Thursday, December 18, 2025
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जब आजादी मिली तो कुछ ऐसी थी अखबारों की सुर्खियाँ

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मुंबई: 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ था, तो उस वक्त देश में आज की तरह न तो टेलीविजन था, न इंटरनेट था और न ही सोशल मीडिया का नामोनिशान। उस दौर में खबरें सिर्फ समाचार पत्रों और कुछ जगहों पर रेडियो के माध्यम से प्रसारित होती थी।

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आजादी के 70वें सेलिब्रेशन के मौके पर हम आपके बताने जा रहे हैं आजाद भारत के पहले दिन क्या थी वर्ल्ड के फेमस न्यूज पेपर की हेडलाइन।

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आजादी के वक्त सिर्फ मुंबई और दिल्ली में ही कुछ चुनिंदा अंग्रेजी डेली और इक्का-दुक्का हिन्दी के अखबार थे।

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देश ही नहीं विदेश के नामी अखबारों ने भारत की स्वतंत्रता और देश में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत की खबर को अपनी पहली हेडलाइन बनाया था।

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फ्रंट पेज पर इंडिया की स्वतंत्रता और पाकिस्तान के बंटवारे की खबरों को प्रमुखता से छापा गया था।

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देश के कई हिस्सों में अखबार एक से दो दिन की देरी से पहुंचा था, जिस कारण लोगों को आजादी की खबर दो दिन बाद मिली।

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अखबारों की यह दुर्लभ प्रतियां आज भी देश के अलग-अलग म्यूजियम में संजो कर रखी गई हैं।

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यह अखबार हमारा इतिहास बयान करते हैं। अँग्रेजों के साम्राज्य के डूबते सूरज का गवाही देते हैं और हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने जो शहादत दी, उसकी भी कहानी बताते हैं।

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इन अखबारों को देखकर पता चलता है कि भारत में सीमित संसाधनों के बावजूद मीडिया कितना सजग था और भारत की आजादी सारी दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक घटना थी और आज भी है।

(साभार – दैनिक भास्कर)

तीन रंगों के स्वाद में डूबेगा आजादी का जश्न

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 तिरंगा पुलाव

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 सामग्री – 2 कटोरी चावल, 50 ग्राम आलू, 50 ग्राम गाजर, 50 ग्राम फूलगोभी, 50 ग्राम हरी मटर, 50 ग्राम शिमला मिर्च,  50 ग्राम पनीर, तीन प्याज, हरा धनिया, टमाटर स्लाइस, टूटी-फ्रूटी, तेल, नमक।

प्यूरी के लिए मसाला सामग्री- लहसुन की 5 कली, 4-5 लालमिर्च, अदरक का टुकड़ा, एक चम्मच खड़ा धनिया, आधा चम्मच जीरा सभी को एक साथ पीस लीजिए।

विधि : सबसे पहले पनीर, आलू, प्याज, शिमला मिर्च, गोभी को काट कर फ्राय कर लें। अब गाजर व मटर को उबालें। चावल में नमक डालकर पकाइए, पकने के बाद इनके तीन भाग करें।  एक भाग में खाने वाला हरा रंग, एक में मीठा पीला रंग व एक भाग को सफेद ही रहने दें। हरे चावल में हरे मटर, शिमला मिर्च, पीले चावल में गाजर व टूटी-फ्रूटी और आलू डालिए। सफेद चावल में पनीर, गोभी व प्याज डालिए। कड़ाही में तेल गर्म कर पिसे मसाले को पांच मिनट तक भूनें व तीनों प्रकार के चावल में डाल दें। बाउल में तैयार लाजवाब वेजीटेबल तिरंगा पुलाव को हरा धनिया डालकर सर्व करें।

 

 

तिरंगा केक

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सामग्री : एक ब्रेड का बड़ा पैकेट, एक आम, मलाई एक कटोरी, पिसी हुई शक्‍कर एक कटोरी, गुलाब जल एक चम्मच, सजाने के लिए काजू, किशमिश, बादाम, जैम आवश्यकतानुसार।

विधि : सर्वप्रथम मलाई में आधा कटोरी शक्‍कर व गुलाब जल मिलाकर इसे अच्‍छी तरह फेंटे। बाकी बची हुई शक्‍कर आम में मिलाकर उसे फेंटें। अब किसी प्लेट में एक ब्रेड रखें, उस पर आम का मिश्रण फैलाएं, इस पर दूसरी ब्रेड रखकर मलाई का मिश्रण फैलाएं। अब उसके ऊपर ब्रेड की तीसरी स्‍लाइस रखकर उस पर जैम लगाएं।

तत्पश्चात चौथी ब्रेड रखकर मलाई का मिश्रण लगाएं। तत्पश्चात सजावट हेतु काजू, किशमिश आदि चिपकाएं तथा इसे केक की तरह बीच से दो भागों में काट लें। यह तीन रंगों का दिखेगा। तैयार है स्वादिष्‍ट तिरंगा केक।

 

 

 

 

फुटबॉलर मैसी करेंगे वापसी, डेढ़ महीने पहले लिया था रिटायरमेंट

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ब्यूनस आयर्स.पांच बार फीफा के वर्ल्ड बेस्ट फुटबॉलर रहे अर्जेंटीना के लियोनेल मैसी ने रिटायरमेंट का फैसला वापस लेने का एलान कर दिया है। 29 साल के मैसी ने देश के दबाव में ही जून में रिटायरमेंट का फैसला लिया था। अब देश से ‘प्यार’ की वजह से ही नेशनल टीम में वापसी का एलान किया है। बता दें कि बार्सिलोना के इस फॉरवर्ड प्लेयर की कोपा अमेरिका टूर्नामेंट के फाइनल में चिली के खिलाफ खराब परफॉर्मेंस रही थी। इसी के बाद उन पर रिटायरमेंट का दबाव बढ़ा था। मैसी ने कहा- मैं समस्या नहीं बनना चाहता…

मैसी ने कहा कि वे अपने देश का प्रतिनिधित्व जारी रखना चाहते हैं, क्योंकि अंदर रहते हुए मदद करना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, ”मेरे विचार से अर्जेंटीना फुटबॉल में काफी दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन मैं एक और समस्या नहीं बनाना चाहता। मैं देश में फुटबॉल की अंदर रहकर मदद कर सकता हूं, न कि बाहर से आलोचना करके।” ”कोपा अमेरिका के फाइनल की रात मेरे मन में बहुत सारी चीजें चल रही थीं और फिर मैंने रिटायरमेंट के बारे गंभीरता से सोचा, लेकिन अपने देश और इस जर्सी के लिए मेरा प्यार बहुत ज्यादा है।” जून में जब मैसी ने रिटायरमेंट का एलान किया था तो अर्जेंटीना के प्रेसिडेंट मौरीसियो मैक्री और मैसी के आइडल डिएगो मैराडोना ने भी उनसे फैसले पर दोबारा सोचने की गुजारिश की थी। बता दें कि इस स्टार फुटबॉलर मैसी की 1 साल की कमाई 543 करोड़ रुपए है। यानी 1.5 करोड़ रोज।

वर्ल्ड कप से ठीक पहले होगी वापसी
मैसी को वर्ल्ड कप-2018 में उरुग्वे और वेनेजुएला का सामना करने के लिए नए कोच एडगार्डो बाउजा की टीम में नॉमिनेट किया जाएगा। इसके लिए साउथ अमेरिकन क्वालिफायर सितंबर के पहले हफ्ते में होगा। बाउजा ने कल बार्सिलोना में टीम के कप्तान से मुलाकात की थी।

मैसी ने क्यों लिया था रिटायरमेंट?

2008 बीजिंग ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतना अर्जेंटीना की जर्सी में मैसी के लिए सबसे बड़ी कामयाबी रही थी।
लेकिन कोपा अमेरिका के फाइनल में चिली से पेनल्टी शूटआउट में मिली हार से वे मायूस थे। इससे पहले वे दो बार कोपा अमेरिका और एक बार वर्ल्ड कप में टीम को फाइनल तक ले गए थे, पर वहां भी हार गए थे।
जून में रिटायरमेंट के एलान से तीन दिन पहले ओलिंपिक के लिए घोषित नेशनल टीम में भी उन्हें जगह नहीं मिली थी। उस दिन उनका 29वां जन्मदिन भी था।
मैसी के आलोचक भी मानते हैं कि अगर उनके नाम वर्ल्डकप और कोपा अमेरिका खिताब होता तो वे ऑल टाइम ग्रेट फुटबॉलर कहलाते।
स्किल के लिहाज से उन्हें ब्राजील के पेले (3 वर्ल्डकप) और हमवतन माराडोना (1 वर्ल्डकप) के बराबर रखा जाता है।
लेकिन अर्जेंटीना के लिए एक भी बड़ा खिताब नहीं जीत पाने के कारण वे ग्रेटेस्ट फुटबॉलर की होड़ में पिछड़ गए।

 

आईएसआईएस के पंजे से छूटे लोग कटवा रहे दाढ़ी, महिलाएं जला रहीं बुर्के

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दमिश्क. ये आजादी की तस्वीरें है। सीरिया के मनबिज में आईएस के चंगुल से छूटने के बाद लोग कट्‌टरता को ना कहकर आजादी का जश्न मना रहे हैं। इसमें बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सब शामिल हैं। लोग अपनी दाढ़ी कटवा रहे हैं। महिलाएं किस कर बुजुर्गों के प्रति अपना सम्मान दिखा रही हैं। साथ ही बुर्के भी जला रही हैं। पहली बार सार्वजनिक जगहों पर बिना नकाब पहने महिलाओं के चेहरे दिख रहे हैं।

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लोगों को ढाल बनाकर भागे आतंकी
सीरिया के उत्तरी हिस्से के मनबिज में जनवरी 2014 से आईएस का कब्जा था। अमेरिका सेना और कुर्द लड़ाकों ने इसे आईएस से छीन लिया है। करीब दो हजार नागरिकों को ढाल बनाकर ज्यादातर आतंकी भागने में कामयाब रहे हैं।

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एक हजार आतंकी मारे गए…
इस लड़ाई में 437 नागरिक मारे गए। इसमें 105 बच्चे भी हैं। इसके अलावा 299 सीरिया डेमोक्रेटिक फाइटर्स और करीब एक हजार आतंकी मारे गए। 2014 में यहां 10 हजार की आबादी थी। आईएस के चलते 7 हजार लोग पलायन कर गए।

 

कक्षाएं न छूटे, जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते है शिक्षक

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रायपुर.देश के अलग-अलग हिस्सों में स्कूलों के टीचर अक्सर हड़ताल और दूसरी उटपटांग हरकतों की वजह से चर्चाओं में रहते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में इससे बिलकुल अलग मामला देखने को मिला है। बारिश के दौरान बच्चों की क्लास न छूट पाए, यहां सरकारी स्कूलों तक पहुंचने के लिए टीचर नदी की तेज धार का सामना करते हैं। बरसात में जान जोखिम में डालकर वे यह रोज का सफर तय करते हैं।

मिसाल से कम नहीं है शिक्षकों की यह जिद, छत्तीसगढ़ में कहां का है मामला…

रायपुर से महज 80 किमी दूर है राजनांदगांव जिला का मानपुर। वहां से 15-20 किमी अंदर हैं चावरगांव, मुंजाल और सहपाल गांव।इन गांवों के स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स का सफर काफी मुश्किल भरा है। बसेली नाम के इलाके तक गाड़ी जाती है और उसके बाद मुश्किलों भरा सफर शुरू होता है। यहां कोटरी नदी उफान पर हाेने के कारण रास्ता बदलना पड़ता है। इसके बाद नदी पार करने के लिए खेत के रास्ते दो किमी और पैदल चलना होता है। इस 2 किमी के सफर में 4 फीट तक पानी है, इसलिए इन टीचर्स ने जूते और कपड़े हाथ में ले लिए। एक जोड़ी कपड़ा बैग में एक्स्ट्रा रखने होते हैं।इसके बाद गांव की 4-5 किमी का सफर पैदल पगडंडियों के सहारे पूरा होता है।इस मुश्किल सफर का मकसद सिर्फ बच्चों की पढ़ाई है। इस सारी कवायद में काफी जोखिम होता है, लेकिन ये टीचर्स कैसे भी स्कूल जाने की पूरी कोशिश करते हैं। सहपाल के टीचर मो. रफीक खान, चावरगांव के एचएम रामलाल मंडावी, सहपाल के एचएम कोदूराम नेताम, राजेंद्र वर्मा, त्रिवेद साहू इस सफर के दौरान ही पढ़ाई का शेड्यूल भी बना लेते हैं।

 

सेरेब्रल पाल्सी होने पर भी विकलांग कोटा की नौकरी ठुकराई, 2 कंपनियों के निर्माता बने अजीत बाबू !

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सेरेब्रल पाल्सी और डिस्लेक्सिया होने के बावजूद, आज अजीत बाबू है दो सफल कंपनियों के निर्माता – आईये जाने उनके इस प्रेरणादायी सफ़र के बारे में !

“अपने हौसले को ये मत बताओ, कि तुम्हारी तक्लीफ कितनी बड़ी है।

अपनी तक्लीफ को बताओ , कि तुम्हारा हौसला कितना बड़ा है।”

अजीत बाबू ने अपने हौसले और दृढ निश्चय से इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया है। उन्होंने सेरेब्रल पाल्सी और डिस्लेक्सिया से ग्रस्त  होने के बावजूद भी दो सफल कंपनियों को स्थापित किया है।

“मुझे कभी नही लगा कि मैं बाकी लोगों से अलग हूँ। मुझे लगता है  लोग, सेरेब्रल पाल्सी और डिस्लेक्सिया जैसी चीज़ों को बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं। लोग, ऐसे लोगों को महसुस कराते हैं कि वो अलग है। पर मुझे किसी ने ये महसुस नही कराया। जब मैं सुबह उठा तो मुझे कहा गया कि जाओ पैसे कमा कर लाओ फिर खाओ। मेरे पास ज्यादा विकल्प नही थे, इसलिए मैंने वो किया जो मैं कर सकता था। बस! मुझे नही पता इसको कैसे एक  प्रेरणात्मक कहानी के रूप मे बताया जाये।

–अजीत मुस्कुराते हुए कहते हैं।

मिलिए इस २६ वर्षीय एनत्रेप्रेनेर से जो सेरेब्रल पाल्सी एवं डिस्लेक्सिया से ग्रस्त होते हुए भी कितनों के लिए एक उदहारण है।

आज कई भ्रमों को तोड़ते हुए अजीत ‘लाइफ हैक इन्नोवेशंस’ नामक कम्पनी के फाउंडर एवं सीईओ हैं। इसके अलावा उन्होंने दो और कंपनियां शुरू की हैं। लेकिन अगर आप उनसे पूछेंगे तो उन्हें इसमें कुछ भी ख़ास नही दिखता। इस युवक का अपनी बीमारी को लेकर भी वही यथार्थवादी नजरिया है जो अपनी ज़िन्दगी को लेकर है।

१९८९ में  बंगलोर में समय से पूर्व जन्मे अजीत को सेरेब्रल पाल्सी से ग्रस्त घोषित कर दिया गया था। सेरेब्रल पाल्सी एक ऐसी बीमारी है जिसमे जन्म के समय या जन्म के तुरंत बाद दिमाग के कुछ सेल्स के मृत हो जाने से शारीरिक कार्य क्षमता बाधित हो जाती है। और डिस्लेक्सिया में इंसान को पढने में कठिनाई होती है। लेकिन अजीत ने इन बीमारियों को कभी अपनी कमजोरी नही बनने दिया। एक जिज्ञासु बच्चे से एक सफल व्यवसायी बनने  तक का उनका सफ़र काफी घटनापूर्ण रहा है।

ये सब कर्णाटक के एक एनजीओ- ‘स्पास्टिक सोसाइटी ऑफ़ कर्नाटक’ में शुरू हुआ जहाँ उसकी बीमारी को पहचाना गया था। ये संस्था नयूरोमस्कुलर एवं डेवलपमेंटल कमियों से ग्रस्त लोगों की सहायता करती है। इस संस्था ने अजीत के माता पिता को उसकी स्थिति के बारे में बताया और उन्हें समझाया कि उसके साथ कैसा व्यवहार करना है।

बड़े होने के साथ ही अजीत का लेखन तथा पत्रकारिता की तरफ रुझान बढ़ने लगा। इसीलिए स्कूल की पढाई पूरी करने के बाद वो बंगलौर के ‘क्रिस्तु जयंती कॉलेज’ जाने लगा।

लेकिन डिस्लेक्सिया के कारण उन्हें कुछ विषयों को समझने में मुश्किल होती थी और आख़िरकार उन्हें कॉलेज छोड़ना पड़ा।

“कॉलेज छोड़ने के बाद मैंने एक कॉल सेंटर में काम करना शुरू कर दिया। मैंने बंगलोर के लगभग १० कॉल सेंटरों में काम किया। मेरे बार बार नौकरियां बदलने का कारण ये था कि मैं बहुत जल्दी उस नौकरी से ऊब जाता था। एक बार तो ऐसा लगा कि मैं अच्छे पैसे कमा रहा हूँ, और ये नौकरी भी काफी चुनौतीपूर्ण है। पर जल्दी ही मैं उस से भी ऊब गया। अंत में मैंने कुछ अपना करने का सोचा।”

इस समय तक अजीत के पास लेखन, थिएटर और निर्देशन का भी अनुभव था।२००९ मे उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ मिल कर ‘ड्रीम क्लिक कॉन्सेप्ट्स’ नामक एक कंपनी की शुरुआत की, जो उनका पहला उधमी उपक्रम था। ड्रीम क्लिक में काम करते करते अजीत अपने एक दोस्त की कंपनी में शामिल हुए जहाँ से उन्होंने मार्केटिंग के गुर सीखे। इसके साथ साथ वो कॉलेजों में  मार्केटिंग और सेल्स पर प्रेरणात्मक भाषण भी देने लगे थे।

अजीत का परिवार उनके बार बार नौकरी छोड़ने से खुश नहीं था। उनके पिता जो एक सरकारी कर्मचारी हैं, ने उन्हें रेलवे या डाक विभाग में  विकलांग कोटा से नौकरी करने को कहा। पर अजीत के मन में कुछ और ही चल रहा था।

“मुझे विकलांग शब्द से नफरत थी और मुझे किसी की हमदर्दी नही चाहिए थी” –वो कहते हैं।

नेपाल के भूकंप के बाद ही उन्हें इस कंपनी का ख्याल आया। 

और फिर शुरुआत हुई लाइफ हैक इन्नोवेशंस की, जो एक ऐसी कंपनी है जिसका उद्देश्य अक्षय उर्जा को रोजमर्रा की ज़िन्दगी में शामिल करना है।

“अगर आप अक्षय उर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) के बारे में सोचे तो पहला ख्याल यही आता है कि ये कोई बहुत मुश्किल चीज़ है। लेकिन अभी के हालात में इसकी जरुरत है –सिर्फ इसलिए नहीं कि धरती को बचाना है जैसा कि लोग कहते हैं पर हमारे खुद के लिए। और अजीत के मुताबिक ऐसा करने का एक ही तरीका है-अक्षय उर्जा को हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बनाना। आप किसी भी एक उपकरण को ले और उसे अक्षय उर्जा से चलने वाला बनाये।

-अजीत कहते हैं।

शुरुआत मे पैसों का इंतज़ाम करना मुश्किल था पर जब उन्होंने अपने आइडिया के बारे में अपने दोस्तों को बताया तो वे उनकी मदद करने को सहर्ष तैयार हो गये। करीब १५-२० दोस्तों ने मिल कर ७-८ लाख रूपये इकट्ठे किये और अजीत ने इसकी मदद से ५ लोगो की टीम बना कर शुरुआत की।

फिलहाल उनकी कंपनी एक उपकरण पर ही ध्यान क्रेंदित कर रही है एक ऐसा पोर्टेबल पॉवर बैंक जो सौर उर्जा, वायु उर्जा एवं बिजली से चार्ज होगा।

इस उपकरण के बारे मे पूछने पर अजीत कहते हैं-

“ कई लोग पोर्टेबल पॉवर बैंक लेकर चलते हैं। पर एक पॉवर बैंक ६-७ घंटे मे चार्ज होता हैं। इसलिए कई बार पॉवर बैंक चार्ज नही होता। तो अगर कोई इतना वक्त पॉवर बैंक को चार्ज करने में लगायेगा तो क्यूँ न वो अपना फ़ोन ही चार्ज कर ले। “

इसलिए अजीत ने एक ऐसा पॉवर बैंक बनाने का सोचा जो एक अच्छे सोलर पैनल से चलेगा जिसकी कीमत भी कम होगी और कम समय में ज्यादा देर के लिए चार्ज हो जाएगा। पर इतना काफी नहीं था। अजीत ने उन सभी कारणों के बारे में भी सोचा जो एक सौर उर्जा (सोलर पॉवर) से संचालित उपकरण को चार्ज होने से रोकेंगे, जैसे की कई दिनों तक धुप न निकलना। इसलिए उन्होंने “जुगाड़” (लाइफ हैक को हिंदी मे जुगाड़ कहते हैं ) लगाया। इस पॉवर बैंक में एक छोटा सा पंखा भी होगा जिससे निकलने वाली उर्जा भी इस उपकरण को चार्ज करेगी। और साथ ही साथ ये उपकरण बिजली से भी चार्ज होगा।

यह पॉवर बैंक अभी उत्पादन प्रक्रिया में है और इस माह के अंत तक मार्किट में उपलब्ध होगा।

“मुझे डिस्लेक्सिया है इसलिए मुझे कुछ बातों को समझने में मुश्किल होती है पर एक बार मेरी रूचि जाग जाये तो फिर उस चीज़ को समझने में मैं अपनी पूरी ताकत लगा देता हूँ।”

-अजीत कहते हैं।

भविष्य के बारे में पूछने पर वो कहते हैं कि लाइफ हैक तो बस शुरुआत है, अभी उनके दिमाग में बहुत सारे उपक्रम हैं जिन्हें वो एक एक कर के शुरू करेंगे। और साथ ही साथ वो एक किताब भी लिख रहे हैं। वो अपनी जर्नलिज्म की पढाई भी पूरी करेंगे।

वो कहते हैं-

“ मुझे जितना, ‘विकलांग’-  इस शब्द से नफरत है, उतना ही मुझे इस शब्द के साथ जोड़ा जाता है। इसलिए मैं दुनिया को दिखाना चाहता हूँ कि एक विकलांग  इंसान क्या क्या कर सकता हैं।

(साभार – द बेटर इंडिया)

छाता खरीदते समय जरूर रखें इन बातों का ख्याल

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बरसात के इस मौसम में छाते की जरूरत तो हम सभी को पड़ती है लेकिन छाता खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस बारे में कम ही लोग सोचते हैं. ज्यादातर लोग तो सिर्फ छाते का रंग और उसके ओपन बटन को चेक करके ही छाता खरीद लेते हैं. लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है। जिस तरह हर चीज को खरीदने के कुछ खास पैमाने होते हैं, उसी तरह छाता खरीदने से पहले भी कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।

आपने अभी तक छाता नहीं खरीदा है और खरीदने का मन बना रहे हैं तो दुकान पर जाकर सबसे पहले इन बातों को परखें और उसके बाद ही छाता लें।

छाते की लंबाई 10 या 11 इंच हो तो बेहतर.

छतरी की गोलाई अच्छी होनी चाहिए.ताकि पूरी सुरक्षा मिले।

छाते का हैंडल आरामदायक होना चाहिए. ताकि बहुत देर तक हैंडल पकड़ने पर भी हाथों में दर्द न हो।

दाम देखकर कभी भी छाता नहीं खरीदें।

छाते का शाफ्ट मजबूत होना चाहिए।

सूखती आंखों को ऐसे दीजिए राहत

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आंखों में अगर सूखापन महसूस होता है तो पहले वजह जान लें। देर तक कम्प्यूटर पर काम करने या टीवी, स्मार्टफोन देखने और किताब पढ़ने की वजह से ऐसा होता है। क्योंकि इन कामों के दौरान आप आंखें ब्लिंक बेहद कम करते हैं। आंखों को बार-बार झपकने की आदत बनाएं।

– बारिश के मौसम में आंखों को इनफेक्शन से बचाना भी बेहद जरूरी है। बारिश बंद होने के बाद उड़ती धूल में बाहर निकलते वक्त सन ग्लास जरूर लगाएं। इससे आंखों पर एक शील्ड बनी रहती है और इन्फेक्शन होने का डर भी नहीं होता।

– आंख सेंकने से भी काफी आराम महसूस होता है। सही तकनीक कई तरह की हो सकती है। चाहें तो अपने डॉक्टर से भी राय ले सकते हैं या गूगल करें।

– कभी भी ज्यादा देर तक लेंस पहनकर नहीं रखना चाहिए। इससे भी आंखें सूखने लगती हैं। कुछ अंतराल के बाद लेंस निकाल कर चश्मा भी पहनते रहें।

 

रेप सर्वाइवर को बहू बनाया, कानूनी लड़ाई में साथ है हरियाणा का ये किसान परिवार!

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29 साल के जितेन्द्र छत्तर  हरियाणा के जिंद में रहनेवाले एक किसान हैं। समाज की धारणा को ठुकराते हुए उन्होंने एक रेप सर्वाइवर से शादी करने का निर्णय लिया। अब वे अपनी पत्नी की न्याय पाने की लड़ाई में भी उनका बखूबी साथ निभा रहे हैं। जितेन्द्र ने अपनी पत्नी का दाखिला एक लॉ स्कूल में करा दिया है जिससे वो अपनी लड़ाई खुद लड़ सकें।

जितेन्द्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “अब वो खुद वकील के तौर पर न्यायिक सेवा में हिस्सा ले सकती हैं और दूसरे रेपसर्वाइवरों की मदद कर सकतीं हैं। हमने इस काम के लिए ‘यूथ अगेन्स्ट रेप्स’ नामक एक मंच की शुरुआत कर दी है।“जितेन्द्र आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री की दखल चाहते हैं।जब जीतेन्द्र के घरवालो ने शादी का प्रस्ताव रखा था तभी उनकी पत्नी ने उन्हें अपने साथ हुए हादसे के बारे में सब कुछ बता दिया था।

उनकी पत्नी यह चाहती थी कि जीतेन्द्र कहीं और शादी कर ले क्यूंकि उनसे शादी करके नाहक ही जीतेंद्र के परिवार को सामाजिक विरोध का सामना करना पड़ता। पर सच्चाई जानने के बाद भी जीतेंद्र और उनके परिवारवालों ने अपना फैसला नहीं बदला। जिंद के ही रहने वाले नीरज ने चार लोगों के साथ मिलकर उनका रेप किया था। आरोपियों में एक महिला भी शामिल है। जब जितेन्द्र के परिवार वालों ने यह रिश्ता मंजूर कर लिया तो उन्होंने जितेन्द्र को सच्चाई बताने का फैसला किया।

उन्होंने एक अँग्रेजी अखबार को बताया, “सगाई के बाद से हम वकील से बातचीत या कोर्ट के अलावा कभी इस केस की चर्चा नहीं करते हैं।  मैं और मेरा परिवार इस लड़ाई में साथ निभाने के लिए जितेन्द्र के शुक्रगुजार हैं। जितेन्द्र को खुद भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन पर आरोपियों ने कई झूठे मुकदमे कर दिये हैं।”

जितेन्द्र और उनका परिवार पूरे समाज के लिए एक मिसाल है तथा इस बात का सूचक है कि हमारी आनेवाली पीढी बिलकुल सही दिशा में आगे बढ़ रही है।

(साभार – द बेटर इंडिया)

सावधान इंडिया की एक्ट्रेस बनी मिस टीन इंटरनेशनल, मां ने की थी ड्रेस डिजाइन

रांची/हजारीबाग.छोटे शहर की बेटियां मेट्रो सिटी की लड़कियों को भी अपने टैलेंट से मात दे रही है। ऐसी ही एक बेटी झारखंड के छोटे शहर हजारीबाग की है, जिन्होंने मिस टीन इंटरनेशनल 2016 (ब्यूटी कॉम्पिटीशन) का खिताब अपने नाम किया है। जी हां, 19 साल की स्टेफी पटेल ने थाइलैंड के चियांगमै में 52 देशों की ब्यूटीज को पीछे छोड़कर क्रॉउन अपने नाम कर ली। वे इस कॉम्पिटीशन में भारत को रिप्रजेंट कर रही थीं।

मां की डिजाइन की हुई ड्रेस में परफॉर्मेंस…

बता दें कि स्टेफी पटेल के सारे ड्रेस उनकी मां माधुरी सिन्हा डिजाइन करती हैं। वे अपनी मां के डिजाइन किए हुए कपड़ों में ही थाइलैंड में भी परफॉर्म की थीं।  मिस टीन इंटरनेशनल 2016 की विनर बनने पर उनके घर में बधाई देने वालों की भीड़ लगी है। उनके पिता अमरेंद्र कुमार ने कहा है कि स्टेफी ने देश के साथ-साथ झारखंड का भी नाम रोशन किया है। स्टेफी के दादा अर्जुन प्रसाद तो पोती की जीत की खुशी में रो पड़े।  उन्होंने कहा कि मिडिल क्लास की फैमिली से निकलकर इस मुकाम तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है।

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सावधान इंडिया में कर चुकी हैं काम

स्टेफी पटेल कई सीरियल में भी काम कर चुकी हैं। वे सावधान इंडिया, वी चैनल, डीडी बिहार में अपना टैलेंट दिखा चुकी हैं। इसके अलावा वे 2014 में मिस टीन इंडिया में रनरअप, फेमिना मिस इंडिया की फाइनलिस्ट सहित इंडियन प्रिंसेस 2015 मिस इंप्रेसोनेट आईआईटी कानपुर रह चुकी हैं। मिस वर्ल्ड रह चुकीं सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय की तरह वो मिस वर्ल्ड कॉम्पिटीशन जीतना चाहती हैं। साथ ही अलिनोर के लिए कैम्पेनिंग ऐड, प्लाजा केबल एड के अलावा कई नामीगिरामी कंपनियों की ऐड कर चुकी हैं।

सभी राउंड में जजेज को किया इम्प्रेस

मिस टीन इंटरनेशनल 2016 कॉम्पिटीशन 21 से 25 जुलाई तक थाइलैंड में चल रही थी। इसके सभी राउंड में स्टेफी पटेल ने अपने परफॉर्मेंस जजेज को इंप्रेस कर दिया। 21 जुलाई को ओरिएंटेशन राउंड, 22 को इंटरो राउंड, 23 को कॉस्ट्यूम राउंड और टेलेंट राउंड हुआ।  स्टेफी ने सभी राउंड में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए यह प्रतियोगिता अपने नाम कर ली। 24-25 जुलाई की शाम 6.00 बजे से रात 12.00 बजे तक चले फाइनल राउंड में स्टेफी ने यह खिताब अपने नाम कर लिया।

फिल्मों में नहीं किया था काम

बता दें कि स्टेफी पटेल खेल की दुनिया में भी झारखंड में पॉपुलर हुई है। उन्होंने हजारीबाग जिले और झारखंड को बैडमिंटन में रिप्रेजेंट किया है। हजारीबाग के डीएवी स्कूल से उन्होंने बारहवीं तक पढ़ाई की है। स्कूलिंग के दौरान वो कई स्टेज शो में हिस्सा लेती थीं। स्टेफी पटेल दिल्ली यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में ग्रैजुएशन कर रही हैं। उनका कहना है कि मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखने के बावजूद पढ़ाई को कभी नहीं छोड़ा। 2014 में मिस टीन इंडिया बनने पर कई ऑफर आए थे, लेकिन मिस यूनिवर्स की तैयारी के लिए उन्होंने ठुकरा दिया। बता दें कि स्टेफी को सोशल वर्क में भी काफी इंटरेस्ट है। हजारीबाग आने पर वो कई सोशल एक्टिविटी में हिस्सा लेती हैं।