कवि निराला की कविता को सुर दे रहा एक युवा का संगीत
जिन मुद्दों पर बड़े-बड़े महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के क्लासरूम में आज बहस छिड़ती है, उन्हीं मुद्दों को आज से न जाने कितने दशक पहले ही निराला ने समाज के सामने रख दिया था। पर आज की युवा पीढ़ी में विरले ही रह गए हैं, जिन्होंने निराला को पढ़ा है। इन्हीं विरलों में शामिल है एक हरप्रीत सिंह, जो अपने संगीत के माध्यम से निराला और उनके जैसे कवियों से आज के लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हरप्रीत इन कवियों की कविताओं को खुद संगीतबद्ध करते हैं और फिर उन्हें गाते भी हैं। हरप्रीत हिंदी की इन बेहतरीन कविताओं के लिए आज वही कर रहें हैं जो कभी जगजीत सिंह ने उर्दू शायरी के लिए किया था।
साल 2015 में आई दिबाकर बनर्जी की फिल्म ‘तितली’ का प्रमोशनल गाना ‘कुत्ते’ में अपनी आवाज देने वाले हरप्रीत की ज़िन्दगी भी संघर्षों में बीती है। कम उम्र में ही अपने पिता को खोना और उसके बाद आय का कोई स्थिर साधन नहीं था, हरप्रीत ने बहुत सी मुश्किलों और चुनौतियों का सामना किया लेकिन उन्हें सफलता मिली निराला की प्रसिद्द कविता ‘बादल राग’ के दम पर। गायिकी का जूनून रखने वाले हरप्रीत बताते हैं,“मैंने कभी भी इन कविताओं को नहीं पढ़ा था, यहां तक कि स्कूल में भी नहीं। मेरी एक दोस्त चाहती थी कि मैं सावन के बारे में कुछ लिखूं और गाऊं। जब मैं कुछ सोच नहीं पाया तो उसने मुझे कुछ कविताएँ पढ़ने के लिए दी। निराला की ‘बादल राग’ उनमें से एक थी। जब मैंने इसे पढ़ा, तो मुझे लगा जैसे किसी ने भी इस सुंदर मौसम पर इससे बेहतर कुछ भी नहीं लिखा है। मैंने पूरा दिन बस यही कविता पढ़ी। आखिरकार, जब मैंने अपना गिटार उठाया, तो अपने आप संगीत बन गया।”बस यहीं से शुरू हुआ, ऐसे कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध करने का सिलसिला।
(साभार – द बेटर इंडिया से संशोधित अंश)
भारतीय अमेरिकी महिला को मानव तस्करी से निपटने के लिए मिला पुरस्कार
ह्यूस्टन :अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भारतीय मूल की अमेरिकी महिला को ह्यूस्टन में मानव तस्करी से लड़ने में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ह्यूस्टन के मेयर सिलवेस्टर टर्नर की मानव तस्करी पर विशेष सलाहकर मीनल पटेल डेविस को गत सप्ताह व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम में मानव तस्करी से लड़ने के लिए राष्ट्रपति पदक प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी मौजूद रहे।
पुरस्कार पाने के बाद डेविस ने कहा, ‘‘यह अविश्वसनीय है।’’ यह इस क्षेत्र में देश का सर्वोच्च सम्मान है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे माता-पिता भारत से यहां आए थे। मैं अमेरिका में जन्म लेने वाली अपने परिवार की पहली सदस्य थी तो कई साल पहले मेयर कार्यालय से अब व्हाइट हाउस तक आना अविश्वसनीय है।’’
जुलाई 2015 में नियुक्त डेविस ने अमेरिका के चौथे सबसे बड़े शहर में नीतिगत स्तर पर और व्यवस्था में बदलाव लाकर मानव तस्करी से निपटने पर स्थानीय स्तर पर बड़ा योगदान दिया। डेविस ने कनेक्टिकट विश्वविद्यालय से एमबीए और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है।
महिलाओं के लिए तजिकिस्तान में शुरू हुआ जिंदगी शाइस्ता प्रोजेक्ट, घट गयी घरेलू हिंसा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में हर तीन में से एक महिला उत्पीड़न का शिकार होती है। वहीं, घरेलू हिंसा के मामलों में तजिकिस्तान की महिलाओं की स्थिति सबसे खराब है। यहां 2014 तक 64% महिलाओं से रोजाना मारपीट होती थी। ऐसे में यहां ‘जिंदगी शाइस्ता’ प्रोजेक्ट शुरू किया गया। इसकी वजह से घरेलू हिंसा की दर घटकर 34% रह गई। वहीं, 59% महिलाओं को घर से बाहर जाकर काम करने की आजादी भी मिल गई।
क्या है जिंदगी शोइस्ता प्रोजेक्ट?
‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पांच इंटरनेशनल एनजीओ ने महिलाओं की दिक्कतों को देखते हुए 2014 में यह प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसके लिए यूके ने 24 अरब यूरो की फंडिंग की। सबसे पहले इस प्रोजेक्ट की शुरुआत ताजिकिस्तान में की गई। चार साल में सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद यह प्रोजेक्ट अब 14 देशों में चलाया जा रहा है।
पाकिस्तान में स्कूल के प्ले टाइम में होती है काउंसलिंग
जिंदगी शोइस्ता प्रोजेक्ट की मैनेजर शहरीबोनु शोनासिमोवा मानती हैं कि ताजिकिस्तान के नतीजों को अच्छी शुरुआत माना जा सकता है। इसके तहत रवांडा में कपल्स की काउंसलिंग की जा रही है। पाकिस्तान में स्कूल के प्ले टाइम के दौरान महिलाओं और पुरुषों को समझाया जाता है। शहरीबोनु के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के तहत अफगानिस्तान, उजबेकिस्तान, किर्गिस्तान और चीन में भी ताजिकिस्तान की तरह काम किया जा रहा है।
‘सम्मान से जीना सिखा गयी यह योजना’
ताजिकिस्तान के उत्तरी जिले पेंजीकेंत के गांव जोमी में रहने वाली रानो महमुरोदोवा (42) की जिंदगी में भी ‘जिंदगी शाइस्ता’ प्रोजेक्ट बदलाव लाया। 18 साल की उम्र में रानो का निकाह हुआ था। करीब 22 साल तक उन्होंने अपने पति के दुर्व्यवहार का सामना किया। नशे का आदी होने के बाद उनके पति ने नौकरी छोड़ दी थी और वे हर वक्त रानो के साथ गाली-गलौज और मारपीट करता था। जोमी गांव का सर्वे किया गया तो घरेलू हिंसा का आंकड़ा 60% पाया गया।
रानो बताती हैं कि लगातार काउंसलिंग के बाद उनके पति के व्यवहार में सुधार आया और वे दोबारा नौकरी करने लगा। उसने रानो से कहा, ‘‘मुझे पता ही नहीं लगा कि मेरे साथ रहना कितना मुश्किल था। तुम्हें 22 साल तक दिए कष्ट के लिए मुझे माफ कर दो।’’ रोमी का कहना है कि जिंदगी शाइस्ता का मतलब गरिमा से जीना होता है। यह प्रोजेक्ट मेरे साथ-साथ देश की हजारों महिलाओं के जीवन में बदलाव ले आया।
नेताजी के नाम पर पुलिसकर्मियों को पुरस्कार, राष्ट्रीय पुलिस स्मारक व पुलिस संग्रहालय का उद्घाटन
नयी दिल्ली : धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ऐलान किया कि आपदा के दौरान राहत एवं बचाव अभियान में बेहतरीन काम करने वाले पुलिसकर्मी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर एक सालाना राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा।
21 अक्टूबर 1943 को सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारत की पहली स्वतंत्र सरकार ‘आजाद हिंद सरकार’ के गठन की घोषणा के 75 साल पूरे होने के मौके पर मोदी ने यह ऐलान किया।
उन्होंने कहा कि हर साल नेताजी के जन्मदिन 23 जनवरी को इस पुरस्कार की घोषणा की जाएगी।
मोदी ने कहा, ‘‘इस साल से हम ऐसे पुलिसकर्मी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर एक पुरस्कार देंगे जो किसी आपदा के दौरान लोगों को राहत एवं बचाव के लिए बेहतरीन काम करते हैं।’’
राष्ट्रीय पुलिस स्मारक और पुलिस संग्रहालय का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहाँ नए कलेवर वाले राष्ट्रीय पुलिस स्मारक और नवनिर्मित पुलिस संग्रहालय का उद्घाटन कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया। राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद पुलिसकर्मियों के सम्मान में बनाई गई 30 फुट ऊंची और 238 टन की काले ग्रेनाइट की मूर्ति, एक संग्रहालय और एक ऐसे पट्ट का अनावरण किया जिस पर 34,800 से ज्यादा शहीद पुलिसकर्मियों के नाम लिखे हुए हैं।
मध्य दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में 6.12 एकड़ जमीन पर निर्मित पुलिस स्मारक बनाया गया है। पहुंचने पर मोदी को रस्मी सलामी दी गई। कार्यक्रम स्थल पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उनका स्वागत किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने शहीद जवानों की स्मृति में माल्यार्पण किया।
इस मौके पर गृह राज्य मंत्रियों.. किरेन रिजिजू एवं हंसराज अहीर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल सहित केंद्रीय एवं राज्य पुलिस बलों के कई वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मी मौजूद थे।
खुफिया ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन ने इस मौके पर कहा कि आजादी से लेकर अब तक 34,844 पुलिसकर्मी अपने कर्तव्य का पालन करते हुए शहीद हुए। उन्होंने कहा कि पिछले साल 414 पुलिसकर्मी शहीद हुए।
साल 1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग इलाके में चीनी सेना की ओर से घात लगाकर किए गए हमले में 10 पुलिसकर्मियों की शहादत की याद में राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।
देश की एकता एवं अखंडता की रक्षा के लिए कुर्बानी देने वाले कई अन्य जवानों को भी राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस पर याद किया जाता है।
कुछ साल पहले निर्मित स्मारक अब नए कलेवर में नजर आ रहा है। पत्थर के पुराने ढांचे को हटाकर इसके प्रमुख हिस्से का विस्तार किया गया है।
राष्ट्रीय पुलिस स्मारक परिसर में जमीन के नीचे एक संग्रहालय बनाया गया है जिसमें केंद्रीय एवं राज्य पुलिस बलों के इतिहास, कलाकृतियों, वर्दियों आदि को प्रदर्शित किया गया है।
खुफिया ब्यूरो ने गृह मंत्रालय के मातहत काम करने वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ समन्वय कायम कर संग्रहालय की परियोजना को मूर्त रूप दिया।
दीपिका-रणवीर करेंगे शादी , 14-15 नवंबर को होगी शादी
मुम्बई : आखिरकार 5 साल की डेटिंग के बाद दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने शादी का फैसला कर ही लिया। पिछले काफी वक्त से दोनों की शादी की खबरें आ रही थीं। लेकिन दोनों ने ही इस बात पर चुप्पी साधी हुई थी। मगर 21 अक्टूबर को दोनों ने सोशल मीडिया पर अपनी शादी का ऐलान कर ही दिया। जी हां, दोनों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अपनी शादी का कार्ड शेयर किया और इस खबर पर मोहर लगा दी। शादी का कार्ड तेजी से वायरल हो रहा है। कार्ड इंग्लिश और हिंदी दोनों भाषा में हैं। इस खुशखबरी से दीपिका-रणवीर के फैन बेहद खुश हैं। इस कार्ड में लिखा है, “14 और 15 नवंबर को हमारी शादी तय हुई है। इतने सालों में आपने हमें जो प्यार और स्नेह दिया है, उसके लिए हम आपके आभारी हैं और हमारे शुरू होने वाले प्रेम, दोस्ती और विश्वास के इस खूबसूरत सफर के लिए हम आपके आर्शीवाद की कामना करते हैं” हालांकि, कार्ड में इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि शादी कहां से होगी। लेकिन ये खबरें सामने आई थीं कि अनुष्का शर्मा और विराट कोहली की तरह ही दोनों इटली में शादी कर सकते हैं। फिलहाल दोनों की शादी की शॉपिंग शुरू हो गई है।
दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की दोस्ती संजय लीला भंसाली की फिल्म राम-लीला के सेट पर हुई थी। यहीं से दोनों की नजदीकियां बढ़नी शुरू हुई थी। इसके बाद दोनों ने ‘बाजीराव-मस्तानी’ और ‘पद्मावत’ जैसी फिल्मों में भी साथ काम किया। दोनों की जोड़ी को लोगों का खूब प्यार मिला।
ज्यादातर कम्पनियों ने बढ़ते साइबर हमले से निपटने में खुद को बताया सक्षम: सर्वेक्षण
मुम्बई : अधिकतर कम्पनियों ने अगले एक साल में साइबर हमलों में वृद्धि की आशंका प्रकट की है लेकिन साथ ही दावा किया है कि वे डेटा चोरी से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं।
अमेरिकी कम्पनी फिको के ‘सी-सुइट सर्वेक्षण, 2018’ में कहा गया है कि कंपनियों को उम्मीद है कि अगले एक साल में उनके साइबर सुरक्षा बजट में बढ़ोत्तरी होगी।
स्वतंत्र शोध कम्पनी ओवम द्वारा किये गए अध्ययन में बड़े ग्राहक आधार वाली और 500 से अधिक कर्मियों वाली आईटी और साइबर सुरक्षा कम्पनियों के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत को शामिल किया गया है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, “करीब 88 प्रतिशत भारतीय कंपनियों का मानना है कि उनकी साइबर तैयारी औसत से ऊपर या बेहतर है।”
शोध में हालांकि, कहा गया है कि साइबर खतरों का वस्तुनिष्ठ आकलन नहीं होने के कारण भी यह संभव है कि कम्पनियां अपनी तैयारी के स्तर को लेकर ज्यादा आश्वस्त नजर आ रही हों।
अध्ययन के मुताबिक करीब 56 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अगले साल साइबर हमलों में वृद्धि की आशंका जतायी है। वहीं 42 फीसदी को लगता है कि इसमें कोई बढ़ोत्तरी नहीं होगी, जबकि दो प्रतिशत को लगता है कि आने वाले समय में साइबर हमलों में कमी आएगी।
करीब 1,000 से 4,999 कर्मियों की क्षमता वाले मध्यम आकार के संगठन सबसे अधिक चिंतित नजर आ रहे हैं। उनमें से करीब 80 प्रतिशत ने साइबर हमलों में वृद्धि की आशंका जाहिर की है।
जिन उद्योगों में सर्वेक्षण किया गया उनमें से खुदरा और दूरसंचार क्षेत्र की कम्पनियों में पिछले साल के दौरान साइबर सुरक्षा के मामले में प्रगति दर्ज की गई। इनमें 20 प्रतिशत कम्पनियों ने साइबर हमलों में कमी आने की बात स्वीकारी है।
वहीं, पिछले वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र की कम्पनियों में 47 प्रतिशत ने साइबर हमलों में वृद्धि की बात कही है। किसी भी कम्पनी ने इनमें कमी आने की बात नहीं कही। सर्वेक्षण के मुताबिक 62 प्रतिशत के करीब कम्पनियों ने आने वाले समय में अपने साइबर सुरक्षा बजट में वृद्धि की आशंका जताई है।
भोपाल में पहली बार सीआरपीएफ की महिला कम्पनी सम्भालेगी चुनाव में मोर्चा
भोपाल : मध्यप्रदेश में पहली बार सीआरपीएफ की महिला कम्पनी चुनाव में सुरक्षा की कमान संभालेगी। महिला मतदाताओं को प्रेरित करना और उन्हें एक सुरक्षित माहौल का विश्वास दिलाना उनका मकसद होगा। मप्र में भोपाल के अलावा इंदौर और उज्जैन में भी एक-एक कंपनी दी गई है। देश भर में सफलता पूर्वक चुनाव कराने के बाद महिला कंपनी पहली बार मध्यप्रदेश में अपनी निगरानी में चुनाव संपन्न कराएगी।
प्रदेश भर में चुनाव के लिए करीब 600 कंपनियां लगाई जा रही हैं। जिला पुलिस के अलावा इनमें से करीब 20 कंपनियों भोपाल में चुनाव के दौरान ड्यूटी पर रहेंगी। सोमवार को सबसे पहले महिलाओं की तीन कंपनी पहुंची। दो कंपनी उज्जैन और इंदौर के लिए रवाना कर दिया, जबकि एक कंपनी भोपाल में रही।
80 सदस्यीय दल में 10 जवान भी शामिल हैं। पुलिस कंट्रोल रूम में कंपनी को जिला भोपाल की तरफ से चुनाव से संबंधित जानकारियां और उनकी ड्यूटी के बारे में बताया गया। इसके लिए चुनाव के लिए विशेषतौर पर बनाए गए पुलिस कंट्रोल रूम में मीटिंग आयोजित की गई थी। इसमें सीआरपीएफ के कंपनी कमांडर भी शामिल हुए। कंपनी इससे पहले कर्नाटक चुनाव करा चुकी है।
दंगों के दौरान लगाया जाता रहा हैं इन्हें : इससे पहले मप्र में दंगों और सांप्रदायिक तनाव के दौरान सीआरपीएफ की महिला कंपनी को लगाया जाता रहा है। इससे लोगों के विश्वास और तनाव को कम करने में अच्छे परिणाम सामने आने के बाद चुनाव में भी इनकी ड्यूटी लगाने की पहल की गयी।
महिलाओं की ड्यूटी का मकसद : चुनाव के दौरान सुरक्षा में महिलाओं की ड्यूटी होने से जहा महिला कर्मचारियों को बल मिलेगा, वहीं महिला वोटरों को भी प्रोत्साहित किए जाने में मदद मिलेगी। इससे अधिक से अधिक लोग वोट करने के लिए सामने आएंगे।
स्वतन्त्रता सँग्राम में अतुलनीय है आजाद हिन्द फौज का योगदान
आज़ाद हिन्द फ़ौज या ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ का गठन 1942 ई. में किया गया था। इसका उद्देश्य भारत को स्वतंत्र कराना था। इसकी स्थापना 21 अक्टूबर, 1943 को हुई और इस साल उसने 75 साल पूरे किए। इसका प्रतीक चिह्न एक झंडे पर दहाड़ते हुए बाघ का चित्र था।
आज़ाद हिन्द फ़ौज या ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ का गठन 1942 ई. में किया गया था। 28-30 मार्च, 1942 ई. को टोक्यो (जापान) में रह रहे भारतीय रासबिहारी बोस ने ‘इण्डियन नेशनल आर्मी’ (आज़ाद हिन्द फ़ौज) के गठन पर विचार के लिए एक सम्मेलन बुलाया। कैप्टन मोहन सिंह, रासबिहारी बोस एवं निरंजन सिंह गिल के सहयोग से ‘इण्डियन नेशनल आर्मी’ का गठन किया गया। ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ की स्थापना का विचार सर्वप्रथम मोहन सिंह के मन में आया था। इसी बीच विदेशों में रह रहे भारतीयों के लिए ‘इंडियन इंडिपेंडेंस लीग’ की स्थापना की गई, जिसका प्रथम सम्मेलन जून 1942 ई, को बैंकाक में हुआ।
स्थापना – आज़ाद हिन्द फ़ौज की प्रथम डिवीजन का गठन 1 दिसम्बर, 1942 ई. को मोहन सिंह के अधीन हुआ। इसमें लगभग 16,300 सैनिक थे। कालान्तर में जापान ने 60,000 युद्ध बंदियों को आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल होने के लिए छोड़ दिया। जापानी सरकार और मोहन सिंह के अधीन भारतीय सैनिकों के बीच आज़ाद हिन्द फ़ौज की भूमिका के संबध में विवाद उत्पन्न हो जाने के कारण मोहन सिंह एवं निरंजन सिंह गिल को गिरफ्तार कर लिया गया। आज़ाद हिन्द फ़ौज का दूसरा चरण तब प्रारम्भ हुआ, जब सुभाषचन्द्र बोस सिंगापुर गये। सुभाषचन्द्र बोस ने 1941 ई. में बर्लिन में ‘इंडियन लीग’ की स्थापना की, किन्तु जब जर्मनी ने उन्हें रूस के विरुद्ध प्रयुक्त करने का प्रयास किया, तब कठिनाई उत्पन्न हो गई और बोस ने दक्षिण पूर्व एशिया जाने का निश्चय किया।
सुभाषचन्द्र बोस का नेतृत्व – जुलाई, 1943 ई. में सुभाषचन्द्र बोस पनडुब्बी द्वारा जर्मनी से जापानी नियंत्रण वाले सिंगापुर पहुँचे। वहाँ उन्होंने दिल्ली चलो का प्रसिद्ध नारा दिया। 4 जुलाई, 1943 ई. को सुभाषचन्द्र बोस ने ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ एवं ‘इंडियन लीग’ की कमान को संभाला। आज़ाद हिन्द फ़ौज के सिपाही सुभाषचन्द्र बोस को नेताजी कहते थे। बोस ने अपने अनुयायियों को ‘जय हिन्द’ का नारा दिया। उन्होंने 21 अक्टूबर, 1943 ई. को सिंगापुर में अस्थायी भारत सरकार ‘आज़ाद हिन्द सरकार’ की स्थापना की। सुभाषचन्द्र बोस इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा सेनाध्यक्ष तीनों थे। वित्त विभाग एस.सी चटर्जी को, प्रचार विभाग एस.ए. अय्यर को तथा महिला संगठन लक्ष्मी स्वामीनाथन को सौंपा गया।
प्रतीक चिह्न – ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ के प्रतीक चिह्न के लिए एक झंडे पर दहाड़ते हुए बाघ का चित्र बना होता था। ‘क़दम-क़दम बढाए जा, खुशी के गीत गाए जा’- इस संगठन का वह गीत था, जिसे गुनगुना कर संगठन के सेनानी जोश और उत्साह से भर उठते थे।
जापानी सैनिकों के साथ तथाकथित आज़ाद हिन्द फ़ौज रंगून (यांगून) से होती हुई थलमार्ग से भारत की ओर बढ़ती हुई 18 मार्च सन 1944 ई. को कोहिमा और इम्फ़ाल के भारतीय मैदानी क्षेत्रों में पहुँच गई।
सुभाष चन्द्र बोस और आज़ाद हिन्द फ़ौज के सदस्य
फ़ौज की बिग्रेड – जर्मनी, जापान तथा उनके समर्थक देशों द्वारा ‘आज़ाद हिन्द सरकार’ को मान्यता प्रदान की गई। इसके पश्चात् नेताजी बोस ने सिंगापुर एवं रंगून में आज़ाद हिन्द फ़ौज का मुख्यालय बनाया। पहली बार सुभाषचन्द्र बोस द्वारा ही गाँधी जी के लिए राष्ट्रपिता शब्द का प्रयोग किया गया। जुलाई, 1944 ई. को सुभाषचन्द्र बोस ने रेडियो पर गाँधी जी को संबोधित करते हुए कहा “भारत की स्वाधीनता का आख़िरी युद्ध शुरू हो चुका हैं। हे राष्ट्रपिता! भारत की मुक्ति के इस पवित्र युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ चाहते हैं।” इसके अतिरिक्त फ़ौज की बिग्रेड को नाम भी दिये गए- ‘महात्मा गाँधी ब्रिगेड’, ‘अबुल कलाम आज़ाद ब्रिगेड’, ‘जवाहरलाल नेहरू ब्रिगेड’ तथा ‘सुभाषचन्द्र बोस ब्रिगेड’। सुभाषचन्द्र बोस ब्रिगेड के सेनापति शाहनवाज ख़ाँ थे। सुभाषचन्द्र बोस ने सैनिकों का आहवान करते हुए कहा तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा।
फ़रवरी से जून, 1944 ई. के मध्य आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीन ब्रिगेडों ने जापानियों के साथ मिलकर भारत की पूर्वी सीमा एवं बर्मा से युद्ध लड़ा, परन्तु दुर्भाग्यवश दूसरे विश्व युद्ध में जापान की सेनाओं के मात खाने के साथ ही आज़ाद हिन्द फ़ौज को भी पराजय का सामना करना पड़ा। आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिक एवं अधिकारियों को अंग्रेज़ों ने 1945 ई. में गिरफ़्तार कर लिया। साथ ही एक हवाई दुर्घटना में सुभाषचन्द्र बोस की भी 18 अगस्त, 1945 ई. को मृत्यु हो गई। हालांकि हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु अभी भी संदेह के घेरे में है। बोस की मृत्यु का किसी को विश्वास ही नहीं हुआ। लोगों को लगा कि किसी दिन वे फिर सामने आ खड़े होंगे। आज इतने वर्षों बाद भी जनमानस उनकी राह देखता है।
आज़ाद हिन्द फ़ौज के गिरफ़्तार सैनिकों एवं अधिकारियों पर अंग्रेज़ सरकार ने दिल्ली के लाल क़िले में नवम्बर, 1945 ई. को मुकदमा चलाया। इस मुकदमें के मुख्य अभियुक्त कर्नल सहगल, कर्नल ढिल्लों एवं मेजर शाहवाज ख़ाँ पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। इनके पक्ष में सर तेजबहादुर सप्रू, जवाहरलाल नेहरू, भूला भाई देसाई और के.एन. काटजू ने दलीलें दी। लेकिन फिर भी इन तीनों की फाँसी को सज़ा सुनाई गयी। इस निर्णय के ख़िलाफ़ पूरे देश में कड़ी प्रतिक्रिया हुई, नारे लगाये गये- “लाल क़िले को तोड़ दो, आज़ाद हिन्द फ़ौज को छोड़ दो।” विवश होकर तत्कालीन वायसराय लॉर्ड वेवेल ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर इनकी मृत्युदण्ड की सज़ा को माफ कर दिया।
(साभार – भारतकोश)
वीरांगना सम्मान समारोह और सांस्कृतिक उत्सव 28 अक्टूबर को
कोलकाता : अन्तरराष्ट्रीय वीरांगना फाउंडेशन, पश्चिम बंगाल इकाई की ओर से 28 अक्टूबर को हावड़ा के शरत सदन में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए पांच महिलाओं को नारी गौरव सम्मान प्रदान किया जायेगा। रंगमंच के लिए डॉ.बिन्दु जायसवाल, साहित्य के लिए डॉ.वसुंधरा मिश्र, सिनेमा के लिए ज़ारा परवीन, पत्रकारिता के लिए सुषमा त्रिपाठी एवं समाजसेवा के लिए करिश्मा खन्ना प्रियदर्शी को यह सम्मान दिया जायेगा। समारोह में संगठन की नवगठित कार्यकारिणी की सदस्याएं भी सम्मानित होंगी। यह जानकारी वीरांगना की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, उपाध्यक्ष इंदु सिंह, महासचिव प्रतिमा सिंह, कोषाध्यक्ष पूजा सिंह ने दी।
5 महिलाओं को नारी गौरव सम्मान
उन्होंने बताया कि इस भव्य वीरांगना सम्मान समारोह और सांस्कृतिक उत्सव में राज्य के सहकारिता मंत्री अरुप राय, खेल तथा युवा मामलों के मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला, विधायक वैशाली डालमिया, अखिल भारतीय क्षत्रिय समाज के मुख्य संरक्षक जय प्रकाश सिंह, वीरांगना के संस्थापक सह मुख्य संरक्षक डॉ.एम.एस.सिंह ‘मानस’, वीरांगना की अंतर्राष्ट्रीय महासचिव भारती सिंह विशिष्ट मेहमान होंगे। सौरभ गिरि, प्रियंका सोनकर, राहुल राणा व ओमप्रकाश गीत-संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।