Monday, September 15, 2025
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आईएनआईएफडी साल्टलेक प्लेटिनम सेंटर के रूप में सम्मानित

कोलकाता । आईएनआईएफडी साल्टलेक को प्लेटिनम सेंटर के रूप में सम्मानित किया गया है। साल दर साल 100 फीसदी जाॅब प्लेसमेंट, अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुकूल शिक्षा व्यवस्था हेतु यह सम्मान प्रदान किया गया । दुनियाभर में यहां के छात्रों को लंदन फैशन वीक,डेकोरेक्स इंटीरियर फेयर,न्यूयॉर्क फैशन वीक और लक्मे फैशन वीक में सीधे प्रवेश मिलता है। इसी कड़ी में आईएनआईएफडी साल्टलेक की ओर से 15 से 17 जून 2023 तक लगातार तीन दिनों तक कैंपस में ‘द एनुअल इंटीरियर डिजाइन एक्जीबिशन’इन्फ्यूसियो’23 का आयोजन किया गया। इस वर्ष आईएनआईएफडी ने ‘डायमेंशंन्स’की थीम के साथ प्रदर्शनी तैयार की है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि डायमेंशंन्स के बिना डिजाइन असंभव है,ऐसे में हमारे छात्रों ने अपने सभी प्रदर्शनों में तीनों के साथ-साथ चौथे आयाम का भी उपयोग किया। इस असर पर कुछ प्रसिद्ध ब्रांडों को यहां जर्नी थ्रू टाइम के अनुभव केंद्रों के रूप में दिखाया गया है। प्रदर्शनी का उद्घाटन महानगर कोलकाता में चीनी महावाणिज्यदूत, प्रख्यात डांसर आलोकानंद रॉय समेत अन्य गणमान्य लोगों द्वारा किया गया। प्रख्यात आर्किटेक्ट्स और डिजाइनर जैसे एआर.अयान सेन,आर.राजदीप सिन्हा, राजा सिन्हा, अजीत जैन और दुलाल पॉल ने आईएनआईएफडी साल्टलेक की शोभा बढ़ाई ताकि छात्रों के कार्यों का आकलन किया जा सके और उन्हें उनके मूल्यवान विचारों से अवगत कराया जा सके। इस अवसर पर डॉ. दीपांकर बनर्जी और डेकोफुर के आनंद गुप्ता समेत कई अन्य लोग उपस्थित रहे। आईएनआईएफडी के अनुसार डिजाइन के इस उत्सव के पीछे रेखांकित उद्देश्य तकनीकी सटीकता के साथ-साथ हमारे छात्रों में सौंदर्य बोध पैदा करना है। हमारे विशाल परिसर में पूरे प्रदर्शनी स्थल को हमारे वरिष्ठ छात्रों द्वारा डिजाइन और सजाया गया है,जिसमें गेट,कॉरिडोर,विभिन्न उपयोगिता क्षेत्र मंच आदि शामिल हैं। इन तीन दिनों में प्रदर्शनी को और अधिक रोचक बनाने के लिए, टॉक शो,सांस्कृतिक गतिविधियां,वाद-विवाद आदि आयोजित किया गया। भव्य प्रदर्शनी पुरस्कार समारोह के साथ समाप्त हुई। इसमें हर वर्ग के विद्यार्थियों ने उत्साह और उत्सुकता से भाग लिया।

रिटायर होने के बाद बना डाली 30,000 करोड़ की कंपनी

अमूमन लोग रिटायर होने के बाद अपनी बाकी जिंदगी आराम के साथ बिताना चाहते हैं। लेकिन वेंकटसामी जगन्नाथन जब यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के सीएमडी पद से रिटायर हुए तो उनका कुछ और ही प्लान था। सरकारी इंश्योरेंस कंपनी से रिटायर होने के बाद उन्होंने मई 2006 में देश की पहले स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी स्टार हेल्थ ऐंड अलायड इंश्योरेंस कंपनी की शुरुआत की। तब उनके 12 कर्मचारी चेन्नई में माधा चर्च रोड पर एक छोटे से कमरे में बैठकर काम करते थे। जगन्नाथन ने गत शनिवार को स्टार हेल्थ के नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन एवं डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया। आज इस कंपनी का मार्केट कैप करीब 30,100 करोड़ रुपये है। कंपनी के कर्मचारियों की संख्या करीब 14,000 पहुंच गई है। 78 साल की उम्र में जगन्नाथन एक नया वेंचर शुरू करने की तैयारी में हैं।

जगन्नाथन कहते हैं कि उन्होंने 12 लोगों के साथ किराये के एक मकान में स्टार हेल्थ की शुरुआत की थी। तब उस मकान का किराया 30,000 रुपये था। आज स्टार हेल्थ की वैल्यू 30,000 करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें दिवंगत इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला और उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला का भी भारी निवेश है। जगन्नाथन ने कहा, ‘मैंने 53 साल पहले इंश्योरेंस की दुनिया में कदम रखा था और पिछले साल रेकॉर्ड प्रॉफिट दिया। स्टार हेल्त का प्रॉफिट 2022-23 में सबसे ज्यादा रहा। इस दौरान कंपनी का प्रॉफिट 619 करोड़ रुपये रहा जबकि फाइनेंशियल ईयर 2022 में कंपनी को 1041 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।’

53 साल का कॅरियर
जगन्नाथन ने अपना करियर 1970 को हरक्यूलस इंश्योरेंस के साथ शुरू किया था। राष्ट्रीयकरण के दौरान वह यूनाइटेड के साथ प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर जुड़ गए और बाद में कंपनी के सीएमडी के पद तक पहुंचे। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को भी बुलंदियों पर पहुंचाने का श्रेय उनको जाता है। जब साल 2001 में उन्हें कंपनी की कमान मिली थी, तब कंपनी करीब 50 लाख रुपये के नुकसान में थी। अक्टूबर 2004 में जब जगन्नाथन रिटायर हुए तो यह 400 करोड़ रुपये से ज्यादा के मुनाफे में थी। सरकारी कंपनी से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने दुबई की कंपनी ईटीए ग्रुप के साथ स्टार हेल्थ की शुरुआत की।
वह कहते हैं, ‘इस कंपनी ने मैंने ए-टु-जेड सब कुछ शुरू किया। हमने हेल्थ सेगमेंट में प्रवेश किया, क्योंकि मध्यम आय वर्ग को वित्तीय सहायता की जरूरत है।’ उन्होंने पैसे बचाने के लिए टाइपराइटर खरीदने के बजाय उन्हें किराये पर लिया। शुरुआत में लोगों को उनके बिजनस के सफल होने पर संदेह था। लेकिन आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के हेल्थ प्रोग्राम्स ने इस धारणा को बदल दिया। इसके बाद लोगों ने स्टार हेल्थ में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी। आज पूरे देश में कंपनी के नेटवर्क में करीब 13,000 अस्पताल शामिल हैं। कंपनी की 2021-22 की रिपोर्ट के मुताबिक उसकी 26 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूदगी है। कंपनी का 29 फीसदी रेवेन्यू साउथ इंडिया से, 23 परसेंट पश्चिमी राज्यों से 30 परसेंट नॉर्थ इंडिया से और आठ परसेंट पूर्वी भारत से आता है।
उम्र बाधा नहीं
जगन्नाथन कहते हैं कि उम्र कभी भी काम के आड़े नहीं आनी चाहिए। अगर आप संकल्प के साथ काम करें तो सफलता आपके कदम चूमेगी। यह सबके लिए मेरा मैसेज है। मैंने हर कदम पर अपना बेस्ट देने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘मुझे ईटीए ग्रुप का पूरा साथ मिला। उन्होंने कंपनी में कैपिटल डाली। कोरोना के दौरान कंपनी की स्थिति ठीक नहीं रही। मैं उस दौरान कंपनी नहीं छोड़ना चाहता था। अब कंपनी की फाइनेंशियल पोजीशन स्ट्रॉन्ग हो गई है। हर शुरुआत का अंत होता है और हर अंत की शुरुआत होती है। मैं अगले दो महीने में कुछ नया करना चाहता हूं। यह किसी भी इंडस्ट्री में हो सकता है। यह मेरे दिल के काफी करीब है।’

सकारात्मक रहें, खुद को कमतर न समझें

खुद को कमतर आंकना आत्मविश्वास कम करता है और हम लक्ष्य से पीछे रह जाते हैं । वहीं सकारात्मक विचार एवं सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर आप अपनी क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं । आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए आत्म विश्वास का होना जरूरी है.और वह आप इस प्रकार बढ़ा सकते हैं –

नकारात्मक बातें न करें
खुद को लेकर नकारात्मक सोच से हम अपने आप को कम आंकते हैं । इससे निजी विकास बाधित होता है। जितना हो सके अपने अंदर की चीजों को सकारात्मक चीजों में बदलें. ऐसी बातों पर ध्यान दें, जिससे आपका आत्मविश्वास बढ़ता हो ।
असफलता से निराश न हों
हम असफल होने से डरते हैं और यही वजह है कि हम खुद को कम आंकते हैं। असफलता पर सोचने की बजाय आप उससे सीखने की क्षमता रखें। अपनी गलतियों को स्वीकार करें । आपसे क्या गलतियां हुई हैं और उसे कैसे ठीक करना है, इन बातों का विश्लेषण करते रहें.
सकारात्मक लोगों के साथ रहें
हमेशा सकारात्मक लोगों के साथ रहें । ऐसे लोगों को अपना दोस्त बनाएं, जो आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हों। उन लोगों के आसपास रहें, जिनसे आप कुछ सीख पाते हैं और जो हमेशा आपको प्रोत्साहित करते हैं।

छोटी सफलताओं को सेलिब्रेट करें
अपनी उपलब्धियों को स्वीकार करें और उनको सेलिब्रेट करें चाहे वे कितनी भी छोटी क्यों न लगें । अपनी उपलब्धियों को पहचानने से आत्मविश्वास बढ़ता है और सकारात्मक रहने में मदद मिलती है। इससे आपको अपनी क्षमताओं के बारे में पता चलता है।
कंफर्ट जोन से बाहर निकलें
अपने आप को हमेशा चुनौती देती रहें। कंफर्ट जोन में रहकर आपका विकास संभव नहीं है । आगे बढ़ने के लिए आपको अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना जरूरी होगा।

27 साल बाद भारत में होगी मिस वर्ल्ड सौन्दर्य प्रतियोगिता 2023

नयी दिल्ली । मिस वर्ल्ड 2023 ब्यूटी पेजेंट इवेंट का आयोजन इस बार इंडिया में होने वाला है. इंडिया में ये आयोजन 27 साल के लंबे अंतराल के बाद हो रहा है.।
इसकी जानकारी हाल ही में मिस वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन की चेयरपर्सन और सीईओ मिस जूलिया मॉर्ले ने दी है. इससे पहले ये कार्यक्रम साल 1996 में भारत में आयोजित किया गया था ।
इस प्रतियोगिता की जानकारी देते हुए जूलिया मॉर्ले ने बताया कि मुझे ये घोषित करते हुए बहुत खुशी हो रही हूं कि 71वां मिस वर्ल्ड का फिनाले इस बार भारत में होने जा रहा है. इंडिया से मेरा हमेशा से खास लगाव रहा है. 30 साल पहल जब में यहां आई थी तभी भारत में मेरे दिल में बस गया था.
वहीं साल 2022 में मिस वर्ल्ड की विजेता रही कैरोलीना बिएलावस्क ने इस बात पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ‘भारत खुली बाहों से इस समारोह का स्वागत करने के लिए तैयार है। ‘
बता दें कि इस प्रतियोगिता में 130 से ज्यादा देशों की प्रतिभागी शामिल होंगी. जो इसमें होने वाले कई पड़ावों से गुजरेंगी । वहीं प्रतियोगिता का अंतिम चरण इसी साल के आखिर में नवंबर या दिसंबर में किया जाएगा ।
भारत में अभी तक इस प्रतियोगिता को रीता फारिया, बॉलीवुड अबिनेत्रियों, ऐश्वर्या राय बच्चन, डायना हेडन, युक्ता मुखी, प्रियंका चोपड़ा और साल 2017 में मानुषी छिल्लर ने जीता है । मिस वर्ल्ड 2022 करोलिना बिलावस्का ने बीते दिन गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से मुलाकात की थी ।

किऊल नदी में खुदाई के दौरान मिली 2000 साल पुरानी मूर्ति

लखीसराय । चानन प्रखंड के रामपुर गांव में देर शाम किऊल नदी से बालू उठाव के दरम्यान प्राचीन कालीन एक बड़ी अष्टधातु की मूर्ति किऊल नदी से बरामद हुई है । इसके पूर्व में भी कई मूर्तियां किउल नदी, लाल पहाड़ी और काली पहाड़ी से प्राप्त हो चुकी हैं, जो कि पटना संग्रहालय और लखीसराय के संग्रहालय थाना में रखी हुई हैं । इस संबध में लखीसराय के जिला अधिकारी अमरेन्द्र कुमार ने जानकारी दी है।
अमरेंद्र कुमार ने कहा कि किउल नदी चानन में बालू उठाव के दरम्यान रामपुर गांव के समीप किऊल नदी में बीस फीट खुदाई की गई । बालू उठाव के दरम्यान एक मूर्ति बरामद हुई थी और विशेषज्ञों के अनुसार  कि दो हजार वर्ष पुरानी मूर्ति है.
“लोक देवी की मूर्ति बताई जाती है । ये मूर्ति दो हजार वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के बौद्ध धर्म के उपासकों द्वारा यहां लाई गई होगी । वहीं लखीसराय में संचालित म्यूजियम एक्सपर्ट का भी कहना है कि मथुरा की रेड स्टोन की मूर्ति है ।
लोगों से डीएम की अपील: प्रेस के माध्यम से जिला अधिकारी ने लखीसराय के लोगों से अपील भी की है. उन्होंने कहा कि अब भी कई स्थानों पर प्राचीनकालीन मूर्तियों को प्रशासन के हवाले नहीं किया गया है । किसी को भी कोई मूर्ति मिलती है तो तुरंत इसकी सूचना दें ताकि समय पर कार्य शुरू हो सके । मूर्ति वापस करने वाले दाता का नाम हम मूर्ति में अंकित करवाएंगे.
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मूर्तियों के मिलने की सूचना के बाद अपने देखरेख में यहां काम शुरू करवाया और लखीसराय के लाल पहाड़ी की खुदाई की शुरूआत की गई थी।  करीबन दो सौ से अधिक अष्टधातु मूर्तियां मिली और उसे पटना के संग्रहालय में रखा गया. कई मूर्ति लखीसराय संग्रहालय में भी रखी हुई हैं ।

अभिनेत्री पद्मिनी, जिन्होंने सात समन्दर पार खोली नृत्य अकादमी

हिंदी सिनेमा में कई ऐसी अभिनेत्रियाँ हुई हैं, जिन्होंने अपने अभिनय के अलावा नृत्य प्रतिभा से लोगों के दिलों पर राज किया। कुछ हीरोइनें ऐसी रहीं, जिनके हुनर का रंग पूरी दुनिया पर छा गया, और हर किसी ने उनका लोहा माना। ऐसी ही एक अभिनेत्री रहींपद्मिनी। पद्मिनी का पूरा नाम पद्मिनी रामचंद्रन था। भरतनाट्यम में पारंगत पद्मिनी जब डांस करती थीं, तो सभी देखते रह जाते थे। इनके वैजयंतीमाला के साथ राइवलरी के चर्चे खूब आम रहे थे। पद्मिनी की 12 जून को 9वीं जयंती होती है ।
पद्मिनी का जन्म 12 जून 1932 को तिरुवनंतपुरम में हुआ था। उनकी दो और बहनें थीं, ललिता और रागिनी। इन तीनों बहनों को ‘ट्रावनकोर सिस्टर्स’ कहा जाता था। पद्मिनी ने 16 साल की उम्र में एक्टिंग की दुनिया में कदम रखे थे। फिल्मों में आने के बाद पद्मिनी ने तमिल और तेलुगू से लेकर हिंदी, मलयालम, और यहां तक कि रूसी भाषा की फिल्मों में भी खूब काम किया था।
पद्मिनी ने अपने कॅरियर में राजकुमार, प्रेम नजीर, शम्मी कपूर, राज कपूर, एनटी रामाराव और रेखा के पिता व एक्टर जैमिनी गणेशन तक के साथ काम किया। बॉलीवुड में पद्मिनी ‘मेरा नाम जोकर’ और ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में नजर आई थीं। 1960 में आई ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में पद्मिनी की जोड़ी राज कपूर के साथ थी। पद्मिनी ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1948 में बॉलीवुड फिल्म ‘कल्पना’ से की थी। इसके बाद उन्होंने अन्य भाषाओं की फिल्मों में काम किए।
अमेरिका को दी सबसे बड़ी शास्त्रीय नृत्य अकादमी
मात्र 16 साल की उम्र में करियर शुरू करने वालीं पद्मिनी ने दुनियाभर में अपनी सफलता का परचम लहराया। उनकी जिंदगी की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। साल 1961 में पद्मिनी ने अमेरिका के रहने वाले फिजिशयन से शादी कर ली, और फिर फिल्मों को अलविदा कह दिया। वह पति के साथ अमेरिका जाकर बस गईं और गृहस्थी पर ध्यान देने लगीं।
वार्नर ब्रदर्स संग काम करता है बेटा
पद्मिनी ने 1963 में एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम प्रेम रामचंद्रन है और वह अभी वार्नर ब्रदर्स के साथ काम करता है। साल 1977 में पद्मिनी ने न्यू जर्सी में एक क्लासिकल डांस स्कूल खोला, जिसका नाम ‘पद्मिनी स्कूल ऑफ आर्ट्स’ रखा। आज पद्मिनी के इस स्कूल की गिनती अमेरिका के सबसे बड़े शास्त्रीय नृत्य संस्थानों में होती है।

14 की उम्र में शादी, 18 साल तक दो बेटियों की मां और अब आईपीएस

दसवीं से स्नातक तक दूरस्थ शिक्षा केन्द्र से की पढ़ाई

चेन्नई । किसी भी हुनर को सीखने, पढ़ाई करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती । पढ़ाई करना भी ऐसा ही एक हुनर है जो आपको हर ओर से रौशन करता है. ये कहानी आईपीएस बन चुकी एन अंबिका की । अंबिका का सफर ज़िंदगी के उस मोड़ से शुरू हुआ, जहां पहुंचकर ज्यादातर लोगों को लगता है, अब कुछ नहीं कर सकते । वह यही ज़िंदगी है. लेकिन अंबिका ने उस मुश्किल दौर से अपने सफर की शुरुआत की ।
एन अंबिका तमिलनाडु से हैं. उनकी शादी जब हुई, तब उनकी उम्र 14 साल थी । पति पुलिस में कांस्टेबल थे । 18 साल तक की उम्र तक वे दो बेटियों की मां बन गई थीं । ज़िंदगी खुशी से बीत रही थी. लेकिन कब कहां क्या बात कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित कर जाए, इसका अंदाजा हम में से किसी को नहीं है । दो बच्चों की मां अंबिका कांस्टेबल पति के साथ ‌गणतंत्र दिवस पर गईं थी. वहां देखा, पति ने अधिकारियों को सैल्यूट किया । वो लम्हा उनके मन में ठहर गया.
अंबिका ने पति से पूछा, उन्होंने जिन लोगों का सैल्यूट किया, वे कौन थे । पति ने बताया वे सीनियर अधिकारी थे. वैसा ही सीनियर अधिकारी बनने का ख्वाब उन्होंने मन में बसा लिया ।  बचपन में छूटी पढ़ाई फिर से शुरू की । गृहस्थ जीवन में रम चुकी दो बच्चों की मां रेगुलर तो पढ़ने नहीं जा सकी, डिस्टेंस मोड से पढ़ाई शुरू की. 10वीं, 12वीं, और स्नातक की पढ़ाई की । .
ग्रेजुएशन के बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू करनी चाही, लेकिन जहां रहती, वहां यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग वगैरह की सुविधा नहीं थी । कोचिंग के लिए चेन्नई जाने का फैसला किया ।  बच्चों को छोड़कर जाना, मां के लिए दुनिया का सबसे मुश्किल काम है । अंबिका के लिए भी था।  पति ने यकीन दिलाया. साथ दिया, बच्चों को संभाला, तब वे जा पाईं।
एन. अम्बिका के पति ने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । जब वह परीक्षा की तैयारी कर रही थी तो उसने अपने बच्चों की देखभाल की,  इस समर्थन से वे सपना सच कर सकीं ।  परीक्षा की तैयारी करने के लिए वह चेन्नई चली गईं । प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती. उनका मानना ​​है कि अखबार पढ़ना यूपीएससी की तैयारी का एक अनिवार्य हिस्सा है. उम्मीदवारों को परीक्षा के प्रत्येक खंड के लिए केवल एक ही स्रोत का उपयोग करने की सलाह दी है।
प्रत्येक सेक्शन के लिए कई स्रोतों का उपयोग करने से उम्मीदवार भ्रमित हो सकते हैं और उनके रिवीजन का समय सीमित हो सकता है । एन. अम्बिका यह भी सुझाव देती हैं कि अधिक से अधिक प्रश्नों के उत्तर दें और मॉक टेस्ट सीरीज़ में उपस्थित हों ताकि अच्छे उत्तर लिखने के बारे में एक स्पष्ट विचार बने जो अच्छी यूपीएससी रैंक पाने में मदद करेग ।
पिछली गलतियों से सीखते हुए एन. अंबिका ने अपने चौथे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की। उसने अपनी हर कोशिश से कुछ न कुछ सीखा ।  अंबिका को सिविल सेवा परीक्षा के शुरुआती तीन प्रयास में केवल निराशा हाथ लगी थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.उनके पति ने भी नौकरी कर रही औरतों की तरह, नौकरी के साथ घर व बच्चे संभाले. 2008 में सभी की मेहनत रंग लाई. सिविल सेवा परीक्षा के चौथे प्रयास में अंबिका का आईपीएस बनने का सपना पूरा हुआ ।
(स्त्रोत – न्यूज 18)

पुराना किला में एएसआई को मिले 2500 साल पुराने ऐतिहासिक प्रमाण

मौर्य काल में इस्‍तेमाल किए जाने वाली राज मुद्राएं और सिक्‍के भी मिले
दिल्ली के मथुरा रोड स्थित पांडवों के गढ़ पुराना किला की खुदाई चर्चा में बनी हुई है। देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी जगह पर 2500 साल का इतिहास मिला हो। खास बात है कि यहां भगवान विष्‍णु, गणेश और माता लक्ष्‍मी की मूर्तियां भी मिली हैं। इसके अलावा मौर्य काल में इस्‍तेमाल किए जाने वाली राज मुद्राएं और सिक्‍के मिले हैं।
कहा जाता है कि यमुना किनारे स्थित प्राचीन किलों में से एक पुराना किला पांडवों की राजधानी थी, लेकिन अबतक की खुदाई में इसका कोई सबूत नहीं मिला था। अब ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने 2500 साल का इतिहास खोज निकाला है। महाभारत से जुड़े पुराने किले के राज को दुनिया के सामने लाने के लिए एएसआई ने पांचवीं बार किले की खुदाई जनवरी में शुरू की थी।
पुराना किला की खुदाई के पीछे क्‍या है सरकार की मंशा?
दिल्‍ली का पुराना किला 300 एकड़ में फैला है लेकिन किले के अंदर की जमीन के भीतर 3000 साल पुरानी सभ्‍यता मौजूद हैं। किले के बाहर जो शिला लगी हुई है उसपर भी महाभारत काल का जिक्र किया गया है। साथ में इस बात का भी जिक्र है कि ये किला जिस टीले पर स्थित है वो महाभारत काल में इंद्रप्रस्‍थ रहा होगा।
एएसआई अब उसी का पता लगाना चाहती है लिहाजा खुदाई का काम जारी है। 1954 से लेकर अब तक 4 बार खुदाई हो चुकी है। 5वीं बार दिल्ली के पुराने किले की खुदाई एएसआई कर रहा है। 4 बार की खुदाई के दौरान मुगल काल, सल्तनत काल, राजपूत काल, गुप्त काल, कुषाण काल और मौर्य काल के सबूत मिले थे। एएसआई को उम्मीद है कि मौर्य काल से पहले की जो सभ्यता है उसके सबूत किले के अंदर मौजूद हैं और वो महाभारत काल के हो सकते हैं।
कब-कब हुए महाभारत काल के खोज
पुराना किले की खुदाई 1969, 1973 में पद्मश्री प्रोफेसर बीबी लाल की अगुवाई में हुई थी। इसके बाद साल 2013 और 2014 में एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी वसंत कुमार स्वर्णकार की अगुवाई में खुदाई हुई।
खुदाई में मिला करीब 1000 साल पुराना कुआं मिला
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को यहां मौर्यकालीन कुआं मिला है। इसकी गोलाई करीब 70 सेंटीमीटर है। अभी यहां खुदाई का काम जारी है। उम्मीद है कि कुएं से बहुत से दूसरे अवेशष भी मिल सकते हैं। इससे यहां का इतिहास 2500-3000 साल पहले का हो सकता है। एएसआई इसे अपनी बड़ी कामयाबी मान रहा है। पुरातत्वविदों का कहना है कि पांडव काल की खोज से जुड़ी एएसआई की कोशिश को इससे बल मिलेगा।
खुदाई में अबतक क्‍या-क्‍या मिला
कुंठ विष्णु की मूर्ति
टेराकोटा लक्ष्मी की मूर्ति
भगवान गणेश के स्टोन की मूर्ति
अलग-अलग काल की राज मुद्राएं
इंसान और जानवर के कंकाल

एमसीसीआई में क्यूरेटेड सोशल स्टॉक एक्सचेंज और सोशल ऑडिट पर विशेष चर्चा सत्र 

मर्चेंट्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की लीगल काउंसिल की चेयरपर्सन ममता बिनानी द्वारा संयोजित

कोलकाता । मर्चेंट्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआई )में सोशल स्टॉक एक्सचेंज और सोशल ऑडिट पर एक विशेष चर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इसे आईसीएसआई के पूर्व अध्यक्ष और मर्चेंट्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की लीगल काउंसिल की चेयरपर्सन ममता बिनानी द्वारा क्यूरेट किया गया।
इस मौके पर श्री अनिकेत तलाती (राष्ट्रीय अध्यक्ष, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया), श्रीमती रूपंजना दे (सदस्य, सेंट्रल काउंसिल, इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनीज सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया), श्री विजेंदर शर्मा (राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया), श्री दिलीप बी देसाई (अध्यक्ष, डीएचसी – देसाई हरिभक्ति), श्री रजनीश गोयनका (राष्ट्रीय अध्यक्ष, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम), श्रीमती रचना भुसारी, (उपाध्यक्ष, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड), श्री मिलन बोचीवाल (सलाहकार, जीवाईआर कैपिटल एडवाइजर्स, मर्चेंट बैंकर), श्री सिद्धार्थ सान्याल (मुख्य अर्थशास्त्री और प्रमुख अनुसंधान, बंधन बैंक), श्री अविक गुप्ता (वरिष्ठ प्रबंधक, प्राथमिक बाजार संबंध, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड) और श्रीमती सहाना भौमिक, (निदेशक, डीआईटीओ समाज कल्याण संघ) इस चर्चा सत्र में ऑनलाइन शामिल हुए, जबकि देसाई, सान्याल, गुप्ता और बोचीवाल इस सत्र में शारीरिक रूप से उपस्थित थे।

इस मौके पर सीएस, डॉ. और अधिवक्ता श्रीमती ममता बिनानी (पूर्व अध्यक्ष आईसीएसआई और लीगल काउंसिल ऑफ मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की चेयरपर्सन) ने कहा, सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) को एक मंच के रूप में बनाया गया था, ताकि सामाजिक उद्यमों को विभिन्न प्रकार के फंडिंग करने वाले संगठनों को इससे जुड़ने में सक्षम बनाया जा सके। इन उद्यमों के लिए उनकी सामाजिक पहलों में वित्त की तलाश करने और धन जुटाने के साथ बढ़ी हुई पारदर्शिता और उत्तरदायित्व प्रदान करने के लिए एक माध्यम के रूप में सेवा करके लाभकारी संगठनों (एफपीओ) और गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) के बीच की खाई को पूरा किया जा सके। वर्ष 2018 में सेबी के आईसीडीआर के 16 ​​सम्मोहक मानदंड हैं, जैसे भूख, गरीबी और कुपोषण को दूर करना, शिक्षा को आगे बढ़ाना, रोजगार, समानता और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे अन्य महत्वपूर्ण विचार इसमें शामिल हैं।

डॉ. वसुंधरा मिश्र की 2 नयी ई पुस्तकें शुभ सृजन प्रकाशन पर

प्रख्यात साहित्यकार डॉ. वसुंधरा मिश्र की नयी ई पुस्तक शुभ सृजन प्रकाशन पर…यह पुस्तक लेखिका की साहित्यिक धरोहर का खजाना है । पुस्तक में आलेख, साहित्यिक संस्मरण, समीक्षा और कविताएं हैं जो इन्होंने समकालीन साहित्यकारों एवं घटनाओं को आधार बनाकर रची हैं ।
गीताश्री, ज्योत्सना मिलन, उषा किरण खान से लेकर गालिब, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर से लेकर पद्मश्री डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र, गौतम बुद्ध, महावीर, आयुर्वेद समेत कई विविध विषयों पर लेखनी चली है ।
इसके साथ ही कई पुस्तकों की समीक्षा भी इस पुस्तक में है जिसमें किशन दाधीच, नमिता जायसवाल, पूनम त्रिपाठी जैसी लेखिकाओं की कृतियों की समीक्षा है ।
सृजन के पन्ने (ई पुस्तक)
शुभ सृजन प्रकाशन
मूल्य – 100 रुपये

खबरों में भवानीपुर का दूसरा संस्करण सामने है…ई पुस्तक में संस्थान की गतिविधियों की झलक है..

पुस्तक की कीमत 50 रुपये