रजिस्ट्रार की गलती से बंगाल में रद्द होंगे प्रमाणपत्र, 15 जोड़ों को फिर करनी होगी शादी

कोरोना के दौरान ऑनलाइन पंजीकरण में गलतियों की भरमार

कोलकाताः कोविड लॉकडाउन के दौरान शादी करने वाले कोलकाता और उसके आसपास के कम से कम 15 जोड़ों को फिर से शादी करनी होगी। हालांकि उनकी दूसरी बार शादी करने की राह आसान नहीं होगी। उन्हें कानूनी परेशानियों से बचने के लिए जिला अदालत का जाना होगा। यहां पर तमाम कानूनी पचड़ों में पड़कर अपनी शादी को रद्द करना होगा। शादी रद्द होने के बाद उन्हें फिर से शादी करनी होगी। यह सब उन्हें इसलिए करना होगा क्योंकि उनके विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र में त्रुटियां हैं। यह गलतियां ऐसी हैं जिन्हें ठीक नहीं किया जा सकता है। एक बार जारी किए गए विवाह प्रमाणपत्रों को केवल जिला अदालत ही रद्द कर सकता है। बंगाल विवाह पंजीयक के कार्यालय ने महामारी के दौरान जारी किए गए 8,000 से अधिक विवाह प्रमाणपत्रों में विसंगतियां पाई हैं, जिनमें से कम से कम 15 को नियमित नहीं किया जा सकता है ।
इन 15 जोड़ों को नए विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए कहा गया है। उनमें से बारह हिंदू जोड़े हैं जिन्होंने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत शादी की थी और 30 दिनों की अवधि के बाद अपने प्रमाण पत्र प्राप्त किए थे।
आदेश में कहा गया है, ‘ये 15 विवाह प्रमाणपत्र कानूनी रूप से संदिग्ध हैं। उदाहरण के लिए, कुछ में, गवाहों के नाम ‘एबीसी’ के रूप में उल्लिखित हैं। अन्य में, गवाहों के पते गायब हैं या दिए गए टेलीफोन नंबर मौजूद नहीं हैं। प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि जिन विवाह रजिस्ट्रारों ने इन व्यक्तिगत डेटा को अपलोड किया था, उन्होंने गलती की थी।’
अधिकारी ने कहा कि चूंकि इन त्रुटियों को ठीक नहीं किया जा सकता है, इसलिए इन जोड़ों को जिला अदालत में अपनी शादी को रद्द करने और नए प्रमाण पत्र जारी करने के लिए फिर से शादी करने की सलाह दी गई है।
विवाह पंजीयक कार्यालय की ओर से हुई जांच से पता चला है कि लॉकडाउन के दौरान कम से कम 15 शहर के जोड़ों को विवाह पंजीयकों ने उनकी शादी के समय गुमराह किया। इसके लिए डनलप स्थित एक रजिस्ट्रार की निंदा भी की गई है। कोविड लॉकडाउन का लाभ उठाते हुए, इस रजिस्ट्रार ने दंपति को आश्वासन दिया कि वह भौतिक सत्यापन के बिना कानूनी औपचारिकताओं का ध्यान रखेंगे।

एक विवाह पंजीयक को जोड़ों और गवाहों के विवरण का भौतिक रूप से सत्यापन करना पड़ता है, लेकिन इन मामलों में पंजीयक भौतिक सत्यापन करने में विफल रहा और गलत डेटा दिया। अधिकारी ने कहा कि जब इन 8,000-विषम जोड़ों को त्रुटियों के बारे में सूचित किया गया, तो उन्होंने मदद के लिए रजिस्ट्रार के कार्यालय से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘हम दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर वर्तनी और तिथियों जैसी कुछ त्रुटियों को ठीक कर सकते हैं। ऑनलाइन पोर्टल में एक संपादन विकल्प विवाह पंजीयकों के लिए सुलभ है। लेकिन इन 15 मामलों में हम नए गवाहों या उनके पते का हवाला नहीं दे सकते हैं या फोन नंबर नहीं जोड़ सकते हैं। यह गैरकानूनी है। उनके लिए एकमात्र विकल्प पुनर्विवाह करना या अदालत से उचित निर्देश प्राप्त करना है।
1 जून, 2019 से बंगाल में विवाह अभिलेखों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है और हस्तचालित पंजीकरण को समाप्त कर दिया गया है। इस दौरान डेटा ट्रांसफर किया जा रहा था। राज्य ऑनलाइन पोर्टल के उपयोग करने को लेकर रजिस्ट्रारों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा था, इसी दौरान कोरोना आ गया और लॉकडाउन लग गया। अधिकारी ने दावा किया कि लेकिन महामारी ने प्रक्रिया को बाधित कर दिया और इससे कुछ रजिस्ट्रार गलतियां हुईं।

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