Thursday, August 14, 2025
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चारधाम यात्रा के दौरान करें माँ धारी देवी के दर्शन

कोलकाता । वर्ष 2023 की चार धाम यात्रा का भव्य शुभारंभ अप्रैल में हो रहा है । पिछले वर्ष की तरह सुगम यात्रा इस वर्ष हो इसके लिए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने पूरी तैयारी कर ली है।

चार धाम यात्रा मार्गों में सुरम्य वादियों के बीच अनेक धार्मिक स्थल हैं जहाँ प्रकृति के साथ दैवीय दिव्यता की अनुपम अनुभूति प्राप्त होती है । इन्ही धार्मिक स्थलों में से एक है माँ धारी देवी का मंदिर । माँ धारी देवी का यह पवित्र मंदिर बद्रीनाथ सड़क मार्ग पर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है । 600 वर्ष प्राचीन यह मंदिर श्रीमद देवी भागवत के अनुसार 108 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में धारी माता की मूर्ति बाढ़ से बह गई थी और धारी गांव के पास चट्टानों के बीच फंस गई थी। ऐसा माना जाता है कि धारी माता एक ग्रामीण के सपने में आयीं और उसे आदेश दिया कि वह उनकी मूर्ति को नदी से बाहर ले आए और मूर्ति को वहीं स्थापित कर दे जहां वह मिली थी और उसे खुले आसमान के नीचे रखा जाना चाहिए। इस प्रकार, मंदिर को धारी देवी मंदिर के रूप में जाना जाता है। यहाँ पुजारियों की मानें तो मंदिर में मां धारी की प्रतिमा द्वापर युग से ही स्थापित है। उनके अनुसार, देवी का रूप समय के साथ बदलता है, जिसे देखकर लोग हैरान हो जाते हैं। वास्तव में मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है। धारी माता को उत्तराखंड में चार धाम की संरक्षक और रक्षक के रूप में भी माना जाता है। मंदिर में मूर्ति देवी धारी देवी का ऊपरी आधा हिस्सा है और निचला आधा कालीमठ में स्थित है जहां उन्हें काली अवतार के रूप में पूजा जाता है।

वर्ष 2013 में अलकनंदा पावर प्लांट निर्माण के दौरान जून के महीने में देवी की मूर्ति को मूल स्थान से हटाकर हटाकर अलकनंदा नदी से लगभग 611 मीटर की ऊंचाई पर कंक्रीट के चबूतरे पर स्थानांतरित कर दिया गया था जिसके फलस्वरूप क्षेत्र को उस वर्ष भयंकर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा था। बादलों के फटने के कारण उत्पन्न बाढ़ और भूस्खलन ने पूरे शहर व राज्य को क्षति पहुँचाई जिससे सैकड़ों लोग मारे गए थे। भक्तों और स्थानीय लोगों का मानना ​​था कि यह हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए रास्ता बनाने के लिए मूर्ति को उसके ‘मूल स्थान’ से स्थानांतरित करने के कारण हुआ था। स्थिति को भाँपते हुए , मंदिर प्रशासन द्वारा पिछले माह मंदिर के स्तंभ को उठाकर मूल गर्भगृह को ऊँचा उठाकर मूर्ति को वापस से पुजारियों द्वारा विधिवत स्थापित किया गया है।

श्रद्धालु माँ धारी देवी के दर्शन हेतु सालों भर आते हैं, परंतु नवरात्रि के दौरान यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। चार धाम यात्रा के क्रम में श्रद्धालु चार धाम की संरक्षक और रक्षक माँ धारी देवी के दर्शन कर पुण्य का लाभ कमा सकते हैं और उनके समक्ष अपनी मनोवांछित इच्छा प्रकट कर उसे फलीभूत कर सकते हैं।

चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालु पूरे यात्रा मार्गों में ऐसे ही अनेक पवित्र एवं अतिमहत्वपूर्ण धर्मस्थलों के दर्शन कर सकते हैं। इस वर्ष की चार धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं के पंजीकरण अनिवार्य रूप से किए जा रहे हैं। 21 फरवरी से अब तक 10 लाख से अधिक श्रद्धालु पंजीकृत किए जा चुके हैं। इस बार सुगम व सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के क्रम में केवल पंजीकृत श्रद्धालुओं को ही धामों के दर्शन के लिए टोकन प्रदान किया जाएगा जिसके लिए केवल पंजीकृत श्रद्धालुओं को ही आगे की यात्रा जारी करने की अनुमति दी जाएगी, जिसके लिए विभिन्न धामों के दर्शन हेतु उनका सत्यापन किया जाएगा। केदारनाथ धाम के पंजीकृत श्रद्धालुओं के पंजीकरण का सत्यापन सोनप्रयाग में और बद्रीनाथ के पंजीकृत श्रद्धालुओं के पंजीकरण का सत्यापन पांडुकेश्वर में किया जाएगा। वहीं गंगोत्री व यमुनोत्री के लिए श्रद्धालुओं का सत्यापन क्रमशः हिना व बड़कोट में होगा। सत्यापन के पश्चात इन पंजीकृत श्रद्धालुओं को दर्शन हेतु टोकन प्रदान किया जाएगा जिनमें केदारनाथ, बद्रीनाथ व गंगोत्री के श्रद्धालु इन्हीं धामों से टोकन प्राप्त कर पाएँगे, वहीं यमुनोत्री के श्रद्धालुओं को टोकन जानकीचट्टी में दिया जाएगा।

भवानीपुर कॉलेज के एनसीसी बैच का विदाई अभिनंदन समारोह संपन्न

कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के एनसीसी के बैच की विदाई समारोह का आयोजन कॉलेज के जुबली सभागार में आयोजित किया गया। विदाई- खट्टी-मीठी यादें समेटे एक शब्द है जो हमें स्मृतियों में घेरे रखता है। 23 मार्च, 2023 को बीईएससी एनसीसी कलेक्टिव द्वारा विदाई अभिनंदन का आयोजन किया गया जिसमें रैंक समारोह, 2020 के बीईएससी एनसीसी बैच को विदाई दी गई और उच्च कैडट को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में थल सेना और एयर विंग के अचीवर्स के साथ-साथ एयर विंग के योग्य कैडेटों को भी पदोन्नति दी गई।
इसमें वन बी एयर स्क्वाड्रन एनसीसी के कमांडिंग ऑफिसर के साथ पी. आई. स्टाफ भी शामिल रहा। इस कार्यक्रम
में तीनों विंगों – जल, वायु और थल के साथ यह प्रथम बीईएससी एनसीसी कार्यक्रम है जिसमें नौसैनिक भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत छात्र मामलों के सम्मानित डीन, प्रोफेसर दिलीप शाह ने अपने प्रेरक शब्दों के साथ सभा को संबोधित करते हुए एक ओजस्वी वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रथम वर्ष के एनसीसी के कैडेट की नृत्य प्रस्तुति के साथ हुआ। इसके बाद सीनियर कैडट की भावी यात्रा के लिए भावनात्मक शुभकामनाएंँ दी गईं ,
एनसीसी आर्मी विंग के कैडेट प्रिंस मिश्रा ने स्वरचित रचना का सस्वर पाठ किया। साथ ही छोटी-छोटी ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति साझा की गई, जिसमें पुराने एनसीसी बैच के कार्यकलापों और गतिविधियों को दिखाया गया।
पिछले वर्ष के उच्च उपलब्धियाँ हासिल करने वालों को आमंत्रित किया गया। गणतंत्र दिवस शिविर, नई दिल्ली, 2023 और अखिल भारतीय वायु सैनिक शिविर, जोधपुर, 2022 के सबसे प्रतिष्ठित यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम, बांग्लादेश, 2022। जेयूओ शुभदीप के माता-पिता
साहा चौधरी, बांग्लादेश में वीआईपी राजदूत, 2022 और सीयूओ इफ्फत शाहिद,आरडीसी ’23, थे जिन्हें आमंत्रित किया और उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण को स्वीकार करते हुए सम्मानित किया गया। सीडब्ल्यूओ स्नेहा सेठिया ने बेस्ट एसडब्ल्यू और जेयूओ दीपक कुमार तिवारी ने जीता सर्वश्रेष्ठ एसडी पुरस्कार , जूनियर्स, सीनियर्स और मेहमानों के लिए समान रूप से गर्व का क्षण था। इसके बाद सांचों का वितरण, कुछ गुणवत्ता के आधार पर वरिष्ठ कैडेटों को उपाधि प्रदान की गई।
अभिनंदन के अंत में, प्रथम और द्वितीय वर्ष के कैडेटों द्वारा समूह प्रदर्शन किया और द्वितीय वर्ष के कैडेटों द्वारा एक नृत्य प्रस्तुति किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ कैडेटों ने कैटवॉक किया, मिस्टर और मिस बीईएससी की उपाधि दी गई। बाद में, हास्य प्रतिस्पर्धा में जेयूओ शिवांश सोमवंशी और सीडीटी अंकित कुमार को प्रदान किया गया एवं छह एयर विंग कैडेटों को नए कार्यालयों में पदोन्नत किया गया। एनसीसी के बैनर को हमेशा के लिए ऊंचा करने की एकमात्र आशा के साथ जिम्मेदारियां दी गईं जिनमें आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए सामूहिक प्रमुख में
सी/एसजीटी रोहन सिंह चावला, सीयूओ इफ्फत शाहिद और एलसीपीएल आदित्य सिंह की घोषणा की गई।
स्वयं सीओ सर ने जीवन के नए अध्यायों में सफलता के लिए प्रयास करते रहने के लिए शुभकामनाएं दीं।कार्यक्रम की रिपोर्ट अरित्रिका दूबे ने दी और जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

 

लकीजी गुप्ता के वन मैन शो ‘मांँ मुझे टैगोर बना दे’ ने दर्शकों को किया भाव-विभोर 

भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज ने 29 मार्च, 2023 को जुबली हॉल में श्रीक ऑफ साइलेंस के सहयोग से ‘मांँ मुझे टैगोर बना दे’ नाटक का आयोजन किया। नाटक का प्रदर्शन कश्मीर के एक यात्रा कलाकार लकीजी गुप्ता ने किया था। पूरे भारत में इस नाटक के 1100 से अधिक प्रदर्शन हुए हैं। शो की शुरुआत श्रीक ऑफ साइलेंस के संस्थापक और प्रबंध निदेशक सुप्रोवो टैगोर के परिचयात्मक भाषण से हुई। प्रख्यात कला समीक्षक शो में मौजूद अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों में, प्रो सामिक बंधोपाध्याय और थिएटर प्रैक्टिशनर, निवेदिता भट्टाचार्य भी शामिल थीं। यह नाटक एक बच्चे की स्कूल के वर्षों की यात्रा में कविता और कला के प्रति उसके प्रेम की खोज करता है। यह बड़े पैमाने पर सामाजिक विषयों जैसे कि पालन-पोषण, वर्ग विभाजन, समाज को आकार देने में कला के महत्व और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अपने परिवार और जुनून दोनों के लिए प्यार के बारे में बात करता है। केवल एक व्यक्ति के लिए दर्शकों का ध्यान लंबे समय तक बनाए रखना बहुत मुश्किल है लेकिन लकीजी ने अपनी सुंदर कहानी कहने की तकनीक से सभी का ध्यान आकर्षित किया। अपने प्रदर्शन के माध्यम से उन्होंने नवरस की सभी नौ भावनाओं पर टैप किया है। उन्होंने अपने वन मैन शो के माध्यम से अपने दर्शकों को हंँसाया, हैरान, शर्मिंदा, खुश, निराश और उदास किया।
प्रदर्शन के अंत तक कलाकार ने सभागार में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति को अपने अभिनय से बांँधा रहा। सभी दर्शकों का मन खुशी के आँसुओं से भर उठा था। कार्यक्रम में 150 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। प्रदर्शन के अंत में डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स, प्रो. दिलीप शाह, और श्रीक ऑफ साइलेंस की क्रिएटिव डायरेक्टर श्रीमती ऋत्विका चौधरी ने लकीजी गुप्ता को सम्मानित करने के लिए मंच पर बुलाया गया और धन्यवाद प्रस्ताव के साथ शो का समापन किया गया।रिपोर्ट किया कृपा सहल बीए (एच) जेएमसी द्वितीय वर्ष के छात्र ने और सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

चौथे शी आइवा अवार्ड्स में सम्मानित हुई महिलाएं

कोलकाता । शगुफ्ता हनाफी इवेन्ट्स (शी) द्वारा हाल ही में अलग – अलग क्षेत्रों की महिला हस्तियों को सम्मानित किया गया । शी द्वारा आयोजित चौथे शी आइवा अवार्ड्स में 15 महिला अचीवर्स सम्मानित की गयीं । सम्मानित होने वाली महिलाओं में कांथा संरक्षक फैशन डिजाइनर शामलू दडेजा, राजनेता अग्निमित्रा पाल, डॉ. आफरीन शब्बीर, आत्मन परमार, श्रुति मोहता, नीता बाजोरिया, सुनीता लाहिड़ी, मनीषा टिबरेवाल, आर. राजेश्वरी अय्यर, पूनम सिंह समेत 15 महिलाएं शामिल थीं । श्री शिक्षायतन के भुवालका ऑडिटोरियम में आयोजित इस सम्मान समारोह में अतिथि के रूप में कोलकाता में चीन के डिप्टी कौंसुलेट जनरल किन यंग, श्री शिक्षायतन फाउंडेशन की सेक्रेट्री जनरल ब्रतती भट्टाचार्य, धन्वन्तरी के प्रबन्ध निदेशक राजेन्द्र खण्डेलवाल समेत अन्य गण्यमान्य अतिथि उपस्थित थे । निर्णायकों में शिक्षाविद् जयता बसु, बी डी मेमोरियल की निदेशक सुमन सूद, एम पी बिड़ला फाउंडेशन एच एस स्कूल के सीईओ एस. के. सिंह शामिल थे । शी की संस्थापक शगुफ्ता हनाफी ने बताया की कि इस वर्ष 15 महिलाओं को सम्मानित किया गया और इसके लिए सैकड़ों नामांकन प्राप्त हुए ।

भारत जैन महामंडल लेडीज विंग ने मनायी महावीर जयंती

कोलकाता । महावीर जन्म कल्याणक दिवस पर भारत जैन महामंडल लेडिज विंग कोलकाता शाखा द्वारा जैन मंदिर, भवानीपुर में 25 किलो लड्डू वितरण किया गया। सभी बहनों को नाश्ता डब्बे भी प्रदान किए गए। भगवान महावीर के
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महावीर जयंती बहुत ही विशेष दिन माना जाता है। भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए मनुष्यों के लिए पांच नियम स्थापित किए जिन्हें हम पंच सिद्धांत के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान महावीर की पूजा-अर्चना की जाती है और उनके दिए गए उपदेशों को स्मरण करके उनके बताए गए सिद्धांतों पर चलने का प्रयास किया जाता है। इस अवसर पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भगवान महावीर की जयंती पर लोग भगवान महावीर की पूजा करते हैं और गरीबों को खाने का समान‌ वितरण करते हैं । विशेष सलाहकार पदाधिकारीगण सरोज भंसाली, अंजू सेठिया अध्यक्ष चंदा गोलछा, उपाध्यक्ष कल्पना गोलछा, कोषाध्यक्ष अंजू बैद और भारत जैन महामंडल लेडीज विंग की सदस्य बहनें सरिता बैद,सीमा बैद, कांता चोरड़िया, नेहा रामपुरिया, मंजु पारख, सज्जन भंसाली , कांता जैन,शशि सेठिया, पिंकी मणोत,राज कोठारी, प्रेम बरडिया,अनु बोहरा, ममता पींचा,अमराव रामपुरिया, बबीता छाजेड़, बबीता सांड, सुनीता जैन,सुमन फुलफगर, कविता दुगड़ विनीता बोहरा आदि। यह जानकारी भारत जैन महामंडल लेडिज विंग की विशेष सलाहकार पदाधिकारी अंजू सेठिया ने दी।

टीईई सूची में शामिल हुई मिर्जापुर की हाथ से बनी कालीन

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में हाथ से बुनी जाने वाली कालीन को टीईई की सूची में शामिल किया गया है। नई विदेश व्यापार नीति 2023 के तहत सरकार ने चार नए निर्यात उत्कृष्टता शहरों की घोषणा की है। मिर्जापुर की हाथ से बुनी जाने वाली कालीन व दरी के अलावा फ़रीदाबाद के परिधान, मुरादाबाद जिले की हस्तशिल्प व वाराणसी के हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पाद को शामिल किया गया है। इस सूची में शामिल में शामिल किए जाने के बाद सरकार के द्वारा उद्योग को बढ़ावा देने को लेकर प्रयास किया जाएगा।
उद्योग को मिलेगी रफ्तार, विदेशों में बजेगा डंका
सरकार के द्वारा नई विदेश व्यापार नीति के तहत टाउन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सिलेंस घोषित किया गया है। 39 मौजूदा शहरों की सूची में मिर्जापुर जिले की हस्तनिर्मित कालीन और दरी को शामिल किया गया है। मिर्ज़ापुर के अलावा तीन और शहरों के उत्पादों को भी जगह मिली है। मिर्जापुर जिले की हस्तनिर्मित कालीन और दरी को शामिल किये जाने के बाद इस उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इस सूची में शामिल किए जाने के बाद मिर्जापुर की निर्मित हस्तकालीन विदेशों में पहुंचेगा, जहां हस्तनिर्मित कालीन का डंका दुनियाभर में बजेगा।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि टीईई स्कीम में मिर्जापुर जिले की कालीन व दरी को शामिल किए जाने के बाद उद्योग को नए बाजार मिलेंगे। जिले में उद्योग स्थापित करने वाली औद्योगिक इकाइयों की विश्वनीयता अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी। उद्योग को बढ़ावा देने के लिये बुनियादी संसाधन भी आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे। मिर्जापुर जिले में निवेश को लेकर अपार संभावनाएं है। ऐसे में स्थानीय उद्योग को बढ़ावा मिले, इसको लेकर सार्थक कदम उठाये जा रहे है।
उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार देगी प्रोत्साहन
टीईई सूची में शामिल किए जाने के बाद सरकार के द्वारा उद्योग को बढ़ावा देने के लिये सहायता दी जाएगी। सरकार उद्योग को प्राथमिकता के आधार पर बाजार उपलब्ध कराने, निर्माण व औद्योगिक सेवाओं के लिये निर्यात प्रोत्साहन परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता की व्यवस्था करेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली व्यापार प्रदर्शनियों एवं मेले में भाग लेने के लिए मदद करने के साथ वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
निर्यात के आधार पर दी जाती है टीईई मान्यता
टीईई ऐसे औद्योगिक समूह होते है। जिन्हें निर्यात के आधार पर सरकार मान्यता देती है। मान्यता प्रदान किये जाने के बाद सम्बंधित शहर के कारोबारियों को आर्थिक विकास हेतु प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। औद्योगिक समूहों की क्षमता का अधिकतम उपयोग करने के साथ साथ मूल्य श्रृंखला और नवीन बाजारों का विकास करने के उद्देश्य से सरकार मान्यता देती है।

14 साल की उम्र में बना उद्यमी, 22 साल का यह युवा आज है करोड़पति!

नयी दिल्ली । जिस उम्र में बच्‍चे स्‍कूल में पहाड़े रट रहे होते हैं एक लड़के ने उसमें कंपनी की नींव डाल दी थी। बात सिर्फ इतनी थी कि उसका स्‍कूल घर से काफी दूर था। साइकिल चलाकर स्‍कूल जाना उसे थका देता था। फिर उसने रास्‍ता तलाशना शुरू किया। रास्‍ता तलाशते-तलाशते एक दिन उसने साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदलने का फॉर्मूला ढूंढ लिया। यहीं से उसकी जिंदगी बदल गई। वह ऑटोमोबाइल कंपनी की नींव रखने वाला दुनिया का सबसे युवा उद्यमी बन गया। सिर्फ 14 साल की उम्र में उसने अपनी ऑटोमोबाइल कंपनी शुरू कर दी। 17 साल की उम्र में उसे इंपोर्ट-एक्‍सपोर्ट लाइसेंस मिल गया। इसके पहले भारत में इतनी कम उम्र में किसी को यह लाइसेंस नहीं मिला था। आज 22 साल के इस युवा के देश-दुनिया में शोरूम हैं। इस नौजवान का नाम है राज मेहता । इस युवा उद्यमी की सफलता की शोहरत चेहरे पर दिखाई देती है।
राज मेहता गुजरात में महिसागर के रहने वाले हैं। बचपन से राज जिज्ञासु स्‍वभाव के थे। वह खिलौनों को खोल-खालकर दोबारा उन्‍हें वैसा ही कर देते थे। बस, इच्‍छा यह जानने की रहती थी कि अंदर क्‍या है। पढ़ाई में अच्‍छा होने के बावजूद उनकी स्‍कूल में अटेंडेंस कम रहती थी। महिसागर छोटी जगह थी। सुविधाएं सीमित थीं। लिहाजा, 2013 में वह अपनी चाची के घर अहमदाबाद में रहने लगे। घर से स्‍कूल करीब 10 से 15 किमी दूर था। उन्‍हें रोज साइकिल से इतनी दूर जाना बहुत अखरता था। फिर उन्‍होंने इसका रास्‍ता खोजना शुरू किया।
इलेक्‍ट्र‍िक साइक‍िल बनाने की धुन हुई सवार
एक दिन वह अपने फिजिक्‍स के टीचर के पास गए और पूछा कि कैसे वह अपनी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदल सकते हैं। टीचर ने तरीका तो समझा दिया लेकिन यह काफी नहीं था। उस तरीके को अमल में लाने के लिए न तो उनके पास पैसे थे न संसाधन। फिर भी उन्‍होंने उस दिशा में बढ़ने का फैसला किया। जुनून उनमें मौजूद था। उन्‍होंने पूरे तरीके को और कई माध्‍यमों से समझा। फिर टेक्‍निकल पार्टों के साथ प्रयोग करना शुरू किया। और ज्‍यादा एक्‍सपेरिमेंट के लिए वह कबाड़ी वालों से कार के चुराए पार्ट्स भी ले आए। इस समय तक वह अपनी बचत का करीब 40 से 45 हजार रुपये इसमें लगा चुके थे। प्रयोग करते-करते उन्‍हें कुछ जरूरी इलेक्ट्रिक कंपोनेंट के बारे में पता चला जिन्‍हें कोरिया से इंपोर्ट करने की जरूरत थी। उन्‍होंने इसके लिए पिता से पैसे मांगे। लेकिन, उन्‍होंने ऐसा करने से मना कर दिया।
कभी मशीन बनाने के ल‍िए स‍िर्फ 4 घंटे सोए
पैसे की जुगत में राज मेहता ने छोटे-मोटे काम भी किए। लेकिन, इससे पैसों का बंदोबस्‍त नहीं हो पाया। आखिरी में उन्‍हें अपने दादा की शरण में जाना पड़ा। उनके दादा गांव वालों को कर्ज पर पैसा देते थे। उनकी ज्‍वैलरी शॉप भी थी। दादा ने इस शर्त के साथ पैसे दिए कि पोता उन्‍हें एक-एक पैसे का हिसाब देगा। राज इसके लिए तैयार हो गए। इन पैसों से कोरिया से उनका कंसाइनमेंट आ गया। ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्मों के जरिये राज ने प्रयोग जारी रखे। वह सिर्फ 4 घंटे सोते और बाकी समय मशीन को बनाने में लगे रहते। अंत में उन्‍होंने पैडल वाली साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदलने का प्रोटोटाइप बना लिया। उन्‍होंने सबसे पहले अपने पिता को इस साइकिल का टेस्‍ट करने को कहा।
साइकिल लेकर निकले पिता करीब आधे घंटे बाद मुस्‍कुराते हुए लौटे। राज को पता चल गया था कि उनका प्रयोग सफल हो चुका है। यानी उन्‍हें अपनी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदलने की तरकीब हाथ लग चुकी थी। वह इस बात से खुश थे कि 2.5 किलो की मशीन 70 किलो के आदमी को सफलतापूर्वक लेकर चली गई और वापस ले आई। 14 साल की उम्र में उन्‍होंने राज इलेक्‍ट्रोमोटिव्‍ज नाम की कंपनी शुरू कर दी। यह कंपनी साइकिल ही नहीं रिक्‍शा और तिपहियों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने की किट उपलब्‍ध कराने लगी। किट की कीमत को उन्‍होंने किफायती रखा ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक यह पहुंच पाए।
द‍िन दोगुना रात चौगुना बढ़ा कारोबार
फिर राज मेहता का कारोबार दिन दोगुना रात चौगुना बढ़ने लगा। उन्‍होंने भारतीय ही नहीं, विदेशी कस्‍टमर्स को भी सेवाएं देनी शुरू कर दीं। उन्‍हें बहुत दिनों तक खुद नहीं पता था कि 14 साल की उम्र में ऑटोमोबाइल कंपनी की शुरुआत करके वह इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे युवा उद्यमी बन गए हैं। कम उम्र के कारण विदेश व्‍यापार महानिदेशालय में उन्‍हें लाइसेंस मिलने में भी दिक्‍कत आई। 20वें प्रयास में उनका आवेदन स्‍वीकार हुआ। इसके साथ ही मेहता भारत में 17 साल की उम्र में इंपोर्ट-एक्‍सपोर्ट लाइसेंस पाने वाले सबसे युवा व्‍यक्ति बन गए।
जून 2019 में राज मेहता ने अपनी कंपनी के तहत एक और ब्रांड की शुरुआत की। इसका नाम ‘ग्रेटा इलेक्ट्रिक स्‍कूटर्स’ है। यह कंपनी किफायती दामों में इलेक्ट्रिक स्‍कूटरों की पेशकश करती है। ग्रेटा के देशभर में कई शोरूम हैं। नेपाल में भी दो शोरूम हैं।

देश का इकलौता मंदिर जहां माता की गोद में बाल रूप में विराजमान हैं हनुमान 

बाल रूप में माता की गोद में बैठे दिखते हैं
रांची । पौराणिक मान्यताओं में यह सुस्थापित तथ्य है कि भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या है, लेकिन भगवान राम के अनन्य हनुमान की जन्मभूमि को लेकर अलग-अलग मान्यताएं और दावे हैं। इनमें से एक मान्यता है कि हनुमान का जन्मस्थल झारखंड के गुमला में स्थित आंजन पर्वत है। आंजन धाम के नाम से प्रसिद्ध इस पहाड़ी और वहां स्थित गुफा में माता अंजनी की गोद में विराजमान बाल हनुमान की पूजा-अर्चना के लिए रामनवमी पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। आम दिनों में भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस स्थल से जुड़ी मान्यताओं के जानकार आचार्य संतोष पाठक के मुताबिक, हनुमान भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार माने जाते हैं और उनका जन्म आंजन धाम में हुआ था। सनातन धर्मावलंबियों के व्यापक जनसमूह का विश्वास है कि झारखंड के गुमला जिला मुख्यालय से लगभग 21 किमी की दूरी पर स्थित आंजन पर्वत ही वह स्थान है, जहां माता अंजनी ने उन्हें जन्म दिया था। माता अंजनी के नाम से इस जगह का नाम आंजन धाम पड़ा। इसे आंजनेय के नाम से भी जाना जाता है।


बाल रूप में मां की गोद में बैठे हनुमान जी
यहां स्थित मंदिर पूरे भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान हनुमान बाल रूप में मां अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं। आंजन धाम के मुख्य पुजारी केदारनाथ पांडेय बताते हैं कि माता अंजनी भगवान शिव की परम भक्त थीं। वह हर दिन भगवान की विशेष पूजा अर्चना करती थीं। उनकी पूजा की विशेष विधि थी, वह वर्ष के 365 दिन अलग-अलग शिवलिंग की पूजा करती थीं। इसके प्रमाण अब भी यहां मिलते हैं। कुछ शिवलिंग व तालाब आज भी अपने मूल स्थान पर स्थित हैं।
जानिए अष्टशंभू के खासियत के बारे में
आंजन पहाड़ी पर स्थित चक्रधारी मंदिर में 8 शिवलिंग दो पंक्तियों में हैं। इसे अष्टशंभू कहा जाता है। शिवलिंग के ऊपर चक्र है। यह चक्र एक भारी पत्थर का बना हुआ है। केदारनाथ पांडेय के अनुसार रामायण में किष्किंधा कांड में भी आंजन पर्वत का उल्लेख है। आंजन पर्वत की गुफा में ही भगवान शिव की कृपा से कानों में पवन स्पर्श से माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया। आंजन से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर पालकोट बसा हुआ है। पालकोट में पंपा सरोवर है।
रामनवमी में यहां होती है बड़ी पूजा
रामायण में यह स्पष्ट उल्लेख है कि पंपा सरोवर के बगल का पहाड़ ऋषिमुख पर्वत है जहां पर कपिराज सुग्रीव के मंत्री के रूप में हनुमान रहते थे। इसी पर्वत पर सुग्रीव का श्री राम से मिलन हुआ था। यह पर्वत भी लोगों की आस्था का केंद्र है। चैत्र माह में रामनवमी से यहां विशेष पूजा अर्चना शुरू हो जाती है जो महावीर जयंती तक चलती है। यहां पूरे झारखंड समेत देश भर से लोग आते हैं। झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा आदि राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

63 प्रतिशत दिल्लीवालों की नींद नहीं होती पूरी

नयी दिल्ली । दिल्ली के 63 प्रतिशत लोग ऑफिस में काम करते हुए झपकी लेते हैं। उन्हें नींद आती रहती है। रात को अच्छी और पूरी नींद नहीं सो पाने की वजह से उन्हें दिन में काम के दौरान नींद आती है। एक सर्वे में इसका खुलासा हुआ है और लोगों ने खुद इसे स्वीकार किया है। डॉक्टर के अनुसार, 8 घंटे की नींद सबके लिए जरूरी है। वजह चाहे जो भी हो, अच्छी नींद न आने पर इसका असर शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर होता है। इसके लिए स्लीप हाइजीन को बेहतर करना जरूरी है।
सर्वे में नींद नहीं आने की वजह
88 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि रात में बेड पर मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं
38 प्रतिशत लोग अपने भविष्य की चिंता में नींद गंवाए बैठे हैं
33 प्रतिशत लोग इनसोमेनिया को इसकी वजह मानते हैं
45 परसेंट लोगों ने बेडरूम के वातावरण को वजह बताया है
है
64 प्रतिशत दिल्लीवाले 11 बजे के बाद बिस्तर पर जाते हैं
63 प्रतिशत दिल्लीवाले वर्किंग आवर यानी ऑफिस में झपकी लेते हैं
34 प्रतिशत लोगों ने इसकी वजह सोशल मीडिया के इस्तेमाल को बताया
29 प्रतिशत लोग सुबह सात से आठ बजे सोकर उठते हैं ।
विशेषज्ञों के मुताबिक 8 घंटे की नींद जरूरी है। ऐसी नींद नहीं, जिसमें किसी तरह का डिस्टर्बेंस न हो। अगर ऐसा नहीं होता है तो इससे मानसिक तनाव बढ़ता है और इसका असर पूरे शरीर पर होता है। उन्होंने कहा कि जिस वजह से नींद नहीं आती है, उस पर गौर करें, उसे दूर करने की जरूरत है। इसे स्लीप हाइजीन कहा जाता है। कोई बेड पर पड़ा रहता है, टीवी देखता रहता है, बेड पर मोबाइल स्क्रॉल करता रहता है, उन्हें इसकी वजह से नींद नहीं आती। उन्हें यह आदत सुधारनी होगी। बेडटाइम पर टीवी न देखें, बेड पर जाने से 45 मिनट पहले मोबाइल या किसी गैजट का इस्तेमाल न करें।
स्लीप हाइजीन कैसे बेहतर करें
रोजाना व्यायाम करें
सोते समय मोबाइल और टीवी न देखें
कैफीन का इस्तेमाल न करें, संभव हो तो दूध या ग्रीन टी पीएं
स्मोकिंग न करें, स्ट्रेस से बचें
बीच-बीच में ब्रेक लें
सोने से पहले किताब पढ़ें, ऑनलाइन नहीं, हार्ड कॉपी

डाकघरों में उपलब्ध हुआ महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र 

नयी दिल्ली । वित्त मंत्रालय ने महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र, 2023 के लिए राजपत्र अधिसूचना जारी की और इसे तत्काल प्रभाव से 1.59 लाख डाकघरों में उपलब्ध कराया गया है। इस योजना की घोषणा 2023-24 के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में की गई थी और यह लड़कियों सहित महिलाओं के वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

दो साल की अवधि की योजना लचीले निवेश और आंशिक निकासी के विकल्पों के साथ दो लाख रुपये की अधिकतम सीमा के साथ त्रैमासिक चक्रवृद्धि ब्याज 7.5 प्रतिशत का आकर्षक और निश्चित ब्याज प्रदान करती है। यह योजना 31 मार्च, 2025 तक दो साल की अवधि के लिए वैध है।

राष्ट्रीय बचत (मासिक आय खाता) योजना, 2019 को राष्ट्रीय बचत (मासिक आय खाता) (संशोधन) योजना, 2023 के माध्यम से संशोधित किया गया है और 1 अप्रैल, 2023 से एक खाते के लिए अधिकतम निवेश सीमा चार लाख पचास हजार रुपये से बढ़ाकर नौ लाख रुपये और संयुक्त खाते के लिए नौ लाख रुपये से 15 लाख रुपयेकर दी गई है। इसी तरह, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, 2019 को वरिष्ठ नागरिक बचत (संशोधन) योजना, 2023 के माध्यम से संशोधित किया गया है और अधिकतम निवेश सीमा आज से प्रभावी 15 लाख से बढ़ाकर 30 लाख रुपये की गई है।

बचत जमा और पीपीएफ को छोड़कर सभी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को भी 1 अप्रैल, 2023 से बढ़ाते हुए संशोधित किया गया है। इन उपायों से डाकघर के लघु बचत ग्राहकों को अत्यधिक लाभ होगा और डाकघरों के माध्यम से विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में और लड़कियों, महिलाओं, किसानों, कारीगरों, वरिष्ठ नागरिकों, कारखाने के श्रमिकों, सरकारी कर्मचारियों, छोटे व्यापारियों और समाज के अन्य वर्गों में इन योजनाओं में अधिक निवेश आकर्षित होगा। छोटी बचत योजनाओं में किए गए निवेश पर उन्हें बेहतर रिटर्न मिलेगा। अधिक जानकारी के लिए कृपया www.indiapost.gov.in देखें।

यूपीआई लेनदेन का नया रिकॉर्ड, मार्च में 14 लाख करोड़ के पार

नयी दिल्ली । वित्त वर्ष 2023 के आखिरी महीने यानी मार्च में यूपीआई लेन-देन ने भी नया रिकॉर्ड बना दिया। यूपीआई से हुआ लेन-देन 14 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर पहुंच गया।
इस दौरान यूपीआई सौदों की संख्या भी 865 करोड़ के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई। फरवरी महीने के मुकाबले में यूपीआई लेन-देन 13 फीसदी और सौदों की संख्या 18 फीसदी बढ़ी है। अगर पिछले साल मार्च की बात करें तो उसकी तुलना में इस बार सौदों की संख्या 60 फीसदी और मूल्य के मामले में 45 फीसदी तेजी आई है।
जनवरी की तुलना में फरवरी में गिरावट
अधिकारियों का कहना है कि वित्त वर्ष का आखिरी महीना होने के नाते यह तेजी देखने को मिली है। सभी तरह के डिजिटल सौदे अपने चरम पर पहुंच गए। देखा जाए तो जनवरी की तुलना में फरवरी में इसमें गिरावट आई थी। जनवरी में सौदों की संख्या 8 अरब थी जो फरवरी में घटकर 7.5 अरब पर आ गई थी। मूल्य के हिसाब से देखा जाए तो जनवरी में यूपीआई सौदों का कुल मूल्य 12.9 लाख करोड़ से घटकर फरवरी में 12.3 लाख करोड़ पर आ गया था।
क्या होता है यूपीआई सौदा
पारम्परिक रूप से यूपीआई सौदे बैंक खाते से जोड़कर किए जाते हैं। इस तरह से किए जाने वाल सौदों की संख्या 99.9 फीसदी होती है। एनपीसीआई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिलीप अस्बे के मुताबिक यूपीआई मंच के पास रोजाना एक अरब सौदों को प्रोसेस की करने की क्षमता है। वर्तमान में औसतन तीन करोड़ सौदे रोजाना किए जा रहे हैं। हाल ही में आरबीआई में रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ने और प्रीपेड भुगतान माध्यमों से भुगतान करने की इजाजत दी है जिसकी वजह से यूपीआई सौदों में तेजी दर्ज हुई है।