14 साल की उम्र में बना उद्यमी, 22 साल का यह युवा आज है करोड़पति!

नयी दिल्ली । जिस उम्र में बच्‍चे स्‍कूल में पहाड़े रट रहे होते हैं एक लड़के ने उसमें कंपनी की नींव डाल दी थी। बात सिर्फ इतनी थी कि उसका स्‍कूल घर से काफी दूर था। साइकिल चलाकर स्‍कूल जाना उसे थका देता था। फिर उसने रास्‍ता तलाशना शुरू किया। रास्‍ता तलाशते-तलाशते एक दिन उसने साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदलने का फॉर्मूला ढूंढ लिया। यहीं से उसकी जिंदगी बदल गई। वह ऑटोमोबाइल कंपनी की नींव रखने वाला दुनिया का सबसे युवा उद्यमी बन गया। सिर्फ 14 साल की उम्र में उसने अपनी ऑटोमोबाइल कंपनी शुरू कर दी। 17 साल की उम्र में उसे इंपोर्ट-एक्‍सपोर्ट लाइसेंस मिल गया। इसके पहले भारत में इतनी कम उम्र में किसी को यह लाइसेंस नहीं मिला था। आज 22 साल के इस युवा के देश-दुनिया में शोरूम हैं। इस नौजवान का नाम है राज मेहता । इस युवा उद्यमी की सफलता की शोहरत चेहरे पर दिखाई देती है।
राज मेहता गुजरात में महिसागर के रहने वाले हैं। बचपन से राज जिज्ञासु स्‍वभाव के थे। वह खिलौनों को खोल-खालकर दोबारा उन्‍हें वैसा ही कर देते थे। बस, इच्‍छा यह जानने की रहती थी कि अंदर क्‍या है। पढ़ाई में अच्‍छा होने के बावजूद उनकी स्‍कूल में अटेंडेंस कम रहती थी। महिसागर छोटी जगह थी। सुविधाएं सीमित थीं। लिहाजा, 2013 में वह अपनी चाची के घर अहमदाबाद में रहने लगे। घर से स्‍कूल करीब 10 से 15 किमी दूर था। उन्‍हें रोज साइकिल से इतनी दूर जाना बहुत अखरता था। फिर उन्‍होंने इसका रास्‍ता खोजना शुरू किया।
इलेक्‍ट्र‍िक साइक‍िल बनाने की धुन हुई सवार
एक दिन वह अपने फिजिक्‍स के टीचर के पास गए और पूछा कि कैसे वह अपनी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदल सकते हैं। टीचर ने तरीका तो समझा दिया लेकिन यह काफी नहीं था। उस तरीके को अमल में लाने के लिए न तो उनके पास पैसे थे न संसाधन। फिर भी उन्‍होंने उस दिशा में बढ़ने का फैसला किया। जुनून उनमें मौजूद था। उन्‍होंने पूरे तरीके को और कई माध्‍यमों से समझा। फिर टेक्‍निकल पार्टों के साथ प्रयोग करना शुरू किया। और ज्‍यादा एक्‍सपेरिमेंट के लिए वह कबाड़ी वालों से कार के चुराए पार्ट्स भी ले आए। इस समय तक वह अपनी बचत का करीब 40 से 45 हजार रुपये इसमें लगा चुके थे। प्रयोग करते-करते उन्‍हें कुछ जरूरी इलेक्ट्रिक कंपोनेंट के बारे में पता चला जिन्‍हें कोरिया से इंपोर्ट करने की जरूरत थी। उन्‍होंने इसके लिए पिता से पैसे मांगे। लेकिन, उन्‍होंने ऐसा करने से मना कर दिया।
कभी मशीन बनाने के ल‍िए स‍िर्फ 4 घंटे सोए
पैसे की जुगत में राज मेहता ने छोटे-मोटे काम भी किए। लेकिन, इससे पैसों का बंदोबस्‍त नहीं हो पाया। आखिरी में उन्‍हें अपने दादा की शरण में जाना पड़ा। उनके दादा गांव वालों को कर्ज पर पैसा देते थे। उनकी ज्‍वैलरी शॉप भी थी। दादा ने इस शर्त के साथ पैसे दिए कि पोता उन्‍हें एक-एक पैसे का हिसाब देगा। राज इसके लिए तैयार हो गए। इन पैसों से कोरिया से उनका कंसाइनमेंट आ गया। ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्मों के जरिये राज ने प्रयोग जारी रखे। वह सिर्फ 4 घंटे सोते और बाकी समय मशीन को बनाने में लगे रहते। अंत में उन्‍होंने पैडल वाली साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदलने का प्रोटोटाइप बना लिया। उन्‍होंने सबसे पहले अपने पिता को इस साइकिल का टेस्‍ट करने को कहा।
साइकिल लेकर निकले पिता करीब आधे घंटे बाद मुस्‍कुराते हुए लौटे। राज को पता चल गया था कि उनका प्रयोग सफल हो चुका है। यानी उन्‍हें अपनी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदलने की तरकीब हाथ लग चुकी थी। वह इस बात से खुश थे कि 2.5 किलो की मशीन 70 किलो के आदमी को सफलतापूर्वक लेकर चली गई और वापस ले आई। 14 साल की उम्र में उन्‍होंने राज इलेक्‍ट्रोमोटिव्‍ज नाम की कंपनी शुरू कर दी। यह कंपनी साइकिल ही नहीं रिक्‍शा और तिपहियों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने की किट उपलब्‍ध कराने लगी। किट की कीमत को उन्‍होंने किफायती रखा ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक यह पहुंच पाए।
द‍िन दोगुना रात चौगुना बढ़ा कारोबार
फिर राज मेहता का कारोबार दिन दोगुना रात चौगुना बढ़ने लगा। उन्‍होंने भारतीय ही नहीं, विदेशी कस्‍टमर्स को भी सेवाएं देनी शुरू कर दीं। उन्‍हें बहुत दिनों तक खुद नहीं पता था कि 14 साल की उम्र में ऑटोमोबाइल कंपनी की शुरुआत करके वह इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे युवा उद्यमी बन गए हैं। कम उम्र के कारण विदेश व्‍यापार महानिदेशालय में उन्‍हें लाइसेंस मिलने में भी दिक्‍कत आई। 20वें प्रयास में उनका आवेदन स्‍वीकार हुआ। इसके साथ ही मेहता भारत में 17 साल की उम्र में इंपोर्ट-एक्‍सपोर्ट लाइसेंस पाने वाले सबसे युवा व्‍यक्ति बन गए।
जून 2019 में राज मेहता ने अपनी कंपनी के तहत एक और ब्रांड की शुरुआत की। इसका नाम ‘ग्रेटा इलेक्ट्रिक स्‍कूटर्स’ है। यह कंपनी किफायती दामों में इलेक्ट्रिक स्‍कूटरों की पेशकश करती है। ग्रेटा के देशभर में कई शोरूम हैं। नेपाल में भी दो शोरूम हैं।

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