Saturday, September 20, 2025
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हावड़ा राइटर्स एसोसिएशन की ओर से सम्मानित किये गये साहित्यकार

हावड़ा ।  हावड़ा राइटर्स एसोसिएशन के वार्षिक साहित्यिक सम्मान शिवपुर में इदारा इमदादुल गुर्बा में प्रदान किये गये। हिन्दी साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए यह सम्मान डॉ.अभिज्ञात, बांग्ला के लिए अमित मुखोपाध्याय और उर्दू के लिए शब्बीर जुल मनान को दिया गया। संस्था के संस्थापक और विख्यात साहित्यकार स्वर्गीय कैसर शमीम की स्मृति में किसी उर्दू साहित्यकार को दिया जाने वाला कैसर शमीम अवार्ड हलीम साबिर को मिला। एसोसिएशन के सदस्य लेखक का सम्मान डॉ.सुल्तान साहिर को और विशेष
सम्मान से शहनाज रहमत को नवाजा गया। समारोह को संस्था के अध्यक्ष डॉ.मुहम्मद शमसुल हसन अंसारी, सचिव जावेद मजीदी ने सम्बोधित किया। समारोह की अध्यक्षता डॉ.शाहिद अख्तर ने की।

महिला सशक्तीकरण की गतिविधियों में तेजी लायेंगी वीरांगनाएं

कोलकाता । अंतरराष्ट्रीय क्षत्रिय वीरांगना फाउंडेशन, पश्चिम बंगाल ने नववरष में महिला सशक्तीकरण की गतिविधियों को और तेज करने का संकल्प लिया। विक्टोरिया मेमोरियल परिसर में संस्था की वार्षिक गतिविधियों की समीक्षा की गयी और अगले वर्ष की योजनाओं की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया गया। प्रतिभा सिंह ने कहा कि महिलाओं ने अपनी साहिस और उद्यम के जरिए यह संकेत दिया है कि वे बहुत कुछ कर सकती हैं। विश्वास है कि यह सदी महिलाओं की होगी।
बैठक की अध्यक्षता वीरांगना की प्रदेश अध्यक्ष और विख्यात गायिका-अभिनेत्री प्रतिभा सिंह ने किया। कार्यक्रम में वीरांगना की प्रदेश महासचिव प्रतिमा सिंह, उपाध्यक्ष रीता सिंह, कोलकाता इकाई की अध्यक्ष मीनू सिंह, महासचिव इंदु संजय सिंह, कोषाध्यक्ष संचिता सिंह, उपाध्यक्ष ललिता सिंह, पदाधिकारी मीरा सिंह, गीता सिंह, प्रेमशीला सिंह, मीनाक्षी तिवारी,  सोदपुर इकाई की अध्यक्ष सुनिता सिंह,  पदाधिकारी जयश्री सिंह, मंजू सिंह उपस्थित थीं।

हर दिन नया नया ही होता : स्वरचित कविताओं से नव वर्ष का स्वागत

कोलकाता । अर्चना संस्था की ओर से कविताओं के माध्यम से नये वर्ष 23 की अग्रिम शुभकामनाएँ दी गई।  इंदू चांडक ने माँ शारदे की स्तुति से संचालन का शुभारंभ किया। 22 दिसम्बर को 4.30 बजे जूम पर हुए इस संगोष्ठी में अर्चना संस्था के 10 से अधिक कवियों ने स्वरचित कविताएँ पढ़ीं। बनेचंद मालू,  शशि कंकानी, विद्या भंडारी, नौरतनमल भंडारी, हिम्मत चौरडिया, उषा श्राफ, इंदू चांडक, वसुंधरा मिश्र, मृदुला कोठारी ने नये वर्ष और पुराने वर्ष की संधि स्थल से संबंधित विभिन्न विचारों को अपनी कविताओं, रचनाओं और गीतों की प्रस्तुति दी। मृदुला कोठारी ने टुकड़े-टुकड़े धूप लेकर दिवस चला है रात की ओर गीत और पुराना साल जा रहा/नव वर्ष आ रहा प्रस्तुति दी। पुरातन की विदाई/ नव वर्ष का आगमन/शिकायत है हमें अवसर ही नहीं मिला बनेचंद मालू की सकारात्मक ऊर्जा से भरी कविताओं को सुना गया। उषा श्राफ ने कविता में अपनी इच्छा व्यक्त  – फिर ज़िन्दगी को एक बार फिर पलट कर जीना चाहती हूं। नौरतनमल भंडारी ने गजल और कविता हरा भरा मेरा मन/हो गया है रेगिस्थान।/मेघो के गरजने/या बादलों के बरसने से/एक हूक सी उठती है ।  ग़ज़ल उठ गया लोगों से /ऐतबार,क्या करे /जहर उग्लते बैरी संसार, पसंद की गई ।पंच चामर छंद आधारित गीतिका सुनाते हुए हिम्मत चौरडिया ने लोगों को महत्वपूर्ण संदेश देते हुए छंदों के साथ कहा कि राम कहो रहमान कहो तुम, बंद करो नित ये झगड़े।विद्या भंडारी ने दो कविताओं में भविष्य में मनुष्यता पर होने वाले खतरे पर ध्यान दिलाया हर दिन एक नया  सूरज उगाना चाहती हूँ / इससे  पहले कि शहर  जंगल में बदल जाए /आओ कुछ करें ।शशि कंकानी ने नए वर्ष का अभिनंदन करते हुए कहा कि नये वर्ष की नयी सुबह काश/आओ हम सब करें अभिनन्दन ।/ हम सब पक्षी डाल – डाल के/कब उड़ जायें कौन दिशा में।। इंदू चांडक ने स्मृतियों के खजाने में एक वर्ष फिर समाया /लक्ष्य हमारा आसमान है बढ़े चलें बढ़े चलें सुनाया। वसुंधरा मिश्र ने  हर दिन नया और शरद कविता सुनाते हुए कहा कि क्या ही अच्छा होता हर दिन नया नया ही होता /मन का त्योहार बन आ जाता /अणु अणु में उष्मा भर जाता। संगीता चौधरी, मीना दूगड़, भारती मेहता, सुशीला चनानी, गुलाब वैद, प्रसन्न चोपड़ा, निशा कोठारी, देवी चितलांगिया, सुधीर पाटोदिया आदि सदस्यों ने नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएँ दी। सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

अभिज्ञात के काव्य संग्रह जरा सा नॉस्टेल्जिया पर संगोष्ठी

कोलकाता । साहित्यिकी की ओर से अभिज्ञात के दसवीं कविता संग्रह जरा सा नॉस्टेल्जिया ‘पर संगोष्ठी का आयोजन भारतीय भाषा परिषद पुस्तकालय हाल में किया गया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर वसुंधरा मिश्र ने कहा कि अभिज्ञात की कविताएं ग्राम्य जीवन व नगरीय जीवन के बीच सेतु हैं ।उनकी कविताओं में उदात्त सकारात्मक संदेश है। संवेदना, हालात के बदलने की बेचैनी और गांव के विछोह की असीम व्यथा है ।वे 20वीं और 21वीं सदी के बड़े रचनाकार हैं ।
नीता अनामिका ने कहा कि अभिज्ञात की कविता में विचार और संवेदना अनूठे ढंग से पिरोई गई हैं। कविताओं में न केवल स्मृतियों का आस्वाद है ,बल्कि वर्तमान और भविष्य के धागे भी उससे जुड़े हैं। विमलेश त्रिपाठी का कहना था कि जो लोग गांव से प्रवासी होकर शहरों में अरसे से रह रहे हैं उन सबमें स्वाभाविक तौर पर अपनी जड़ों को लेकर नॉस्टेल्जिया है
अभिज्ञात ने अपने पहले ही कविता संग्रह का नाम एक अदहन हमारे अंदर रखकर यह इंगित कर दिया था कि आधहन जैसे शब्दों से शुरू उनकी साहित्यिक यात्रा जड़ों की चिंता की भी यात्रा है। उन्होंने अभिज्ञात की स्त्री जब खुश होती कविता को विशेष तौर पर उल्लेखनीय बताया। फिल्म कार आशुतोष पाठक नेअभिज्ञात की इस बात से सहमति जताई कि कविता हथियार उठाने के लिए ही नहीं प्रेरित करती बल्कि वह हथियार छोड़ने में भी मददगार हो सकती है। डॉक्टर गीता दूबे ने अभिज्ञात की तीन कविताओं की आवृत्ति की । संस्था की अध्यक्ष विद्या भंडारी ने कहा कि अभिज्ञात छोटी कविताओं में भी बड़ी बात कहने का हुनर जानते हैं। उनकी कविता गागर में सागर है। अभिज्ञात
ने कहा कि आप जो भी कहें, जो भी करें उसमें थोड़ी सी कविता भी हो तो बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। कविता जीने की पद्धति है जिसे अपनाकर तनाव व हताशा से मुक्ति पाई जा सकती है कार्यक्रम का संचालन करते हुए संजना तिवारी ने कहा कि अभिज्ञात की कविता की हर आवृत्ति के साथ नए अर्थ खुलते हैं ।संस्था का परिचय साहित्यिकी की सचिव डॉक्टर मंजू रानी गुप्ता ने किया।

तीन आपराधिक विधेयक बने कानून और पीछे छूटी ब्रिटिश औपनिवेशिक गुलामी

शुभजिता फीचर डेस्क

लोकसभा एवं राज्यसभा में को तीन नए आपराधिक विधेयक पारित हो गए और राष्ट्रपति ने भी इसे मंजूरी दे चुकी है। इससे जल्द न्याय मिलने की आस जगी है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कई जरुरी प्रावधान किए गए हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से लिए गए बयान और रिकॉर्ड को साक्ष्य और दस्तावेज के रूप में शामिल किया गया है। इससे साक्ष्य के तौर पर टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा। भविष्य के लिए, मोबाइल, कैमरा, सर्वर, आईएमआई, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि का भरपूर इस्तेमाल होगा। साथ ही हिरासत की सूची सभी पुलिस थानों पर रखनी होगी। इसको हर 24 घंटे में अपडेट किया जाएगा। अब जानकारी छुपाने पर थानेदार पर कार्रवाई और पदोन्नति रुक जाएगी। 4 साल पहले ही कानून में सुधार की पटकथा लिख दी गई थी, जानते हैं इन परिवर्तनों के बारे में –
7 साल से ज्यादा सजा के सभी मामलों में फोरेंसिक अनिवार्य – वहीं फोरेंसिक साइंस 7 साल से ज्यादा सजा के सभी केस में अनिवार्य होगा। जमानत, बॉन्ड और आतंकवाद की कानूनी परिभाषा पहली बार दी गयी। अब राजद्रोह की जगह देशद्रोह होगा। किसी भी व्यक्ति के खिलाफ बोलना, लिखना या कहना राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आएगा। इसके अलावा पहली बार मॉब लिंचिंग पर अधिकतम फांसी की सजा का प्रवधान किया गया है। मॉब लिंचिग को पारिभाषित करते हुए कहा गया है कि अगर 5 से ज्यादा लोग गुनाह में शामिल हैं.
45 दिन अंदर निचली अदालत को देना होगा फैसला – अब देश द्रोह कर विदेश भागे हुए अब्सकॉन्डर के लिए ट्रायल हो सकेगा। सजायाफ्ता होने के बाद इससे समझौते के जरिए विदेशों से देश में वापस ला पाना आसान होगा। पॉक्सो Pocso में 15 को 18 कर दिया गया था मगर सीआरपीसी में फांसी नहीं थी। डायरेक्टर ऑफ प्रॉसिक्यूशन, अब पीपी मनमानी कर पायेगा। वहीं कानून से फिलहाल अवैध सम्बन्धों यानी विवाहेतर सम्बन्धों को हटा दिया गया है। आईपीसी के धारा 304 के तहत गैर इरादतन मौत पर डॉक्टर को महज 2 साल की सजा होगी बाकि सबको 10 साल की सजा का प्रावधान है। अब मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद 45 दिन अंदर निचली अदालत को फैसला सुनाना होगा उसके 7 दिन के अंदर सजा देनी होगी। अब निचली अदालत के वकील को सिर्फ दो ही तारीखें मिलेंगी।
नए कानून में बदलाव की प्रमुख बातें
परामर्श की प्रक्रिया – आपराधिक न्याय प्रणाली के कानूनों में सुधार की यह प्रक्रिया 2019 में प्रारंभ की गई थी। विभिन्न हितधारकों से इस संदर्भ में सुझाव मांगे गए। 2019 को यह गृह मंत्रालय ने इस सुधार प्रक्रिया की शुरुवात की। गृहमंत्री ने सितम्बर 2019 में सभी राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों/प्रशासकों को पत्र लिखा। जनवरी 2020 में भारत के मुख्य न्यायाधीश, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों, बार काउंसिलों और विधि विश्वविद्यालयों और दिसम्बर 2021 में माननीय संसद सदस्यों से भी सुझाव मांगे गए। बीपीआरडी ने सभी IPS अधिकारियों को सुझाव मांगे। मार्च 2020 को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के कुलपति की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित की गई। इसमें कुल 3200 सुझाव प्राप्त हुए । 18 राज्यों, 06 संघ राज्य क्षेत्रों, भारत के सुप्रीम कोर्ट, 16 उच्च न्यायालयों, 27 न्यायिक अकादमियों- विधि विश्वविद्यालयों, संसद सदस्यों, आईपीएस अधिकारियों, पुलिस बलों ने भी सुझाव भेजे। गृह मंत्री ने 150 से ज्यादा बैठकें की. इन सुझावों पर गृह मंत्रालय में गहन विचार-विमर्श किया गया.
परिवर्तन यात्रा
भारतीय न्याय संहिता- इसमें 358 धाराएं होंगी (आईपीसी की 511 धाराओं के स्थान पर)। 20 नए अपराधों को जोड़ा गया है। 33 अपराधों में कारावास की सजा को बढ़ाया गया है। 83 अपराधों में जुर्माने की सजा राशि को बढ़ाया गया है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरु की गई है। 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड शुरु किया गया है। 19 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता – इसमें 531 धाराएं होंगी। (सीआरपीसी की 484 धाराओं के स्थान पर) कुल 177 प्रावधानों में बदलाव हुआ है। 9 नए सेक्शन, 39 नए सब-सेक्शन जोड़े गए हैं तथा 44 नए प्रोविजन तथा स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं। 35 सेक्शन में समयसीमा जोड़ी गई है। 35 जगह पर ऑडियो-विडियो का प्रावधान जोड़ा गया है। 14 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम- इसमें 170 धाराएं होंगी (मूल 167 धाराओं के स्थान पर)। कुल 24 धाराओं में बदलाव किया गया है। 2 नई धारा, 6 उप-धाराएं जोड़ी गई हैं तथा 6 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं।

भारतीय न्याय संहिता की प्रमुख बातें
भारतीय जरूरतों के अनुसार प्राथमिकता – ब्रिटिश शासन को मानव-वध या महिलाओं पर अत्याचार से महत्त्वपूर्ण राजद्रोह और खजाने की रक्षा थी। इन तीन कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों, हत्या और राष्ट्र के विरुद्ध अपराधों को प्रमुखता दी गई है। इन कानूनों की प्राथमिकता भारतीयों को न्याय देने का है। उनके मानवाधिकारों के रक्षा की है।
महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध – भारतीय न्याय संहिता ने यौन अपराधों से निपटने के लिए ‘महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध’ नामक एक नया अध्याय पेश किया है। विधेयक में 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के बलात्कार से संबंधित प्रोविजन में बदलाव का प्रस्ताव कर रहा है.
नाबालिग महिलाओं के सामूहिक बलात्कार को पॉक्सो के साथ सुसंगत बनाता है। 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दण्ड का प्रावधान किया गया है। सामूहिक दुष्कर्म के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान है। 18 वर्ष से कम उम्र की स्त्री के साथ सामूहिक बलात्कार का एक नयी अपराध श्रेणा होगी। धोखे से यौन संबंध बनाने या विवाह करने के सच्चे इरादे के बिना विवाह करने का वादा करने वाले व्यक्तियों के लिए लक्षित दंड का प्रावधान करता है।
आतंकवाद – भारतीय न्याय संहिता में पहली बार आतंकवाद की व्याख्या की गई है. इसे दंडनीय अपराध बना दिया गया है। व्याख्या के अनुसार भारतीय न्याय संहिता खंड 113. (1) – जो कोई, भारत की एकता, अखंडता, संप्रभूता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा या प्रभुता को संकट में डालने या संकट में डालने की संभावना के आशय से या भारत में या किसी विदेश में जनता अथवा जनता के किसी वर्ग में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के आशय से बमों, डाइनामाइट, विस्फोटक पदार्थों, अपायकर गैसों, न्यूक्लीयर का उपयोग करके ऐसा कार्य करता है, जिससे, किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु होती है। संपत्ति की हानि होता है, या करेंसी के निर्माण या उसकी तस्करी या परिचालन तो वह आतंकवादी कार्य करता है।
आतंकी कृत्य मृत्युदंड या आजीवन कारावास के साथ दंडनीय है, जिसमें पैरोल नहीं होगा। आतंकी अपराधों की एक श्रृंखला भी पेश की गई है। सार्वजनिक सुविधाओं या निजी संपत्ति को नष्ट करना अपराध है। ऐसे कृत्यों को भी इस खंड के तहत शामिल किया गया है, जिनसे ‘महत्वपूर्ण अवसंरचना की क्षति या विनाश के कारण व्यापक हानि’ होती है.
संगठित अपराध (ऑर्गनाइज्ड क्राइम) – संगठित अपराध से संबंधित एक नई दांडिक धारा जोड़ी गयी है। भारतीय न्याय संहिता 111. (1) में पहली बार संगठित अपराध की व्याख्या की गयी है। सिंडिकेट से की गई विधिविरुद्ध गतिविधि को दंडनीय बनाया है। नए प्रावधानों में सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववादी गतिविधियां अथवा भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य को जोड़ा गया है। संगठित अपराधों को भी अपराध घोषित किया गया है, जिसके लिए 7 साल तक की कैद हो सकती है. इससे संबंधित प्रावधान खंड 112 में हैं। आर्थिक अपराध की व्याख्या भी की गई है : करेंसी नोट, बैंक नोट और सरकारी स्टापों का हेरफेर, कोई स्कीम चलाना या किसी बैंक/वित्तीय संस्था में गड़बड़ ऐसे कृत्य शामिल हैं। संगठित अपराध में, किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, तो आरोपी को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास की सजा होगी। जुर्माना भी लगाया जाएगा, जो 10 लाख रुपये से कम नहीं होगा। संगठित अपराध में सहायता करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है।


अन्य महत्त्वपूर्ण प्रावधान
मॉब लिंचिंग का नया प्रावधान – नस्ल, जाति, समुदाय आदि के आधार पर की गई हत्या से संबंधित अपराध का एक नया प्रावधान सम्मिलित किया गया है जिसके लिये आजीवन कारावास अथवा मृत्युदंड की सजा का प्रावधान किया गया है।
स्नैचिंग का भी एक नया प्रावधान – गंभीर चोट के कारण लगभग निष्क्रिय स्थिति में जाने अथवा स्थाई रूप से विकलांग होने पर अब और अधिक कठोर दंड दिये जाएंगे.
पीड़ित पर केन्द्रित- क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में विक्टिम-सेंट्रिक यानी पीड़ित पर केंद्रित सुधारों के 3 प्रमुख फीचर्स होते हैं। भागीदारी का अधिकार (विक्टिम को अपनी बात रखने का मौका, बीएनएसएस 360), सूचना का अधिकार (BNSS खंड 173, 193 और 230), नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति का अधिकार
यह तीनों विशेषताएं नए कानूनों में सुनिश्चित की गयी हैं। इसके अलावा जीरो एफआईआर दर्ज करने की प्रथा को संस्थागत बना दिया गया है ( बीएनएनएस 173). वहींFIR कहीं भी दर्ज कर सकते हैं, भले ही अपराध किसी भी इलाके में हुआ हो।
पीड़ित को सूचना का अधिकार – पीड़ित को एफआईआर की एक प्रति निःशुल्क प्राप्त करने का अधिकार होगा। पीड़ित को 90 दिनों के भीतर जांच में प्रगति के बारे में सूचित करना होगा। पीड़ितों को पुलिस रिपोर्ट, एफआईआर, गवाह के बयान आदि के अनिवार्य प्रावधान के माध्यम से उनके मुकदमे के ब्योरे की जानकारी का एक महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करता है। जांच और मुकदमे के विभिन्न चरणों में पीड़ितों को जानकारी प्रदान करने के लिए उपबंध शामिल किए गए हैं.
देशद्रोह – राजद्रोह – सेडीशन को पूर्णतः हटा दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता धारा 152 में अपराध : अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करना है. भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है। आईपीसी धारा 124क में सरकार के खिलाफ की बात की गयी है, मगर भारतीय न्याय संहिता धारा 152 भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता के बारे में हैं। आईपीसी में आशय या प्रयोजन की बात नहीं थी, लेकिन नए कानून में देशद्रोह की परिभाषा में आशय की बात है, जिसमें अभिव्यक्ति स्वतंत्रता हेतु सुरक्षा प्रदान करता है। अब घृणा, अवमानना जैसे शब्दों को हटाकर सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववादी गतिविधियां जैसे शब्द सम्मिलित किये गए हैं.
भारतीय न्याय संहिता धारा 152 – जो कोई, जानबूझकर या प्रयोजन पूर्वक, बोले गए या लिखे गए शब्दों से, या संकेतों द्वारा, या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा, या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा या वित्तीय साधनों के उपयोग से, या अन्यथा, अलगाव या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करता है या उत्तेजित करने का प्रयास करता है, या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करता है या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है; या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होता है या करता है तो उसे आजीवन कारावास या कारावास जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रमुख समय सीमा – आपराधिक कार्यवाही शुरू करने, गिरफ्तारी, जांच, आरोप पत्र, मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही, कोग्निज़ंस, चार्जेज, प्ली बारगेनिंग, सहायक लोक अभियोजक की नियुक्ति, ट्रायल, जमानत, जजमेंट और सजा, दया याचिका आदि के लिए एक समय-सीमा निर्धारित की गई है।
35 सेक्शन में समय सीमा जोड़ी गई है, जिससे त्वरित न्याय प्राप्त हो सके। बीएनएसएस में, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन के माध्यम से शिकायत देने वाले व्यक्ति द्वारा तीन दिनों के भीतर एफआईआर को रिकॉर्ड पर लिया जाना होगा। यौन उत्पीड़न के पीड़ित की चिकित्सा जांच रिपोर्ट मेडिकल एग्जामिनर द्वारा 7 दिनों के भीतर जांच अधिकारी को फॉरवर्ड की जाएगी.
पीड़ितों/मुखबिरों को जांच की स्थिति के बारे में सूचना 90 दिनों के भीतर दी जाएगी। आरोप तय करने का काम सक्षम मजिस्ट्रेट द्वारा आरोप की पहली सुनवाई से 60 दिनों के भीतर किया जाना होगा। मुकदमे में तेजी लाने के लिए, अदालत द्वारा घोषित अपराधियों के खिलाफ अनुपस्थिति में मुकदमा शुरू करना आरोप तय होने से 90 दिनों के भीतर होगा।
किसी भी आपराधिक न्यायालय में मुकदमे की समाप्ति के बाद निर्णय की घोषणा 45 दिनों से अधिक नहीं होगी। सत्र न्यायालय द्वारा बरी करने या दोषसिद्धि का निर्णय बहस पूरी होने से 30 दिनों के भीतर होगा, जिसे लिखित में मेंशनड कारणों के लिए 45 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है.
महिलाओं के प्रति अपराध – ई – एफआईआर के माध्यम से महिलाओं के प्रति अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण पेश किया गया है। संवेदनशील अपराधों की त्वरित रिपोर्टिंग में सहायता करता है। नए विधेयक उन संज्ञेय अपराधों के लिए e-FIR की भी अनुमति देते हैं जहां आरोपी अज्ञात होता है। इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पीड़ितों को अपराध की रिपोर्ट करने के लिए एक विवेकशील अवसर प्रदान करता है.
जांच की प्रगति: शिकायतकर्ता को सूचना और इलेक्ट्रॉनिक पारदर्शिता – पारंपरिक प्रचलन से हटकर पुलिस के लिए सख्ती से 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति के संबंध में शिकायतकर्ता बताना जरूरी है।
समय पर ट्रायल: स्थगन और समयसीमा का मार्गदर्शन – न्यायिक क्षेत्र में दो चीज़ों पर बल दिया जा रहा है. सुनवाई में तेजी लाना और अनुचित स्थगन पर अंकुश लगाना। धारा 392 (1) में 45 दिनों के भीतर निर्णय की बात करते हुए मुकदमे को खत्म करने के लिए बेहतर ढंग से एक समयसीमा निर्धारित की गई है। न्याय में विलंब का अर्थ न्याय से वंचित होना है।
तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ाना – दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्रक्रिया बनाने पर जोर दिया गया है। क्राइम सीन – इन्वेस्टीगेशन – ट्रायल तक सभी चरणों में टेक्नोलॉजी का उपयोग हो सकेगा। पुलिस जांच में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। सबूतों की गुणवत्ता में सुधार होगा तथा विक्टिम और आरोपियों दोनों के अधिकारों की रक्षा होगी। यह क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। एफआईआर से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट तथा जजमेंट सभी डिजिटाइज्ड हो जायेंगे। सभी पुलिस थानों और न्यायालयों द्वारा एक रजिस्टर द्वारा ई-मेल एड्रेस, फोन नंबर अथवा ऐसा कोई अन्य विवरण रखा जाएगा। प्रमाण, तलाशी व जब्ती में रिकॉर्डिंग होगी। ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी। ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग ‘अविलंब’ मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत की जाए। फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की आवश्यकता होगी। पुलिस जांच के दौरान दिए गए किसी भी बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग का विकल्प होगा।
फोरेंसिक – 7 वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले सभी अपराधों में ‘फोरेंसिक एक्सपर्ट’ द्वारा क्राइम सीन पर फोरेंसिक प्रमाण संग्रह अनिवार्य होंगे। इससे जांच की गुणवत्ता में सुधार होगा और जांच वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित होगी। 100% कन्विक्शन रेट का लक्ष्य रखा गया है। सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में फोरेंसिक के इस्तेमाल को जरूरी बताया गया है। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में जरुरी संरचना 5 वर्ष के भीतर तैयार की जानी है।
पहल – नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) की स्थापना पर फोकस। एनएफएसयू के कुल 7 परिसर और 2 ट्रेनिंग अकादमी (गांधीनगर, दिल्ली, गोवा, त्रिपुरा, गुवाहाटी, भोपाल, धारवाड़), सीएफएसएल पुणे एवं भोपाल में नेशनल फोरेंसिक साइंस अकादमी की शुरुआत। चंडीगढ़ में अत्याधुनिक डीएनए विश्लेषण सुविधा का उद्घाटन.
सर्च और जब्ती – पुलिस द्वारा सर्च और जब्ती की कार्यवाही करने के लिए भी तकनीक का उपयोग किया जाएगा। । पुलिस द्वारा सर्च करने की पूरी प्रक्रिया अथवा किसी संपत्ति का अधिगृहण करने में इलेक्ट्रानिक डिवाइस के माध्यम से वीडियोग्राफी होगी। पुलिस द्वारा ऐसी रिकार्डिंग बिना किसी विलंब के संबंधित मजिस्ट्रेट को भेजी जाएगी.
पुलिस की जवाबदेही – गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना प्रदर्शित करना: राज्य सरकार को एक पुलिस अधिकारी को नामित करने के लिए अतिरिक्त दायित्व दिया है जो सभी गिरफ्तारियों और गिरफ्तार लोगों के संबंध में जानकारी एकत्र करने के लिए जिम्मेदार होगा। ऐसी जानकारी को प्रत्येक पुलिस स्टेशन और जिला मुख्यालय में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना भी आवश्यक हैॉ।
प्रक्रियाओं को सरल बनाना – अब छोटे-मोटे मामलों में समरी ट्रायल द्वारा तेजी लाई जाएगी। कम गंभीर मामलों, चोरी, चोरी की गई संपत्ति प्राप्त करना अथवा रखना, घर में अनधिकृत प्रवेश, शांति भंग करने, आपराधिक धमकी आदि जैसे मामलों, के लिए समरी ट्रायल को अनिवार्य बनाया गया है। उन मामलों में जहां सजा 3 वर्ष (पूर्व में 2 वर्ष) तक है, मजिस्ट्रेट लिखित रूप में दर्ज कारणों के अंतर्गत ऐसे मामलों में समरी ट्रायल कर सकता है। सिविल सर्वेन्ट्स के विरुद्ध प्रॉसिक्यूशन चलाने के लिए सहमति या असहमति पर सक्षम अधिकारी 120 दिनों के अंदर निर्णय लेगा, यदि ऐसा न हो, तो यह मान लिया जाएगा कि अनुमति प्रदान हो गई है। सिविल सर्वेन्ट्स, एक्सपर्ट्स, पुलिस अधिकारियों के साक्ष्य उसका प्रभार धारण करने वाला व्यक्ति ऐसे दस्तावेज या रिपोर्ट पर टेस्टीमनी दे सकेगा.
विचाराधीन कैदी – कोई व्यक्ति पहली बार अपराधी है, और एक तिहाई कारवास काट चूका है, तो उसे अदालत द्वारा जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा। जहां विचाराधीन कैदी आधी या एक तिहाई अवधि पूरी कर लेता है, जेल अधीक्षक अदालत को तुरंत लिखित में आवेदन दे। विचाराधीन कैदी को आजीवन कारावास या मौत की सजा में रिहाई उपलब्ध नहीं होगी.
गवाहों की सुरक्षा को लेकर योजना – राज्य सरकार राज्य हेतु एक एविडेंस प्रोटेक्शन स्कीम तैयार करेगी और नोटिफाईड भी की जाएगी । घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्की – 10 वर्ष अथवा अधिक की सजा अथवा आजीवन कारावास अथवा मृत्युदंड की सजा वाले मामलों में दोषी को घोषित अपराधी (प्रोक्लेम्डल ऑफेंडर) घोषित किया जा सकता है। घोषित अपराधियों के मामलों में, भारत से बाहर की संपत्ति की कुर्की और जब्ती के लिए एक नया प्रावधान किया गया है।
पहले केवल 19 अपराधों में ही प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित हो सकते थे, अब इसमें 120 अपराधों को दायरे में लाया गया है. जिसमें बलात्कार के अपराध को शामिल किया गया है, जो पहले शामिल नहीं था।
संपत्तियों का निपटान – देश के पुलिस स्टेशनों में बड़ी संख्या में केस संपत्तियां पड़ी रहती हैं। जांच के दौरान, अदालत या मजिस्ट्रेट द्वारा संपत्ति का विवरण तैयार करने और फोटोग्राफ/वीडियोग्राफी के बाद भी ऐसी संपत्तियों के त्वरित निपटान का प्रावधान किया गया है।
फोटो या वीडियोग्राफी – किसी भी जांच, परीक्षण या अन्य कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। फोटो खींचने/वीडियोग्राफी करने के 30 दिनों के भीतर, संपत्ति के निपटान, डिस्ट्रक्शन, जब्ती या वितरण का आदेश देगा।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम- प्रमुख परिवर्तन – भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में दस्तावेजों की परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें इलेक्ट्रानिक या डिजिटल रिकार्ड, ईमेल, सर्वर लॉग्स, कंप्यूटर पर उपलब्ध दस्तावेज, स्मार्टफोन या लैपटॉप के मैसेजेज, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य. इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड ‘दस्तावेज’ की परिभाषा में शामिल हैं। वहीं इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त बयान ‘साक्ष्य’ की परिभाषा में शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को प्राथमिक साक्ष्य के रूप में मानने के लिए और अधिक मानक जोड़े गए जिसमें इसकी उचित कस्टडी-स्टोरेज-ट्रांसमिशन-ब्रॉडकास्ट पर जोर दिया गया है।
दस्तावेजों की जांच करने के लिए मौखिक और लिखित स्वीकारोक्ति और एक कुशल व्यक्ति के साक्ष्य को शामिल करने के लिए और अधिक प्रकार के माध्यमिक साक्ष्य जोड़े गए जिनकी जांच अदालत द्वारा आसानी से नहीं की जा सकती है। साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड की कानूनी स्वीकार्यता, वैधता और प्रवर्तनीयता स्थापित की गई।

औषधीय गुणों से भरपूर होता है गेंदे का फूल

आमतौर पर लोग फूलों का इस्तेमाल सजावट के लिए करते हैं। लेकिन कई फूल ऐसे भी हैं जो अपने औषधीय गुणों के लिए जाने जाते हैं। जिसके बारे में आमतौर पर लोग नहीं जानते. आपको बता दें कि प्राचीन काल में चिकित्सा का विकास नहीं हुआ था। तब इन फूलों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता था। जो लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गेंदे की सुगंध बहुत अच्छी होती है और इसका उपयोग कई औषधीय प्रयोजनों में भी किया जाता है जो हमें कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा अस्मिता श्रीवास्तव के अनुसार गेंदे के फूल में कई औषधीय गुण होते हैं और इसका उपयोग कई बीमारियों में किया जाता है। गेंदे के फूल में कई औषधीय गुण होते हैं। इसी कारण आयुर्वेद में इसका प्रयोग कई औषधियों में किया जाता है। गेंदे के फूल में विटामिन ए, विटामिन बी, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो विभिन्न बीमारियों से लड़ने में कारगर होते हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से बालों के झड़ने, रूसी, सिर की त्वचा में फंगस, दाद, खाज और खुजली के लिए किया जाता है।
इसे ऐसे इस्तेमाल करें – गेंदे के फूल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसीलिए इसका प्रयोग कई रोगों में औषधि के रूप में किया जाता है। यह दाद, खाज और खुजली में सबसे ज्यादा असरदार है। इसके लिए कैलमस के फूलों को अच्छी तरह से पीस लें और इसका पेस्ट दाद, खाज और खुजली वाली जगह पर लगाएं। ऐसा करने से आपको इन बीमारियों से राहत मिलेगी. चोट लगने पर खून रोकने के लिए इसके पत्तों के रस का उपयोग किया जाता है।

बनाएं अपने आप को भावनात्मक रूप से मजबूत

जीवन की यात्रा में चुनौतियों का सामना करने और उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए केवल शारीरिक सहनशक्ति से कहीं अधिक की आवश्यकता होती है। भावनात्मक मजबूती हमारी भलाई का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो हमें प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने, तनाव को मैनेज करने और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए सशक्त बनाती है।
खुद को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आत्म-जागरूकता, लचीलापन और जानबूझकर अभ्यास शामिल है। आइये जानते हैं खुद को भावनात्मक रूप से मजबूत  कैसे बनाएं-
आत्म जागरुकता विकसित करें – भावनात्मक मजबूत  बनने की नींव आत्म-जागरूकता में निहित है। अपनी भावनाओं को समझना, ट्रिगर्स को पहचानना और अपनी ताकत और कमजोरियों को स्वीकार करना फ्लैक्सिबिलिटी विकसित करने में प्रमुख तत्व हैं। बिना किसी निर्णय के नियमित रूप से अपने विचारों और भावनाओं पर विचार करें और अपने अनुभवों के बारे में स्वयं के प्रति ईमानदार रहें। जर्नलिंग आत्म-प्रतिबिंब के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है, जो आपकी भावनाओं को व्यक्त करने और उनका विश्लेष करने के लिए स्थान प्रदान करता है। परिवर्तन और अनुकूलन क्षमता को अपनाएं । जीवन स्वाभाविक रूप से गतिशील है और परिवर्तन अपरिहार्य है।
भावनात्मक शक्ति – विकसित करने में नई परिस्थितियों और चुनौतियों के अनुकूल ढलने की क्षमता विकसित करना शामिल है। परिवर्तन का विरोध करने के बजाय इसे विकास के अवसर के रूप में स्वीकार करें। जिस पर आप नियंत्रण कर सकते हैं उस पर ध्यान केंद्रित करें और जिसे आप नियंत्रित नहीं कर सकते उसे छोड़ दें। फ्लैक्सिबल मेंटालिटी अपनाकर, आप जीवन की अनिश्चितताओं से निपटने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होंगे।
लचीलापन रखें – विपरीत परिस्थितियों से पहले से अधिक मजबूत होकर वापसी करने की क्षमता है। इसमें असफलताओं से सीखना शामिल है, न कि उन्हें आपको परिभाषित करने देना। फ्लैक्सिबल बनने के लिए, नकारात्मक विचारों को अधिक सकारात्मक और रचनात्मक विचारों में बदलें। चुनौतियों को व्यक्तिगत विकास के अवसर के रूप में देखें और समस्याओं के बजाय समाधान पर ध्यान केंद्रित करें।
माइंडफुलनेस और मेडिटेशन – शक्तिशाली उपकरण हैं। ये चीजें आपको इस समय उपस्थित रहने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जिससे तनाव और चिंता को कम करने में मदद मिलती है। नियमित ध्यान सत्र विश्राम, विचारों की स्पष्टता और भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देकर भावनात्मक कल्याण को बढ़ा सकते हैं। माइंडफुलनेस आपको अधिक जागरूकता और कम प्रतिक्रियाशीलता के साथ स्थितियों पर प्रतिक्रिया करने में भी सक्षम बनाती है।
स्वस्थ रिश्ते विकसित करें – भावनात्मक मजबूती का निर्माण आपके रिश्तों की गुणवत्ता से गहराई से जुड़ा हुआ है। अपने आप को सकारात्मक और सहायक व्यक्तियों से घेरें जो आपका उत्थान करते हैं और प्रेरित करते हैं। सही कम्युनिकेशन को बढ़ावा दें और विश्वसनीय मित्रों या परिवार के सदस्यों के साथ अपनी भावनाओं को शेयर करने के लिए तैयार रहें। स्वस्थ रिश्ते एक मजबूत सहायता प्रणाली प्रदान करते हैं, जो आपके भावनात्मक कल्याण में योगदान करते हैं।
स्व-देखभाल को प्राथमिकता दें – भावनात्मक मजबूती के लिए अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत का ख्याल रखना जरूरी है। सुनिश्चित करें कि आप पर्याप्त नींद लें, संतुलित आहार लें और नियमित व्यायाम करें। शारीरिक स्वास्थ्य भावनात्मक भलाई से निकटता से जुड़ा हुआ है और स्व-देखभाल गतिविधियों को प्राथमिकता देने से आपके मूड और फ्लैक्सिबिलिटी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अनुभव से सीखें – प्रत्येक अनुभव, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक, विकास का अवसर प्रदान करता है। पिछली गलतियों या असफलताओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, उन्हें मूल्यवान सबक के रूप में देखें। विश्लेषण करें कि आप प्रत्येक अनुभव से क्या सीख सकते हैं और भविष्य में सूचित निर्णय लेने के लिए उस ज्ञान का उपयोग करें। विकास की मानसिकता अपनाने से लचीलापन बढ़ता है और भावनात्मक मजबूती में योगदान मिलता है।
(स्त्रोत – शी द पीपल)

हीरा व्यापारी ने बनाया राम मंदिर थीम पर नेकलेस

जड़े 5 हजार हीरे और 2 किलो चांदी

सूरत । 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया गया है। राम मंदिर को लेकर पूरे देश में उत्साह का महौल है। इस दौरान गूजरात के सूरत में रहने वाले एक हीरा व्यापारी ने हीरे और चांदी से राम मंदिर थीम पर एक डिजाइनर नेकलेस बनवाया है।

राम मंदिर की थीम पर बने इस डिजाइनर नेकलेस में हीरों से साथ ही चांदी का इस्तेमाल भी किया गया है। राम मंदिर की थीम पर बनाया गया हीरों से जड़ित यह डिजाइन काफी सुंदर लग रहा है। नेकलेस का वीडियो सामने आया है। आइये वीडियो में देखते हैं इस नेकलेस की खासियत…

5 हजार हीरे और 2 किलो चांदी

सूरत के रहने वाले एक हीरा व्यापारी ने राम मंदिर को लेकर अपनी श्रद्धा प्रकट की है। श्रद्धा प्रकट करते हुए व्यापारी ने हीरों और चांदी से एक डिजाइन बनवाया है। राम मंदिर थीम के इस डिजाइन को बनाने के लिए 5 हजार हीरों और 2 किलो चांदी का इस्तेमाल किया गया है। हीरा व्यापारी ने बताया कि इस डिजाइन को 40 कारीगरों ने मिलकर 35 दिनों में पूरा किया है। इस नेकलेस का एक वीडियो भी सामने आया है।

भगवान राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियां भी
इस नेकलेस को राम मंदिर की थीम पर बनाया गया है। नकेलेस में भगवान राम के साथ लक्ष्मण और सीता की भी मूर्ति बनवाई गई है। हीरा व्यापारी ने इन तीनों मूर्तियों के साथ ही भगवान हनुमान की मूर्ति भी लगवा दी है। इन चार मूर्तियों के साथ ही राम मंदिर थीम के नेकलेस के आसपास बारहसिंघा की आकृति भी बनाई गई है। अयोध्या में राम मंदिर का काम बीते कई महीनों से जारी है। इस दौरान मंदिर परिसर में तेजी से काम किया जा रहा है। 22 जनवरी को एक भव्य आयोजन किया गया है। इस दिन राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। जिसे लेकर पूरे देश में उत्साह देखने को मिल रहा है। प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारियां भी काफी जोरों पर चल रही हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रेलवे ने स्पेशल व्यवस्थाएं की हुई हैं। प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या के लिए देशभर से ट्रेनें चलाई जाएंगी।

बलात्कार आखिर बलात्कार है, चाहे यह पति ने ही क्यों न किया हो: गुजरात उच्च न्यायालय

अहमदाबाद । गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि बलात्कार आखिर बलात्कार होता है, भले ही यह किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ ही क्यों न किया गया हो। इसने कहा कि भारत में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा पर कायम चुप्पी को तोड़ने की जरूरत है। हाल में में दिए गए एक आदेश में, न्यायमूर्ति दिव्येश जोशी ने कहा कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की वास्तविक घटनाएं सामने आने वाले आंकड़ों से संभवत: कहीं अधिक हैं। आदेश में कहा गया कि पीछा करने, छेड़छाड़, मौखिक और शारीरिक हमले जैसी कुछ चीजों को समाज में आम तौर पर ‘मामूली’ अपराध के रूप में चित्रित किया जाता है और साथ ही सिनेमा जैसे लोकप्रिय माध्यमों में इसे प्रचारित भी किया जाता है।
इसमें कहा गया कि जहां यौन अपराधों को ‘लड़के तो लड़के ही रहेंगे’ के चश्मे से देखा जाता है और अपराध को नज़रअंदाज़ किया जाता है, उसका ‘पीड़ित लोगों पर एक स्थायी और हानिकारक प्रभाव पड़ता है’। अदालत ने बहू के साथ क्रूरता और आपराधिक धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार एक महिला की नियमित जमानत याचिका खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं। आरोप है कि महिला के पति और बेटे ने बहू के साथ बलात्कार किया तथा पैसे कमाने के लालच में अश्लील साइट पर पोस्ट करने के लिए निर्वस्त्र अवस्था में उसके वीडियो बनाए।
इसने कहा, ‘ज्यादातर (महिला पर हमला या बलात्कार) मामलों में, सामान्य प्रथा यह है कि यदि पुरुष पति है, लेकिन वह पर पुरुष के समान आचरण करता है, तो उसे छूट दी जाती है। मेरे विचार में, इस चीज को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। एक पुरुष आखिर एक पुरुष है; एक कृत्य आखिर एक कृत्य है; बलात्कार आखिर बलात्कार है, चाहे यह महिला, यानि के ‘पत्नी’ के साथ किसी पुरुष, यानि के ‘पति’ द्वारा किया गया हो।” आदेश में कहा गया कि संविधान महिलाओं को पुरुषों के साथ बराबरी का दर्जा देता और विवाह को समान लोगों का एक गठबंधन मानता है।
अदालत ने कहा, ‘भारत में, अपराधी अकसर महिला को जानते हैं; ऐसे अपराधों को उजागर करने से सामाजिक और आर्थिक दिक्कतों का भय रहता है। परिवार पर सामान्य आर्थिक निर्भरता और सामाजिक बहिष्कार का डर महिलाओं को किसी भी प्रकार की यौन हिंसा, दुर्व्यवहार या घृणित व्यवहार की जानकारी देने से रोकता है।” आदेश में कहा गया कि इसलिए, भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की वास्तविक घटनाएं सामने आने वाले आंकड़ों से संभवत: कहीं अधिक हैं।
अदालत ने कहा, ‘इस चुप्पी को तोड़ने की जरूरत है। ऐसा करने में, महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और उसका मुकाबला करना पुरुषों, शायद महिलाओं से भी अधिक, का कर्तव्य और भूमिका होनी चाहिए।’ इसने कहा कि 50 अमेरिकी राज्यों, तीन ऑस्ट्रेलियाई राज्यों, न्यूजीलैंड, कनाडा, इज़राइल, फ्रांस, स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे, सोवियत संघ, पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया तथा कई अन्य देशों में वैवाहिक बलात्कार अवैध है।
आदेश में कहा गया कि यहां तक ​​कि ब्रिटेन ने भी पतियों को दी जाने वाली छूट को खत्म कर दिया है। पीड़िता के पति, ससुर और सास को राजकोट साइबर अपराध थाने में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। इस संबंध में भारतीय दंड संहिता की धाराओं-354 (ए) (अवांछनीय और स्पष्ट यौन उत्पीड़न, यौन संबंध की मांग, महिला की इच्छा के विपरीत अश्लील सामग्री दिखाना), 376 (बलात्कार), 376 (डी) (सामूहिक बलात्कार), 498 (पति या पति के रिश्तेदार द्वारा महिला के साथ क्रूरता), 506 (आपराधिक धमकी), 508 (किसी व्यक्ति को यह विश्वास कराना कि यदि वह कोई विशेष कार्य नहीं करता है, तो उसे भगवान द्वारा दंडित किया जाएगा) और 509 (यौन उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, महिला के बेटे ने अपने मोबाइल फोन पर अपनी पत्नी के और अपने (पति-पत्नी) अंतरंग क्षणों के नग्न वीडियो बनाए तथा उन्हें अपने पिता को भेज दिया। इस बारे में लड़के की मां को पूरी जानकारी थी क्योंकि कृत्य उसी की मौजूदगी में किया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, परिवार को अपने व्यावसायिक साझेदारों द्वारा अपने होटल की बिक्री को रोकने के लिए धन की आवश्यकता थी। जब पीड़िता अकेली थी तो उसके ससुर ने भी उसके साथ छेड़छाड़ की। अदालत ने कहा कि सास को गैरकानूनी और शर्मनाक कृत्य के बारे में पता था और उसने अपने पति तथा बेटे को ऐसा कृत्य करने से न रोककर अपराध में बराबर की भूमिका निभाई।

रसोई से निकला करोड़ों की कमाई का तरीका , 1 साल में कमा दिए 250 करोड़

नयी दिल्ली । आजकल लोग प्राकृतिक आहार  को लेकर काफी जागरूक हो गए हैं. इसी वजह से लोग आजकल ऑर्गेनिक फूड्स भी खूब तलाशते हैं। इसका असर सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट में भी देखने को मिल रहा है. इसी बाजार में लाहौरी जीरा ने लोगों को कोक और पेप्सी जैसे ड्रिंक्स का विकल्प देकर सफलता की इबारत लिख दी।
हम आपको यहां लाहौरी ज़ीरा की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं. आखिर कैसे घर की रसोई से निकला टेस्ट लोगों की पसंद बन गया और कंपनी करोड़ों की बन गई। आमतौर बाजार में मिलने वाले कोल्ड ड्रिंक्स में केमिकल्स को मिलाया जाता है लेकिन, केमिकल्स न होना लाहौरी जीरा को लोकप्रिय बनाता है. इसकी मूल सामग्री सेंधा नमक है. लाहौरी जीरा का निर्माण घर पर मिलने वाली चीजों से होता है इसलिए लोग बाजार में उपलब्ध लोकप्रिय ड्रिंक्स की तुलना में इसे पीना पसंद करते हैं. क्योंकि, ये एक सेहतमंद विकल्प भी है।
कैसे हुई लाहौरी ज़ीरा की शुरुआत?
लाहौरी ज़ीरा की शुरुआत ऐसे हुई जिसे सुनकर शायद आप यकीन न करें. तीन  भाई घर की रसोई में गए और तैयार हो गया लाहौरी ज़ीरा फॉर्मूला। सौरभ मुंजाल ने अपने दो भाइयों सौरभ भूतना और निखिल डोडा के साथ मिलकर लाहौरी ज़ीरा ड्रिंक की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सौरभ मुंजाल के भाई निखिल डोडा और उनके परिवार को खाना बनाने में काफी दिलचस्पी है। निखिल हमेशा घर में मौजूद चीज़ों से ड्रिंक्स बनाते रहते हैं और उनके साथ प्रयोग करना भी पसंद करते हैं। ऐसे ही एक बार निखिल ने सौरभ मुंजाल और सौरभ भूताना को ज़ीरा ड्रिंक पिलाया। इसके बाद तीनों भाइयों ने मिलकर इस ड्रिंक को बाजार में उतारने की योजना बनायी और इसकी शुरुआत हुई। इस उत्पाद को बनाने वाली कंपनी आर्चियन फूड्स की स्थापना 2017 में की गई थी. ये कंपनी लाहौरी ज़ीरा के अलावा लाहौरी नींबू, लाहौरू कच्चा आम, लाहौरी शिकंजी भी बनाती है।
कंपनी के सीईओ सौरभ मुंजाल ने कहा कि उनकी कंपनी के उत्पाद भारतीय रसोई और स्ट्रीट फूड्स से निकले हुए हैं। इसलिए कंपनी के ड्रिंक्स के नाम भी पारंपरिक रखे गए हैं। प्रोडक्ट्स का मेन इंग्रेडिएंट भी रॉक सॉल्ट या लाहौरी ही है। आपको बता दें लाहौरी ज़ीरा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में काफ़ी पसंद किया जाता है।
लाहौरी ज़ीरा को पंजाब के रूपनगर में बनाया जाता है। शुरुआत में कंपनी एक दिन में 96,000 बोतलें तैयार करती थी। बाद में 2022 तक ये आंकड़ा बढ़कर 12,00,000 तक पहुंच गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब कंपनी रोज़ाना 20,00,000 बोतलें तैयार करती है। जहां तक टर्नओवर की बात करें तो वित्त वर्ष 21 में कंपनी का टर्नओवर 80 करोड़ था. वहीं, वित्त वर्ष 22 में ये बढ़कर 250 करोड़ हो गया था ।