Tuesday, December 16, 2025
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पुलवामा..दशहतगर्दों से कश्मीर और कश्मीरियत को छुड़ाने का वक्त है यह

अपराजिता फीचर डेस्क

पुलवामा हमले के बाद भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 100 घंटे में जैश के आतंकियों को मार गिराया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जीओसी चिनार कॉर्प्स लेफ्टिनेंट जनरल के जेएस ढिल्लन, सीआरपीएफ के आईजी जुल्फिकार हसन और श्रीनगर के आईजी एसपी पाणि ने कहा कि जैश के बड़ें आतंकियों की तलाश में अभियान जारी है। उन्होंने कहा कि जो बंदूक उठाएंगे उनको मार गिराएंगे। उन्होंने कश्मीर के नौजवानों की मांओं की सेना से अपील है कि बेटे को समझाएं कि घर वापास आ जाए।
सेना ने कहा कि पुलवामा हमले में पाकिस्तान की सेना का हाथ और जैश को आईएसआई कंट्रोल कर रहा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में जो घुसपैठ करेगा जिंदा नहीं बचेगा। कल की मुठभेड़ में जैश की तीन टॉप कमांडर ढेर किया गया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में कितने गाजी आए और चले गए।


जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हुए हैं। इनमें 12 यूपी से, 5 राजस्थान से और 4 पंजाब से हैं। महाराष्ट्र, उत्तराखंड, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल से दो-दो जवान हैं। इनके अलावा मध्यप्रदेश, झारखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, केरल, कर्नाटक और असम से एक-एक जवान हैं। पुलवामा की शहादत को लेकर हर भारतीय सदमे में है। यह सच है कि समूचे राष्ट्र के लिए बेहद कठिन घड़ी है..मुश्किल घड़ी है..ये हम सब जानते हैं मगर ये नहीं जानते कि यह समय हर भारतीय के लिए एक चुनौती भी है। देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं…पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लग रहे हैं..लगने भी चाहिए..मगर हमें रुककर यह भी सोचना होगा कि यह हमारे लिए इम्तहान की घड़ी है।

आज देखा जाए तो माहौल बहुत कुछ 1984 के बाद इन्दिरा गाँधी की हत्या के बाद वाला है मगर तब हमने जो गलती की थी और हमारी जिस नासमझी का फायदा अलगाववादी ताकतों को मिला था…हमें यह देखना होगा कि वह फायदा इस बार कश्मीरी अलगाववादी ताकतों को न मिले। यह यही है कि कश्मीर में दोहरी नागरिकता है मगर यह भी सच है कि अगर एक वर्ग नाराज है तो वहीं कुछ आम कश्मीरी ऐसे भी हैं जो हमसे, हमारे देश से प्यार करते हैं..वह खुद को भारतीय मानते हैं..। साल भर ही हुआ है सुजवां में सेना कैंप में हुए आतंकी हमले में हमारे 6 जवान शहीद हो गए थे।

इन 6 में से एक शहीद मोहम्मद अशरफ मीर की अंतिम यात्रा उनके घर कुपवाड़ा में निकाली गई तो आस पड़ोस के गांवों के हजारों लोगों का सैलाब सड़कों पर उतर आया था। कुपवाड़ा के लोगों ने अपने जवान की शहादत के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगाए थे। इस बार भी पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए 40 जवानों में जम्मू-कश्मीर के राजौरी के रहने वाले नसीर अहमद भी शामिल हैं। 47 साल के हेड कॉन्स्टेबल नसीर अहमद अपने पीछे पत्नी शाजिया कौसर और आठ साल और छह साल के बच्चे छोड़ गए हैं।

 

उनके पड़ोसी ने बताया कि नसीर रिटायरमेंट के बाद गांव डोदासन बाला में ही बसने की योजना बना रहे थे। नसीर अहमद ने 2014 में कश्मीर में आई भीषण बाढ़ से दर्जनों लोगों की जान बचाई थी। नसीर के बड़े भाई सिराज दीन जम्मू-कश्मीर पुलिस में है और फिलहाल जम्मू में तैनात हैं और उन्होंने ही पिता की मौत के बाद नसीर अहमद को पाल-पोस कर बड़ा किया था। जरूरी है कि कश्मीरी साथ रहे मगर आतंकियों से समझौता न हो, अलगाववादियों से समझौता न हो।

हमें पूरी कोशिश करके  कश्मीरी जनता को अपने देश की मुख्यधारा में वापस लाना होगा…उनके अन्दर भारतीयता को पुख्ता करने की जिम्मेदारी हम सबको उठानी होगी और इसके लिए जरूरी है कि अलगाववादी ताकतों पर कार्रवाई हो..उनकी सुरक्षा छीन ली गयी है…उनकी सम्पत्तियाँ जब्त कर ली जाएं मगर आम कश्मीरी को कोई तकलीफ न हो..क्योंकि कश्मीर अगर हमारा है तो कश्मीरी भी हमारा हिस्सा हैं। हमें उनकी मानसिकता को इस कदर बदलना होगा कि वे खुद आतंकियों को सहारा देना बंद कर दें और सेना के प्रयासों से स्थिति में सुधार आया है। पुलवामा में जो हुआ, वह आतंकियों की बौखलाहट है तो अब इनको जड़ से खत्म करने की जरूरत है।


इस हमले के खिलाफ पूरे देश में जो गुस्सा है, उसने हमें एक किया है और देश के विरोध में बोलने वाले बाकायदा बहिष्कृत हो रहे हैं। दो निजी कंपनियों ने अपने कश्मीर के उन कर्मचारियों के खिलाफ नोटिस जारी किया है जिन्होंने पुलवामा में हुए आतंकी हमलों की तारीफ की थी। अब उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। मुम्बई की फार्मास्यूटिकल कंपनी ने श्रीनगर के अपने कर्मचारी को स्पीड पोस्ट के जरिए उसके निलंबन की जानकारी दी है। साथ ही कहा है कि यदि उसने कारण बताओ नोटिस का दो हफ्ते के अंदर जवाब नहीं दिया तो उसे सेवाओं से मुक्त कर दिया जाएगा।


इस कर्मचारी का नाम रियाज अहमद वानी है। उसने फेसबुक पर 14 फरवरी को पोस्ट पर लिखा था, ‘अथ वनान सर्जिकल स्ट्राइक।’ इसका मतलब होता है इसे कहते हैं सर्जिकल स्ट्राइक। सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। कंपनी ने अपने नोटिस में लिखा है, ‘आपके राष्ट्र-विरोधी संदेश के कारण कंपनी को उग्र टिप्पणियां मिलनी शुरू हो गई। आखिर हमारे संगठन में एक राष्ट्र-विरोधी तत्व क्यों मौजूद है।’


कंपनी ने आगे कहा, ‘आपके कृत्य के कारण जो भयानक और गंभीर प्रकृति का है, उसके लिए आपको तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। मामले में आगे की कार्रवाई लंबित है।’ दूसरा मामला अहमदाबाद बेस्ड हेल्थकेयर कंपनी का है। जिसने अपने श्रीनगर के रहने वाले कर्मचारी इकबाल हुसैन को तत्काल प्रभाव से उसकी टिप्पणी के कारण निलंबित कर दिया है। कर्मचारी ने रियाज अहमद वानी के पोस्ट पर लिखा था, ‘इसे कहते हैं असली सर्जिकल स्ट्राइक।’


इकबाल हुसैन हेल्थकेयर कंपनी में एग्जीक्यूटिव के पद पर हैं। उसे कंपनी ने 15 फरवरी को जारी किए कारण बताओ नोटिस पर अपना जवाब देने के लिए दो दिनों का समय दिया है। उसे बताया गया है कि यदि उसने अपनी सफाई नहीं दी तो उसे तत्काल प्रभाव से सेवा मुक्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एक छात्र पर ट्विटर पर हमले की प्रशंसा करने की वजह से एफआईआर दर्ज की गयी।


अब जरूरत है कि कश्मीर को इस देश का हिस्सा बनाने के लिए कुछ सख्त कदम उठाए जाएं, सेना पर भरोसा रखा जाए और हर भारतवासी निजी स्तर पर कोशिश जारी रखे। सबसे पहले तो धारा 370 खत्म करने की जरूरत है। कश्मीर के देश में मिलने -जुलने और एक होने में सबसे बड़ी बाधक यही धारा है। इस समय दूसरे राज्यों के लोग कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते मगर दूसरे राज्यों के लोग बसेंगे तो स्थानीय लोगों की असुरक्षा दूर करने में मदद मिलेगी। यह कश्मीर के लिए अच्छा है क्योंकि तब वहाँ उद्योग – धँधे विकसित होंगे और इस समय जो लोग रोटी के लिए हाथ में पत्थर उठा रहे हैं, वह मशीनें हाथ में लेंगे।

देश के विकास में हाथ बँटाएंगे। यह जरूरी है कि महबूबा और फारुक जैसे नेताओं को अल्टीमेटम दिया जाए…उनको केन्द्र से हटाया जाए और उनकी सत्ता हटाकर किसी आम कश्मीरी को नेतृत्व सौंपा जाए। रिश्ते तोड़ने हैं तो पाकिस्तान से तोड़िए..जितनी सख्ती कर सकते हैं, कीजिए। जो अलगाव की बात करे, अलगाववादियों के साथ खड़ा हो, उसका बहिष्कार करे। जो नेता ऐसी बात करे, हर पार्टी उसे निकाले। ऐसा हुआ भी है..कार्रवाई हुई है..इसे और तेज करने की जरूरत है। याद रहे कि हमारी लड़ाई कश्मीर या कश्मीरी से नहीं बल्कि अलगाववादी ताकतों और उनको पनाह देने वाले पाकिस्तान के सरपरस्तों से है। हमें खुद को मजबूत करना होगा…एक साथ आना होगा। आपसी मतभेद भुलाकर साथ खड़ा होना होगा। जनता जब जागेगी तो नेताओं को तो यूँ ही जागना होगा। इस हमले को किसी विशेष धर्म से मत जोड़िए क्योंकि ऐसा ही हमला ईरान में भी हुआ है, वहाँ भी 27 सैनिकों ने जान गँवाई है। हमें वह जड़ काटनी है जो अलगाववाद का जहर युवाओं के दिमाग में पहुँचा रही है और इसे काटना ही नहीं बल्कि समूल नष्ट करना है और इसके लिए कश्मीरी महिलाओं और पुरुषों को अपने बच्चों पर सख्त होना पड़े तो होना चाहिए।


इस समय सोशल मीडिया से लेकर हर जगह पर कश्मीरियों पर प्रहार हो रहे है। मीडिया शहादत में भी मसाला लगा रहा है..यहाँ संवेदनशील होने की जरूरत है। जिस सीआरपीएफ ने अपने 40 जवान खोए, वह जब अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट रही, आम कश्मीरियों की सुरक्षा का प्रण ले रही है और अटल है तो हमें भी तो उसका साथ देना चाहिए। कश्मीर हमारा है तो उसे सँवारना भी हमारा काम है। अगर युवाओं का ब्रेनवॉश किसी आतंकी के द्वारा होता है और वह आतंक की राह पर चलता है तो हममें भी इतनी ताकत तो हो कि हम दोबारा उसे सही रास्ते पर लाएं और इसमें सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका है और कश्मीरी लोगों की बड़ी भूमिका है। देश में जहाँ कश्मीर के लोग हैं..उनके साथ खड़े होने का वक्त है मगर उससे ज्यादा उनको सही रास्ते पर लाने का वक्त भी है प्रण कीजिए कि हम 1984 की गलती फिर नहीं दोहराएंगे. मगर कश्मीर, कश्मीरी और कश्मीरियत तो दहशतगर्दों के हाथ से जरूर छुड़ान है.यही हमारी सच्चा सलाम होगा…शहीदों के नाम।
(इनपुट – इन्टरनेट से, शहीदों की तस्वीरें दैनिक भास्कर से)

जब शहीद जवान को राजनाथ सिंह ने दिया कंधा

श्रीनगर : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में बृहस्पतिवार को शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित करने के बाद एक शहीद जवान को कंधा दिया।
दिल्ली से यहां पहुंचते ही गृह मंत्री ने श्रद्धांजलि सभा में शिरकत की जहां 40 सीआरपीएफ जवानों की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटे ताबूतों में रखी गयीं। समारोह में उपस्थित एक अधिकारी ने बताया कि सिंह ने एक शहीद सीआरपीएफ जवान को कंधा भी दिया । इसके बाद पार्थिव देह को विमान से जम्मू कश्मीर से ले जाया गया। गृह मंत्री सिंह, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, गृह सचिव राजीव गौबा, सीआरपीएफ महानिदेशक आर आर भटनागर, जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह और अन्य लोगों ने शहीद जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की।
सिंह ने कहा, ‘‘राष्ट्र हमारे बहादुर सीआरपीएफ जवानों के सर्वेाच्च बलिदान को नहीं भूलेगा। मैंने पुलवामा के शहीदों को अपनी अंतिम श्रद्धांजलि दे दी है। बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।’’ अधिकारी के अनुसार जब तक ताबूतों को श्रीनगर हवाईअड्डे जा रहे ट्रक में रखा गया तब तक उपस्थित सभी गणमान्य लोग मौन खड़े रहे।जम्मू कश्मीर के पुलवामा में बृहस्पतिवार को जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये और पांच घायल हो गये।

शबाना आजमी और जावेद अख्‍तर ने ठुकराया न्‍यौता तो बौखलाया पाकिस्‍तान

कराची: जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी हमला होने के बाद शबाना आजमी और उनके पति गीतकार-लेखक जावेद अख्तर द्वारा उनका कराची दौरा रद्द करने के बाद ‘आर्ट्स काउंसिल ऑफ पाकिस्तान’ ने इन दोनों की निंदा की है. पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. शबाना आजमी और जावेद अख्तर, दोनों लोग कराची में शबाना आजमी के पिता व शायर कैफी आजमी के शताब्दी समारोह में शामिल होने वाले थे. समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने रविवार को काउंसिल के अध्यक्ष अहमद शाह के हवाले से लिखा, “शबाना ने जिस तरह से पाकिस्तान पर हमला किया, उन्होंने हद पार कर दीं. यह तरीका एक सभ्य इंसान के लिए उचित नहीं है.”
उन्होंने कहा, “मुझे शबाना आजमी के लिए दुख होता है कि उन्होंने उम्मीद खो दी है. मैं उनकी आलोचना नहीं कर रहा, लेकिन पुलवामा हमले के बाद बाद जिस तरह से उन्होंने निराशा जताई इससे मुझे वाकई बहुत दुख हुआ.” उन्होंने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि कलाकार और अपने साहित्य और कला में योगदान के लिए माने जाने वाले लोग ही उम्मीद जगाते हैं. वे कभी निराश नहीं करते. लेकिन, इस समय शबाना आजमी बहुत निराश लग रही हैं.”
काउंसिल 23-24 फरवरी को कैफी आजमी की जन्मशती मना रही है जिसमें पाकिस्तान और दुनिया के अन्य देशों के कई प्रसिद्ध कविओं और साहित्यिक हस्तियों को आमंत्रित किया गया है. पुलवामा में जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमले के अगले दिन शुक्रवार को दोनों कलाकारों ने अलग-अलग ट्वीट कर अपने पूर्वनियोजित कार्यक्रम को रद्द करने की घोषणा की थी.
शबाना ने लिखा था, “इन सालों में पहली बार मुझे मेरा विश्वास कमजोर होता नजर आया है कि लोगों के बीच संपर्क होने से सत्ता प्रतिष्ठान को सही काम करने पर मजबूर कराया जा सकता है. हमें सांस्कृतिक आदान-प्रदान रोकना होगा.” जावेद ने और ज्यादा कटु भाषा का उपयोग किया था. शाह ने कहा, “जावेद में कश्मीर में अत्याचारों के लिए अपने प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी पर आरोप लगाने की हिम्मत होनी चाहिए.”
‘द डॉन’ के अनुसार, उन्होंने कहा कि आर्ट काउंसिल ने शबाना की इच्छा का सम्मान किया था और कैफी आजमी की प्रगतिशील काव्य रचनाओं वाली एलबम को लांच करने के लिए परियोजना शुरू की. इसके लिए संगीतकार अरशद महमूद ने कुल नौ में से छह गीत तैयार कर लिए हैं जो पाकिस्तानी लोगों के निष्पक्ष और कला-प्रेमी रवैये को दिखाता है.

पुलवामा के शहीदों के बच्चों की शिक्षा का जिम्मा उठाएंगे वीरेन्द्र सहवाग

नयी दिल्ली : पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 40 जवानों के बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में बृहस्पतिवार को हुए इस भीषण आतंकवादी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 40 जवान शहीद हो गए थे तथा कई बुरी तरह से घायल हो गए.
सहवाग ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘हम शहीदों के लिए कुछ भी करें तो वह काफी नहीं होगा, लेकिन पुलवामा में शहीद हुए CRPF के जवानों के बच्चों की पढ़ाई का झज्जर स्थित सहवाग स्कूल में मैं पूरा खर्च उठाने का प्रस्ताव देता हूं. सौभाग्य होगा.’
स्टार मुक्केबाज विजेन्द्र सिंह ने भी अपने एक महीने का वेतन शहीदों के परिवारों के लिए दान किया. विजेन्द्र सिंह हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं. ओलंपिक पदक विजेता ने कहा, ‘मैं एक महीने का वेतन पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों के लिए दान कर रहा हूं और चाहता हूं कि हर कोई उनके परिवारों की मदद के लिए आगे आए. यह हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम उनके साथ खड़े रहे और उनके बलिदान पर गर्व महसूस करें. जय हिन्द.’
भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज ने पहले भी ट्वीट कर कहा था, ‘जम्मू-कश्मीर में CRPF जवानों पर हुए इस कायराना हमले ने बहुत दर्द पहुंचाया है. इसमें हमारे वीर जवान शहीद हुए हैं. दर्द को बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं. उम्मीद करता हूं घायल जवान जल्दी ठीक होंगे.’

टी-सीरीज ने यू-ट्यूब से हटाए राहत-आतिफ के गाने

मुम्बई :  टी-सीरीज़ 15 फरवरी को पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान के नए गाने ‘ज़िन्दगी’ को लॉन्च करने वाली थी। अब म्यूजिक कंपनी ने अपने यूट्यूब चैनल के साथ-साथ अन्य सोशल मीडिया पोर्टल से सिंगर के म्यूजिक वीडियो को हटा दिया है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद बॉलीवुड को पाकिस्तानी कलाकारों का बाॅयकॉट करने कहा है। राहत ने 14 फरवरी को ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि टी-सीरीज उनके गाने को रिलीज कर रही है। हालांकि, आतंकी हमलों के बाद टी-सीरीज़ ने जवानों के परिवार के सपोर्ट में वीडियो को हटा दिया।
राहत का सिंगल सॉन्ग रिलीज किया गया था, लेकिन इसे तुरंत हटा दिया गया। टी-सीरीज़ इस समय पाकिस्तानी कलाकारों से संबंधित किसी भी कंटेंट को बढ़ावा नहीं देना चाहती थी। कंपनी ने देशवासियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए और उन सभी लोगों के समर्थन में खड़े होने के लिए जिन्होंने विस्फोट में अपनी जान गंवाई, ये फैसला लिया है।
मनसे ने दी थी धमकी
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की शाखा चित्रपट सेना प्रमुख अमेय खोपकर ने पीटीआई से बताया- हमने भारतीय संगीत कंपनियों जैसे टी-सीरीज, सोनी म्यूजिक, वीनस, टिप्स म्यूजिक से पाकिस्तानी गायकों के साथ काम न करने के लिए कहा है। इन कंपनियों को इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए या हम अपने अंदाज में कार्रवाई करेंगे। दरअसल, भूषण कुमार की कंपनी टी-सीरीज ने राहत फतेह अली खान और आतिफ असलम के साथ दो अलग-अलग सिंगल्स के लिए काम किया था। खोपकर का दावा है कि चेतावनी के बाद उन्होंने गानों को कंपनी के यू-ट्यूब चैनल से हटा दिया है।

स्नेहा : देश की पहली प्रामाणिक ‘‘भारतीय’’ नागरिक

नयी दिल्ली : फिल्म ‘चक दे इंडिया’ का वह दृश्य आपको याद होगा, जिसमें महिला हॉकी टीम के कोच बने शाहरूख खान अलग अलग राज्यों से आई लड़कियों को अपने संबद्ध राज्य की बजाय अपने नाम के साथ ‘इंडिया’ लगाने की नसीहत देते हैं। राष्ट्रीयता के उसी जज्बे से ओतप्रोत एक महिला ने देश में पहली बार बाकायदा ‘‘नो कास्ट नो रिलीजन’’ प्रमाणपत्र हासिल करके देश की पहली ‘‘भारतीय’’ नागरिक होने का गौरव हासिल किया है।
तमिलनाडु में वेल्लूर की रहने वाली स्नेहा ने तिरूपत्तूर के तहसीलदार टी एस सत्यमूर्ति से यह अनोखा प्रमाणपत्र हासिल किया है और वह यह प्रमाणपत्र हासिल करने वाली देश की पहली नागरिक हैं। अब आइंदा किसी भी सरकारी दस्तावेज में उन्हें अपनी जाति अथवा धर्म बताना अनिवार्य नहीं होगा। यह उन लोगों के लिए जवाब है, जिन्होंने स्नेहा द्वारा अपनी जाति और धर्म की जानकारी न देने को एक बहुत बड़ी कमी करार दिया था और यहां तक कह डाला था कि बिना जात की लड़की से शादी कौन करेगा।
यह सच है स्नेहा ने आज तक किसी को अपनी जाति या धर्म बताया भी नहीं है। उसके माता पिता ने इस अनोखी परंपरा की शुरूआत की। उन्होंने खुद कभी अपनी जाति और धर्म का खुलासा नहीं किया । वह अपने बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र से लेकर उनके स्कूल में दाखिले तक का कोई भी फार्म या दस्तावेज भरते समय जाति एवं धर्म वाला कॉलम खाली छोड़ दिया करते थे। 35 वर्षीय स्नेहा ने बाकायदा ऐसा न करने का अधिकार अब सरकारी तौर पर हासिल कर लिया है।
पेशे से वकील स्नेहा ने वर्ष 2010 में इस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था। उनका कहना है कि शुरू में अधिकारी उसके आवेदन को टालते रहे, लेकिन वह अपने आवेदन पर डटी रहीं और संबद्ध विभागों में लगातार दस्तक देती रहीं। उनके प्रयासों का नतीजा था कि तिरूपत्तूर की उप जिलाधिकारी बी प्रियंका पंकजम ने सबसे पहले उनके जज्बे को समझा और उन्हें यह प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया शुरू हुई।
स्नेहा का सवाल था कि जाति और धर्म को मानने वाले लोगों को जब उनकी संबद्ध जाति का प्रमाणपत्र दिया जा सकता है तो उन्हें किसी जाति अथवा धर्म से संबद्ध न होने का प्रमाणपत्र क्यों नहीं दिया जा सकता। पेशे से वकील स्नेहा के अनुसार, उनके जन्म प्रमाणपत्र से लेकर स्कूल में दाखिले के फार्म और तमाम दस्तावेजों में जाति और धर्म वाले कॉलम में ‘भारतीय’ लिखा है। उन्हें यह प्रमाणपत्र देने से पहले उन तमाम दस्तावेजों की जांच की गई और उनके दावे को सही पाए जाने के बाद उन्हें ‘‘नो कास्ट नो रिलिजन’’ सर्टिफिकेट देने का फैसला किया गया।
एक अखबार के साथ बातचीत में तिरूपत्तूर की उप जिलाधिकारी बी प्रियंका पंकजम ने बताया कि वह चाहती थीं कि स्नेहा को इस बात का प्रमाणपत्र दिया जाए कि वह किसी जाति और किसी धर्म से संबद्ध नहीं हैं। हमने इस बात की पड़ताल की कि उनके दावे में कितनी सच्चाई है और उनके स्कूल कालेज के सभी दस्तावेजों की जांच की। हमें उनके तमाम प्रमाणपत्रों में जाति और धर्म के कॉलम खाली मिले। इसलिए ऐसी कोई प्रथा न होते हुए भी हमने उन्हें यह प्रमाणपत्र देने का फैसला किया।
स्नेहा का मानना है कि जाति और धर्म कुछ नहीं होता और हर इनसान को इन सब से अलग अपनी एक पहचान बनानी चाहिए। इससे देश से जात पांत की बुराई को समाप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार और देश की कई अदालतों ने कई मौकों पर यह व्यवस्था दी है कि किसी को भी अपनी जाति या धर्म बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, लेकिन हमारे देश की सामाजिक व्यवस्था में व्यक्ति की जाति और धर्म को ही उसकी पहचान का सबसे बड़ा साधन बना दिया गया है।
स्नेहा के पति पार्थिब राजा तमिल प्रोफेसर हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी तीनों बेटियों के स्कूल में दाखिले के समय ‘‘धर्म’’ का कॉलम खाली छोड़ दिया। उन्होंने अपनी बेटियों के नाम भी ऐसे रखे हैं कि उससे उनके किसी धर्म विशेष से संबद्ध होने का पता नहीं चलता। उनकी बेटियों का नाम है अधिराई नसरीन, अधिला इरीन और आरिफा जेसी।
स्नेहा कहती हैं कि स्कूल से लेकर कॉलेज की पढ़ाई और अन्य कई मौकों पर उन्हें फार्म के धर्म और जाति का नाम लिखने के लिए बाध्य किया जाता था और न लिखने पर हलफनामा लाने को कहा जाता था। उन्हें खुशी है कि अब उन्हें सरकारी तौर पर ‘‘भारतीय’’ मान लिया गया है। ढेरों धर्मों, जातियों, समुदायों और वर्गों में बंटे समाज की वह पहली प्रामाणिक ‘‘भारतीय’’ नागरिक हैं।

देश का पैकेजिंग उद्योग चालू वित्त वर्ष में 72.6 अरब डॉलर पर पहुंचेगा: अध्ययन

नयी दिल्ली :  देश का पैकेजिंग उद्योग चालू वित्त वर्ष 2019-20 में 72.6 अरब डॉलर पर पहुँच जाने का अनुमान है। उद्योग मंडल एसोचैम और ईवाई के संयुक्त अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि आबादी बढ़ने और आय का स्तर बढ़ने से पैकेजिंग उद्योग तेजी से बढ़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के पैकेजिंग उद्योग ने 2016-21 के दौरान उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है और इसके चालू वित्त वर्ष में 72.6 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। वर्ष 2015 में यह उद्योग 31.7 अरब डॉलर था। रिपोर्ट में कहा गया है कि आबादी बढ़ने, आय का स्तर बढ़ने और जीवनशैली में बदलाव से इस उद्योग में तेजी आएगी। इसमें कहा गया है कि ई-कॉमर्स और संगठित खुदरा क्षेत्र में तेजी से प्लास्टिक पैकेजिंग उद्योग में तेजी आएगी। इससे आने वाले वर्षो में प्रति व्यक्ति खपत भी बढ़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी सामान खुदरा क्षेत्र का सबसे तेजी से बढ़ता खंड है और यह पैकेजिंग उद्योग का सबसे बड़ा अंतिम उपभोक्ता है। इसके अलावा फार्मास्युटिकल उद्योग भी पैकेजिंग उद्योग के सबसे प्रमुख उपभोक्ताओं में है।

पुलवामा हमले के बाद कश्मीरियों ने की धमकी की शिकायत, सीआरपीएफ बनी मददगार

नयी दिल्ली : पुलवामा आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर से बाहर रह रहे कश्मीरियों को धमकियां मिल रही हैं। जिसके बाद श्रीनगर की सीआरपीएफ हेल्पलाइन ने शनिवार को लोगों से कहा है कि यदि उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है तो वह उनसे संपर्क करें।
सीआरपीएफ मददगार ने ट्विटर पर लिखा, ‘कश्मीरी छात्रों और आम नागरिक जो राज्य से बाहर रह रहे हैं वह ट्विटर पर @CRPFmadadgaar के जरिए हमसे संपर्क कर सकते हैं। यदि उन्हें किसी भी तरह की कठिनाई/उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है तो वह हमसे 24×7 टोल फ्री नंबर 14411 पर फोन कर सकते हैं या मोबाइल नंबर 7082814411 पर एसएमएस करके सहायता मांग सकते हैं।’
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हेल्पलाइन कश्मीर के रहने वाले व्यक्ति द्वारा संकट के समय कॉल प्राप्त करने पर तत्काल कदम उठाएगी। हम इस मसले का हल निकालने के लिए तुरंत निकटतम अधिकारियों को अलर्ट कर देंगे और उनकी नियुक्ति करेंगे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) देश की सबसे बड़ी पैरामिलिट्री फोर्स है। जिसमें 3 लाख से ज्यादा सुरक्षाबल हैं। उसकी ज्यादातर राज्यों में बटालियन और फॉर्मेशन है।
अधिकारी ने कहा, ‘बेशक हमने अपने साथियों को खो दिया है। यह हमारी जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए प्रतिज्ञा है, खासतौर से जो कश्मीर घाटी में रह रहे हैं कि हम हमेशा उनके साथ हैं।’ केंद्र सरकार ने शनिवार को सभी राज्यों से कहा था कि वह अपने क्षेत्र में रहने वाले कश्मीरी लोगों और छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।
यह एडवाइजरी केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ द्वारा सर्वदलीय बैठक में आश्वासन देने के बाद जारी की गई। राजनाथ ने कहा था कि वह कश्मीरी छात्रों और लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे क्योंकि ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि पुलवामा में हुए हमले के बाद अवंतीपुर क्षेत्र में उन्हें कथित तौर पर धमकाया गया है।
सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट्स आई हैं कि जम्मू और कश्मीर के छात्रों और अन्य निवासियों को धमकियों और डर का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी ने कहा, ‘इसी वजह से गृह मंत्रालय ने आज सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि उनकी रक्षा और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।’
सीआरपीएफ ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा, ‘यह देखा गया है कि सोशल मीडिया पर कुछ शरारती तत्व हमारे शहीदों के शरीर के अंगों की नकली तस्वीरों को प्रसारित करके नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि हम एकजुट हैं। कृपया इस तरह की तस्वीरों और पोस्ट को प्रसारित/शेयर/ लाइक न करें। इस तरह के कंटेंट को crpf.gov.in पर रिपोर्ट करें।’

रिलायंस फाउंडेशन उठाएगा शहीदों के बच्चों की जिम्मेदारी, आनन्द महिन्द्रा भी आगे आए

मुम्बई. पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के परिवारों की मदद के लिए रिलायंस फाउंडेशन भी आगे आई है। उसका कहना है कि वह शहीदों के बच्चों की शिक्षा और रोजगार का जिम्मा उठाने को तैयार है। इसके साथ ही वह पीड़ित परिवारों की आजीविका का इंतजाम करने की जिम्मेदारी भी लेगी। रिलायंस फाउंडेशन ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर उसके अस्पताल घायल जवानों के इलाज के लिए तैयार हैं। सरकार चाहेगी तो हम दूसरी जिम्मेदारियां भी उठाएंगे। 1.3 अरब हिंदुस्तानियों के दुख में पूरा रिलायंस परिवार शामिल है। रिलायंस फाउंडेशन ने कहा है कि दुनिया की कोई भी बुरी ताकत भारत की एकता को और आतंकवाद को हराने के संकल्प को नहीं तोड़ सकती। देश वीर जवानों की शहादत को नहीं भूल सकता। हम घायल जवानों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं।
गुरुवार को पुलवामा में फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए। कई जवान घायल हैं। आतंकी हमले के खिलाफ लोगों में गुस्सा है। शहीदों और घायल जवानों के परिवारों की मदद के लिए लोग बढ़ चढ़कर आगे आ रहे हैं।
आनन्द महिंद्रा ने भी मदद की मुहिम चलाई
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने ट्विटर के जरिए शहीदों के परिवारों के लिए फंड जुटाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि 50 लाख लोग 10-10 रुपए भी देंगे तो 5 करोड़ रुपए जमा हो जाएंगे। उन्होंने ट्विटर के जरिए bharatkeveer.gov.in वेबसाइट का लिंक भी दिया है। जिसके जरिए मदद दी जा सकती है।
अपोलो अस्पताल घायल जवानों के फ्री इलाज के लिए तैयार
देश की प्रमुख अस्पताल चेन अपोलो ने कहा है कि वह देशभर में अपने अस्पतालों के जरिए घायल जवानों के मुफ्त इलाज के लिए तैयार है। अपोलो के चेयरमैन प्रताप रेड्डी ने शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई है। उन्होंने कहा है कि हम पीड़ित परिवारों को सलाम करते हैं जिन्होंने देश को वीर जवान बेटे दिए।

पुलवामा के ये शहीद: देश कभी नहीं भूलेगा जिनका कर्ज

नयी द‍िल्ली : पुलवामा के कायराना आतंकी हमले में आगरा के कौशल कुमार रावत और प्रयागराज के महेश कुमार शहीद हो गए। वहीं, घर के इकलौते च‍िराग रोपड़ के कुलव‍िंदर स‍िंह भी आतंकी हमले में वीरगत‍ि को प्राप्त हुए। पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकी हमलों में 40 जानें चली गईं थीं. सुरक्षाबलों के मारे गए जवानों की खबर जैसे-जैसे उनके घरवालों को म‍िली, वैसे-वैसे उनके बारे में भावनात्मक कहान‍ियां सामने आने लगीं। आगरा में जैसे ही कौशल कुमार रावत के शहीद होने की खबर आई वैसे ही सभी लोग उनके घर की ओर दौड़ पड़े. बेटे की शहादत की खबर सुनकर बूढ़े मां-बाप का बुरा हाल है। तीन द‍िन पहले ही कौशल छुट्टी खत्म करके वापस ड्यूटी पर लौटे थे. कौशल कुमार, थाना ताजगंज कहरई गांव के रहने वाले थे। कौशल के बड़े भाई कम‍ल क‍िशोर ने बताया क‍ि 47 साल के कौशल, 1991 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। बेटी की शादी हो चुकी है. पत्नी ममता और छोटे बेटे व‍िशाल के साथ वे गुरुग्राम में रहते हैं। जनवरी के अंत में उनका तबादला स‍िलीगुड़ी से जम्मू-कश्मीर हुआ था। वह ट्रांसफर के बाद 15 द‍िन की छुट्टी काटकर गुरुग्राम से 12 फरवरी को नई जॉइनिंग के ल‍िए रवाना हुए थे।
बुधवार शाम को ही बड़े भाई से बात हुई थी, तब उन्होंने बताया था क‍ि मैं रास्ते में हूँ। अभी जॉइनिंग प्वाइंट नहीं पहुंचा हूं क्योंक‍ि आगे बर्फबारी है. इसल‍िए गाड़ियों को रोक द‍िया गया है. उन्होंने सब ठीक-ठाक होने की बात कही थी। फ‍िर अगले दिन शाम 7.30 बजे खबर म‍िली क‍ि उनका भाई शहीद हो गया है. भाभी और भतीजे के साथ और र‍िश्तेदार अब आगरा ही आ रहे हैं।
वहीं, पुलवामा में हुए आतंकी हमले में प्रयागराज का भी एक लाल शहीद हुआ है। प्रयागराज शहर से 40 किलोमीटर दूर मेजा इलाके में रहने वाले महेश कुमार सीआरपीएफ में जवान थे. इनके दो छोटे-छोटे बेटे हैं. जैसे ही उनकी शहादत की सूचना घर आई तो कोहराम मच गया. इस घटना से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गयी। शहीद के घर में अब घर वालों का रो-रो कर बुरा हाल है। घर वाले अब देश के लिए जान लुटाने वाले अपने शहीद बेटे के लिए इंसाफ माँग रहे हैं। हर‍ियाणा में रोपड़ के रोली गांव के कुलविंदर सिंह पुलवामा में शहीद हो गए. वे घर में इकलौते बेटे थे और घर में अकेले कमाने वाले थे। उनकी शादी 11 नवंम्बर की तय हो गई थी. घर में खुशियों का माहौल था जो कि एकदम से मातम में बदल गया।
26 साल के कुलविंदर की शहीदी पर गांव वाले गर्व कर रहे हैं परंतु उनको इस बात का भी दुख है क‍ि वह घर के इकलौते चिराग थे। 4 वर्ष पहले ही वह फौज में भर्ती हुआ था। घर में खुशियों का माहौल इसलिए था कि उसकी शादी 11 नवंबर की तय हो गई थी।
घर में मां अस्वस्थ चल रही हैं तो पिता भी ट्रक ड्राइवर हैं। उनका ड्राइव‍िंग लाइसेंस खत्म होने पर वे घर में ही रहते हैं. साथ मे बूढे दादा भी रहते हैं। घर का माहौल मातमी है फिर भी घर वालों और गांव वासियों को कुलविंदर पर गर्व है। वे चाहते हैं कि पाक से बदला लिया जाए। कुलविंदर 10 तारीख को ही गांव से छुट्टियां काट कर गए थे। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार दोपहर जवानों पर बड़ा आत्मघाती हमला हुआ था। इस हमले में 42 जवान शहीद हो गए। हमला तब हुआ जब सुरक्षाबलों का काफ‍िला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था। तभी एक आत्मघाती, व‍िस्फोटक चीजों से भरी कार से आया और बस से टकरा गया. कार टकराते ही बस एक धमाके से उड़ गयी।