसे विकसित होने का अवसर देंगी, ये न सिर्फ आपके लिए बल्कि स्वयं बच्चे के लिए भी अच्छा होगा।

 

केदारनाथ अग्रवाल की कविताएं

Kedarnath_Agarwal

मजदूर का जन्म

एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
हाथी सा बलवान,
जहाजी हाथों वाला और हुआ !
सूरज-सा इन्सान,
तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
माता रही विचार,
अँधेरा हरनेवाला और हुआ !
दादा रहे निहार,
सबेरा करनेवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
जनता रही पुकार,
सलामत लानेवाला और हुआ !
सुन ले री सरकार!
कयामत ढानेवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !

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जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा

जो जीवन की आग जला कर आग बना है
फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है
जो युग के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा

बच्चों को न लगे गर्मी की नजर

बच्चे खेलने के दौरान सबकुछ भूल जाते हैं। खेलने के दौरान न तो उन्हें गर्मी लगती है और न ही थकान होती है लेकिन सूरज की गर्मी और ताप उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। गर्मी लगने से एक ओर जहां कमजोरी हो जाती है वहीं दूसरी ओर कई बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है। अब बच्‍चे हैं तो हम उन्हें खेलने-कूदने से रोक नहीं सकते पर आप चाहें तो इन उपायों को अपनाकर आप अपने बच्चों को सुरक्षि‍त रख सकती हैं.
 गर्मी के मौसम में बच्चों की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. इस दौरान बच्चों को डायरिया, लू लगने, पेट में जलन होने, उल्टी होने, पीलिया होने, टाइफाइड होने की आशंका बढ़ जाती है. इसलिए बच्चों के खानपान का पूरा ध्‍यान रखें और उन्‍हें हल्का, पौष्टिक आहार दें. करें.
 खेलने के दौरान बच्चे सबकुछ भूल जाते हैं और मौसम का ध्‍यान दिए बिना ही खेलते रहते हैं. ऐसे में ध्यान रखें कि बच्चा तेज धूप या लू के समय न खेले. शाम होने पर ही बच्चे को बाहर जाने दें. दिन में उसे इन्डोर गेम खेलने के लिए कहें।
– गर्मियों में शाम के वक्त मच्छर और कीड़े काफी सक्रिय हो जाते हैं. ऐसे में जब बच्चा खेलने जा रहा हो तो उसे कीड़ों और मच्छरों से सुरक्षा प्रदान करने वाली क्रीम लगाकर ही बाहर भेजें।
 कोशि‍श करें कि बच्चा बाहर की कोई चीज न खाए. डी-हाइड्रेशन से बचाने के लिए बच्चों को ज्यादा से ज्यादा लिक्वि‍ड दें. उन्हें घर में ही बना जूस, नीबू पानी या फिर नारियल पानी पीने को दें. बच्चे को छाछ, ताजे फलों का रस, मिल्क शेक भी दे सकते हैं। इसके अलावा खीरा, ककड़ी और तरबूज भी खाने को दे सकते हैं. इनके सेवन से बच्चे के शरीर में पानी की कमी नहीं होगी।
– गर्मियों के दिनों में बच्चों को दिन में दो बार नहाने की आदत डलवाएं. बच्चे को सूती कपड़े ही पहनाएं और कपड़ों को रोजाना बदलें. कहीं भी बाहर से आने पर उसके हाथ पैर अच्छी तरह से साबुन से साफ करवाएं. ऐसा करने से संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा।
 मौसम का ध्‍यान रखते हुए सर्द-गर्म का ख्‍याल रखें जैसे, अगर बच्‍चे धूप में खेलकर वापस आएं तो कूलर के सामने न बैठने दें और तुरंत ही ठंडा पानी भी न दें।
– गर्मी के मौसम में कंजक्टिवाइटिस होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद बच्चों की आंखें ठंडे पानी से धुलवाते रहें. इससे बच्चों की आंखों में ड्राइनेस भी नहीं होगी। 
– बच्चों को गर्मियों में अक्सर घमौरियों और सनबर्न की समस्या हो जाती है. इनसे बचाने के लिए बच्चों को ग्लिसरीन युक्त साबुन से दिन में दो बार ठंडे पानी से नहलाएं और घमौरी नाशक पाउडर का इस्तेमाल करें.

 

शादी से पहले लड़की ने रखी ऐसी शर्त कि सन्न रह गए ससुरालवाले

मध्य प्रदेश की प्रियंका भदोरिया ने शादी से पहले ससुराल वालों के सामने एक ऐसी माँग रख दी जिसे सुनकर सबके कान खड़े हो गए।

प्रियंका ने अपने ससुराल वालों से साफ कह दिया कि जब तक वे 10 हजार पौधे नहीं लगाएंगे, वो शादी नहीं करेंगी। ससुराल वालों को ये सुनना थोड़ा अजीब जरूर लगा लेकिन उन्होंने प्रियंका की मांग मान ली और बीते शुक्रवार घूमधाम से उन्होंने प्रियंका के साथ अपने बेटे की शादी करवा दी।

प्रियंका भिंड के किशीपुरा गांव की रहने वाली हैं जहां शादी से पहले दुल्हन से पूछा जाता है कि उसे क्या चाहिए। आमतौर पर लड़कियां गहने, कपड़े मांगती हैं वहीं प्रियंका ने ये सबकुछ नहीं मांगकर, पेड़ लगाने की शर्त रखी। प्रियंका 10 साल की उम्र से पौधे लगा रही है और इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि उनकी शादी भी इंटरनेशनल अर्थ डे के दिन ही हुई।

प्रियंका के पति रवि चौहान भी अपनी पत्नी की सूझबूझ से काफी खुश हैं। उन्हें खुशी है कि उनकी पत्नी पर्यावरण के प्रति इतनी सजग हैं। प्रियंका चाहती हैं कि 10 हजार पौधे की शर्त में से पांच हजार पौधे उनके मायके में लगाए जाएं और पांच हजार उनके ससुराल में। आज जहां देश का एक बड़ा हिस्सा सूखे से प्रभावित है ऐसे में प्रियंका की ये पहल वाकई एक जरूरी और बेहतरीन प्रयास है।

ये हैं भारत की पहली महिला जासूस, सुलझाए 75 हजार मामले

मुंबई. कई प्रोफेशन्स पर केवल मर्दों का ही अधिकार माना जाता है। ऐसा ही एक पेशा है जासूसी। पर पिछले 25 सालों में 75,000 से ज्यादा मामलों को सुलझा चुकीं रजनी पंडित दूसरी कहानी कहती हैं। वह भारत की पहली महिला जासूस कही जाती हैं। उन्हें देश का वुमन जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है।

रजनी का जन्म महाराष्ट्र के थाणे जिले में हुआ था। रजनी ने मुंबई में मराठी लिटरेचर की पढ़ाई की थी। रजनी के पिता सीआईडी में थे और महात्मा गांधी की हत्या के केस में उन्होंने काम भी किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रजनी कहती हैं कि ‘जब कॉलेज में थी, तो अपने साथ की एक लड़की को गलत संगत में जाते देखा। उसने सिगरेट, शराब पीने के साथ ही गलत लड़कों के साथ वक्त बिताना शुरू कर दिया था।
मैंने डिसाइड किया कि उसके घरवालों को ये बात बतानी है। इसके लिए ऑफिस से उसे गिफ्ट भेजने के बहाने उसका पता मांगा और फिर वहां पहुंच गई। उसके घरवालों को मैंने जब ये बातें बताईं तो उन्होंने यही कहा, क्या आप जासूस हो? उसी दिन मैंने सोच लिया था कि मुझे क्या करना है।’ आज उसी का नतीजा है ‘रजनी पंडित डिटेक्टिव सर्विसेज’ के नाम से उनकी जासूसी फर्म। उनकी डिटेक्टिव एजेंसी में 20 लोगों की टीम है।

केस सुलझाने के लिए अपनाए कई गेटअप

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि ‘मैंने एक भिखारी, प्रेग्नेंट महिला, अपंग महिला, सारे किरदार अपने काम के लिए निभाए हैं। रजनी के मुताबिक, एक डिटेक्टिव के लिए सबसे मुश्किल काम होता है कि वह खुद की पहचान छुपा कर रखे। एक केस सुलझाते वक्त वे भिखारी बनी और कुछ दिन भिखारियों के दल में भी रही थीं। एक घर में तो वे 6 महीने तक नौकरानी बनकर रही थीं। इस केस में एक औरत ने अपने साथी के साथ मिलकर अपने पति और बेटे की हत्या कर सारी जायदाद अपने नाम कराने की कोशिश की थी। उस औरत के ससुराल के लोगों ने उन्हें यह केस सौंपा था। उस औरत ने कोई भी सुबूत पीछे नहीं छोड़ा था। इसके लिए नौकरानी के तौर पर छह महीने रहकर उन्होंने उस औरत का विश्वास जीत लिया था। उन्हें पता चला कि झगड़ा जायदाद व पैसों के लिए चल रहा था और उस महिला ने ही अपने साथी से मिलकर पति और बेटे का खून किया था।

अब तक नहीं की शादी

47 साल की हो चुकीं रजनी ने शादी नहीं की है, लेकिन उन्हें इसका बिलकुल अफसोस नहीं है। रजनी कहती हैं कि मैंने बचपन में ही सोच लिया था कि मैं शादी नहीं करुंगी। मेरी डिक्शनरी में डर नाम का कोई शब्द ही नहीं है। मैं दिन में 14 घंटे काम करती हूं और साल के 8 से 10 लाख रुपए कमाती हूं। हालांकि केस को सॉल्व करना ही मैं सबसे बड़ी उपलब्धि मानती हूं। रजनी के मुताबिक उन्होंने यह पेशा नाम या पैसे के लिए बल्कि लोगों की मदद करने के लिए चुना है।

मिल चुके हैं कई अवॉर्ड्स

रजनी को दूरदर्शन की तरफ से ‘हिरकानी अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। वह दो किताबें भी लिख चुकी हैं, जिनमें से एक मायाजाल और दूसरी फेस बिहाइंड फेस (चेहरे के पीछे चेहरा) है।  जहां मायाजाल को छह अवॉर्ड मिले हैं। वहीं, फेस बिहाइंड फेस को दो अवॉर्ड मिल चुके हैं। इसके अलावा वह एक डॉक्यूमेंट्री में भी काम कर रही हैं।

 

 

ट्यूशन पढ़ाकर की थी आईआईटी की पढ़ाई, अमेरिका में जाकर बनाई कंपनी

पानीपत (हरियाणा).  गांव चुलकाना निवासी रणवीर गुप्ता, समालखा के जिस गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़े थे, वहां भी 2015 में 1.25 करोड़ रुपए से  ‘ऑडिटोरियम और इनोवेशन’ सेंटर बनवाया। इसके उद्घाटन की तैयारी चल रही है। इस ऑडिटोरियम में अब एक साथ 1000 बच्चे बैठ सकेंगे। अमेरिका के वॉशिंगटन में रह रहे 67 साल के रणवीर कहते हैं, ‘मैं 8वीं क्लास तक गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ा।’  समालखा के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल  से 12वीं पास की। 1965 में खड़गपुर आईआईटी में सिलेक्शन हो गया।वे बताते हैं कि 10 भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। इसलिए परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहता था। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। इसी से आईआईटी की पढ़ाई का खर्च निकाला। आईआईटी करने के बाद मुझे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर कॉलेज की कमी महसूस हुई। मैंने तभी तय किया था कि अगर मैं कामयाब रहा, तो इस फील्ड में जरूर काम करुंगा। इसके बाद कुछ दिन नौकरी भी की।

जॉब छोड़ अमेरिका में बनाई कंपनी 

रणवीर बताते हैं कि  कुछ करने की चाह में नौकरी छोड़कर 1971 में अमेरिका चला गया। वहां आर्किटेक्चर और कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई।

कंपनी चल निकली तो जहां पढ़ा था, उन्हीं शिक्षा मंदिरों को सबसे पहले संवारने को सोचा।  आईआईटी खड़गपुर में रणवीर-चित्रा ‘इंफ्रास्ट्रक्चर डिजाइन एंड मैनेजमेंट’ इंस्टीट्यूट खोला। अब तक यहां से 100 स्टूडेंट डिग्री ले चुके हैं।  इस कोर्स में एयरपोर्ट बनाने, मेट्रो, पुल, पावर प्लांट आदि के बारे में सिखाया जाता है।’

 

 

अनचाहे संगीत ने शास्वती को दिलायी सफलता

 

इंदौर.ग्वालियर घराने की ख्यात शास्त्रीय गायिका शाश्वती मंडल का टप्पा जर्नी शीर्षक से म्यूज़िक एलबम इंग्लैंड और अमेरिका में लोकप्रिय हुआ था। जिस संगीत के लिए उन्हें वाह-वाही मिली, कभी उससे बचने के लिए उन्होंने अपनी अंगुली तक काट ली थी।

सुबह 4 बजे से रियाज़ कराती थीं मां
मां सुबह 4 बजे से रियाज़ कराती थी और शाम को भी। मैं तब दस साल की थी। एक दिन रियाज़ से बचने के सहेली के घर चली गई। मां ने आवाज़ लगाई तो घर में आकर मैं पलंग के नीचे छिप गई। वहां एक ब्लेड पड़ी मिली और मैंने रियाज़ से बचने के लिए अपनी अंगुली काट ली।

खून देख घबरा गई। मां ने तब बहुत लाड़ और प्यार से मरहम पट्टी की, चुप कराया और फिर कहा-चलो अब, दूसरी अंगुली से तानपुरे पर रियाज़ करो। वे रियाज़ को लेकर बहुत कठोर थी। परीक्षा के दिनों में वे मुझे रात दो बजे उठा देती। रात दो बजे से सुबह 4 बजे तक वे मुझे पढ़ाती और सुबह 4 बजे से संगीत की रियाज़ करातीं।
इंग्लैंड-अमेरिका में लोकप्रिय हुआ टप्पा एलबम
इंग्लैंड की एक कंपनी ने टप्पा को लेकर मेरा म्यूज़िक एलबम रिलीज़ करने की योजना बनाई। मैंने इसमें कुछ पारंपरिक टप्पे गाए। इंग्लैंड के हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के जानकार डेविर रॉबर्ट ने इसमें स्पेनिश म्यूज़िक, दक्षिण भारत के घटम्, मृदंगम और कर्नाटकी वायलिन कलाकारों के साथ मिलकर फ्यूज़न किया। यह इंग्लैंड और अमेरिका में पॉपुलर हुआ क्योंकि उन्होंने खयाल गायन से सुना था लेकिन फ्यूज़न के साथ टप्पा सुनना उनके लिए नया अनुभव था।

सादगीभरे गुरु मिले
मेरी मां के साथ ही मुझे बालासाहेब पूंछवाले जैसे गुरुओं से संगीत सीखने का सौभाग्य मिला। ये ऐसे गुरु थे जिन्होंने मुझे बहुत अपनेपन और गहराई के साथ संगीत की तालीम दी। ये सादगीभरे, गरिमामय और किसी भी तरह की गिमिक्स से दूर थे।

 

लॉंन्ग कुरता पहनें थोड़े स्टाइलिश अंदाज में

Off-White-with-Black-Piping-Stoleहम भारतीय महिलाएं पूरब और पश्चिम को साथ लेकर चलने में यकीन रखती हैं। मतलब जींस के साथ भी ट्रेडिशनल जेवर या फिर साड़ी के साथ कुछ फंकी। ऐसे में लॉंग कुरता ये चाहत पूरी करता है मगर इसे पहनने का तरीका होना चाहिए कुछ अलग। ऑफि‍स, पार्टी, शॉपिंग, कोई सेलिब्रेशन या फिर फ्रेंड्स के साथ कैजुअल लंच पर मीटिंग, हर मौके पर लॉन्ग कुरते को पहन सकती हैं। डेट पर जाने के लिए भी इसे पहन सकती हैं. हां, इसे सिर्फ सलवार के साथ पहनेंगी तो यह बोरिंग ही लगेगा तो आइए लगाते हैं लॉंग कुरते में स्टाइल का तड़का-

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लॉन्ग कुर्ते के साथ चूड़ीदार और लेगिंग्स पहनना पुराना स्टाइल हो चुका है। इन्‍हें स्ट्रेट पायजामे, एंकल लेंथ पैंट्स, प्लाजो पैंट्स और लॉन्ग स्कर्ट के साथ पहनें। फ्यूजन का ये कॉम्बिनेशन आपके दिन को स्पेशल बना देगा।
स्लीक हैंकी स्कार्फ भी आपके इस लुक को डिफरेंट और कुछ हटकर दिखा सकते हैं। एकदम प्लेन कुर्ते के साथ प्रिंटेड स्कार्फ को गले पर बांधे या फिर प्रिंटेड कुर्ते के साथ कंट्रास्ट कलर का प्लेन स्कार्फ भी मैच कर सकती हैं।kurta high hills
अक्सर ही हम कुर्ते के साथ फ्लैट्स पहन लेते हैं और ज्यादा हुआ तो मोजड़ी। ब्लॉक हील्स या फिर हाई हील्स को कुर्ते के साथ कैरी करें। आप चाहें तो रॉयल ब्लू, ब्लैक, रेड और नियोन कलर की हील्स पहन सकती हैं।

कहां है आपकी फेवरेट ब्लू जींस! उसे कुर्ते के साथ मैच करना बुरा आइडिया नहीं है। यलो कलर हो या फिर प्योर व्‍हाइट या फिर हर किसी का पसंदीदा ब्लैक, आपकी फेवरेट जींस के साथ ये बेहद खूबसूरत लगेंगे।

रसोईघर सेट कर रही हैं तो रखें ध्यान

रसोईघर हमारे घर का वो कोना है जिसे हम किसी भी हालत में अनदेखा नहीं कर सकते। सुबह के एक कप प्याले से लेकर रात के डिनर तक की सारी व्यवस्था यहीं होती है। ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि रसोईघर में हर सामान सही तरीके से रखा हो ताकि कम समय में ज्यादा काम निपटाया जा सके। रसोईघर साफ हो और वहां रोशनी का पूरा प्रबंध हो.

यूं तो आजकल मॉड्यूलर किचन का चलन है लेकिन सिर्फ मॉड्यूलर किचन ही बनवा लेना पर्याप्त नहीं है। रसोईघर की साफ-सफाई भी बहुत जरूरी है।

इस्तेमाल और स्टोरेज की जरूरत के अनुसार किचन को अलग-अलग भागों में बांट लें। खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों को और बिना पकाए खाने योग्य चीजों को अलग-अलग रखें। खाना बनाने से पहले की जाने वाली तैयारी की जगह और दूसरे उपकरणों के लिए भी एक निश्च‍ित जगह बनाएं।

 स्लैब को केवल खाना बनाने की तैयारी और खाना बनाने के लिए ही इस्तेमाल करें। इससे यह साफ-सुथरा रहेगा। इस जगह का इस्तेमाल चीजें रखने के लिए बिल्कुल मत करें।

 खास तरह की स्टोरेज जरूरतों के लिए खास तरह के दराज का इस्तेमाल करें। दराज में लाइट्स लगवाएं. इसके इस्तेमाल से सामान रखना और रात के अंधेरे में सामान निकालना ज्यादा सुविधाजनक हो जाएगा।

 

तैलीय त्वचा को दें प्राकृतिक टोनर की हिफाजत

क्लींजिंग, टोनिंग और मॉइश्चराइजिंग से त्वचा में चमक आती है। टोनर से चेहरे को साफ करना एक बेहद जरूरी प्रक्रिया है। ऐसा करने से चेहरे पर गंदगी जम नहीं पाती है और चमक बनी नहीं रहती है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि चेहरे पर सिर्फ मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना ही जरूरी है पर ये सोच गलत है। टोनर का इस्तेमाल करने से त्वचा का पीएच लेवल बना रहता है.

क्लींजिंग और टोनिंग दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। टोनिंग से चेहरे में कसावट भी आती है और ये कुदरती तरीके से चेहरे पर चमक लाने का काम करता है। यूं तो बाजार में कई तरह के टोनर उपलब्ध हैं जो त्वचा से तेल तो सोख लेते हैं पर इनमें एल्कोहल की मात्रा होती है. ऐसे में बेहतर होगा कि आप प्राकृतिक टोनर का इस्तेमाल करें। एक ओर जहां नेचुरल टोनर से त्वचा में निखार आता है वहीं उसे पोषण भी मिलता है। इन नेचुरल टोनर के नियमित इस्तेमाल से त्वचा पर मौजूद बारीक रेखाएं भी दूर हो जाती हैं.

पुदीने की पत्त‍ियां

पुदीन की पत्त‍ियों को टोनर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। ये त्वचा की मृत कोशिकाओं को साफ करने का काम करती है। पुदीने की पत्तियों को गर्म पानी में डालकर कुछ देर के लिए छोड़ दें। जब ये ठंडा हो जाए तो इसी मिश्रण से अपने चेहरे को साफ करें। कॉटन की मदद पूरे चेहरे को साफ कर लें। कुछ देर बाद चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें।

एलोवेरा का इस्तेमाल

एलोवेरा न केवल एक अच्छा मॉइश्चराइजर है बल्क‍ि त्वचा को कोमल भी बनाने का काम करता है। ये एक बेहतरीन टोनर भी है। एलोवेरा की कुछ पत्तियों को निचोड़कर उनका जूस निकाल लें। आप चाहें तो इसके जेल को भी इस्तेमाल में ला सकती हैं। इसे कुछ देर के लिए चेहरे पर लगाकर छोड़ दें। उसके बाद चेहरे को साफ पानी से धो लें।

बर्फ वाला ठंडा पानी
बर्फ वाला ठंडा पानी भी एक बेहतरीन टोनर है। ये न केवल चेहरे को हाइड्रेट करता है बल्कि कील-मुंहासों और दाग-धब्बों को भी दूर करने में फायदेमंद है। अगर आपको कुदरती चमक चाहिए तो बर्फ के टुकड़ों से चेहरे पर मसाज करना फायदेमंद रहेगा।