Tuesday, September 16, 2025
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रजिस्ट्रार की गलती से बंगाल में रद्द होंगे प्रमाणपत्र, 15 जोड़ों को फिर करनी होगी शादी

कोरोना के दौरान ऑनलाइन पंजीकरण में गलतियों की भरमार

कोलकाताः कोविड लॉकडाउन के दौरान शादी करने वाले कोलकाता और उसके आसपास के कम से कम 15 जोड़ों को फिर से शादी करनी होगी। हालांकि उनकी दूसरी बार शादी करने की राह आसान नहीं होगी। उन्हें कानूनी परेशानियों से बचने के लिए जिला अदालत का जाना होगा। यहां पर तमाम कानूनी पचड़ों में पड़कर अपनी शादी को रद्द करना होगा। शादी रद्द होने के बाद उन्हें फिर से शादी करनी होगी। यह सब उन्हें इसलिए करना होगा क्योंकि उनके विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र में त्रुटियां हैं। यह गलतियां ऐसी हैं जिन्हें ठीक नहीं किया जा सकता है। एक बार जारी किए गए विवाह प्रमाणपत्रों को केवल जिला अदालत ही रद्द कर सकता है। बंगाल विवाह पंजीयक के कार्यालय ने महामारी के दौरान जारी किए गए 8,000 से अधिक विवाह प्रमाणपत्रों में विसंगतियां पाई हैं, जिनमें से कम से कम 15 को नियमित नहीं किया जा सकता है ।
इन 15 जोड़ों को नए विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए कहा गया है। उनमें से बारह हिंदू जोड़े हैं जिन्होंने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत शादी की थी और 30 दिनों की अवधि के बाद अपने प्रमाण पत्र प्राप्त किए थे।
आदेश में कहा गया है, ‘ये 15 विवाह प्रमाणपत्र कानूनी रूप से संदिग्ध हैं। उदाहरण के लिए, कुछ में, गवाहों के नाम ‘एबीसी’ के रूप में उल्लिखित हैं। अन्य में, गवाहों के पते गायब हैं या दिए गए टेलीफोन नंबर मौजूद नहीं हैं। प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि जिन विवाह रजिस्ट्रारों ने इन व्यक्तिगत डेटा को अपलोड किया था, उन्होंने गलती की थी।’
अधिकारी ने कहा कि चूंकि इन त्रुटियों को ठीक नहीं किया जा सकता है, इसलिए इन जोड़ों को जिला अदालत में अपनी शादी को रद्द करने और नए प्रमाण पत्र जारी करने के लिए फिर से शादी करने की सलाह दी गई है।
विवाह पंजीयक कार्यालय की ओर से हुई जांच से पता चला है कि लॉकडाउन के दौरान कम से कम 15 शहर के जोड़ों को विवाह पंजीयकों ने उनकी शादी के समय गुमराह किया। इसके लिए डनलप स्थित एक रजिस्ट्रार की निंदा भी की गई है। कोविड लॉकडाउन का लाभ उठाते हुए, इस रजिस्ट्रार ने दंपति को आश्वासन दिया कि वह भौतिक सत्यापन के बिना कानूनी औपचारिकताओं का ध्यान रखेंगे।

एक विवाह पंजीयक को जोड़ों और गवाहों के विवरण का भौतिक रूप से सत्यापन करना पड़ता है, लेकिन इन मामलों में पंजीयक भौतिक सत्यापन करने में विफल रहा और गलत डेटा दिया। अधिकारी ने कहा कि जब इन 8,000-विषम जोड़ों को त्रुटियों के बारे में सूचित किया गया, तो उन्होंने मदद के लिए रजिस्ट्रार के कार्यालय से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘हम दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर वर्तनी और तिथियों जैसी कुछ त्रुटियों को ठीक कर सकते हैं। ऑनलाइन पोर्टल में एक संपादन विकल्प विवाह पंजीयकों के लिए सुलभ है। लेकिन इन 15 मामलों में हम नए गवाहों या उनके पते का हवाला नहीं दे सकते हैं या फोन नंबर नहीं जोड़ सकते हैं। यह गैरकानूनी है। उनके लिए एकमात्र विकल्प पुनर्विवाह करना या अदालत से उचित निर्देश प्राप्त करना है।
1 जून, 2019 से बंगाल में विवाह अभिलेखों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है और हस्तचालित पंजीकरण को समाप्त कर दिया गया है। इस दौरान डेटा ट्रांसफर किया जा रहा था। राज्य ऑनलाइन पोर्टल के उपयोग करने को लेकर रजिस्ट्रारों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा था, इसी दौरान कोरोना आ गया और लॉकडाउन लग गया। अधिकारी ने दावा किया कि लेकिन महामारी ने प्रक्रिया को बाधित कर दिया और इससे कुछ रजिस्ट्रार गलतियां हुईं।

एसिडिटी से परेशान है बंगाल की 31 प्रतिशत आबादी

हर 10 में से 7 शहरी भारतीय को पाचन समस्याओं से परेशान
कोलकाता। अगर आप कोलकाता में हैं और आप एसिडिटी से परेशान हैं तो हम आपको बता दें कि आप अकेले नहीं हैं । बंगाल में एसिडिटी तेजी से बढ़ती जा रही स्वास्थ्य समस्या बन रही है और राज्य की 31 प्रतिशत आबादी एसिडिटी से परेशान है । एसिडिटी यानी गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिसीज़ (जीईआरडी) से संबंधित इस तथ्या का खुलासा एक शोध में हुआ है । यह शोध दिल्ली स्थित गुरु तेग बहादुर अस्पताल के मेडिसिन विभाग, द्वारा किया गया है और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन मेडिकल साइंसेज में प्रकाशित हुआ है ।
कोलकाता में हील फाउंडेशन द्वारा “एसिडिटी – करोडो लोगों की समस्या के सुरक्षित समाधान” विषय पर आयोजित एक मीडिया जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गयी । इस कार्यशाला में डॉ. (प्रो.) अरूप दास विश्वास और डॉ. (प्रो.) अपूर्व कुमार मुखर्जी ने इसके कारणों, स्वास्थ्य पर प्रभाव और इससे निपटने के सुरक्षित तरीकों पर चर्चा की।
डॉ. अरूप दास विश्वास, ने क्षेत्रीय आंकड़ों का खुलासा करते हुए कहा, “ पश्चिम बंगाल इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान राज्य है जहाँ प्रत्येक तीन में से एक निवासी इस बीमारी से प्रभावित है। गलत जीवनशैली, आहार की अस्वास्थ्यकर आदतें इसे और गंभीर बना देती हैं।” उन्होंने दवाओं के चयन में सावधानी बरतने की सलाह दी क्योंकि उनमें से कुछ पेट में महत्वपूर्ण एसिड उत्पादन को पूरी तरह से अवरुद्ध कर सकती हैं । एसिडिटी से संबंधित विकारों के लिए रेनिटिडिन खाने की सलाह दी जाती है। एसिड के संतुलित स्तर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. (प्रो.) अपूर्व कुमार मुखर्जी ने कहा, “भोजन के उचित पाचन के लिए पेट में एसिड के अधिकतम स्तर की जरूरत होती है। हालांकि, हाइपरएसिडिटी पाचन और समग्र स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। बंगाल में, मछली, तले हुए और मसालेदार खाद्य पदार्थों, चाय, कॉफी, कार्बोनेटेड पेय पदार्थों और शराब का अत्यधिक सेवन किया जाता है। ये अक्सर एसिडिटी से संबंधित समस्याओं का कारण बनते हैं।” उन्होंने बताया, “पर्याप्त नींद न लेना, कार्य का समय नियत न होना और खान-पान की गलत आदतों के कारण समस्या बढ़ रही है। एसिडिटी से बचने के लिए, नियमित रूप से व्यायाम करें, जंक फूड्स और मसालेदार भोजन से परहेज करें, खूब पानी पीयें। कोई भी दवा लेने से पहले हमेशा डॉक्टर से परामर्श लें ।”
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिसीज़ (जीईआरडी) तब होती है जब पेट का एसिड गले और पेट (आहारनाल) को जोड़ने वाली नली में वापस प्रवाहित होता है। इससे हार्ट बर्न या सीने में जलन जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। यह काफी तकलीफदेह हो सकता है और अगर ठीक से प्रबंधित न किया जाए तो अधिक गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। पाचन के शुरूआती स्तर में और आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी12 जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के अवशोषण में पेट के एसिड की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, विशेषज्ञ एसिडिटी से संबंधित विकारों की बढ़ती वृद्धि को संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। स्वस्थ जीवनशैली विकल्पों को अपनाने और उचित व सुरक्षित उपचार विकल्पों के लिए पेशेवर मार्गदर्शन लेने जैसे कदम उठाए जाने चाहिए।

बचत खातों से डाक विभाग ने कमाये 450 करोड़

कोलकाता । मर्चेन्ट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआई) ने निर्यातकों के लिए जागरूकता सत्र आयोजित किया । इस सत्र में पश्चिम बंगाल सर्कल के पोस्ट मास्टर जनरल (एम एंड बी डी) अनिल कुमार ने डाकघर की विभिन्न योजनाओं पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि डाक विभाग ने बचत खातों से 450 करोड़ रुपये अर्जित किए जबकि पार्सल डिलिवरी से 299 करोड़ रुपये और आधार जारी कर 9.21 करोड़ रुपये की आय की । 2.11 लाख रुपये की पासपोर्ट सेवा प्रदान कर की गयी । उन्होंने कहा कि भारत में 60 हजार डाकघर हैं जिनमें से बंगाल में 12 हजार डाकघर हैं। इससे वस्तुओं की डिलिवरी में सुविधा हुई, साथ ही निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए डाकघर निर्यात केन्द्र योजना भी आरम्भ की गयी है । इससे भारत के किसी भी कोने से गंगाजल तक का निर्यात किया जा रहा है । निर्यातकों के लिए जीएसटी रिफंड की भी सुविधा है । कुमार ने कहा कि डाकघर सेवा इस समय 213 देशों में है जबकि एशिया – पैसिफिक के 38 देशों ई कॉमर्स की सुविधा है । एमसीसीआई की फॉरेन ट्रेड काउंसिल के चेयरमैन महेश केयाल ने डाकघर निर्यात केन्द्र योजना की सराहना की । धन्यवाद ज्ञापन फॉरेन ट्रेड काउंसिल के फॉरेन ट्रेड काउंसिल के सदस्य बी डी अग्रवाल ने दिया ।

‘मूक कला बिभंग’ कोलकाता अनुभव का सांस्कृतिक आयोजन संपन्न

कोलकाता । संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से मूक कला बिभंग कोलकाता अनुभव के तत्वावधान से सांस्कृतिक समारोह आयोजित किया गया । तपन थियेटर ऑडिटोरियम में गत तीन जुलाई को यह कार्यक्रम बच्चों और युवाओं के बीच प्रदर्शन कला को बढ़ावा देने के लिए ‘कोलकाता अनुभव’ का एक महत्वपूर्ण प्रयास है जहां बच्चे और युवा कला के विभिन्न रूपों से परिचित होकर एक बेहतर समाज बना सकते हैं। डॉ विनोद नारायण इंदुरकर, माननीय अध्यक्ष, सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली ने मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित हुए।
कार्यक्रम का आरंभ एक ‘ओपनिंग सॉन्ग’ से हुई जिसे प्रख्यात गायक संजीब घोष ने गा कर सभी श्रोताओं को आनंदित कर दिया। उद्घाटन समारोह में थिएटर, माइम और नृत्यांगना बिजोया दत्त और कोलकाता अनुभव की वरिष्ठ संकाय मीनाक्षी चतुर्वेदी द्वारा एक ‘ओपनिंग डांस’ शानदार ढंग से प्रस्तुत किया गया।इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्वलित किया और मुख्य सम्मानीय अतिथियों का स्वागत किया गया। सम्मानित अतिथियों में ध्रुब मित्रा, पूर्व निर्माता, दूरदर्शन केंद्र, कोलकाता, और माइम प्रतिपादक, प्रो.तारक सेनगुप्त, (सेवानिवृत्त), नाटक और रंगमंच कला, संगीत-भवन, विश्व-भारती, शांतिनिकेतन, प्रो अविजित संतरा, निदेशक और प्राचार्य , आयुष्मी फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, कोलकाता और कोलकाता के प्रतिष्ठित ज्वाइंट-रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ संतोष कुमार, सेंट जेवियर्स बिजनेस स्कूल, के डीन प्रोफेसर डॉ. सितांगशु खाटुआ का अभिनंदन किया गया। जेवियर्स यूनिवर्सिटी, कोलकाता और वित्त में प्रोफेसर, थिएटर व्यक्तित्व, नाटक निर्देशक, लेखक और अभिनेता देबोलीना साहा, प्रख्यात चित्रकार आदि को सम्मानित किया गया । इसके बाद विशिष्ट अतिथि, प्रख्यात पत्रकार और प्रसिद्ध टेलीफिल्म निर्देशक,  नौशाद मलिक का अभिनंदन किया गया जिन्होंने अपनी एक कविता सुनाई। इसके बाद ध्रुब मित्रा, पूर्व-निर्माता, दूरदर्शन केंद्र, कोलकाता और माइम प्रतिपादक द्वारा पैंटोमाइम, नाट्य कला, लोक और स्वदेशी कला और दृश्य कला पर आधारित एक व्यापक, व्यावहारिक संरचित कार्यशाला का आयोजन किया गया।सभी प्रमुख अतिथियों ने अपना वक्तव्य रखा। सांस्कृतिक कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ‘पॉन पदार्थ शिकार’, की प्रस्तुति से हुई जो माइम नाटक है जिसका निर्देशन और प्रदर्शन थिएटर और माइम प्रतिपादक कृष्णा दत्त ने किया था। दहेज प्रथा के पीड़ितों के विषय पर केंद्रित माइम नाटक के रूप में बहुत शक्तिशाली रूप से चित्रित किया गया । अवधारणा, स्क्रिप्ट और संकलन कृष्णा दत्त और विजया दत्त का रहा जो नाट्य कला और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं, उनकी टीम द्वारा बहुत अच्छी तरह से तैयार और संरचित किया गया । इसमें ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ की अवधारणा पर अधिक जोर दिया गया। माइम ड्रामा की इस थीम ने राष्ट्र के सांस्कृतिक ढांचे में महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका के साथ-साथ व्यक्तिगत स्थान पर संस्कृति के पोषण और संरक्षण में उनके योगदान के बारे में जागरूकता को बढ़ावा दिया और प्रचारित किया। इस प्रदर्शन ने जिसमें सुंदर हावभाव, चाल और जीवंत अभिव्यक्तियाँ शामिल थीं, दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद विचारोत्तेजक माइम एक्ट, ‘स्वच्छ भारत अभियान’ आया। अगली प्रस्तुति एक प्रसिद्ध लघु नाटक, ‘जिबोंटा रंगमंच’ थी, जिसे थिएटर, माइम और नृत्य व्यक्तित्व बिजोया दत्त द्वारा प्रस्तुत किया गया। सुब्रत बर्मन, कोलकाता अनुभव के वरिष्ठ नाटक कलाकार, सबिता घोष, कोलकाता अनुभव के वरिष्ठ सदस्य छात्र, सायन दत्ता और  कोलकाता अनुभव के सबसे कम उम्र के छात्र मास्टर उद्भव दास,  शीला चटर्जी और तापस मुखर्जी, वरिष्ठ कोलकाता अनुभव के नाट्य कलाकार हैं। नाटक के नायक की भूमिका बिजोया दत्त ने निभाई, जिनके यथार्थवादी और ठोस प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अन्य पात्रों द्वारा संवादों की भावपूर्ण और भावुक प्रस्तुति वास्तव में प्रभावशाली थी। इसके बाद मास्टर उद्भव दास, कोलकाता के सबसे कम उम्र के छात्र अनुभव ने एक कविता सुनाई जिसका दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया। इसके बाद बैद्यनाथ चक्रवर्ती, रानेन चक्रवर्ती, रतन चक्रवर्ती और दिलीप भट्टाचार्य (श्रवण-बाधित और वरिष्ठ सदस्य कलाकार, कोलकाता) द्वारा अभिव्यंजक और आकर्षक माइम अधिनियमों की एक श्रृंखला के साथ कार्यक्रम की प्रस्तुति दी जिसने कार्यक्रम में एक अलग ही रंग जोड़ा।
अगली प्रस्तुति एक मनोरंजक लघु नाटक, ‘कान नीये केलेंगकारी’ की प्रस्तुति दी गई , जिसे कोलकाता अनुभव की सदस्य छात्रा सबिता घोष ने शानदार ढंग से किया। समापन प्रदर्शन में, एक लघु नाटक – ‘अदाय कांचकोलाय’ का शानदार मंचन ‘कोलकाता अनुभव’ के सदस्य छात्रों, शिला चटर्जी और तापस मुखर्जी द्वारा किया गया। यह थिएटर और माइम प्रतिपादक, कृष्णा दत्त द्वारा निर्देशित त्रुटियों की एक कॉमेडी , सबिता घोष, कोलकाता की छात्रा अनुभव और थिएटर, माइम और नृत्य कलाकार बिजोया दत्त ने किया । शाम के संगीतकार सिंथसाइज़र पर दिब्येंदु मालाकार थे। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन राजलक्ष्मी श्रीधर द्वारा किया गया। पूरे प्रोडक्शन की समग्र प्रस्तुति बेहद ही महत्वपूर्ण रही। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

बात्स की ‘द प्लेजर ट्रंक’ के पहले संस्करण का आयोजन

कोलकाता । बात्स की ओर से कोलकाता में प्रमुख शॉपिंग फेस्टिवल ‘द प्लेजर ट्रंक’ के पहले संस्करण का आयोजन कोलकाता के सॉल्टलेक में स्थित गोल्डन ट्यूलिप होटल में किया गया है। 4 एवं 5 अगस्त को दो दिनों तक यह प्रदर्शनी चली । इस दो दिवसीय प्रतिभागी उत्सव के आगामी सीज़न के लिए एक ही छत के नीचे कम बजट से लेकर उच्च बजट तक के डिजाइनर उत्पादों का प्रदर्शन किया गया । इस कार्यक्रम का प्रबंधन मैप5 इवेंट्स की ओर से किया गया था। बात्स – ‘द प्लेज़र ट्रंक’ प्रदर्शनी का उद्घाटन अभिनेत्री जया सील घोष और सीएस सलाहकार और एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम डब्ल्यूबी चैप्टर की अध्यक्ष डॉक्टर ममता बिनानी ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर नरेन सराफ के साथ ए वी स्टूडियो के मालिक गौरव और नितेश, काव्या कश्यप (अभिनेत्री), एकता बागरिया, (फिटनेस कोच), आशीष मित्तल (गोल्डन ट्यूलिप होटल के निदेशक) और कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इस मौके पर मौजूद थे। बात्स की संस्थापक और क्यूरेटर शालिनी मित्तल ने कहा, एक ही छत के नीचे विभिन्न उत्पादों की ऐसी श्रृंखला और वैराइटी की खोज करना एक चुनौतीपूर्ण एवं रोमांचित अवसर है।
इस मौके पर बात्स की क्यूरेटर बबीता एन अग्रवाल, अंजू बेरिया और तृप्ति अग्रवाल ने कहा, इस प्रतिष्ठित प्रदर्शनी का उद्देश्य कुशल और महत्वाकांक्षी प्रेफेशनल के साथ व्यापार संवर्धित मंच को बढ़ावा देना है। ए वी स्टूडियो, द पिंक कॉलर, शिवांशी अपैरल्स, दीथ्या जैन, फ्लाइंग बर्ड बाय सोनू, एनकेएस बुटीक, लविष्का, केतन अनावी, जयपोर वीवर्स, बेड बाथ और मोर, कालाकारी, ड्रामा क्वीन, एसआर 2 कोलकाता, रुचि खेरिया, रेनी ग्लोरिया, मैजिक इन जार, थ्रेडवर्क्स, रेनबो क्रिएशन्स, बोज़ एंड ब्लिंग्स, एस एस क्रिएशन्स, स्पंदन क्रिएशन्स, ए स्टिच इन टाइम, तिरुमाला आर्ट्स, लव, गिफ्ट एंड मोर, हर्षिता क्रिएट्स, कान्हा क्रिएशन्स, कैंडी क्राफ्ट्स, पेंडोरा गर्ल्स, रेनू का कलेक्शन, डिवाइन थ्रेड्स, मिराया क्रिएशन्स, विनर, निकिता द्वारा जुवेलेन, ज्वेल गैलेरिया, सबिता द्वारा सावी और नुबू ज्वेल्स प्रमुख है।

एस बी पार्क सार्वजनिन दुर्गोत्सव की पूजा थीम “एलाम नोतुन देशे” जारी

कोलकाता । प्रत्येक वर्ष अपने आयोजन में एक नया सोच और अनोखी उत्सव शैली के लिए शहर के सबसे आकर्षक पूजाओं में से एक एस बी पार्क सार्वजनिन की ओर से शनिवार को कोलकाता प्रेस क्लब में इस बार ‘एलाम नोतुन देशे’ (हम एक नए देश में आये हैं) थीम को लॉन्च किया गया। शहर के ठाकुरपुकुर इलाके में स्थित स्टेट बैंक पार्क (एस बी पार्क) सार्वजनिन दुर्गोत्सव कमेटी ने दुर्गापूजा में इससे जुड़े गहन विचारों की छाप छोड़ी है। इस वर्ष एस बी पार्क सर्बोजनिन दुर्गोत्सव की ओर से 53वां वर्ष में पूजा का आयोजन किया जा रहा है।
इस संवाददाता सम्मेलन में संपूर्णा लाहिड़ी (अभिनेत्री और एसबी पार्क सर्बोजनिन दुर्गोत्सव 2023 की ब्रांड एंबेसडर), जॉय सरकार (संगीत निर्देशक) जिन्होंने इस वर्ष का थीम संगीत बनाया है। इसके अलावा रामानंद बंद्योपाध्याय (कलाकार) जिन्होंने इस वर्ष की मूर्ति डिजाइन की है, अरिघना साहा (सहायक कलाकार), शिवशंकर दास (मुख्य डिजाइनर और केंद्रीय विषय के कलाकार), बरुण कर (लाइट डिजाइनर, विजिटिंग फैकल्टी, एनएसडी, नई दिल्ली और थिएटर निर्देशक) के साथ मृणाल कांति मंडल (नेशनल सेल्स मैनेजर, सिका इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) के साथ समाज की कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इस मौके पर मौजूद थे।
मीडिया से बात करते हुए क्लब के अध्यक्ष संजय मजूमदार ने कहा, “एस बी पार्क सर्बोजनिन” को अपने इस वर्ष के थीम – ‘एलाम नोतुन देशे’ (हम एक नए देश में आये हैं) के साथ 53 वें वर्ष के आयोजन करने पर बहुत गर्व है। इस कठिन घड़ी में, जब चारों ओर दुनिया में राजनीति, धर्म, पूंजीवाद और बड़े पैमाने पर उभरते जलवायु संकट के कारण हर पल जीवन संकीर्ण होती जा रही है, इनके बीच एस बी पार्क ने अपने पूजा मंडप में थीम के जरिए कलात्मक कल्पना के माध्यम से इसका समाधान दिखाने की कोशिश की है। इस आयोजन में देश के हर राज्य के लोग आते हैं। इसे देखते हुए यहां के हर बैनर को देश के हर राज्य में वहां के क्षेत्रीय भाषा में प्रदर्शित किया जाएगा। हमें विश्वास है कि लोग इस साल भी हमारा प्रयास यहां आनेवाले दर्शकों को पसंद आयेगा। उन्होंने इस राज्य के अलावा देश के हर कोने में रहनेवाले सभी लोगों को परिवार और दोस्तों के साथ यहां होनेवाली पूजा में आने के लिए आमंत्रित किया।

भारतीयता के लेखक हैं प्रेमचंद:प्रो.श्रीकांत द्विवेदी

मिदनापुर । राजा नरेंद्र लाल खान महिला महाविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से प्रेमचंद जयंती के अवसर पर ‘प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता’ विषय पर संगोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्वागत वक्तव्य देते हुए कॉलेज की प्राचार्या डॉ. जयश्री लाहा ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य हमें जन जीवन के करीब ले जाता है। मुख्य वक्ता के तौर पर विद्यासागर विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. श्रीकांत द्विवेदी ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य भारतीय जीवन की कथा है।प्रेमचंद ने जिन मानवीय और सामाजिक मूल्यों से सुंदर और लोकतांत्रिक समाज का सपना देखा था उसकी प्रासंगिकता बनी हुई है।
इस अवसर पर पंचम सत्र की छात्राओं ने प्रेमचंद की सद्गति कहानी का मंचन किया। रक्षा कुमारी, बिट्टो कौर, सिमरन पाल, अंजली शर्मा, कुमकुम कुमारी, निशा कुमारी, प्रिया मिश्रा ने अपने शानदार अभिनय से मंचन को प्रभावी बनाया।प्रोफेसर सुमिता भकत ने प्रेमचंद के साहित्य को वंचितों की पक्षधरता का साहित्य कहा। विभागाध्यक्ष डॉ. रेणु गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रेमचंद हमारी पहचान हैं। ऐसे सांस्कृतिक और साहित्यिक आयोजनों से हम प्रेमचंद के लेखन और विचारों को व्यापकत्व प्रदान कर सकते हैं।

श्रावण मास सेवा में दूध बिस्कुट वितरण

कोलकाता । कोलकाता में भारत रिलीफ़ सोसायटी द्वारा आयोजित 500 बच्चों को दूध बिस्कुट वितरण किया गया। वाहिद मेमोरियल स्कूल के सभी बच्चे दूध बिस्कुट पाकर खुश दिखाई दे रहे थे। इस अवसर पर ताजा टीवी के निदेशक विश्वम्भर नेवर,पार्षद निवेदिता शर्मा, सुशील शर्मा, आईपीएस अधिकारी संजीव राठी, चंदा गोलछा ,कंचन नाहटा, रुमा दास , समाजसेवी अंजू सेठिया आदि । यह जानकारी अंजू सेठिया द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति से मिली ।

अब बिना नर के बच्चों को जन्म देगी ये खास मक्खी

वैज्ञानिकों ने की सफल जेनेटिक इंजीनियरिंग

लंदन । ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने एक खास तरह की मक्खी में सफल जेनेटिक इंजीनियरिंग करने का दावा किया है। इसे वर्जिन बर्थ का नाम दिया गया है। इस इंजीनियरिंग के बाद अब ये मादा मक्खिया बिना नर की आवश्यकता के संतान पैदा कर सकती हैं। इन मक्खियों की पहचान फ्रूज फ्लाइज (फल मक्खी) ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर के तौर पर की गई है। यह किसी भी जानवर में बिना नर के बच्चों को जन्म देने का पहला उदाहरण भी है। इस वैज्ञानिक प्रयोग को बहुत बड़ी सफलता बताया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल भविष्य में इंसानों के ऊपर रिसर्च के लिए किया जा सकता है।
साइंस जर्नल करंट बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि इन आनुवंशिक रूप से संशोधित मक्खियों से उत्पन्न संतान भी संभोग के बिना प्रजनन करने में सक्षम हैं। यह पीढ़ियों में विशेषज्ञता की विरासत को प्रदर्शित करती है। वर्जिन बर्थ को वैज्ञानिक भाषा में पार्थेनोजेनेसिस के रूप में जाना जाता है। एक ऐसी घटना है जो शायद ही कभी होती है लेकिन पशुओं की दुनिया में पूरी तरह से अनसुनी नहीं है। कुछ अंडे देने वाले जानवर, जैसे छिपकली और पक्षी बिना संभोग के बच्चे को जन्म देने की क्षमता रखते हैं, आमतौर पर बाद में जब कोई नर उपलब्ध नहीं होता है।
पहली बार वैज्ञानिकों को मिली ऐसी कामयाबी
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने कहा कि “पहली बार, वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जीव में वर्जिन बर्थ को पाने में कामयाबी हासिल की है, जो आमतौर पर यौन प्रजनन करता है। इसका नाम फल मक्खी ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर है। आमतौर पर, यौन प्रजनन में नर के शुक्राणु द्वारा महिला के अंडे का निषेचन शामिल होता है। हालांकि, पार्थेनोजेनेसिस के मामलों में, मादा पूरी तरह से अपने दम पर अंडे को भ्रूण में विकसित करने में सक्षम होती है। नए अध्ययन की मुख्य लेखक और यूके के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता एलेक्सिस स्पर्लिंग ने बताया कि वर्जिन बर्थ के प्रति उनका आकर्षण तब हुआ जब उन्होंने अपने पालतू जानवर को लेकर ऐसा अनुभव किया।
लैंगिक रूप से प्रजनन करती है यह मक्खी
इस असाधारण घटना के पीछे आनुवंशिक कारण की पहचान करने की खोज में एलेक्सिस स्पर्लिंग और अमेरिका में स्थित शोधकर्ताओं की एक टीम ने फल मक्खी ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर के साथ प्रयोग किया। फल मक्खी एक लैंगिक रूप से प्रजनन करने वाली प्रजाति है और लंबे समय से आनुवंशिक रिसर्च में प्रमुखता से इस्तेमाल होती रही है। इस प्रयोग से इस टीम को एक सदी से भी अधिक समय से कठिन माने जाने वाली पहेली को सुलझा लिया है। पिछले महीने, वैज्ञानिकों ने कोस्टा रिकन चिड़ियाघर से एक मादा मगरमच्छ ने अंडा दिया था, जो कभी नर के संपर्क में नहीं आई थी।

41 साल बगैर तबादला सेवा दी, शिक्षक सेवानिवृत्त हुआ तो रो पड़ा पूरा गांव

छिंदवाड़ा । मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक शिक्षक की सेवानिवृत्ति से पूरा गांव भावुक हो गया । 41 साल 1 महीने तक सेवा देने के बाद जब शिक्षक का विदाई समारोह हुआ तो विदाई देने के लिए पूरा गांव पहुंच गया। हर किसी के आंखों में आंसू आ गए। ऐसी विदाई देखकर शिक्षक भी भावुक हो गए। ये शिक्षक गांव के स्कूल की पहचान बन चुके थे। इस स्कूल को लोग शिक्षक के पढ़ाने की शैली के कारण जानते थे। दरअसल, छिंदवाड़ा विकासखंड के नेर गांव के प्राथमिक स्कूल में पदस्थ शिक्षक श्रीकांत असराठी एक ही स्कूल में 41 साल तक रहे। कभी उनका तबादला नहीं हुआ। शिक्षक रहते हुए उन्होंने 41 साल 1 महीने का कार्यकाल पूरा किया। सोमवार को जब उनका रिटायरमेंट हुआ तो उन्हें विदाई देने के लिए पूरा गांव मौजूद था। लोगों का कहना था कि ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है कि किसी टीचर ने जिस स्कूल से अपनी ड्यूटी ज्वाइन की हो उसी स्कूल से रिटायर हो रहा हो बिना किसी ट्रांसफर के।
2 जुलाई 1982 को हुई थी ज्वाइनिंग
श्रीकांत ने आज से 41 साल पहले 2 जुलाई 1982 को नेर गांव के प्राथमिक स्कूल में शिक्षक की नौकरी ज्वाइन की थी। उस समय बच्चे स्कूल नहीं आते थे तब वो घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाते थे। धीरे-धीरे उनका व्यवहार देखकर परिजनों ने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू किया। स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ती गई। अपने पढ़ाने के अलग तरीके और सरल व्यवहार के कारण वह सभी बच्चों के लिए पसंदीदा शिक्षक बन गए।
समय के थे पाबंद
उनको विदाई देने के लिए पहुंचे उनके पूर्व छात्र जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष अश्वनी रघुवंशी ने बताया कि हमारे सर, श्रीकांत असराठी समय के बहुत पाबंद रहे हैं। चाहे बारिश के समय हो या सर्दी का सुबह 7 बजे सबसे पहले वही स्कूल पहुंचते थे। कोई बच्चा स्कूल नहीं आता तो उसे घर जाकर स्कूल लेकर आते थे। उनकी इस कर्तव्य निष्ठा का परिणाम था कि उनके पढ़ाए हुए कई बच्चे आज राजनीति, सामाजिक विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम रोशन कर रहे हैं।
विदाई देने पहुंचे 25 स्कूलों के शिक्षक
श्रीकांत असराठी की विदाई की जानकारी लगते ही सिर्फ गांव के लोग ही नहीं बल्कि जन शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले 25 स्कूलों के शिक्षक भी पहुंचे। गांव के लोगों ने शिक्षक का सम्मान किया। वहीं, विभाग ने भी रिटायरमेंट पर शिक्षक का सम्मान किया।