भारतीय रेल के लिए रामायण सर्किट पर चलाई जाने वाली विशेष टूरिस्ट ट्रेनें लाभ का सौदा साबित हो रही हैं। पहली ट्रेन से उत्साहित होकर रेलवे तीन और ऐसी रेलगाड़ियां शुरू करने जा रहा है। ये रेलगाड़ियां देशके अलग अलग हिस्से से शुरू होकर रामायण से जुड़े तीर्थ स्थलों का सैर कराएंगी। पहली ट्रेन दिल्ली से चेन्नई के बीच 14 नवम्बर से आरंभ हो रही है।
रेल अधिकारियों का कहना है कि स्पेशल ट्रेनों में आम तौर पर 50 से 60 फीसदी सीटें ही भरती हैं, पर रामायण एक्सप्रेस की 7 जुलाई को घोषणा के 15 दिन के अंदर ही इसकी सभी सीटें बुक हो गईं। अब आईआरसीटीसी ऐसी ही तीन टूरिस्ट ट्रेन राजकोट, जयपुर और मदुरै से शुरू करने जा रहा है। इनमें से सभी ट्रेनें अयोध्या अवश्य जाएंगी जो भगवान राम की जन्मस्थली मानी जाती है।
इसके अलावा रामायण से जुड़े स्थल हनुमान गढ़ी, रामकोट और कनकभवन मंदिर के दर्शन कराए जाएंगे। इसके अलावा ट्रेन का ठहराव नंदीग्राम, सीतामढ़ी, जनकपुर, वाराणसी, प्रयागराज, श्रींगवेरपुर, चित्रकूट, नासिक, हंपी और रामेश्वरम में होगा। आईआरसीटीसी के अधिकारी बताते हैं कि रेलवे यात्रियों को उन तीर्थस्थलों तक ले जाएगी, जहां तक ट्रेन नहीं जाती। जैसे सीतामढ़ी से जनकपुर तक का सफर सड़क मार्ग से करना होगा।
800 यात्री एक ट्रेन में
रामायण एक्सप्रेस में स्लीपर क्लास होगा। इसमें 800 यात्रियों के लिए स्थान उपलब्ध होगा। जो लोग श्रीलंका जाना चाहेंगे वे चेन्नई से कोलंबो फ्लाईट से जा सकते हैं। यात्रियों की माँग के अनुसार इन ट्रेनों में अलग अलग बोर्डिंग प्वाइंट भी तय किया जा सकता है। मदुरै से खुलने वाली ट्रेन भी 14 नवंबर से शुरू होगी। इसमें एक व्यक्ति का किराया 15120 रुपये होगा। यह ट्रेन, नासिक, दरभंगा, देवीपट्टनम, थिरुपुलानी भी जाएगी।जयपुर से रामायण सर्किट ट्रेन 22 नवंबर को शुरू होगी। यह ट्रेन अलवर, रेवाड़ी और दिल्ली से भी यात्रियों को लेकर आगे चलेगी। इस ट्रेन का नाम रामायण यात्रा या रामायण एक्सप्रेस होगा। गुजरात के राजकोट से ट्रेन 7 दिसंबर को आरंभ होगी। इस ट्रेन पर यात्री सुरेंद्रनगर, विरमगाम, साबरमती, आणंद, वडोदरा, गोधरा, दाहोद और मेघनगर से सवार हो सकेंगे।
रामायण एक्सप्रेस : जहाँ-जहाँ गए श्रीराम, ले जाएगी ट्रेन, बुक हुईं सभी सीटें
जानिए धन्वन्तरी और धनतेरस को
हिन्दू धर्म में दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इसे भगवान धन्वन्तरि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। इस दिन को भगवान कुबेर और धन की देवी मां लक्ष्मी की अराधना से जोड़ा जाता है। इनकी पूजा कर धनवान बनाने के लिए प्रार्थना की जाती है। इस साल धनतेरस 5 नवंबर 2018 को है। इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। समुद्र मंथन के बाद भगवान धन्वंतरी प्रकट हुए थे। तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था इसलिए इस दिन धातू से जुड़े बर्तन या आभूषण खरीदने का चलन निकल पड़ा। मान्यता है कि इस दिन खरीददारी करने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं। धन्वंतरी आयुर्वेद के चिकित्सक थे, जिन्हें देव पद प्राप्त था। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार थे और इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरी, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था। इसीलिये दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस मनाया जाता है।
धनतेरस का महत्व:
1. इस दिन नए उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। शुभ मुहूर्त में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है. सात धान्य में गेहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर शामिल होता है।
2. धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ माना जाता है।
3. भगवान धन्वन्तरी की पूजा से स्वास्थ्य और सेहत मिलता है। इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।
दीवाली पर चमचमाए आपका फर्नीचर
दिवाली आते ही हर साल आप ढेरों तैयारियों में जुट जाती हैं। घर के कोने-कोने की सफाई शुरू हो जाती है। घर की दीवारों की पेंटिंग, घर की सजावट वाले सामान, रोशनी की व्यवस्था जैसी हर छोटी-बड़ी बात का पूरा ध्यान रखती हैं। आपकी इन तैयारियों का एक अहम हिस्सा घर का फर्नीचर भी होता है। अब इसे बार-बार तो बदला नहीं जा सकता। हां, इसका रख-रखाव इसे नये जैसा जरूर बनाए रखता है। ऐसे में जरूरी है फर्नीचर को समझना और उसी हिसाब से उसकी देखभाल करना। तभी वो अपनी रंगत बरकरार रख पाते हैं। इसके अलावा अगर इस बार आप घर के लिए नया फर्नीचर खरीदने या बनवाने जा रही हैं तो सिर्फ उसकी डिजाइन पर ध्यान देना जरूरी नहीं है। और भी कुछ बातें हैं जिनका पता लगाकर फर्नीचर घर लाइए, ताकि वो कई सालों तक आपका साथ दें।
फर्नीचर की सफाई को आपने रोज का नियम बना लिया है, तो थम जाइए। ये उसकी रंगत जल्दी फीकी कर देता है। फर्नीचर को चाहिए हफ्ते की सिर्फ एक सफाई। फर्नीचर में अगर पॉलिश सही तरीके से है तो उसमें धूल वैसे ही नहीं जमती। ऐसे में आप सूती कपड़े पर थोड़ा पानी छिड़क कर सफाई करें। हां, अगर पॉलिश नहीं चढ़ी है तो सूखे कपड़े से झाड़ दें। वैसे अनपॉलिश्ड वुड घर पर नहीं रखना चाहिए। वो कीड़ों के लिए खाने का सीधा न्योता है। अगर फर्नीचर पर कहीं अनपॉलिश्ड सतह है भी तो उसको सूखे कपड़े से ही साफ करें।
बचाव है जरूरी
लकड़ी प्राकृतिक होती है, इसलिए कीड़ों के लिए भोजन का काम भी करती है। इसके साथ ही लकड़ी हाइड्रोस्कोपिक भी होती है यानी उसे पानी खासा पसंद है। इन दोनों ही चीजों से लकड़ी को बचाना बेहद जरूरी है। पानी से बचाव के लिए फर्नीचर पर कोटिंग या पॉलिश करवाना जरूरी होता है। वहीं कीड़ों से बचाने के लिए आप प्रिजरवेशन करवाना न भूलें। सबसे सस्ता और आसानी से उपलब्ध प्रिजरवेटिव बोरेक्स बोरिक एसिड है, जो फर्नीचर पर लगा सकती हैं। फर्नीचर बनवाने जा रही हों या पॉलिश करवा रही हों तो प्रिजरवेटिव जरूर लगवाएं।
घर पर तैयार करें पॉलिश
पॉलिश सिर्फ फर्नीचर को चमक देने के मकसद से नहीं लगाई जाती है, वो उसका बचाव भी करती है। इसके लिए कई बार लोग बाजार की वैक्स पॉलिश का इस्तेमाल करने लगते हैं। लेकिन ऐसा करना लंबे समय बाद फर्नीचर की सेहत खराब कर देता है। इस काम के लिए घर पर ही पॉलिश तैयार की जा सकती है। इसके लिए आपको चाहिए, सिरका और ऑलिव ऑयल। एक बरतन में एक हिस्सा सिरका और तीन चौथाई हिस्सा ऑलिव ऑयल डालकर मिलाएं। अब इस पॉलिश को सूती कपड़े की मदद से फर्नीचर पर लगा दें। जब भी फर्नीचर पुराना सा लगने लगे तो आप इस पॉलिश का इस्तेमाल कर सकती हैं। सिरका एंटी फंगल और एंटी माइक्रोबल होता है, जो कीड़ों से फर्नीचर को बचाता है। इस काम में नीम के तेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
वातावरण का प्रभाव
फर्नीचर कितना लंबा चलेगा ये उसकी कोटिंग पर निर्भर करता है। इसलिए जरूरी है कि वातावरण के हिसाब से उसकी कोटिंग का चुनाव किया जाए। घर के भीतर रखे जाने वाले सभी फर्नीचर में इंटीरियो वाली कोटिंग होती है। इन्हें ऑयल फिनिश कहते हैं। ये सिर्फ हल्की नमी से बचाव कर फर्नीचर को चमक देते हैं। ऐसे फर्नीचर को खिड़की आदि के पास रखने से बचें वरना फर्नीचर जल्दी खराब हो जाएगा। अगर आप खुले में फर्नीचर रखना चाहती हैं तो उसमें एक्सटीरियर वाली कोटिंग करवा लें। लकड़ी के अंदर लिगनिंन होता है, जो धूप से पीला पड़ने लगता है। इसी कारण बाहर रखे जाने वाले फर्नीचर पर यूवी रेजिस्टेंट पॉलीयूरेथिन पॉलिश, जिसमें नैनो जिंक ऑक्साइड का इस्तेमाल होता है, लगाना जरूरी है।
न गले दरवाजा
कई बार पानी की मार से बचाने के लिए बाथरूम के दरवाजे पर लोग टिन या एल्यूमीनियम की शीट लगवा देते हैं। लेकिन कभी गौर किया है कि दरवाजा उसके बाद भी गल जाता है। दरअसल कोई भी लकड़ी अपनी समतल सतह से पानी नहीं सोखती है। वो अपने किनारों से ही पानी सोखती है। दरवाजे हमेशा नीचे या ऊपर से गलना शुरू होते हैं। इनके बचाव के लिए आप किनारों पर हर दो साल में ऐरेलडाइट का सल्यूशन लगवा लें।
गूगल ने आसान किया सर्च हिस्ट्री डिलीट करना
कम्प्यूटर और फोन में कुछ सीक्रेट ब्राउजिंग करने के बाद यूजर अपनी सर्च हिस्ट्री क्रोम की हिस्ट्री में से डिलीट कर देते हैं। जो यूजर सर्च हिस्ट्री को सर्वर में से हमेशा के लिए डिलीट करना चाहते थे, वह माय एक्टिविटी पेज पर जाते हैं। माय एक्टिविटी पेज तक पहुंचना बोझिल लगता है। लेकिन, अब गूगल ने इसे आसान बना दिया है। दरअसल, गूगल क्रोम वेब और मोबाइल के लिए नया अपडेट लाने जा रहा है, जिसमें यह फीचर मिलेंगे। गूगल की दुनिया में यूजर को ‘माय अकाउंट’ देखने के लिए पहले क्रोम ब्राउजर में जीमेल अकाउंट लॉगइन करना पड़ता था। टेक जगत के मुताबिक अब क्रोम ब्राउजर में नया विकल्प आएगा, जिस पर क्लिक करने के बाद सीधे माय अकाउंट पेज पर पहुंचा जा सकता है और अपनी हिस्ट्री को आसानी से डिलीट किया जा सकता है।
जीमेल से भी है विकल्प
जीमेल की मदद से माय अकाउंट में जाने के लिए पहले क्रोम ब्राउजर में अपना जीमेल अकाउंट लॉगइन करना होगा। इसके बाद दाईं ओर ऊपर की तरफ दिए गए प्रोफाइल फोटो पर क्लिक करें। ऐसा करने के बाद माय अकाउंट का विकल्प दिखाई देगा, उस पर क्लिक कर दें। अब जो नई विंडो खुलेगी उसमें आपको नीचे की तरफ ‘माय एक्टिविटी‘ लिखा मिलेगा। इस माई एक्टिविटी पर क्लिक करें और नई विंडो खुलने का इंतजार करें। इसके बाद आपके सामने जो स्क्रीन खुलेगी उसमें आपके द्वारा सर्च किया गया सभी कंटेंट यानी इंटरनेट सर्च हिस्ट्री आसानी से देख सकते हैं। ‘माय एक्टिविटी’ खोलने के लिए आप अपने क्रोम ब्राउजर में myactivity.google.com टाइप भी कर सकते हैं।
ऐसे करें डिलीट
माय एक्टिविटी पर आपके द्वारा सर्च की गई हिस्ट्री ट्िवटर या फेसबुक की टाइम लाइन की तरह दिखती है। इस हिस्ट्री को डिलीट करने के कई उपाए हैं। पहला तो यह कि यूजर जिस कंटेंट को डिलीट करना चाहते हंै उसके ऊपर तीन बिन्दु दिखाई देंगे। उन पर क्लिक करने के बाद ‘डिलीट’ और ‘डिटेल्स’ का विकल्प खुलेगा। फाइल को सर्च हिस्ट्री से हटाने के लिए डिलीट पर क्लिक कर दें। अगर आपको पूरे एक दिन की हिस्ट्री हटानी है तो सबसे ऊपर अंग्रेजी में ‘टुडे’ लिखा मिलेगा। टुडे के पास दिए गए तीन बिन्दुओं वाला विकल्प दिखेगा, उस पर क्लिक करने के बाद डिलीट का विकल्प आएगा और उसे दबा दें। दबाते आज के दिन की सर्च की गई इंटरनेट हिस्ट्री एक साथ खत्म हो जाएगी।
ऑन डिमांड पंडिताई बनकर कीजिए कमाई
तकनीक ने ऐसे नए-नए स्टार्टअप पैदा कर दिए हैं। हैलो पंडितजी डॉट कॉम’, ‘माय ओम नमो ऐप’, ‘पूजापाठ सॉल्युशन डॉट कॉम’, ‘पंडित ऑन डिमांड’, ‘बुक योर पंडित’ आदि कंपनियां करोड़ो की कमाई कर रही हैं।
आधुनिक टेक्नोलॉजी ने धर्म-कर्म के स्टार्टअप के लिए भी तरह-तरह के अवसर पैदा कर दिए हैं। मसलन, ‘हैलोपंडितजीडॉटकॉम’, ‘माय ओम नमो ऐप’, ‘पूजापाठसॉल्यूशनडॉटकॉम’, ‘पंडितऑनडिमांड’, ‘बुकयोरपंडित’, ‘वेयरइजमाईपंडित’ आदि-आदि।
ऐसे पोर्टल लॉन्च होने से पहले पंडितों का टेक्नोलॉजी से सम्पर्क सिर्फ जस्टडॉयल के माध्यम से हो पाता था। अब यजमानों को किराये पर पंडित उपलब्ध कराने वाले मकरंद और प्राजक्ता की ‘माय ओम नमो ऐप’ कंपनी अब तक बहत्तर करोड़ रुपए कमा चुकी है। ‘हैलो पंडितजी डॉट कॉम’ को लगभग दो करोड़ का मुनाफा हुआ है तो ‘पूजा पाठ सॉल्यूशन डॉट कॉम’ ने इस दिशा में कई सारे विकल्प पैदा कर दिए हैं।
आज दुनिया में आध्यात्मिक बाजार लगभग तीस अरब डॉलर की हो चुका है। ऑनलाइन पूजन सामग्री उपलब्ध कराने का काम करोड़ों के कारोबार में तब्दील हो चुका है। आईआईटी दिल्ली से बिजनेस मैनेजमेंट कर चुके ऑनलाइन यजमानी से लगभग दो करोड़ की कमाई करने वाले बांदीकुई (राजस्थान) के चन्द्रशेखर ‘हैलो पंडितजीडॉटकॉम’ के माध्यम से पूजा-पाठ की सामग्री उपलब्ध कराने के साथ ही पुरोहित भी मुहैया करा रहे हैं। पंडितजी को घर से लाने-ले जाने के लिए ओला कैब की भी सुविधा दे रहे हैं। चंद्रशेखर बताते हैं कि कुछ समय पहले हरिद्वार में एक एनआरआई दम्पति से उनकी मुलाकात हुई थी। उनको अपने पूर्वजों के पिंडदान के लिए ऑनलाइन पंडित की जरूरत थी। उसके बाद ही उन्होंने हैलोपंडितजीडॉटकॉम नाम से पूजापाठ कराने वाली अपनी कम्पनी को लॉन्च कर दिया। उनकी कम्पनी अमिताभ बच्चन, जैकी श्रॉफ, हेमा मालिनी, धर्मेंद्र कुमार, अभिषेक बच्चन आदि को ऑनलाइन पंडित उपलब्ध करा चुकी है। इस समय देश के दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे, भोपाल, इंदौर, लखनऊ आदि लगभग दो दर्जन महानगरों में उनकी कंपनी का नेटवर्क सक्रिय है। इसी तरह पूजापाठ वाली एक अन्य कम्पनी है ‘माय ओम नमो ऐप’। पचास लाख रुपए लगाकर यह स्टार्टअप शुरू करने वाले दम्पति मकरंद और प्राजक्ता को भी दुबई से उसी तरह आइडिया मिला जैसे एक अन्य एनआरआई से राजस्थान के चन्द्रशेखर को। कंपनी की इस साल लगभग 72 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। कम्पनी का वर्ष 2020 तक दस करोड़ डॉलर कमाने का लक्ष्य है। इस समय इस कंपनी के ढाई हजार तो पंजीकृत पुरोहित हैं, जो 12 भाषाओं में पूजा कर सकते हैं। कंपनी हर साल हजारों यजमानों के पूजापाठ करा रही है। बीते दो वर्षों में देश में पांच हजार और अमेरिका में एक हजार लोगों ने इस कंपनी के माध्यम से पूजा कराई है। इस ऐप के माध्यम से लोग पंडित बुक कराने के साथ ही कंपनी के ई-स्टोर पर फल-फूल, केले-तुलसी के पत्ते, प्रसाद आदि पूजन सामग्री का ऑर्डर भी दे सकते हैं। कम्पनी ऑर्गेनिक पूजा सामग्री के अलावा प्रतिदिन की धार्मिक गतिविधियों, ब्राम्हण भोज, भजन कीर्तन, माता की चौकी, मंदिर में दान-दक्षिणा, एस्ट्रोलॉजी, वास्तु एक्सपर्ट, टैरो कार्ड रीडर, मंदिर में वीआईपी एंट्री आदि की सेवाएं भी दे रही है। अब कम्पनी बच्चों के लिए धार्मिक कार्टून सीरिज शुरू करने वाली है। यह कम्पनी भारत के अलावा यूएई, स्पेन, घाना, मलेशिया, सिंगापुर, बहरीन, ओमान तक बिजनेस कर रही है। कंपनी को यूएई से 10 लाख डॉलर की फंडिंग भी मिल चुकी है।
आज ऐसे स्प्रिचुअल स्टॉर्टअप, इक्का-दुक्का नहीं, सैकड़ों हैं। ‘पूजपाठसॉल्युशन डॉटकॉम’ कंपनी तो बाकायदा फ्रेंचाइजी भी चला रही है। इस कंपनी की निःशुल्क वर्गीकृत विज्ञापन वेबसाइट भी है, जिसके माध्यम से पूजन सामग्री, पूजा एसेसरीज, प्रसाद, पंडित बुकिंग, पूजा सर्विस, कुडंली, कथा, दोष निवारण, जाप, यज्ञ, हवन, पिंडदान, ईपूजा, ज्योतिष, अंकशास्त्री, वास्तुशास्त्री, सुदंरकांड, भागवत कथा, भगवान के जेवर -वस्त्र-रत्न, फेंगशुई, श्रीयंत्र, गुडलक बांबू, धार्मिेक म्युजिक, धार्मिक बुक, ज्योतिष मैग्जीन, गंगाजल, कंडे, गोमूत्र, मूर्ति, रूद्राक्ष, अगरबत्ती, धूपबत्ती आदि प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके माध्यम से यजमान पूजा पाठ के लिए सीधे पंडित से संपर्क कर सकते हैं। इस कम्पनी की चार ऑनलाइन सेवाएं हैं- पूजापाठ सॉल्यूशन वेबसाइट, पूजापाठ सॉल्युशन ब्लॉग, पूजापाठ साल्युशन युट्यूब चैनल तथा पूजापाठ सॉल्युशन एप। इनके माध्यम से प्रवचन, प्रोग्राम आदि का लाइव प्रसारण भी किया जा सकता है। यहां तक सुविधा है कि इस कंपनी से जुड़कर कोई भी बेरोजगार हर माह तीस हजार रुपए तक कमा सकता है। इसी तरह मुंबई में मोहन शुक्ला ‘वेयर इज माई पंडित’ वेबसाइट चला रहे हैं। इस पोर्टल से सीधे डेढ़ सौ पंडित जुड़े हुए हैं। चेन्नई में ‘प्रीस्ट सर्विसेज’ कंपनी कुंभकोणम के पुजारियों को मौका मुहैया करा रही है। ‘पंडित ऑन डिमांड’ कंपनी छह-छह हजार रुपए लेकर सबसे ज्यादा गृह-प्रवेश के कर्मकांड करा रही है। राहुल कुमार ‘घर का पंडित’ पोर्टल चला रहे हैं।
(साभार योर स्टोरी)
निजी स्कूलों के खातों का ऑडिट क्यों नहीं : हाईकोर्ट
नयी दिल्ली : राजधानी में निजी स्कूलों के खातों का हर साल ऑडिट नहीं कराए जाने पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और नगर निगमों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। हाईकोर्ट ने सरकार और नगर निगमों को यह बताने के लिए कहा है कि सभी निजी स्कूलों के खातों का हर साल ऑडिट क्यों नहीं कराया जा रहा है। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस अनूप जे. भम्भानी की पीठ ने निजी स्कूलों के खातों का हर साल ऑडिट कराने और अन्य मांगों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। गैर सरकारी संगठन जस्टिस फॉर ऑल की याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद निजी स्कूलों के खातों का हर साल ऑडिट कराने में सरकार विफल रही है। राजधानी में दिल्ली सरकार के अलावा नगर निगम भी निजी स्कूलों को मान्यता देती है, इसलिए नगर निगमों से भी रिपोर्ट मांगा गया है। पीठ ने सभी पक्षों को 4 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी। संगठन की ओर से अधिवक्ता खगेश झा ने पीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मॉडर्न स्कूल मामले में सरकार को सभी निजी स्कूलों के खातों की हर साल ऑडिट कराने और यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि छात्रों से जिस मद में पैसा लिया जा रहा है, वह उसी मद में खर्च हो। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, सरकारी जमीन पर बने स्कूलों में हर साल फीस बढ़ाने से पहले और निजी जमीन पर बने स्कूलों में बाद में खातों के ऑडिट कराने का प्रावधान है।
हाईकोर्ट ने तीनों निगमों और नई दिल्ली पालिका परिषद से यह बताने के लिए कहा है कि सरकारी जमीन पर बने उनसे मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में बिना पूर्व मंजूरी के फीस में कैसे बढ़ोतरी हो रही है। हाईकोर्ट ने यह आदेश तब दिया जब याचिकाकर्ता संगठन ने कहा कि सरकार के शिक्षा निदेशालय सरकारी जमीन पर बने स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं देती है। लेकिन नगर निगम व परिषद इस निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों में फीस बढ़ाने से पहले दिल्ली सरकार ऑडिट कराती है और इससे अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है। अधिवक्ता खगेश ने पीठ को बताया कि लेकिन सरकार निजी भूमि पर बने निजी स्कूलों के खातों का बाद में ऑडिट नहीं करा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस विफलता के कारण उन स्कूलों में मनमानी फीस बढ़ोतरी होती है। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि नगर निगम न तो सरकारी और न ही निजी जमीन पर बने उन स्कूलों के खातों की ऑडिट कराता है जिसे उसने मान्यता दी है। पीठ को बताया गया है कि स्कूल प्रत्येक वर्ष अपने लेखा-जोखा को भी शिक्षा निदेशालय में पेश नहीं करता है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों के एक संघ की उस मांग को ठुकरा दिया, जिसमें वह इस मामले में पक्षकार बनने का आग्रह कर रहा था। हाईकोर्ट ने कहा कि यह सरकार और अभिभावकों के बीच का मामला है और इसमें स्कूल की कोई भूमिका नहीं है। पीठ ने कहा कि फिर भी यदि स्कूल मामले में पक्षकार बनना चाहता है तो वह इसके लिए उचित अर्जी दाखिल करे और हम बाद में विस्तृत आदेश पारित करेंगे।
यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कठिनाई को भी जीता जा सकता है
सादगी में भी सौन्दर्य है और सुर में अगर सादगी हो तो आवाज सीधे ईश्वर तक ले जाती है। इस आवाज में जब लोक जुड़ जाए तो वह और भी प्रभावशाली हो जाता हैं। सादगी और प्रभाव का ऐसा ही जादू है सुषमा ठाकुर की आवाज में। रिसड़ा की नया बस्ती की सुषमा ठाकुर ने संगीत को पढ़ा भी है और संगीत को जीया भी है। मधुर गायिका सुषमा ठाकुर हमने बात की, पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश –
पिता हैं संगीत के प्रथम गुरु
संगीत ज्ञान की शुरूआत घर से ही हुई। मेरे पिता राधाकृष्ण ठाकुर के रामचरित मानस के पाठ तथा मेरे चाचा जी राजेन्द्र जी ‘व्यास’ के भोजपुरी गायन का प्रभाव मेरे ऊपर पड़ा। मैं भी बचपन से ‘मानस पाठ’ तथा भजन गाने लगी। कुछ समय बाद काशीपुर के सर्वमंगला मंदिर में मेरे भजनों से प्रभावित होकर चित्रकूट के संत श्री श्यामसुंदर दास जी ने शास्त्रीय संगीत सीखने के लिए प्रेरित किया। वहाँ की महिला समिति की अध्यक्ष कमला देवी की पुत्री गुड़िया दीदी से मुझे सरगम का ज्ञान मिला। तत्पश्चात मैंने घर पर ही मेरे संगीत शिक्षक अनिक दास तथा सपन चौधुरी से ख्याल तथा भजन सीखा। इसके बाद मैंने स्नातक में एक चयनित विषय (इलेक्टिव सब्जेक्ट) के रूप में बंगाल म्यूजिक कॉलेज से संगीत का ज्ञान प्राप्त किया। इस पूरे क्रम में मुझे मेरे पिता जी का विशेष सहयोग मिला।
आलोचना भी सुनी है और प्रोत्साहन भी मिला
प्रारम्भ में स्वयं मेरे पिताजी ने ही मुझे संगीत के लिए प्रेरित किया। फिर, संतों तथा श्रोताओं से प्रेरणा मिलती रही। माहौल अच्छा था पर कुछ लोगों की कटु बातें भी सामने आयीं – ‘लड़की को मंच पर चढ़ाते हैं’ और ‘लड़की को व्यास पीठ पर बैठाते हैं’ – जैसे आलोचना भरे शब्द भी सुनने पड़े। इन बातों के बावजूद मुझे अधिकांश लोगों का प्रोत्साहन मिला।
कई बार लोकगीतों का मजाक भी उड़ाते हैं लोग
लोकगीतों से मेरा कोई विशेष जुड़ाव नहीं रहा, फिर भी मैं यह महसूस करती हूँ कि नयी पीढ़ी का झुकाव पाश्चात्य संगीत की ओर अधिक है। कई बार लोग लोगीत का मजाक भी उड़ाते हैं।
विद्यालय बना सकते हैं लोकगीतों को लोकप्रिय
लोकगीत की उपेक्षा का प्रमुख कारण पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति की ओर झुकाव है। इस विषय में जागरूरकता लाने की जरूरत है और विद्यालय इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
आज कठिन प्रतियोगिता है
आज कठिन प्रतियोगिता का दौर है पर नए – नए प्रयास भी किए जा रहे हैं। सहयोग के हाथ भी बढ़ रहे हैं। यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कठिनाई को भी जीता जा सकता है।
संगीत ईश्वर की शक्ति है
संगीत ईश्वर की शक्ति है। सकारात्मक सोच के साथ इसे जीवनोपयोगी बनाए रखना है।
भारत में अगले एक दशक में 10 करोड़ रोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत: रिपोर्ट
नयी दिल्ली : भारत को अगले एक दशक में जनसंख्या में युवा आबादी की वृद्धि को ध्यान में रखते हुये रोजगार के 10 करोड़ अवसर पैदा करने की जरूरत होगी। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजगार में वृद्धि होने से देश में आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं में तेजी लाई जा सकती है और इसे अधिक समावेशी बनाया जा सकता है। पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट, ‘नागरिक: बड़ पैमाने पर रोजगार सृजन के जरिये समावेशी वृद्धि’ में अगले दशक में देश मे रोजगार बढ़ाने के व्यावहारिक तरीके का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि किस तरीके से छोटे जिलों में देश के स्थानीय संसाधनों को बाजार से जोड़ने से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘अगले दशक में हमें आस्ट्रेलिया की आबादी जितने पांच गुणा रोजगार के अवसरों का सृजन करना होगा। यह देश के सामने सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा है। यदि इससे सोच विचार तथा ऊर्जावान तरीके से निपटा जाता है, तो हमारी वृद्धि बढ़ेगी जिससे इसे अधिक समावेशी बनाया जा सकेगा।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपनी श्रमबल भागीदारी दर (एलएफपीआर) को बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए कार्यशील आबादी विशेष रूप से महिलाओं को अधिक अवसर उपलब्ध कराने पड़ेंगे।
अब करवाइए शादियों का बीमा, लीजिए वेडिंग पॉलिसी
नयी दिल्ली : बदलते दौर के साथ शादी समारोह की साज-सज्जा, भव्यता और खर्च का बजट तेजी से बढ़ा है। इन दिनों एक शादी समारोह की लागत 10 लाख रुपये से 2 करोड़ तक पहुच रही है। ऐसे में शादी समारोह की सुरक्षित करना जरूरी हो गया है। आप इसको बहुत ही कम खर्च में कर सकते हैं। आज के समय में ज्यादातर बीमा कंपनियां वेडिंग इंश्योरेंस मुहैया करा रही हैं। इस बीमा पॉलिसी को लेकर आप शादी समारोह के दौरान किसी आकस्मिक घटना से होने वाले नुकसान से सुरक्षित कर सकते हैं। आइए जानते हैं इस इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में।
क्यों जरूरी है शादी का बीमा
भारत में शादी समारोह में जमकर पैसा खर्च किया जाता है। दूल्हे-दुल्हन के महंगे कपड़ों से लेकर जेवरों का भी लाखों का बजट होता है। इसके अलावा कार्ड छपने, समारोह स्थल की बुकिंग, हलवाई, डेकोरेटर और ट्रैवल बुकिंग आदि पर भी भारी भरकम रकम खर्च होता है। अगर शादी समारोह में कोई अप्रिय घटना घट जाती है तो वेडिंग इश्योरेंस होने पर इसका मुआवजा मिल जाता है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कितनी राशि का बीमा कराया गया है। इसके अलावा अगर किसी कारणवश आपकी शादी की डेट बढ़ गई है या रद्द हो गई है, तो इसका दावा भी आप कर सकते हैं।
कुल खर्च का सिर्फ एक फीसदी प्रीमियम
शादी समारोह को सुरक्षित बनाने के लिए आप बहुत ही मामूली खर्च पर वेडिंग इंश्योरेंस ले सकते हैं। बीमा विशेषज्ञों के मुताबिक कुल खर्च का कवर पर प्रीमियम 0.75 फीसदी से एक फीसदी तक ही बैठता है। अगर कोई 10 लाख रुपये खर्च का कवर लेता है तो उसका प्रीमियम 8,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच आता है। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, एचडीएफसी एर्गो, बजाज ऑलियांज जैसी कंपनियां वेडिंग इंश्योरेंस देती हैं।
इस तरह कर सकते हैं दावा
वेडिंग इंश्योरेंस लेने के बाद अगर शादी समारोह में कोई अप्रिय घटना घट जाती है तो आप बीमा कंपनी से क्लेम ले सकते हैं। हालांकि, इसके लिए आपको सभी बिल दिखाने होंगे। वहीं, ज्वैलरी चोरी हो जाती है तो एफआईआर दर्ज की कॉपी के साथ बिल दिखाने होंगे।
हर बिल को को सम्भालना जरूरी
वेडिंग इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले यह जानना जरूरी है कि आप समारोह से जुड़े सभी खर्चों का रिकॉर्ड व्यवस्थित तरीके से सहेज कर रखें। पॉलिसी लेते समय कंपनियां समारोह स्थल, कार्यक्रमों की सूची, दूल्हा और दुल्हन की जानकारी, करीबी रिश्तेदारों के परिचय आदि जैसी जानकारियां लेती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बिल, इनवॉइस और बुकिंग रसीद जैसे खर्च के सबूत संभालकर रखने चाहिए। दावे के वक्त इनकी जरूरत पड़ती है।
यह कवर नहीं होता
शादी समारोह के बीच झगड़े से होने वाले नुकसान या शादी रद्द होने पर कवर नहीं मिलता है। इसके अलावा लापरवाही और आपराधिक छेड़छाड़ की घटनाओं से शादियां रद्द होने पर भी कवर नहीं मिलेगा।
पॉलिसी लेने की योग्यता
बीमा लेने वाले व्यक्ति की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। वह भारत का नागरिक हो।
बीमा पॉलिसी लेने से पहले इन बातों का रखें ख्याल
वेडिंग पॉलिसी में किस प्रकार का कवर मिलेगा इसको पता करें।
क्या पॉलिसी आपकी जरूरत को पूरा करने में सक्षम है।
सभी पॉलिसी देखें और उसके बाद जरूरत के मुताबिक बेहतर पॉलिसी चुनें।
प्राथमिक कवर में समारोह/वेडिंग रद्द होना शामिल होना चाहिए।
आग लगने और चोरी के लिए आप अलग से पॉलिसी भी ले सकते हैं।
आपके पास पहले से ज्वेलरी इंश्योरेंस है, तो वेडिंग इंश्योरेंस में इसे हटा दें।
अनुपम खेर ने एफटीआईआई के चेयरमैन पद से दिया इस्तीफा
नयी दिल्ली :अनुपम खेर ने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है। न्यूज एजेंसी एएनआई के ट्वीट के मुताबिक अनुपम खेर ने व्यस्तता का हवाला देते हुए यह फैसला लिया है। उन्होंने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मैंने खुद का एक एक्टिंग स्कूल लॉन्च करने का फैसला किया है। इसलिए मैंने सोचा कि संस्थान के अध्यक्ष के रूप में बने रहना अनैतिक और अनुचित होगा। इसलिए मैंने नैतिक आधार पर अपना इस्तीफा दे दिया है। यदि उनके नए स्कूल की बात करें तो इसे 2 फरवरी को लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूल अभिनय में तीन महीने का कोर्स करवाएगा। उन्होंने आगे यह भी बताया कि यहां तैराकी और घुड़सवारी जेसा शिक्षण नहीं मिलने वाला है क्योंकि मुझे नहीं लगता कि इसमें अभिनय सीखने जैसा कुछ है। मैं सुनिश्चित करता हूं कि हमारे स्कूल का प्रयास होगा कि स्कूल अंतरराष्ट्रीय मानक की शिक्षा प्रदान करे। यहां पर आने वाले टीचर्स दुनिया भर के बेहतरीन शिक्षकों में से एक होंगे। सिजमें से भारतीय उद्योग के दिग्गजों को भी शामिल किया जाएगा।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को लिखे इस्तीफे में अनुपम खेर ने बताया है कि इस वजह से उन्हें 2018 से 2019 के दौरान 9 महीने अमेरिका में रहना पड़ेगा। ऐसे में वह इस्तीफा दे रहे हैं। इसके बाद अनुपम खेर ने यह जिम्मा संभाला था। पिछले दिनों अनुपम खेर ने अपनी आने वाली फिल्म ‘द ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ की शूटिंग भी पूरी की है। यह फिल्म मनमोहन सिंह के मीडिया अडवाइजर संजय बारू की किताब पर आधारित है। फिल्म की शूटिंग खत्म करने के बाद पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर अनुपम खेर के बयान ने काफी सुर्खियां बंटोरी थीं। खेर ने कहा था कि इतिहास कांग्रेस नेता को गलत नहीं समझेगा। बता दें कि अनुपम खेर ने अक्टूबर, 2017 को एफटीआईआई चेयरमैन का कार्यभार संभाला था। उनसे पहले गजेंद्र चौहान का कार्यकाल विवादित रहा था। अनुपम खेर ने अपने पत्र में लिखा है कि एक इंटरनैशनल टीवी शो के लिए उन्हें 6 महीने के लिए अमेरिका में रहना था। बाद में इस शो को 4 महीने का कार्यकाल विस्तार दे दिया गया।