एसिडिटी से परेशान है बंगाल की 31 प्रतिशत आबादी

हर 10 में से 7 शहरी भारतीय को पाचन समस्याओं से परेशान
कोलकाता। अगर आप कोलकाता में हैं और आप एसिडिटी से परेशान हैं तो हम आपको बता दें कि आप अकेले नहीं हैं । बंगाल में एसिडिटी तेजी से बढ़ती जा रही स्वास्थ्य समस्या बन रही है और राज्य की 31 प्रतिशत आबादी एसिडिटी से परेशान है । एसिडिटी यानी गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिसीज़ (जीईआरडी) से संबंधित इस तथ्या का खुलासा एक शोध में हुआ है । यह शोध दिल्ली स्थित गुरु तेग बहादुर अस्पताल के मेडिसिन विभाग, द्वारा किया गया है और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन मेडिकल साइंसेज में प्रकाशित हुआ है ।
कोलकाता में हील फाउंडेशन द्वारा “एसिडिटी – करोडो लोगों की समस्या के सुरक्षित समाधान” विषय पर आयोजित एक मीडिया जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गयी । इस कार्यशाला में डॉ. (प्रो.) अरूप दास विश्वास और डॉ. (प्रो.) अपूर्व कुमार मुखर्जी ने इसके कारणों, स्वास्थ्य पर प्रभाव और इससे निपटने के सुरक्षित तरीकों पर चर्चा की।
डॉ. अरूप दास विश्वास, ने क्षेत्रीय आंकड़ों का खुलासा करते हुए कहा, “ पश्चिम बंगाल इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान राज्य है जहाँ प्रत्येक तीन में से एक निवासी इस बीमारी से प्रभावित है। गलत जीवनशैली, आहार की अस्वास्थ्यकर आदतें इसे और गंभीर बना देती हैं।” उन्होंने दवाओं के चयन में सावधानी बरतने की सलाह दी क्योंकि उनमें से कुछ पेट में महत्वपूर्ण एसिड उत्पादन को पूरी तरह से अवरुद्ध कर सकती हैं । एसिडिटी से संबंधित विकारों के लिए रेनिटिडिन खाने की सलाह दी जाती है। एसिड के संतुलित स्तर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. (प्रो.) अपूर्व कुमार मुखर्जी ने कहा, “भोजन के उचित पाचन के लिए पेट में एसिड के अधिकतम स्तर की जरूरत होती है। हालांकि, हाइपरएसिडिटी पाचन और समग्र स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। बंगाल में, मछली, तले हुए और मसालेदार खाद्य पदार्थों, चाय, कॉफी, कार्बोनेटेड पेय पदार्थों और शराब का अत्यधिक सेवन किया जाता है। ये अक्सर एसिडिटी से संबंधित समस्याओं का कारण बनते हैं।” उन्होंने बताया, “पर्याप्त नींद न लेना, कार्य का समय नियत न होना और खान-पान की गलत आदतों के कारण समस्या बढ़ रही है। एसिडिटी से बचने के लिए, नियमित रूप से व्यायाम करें, जंक फूड्स और मसालेदार भोजन से परहेज करें, खूब पानी पीयें। कोई भी दवा लेने से पहले हमेशा डॉक्टर से परामर्श लें ।”
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिसीज़ (जीईआरडी) तब होती है जब पेट का एसिड गले और पेट (आहारनाल) को जोड़ने वाली नली में वापस प्रवाहित होता है। इससे हार्ट बर्न या सीने में जलन जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। यह काफी तकलीफदेह हो सकता है और अगर ठीक से प्रबंधित न किया जाए तो अधिक गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। पाचन के शुरूआती स्तर में और आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी12 जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के अवशोषण में पेट के एसिड की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, विशेषज्ञ एसिडिटी से संबंधित विकारों की बढ़ती वृद्धि को संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। स्वस्थ जीवनशैली विकल्पों को अपनाने और उचित व सुरक्षित उपचार विकल्पों के लिए पेशेवर मार्गदर्शन लेने जैसे कदम उठाए जाने चाहिए।

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