Friday, September 19, 2025
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पाठक की पाती

मैं दरभंगा महाराज लक्ष्मेश्वर सिंह के बारे में सामग्री खोज रहा था, इसी दौरान शुभजिता पर उनसे संबंधित वीडियो मिला । मुझे अच्छा लगा । स्वामी विवेकानंद एवं लक्ष्मेश्वर सिंह की बग्घी की तस्वीर ……………….धर्म सम्मेलन से लौटने पर सम्मानित हुए …….अगर वह भी उपलब्ध होती तो अच्छा रहता
– भवानंद झा…गुवाहाटी से 
(आपके पत्रों का स्वागत है। कृपया अपने सुझाव एवं प्रतिक्रिया हमें प्रेषित करें )

पिता सुप्रीम कोर्ट में रसोइया, बेटी को मिल रही है विदेश से छात्रवृत्ति

छात्रवृत्ति देने को तैयार अमेरिका की दो यूनिवर्सिटी
सीजेआई भी हुए मुरीद
नयी दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में एक रसोइया का काम करने वाले व्यक्ति की बेटी ने तमाम मुश्किलों को झेलते हुए विदेश में अपनी काबलियत का लोहा मनवाया है। यही वजह है कि उसे स्कॉलरशिप देने के लिये आज अमेरिका के दो विश्वविद्यालयों के बीच होड़ लगी है।
25 साल की प्रज्ञा कानून की पढ़ाई करती है। प्रज्ञा के पिता सुप्रीम कोर्ट में रसोइया का काम करते हैं और मां घर चलाती है। प्रज्ञा को अमेरिका में एक नहीं दो नामी विश्वविद्यालयों की ओर से छात्रवृत्ति का ऑफर मिला है। प्रज्ञा अब अमेरिका के कैलिफोर्निया या मिशिगन विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करेंगी। बुधवार को विधि शोधकर्ता प्रज्ञा को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और शीर्ष अदालत के अन्य जजों ने सम्मानित किया।
बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और बाकी न्यायाधीश लाउंज में इकट्ठे हुए। यहां प्रज्ञा का अभिनंदन किया गया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने प्रज्ञा को भारतीय संविधान पर केंद्रित तीन पुस्तकें उपहार में दीं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों के हस्ताक्षर थे। सम्मान पाकर प्रज्ञा ने दोनों हाथ जोड़कर सीजेआई और अन्य जजों का आभार व्यक्त किया।
सीजेआई क्या बोले? – प्रज्ञा को सम्मानित करने के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम जानते हैं कि प्रज्ञा ने अपने दम पर कुछ हासिल किया है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जो कुछ भी आवश्यक है, वह उसे प्राप्त करने में सफल हो… हम उम्मीद करते हैं कि वो देश की सेवा के लिए वापस लौटेंगी।”
इसके बाद न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने प्रज्ञा के पिता अजय कुमार सामल और उनकी पत्नी को शॉल भेंट की। दोनों की आंखें गर्व से चमक रही थीं और हाथ कृतज्ञता से जुड़े हुए थे। इस मौके पर 25 वर्षीय वकील प्रज्ञा ने कहा कि चंद्रचूड़ उनके लिए प्रेरणा हैं।
25 साल की इस युवा वकील ने कहा कि ‘न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ उनके लिए प्रेरणा हैं। वह युवा वकीलों को प्रोत्साहित करते हैं और उनके शब्द रत्नों की तरह हैं। वास्तव बड़े सपने देखकर उन्हें पूरा करना इतना आसान नहीं होता। लेकिन प्रज्ञा ने ये कर दिखाया और अब उनके सपनों को पंख लग गए हैं।

किडनी रोग के उपचार में आयुर्वेदिक दवा नीरी केएफटी असरदार

अध्ययन में किया गया दावा
नयी दिल्ली । आयुर्वेदिक औषधियों से तैयार दवा नीरी केएफटी और आयुर्वेदिक औषधि ‘कबाब चीनी’ उन मरीजों के गुर्दों की कार्यक्षमता में सुधार लाने में प्रभावी हो सकती है जो गुर्दे के रोगों से जूझ रहे हैं।
राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान के एक नवीनतम अध्ययन में यह दावा किया गया है। एविसेना जर्नल ऑफ मेडिकल बायोकेमिस्ट्री में प्रकाशित अध्ययन में जागरूकता के कम स्तर के बावजूद विभिन्न बीमारियों के इलाज में पारंपरिक चिकित्सा की क्षमताओं का उल्लेख किया गया है।
अध्ययन के हिस्से के रूप में, बेंगलुरु में संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं ने 30 रोगियों को यादृच्छिक रूप से दो समूहों में वर्गीकृत किया। अध्ययन के अनुसार रोगियों के एक समूह को नीरी-केएफटी दी गई, जबकि दूसरे समूह को कबाब चीनी (पाइपर क्यूबेबा)। 42 दिनों के बाद, दोनों समूहों में ‘सीरम क्रिएटिनिन’ के स्तर में कमी देखी गई। अध्ययन के मुताबिक इस दौरान ग्लोमेरुलर फिलट्रेशन रेट (जीएफआर) में वृद्धि हुई है जो बेहतर गुर्दे की कार्यप्रणाली के संकेतक है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि मरीजों को भूख और थकान में भी सुधार का अनुभव हुआ। इस बारे में पूछे जाने पर, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार एवं गुर्दारोग विशेषज्ञ डॉ. जयंत कुमार होता ने कहा कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारतीय दवाओं में कई तत्व गुर्दे की बीमारियों को ठीक करने या रोकने में सहायक हो सकते हैं, लेकिन किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए सर्वेक्षण में शामिल नमूनों का आकार कम है। हालांकि, एमिल फार्मास्यूटिकल्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है।
उन्होंने उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में गुर्दे को मजबूती देने के लिए कई औषधियों का जिक्र है और नीरी केएफटी पर अब तक कई चिकित्सा अध्ययन हुए हैं जिनमें इसे असरदार पाया गया। इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (आयुष) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आरपी पराशर ने कहा कि आयुर्वेद में मूत्र विकारों और गुर्दे की बीमारियों के इलाज के लिए कई दवाएं हैं जो एंटी-ऑक्सीडेंट और इम्यूनो-मॉड्यूलेटर के रूप में भी काम करती हैं। उन्होंने कहा, ‘ये दवाएं पाचक रसों, एंजाइमों और रसायनों के स्राव को बढ़ाती हैं, शरीर को विषमुक्त करती हैं, उच्च रक्तचाप और सूजन को कम करती हैं।’
अध्ययन के अनुसार जटिल गुर्दा रोगों का दुनिया भर में मृत्यु के कारण और सामाजिक व आर्थिक बोझ के रूप में 19वां स्थान है और यह दुनिया की 10 प्रतिशत से अधिक आबादी को प्रभावित करता है। विकासशील देशों में जटिल गुर्दा रोगों का का प्रचलन अधिक है। शोधकर्ताओं के अनुसार, समय पर पहचान न होने से क्रोनिक किडनी डिजीज यानी सीकेडी का बोझ लगातार बढ़ रहा है। वैश्विक स्तर पर यह करीब 13 फीसदी तक है। भारत की बात करें तो 10 में से नौ सीकेडी रोगी महंगे उपचार का भार नहीं उठा सकते। इसलिए सस्ते विकल्प के तौर पर पारंपरिक चिकित्सा के वैज्ञानिक तथ्यों का पता लगाने के लिए यह अध्ययन किया गया।
(इनपुट- भाषा)

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को सीएपीएफ कैंटीन के उत्पादों पर मिलेगी 50% जीएसटी छूट

नयी दिल्ली । गृह मंत्रालय ने केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार को लेकर बड़ा फैसला किया है। केंद्र सरकार ने पुलिस कल्याण भंडार से वस्तुओं की खरीद पर लगने वाली जीएसटी (जीएसटी) पर 50% वित्तीय सहायता देने का फैसला किया है। यह केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 11 लाख जवानों के लिए राहत भरी खबर है। इस बाबत गृह मंत्रालय की ओर से कार्यालय ज्ञापन भी जारी कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि यह निर्णय 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी होगा। गृह मंत्रालय के इस फैसले से सीएपीएफएस , केन्द्रीय पुलिस संगठनों और राज्य पुलिस बलों के सेवारत एवं सेवानिवृत कर्मियों एवं उनके परिजनों को लाभ होगा। यह सहायता बजट के माध्यम से देय होगी। गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वह देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने में रक्षाबलों की कड़ी मेहनत को स्वीकारता और आदर करता है। इसके साथ ही सीएपीएफ के कर्मियों और उनके परिजन के कल्याण को बहुत महत्व देता है।
कैंटीन में सस्ता होगा सामान – केंद्र सरकार के इस फैसले से केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (केपीकेबी) या केंद्रीय पुलिस वेलफेयर स्टोर में सामान काफी हद तक सस्ता हो जाएगा। जानकारी के मुताबिक, अब केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के लिए घरेलू सामान, ग्रॉसरी व कपड़े समेत कई तरह का सामान खरीदना काफी हद तक सस्ता हो जाएगा। यह लाभ सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी के जवानों या उनके परिजनों को मिलेगा।
2006 में हुई थी स्थापना – केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार की स्थापना साल 2006 में हुई थी। वर्तमान में 119 मास्टर भंडार और 1700 से अधिक सहायक भंडारों के साथ इसकी मौजूदगी पूरे भारत में है। इनके माध्यम से केन्द्रीय पुलिस कल्याण भंडार पुलिस बलों के कर्मियों को किफायती दरों पर सामान उपलब्ध करा रहे हैं।

समुद्र के अंदर बनी देश की पहली मुंबई कोस्टल रोड सड़क

मुम्बई । एक तरफ कोलकाता में जहां देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो की शुरुआत हो चुकी है, वहीं दूसरी देश के पहले अंडर सी  रोड का उद्घाटन भी किया जा चुका है। यह मुंबई में बना कोस्टल रोड है, जिसका उद्घाटन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने किया।
मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक के बाद मुंबईकरों को ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात दिलाने की ओर उठाया गया यह दूसरा महत्वपूर्ण कदम है। वर्ली से मरीन ड्राइव को जोड़ने वाली इस कोस्टल रोड का इस्तेमाल 12 मार्च से आम मुंबईकर कर रहे हैं। कोस्टल रोड पर सफर पूरी तरह से फ्री होने वाला है लेकिन गाड़ियों की अधिकतम स्पीड तय कर दी गयी है।
हां, कुछ खास तरह की गाड़ियां हैं जिन्हें मुंबई कोस्टल रोड पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गयी है। मुंबई कोस्टल रोड का नाम धर्मवीर संभाजी महाराज कोस्टल रखा गया है। अभी कोस्टल रोड का एक हिस्सा ही खोला गया है। इस प्रोजेक्ट का दूसरा चरण इस साल मई में आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। पहले वर्ली से मरीन ड्राइव तक पहुंचने में करीब 40 मिनट का समय लगता था लेकिन कोस्टल रोड के खुल जाने के बाद यह दूरी महज 9 से 10 मिनट में ही तय की जा सकेगी।
कितनी है लागत – मुंबई कोस्टल रोड निर्माण का काम अक्टूबर 2018 में शुरू किया गया था। इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 13,898 करोड़ रुपए बतायी जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मुंबई कोस्टल रोड की कुल लंबाई 29.2 किमी होने वाली है। वर्तमान में इसका 10.58 किमी हिस्सा ही आम लोगों के लिए खोला गया है। अभी तक बने कोस्टल रोड को तैयार करने में लगभग 9,383 करोड़ रुपए की लागत आ चुकी है।
यह सड़क देश की पहली सड़क है जिसका एक बड़ा हिस्सा समुद्र के अंदर से बनाया गया है। इसमें 2 किमी लंबा टनल बनाया गया है। कोस्टल रोड के पहले फेज का काम बीएमसी की तरफ से किया गया है। इसमें तीन इंटरचेंज हैं, एमर्सन गार्डन, हाली अली और वर्ली।
निर्धारित स्पीड सीमा से ऊपर गये तो खैर नहीं – मुंबई कोस्टल रोड से गुजरने वाली हर गाड़ी को सख्ती से स्पीड की सीमा का पालन करना होगा। गाड़ियों के स्पीड पर नजर रखने के लिए यहां ट्रैफिक मैनेजमेंट कंट्रोल सिस्टम भी लगाया गया है। यदि कोई भी गाड़ी निर्धारित सीमा से ऊपर की स्पीड से इस रोड से होकर गुजरती है, तो उसे तुरंत कैमरे में कैद कर लिया जाएगा।
इस रोड पर गाड़ियों के लिए अधिकतम स्पीड की सीमा 80 किमी प्रति घंटा रखा गया है। वहीं 2 किमी लंबी सुरंग से होकर गुजरते समय गाड़ियों को 60 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से आगे बढ़ना होगा। इस सुरंग में प्रवेश करते और बाहर निकलते समय गाड़ियों की रफ्तार 40 किमी प्रति घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए।
कुछ गाड़ियों की है No Entry – मुंबई कोस्टल रोड पर हर तरह की गाड़ियां नहीं चल सकेंगी। कोस्टल रोड पर कुछ वाहनों का प्रवेश वर्जित किया गया है। जो गाड़ियां कोस्टल रोड पर नहीं चल सकेंगी, उनमें ट्रेलर, मिक्सर, ट्रैक्टर, दो पहिया वाहन, तीन पहिया वाहन, साइकिल, दिव्यांग वाहन, जानवरों द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियां, तांगा, हाथगाड़ी आदि शामिल है।

सरकार ने डॉक्टरों, उनके रिश्तेदारों को मिलने वाले उपहारों पर लगाई रोक

नयी दिल्ली । सरकार ने फार्मा मार्केटिंग प्रैक्टिस को लेकर यूसीपीएमपी 2024 नोटिफाई कर दिया है। इसके तहत फार्मा सेक्टर के लिए नई गाइडलाइंस जारी कर दी गई हैं। फार्मा सेक्टर के लिए जारी की गई इस नई गाइडलाइंस में सरकार ने डॉक्टरों और उनके रिश्तेदारों को मिलने वाले गिफ्ट्स पर रोक लगा दी है। जी हां, सरकार ने हेल्थकेयर इंडस्ट्री में किसी भी तरह के अनैतिक कार्यों को रोकने के लिए ये बड़ा फैसला लिया है।
ट्रैवल और ऐकोमोडेशन भी नहीं दे सकती फार्मा कंपनियां – फार्मा सेक्टर में होने वाली कई तरह की अनऐथिकल प्रैक्टिस को खत्म करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ फार्मा ने कुछ बड़ी और महत्वपूर्ण गाइडलाइंस जारी की हैं। इस नई गाइडलाइंस के मुताबिक फार्मा कंपनी, किसी भी डॉक्टर, हेल्थकेयर वर्कर या उनके परिवार के सदस्यों को किसी भी तरह का कोई गिफ्ट्स नहीं दे सकती हैं। इसके साथ ही फार्मा कंपनियां अब हेल्थकेयर वर्कर्स या उनकी फैमिली को देश में या देश के बाहर ट्रैवल या आवास भी ऑफर नहीं कर सकती हैं। इसके साथ ही कोई भी फार्मा कंपनी इन लोगों को किसी भी तरह का कोई आर्थिक फायदा भी नहीं दे सकती हैं।
फार्मा कंपनियों के सीएमई वर्कशॉप पर भी लगी रोक – सरकार की तरफ से जारी किए गए गाइडलाइंस के मुताबिक अब फार्मा कंपनियां सीएमई (कंटीन्यूइंग मेडिकल एडुकेशन) वर्कशॉप भी नहीं कर सकतीं। फार्मा कंपनियां पहले इस तरह के वर्कशॉप करती थीं, जिनमें डॉक्टरों को विदेशों के टूर पर भेजा जाता था। फार्मा कंपनियों को अपनी दवाइयों की सभी जानकारी बिल्कुल सही देनी होंगी, दवाइयों की जानकारियां मिसलीडिंग नहीं होनी चाहिए।
दवा कंपनियों को फ्री सैंपल का देना होगा पूरा हिसाब – इतना ही नहीं, फार्मा कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले फ्री सैंपल पर भी लगाम कसने की तैयारी हो गई है। गाइडलाइंस में कहा गया है कि फार्मा कंपनियां अपनी सालाना घरेलू बिक्री का सिर्फ 2 प्रतिशत की फ्री सैंपल दे सकती हैं। इसके साथ ही, फार्मा कंपनियों को फ्री सैंपल का पूरा हिसाब देना होगा। ये कंपनियां सिर्फ योग्य डॉक्टरों को ही प्रैक्टिस के लिए फ्री सैंपल दे सकती हैं।

शादीशुदा रहते लिव इन रिलेशन में नहीं रह सकते हैं विवाहित

प्रयागराज ।  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े एक मामले में सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा है कि हिन्दू विवाह अधिनियम के मुताबिक यदि पति-पत्नी जीवित हैं और तलाक नहीं लिया गया है, तो उनमें से कोई भी दूसरी शादी नहीं कर सकता । कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि कानून के खिलाफ रिश्तों को अदालत का समर्थन नहीं मिल सकता। हाईकोर्ट ने इसी तल्ख टिप्पणी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली विवाहिता की याचिका को खारिज कर दिया है । अदालत ने अर्जी खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ताओं पर दो हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया ।
कोर्ट ने खारिज की याचिका – जस्टिस रेनू अग्रवाल ने कासगंज की एक विवाहिता व अन्य की याचिका खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवाहित महिला अपने पति से तलाक लिए बिना किसी अन्य के साथ लिव इन में नहीं रह सकती। ऐसे रिश्तों को मान्यता देने से समाज में अराजकता बढ़ेगी और देश का सामाजिक ताना-बाना तहस नहस हो जाएगा।
विवाहिता और लिव इन रिलेशनशिप में उसके साथ रहने वाले प्रेमी ने सुरक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में कहा गया था दोनों याची लिव इन पार्टनर हैं। उन्होंने कासगंज जिले के एसपी से सुरक्षा की मांग की थी। कोई सुनवाई न होने पर यह याचिका दाखिल की गयी ।
शादीशुदा होने के बावजूद लिव इन रिलेशन – सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला और उसका प्रेमी दोनों ही पहले से शादीशुदा हैं। दोनों अपने जीवनसाथियों को छोड़कर सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने के लिए लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। याचिका का प्रेमी युवक की पत्नी द्वारा विरोध भी किया गया। अदालत में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े के पहले से शादीशुदा होने के सबूत भी पेश किए गए। अदालत में सुनवाई के दौरान यह भी साफ हुआ कि दोनों में से किसी याची का अपने पति या पत्नी से तलाक नहीं हुआ है। विवाहिता याची दो बच्चों की मां है और दूसरे याची के साथ लिव इन में रह रही है। कोर्ट ने इसे कानून के खिलाफ माना और सुरक्षा देने से इंकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया।

केंद्र सरकार ने कुत्तों की 23 खूंखार नस्लों पर लगाया लगाया प्रतिबंध

 पिटबुल-जर्मन शेफर्ड हैं शामिल
नयी दिल्ली । । पालतू कुत्तों के हमलों से लोगों की मौत की बढ़ती घटनाओं के बीच केंद्र सरकार ने राज्यों को पिटबुल टेरियर, अमेरिकन बुलडॉग, रॉटविलर और मॉस्टिफ्स सहित खूंखार कुत्तों की 23 नस्लों की बिक्री और उनके प्रजनन पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। पशुपालन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति ने ऐसी नस्ल के कुत्तों के आयात पर रोक लगाने की सिफारिश भी की है। पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया की अपील और दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक रिट याचिका के बाद केंद्र ने यह कदम उठाया है। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के संयुक्त सचिव ओपी चौधरी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को एक पत्र भेजकर स्थानीय निकायों, पशुपालन विभाग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि खतरनाक नस्लों के रूप में चिह्नित कुत्तों के प्रजनन और उन्हें बेचने के लिए आगे कोई लाइसेंस जारी न किया जाए या अनुमति न दी जाए।
प्रजनन रोकने को कहा । इसके साथ ही कहा है कि इन नस्लों के कुत्तों को जिन लोगों ने पाल भी रखा है, उनका बंध्याकरण किया जाए, ताकि वे आगे प्रजनन न कर सकें। केंद्र ने डॉग ब्रीडिंग एंड मार्केटिंग रूल्स 2017 और पेट शाप रूल्स 2018 को सख्ती से लागू करने के लिए कहा है। इन देशों में प्रतिबंधित हैं यह कुत्ते – पेटा इंडिया के शौर्य अग्रवाल ने कहा कि मनुष्यों की सुरक्षा के लिए केंद्र ने यह सराहनीय कदम उठाया है। यहां यह भी बता दें कि पिटबुल अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, डेनमार्क, स्पेन, कनाडा, इटली और फ्रांस समेत 41 देशों में प्रतिबंधित है। इसके अलावा भी कई देशों में इस नस्ल के कुत्ते को रिहायशी इलाकों में रखना वर्जित किया गया है। पिटबुल जब एक बार किसी को अपने शिकंजे में ले लेता है तो उसके जबड़े एक तरह से लॉक हो जाते हैं और फिर उससे छुड़ाना बेहद मुश्किल होता है।
खूंखार नस्लों में ये कुत्ते शामिल – पिटबुल टेरियर्स, टोसा इनु, अमेरिकन स्टैफोर्डशायर टेरियर, फिला ब्रासीलेरियो, डोगो अर्जेंटीनो, अमेरिकन बुलडॉग, बोअरबोएल, कांगल, टार्नजैक, बैंडोग, सरप्लानिनैक, जापानी टोसा, अकिता, मॉस्टिफ्स, राटविलर, रोडेशियन रिजबैक, कैनारियो, अकबाश और मास्को गार्डडॉग, वोल्फ डॉग, जर्मन शेफर्ड आदि। अमेरिका में कुत्तों के काटने से हुई मौतों में पिटबुल का योगदान 66 प्रतिशत अमेरिका में 2005 से 2019 के 15 वर्षों के दौरान कुत्तों के काटने से होने वाली मौतों में पिटबुल का योगदान 66 प्रतिशत (346) रहा। संयुक्त रूप से पिटबुल और रॉटविलर का कुत्तों के काटने से हुई कुल मौतों में हिस्सा 76 प्रतिशत का रहा।
हाल में हुई घटनाएं – करीब एक माह पहले दिल्ली में एक पिटबुल द्वारा काटे जाने के बाद एक बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई। उसका पैर तीन जगह से टूट गया। उसे 17 दिन अस्पताल में रहना पड़ा। इससे कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने राजधानी में अपने पड़ोसी पर हमला करने के लिए अपने पिटबुल को उकसाया था।
एक सप्ताह पहले गाजियाबाद में एक पिटबुल ने 10 वर्षीय बच्चे को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था।
दिसंबर में भी एक 70 वर्षीय महिला को पिटबुल ने गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
एक अन्य मामले में लखनऊ में एक जिम मालिक के पिटबुल ने उसकी मां की जान ले ली थी।

रवि किशन के साथ नजर आ रहे हैं कोलकाता के अमित विक्रम पांडेय

मुम्बई । अमित विक्रम पांडेय, जो ट्रेंडिंग नेटफ्लिक्स सीरीज “मामला लीगल है” में “लॉ” के रूप में उज्ज्वल हैं, मुख्य किरदार मिस्टर वी डी त्यागी के सहायक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जिनका चित्रण रवि किशन ने किया है। अपनी वर्तमान सफलता के पार, अमित विक्रम उत्साहित करने वाले परियोजनाओं की ओर बढ़ रहे हैं, जिसमें इच्छुक परिवारिक फिल्म ” जस्सी वेड्स जस्सी” भी शामिल है, जहां वे रणवीर शॉरी, सिकंदर खेर, हर्ष वर्धन देव, मनु ऋषि चड्ढा, सुदेश लेहरी जैसे प्रसिद्ध अभिनेताओं के साथ स्क्रीन शेयर करेंगे। उनकी अभिनय यात्रा उनके दादाजी की कहानियों के साथ शुरू हुई, जिसने सिर्फ 14 साल की उम्र में स्टेज के प्रति प्यार को जगाया। उन्होंने स्वर्गीय उषा गांगुली, रसिका अगाशे और श्रुति शर्मा जैसे प्रमुख थिएटर व्यक्तित्वों के साथ काम किया है। अब, नौ साल बाद, अमित विक्रम अभी भी प्रकाश के नीचे प्रदर्शन करने में आनंद और आराम ढूंढते हैं।  ” नेबर्स किचेन सीजन 2″ और ” छोटा भीम द म्यूजिकल” जैसे शोज में यादगार भूमिकाओं के साथ, अमित विक्रम ने सितारों जैसे कि अक्षय कुमार, एमएस धोनी, शक्ति कपूर, तापसी पन्नू के साथ विज्ञापनों में भी अपनी पहचान बनाई है।

“दिव्यांग त्रिकोणीय टी-20 क्रिकेट प्रतियोगिता की आकर्षक ट्रॉफी 2024” का अनावरण

कोलकाता । दिव्यांग त्रिकोणीय टी-20 क्रिकेट ट्रॉफी 2024 के लिए प्रतियोगिता की शुरुआत 15 मार्च, 2024 को होने वाली है। इस क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन दिव्यांग क्रिकेट काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से किया गया है। हाल ही में इस मौके पर आकर्षक ट्रॉफी का अनावरण किया गया। इस समारोह में पूर्व भारतीय क्रिकेटर अरुण लाल (पूर्व भारतीय क्रिकेटर), चिन्मय नायक (सीईओ, सीएबी), रवि चौहान (डीसीसीआई के महासचिव), स्क्वाड्रन लीडर अभय प्रताप सिंह (डीसीसीआई के संयुक्त सचिव),  अरुण सराफ (पश्चिम बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन फॉर डिफरेंटली-एबल्ड के मुख्य संरक्षक), राजेश भारद्वाज (डीसीसीआई के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन कमेटी के अध्यक्ष), और सुरेन्द्र अग्रवाल (डीसीसीआई के दक्षिण भारत के अध्यक्ष) के साथ समाज में कई कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इसमें शामिल हुए। विभिन्न दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा खेला जाने वाला एक अन्य फॉर्मेट का क्रिकेट है। इसमे मुख्यधारा के क्रिकेट की चकाचौंध और ग्लैमर के बीच, दिव्यांग क्रिकेटर के रूप में क्रिकेट प्रेमियों का एक ऐसा वर्ग भी मौजूद है, जिसे लंबे समय से अनदेखा किया गया है। दिव्यांग क्रिकेट में ब्लाइंड क्रिकेट, मूक-बधिर क्रिकेट, शारीरिक विकलांगता क्रिकेट और व्हीलचेयर क्रिकेट जैसे विभिन्न रूप शामिल हैं। दिव्यांग त्रिकोणीय टी-20 ट्रॉफी 2024 तीन राज्यों, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बीच 15 से 17 मार्च, 2024 को बारासात में स्थित आदित्य अकादमी में खेला जाएगा। डीसीसीआई के महासचिव रवि चौहान ने कहा, दिव्यांग त्रिकोणीय टी-20 ट्रॉफी एक अनूठा मंच है, जो दिव्यांग क्रिकेटरों की प्रतिभा और दृढ़ संकल्प को समाज के सामने लाता है। हम हमेशा समाज में हर संभव तरीके से बदलाव लाना चाहते हैं। हम इस आयोजन के जरिए समाज में यह जागरूकता पैदा करना चाहते हैं कि, दिव्यांग लोग जीवन में जो कुछ भी करना चाहते हैं, वह कर सकते हैं बल्कि एक सामान्य व्यक्ति से भी बेहतर कर सकते हैं। इस अवसर पर, पश्चिम बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन फॉर डिफरेंटली-एबल्ड के मुख्य संरक्षक श्री अरुण सराफ ने कहा, डीसीसीआई द्वारा डिफरेंटली-एबल्ड लोगों के लिए पश्चिम बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का मुख्य संरक्षक नियुक्त किए जाने पर मैं अविश्वसनीय रूप से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा पश्चिम बंगाल में सभी क्रिकेटरों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।