नहीं रहे ड्रिबलिंग के बादशाह पूर्व हॉकी कैप्टन शाहिद

गुड़गांव.1980 के मॉस्को ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीत चुकी हॉकी टीम के मेंबर रहे मोहम्मद शाहिद का हाल ही में  निधन हो गया। 56 साल के शाहिद को लिवर और किडनी से जुड़ी बीमारी थी। उनका गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। शाहिद 1980 और 1984 में ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे।। वे ड्रिबलिंग में अपने एक्सपर्टाइज के लिए मशहूर थे।

पाकिस्तान तो ऐसे जाते थे जैसे अर्दली बाजार से कचहरी

उन्होंने पाक से रिलेशन के बारे में कहा था- “पाकिस्तान तो ऐसे जाता था, जैसे अर्दली बाजार से कचहरी जाता है।” जब उनका स्टारडम नीचे जा रहा था और वे हॉकी छोड़ चुके थे, उन्होंने कहा- “देखो, मैं मोहम्मद शाहिद हूं।” “उसमें कभी भी चेंज नहीं होगा। हां, मैं ही इंडिया का कैप्टन था। लोग कहते हैं कि अल्लाह ने मुझे ड्रिबलिंग की सौगात दी है।” “मुझे भी याद है। लेकिन कोई भी खुद को हमेशा नहीं दोहरा सकता। एक टाइम के बाद मन भर गया।”

ऐसा है शाहिद का रिकॉर्ड…

शाहिद को हॉकी में उनके योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से नवाजा गया था। उनकी बेटी हिना और परिजन अंतिम वक्त में उनके साथ थे।बता दें कि पिछले महीने उन्हें बीएचयू से गुड़गांव रेफर किया गया था। शाहिद बनारस के रहने वाले थे।

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अवॉर्ड

– चैम्पियंस ट्रॉफी-1980: बेस्ट फॉरवर्ड
– मॉस्को ओलिंपिक गेम्स-1980: गोल्ड मेडल
– मेंबर ऑफ एशियन ऑल स्टार टीम-1986
– अर्जुन अवॉर्ड-1980-81
– पद्मश्री-1986

1980 और 1984 में ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे

मोहम्मद शाहिद का जन्म 14 अप्रैल 1960 को वाराणसी में हुआ था।  शाहिद 1980 और 1984 में ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली हॉकी टीम के सदस्य थे। उनके कैप्टन रहते हुए इंडियन हॉकी टीम ने एशियन गेम्स में 1982 सिल्वर और 1986 के ब्रॉन्ज मेडल जीता था।  हॉकी छोड़ने के बाद शाहिद इंडियन रेलवे में स्पोर्ट्स ऑफिसर बने। वे वाराणसी में पोस्टेड थे।

क्या है ड्रिबलिंग?

ड्रिबलिंग में बॉल ज्यादातर वक्त स्टिक से चिपकी हुई चलती है। इससे उसे छीनना मुश्किल हो जाता है।  इससे एक ही प्लेयर बिना पास दिए बॉल को ज्यादा से ज्यादा दूर तक ले जाता है। हॉकी स्टिक की पोजिशन के हिसाब से कई तरह की ड्रिबलिंग होती है। जैसे- स्ट्रेट, लूज, इंडियन, पुल-बैक। स्ट्रेट ड्रिबलिंग में बॉल को सीधे आगे ले जाते हैं। लूज ड्रिबलिंग में बाल को बार-बार हल्का पुश करके आगे बढ़ाया जाता है। इंडियन ड्रिबलिंग में बॉल को लेफ्ट से राइट, राइट से लेफ्ट तरफ स्टिक करके आगे बढ़ाते हैं। पुल-बैक ड्रिबलिंग में बॉल को स्ट्रेट ड्रिब्लिंग करते हुए बीच-बीच में पीछे की तरफ लेते हैं।

 

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