Tuesday, December 16, 2025
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मेसी की दीवानगी और भारतीय खेल प्रेमी

महान मेसी का गोट दौरा यानी ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम मेसी का दौरा अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है। सवाल हमारी व्यवस्था पर, सवाल हमारे नेताओं पर और सबसे बड़ा सवाल हमारी अपनी हिप्पोक्रेसी पर। कोलकाता में मेसी को न देख पाने पर दर्शकों ने हंगामा किया, कुर्सिया तोड़ीं, गमले उठा ले गये, घास तक ले गये और यह सब इसलिए क्योंकि कुछ नेताओं ने मेसी को जिस तरह घेरकर रखा था, उसके कारण वे फुटबॉल के भगवान को नहीं देख सके। आयोजक गिरफ्तार हो चुका है मगर क्या इतना काफी है। अच्छा एक मिनट रुकिये और बताइए कि आपमें से कितने लोग यह जानते हैं – भारतीय फुटबॉल टीम ने सीएएफए नेशंस कप ने जीत के साथ शुरुआत की है। पहली बार टूर्नामेंट में खेल रहे भारत की टक्कर मेजबान ताजिकिस्तान से थी। इस मुकाबले को भारत ने 2-1 से अपने नाम किया। खालिद जमील के हेड कोच बनने के बाद यह भारत का पहला मुकाबला था। टीम ने इसमें जीत हासिल की। भारत की दो साल में विदेशी धरती पर पहली जीत है। घर से बाहर उनकी आखिरी जीत नवंबर 2023 में विश्व कप क्वालीफायर में कुवैत के खिलाफ हुई थी। भारत की अंडर-17 फुटबॉल टीम ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए कोलंबो में आयोजित 7वाँ सैफ (एसएएफएफ) अंडर-17 चैम्पियनशिप खिताब जीत लिया। 27 सितम्बर 2025 को खेले गए इस रोमांचक फाइनल में भारत ने बांग्लादेश को पेनल्टी शूटआउट में 4-1 से मात दी। निर्धारित समय तक मैच 2-2 की बराबरी पर रहा था। यह मुकाबला रेसकोर्स इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला गया। भारतीय सीनियर पुरुष फुटबॉल टीम भले ही संघर्ष कर रही हो, लेकिन जूनियर टीम ने जानदार प्रदर्शन करते हुए एएफसी अंडर-17 एशियन कप के लिए क्‍वालीफाई कर लिया है। भारतीय अंडर-17 टीम ने मजबूत प्रतिद्वंद्वी ईरान को 2-1 से मात दी। यहां क्‍वालीफायर्स के आखिरी दौर में भारत ने ईरान के आक्रामक रवैये को करीब 40 मिनट तक नियंत्रित रखा ताकि मुकाबला अपने नाम कर सके। अर्जेंटीना के स्टार फुटबॉलर लियोनल मेसी 13 दिसंबर को भारत पहुंचे हैं। कोलकाता में उनके 70 फुट के स्टैच्यू का अनावरण किया गया है। शाम को उन्होंने हैदराबाद में प्रदर्शनी मैच में शिरकत की है। 14 दिसंबर को उनके टूर का मुंबई चरण शुरू हो रहा है। 2022 का फीफा वर्ल्ड कप जीतने वाले लियोनल मेसी कोलकाता पहुंच गए हैं। उनका ‘गोट इंडिया टूर’ 13 दिसंबर से शुरू हुआ है, जो तीन दिन चलेगा। इस दौरान मेसी कोलकाता, हैदराबाद के बाद अब मुंबई और दिल्ली भी जाएंगे। 14 दिसंबर यानी रविवार को लियोनल मेसी की मुलाकात क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर से हुई है। सचिन तेंदुलकर ने अपनी साइन की हुई जर्सी मेसी को गिफ्ट में दी है।

आज स्थिति यह है कि जिस शहर में पेले आ चुके हों। जहां पी के बनर्जी जैसे फुटबॉलर हों। जिस देश में बाइचुंग भूटिया जैसे खिलाड़ी हों, उस देश के लोग अपने देश के खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने के लिए 100 रुपये भी खर्च नहीं करते। वहीं जिस मेसी के पैरों का अरबों का बीमा है, जो आपको न तो जानता है, न तो उसे आपसे कोई मतलब है, उसके लिए यह दौरा विशुद्ध व्यवसायिक है। उसे देखने के लिए भारतीय जनता 50 हजार तक के टिकट खरीदती है, एक झलक पाने के लिए पागल होती है और इसमें शामिल हैं, मध्य वर्ग का वह युवा, जो खुद आर्थिक तंगी से जूझ रहा होता है और कई बार उसके पास रोजगार का साधन तक नहीं होता। घर की जिम्मेदारियों से अलग कुछ क्षणों का शौक पालने के लिए अपनी चादर से आगे जाकर खर्च करते हैं। कोलकाता में जो हुआ, वह काफी शर्मनाक है। सबसे बड़ी बात मेसी को लेकर जो अफरा-तफरी हुई, राजनेताओं ने जिस प्रकार उनको घेरकर रखा और 15 सेकेंड भी मेसी की झलक न देख पाने पर जो गुस्सा फूटा, वह सिर्फ आयोजकों पर ही नहीं, खुद दर्शकों पर भी सवाल खड़ा करता है। खिलाड़ी के रूप मेसी का सम्मान करते हुए भी यह हीनताबोध बहुत पीड़ादायक है। आखिर हमें क्यों किसी विदेशी के पीछे भागने की जरूरत पड़ती है और सबसे पहली बात हम जिन विदेशियों के पीछे भागते हैं, आपके देश की प्रतिभाओं को चमकाने में उनका क्या योगदान है। क्या मेसी फुटबॉल में भारत को आगे ले जाने के लिए कुछ करेंगे, सीधा सा जवाब है नहीं, बिल्कुल नहीं और उनके लिए हम कोलकाता वालों ने क्या किया….खुद को कमतर साबित किया और सारी दुनिया में तमाशा बन गये। अपने ही स्टेडियम को नुकसान पहुंचाया और इसकी भरपाई भी हम अपने ही पैसों से करने जा रहे हैं।
आप खुद से पूछिए कि क्या ये हिप्पोक्रेसी नहीं है कि आप पदक की उम्मीद अपने खिलाड़ियों से करते हैं और पैसे एक विदेशी खिलाड़ी पर लुटाते हैं। कितने लोगों ने उन खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया और कितनी कंपनियां उन खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने और उनकी मदद करने के लिए उतरीं जो आर्थिक तंगी और संघर्षों के बीच अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आज सोशल मीडिया न होता तो हम तो इनके नाम भी नहीं जान पाते। चलिए जरा इतिहास देखते हैं। बात साल 1911 की है. यह साल बंगाल में फुटबॉल के इतिहास का सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ।ऐसा इसलिए क्योंकि 1889 में शुरू हुए मोहन बागान क्लब ने अंग्रेजों की ईस्ट यॉर्कशायर टीम को 2-1 से हराकर आईएफए शील्ड जीत ली थी। उस जीत ने काफी कुछ बदल दिया था. खास बात यह थी कि उस मुकाबले में मोहन बागान के खिलाड़ी नंगे पैर खेले थे। यह पहली बार था जब किसी भारतीय टीम ने यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीता। इस जीत ने साबित कर दिया कि भारतीय किसी से कम नहीं हैं। यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं थी, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का पल थी, जिसे भारतीय आत्मसम्मान की जीत माना गया। यही वो जीत थी, जिसके बाद फुटबॉल बंगाल की रगों में बस गया और आज वहां हर गली और हर दिल में यह खेल बसता है। बाइचुंग भूटिया का जन्म 15 दिसम्बर, 1976 को गंगटोक, सिक्किम में हुआ था। ये भारत के प्रसिद्ध फ़ुटबॉल खिलाड़ियों में से एक हैं। 1999 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ जीतने वाले बाइचुंग भूटिया अपने प्रशंसकों के बीच अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल क्षेत्र में भारतीय फ़ुटबॉल टीम के ‘टार्च बियरर’ अर्थात् मार्गदर्शक के नाम से जाने जाते है। वह भारतीय फ़ुटबॉल के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं, उनका खेलने का अलग अंदाज़है, उनमें उत्तम दर्जे की स्ट्राइक करने की क्षमता है। वह वास्तव में अन्तरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। वह भारत के पहले फ़ुटबॉल खिलाड़ी है, जिन्हें इंग्लिश क्लब के लिए खेलने के लिए आमंत्रित किया गया था। अब बताइए क्या हम भारतीयों को अपने खिलाड़ियों से उम्मीद करने का हक है, जिनकी हम कद्र तक नहीं करते। सुनील छेत्री के संन्यास के बाद फीफा ने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट किया है जिसमें छेत्री की तुलना पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो और अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी से की है। दरअसल, सुनील छेत्री सक्रिय खिलाड़ियों में फुटबॉल की दुनिया में सबसे ज्यादा गोल करने के मामले में तीसरे नंबर पर है। उनसे आगे रोनाल्डो और मेसी ही हैं। वहीं इंटरनेशनल फुटबॉल में सबसे ज्यादा गोल करने के मामले में वह चौथे नंबर पर हैं। छेत्री के नाम 150 मैचों में 94 गोल हैं। पहले नंबर पर रोनाल्डो हैं और उनके बाद मेसी। फीफा ने इन तीनों की फोटो पोस्ट की है जिसमें पोडियम पर पहले नंबर पर रोनाल्डो, दूसरे पर मेसी और तीसरे पर छेत्री हैं। इसके साथ ही फीफा ने कमेंट लिखा है, “लीजेंड के तौर पर रिटायरमेंट लेते हुए।”छेत्री ने भारतीय फुटबॉल को उस मुकाम तक पहुंचाया जहां तक किसी ने सोचा नहीं था। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम फीफा रैंकिंग में पहली बार टॉप-100 में आई। वह भारत की तरफ से सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी भी हैं। दुनिया भर के अलग-अलग क्लबों के लिए खेले गए 365 मैचों में छेत्री ने 158 गोल किए। सच तो यह है कि हम भारतीय पैसे विदेशी खिलाड़ियों पर लुटाते हैं और पदक की उम्मीद भारतीय खिलाड़ियों से करते हैं जो कि हमारी नजर में सरासर बेईमानी है। मेसी के खेल का सम्मान हम करते हैं, निश्चित रूप से वह बड़े खिलाड़ी हैं मगर सवाल तो यह है कि भारतीय खेलों को आगे ले जाने में उनकी क्या भूमिका है, कुछ भी नहीं। आज सच कहें तो जिस तरह के तथाकथित खेल प्रेमी इस देश में हैं और खासकर बंगाल में हैं…वह खेल के प्रति नहीं, तमाशा और दिखावे की दीवानगी है। खिलाड़ियों पर सवाल उठाने से पहले हम भारतीय खेल प्रेमियों को अपने भीतर झांकने की जरूरत है। फिलहाल तो बंगाल में जो हुआ, वह बेहद शर्मनाक है।

इंडिगो को मिली 58.75 करोड़ रुपए की टैक्स नोटिस

नयी दिल्ली । बड़ी संख्या में उड़ान रद्द होने के कारण सरकारी जांच का सामना कर रही बजट एयरलाइन इंडिगो को 58.75 करोड़ रुपए की टैक्स नोटिस मिली है। यह जानकारी एयरलाइन की ओर से शुक्रवार को दी गई। एयरलाइन ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा है कि यह नोटिस वित्त वर्ष 2020-21 के लिए दिल्ली दक्षिण के सीजीएसटी के अतिरिक्त आयुक्त की ओर से दिया गया है। फाइलिंग में इंडिगो की प्रवर्तक कंपनी इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड ने कहा कि उसे गुरुवार (11 दिसंबर) को टैक्स पेनल्टी ऑर्डर प्राप्त हुआ, जिसमें जीएसटी की मांग के साथ-साथ जुर्माना भी शामिल है।
एयरलाइन यह टैक्स नोटिस ऐसे समय पर मिला है, जब इंडिगो इस महीने की शुरुआत में बड़ी संख्या में उड़ानों के रद्द होने के कारण मुश्किलों का सामना कर रही है।
इससे पहले नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने इंडिगो पर बड़ा एक्शन लिया है और उन चार फ्लाइट निरीक्षकों को निकाल दिया है, जो कि इंडिगो की सुरक्षा और ऑपरेशनल मानकों के लिए जिम्मेदार थे।
इसके अलावा विमानन नियामक ने इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स को समन भेजा है और उन्हें शुक्रवार को अधिकारियों के समक्ष फिर से पेश होने के लिए कहा गया है।
सूत्रों के अनुसार, निरीक्षण और निगरानी ड्यूटी में लापरवाही पाए जाने के बाद डीजीसीए ने निरीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की है।
नियामक ने अब इंडिगो के गुरुग्राम कार्यालय में दो विशेष निगरानी दल तैनात किए हैं ताकि एयरलाइन के संचालन पर कड़ी नजर रखी जा सके।
यह दल प्रतिदिन शाम 6 बजे तक डीजीसीए को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। एक दल इंडिगो के बेड़े की क्षमता, पायलटों की उपलब्धता, चालक दल के उपयोग के घंटे, प्रशिक्षण कार्यक्रम, ड्यूटी विभाजन पैटर्न, अनियोजित अवकाश, स्टैंडबाय क्रू और चालक दल की कमी के कारण प्रभावित उड़ानों की संख्या की निगरानी कर रहा है।
दूसरा दल यात्रियों पर संकट के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसमें एयरलाइन और ट्रैवल एजेंट दोनों से रिफंड की स्थिति, नागर विमानन आवश्यकताओं (सीएआर) के तहत दी जाने वाली क्षतिपूर्ति, समय पर उड़ान भरना, सामान की वापसी और समग्र रद्दीकरण की स्थिति की जांच करना शामिल है।

राष्ट्रीय जनगणना को केंद्र की मंजूरी, पहली बार होगीजाति आधारित गणना

-11,718.24 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन
नयी दिल्ली। केंद्र सरकार 11,718.24 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ जनगणना 2027 कराएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। इसके मुताबिक पहली बार जनगणना में जातिगत गणना भी शामिल होगी। इसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किया जाएगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जनगणना का कार्य दो चरणों में किया जाएगा- पहला चरण अप्रैल से सितंबर 2026 तक चलेगा, जबकि दूसरा चरण फरवरी 2027 में संपन्न होगा। पहली बार जनगणना में जातिगत गणना भी शामिल होगी। इसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किया जाएगा। मोबाइल ऐप के माध्यम से डाटा इकट्ठा किया जाएगा और केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से पूरी प्रक्रिया पर नजर रखी जाएगी। जनगणना को विभिन्न मंत्रालयों को विविध उद्देश्यों के लिए स्पष्ट, मशीन रीडेबल और एक्शनेबल फॉर्मेट में उपलब्ध भी कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि जनगणना 2027 का पहला चरण- हाउसलिस्टिंग एवं हाउसिंग जनगणना अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच चलाया जाएगा। दूसरा चरण, यानी जनसंख्या गणना फरवरी 2027 में होगा। हालांकि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के दुर्गम क्षेत्रों और हिमाचल एवं उत्तराखंड के बर्फीले इलाकों में यह चरण सितंबर 2026 में संचालित किया जाएगा। पूरे देश में इस विशाल अभियान को पूरा करने के लिए लगभग 30 लाख फील्ड कर्मियों की नियुक्ति की जाएगी, जिनमें शिक्षक, पर्यवेक्षक और विभिन्न स्तरों के अधिकारी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि यह पहली जनगणना होगी जिसमें मोबाइल ऐप, डिजिटल प्रश्नावली और केंद्रीय मॉनिटरिंग पोर्टल (सीएमएमएस) का उपयोग किया जाएगा। इससे न केवल डाटा संग्रह की गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि रीयल-टाइम निगरानी भी आसान होगी। जनता को स्वयं अपनी जानकारी भरने का विकल्प भी मिलेगा। सुरक्षा के लिए विशेष डिजिटल प्रावधान किए गए हैं। जनगणना 2027 के लिए विकसित ‘एचएलबी क्रिएटर’ वेब मैप एप्लिकेशन अधिकारियों को ब्लॉक मैपिंग में मदद करेगा। वैष्णव ने एक सवाल पर बताया कि जनगणना की प्रश्वावली और इसकी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से एक अधिसूचना जारी की जाएगी। वहीं मंत्रिमंडल के इस साल 30 अप्रैल को लिए गए निर्णय के तहत इस बार जनगणना में जाति आधारित आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे। सरकार का कहना है कि देश की सामाजिक विविधता को समझने और नीतियों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए यह कदम जरूरी है। जनगणना 2027 से जुड़े कामों के लिए लगभग 18,600 तकनीकी कर्मचारियों की अस्थायी नियुक्ति की जाएगी, जिससे करीब 1.02 करोड़ मानव-दिवस का रोजगार उत्पन्न होगा। डिजिटल डेटा प्रबंधन और विश्लेषण से जुड़े कार्यों में लगी यह टीम भविष्य में भी बेहतर रोजगार अवसरों के लिए सक्षम होगी। यह देश की 16वीं और स्वतंत्रता के बाद 8वीं जनगणना होगी। यह गांव, वार्ड और शहर स्तर तक विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएगी। इसमें आवास, सुविधाएं, धर्म, भाषा, शिक्षा, आर्थिक गतिविधि, प्रवासन और प्रजनन जैसे कई महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक पहलुओं का विस्तृत डाटा एकत्र किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि जनगणना 2027 के परिणामों को पहले की तुलना में काफी कम समय में जारी किया जाए और इसे “क्लिक पर उपलब्ध सेवा” के रूप में राज्यों और मंत्रालयों तक पहुंचाया जाए। उल्लेखनीय है कि हर दस साल में देश में जनगणना कराई जाती है। इस हिसाब से 2021 में जनगणना की जानी थी लेकिन कोविड के कारण नहीं हो पायी। 16 जून को सरकार ने जनगणना 2027 की अधिसूचना जारी की थी। जनगणना की तारीख एक मार्च 2027 होगी।

कैबिनेट ने दी ‘कोलसेतु’ विंडो को मंजूरी

नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने शुक्रवार को निर्बाध, कुशल और पारदर्शी उपयोग (कोलसेतु) के लिए कोयला लिंकेज की नीलामी की नीति को मंजूरी दे दी है। इसके तहत किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए कोयले का उपयोग करने हेतु ‘कोलसेतु’ नामक एक नई विंडो बनाई गई है, जिसे एनआरएस लिंकेज नीति में शामिल किया गया है। यह नई नीति सरकार द्वारा किए जा रहे कोयला क्षेत्र में किए जा रहे निरंतर सुधारों को दिखाती है। कैबिनेट की ओर से जारी की गई प्रेस रिलीज में कहा गया कि यह नीति 2016 की एनआरएस (नॉन-रेगुलेटेड सेक्टर) लिंकेज नीलामी नीति में ‘कोलसेतु’ नामक एक अलग विंडो जोड़कर, किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए नीलामी के आधार पर दीर्घकालिक कोयला लिंकेज के आवंटन की अनुमति देगी, जिसमें कोयले की आवश्यकता वाला कोई भी घरेलू खरीदार लिंकेज नीलामी में भाग ले सकता है। इस विंडो के तहत कोकिंग कोल ऑफर नहीं किया जाएगा।
एनआरएस जैसे सीमेंट, स्टील (कोकिंग), स्पंज आयरन, एल्युमीनियम, और अन्य (उर्वरक (यूरिया) को छोड़कर) के लिए कोयला लिंकेज की नीलामी की मौजूदा नीति में उनके कैप्टिव पावर प्लांट्स (सीपीपी) के लिए सभी नए कोयला लिंकेज का आवंटन नीलामी के आधार पर दिया जाएगा।
सरकार ने कहा कि वर्तमान और भविष्य के मार्केट के डायनामिक्स को देखते हुए और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के उद्देश्य से और देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मौजूदा कोयला भंडारों के तेजी से उपयोग एवं आयातित कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए, एनआरएस को कोयला आपूर्ति की वर्तमान व्यवस्था पर नए सिरे से विचार करने और एनआरएस में लिंकेज को बिना किसी अंतिम उपयोग प्रतिबंध के कोयला उपभोक्ताओं तक विस्तारित करने की आवश्यकता थी।
सरकार के मुताबिक, एनआरएस के लिए कोयला लिंकेज की नीलामी की इस नीति को एक और विंडो/सब-सेक्टर जोड़कर, किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए नीलामी के आधार पर दीर्घकालिक कोयला लिंकेज के आवंटन हेतु संशोधित किया गया है। प्रस्तावित विंडो में ट्रेडर्स को भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इस विंडो के तहत प्राप्त कोयला लिंकेज देश में रीसेल को छोड़कर, स्वयं के उपयोग, कोयले के निर्यात या किसी अन्य उद्देश्य (जिसमें कोयला वाशिंग भी शामिल है) के लिए होगा। कोल लिंकेज होल्डर्स अपनी लिंकेज क्वांटिटी का 50 प्रतिशत तक कोयले का निर्यात करने के पात्र होंगे।

आरबीआई ने खरीदे 50,000 करोड़ रुपए के बॉन्ड

-बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने में मिलेगी मदद

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को देश के बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए 50,000 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। इसके जरिए केंद्रीय बैंक का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बढ़ाना है। यह खरीदारी आरबीआई द्वारा पिछले सप्ताह की गई मौद्रिक नीति की घोषणा का हिस्सा है, जिसके तहत सरकारी बॉन्ड की खरीद के माध्यम से बाजार में 1 लाख करोड़ रुपए और विदेशी मुद्रा अदला-बदली सुविधा के माध्यम से करीब 5 अरब डॉलर के बराबर की राशि बैंकिंग सिस्टम में डाली जाएगी। केंद्रीय बैंक रुपए को अधिक गिरने से रोकने के लिए बाजार में अमेरिकी डॉलर बेच रहा है, जिसके कारण बैंकिंग प्रणाली से काफी नकदी बाहर निकल गई है और इससे बाजार में ब्याज दरों में वृद्धि होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
मौद्रिक नीति के ऐलान के समय भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने कहा था कि आरबीआई शुद्ध मांग और समय देनदारियों (एनडीटीएल) के लगभग 1 प्रतिशत के अधिशेष स्तर को स्पष्ट रूप से लक्षित किए बिना बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त तरलता सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा, “मौद्रिक संचरण हो रहा है और हम इसे समर्थन देने के लिए पर्याप्त तरलता प्रदान करेंगे।”
मल्होत्रा ​​ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम में वर्तमान लिक्विडिटी कभी-कभी एनडीटीएल के 1 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, जो 0.6 प्रतिशत और 1 प्रतिशत के बीच रहती है, और कभी-कभी इससे भी अधिक हो जाती है। उन्होंने आगे कहा, “सटीक संख्या, चाहे 0.5, 0.6 या 1 प्रतिशत हो, मायने नहीं रखती। महत्वपूर्ण यह है कि बैंकों के पास सुचारू रूप से कार्य करने के लिए पर्याप्त भंडार हो।”
केंद्रीय बैंक ने ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) और फॉरेक्स बाय-सेल स्वैप के माध्यम से लिक्विडिटी उपायों की घोषणा की है। ओएमओ के तहत 1 लाख करोड़ रुपए मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद दो किस्तों में की जाएगी, प्रत्येक किस्त 50,000 करोड़ रुपए की होगी, जो 11 दिसंबर और 18 दिसंबर के बीच होगी। इसके अतिरिक्त, 16 दिसंबर को तीन साल के लिए 5 अरब डॉलर का यूएसडी/आईएनआर बाय-सेल स्वैप किया जाएगा।

पांच साल में करीब 9 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता: विदेश मंत्रालय

नयी दिल्ली । विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को संसद को जानकारी दी कि पिछले पांच वर्षों में करीब 9 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है। विदेशी नागरिकता अपनाने वालों की यह प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्य मंत्री किर्ती वर्धन सिंह ने बताया कि सरकार भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों का वर्षवार रिकॉर्ड रखती है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में नागरिकता त्यागने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। बताया गया कि 2020 में 85,256; 2021 में 1,63,370; 2022 में 2,25,620; 2023 में 2,16,219 और 2024 में 2,06,378 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी। इसके अलावा, 2011 से 2019 के बीच 11,89,194 भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्याग दी। इस अवधि में 2011 में 1,22,819; 2012 में 1,20,923; 2013 में 1,31,405; 2014 में 1,29,328; 2015 में 1,31,489; 2016 में 1,41,603; 2017 में 1,33,049; 2018 में 1,34,561 और 2019 में 1,44,017 लोगों ने नागरिकता छोड़ी। इसी बीच, 2024-25 में विदेशों में रहने वाले भारतीयों से प्राप्त शिकायतों के बारे में पूछे गए एक अन्य प्रश्न के उत्तर में विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि विदेश मंत्रालय को कुल 16,127 शिकायतें मिलीं। इनमें से 11,195 शिकायतें ‘मदद’ पोर्टल और 4,932 शिकायतें सीपीग्राम्स के माध्यम से दर्ज हुईं।
सबसे अधिक संकट संबंधी मामले सऊदी अरब (3,049) से आए। इसके बाद यूएई (1,587), मलेशिया (662), अमेरिका (620), ओमान (613), कुवैत (549), कनाडा (345), ऑस्ट्रेलिया (318), ब्रिटेन (299) और कतर (289) का स्थान रहा।
मंत्री ने बताया कि भारत ने प्रवासी भारतीयों की शिकायतों के समाधान के लिए एक “मजबूत और बहु-स्तरीय तंत्र” तैयार किया है, जिसमें इमरजेंसी हेल्पलाइन, वॉक-इन सुविधा, सोशल मीडिया और 24×7 बहुभाषी सहायता शामिल है। अधिकतर मामलों को सीधे संवाद, नियोक्ताओं से मध्यस्थता और विदेशी अधिकारियों के साथ समन्वय के जरिये शीघ्र सुलझा लिया जाता है। कुछ मामलों में देरी की वजह अधूरी जानकारी, नियोक्ताओं का सहयोग न करना और अदालत में चल रहे मामलों में भारतीय मिशनों की सीमित भूमिका बताई गई। उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास पैनल वकीलों के माध्यम से कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराते हैं, जिसके लिए इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड मदद करता है।
उन्होंने कहा कि प्रवासी कामगारों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र एवं कांसुलर कैंप लगातार मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करते हैं।

हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में मतदान केंद्र प्रस्ताव न मिलने पर चुनाव आयोग नाराज

-दावों–आपत्तियों की सुनवाई केवल जिलाधिकारी कार्यालयों में

कोलकाता। विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में निजी हाउसिंग कॉम्प्लेक्सों के भीतर नए मतदान केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने की वजह से चुनाव आयोग ने ज़िलाधिकारियों और ज़िला निर्वाचन अधिकारियों पर कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने साफ कहा है कि अब तक एक भी प्रस्ताव नहीं मिलने को वह बेहद गंभीर चूक मान रहा है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के दफ्तर को भेजे गए नोट में ईसीआई ने याद दिलाया है कि प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 25 और 160 के तहत उचित संख्या में मतदान केंद्र उपलब्ध कराना ज़िला अधिकारियों की कानूनी ज़िम्मेदारी है। आयोग का कहना है कि पश्चिम बंगाल से मतदान केंद्रों के प्रस्ताव नहीं पहुंचना सीधे तौर पर इस ज़िम्मेदारी के उल्लंघन के बराबर है। चुनाव आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार सुबह बताया कि आयोग ने निर्देश दिया है कि मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन के बाद यानी 16 दिसंबर से सभी ज़िलाधिकारी बहुमंजिला इमारतों, समूह आवास परिसरों, आवास संघों, स्लम इलाकों और गेटेड सोसाइटी का सर्वे तुरंत करें। जिन परिसरों में कम से कम 250 घर या 500 मतदाता हैं, वहां ग्राउंड फ्लोर पर उपलब्ध कमरों का विवरण जुटाकर मतदान केंद्र के लिए उपयुक्त स्थान चिह्नित करना अनिवार्य किया गया है। स्लम क्लस्टरों में अतिरिक्त मतदान केंद्रों की ज़रूरत का भी आकलन करने को कहा गया है। इसके बाद सभी प्रस्तावों को दिसंबर महीने के अंतिम दिन तक आयोग को भेजना होगा। उधर, तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही इस विचार का विरोध कर चुकी हैं। पिछले महीने मुख्यमंत्री ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर कहा था कि निजी परिसरों में मतदान केंद्र बनाना निष्पक्षता और परंपरागत मानकों के खिलाफ है। उनका कहना था कि मतदान केंद्र हमेशा सरकारी या अर्द्ध-सरकारी संस्थानों में ही बने ताकि सभी के लिए समान पहुंच बनी रहे। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख और पश्चिम बंगाल प्रभारी अमित मालवीय ने मुख्यमंत्री की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि जहां मतदाताओं के लिए सुविधा बढ़े, वहां कोई भी परिसर मतदान केंद्र बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सहित कई जगहों पर ऊंची इमारतों में ऐसे केंद्र पहले से चल रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब मौजूदा मतदाताओं से कोई केंद्र छीना नहीं जा रहा, तब इसमें समस्या क्या है। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तीन चरणों में से दूसरे चरण में दावों और आपत्तियों की सुनवाई केवल संबंधित जिलाधिकारियों और जिला निर्वाचन अधिकारियों के कार्यालयों में ही कराई जाए। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी परिस्थिति में ब्लॉक विकास कार्यालयों या पंचायत कार्यालयों में ऐसी सुनवाई नहीं होगी। इस बाबत सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने पुष्टि की है। निर्वाचन आयोग ने यह भी अनिवार्य कर दिया है कि सभी सुनवाई की वेबकास्टिंग हो और उसका पूरा रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाए। आयोग के कड़े निर्देशों के बाद सभी जिलाधिकारियाें और जिला निर्वाचन अधिकारियों को आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश भेजे गए हैं। राज्य के लिए विशेष रूप से नियुक्त रोल ऑब्जर्वरों को भी सतर्क रहने को कहा गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सुनवाई नियमानुसार जिलाधीश कार्यालयों में ही हो। गुरुवार दावे–आपत्तियों के लिए उपयोग होने वाले एन्यूमरेशन फॉर्म जमा करने और उनके डिजिटाइजेशन की आखिरी तारीख है। इसके बाद 16 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी, जिससे तीन चरणों वाली एसआईआर प्रक्रिया के पहले चरण का समापन होगा। ड्राफ्ट प्रकाशन के बाद दूसरा चरण शुरू होगा, जिसमें दावों–आपत्तियों का दाखिल करना, नोटिस जारी करना, सुनवाई, सत्यापन और अंतिम निर्णय जैसी प्रक्रियाएं शामिल होंगी। ये सभी कार्य निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों द्वारा एकसाथ संचालित होंगे। इसके बाद तीसरे और अंतिम चरण में अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। अंतिम सूची जारी होते ही विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा की संभावना है। चुनाव आयोग पहले ही इस बात पर कड़ी आपत्ति जता चुका है कि जिलाधिकारी तथा जिला निर्वाचन अधिकारियों ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बहुमंजिला निजी आवासीय परिसरों में उपयुक्त मतदान केंद्र चिह्नित करने का एक भी प्रस्ताव नहीं भेजा। आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि 16 दिसंबर को ड्राफ्ट प्रकाशन के बाद सभी डीईओ बहुमंजिला इमारतों, समूह आवासीय परिसरों, आरडब्ल्यूए कॉलोनियों, स्लम और गेटेड सोसाइटियों का सर्वेक्षण कर कम से कम 250 घरों या 500 मतदाताओं वाले परिसरों में भूतल पर उपलब्ध कमरों की जानकारी जुटाएं और उपयुक्त जगहों को मतदान केंद्र के रूप में चिह्नित करें।

बांग्लादेश सीमा पर कंटीले तार लगाने में देरी पर हाईकोर्ट ने ममता सरकार से मांगा जवाब

कोलकाता । कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया कि राज्य के उन अंतरराष्ट्रीय सीमाई इलाकों पर कंटीले तार लगाने में हो रही देरी पर विस्तृत हलफनामा दायर किया जाए, जहां अब तक फेंसिंग नहीं हो पाई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी सेन की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को 22 दिसंबर तक अपना पक्ष हलफनामे में पेश करना होगा। अदालत में यह निर्देश एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें बंग्लादेश से लगी पश्चिम बंगाल की बिना घिरी सीमाओं पर तत्काल फेंसिंग की मांग की गई थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि गृह मंत्रालय द्वारा अधिग्रहण का पूरा खर्च चुकाए जाने के बावजूद कंटीले तार लगाने के लिए जरूरी भूमि केंद्र को क्यों नहीं सौंपी गई। अदालत ने यह भी कहा कि अगर राज्य के हलफनामे पर आपत्ति हुई, तो केंद्र सरकार को जवाब देने का पूरा अवसर दिया जाएगा। हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल भूमि एवं भूमि सुधार विभाग के मुख्य सचिव को भी इस मामले में पक्षकार बनाए जाने का निर्देश दिया है। बंगाल और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा कई तरह के भौगोलिक क्षेत्रों, नदियों, जंगलों और घनी आबादी वाले इलाकों‌ से होकर गुजरती है, जिससे फेंसिंग और निगरानी दोनों चुनौतीपूर्ण बन जाते हैं। बीएसएफ और केंद्र सरकार लंबे समय से राज्य पर सहयोग न करने का आरोप लगाते रहे हैं। बंगाल भाजपा भी कहती रही है कि राज्य सरकार और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस अहम मुद्दे की अनदेखी कर रही है। अब हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के लिए समय-सीमा तय कर दी है।

श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर: जहां दो स्वरूपों में विराजमान हैं भगवान विष्णु

भगवान विष्णु ने समय-समय पर पृथ्वी को बचाने और राक्षसों का संहार करने के लिए अलग-अलग अवतार लिए हैं। आइए भगवान विष्णु के वराह और नरसिंह अवतार के बारे में जानते हैं। दोनों रूपों में भगवान विष्णु के अलग-अलग मंदिर भारत के अलग-अलग कोनों में मौजूद हैं, लेकिन विशाखापत्तनम में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान विष्णु के संयुक्त रूप की पूजा होती है। श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में सिम्हाचलम पहाड़ी पर समुद्र तल से 800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जिनके यहां वराह और नरसिंह अवतार की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है। मंदिर में प्रतिमा को साल भर चंदन के लेप से ढका जाता है और सिर्फ अक्षय तृतीया के दिन ही उनका पूरा रूप देखने को मिलता है। साल के बाकी दिन चंदन के लेप से ढके होने की वजह से प्रतिमा शिवलिंग के समान दिखती है। भगवान के बिना चंदन के रूप को ‘निजरूप दर्शन’ कहा जाता है, जिसके दर्शन साल में सिर्फ एक बार हो पाते हैं। प्रतिमा को चंदन के लेप से इसलिए ढका जाता है, क्योंकि भगवान का वराह और नरसिंह अवतार उग्र और भयंकर ऊर्जा से भरा है। उनकी ऊर्जा को संतुलित करने के लिए प्रतिमा पर रोजाना चंदन का लेप लगाया जाता है, जिससे भगवान को शीतलता मिले और वे शांत रूप में भक्तों को दर्शन दे सकें। प्रतिमा पर चंदन लगाने की प्रथा काफी सालों से चली आ रही है।
भगवान विष्णु के इन दोनों ही रूपों की अलग-अलग पौराणिक कथा मौजूद हैं। भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिम्हा का अवतार लेकर राक्षस हिरण्यकशिपु का वध किया था, जबकि वराह अवतार लेकर भगवान विष्णु ने राक्षस हिरण्याक्ष को मारा था और मां पृथ्वी को बचाया था। मंदिर के निर्माण को लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं।
माना जाता है कि 11वीं सदी में राजा श्री कृष्णदेवराय ने मंदिर का निर्माण करवाया था, लेकिन मंदिर के इतिहास में 13वीं सदी में पूर्वी गंग वंश के नरसिंह प्रथम का योगदान भी देखने को मिलता है। मंदिर की नक्काशी और गोपुरम दोनों सदी की शैली को दिखाते हैं। बढ़ते समय के साथ मंदिर अलग-अलग राज्यों के संरक्षण में रहा और धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण बढ़ता गया।
मंदिर में जयस्तंभ भी स्थापित है, जिसे कलिंग के राजा कृष्णदेवराय ने युद्ध के दौरान बनवाया था। मंदिर आध्यात्मिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक शैली और अलग-अलग युगों के संरक्षण का प्रमाण देता है। यह मंदिर पर्यटन की दृष्टि से भी खास है। भक्त भगवान के अद्भुत दो रूपों को देखने के लिए आते हैं।

कल्याणेश्वर महादेव : जहां होती है सदियों से टूटे शिवलिंग की पूजा

देशभर में कई ऐसे शिवलिंग स्थापित हैं, जो अपने चमत्कार और अनोखे रूपों के लिए पूजे जाते हैं। देश में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं, जहां स्थापित शिवलिंग की विशेष महत्ता है। गुजरात के कच्छ में एक शिवलिंग है, जो सदियों से टूटा हुआ है और आज भी उसकी पूजा पूरे विधि-विधान से होती है। गुजरात के कच्छ में माधापार, भुज के पास कल्याणेश्वर महादेव मंदिर है। यह मंदिर आस्था और भक्तों की गहरी भक्ति को दिखाता है। यह मंदिर अपनी मान्यताओं और अनोखे शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर को भक्त रहस्यमयी शिव मंदिर बताते हैं कि क्योंकि मंदिर में मौजूद प्रमुख शिवलिंग स्वरूप प्राकृतिक रूप से टूटा हुआ है। कुछ शिवलिंग समय के साथ अपना आकार और रूप खो देते हैं, लेकिन यह शिवलिंग मंदिर के निर्माण से पहले से ही इसी अवस्था में मौजूद था और आज भी इस पर जल, दूध, या अन्य सामग्री चढ़ाई जाती है। कल्याणेश्वर महादेव मंदिर को लेकर भक्तों के बीच कई मान्यताएं मौजूद हैं। माना जाता है कि मंदिर में किसी को सांप काट ले, तो जान नहीं जाती है, क्योंकि महादेव स्वयं भक्त की रक्षा करते हैं।
महादेव मंदिर में मौजूद सांपों को संरक्षण भी देते हैं। इसके अलावा, शिवलिंग पर चढ़ाया गया दूध या जल कहां जाता है, यह किसी को नहीं पता है। मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल धरती मां ग्रहण कर लेती हैं। कल्याणेश्वर महादेव मंदिर को पांडव, कर्ण और शिवाजी महाराज से जोड़कर देखा गया है।
माना जाता है कि अज्ञात वास के समय पांडवों ने इसी स्थल पर आकर तपस्या की थी और शिवलिंग की स्थापना भी उन्हीं के हाथों हुई थी। इसके अलावा, कर्ण ने भी इस मंदिर में आकर भगवान शिव को पूजा था। शिवाजी महाराज को भी सफलता पाने के लिए कल्याणेश्वर महादेव मंदिर ही आना पड़ा था। इस मंदिर में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज ने तीन महीने तक लगातार यज्ञ किया था और महादेव का आशीर्वाद पाया था।
मंदिर इन रहस्यों और कथाओं की वजह से ही भक्तों की आस्था को और बढ़ाता है। महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं।