Tuesday, April 22, 2025
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ईरान के बंदर अब्बास शहर में है भगवान विष्णु का मंदिर

ईरान के बंदर अब्बास शहर में एक मात्र हिंदू देवता भगवान विष्णु की मंदिर है। इसका इसका निर्माण 1892 ईस्वी में मोहम्मद हसन खान साद-ओल-मालेक के शासनकाल के दौरान किया गया था। ईरान में हिंदू धर्म एक छोटा धर्म है।
2015 तक ईरान में 39,200 हिंदू रहते थे। इस वजह से ईरान में अब तक केवल दो हिंदू मंदिर का निर्माण किया गया है, जिसको आर्य समाज द्वारा बनाए गया था। ईरान के बंदर अब्बास शहर में एक मात्र हिंदू देवता भगवान विष्णु की मंदिर है। इसका इसका निर्माण 1892 ईस्वी में मोहम्मद हसन खान साद-ओल-मालेक के शासनकाल के दौरान किया गया था। इसको बनाने में भारतीय व्यापारियों ने भी मदद की थी।
ईरान के बंदर अब्बास में हिंदू मंदिर एक उल्लेखनीय ऐतिहासिक स्मारकों में से एक माना जाता है, जो बाजार के सामने इमाम खुमैनी स्ट्रीट पर स्थित है। हिंदू देवता भगवान विष्णु की मंदिर मंदिर का भवन मुख्यतः एक केन्द्रीय वर्गाकार कक्ष है जिसके ऊपर एक गुम्बद है। इस स्मारक का डिज़ाइन पूरी तरह से भारतीय वास्तुकला से प्रेरित है।


बंदर अब्बास में भारतीयों के मंदिर की शानदार वास्तुकला शैली और इस मंदिर के निर्माण के लिए उपयोग की गई सामग्री इसे ईरान की अन्य इमारतों से अलग बनाती है। मुख्य भवन के गुंबद पर 72 बुर्ज हैं, जो इसे भारतीय वास्तुकला के करीब बनाते हैं। इस मंदिर का गुंबद ईरान के सबसे खूबसूरत गुंबदों में से एक है। इस मंदिर के अंदर और इसका आंतरिक भाग भी बेहद खूबसूरत और शानदार है। इसका मुख्य कमरा चतुर्भुज आकार का है और इसमें सुंदर फ्रेम लगे हैं।
मंदिर के चारों ओर 4 गलियारे हैं। अपरिभाषित अतीत में, भारतीय इन गलियारों से प्रार्थना करने के लिए यहां आते थे। ईरान में हिंदू मंदिर को 19वीं सदी के अंत तक भारतीय व्यापारियों द्वारा वित्त पोषित किया गया था। इसके बाद साल 1976 में आखिरी बार ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने तेहरान की यात्रा की थी।

गर्मियों में भेज रहे हैं बच्चे को स्कूल तो रखें ध्यान

गर्मियों की छुट्टियां खत्म होते ही माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी शुरू कर देते हैं। इस दौरान कई बार कुछ सामान्य गलतियां हो जाती हैं, जो बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। यहां गर्मियों में बच्चों को स्कूल भेजते समय होने वाली कुछ सामान्य गलतियों और उनसे बचने के उपाय दिए गए हैं –
1. बच्चों को पर्याप्त पानी न पिलाना – गर्मियों में डिहाइड्रेशन एक आम समस्या है, खासकर बच्चों में। स्कूल जाते समय बच्चों को पर्याप्त पानी पीना चाहिए ताकि वे डिहाइड्रेट न हों। माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल के लिए पानी की बोतलें देनी चाहिए और उन्हें नियमित अंतराल पर पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
2. बच्चों को हल्के रंग के कपड़े न पहनाना – गर्मियों में गहरे रंग के कपड़े गर्मी सोख लेते हैं, जिससे बच्चे असहज और पसीने से तर हो सकते हैं। माता-पिता को अपने बच्चों को हल्के रंग के, ढीले-ढाले कपड़े पहनाने चाहिए जो हवा को प्रसारित होने दें और उन्हें ठंडा रखें।
3. बच्चों को सनस्क्रीन न लगाना – सनस्क्रीन त्वचा को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (यूवी) किरणों से बचाने के लिए आवश्यक है। माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल जाने से पहले सनस्क्रीन लगानी चाहिए, भले ही दिन बादल क्यों न हो। सनस्क्रीन कम से कम एसपीएफ 30 होनी चाहिए और हर दो घंटे में दोबारा लगानी चाहिए।
4. बच्चों को टोपी या छाता न देना – टोपी और छाते सूर्य की गर्मी और यूवी किरणों से बच्चों की रक्षा करने में मदद करते हैं। माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल जाते समय टोपी और छाता देना चाहिए, खासकर अगर उन्हें लंबे समय तक धूप में रहना पड़ता है।
5. बच्चों को आरामदायक जूते न पहनाना – गर्मियों में बच्चे अक्सर खुले जूते या सैंडल पहनते हैं, जो आरामदायक नहीं हो सकते हैं। माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल जाते समय बंद जूते पहनाने चाहिए जो उनके पैरों को सहारा दें और उन्हें चोट से बचाएँ।
6. बच्चों को पौष्टिक भोजन न देना – गर्मियों में बच्चों को पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है ताकि वे सक्रिय और स्वस्थ रह सकें। माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल के लिए पौष्टिक भोजन पैक करना चाहिए, जैसे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और प्रोटीन।
7. बच्चों को पर्याप्त नींद न लेने देना- गर्मियों में बच्चे अक्सर देर तक जागते हैं और सुबह देर से उठते हैं। माता-पिता को अपने बच्चों को पर्याप्त नींद लेने के लिए एक नियमित नींद का कार्यक्रम बनाए रखना चाहिए, भले ही वे गर्मियों की छुट्टियों पर हों।
8. बच्चों को बहुत अधिक स्क्रीन टाइम – गर्मियों में बच्चे अक्सर टीवी, वीडियो गेम और सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताते हैं। माता-पिता को अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करना चाहिए और उन्हें अन्य गतिविधियों, जैसे पढ़ना, खेलना और बाहर समय बिताना, में शामिल करना चाहिए।
9. बच्चों की गतिविधियों की योजना न बनाना – गर्मियों की छुट्टियां बच्चों के लिए नई चीजें सीखने और नई गतिविधियों का अनुभव करने का एक शानदार समय है। माता-पिता को अपने बच्चों के लिए गतिविधियां, जैसे शिविर, कक्षाएं और कार्यक्रम, की योजना बनानी चाहिए ताकि वे व्यस्त और व्यस्त रहें।
10. बच्चों की सुरक्षा की उपेक्षा करना- गर्मियों में बच्चे अक्सर बाहर अधिक समय बिताते हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। माता-पिता को अपने बच्चों को अजनबियों से बात न करने, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर सावधान रहने और हमेशा एक वयस्क की निगरानी में रहने के लिए शिक्षित करना चाहिए। गर्मियों में बच्चों को स्कूल भेजते समय इन सामान्य गलतियों से बचकर, माता-पिता अपने बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं। कुछ सावधानियों और योजनाओं के साथ, बच्चे गर्मियों में स्कूल का आनंद ले सकते हैं और सीख सकते हैं।

प्याज-टमाटर -आलू की महंगे तो शाकाहारी थाली हुई 7 फीसदी महंगी

नयी दिल्ली । प्याज, टमाटर और आलू के दाम बढ़ने से मार्च, 2023 में शाकाहारी थाली सालाना आधार पर सात फीसदी तक महंगी हो गई। हालांकि, पॉल्ट्री की कीमतें घटने से मांसाहारी थाली सात फीसदी सस्ती हो गई।
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिसिस ने बृहस्पतिवार को जारी अपनी मासिक ‘रोटी चावल दर’ रिपोर्ट में कहा कि शाकाहारी थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही व सलाद आते हैं। इस थाली की कीमत पिछले माह बढ़कर 27.3 रुपये प्रति प्लेट पहुंच गई, जो मार्च, 2023 में 25.5 थी। हालांकि, फरवरी के 27.4 रुपये की तुलना में मार्च में शाकाहारी थाली सस्ती हुई है।
मांसाहारी थाली की कीमत 7 फीसदी घटी – ब्रॉयलर मुर्गे की कीमतों में 16 फीसदी की गिरावट मांसाहारी थाली की कीमत मार्च में 54.9 रुपये प्रति प्लेट रह गई। मार्च, 2023 में कीमत 59.2 रुपये और फरवरी, 2024 में 54 रुपये थी।
40 फीसदी तक बढ़े प्याज-टमाटर के दाम – रिपोर्ट के मुताबिक, आवक कम होने और कम आधार दर के कारण प्याज की कीमतों में सालाना आधार पर 40 फीसदी की तेजी आई है। टमाटर के दाम 36 फीसदी और आलू के दाम 22 फीसदी बढ़ गए हैं, जिससे आम आदमी की शाकाहारी थाली महंगी हो गई है। कम आवक से सालाना आधार पर चावल भी 14 फीसदी महंगा हो गया है। दालों की कीमतें 22 फीसदी बढ़ गई हैं।

अब एटीएम की की जरूरत नहीं, यूपीआई से जमा कीजिए नकदी

नयी दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2025 की पहली मौद्रिक नीति बैठक में यूपीआई को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है। अगर आप यूपीआई का इस्‍तेमाल करते हैं तो आपके लिए एक बड़ी सुविधा आने वाली है। इस सुविधा के तहत बहुत ही जल्‍द आप यूपीआई का इस्‍तेमाल करके अपने बैंक अकाउंट में नकदी भी जमा कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जल्‍द ही यूपीआई के जरिए कैश जमा करने के लिए मशीन का इस्‍तेमाल कर सकेंगे।
शक्तिकांत दास ने कहा कि इस सर्विस से लोगों को बड़ी सहुलियत मिलेगी। नकदी जमा करने लिए बैंक नहीं जाना पड़ेगा, साथ ही अगर आपसे बैंक दूर है तो आप यूपीआई के जरिए नकद जमा कर सकेंगे। इसके अलावा पीपीआई (प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स) कार्डधारकों को भी पेमेंट की सुविधा दी जाएगी. इन लोगों को थर्ड पार्टी के यूपीआई ऐप के जरिये यूपीआई पेमेंट करने की सुविधा देने का भी प्रस्ताव किया गया है।
कार्ड रखने की नहीं कोई जरूरत – अगर यूपीआई से कैश डिपॉजिट की सुविधा आती है तो आपको जेब में कार्ड रखने की समस्‍या से आजादी मिल सकती है। इससे एटीएम कार्ड रखने, खोने या बनवाने की समस्‍या भी दूर हो जाएगी। साथ ही अगर आपका एटीएम कार्ड चोरी भी हो जाता है तो उसे ब्‍लॉक करवाने के बाद भी कैश डिपॉजिट करने में समस्‍याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
अभी तक कैश डिपॉजिट या निकालने के लिए डेबिट कार्ड का इस्‍तेमाल होता है, लेकिन जब यूपीआई की यह सुविधा आ जाएगी तो आपको डेबिट कार्ड की आवश्‍यकता नहीं होगी। बहुत जल्‍द आरबीआई एटीएम मशीन पर यूपीआई की यह नई सुविधा जोड़ेगी। इसके बाद थर्ड पार्टी ऑनलाइन पेमेंट ऐप के इस्‍तेमाल से आप एटीएम मशीन से यूपीआई के जरिए कैश डिपॉजिट कर सकेंगे।
रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं – आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 की पहलआरबीआई मौद्रिक नीति बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। केंद्रीय बैंक ने लगातार 7वीं मॉनिटरी पॉलिसी बैठक में रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखा है।

13 साल की बच्ची ने एलेक्सा  की मदद से बचाई छोटी बहन की जान

बंदरों के झुंड ने किया था हमला
बस्ती । कुत्ता हो या बंदर आज कल ये हिंसक बनते जा रहे हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए लोग अब आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। एलेक्सा डिवाइस का इस्तेमाल से मासूम बच्ची की जान बच गई। बस्ती जनपद के आवास विकास काॅलोनी में 13 साल की छात्रा निकिता ने ऐसा कारनामा कर दिखाया जिससे लोग निकिता की तारीफ कर रहे हैं। निकिता की चालाकी और सूझबूझ ने मासूम की जान बचाई और एक मिशाल पेश की। वहीं आधुनिक डिवाइस का सटीक इस्तेमाल करके एक मासूम बच्ची के साथ अनहोनी से निजात पाई।
जानकारी के मुताबिक, निकिता 15 महीने की अपनी भांजी वामिका को बगल में लेकर सोफे पर खेल रही थी। घर के बाकी लोग दूसरे कमरों में थे। तभी 5-6 बंदर अंदर घुस गए। वह घर में उत्पात मचाने लगे। बंदरों ने किचन में जाकर बर्तन और खाने-पीने का सामान इधर-उधर फेंक दिया जिससे अफरा तफरी का माहौल हो गया। इस तर अचानक पास में बंदरों को उत्पात मचाते देख दोनों बच्चियां घबरा गईं। 15 महीने की वामिका कुछ समझ नहीं पाई मगर डर कर मां-मां की आवाज लगाने लगी। वहीं निकिता भी डर गई। निकिता ने बताया कि बंदर उन दोनों की तरफ कई बार दौड़ा। तभी उसकी नजर फ्रिज पर रखे एलेक्सा डिवाइस की तरफ गई और मानो उसके दिमाग की बत्ती जल गई। उसने बोला एलेक्सा (डिवाइस) कुत्ते की आवाज निकालो। वायस कमांड पाते ही एलेक्सा कुत्ते की तरह भौं-भौं की तेज आवाज करने लगा। कुत्ता भौंकने की आवाज सुनकर बंदर बालकनी से होता हुआ छत की तरफ भाग गया।
परिवार के मुखिया पंकज ओझा बताते हैं कि एलेक्सा डिवाइस का इतने बेहतर इस्तेमाल से दोनों की जान बच गई। एलेक्सा डिवाइस सूचना पहुंचने और कम्पेटिबल डिवाइस को नियंत्रित करने के लिए आपके व्यक्तिगत वॉइस असिस्टेंट के रूप में काम करता है। गूगल असिस्टेन्ट की तरह यह आपके प्रश्नों का उत्तर दे सकता है। ट्रैफिक की जानकारी और किराने की लिस्ट तक बना सकता है। संगीत सुनाने में मदद कर सकता है। आपके लिए वीडियो प्ले कर सकता है। आप कहेंगे गुडनाइट तो यह कमरें की लाइट बंद कर सकता है। आपके मनमुताबिक मॉर्निंग अलार्म भी सेट कर सकता है।
बताया जाता है कि हालांकि इस डिवाइस को लेकर एलेक्सा के उपयोग पर बहस भी होती रही है। इससे ब्यक्तिगत सूचनाओं की गोपनीयता भंग होने की आशंका रहती, लेकिन किसी डिवाइस का इफेक्ट और लाभ दोनों होते हैं। आज इसके उपयोग से बड़े हादसे को टाला गया। भविष्य में यह उपयोगी है या अनुपयोगी यह आदमी के दिमाग और उपयोग करने के तरीके पर निर्भर करता है।

 

जानिए, अब तक के लोकसभा चुनावों का लेखाजोखा

लोकसभा चुनाव 2024 की गहमागहमी पूरे जोरों पर है। सात चरणों में चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण के लिए मतदान 19 अप्रैल को होने जा रहा है। भारत में चुनाव किसी पर्व से कम नहीं है। इसे लेकर मतदाताओं में भारी उत्साह रहता है और जनता जिसे प्यार देती है वही सत्ता पर काबिज होता है। हम आपको चुनावी इतिहास से जुड़ी जानकारी बता रहे हैं जो आपके लिए बेहद अहम है।
पहला चुनाव वर्ष 1951-52 में हुआ – भारत में आम चुनाव एक लोकतंत्र का पर्व है जिसके तहत जनता हर पांच साल में आम चुनावों के माध्यम से अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। पहला आम चुनाव वर्ष 1951-52 में हुआ था, इसके कुछ ही वर्षों के भीतर ही देश ने 26 जनवरी 1950 को अपना संविधान लागू किया। तब से देश ने 17 लोकसभा चुनाव देखे हैं। समय के साथ मतदाताओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती गई। पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी ने जीता, जिसने कुल 489 सीटों में से 364 सीटें हासिल कीं।
लोकसभा चुनावों पर कुछ रोचक तथ्य – पिछले कुछ वर्षों में भारतीय लोकसभा चुनावों में मतदान आम तौर पर बढ़ा है, शुरुआती चुनावों में लगभग 45% से लेकर हाल के वर्षों में 60 प्रतिशत से अधिक हो गया है।
शुरुआती लोकसभा चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दबदबा रहा, जवाहरलाल नेहरू ने पहले तीन चुनावों में पार्टी को महत्वपूर्ण बहुमत दिलाया।
इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं और 1967 के लोकसभा चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को जीत दिलाई।
विपक्षी दलों के गठबंधन के रूप में बनी जनता पार्टी ने 1977 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की, जिससे आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस का प्रभुत्व समाप्त हुआ।
1980 में इंदिरा गांधी सत्ता में लौटीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एक बार फिर जीत दिलाई।
1984 के लोकसभा चुनावों में राजीव गांधी की मां प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, राजीव के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भारी जीत मिली।
गठबंधन राजनीति का आगमन 1980 और 1990 के दशक में साफ हुआ, जिसमें जनता दल और भारतीय जनता पार्टी जैसी पार्टियों को प्रमुखता मिली।
1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा पहली बार सत्ता में आई। इसके बाद से कांग्रेस का प्रभुत्व कम होता गया।
किस चुनाव में किसने मारी बाजी, कौन बना प्रधानमंत्री?
सात चरणों में चुनाव – पिछले साल हुए चुनाव में बीजेपी ने 303 सीटों से चुनाव जीता था, जबकि कांग्रेस को 52 सीटें हासिल हुई थीं। चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जो कार्यक्रम जारी किया है उसके मुताबिक चुनाव सात चरणों में होंगे। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा और आखिरी चरण 1 जून को खत्म होगा। चुनाव के नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे।

आईटीआर फॉर्म ई-फाइलिंग पोर्टल पर , 4 दिन में 23 हजार रिटर्न दाखिल

नयी दिल्ली । केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने करदाताओं को एक अप्रैल, 2024 से आकलन वर्ष 2024-25 और वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने से संबंधित फॉर्म को आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर उपलब्ध करा दिए हैं।
बीते चार दिन में करीब 23 हजार आईटीआर दाखिल किए जा चुके हैं। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि सीबीडीटी ने आकलन वर्ष 2024-25 और वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आईटीआर जमा करने से संबंधित फॉर्म ई-फाइलिंग पोर्टल पर उपलब्ध करा दिए हैं, जबकि बीते चार दिन में करीब 23 हजार अयाकर रिटर्न दाखिल किए जा चुके हैं। मंत्रालय ने कहा कि आमतौर पर करदाताओं द्वारा उपयोग की जाने वाली आईटीआर कार्यप्रणाली यानी आईटीआर-1, आईटीआर-2 और आईटीआर-4 फॉर्म करदाताओं को अपना रिटर्न दाखिल करने के लिए 01 अप्रैल, 2024 से ई-फाइलिंग पोर्टल पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा कंपनियां भी एक अप्रैल से आईटीआर-6 के जरिए भी अपना आईटीआर दाखिल कर सकेंगी। वित्त मंत्रालय ने बताया कि हाल के वर्षों में पहली बार आयकर विभाग ने करदाताओं को नए वित्त वर्ष के पहले दिन ही अपना आईटी रिटर्न दाखिल करने में सक्षम बनाया है। यह कर अनुपालन में सुगमता और निर्बाध करदाता सेवाओं की दिशा में उठाया गया कदम है। आईटीआर फॉर्म-1 (सहज) और आईटीआर फॉर्म-4 (सुगम) बड़ी संख्या में छोटे और मझोले करदाताओं की जरूरतों को पूरा करते हैं। वहीं आईटीआर-2 आवासीय संपत्ति से आय वाले लोगों द्वारा दाखिल किया जाता है।
सहज फॉर्म को 50 लाख रुपये तक की इनकम वाला व्यक्ति दायर कर सकता है। यह आय वेतन, एक गृह संपत्ति, अन्य स्रोत (ब्याज) और 5,000 रुपये तक की कृषि आय हो सकती है। वहीं, सुगम फॉर्म को ऐसे व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों और फर्मों (एलएलपी को छोड़कर) द्वारा दायर किया जा सकता है, जिनकी व्यवसाय और पेशे से कुल आय 50 लाख रुपये तक है। सीबीडीटी ने कहा कि आईटीआर 3, 5 और 7 फॉर्म दाखिल करने की सुविधा भी जल्द ही उपलब्ध कराई जाएगी। गौरतलब है कि सीबीडीटी ने आईटीआर फॉर्म पहले ही अधिसूचित कर दिया था। आईटीआर-1 और 4 फॉर्म को 22 दिसंबर, 2023 को अधिसूचित किया गया था, जबकि आईटीआर-6 को 24 जनवरी और आईटीआर-2 को 31 जनवरी को अधिसूचित किया गया था।

ओ..पीछा करने वाले जरा सुनो…(एक स्टाकर को चिट्ठी)

सुषमा कनुप्रिया

मैं अक्सर लड़कियों को लेकर जब भी सोचती हूँ तो ऐसी खबरें भी सामने आती हैं कि कोई लड़का किसी लड़का का पीछा करता पकड़ा गया या किसी ने ब्रेकअप होने पर लड़की को देख लेने की धमकी दी। ऐसी भी दिल दहला देने वाली घटनाएं…कि मेरी न हुई तो किसी की नहीं होने दूँगा टाइप…और फिर जिससे प्रेम करने का दावा भरता रहा….जिस खूबसूरती की तारीफ पर तारीफ करता रहा..उसे अपनी नफरत के तेजाब से नहला दिया…और यह सब कुछ प्यार (?) के नाम पर….
सच्ची…तब मन में ख्याल आता है कि क्या यह वही देश है जहाँ लोग अपना जीवन दांव पर लगाकर स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करते हैं? क्या प्रेम इतना क्रूर हो सकता है कि किसी की पीड़ा में, रुदन में, आहों में अपने लिए सुख खोज ले..? प्रेम का कैसा विकृत रूप चल पड़ा है समाज में लोग..प्रेम नहीं करते…प्रेमी या प्रेमिका को जाल में फँसाते हैं और सम्बन्धों में जिसके मान – सम्मान की रक्षा का दारोमदार उनको निभाना चाहिए था…उसे बदनाम करने के लिए उसकी छवि को मटमैला करने की हद तक चले जाते हैं…। पता नहीं…कितने लड़कियां और लड़के भी इस दहशत से मुक्ति पाने के लिए मृत्यु में मुक्ति खोज लेना चाहते हैं…। इतना सब कुछ होता देख रही हूँ तो मन किया कि चलो, आज ऐसे ही एक व्यक्ति से (लड़का या लड़की) का निर्धारण नहीं कर रही हूँ क्योंकि ईर्ष्या और असुरक्षा के मामले में लड़कियाँ गिरने में भी कमतर नहीं हैं) से थोड़ी बात की जाए…।
तो यह खुला पत्र जेंडर से परे उन लोगों के लिए है और उस व्यक्ति की तरफ से है जो इस उत्पीड़न को झेल रहे हैं मगर शिकार तो लड़कियाँ ज्यादा हो रही हैं तो समझिए कि यह पत्र अपने प्रेमी के हाथों ब्लैकमेलिंग का शिकार होने वाली एक लड़की ही लिख रही है –
सुनो…(किस नाम से संबोधित करूँ… प्रिय तो तुम रहे नहीं.. और अपने ही विश्वास को चोट खाना मुझे कातर कर रहा है…)…सम्बोधन तुम खुद बैठा लो…समझ लो कि तुम मेरी जगह पर हो..
मैं तुमको दिल से मेरी बातों पर विचार करने के लिए नहीं कहूँगी..क्योंकि दिल नाम की चीज होती तुम्हारे पास तो शायद मुझे यह सब कहना ही नहीं पड़ता । मैं आज जमीर की बात नहीं करूँगी क्योंकि जमीर होता तो तुम मेरे उस विश्वास का मान रखते…मेरे चरित्र को अपने संरक्षण की सफेद चादर से बचाकर रख लेते…मगर ऐसा नहीं है…तुम तो जिसे अपने घर की इज्जत बनाने के सपने दिखा रहे थे…आज तुम उसे बाजार में उछालने की बात कर रहे हो..। तो फिर तुम्हारे पास जो जमीर है ही नहीं…उस जमीर को जगाने की बात मैं नहीं करने जा रही हूँ ।
इतने दिनों से उत्पीड़न झेलते – झेलते, तुम्हारी धमकियाँ सुनते – सुनते…अपने मधुर क्षणों की अंतरंग तस्वीरों को सार्वजनिक करने की तुम्हारी धमकियाँ सुनते – सुनते मैं जैसे पत्थर बनती जा रही हूँ…कि मैं किसलिए लड़ रही थी…मैंने किससे प्रेम किया…क्यों प्रेम किया….क्यों भरोसा किया और इतना भरोसा क्यों किया कि एक विश्वास पर वह सब कुछ दे बैठी जिसकी कल्पना भी करनी मुश्किल है । बहुत सोचा…क्या मैंने पाप किया…क्या मैं वाकई चरित्रहीन हूँ (जैसा कि तुम मुझे इन दिनों कहते फिर रहे हो)? शकुंतला ने भी तो विश्वास ही किया था..दुष्यंत पर और वह उसे भूल बैठे क्योंकि वह अंगूठी खो बैठी थी ।
अच्छा एक बात बताना…ऐसा क्यों होता है कि जो स्त्री (मूर्ख स्त्री..)एक विश्वास और भावनाओं की नदी में बहकर सब खो बैठती है तो उसे कुल्टा, चरित्रहीन कहा जाता है और जो पुरुष उसे ऐसा करने के लिए भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करता है…कई बार अपना पौरुष साबित करने के लिए उसे डराता – धमकाता भी है और अपना बीज इसलिए छोड़ जाता है कि वह स्त्री किसी और की न हो सके…वह दोषी क्यों नहीं है…विश्वास तोड़ना तो विश्वास करने से बड़ा अपराध है न? तो मैं गलत हूँ तो तुम सही कैसे हुए, कहो जरा?
मैंने तुम्हारी सारी स्मृतियों को सहेजकर रखा है…तुम्हारा दिया गया वह सुर्ख गुलाब…और अब वह सारे मैसेज भी सहेजकर रख रही हूँ जिसमें तुमने बार – बार जिक्र किया है कि मैं किस तरह तुम्हारे साथ फिजिकल हुई और किस तरह तुमने मुझे विवाह के पहले मुझ पर जबरन मातृत्व सुख थोपने का प्रयास किया…। मैं यह सब सहेजकर रख रही हूँ कि कल को मेरी बेटी होगी तो मैं उसे यह सब दिखाऊँगी और सुनिश्चित करूँगी कि वह प्रेम के मायाजाल में मेरी तरह न फँसे क्योंकि यहाँ भावनाओं में इतनी कालिख है कि दलदल भी लजा जाए…। लेकिन…एक बात बताना कि तुम क्या अपने बेटे को यह सब बता सकोगे…तुम्हारे पास किस तरह की स्मृतियाँ हैं…अच्छा सोचो तो तकनीक का जमाना है…क्या होगा कल को तुम्हारी संतान के हाथ में तुम्हारी धमकियाँ पड़ जाएं….वह तुम्हारा असली चेहरा देख ले….क्या तुम उसकी घृणा स्वीकार कर सकोगे । मैंने सुना है कि कर्म लौटता है…(सच मैं नहीं चाहती कि ऐसा हो क्योंकि अगर ऐसा होगा तो तुम्हारी किसी बहन या तुम्हारी बेटी को तुम्हारी तरह का कोई जानवर मिलेगा और वह भी उसी उत्पीड़न से गुजरेगी…जबकि उसका तो कोई दोष भी नहीं है…) तो क्या तुम उस परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हो?
आज तुम मेरे पीछे पड़े हो..कल को कोई तुम्हारी पत्नी के पीछे पड़ जाए और उसकी लगातार जासूसी करे…वह क्या करती है, किससे मिलती है…क्यों करती है…तुम क्या स्वीकार कर सकोगे? तुमने मुझे धमकी दी है कि तुम मेरे घर में जाकर मेरे घरवालों को सब कुछ बता दोगे…मतलब सब कुछ…और मैं बदनाम हो जाऊँगी…। अच्छी बात है…पर अब मुझे लगता है कि मुझे भी तुम्हारे घर जाना ही चाहिए…वैसे ही हर जगह जाना चाहिए…जहाँ तुम जाते हो…बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम मेरा पीछा कर रहे हो…अब मैं भी करूँगी…और वह सब कुछ बताऊँगी जो हमारे बीच हुआ। पता है मुझे कि लोग मुझ पर उंगली उठाएंगे…उठाएं…मेरे पास खोने के लिए क्या है? इस समाज ने सीता की अग्निपरीक्षा ली है…कभी किसी ने राम से कभी थोड़ी न पूछा कि सीता तो जबरन रावण के पास ले जाई गयी थी, उसकी इच्छा नहीं थी मगर श्रीराम क्या अपने 14 सालों का हिसाब दे सकेंगे? मुझे परवाह नहीं है…वैसे ही जैसे द्रोपदी को नहीं हुई जब शिशुपाल की वाचाल वाणी ने उसका अपमान किया…वैसे ही जब दुर्योधन ने उसे अपनी जंघा पर बैठाने का निर्लज्ज प्रयास किया और उसके पांच – पांच कायर पति तमाशा देखते रहे। स्त्री का अपमान सार्वजनिक होता है मगर वह स्त्री का अपमान नहीं होता..वह समूचे समाज का अपमान है क्योंकि स्त्री के सम्मान, उसकी सुरक्षा का दायित्व समाज का दायित्व का था और जब स्त्री का चीरहरण होता है तो महाभारत भी होती है..तो द्रोपदी के पास तो कृष्ण थे…और मुझे पता है कि वह आज भी हैं…।
याद रहे….अगर मेरे सम्मान पर कीचड़ उछाला गया तो वह कीचड़ तुम्हारे चरित्र पर भी उछलेगा क्योंकि मेरे घरवालों ने भी बड़े विश्वास और भरोसे के साथ मेरा हाथ तुम्हारे हाथ में सौंपना चाहा था। मेरे सम्मान की रक्षा करना तुम्हारा दायित्व था और तुम इसमें असफल रहे इसलिए कुंठित हो…तो जो खुद ही कुंठित हो…उससे भय कैसा…। मैं वहाँ भी जाने को प्रस्तुत हूँ…जहाँ से तुम्हारी रोजी – रोटी है…लोग देखें तो सही कि प्रेंम के नाम पर घृणा और कुंठा में जलने वाला व्यक्ति दिखता कैसा है?
अब बात प्रेम की..तुमको पता कि प्रेम कहते किसे हैं…मैंने सुना है कि जब आप किसी व्यक्ति को पसंद करते हैं तो उसे पा लेना चाहते हैं मगर जब आप प्रेम करते हैं तो उसे वहीं रहने देते हैं…जहाँ वह रहना चाहता है…क्योंकि उसके टूटने से आपको पीड़ा होती है..। प्रेम सिमटने नहीं देता, प्रेम बहकने नहीं देता…प्रेम गिरने नहीं देता…प्रेम आपको उस लक्ष्य पर ले जाता है…जहाँ आप जाना चाहते हैं और तब वह संबंघों की सीमा से परे आपके लिए खुद ही राह बन जाता है…। तुम्हारा प्रेम किसी दलदल जैसा था…जिसमें कीचड़ ही कीचड़ ही थी…तुम खुद ही सोचो कि क्या तुम इस लायक हो कि तुमको मेरा प्रेम मिले और तुम मेरी जगह होते तो क्या करते?
अब कमल तो कीचड़ से दूर ही रहता है…मैं भी तुम्हारी वासना के दलदल से बाहर निकल चुकी हूँ…आकाश की ओर देख रही हूँ….मुझे तुम दूर – दूर तक नहीं दिखते…मेरा लक्ष्य दिखता है…और मुझे पता है कि जिस विधाता ने अब तक मेरी रक्षा की और तुम जैसे घृणित दलदल से रक्षा की…वह मुझे मेरे जीवन में आगे भी ले जाएगा और मुझे विश्वास है कि ऐसा कोई जरूर आएगा जो मेरे प्रेम का मान रखेगा…।
अच्छा अब एक और बात ….नीचे कुछ दे रही हूँ…इसे जरूर पढ़ो और तुम्हारे ऐसे कुछ खुराफाती दोस्त हैं तो उनको भी जरूर पढ़वाना –
रिश्ते में थे! और गर्लफ्रेंड ने ब्रेकअप कर लिया, दुख बाद में मना लेना। पहले ये चार बातें जान लो। अपनी गर्लफ्रेंड को मनाने और वापस पाने के चक्कर में उसके साथ बदतमीजी मत कर देना। पीछा मत करना। बार-बार मैसेज मत करना। गाली-गलौज और मारपीट तो बिलकुल भी नहीं करना है । अगर आपने ऐसा किया तो जेल की हवा खानी पड़ सकती है । आइए एक-एक करके समझते हैं । लड़की का पीछा (Stalking) करने पर हमारा कानून क्या कहता है?
पूर्व प्रेमिका का लगातार पीछा करना और बार-बार कॉल या मैसेज करके परेशान करना IPC के सेक्शन 354 D के तहत अपराध माना जाएगा। लड़की का पीछा करने पर आईपीसी की धारा-354 D के तहत केस दर्ज होता है । आरोप सिद्ध होने के बाद दोषी को तीन साल तक की सजा हो सकती है। लड़की की प्राइवेट फोटो शेयर करने की सोचना भी मत!
एक आखिरी बात. अगर उसकी कोई प्राइवेट फोटो आपके पास है तो उसे सोशल मीडिया या किसी दूसरे के साथ शेयर करने की सोचना भी मत क्योंकि ये IT Act के सेक्शन 66E के तहत उसकी प्राइवेसी का उल्लंघन माना जाएगा। सेक्शन 66E कहती है कि अगर कोई किसी महिला की प्राइवेट फोटो उसकी अनुमति के बगैर लेता है या बिना अनुमति कहीं शेयर करता है तो ये अपराध है। दोषी को 3 साल तक की जेल हो सकती है, साथ ही 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लग सकता है ।
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ठीक से पढ़ना…क्योंकि अगर तुमको या तुम जैसों को लगता है कि तुम्हारी इस तरह की घटिया हरकत से मैं डर जाऊँगी और तुम्हारे पीछे – पीछे आ जाऊँगी तो अफसोस कि तुम गलत हो…मुझे न तो कोई डर है, न तो तुमसे कोई भय है क्योंकि तुम्हारी हरकतों के बारे में बहुत से लोग जान रहे हैं और पीछा करने वाला परेशान करने वाला व्यक्ति एक अपराधी ही होता है और उसकी जगह किसी कारागार में ही होती है…तो क्या तुम तैयार हो…मुझे जरूर बताना और हाँ….गोलगप्पे खाने जा रही हूँ…उसके पहले तुमको बताती चलूँ कि पास के थाने में तुम्हारे नाम से यह सारी शिकायत मैंने कर रखी है….अपना ख्याल रखो….अपने घरवालों को क्या मुँह दिखाओगे…यह सोचो…अब किसी अपराधी को तो कोई नौकरी पर रखेगा नहीं और न ही कोई नौकरी पर रखेगा …तो तुम अपना पेट कैसे पालोगे…अब यह सोचो…मैं अपना और अपने घरवालों का, अपने सपनों का उम्मीदों का ख्याल रख लूँगी…
अब दफा हो जाओ….जस्ट गो टू हेल…
मैं और सिर्फ अपनी मैं

राफ्ट कॉस्मिक ईवी ने उतारा इनोवेटिव इलेक्ट्रिक वाहन 

कोलकाता । इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग में अग्रणी  राफ्ट कॉस्मिक ईवी ने गुरुवार को बाजार में अपने अत्याधुनिक ईवी स्कूटी को लॉन्च किया। जिसमें ऑटोमोटिव परिदृश्य को फिर से परिभाषित करने के लिए चार असाधारण ईवी मॉडल लॉन्च किए गए। प्रत्येक मॉडल एक अलग चरित्र का प्रतीक है। राफ्ट कॉस्मिक ईवी वॉरियर (स्ट्रीट फाइटर), शहरी जंगल के लिए बनाया गया, वॉरियर लचीलापन और शक्ति का प्रतीक है; राफ्ट कॉस्मिक ईवी इंडस (रेंज किंग), रेंज दक्षता में नए मानक स्थापित करते हुए, इंडस लंबी यात्राओं के लिए अंतिम साथी है;  राफ्ट कॉस्मिक ईवी मैग्नेटिक (क्लास और सादगी, सादगी के साथ परिष्कार का सहज मिश्रण, मैग्नेटिक गति में लालित्य बिखेरता है; राफ्ट कॉस्मिक ईवी ज़ांस्कर (मुकुट का रत्न), वैभव और प्रतिष्ठा का संचार करता हुआ, ज़ांस्कर विलासिता और प्रदर्शन का प्रतीक है।
उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में मुख्य अतिथि आदित्य विक्रम बिड़ला, कॉस्मिक ईवी लिमिटेड और कॉस्मिक बिड़ला समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अन्य उल्लेखनीय व्यक्तित्वों के साथ-साथ, जितेंद्र कोचर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), वेदांत मिमानी, मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ), कुशाल चौधरी, मुख्य उत्पाद अधिकारी (सीपीओ), राजीव शिशिर नागर, मुख्य विपणन अधिकारी (सीएमओ), कुमार सुदर्शन, मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ), आदित्यविक्रम मालू, विपणन प्रमुख (एमएच) शामिल थे। सौरव दास, दर्शना बानिक, नील भट्टाचार्य और प्रियंका भट्टाचार्जी जैसे विशेष अतिथियों के साथ, इस कार्यक्रम में ग्लैमर का एक स्पर्श जोड़ा गया। कॉस्मिक ईवी लिमिटेड और कॉस्मिक बिड़ला समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आदित्य विक्रम बिड़ला ने टिप्पणी कहा कि मुझे विश्वास है कि ये उल्लेखनीय इलेक्ट्रिक वाहन न केवल ऑटोमोटिव उद्योग को बदल देंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित भविष्य के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे । राफ्ट कॉस्मिक ईवी के लॉन्च कार्यक्रम ने न केवल उनकी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया, बल्कि ऑटोमोटिव परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव लाने के प्रति उनके समर्पण को भी उजागर किया।

प्रिंसेप्स द्वारा गोवर्धन ऐश पर आधारित कला प्रदर्शनी

कोलकाता । प्रिंसेप्स की ओर से ‘द रेट्रोस्पेक्टिव ऑफ गोबरधन ऐश’ प्रदर्शनी का शुक्रवार को भव्य उद्घाटन किया गया। जो 1929 – 1969 की अवधि पर ध्यान केंद्रित करने वाली एक व्यापक और भव्य कला कृति से जुड़ी प्रदर्शनी है। अभिनेत्री रिया सेन और अभिनेत्री मुनमुन सेन ने इस प्रदर्शनी के लिए कैटलॉग का उद्घाटन किया। इस दौरान इंद्रजीत चटर्जी, ब्रिजेश्वरी कुमारी गोहिल, इना पुरी, ऋचा अग्रवाल और कई अन्य लोग इसमें मौजूद थे। यह प्रदर्शनी शुक्रवार 29 मार्च से 21 अप्रैल, 2024 तक कोलकाता सेंटर फॉर क्रिएटिविटी में आयोजित की गई है। आम जनता के लिए इसमें प्रवक्ष निःशुल्क रखा गया है। इस प्रदर्शनी में ऐश के काम की एक मनोरम श्रृंखला को शामिल किया गया है, जिसमें रेखाचित्र, परिदृश्य, स्व-चित्र, चित्र, प्रतिष्ठित श्रृंखला, जीवंत पेस्टल और उनकी स्थायी बाल श्रृंखला को शामिल किया गया है। इस प्रदर्शनी में आनेवाले आगंतुक ऐश के कलात्मक विकास, तकनीकों में उनकी महारत और भारत में आधुनिकता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के बारे में उन्हें गहरी समझ से वाकिफ होंगे। मीडिया से बात करते हुए क्यूरेटर इंद्रजीत चटर्जी ने कहा, प्रिंसेप्स की इस ऐतिहासिक प्रदर्शनी के जरिए बंगाल की कलात्मक विरासत की गहराई को यहां उभरा गया हैं, जिसमें उनकी कलात्मक उत्कृष्टता के 4 दशकों की 100 से अधिक कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं, जिसमें 1940 के दशक के अंत की उनकी प्रतिष्ठित ‘अवतार श्रृंखला’ भी शामिल है। इस आयोजन के जरिए हम कला के इतिहास में गोबरधन ऐश की स्थायी विरासत का सम्मान करते हुए इस कला के व्यापक कैटलॉग को प्रस्तुत कर गर्वित महसूस कर रहे हैं। यह प्रदर्शनी ऐश की प्रतिभा को फिर से निहारने के साथ 1930-1960 दशक की भारतीय कला के एक महत्वपूर्ण युग में खुद को डूबोने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। गोबर्धन ऐश 1907-1969 दशक के भारतीय कला के इतिहास में एक महान व्यक्तित्व के रूप में मौजूद हैं। यहां गोबरधन ऐश की रेट्रोस्पेक्टिव 100 से अधिक कलाकृतियों को प्रदर्शित करते हुए उनकी चार दशकों की कलात्मक यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया गया है। प्रिंसेप्स एक शोध-केंद्रित नीलामी केंद्र है, जो कला जगत में खोज और शिक्षा को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहा है।