पाठक की पाती
पिता सुप्रीम कोर्ट में रसोइया, बेटी को मिल रही है विदेश से छात्रवृत्ति
छात्रवृत्ति देने को तैयार अमेरिका की दो यूनिवर्सिटी
सीजेआई भी हुए मुरीद
नयी दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में एक रसोइया का काम करने वाले व्यक्ति की बेटी ने तमाम मुश्किलों को झेलते हुए विदेश में अपनी काबलियत का लोहा मनवाया है। यही वजह है कि उसे स्कॉलरशिप देने के लिये आज अमेरिका के दो विश्वविद्यालयों के बीच होड़ लगी है।
25 साल की प्रज्ञा कानून की पढ़ाई करती है। प्रज्ञा के पिता सुप्रीम कोर्ट में रसोइया का काम करते हैं और मां घर चलाती है। प्रज्ञा को अमेरिका में एक नहीं दो नामी विश्वविद्यालयों की ओर से छात्रवृत्ति का ऑफर मिला है। प्रज्ञा अब अमेरिका के कैलिफोर्निया या मिशिगन विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करेंगी। बुधवार को विधि शोधकर्ता प्रज्ञा को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और शीर्ष अदालत के अन्य जजों ने सम्मानित किया।
बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और बाकी न्यायाधीश लाउंज में इकट्ठे हुए। यहां प्रज्ञा का अभिनंदन किया गया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने प्रज्ञा को भारतीय संविधान पर केंद्रित तीन पुस्तकें उपहार में दीं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों के हस्ताक्षर थे। सम्मान पाकर प्रज्ञा ने दोनों हाथ जोड़कर सीजेआई और अन्य जजों का आभार व्यक्त किया।
सीजेआई क्या बोले? – प्रज्ञा को सम्मानित करने के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम जानते हैं कि प्रज्ञा ने अपने दम पर कुछ हासिल किया है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जो कुछ भी आवश्यक है, वह उसे प्राप्त करने में सफल हो… हम उम्मीद करते हैं कि वो देश की सेवा के लिए वापस लौटेंगी।”
इसके बाद न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने प्रज्ञा के पिता अजय कुमार सामल और उनकी पत्नी को शॉल भेंट की। दोनों की आंखें गर्व से चमक रही थीं और हाथ कृतज्ञता से जुड़े हुए थे। इस मौके पर 25 वर्षीय वकील प्रज्ञा ने कहा कि चंद्रचूड़ उनके लिए प्रेरणा हैं।
25 साल की इस युवा वकील ने कहा कि ‘न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ उनके लिए प्रेरणा हैं। वह युवा वकीलों को प्रोत्साहित करते हैं और उनके शब्द रत्नों की तरह हैं। वास्तव बड़े सपने देखकर उन्हें पूरा करना इतना आसान नहीं होता। लेकिन प्रज्ञा ने ये कर दिखाया और अब उनके सपनों को पंख लग गए हैं।
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केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को सीएपीएफ कैंटीन के उत्पादों पर मिलेगी 50% जीएसटी छूट
नयी दिल्ली । गृह मंत्रालय ने केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार को लेकर बड़ा फैसला किया है। केंद्र सरकार ने पुलिस कल्याण भंडार से वस्तुओं की खरीद पर लगने वाली जीएसटी (जीएसटी) पर 50% वित्तीय सहायता देने का फैसला किया है। यह केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 11 लाख जवानों के लिए राहत भरी खबर है। इस बाबत गृह मंत्रालय की ओर से कार्यालय ज्ञापन भी जारी कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि यह निर्णय 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी होगा। गृह मंत्रालय के इस फैसले से सीएपीएफएस , केन्द्रीय पुलिस संगठनों और राज्य पुलिस बलों के सेवारत एवं सेवानिवृत कर्मियों एवं उनके परिजनों को लाभ होगा। यह सहायता बजट के माध्यम से देय होगी। गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वह देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने में रक्षाबलों की कड़ी मेहनत को स्वीकारता और आदर करता है। इसके साथ ही सीएपीएफ के कर्मियों और उनके परिजन के कल्याण को बहुत महत्व देता है।
कैंटीन में सस्ता होगा सामान – केंद्र सरकार के इस फैसले से केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (केपीकेबी) या केंद्रीय पुलिस वेलफेयर स्टोर में सामान काफी हद तक सस्ता हो जाएगा। जानकारी के मुताबिक, अब केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के लिए घरेलू सामान, ग्रॉसरी व कपड़े समेत कई तरह का सामान खरीदना काफी हद तक सस्ता हो जाएगा। यह लाभ सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी के जवानों या उनके परिजनों को मिलेगा।
2006 में हुई थी स्थापना – केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार की स्थापना साल 2006 में हुई थी। वर्तमान में 119 मास्टर भंडार और 1700 से अधिक सहायक भंडारों के साथ इसकी मौजूदगी पूरे भारत में है। इनके माध्यम से केन्द्रीय पुलिस कल्याण भंडार पुलिस बलों के कर्मियों को किफायती दरों पर सामान उपलब्ध करा रहे हैं।
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सरकार ने डॉक्टरों, उनके रिश्तेदारों को मिलने वाले उपहारों पर लगाई रोक
नयी दिल्ली । सरकार ने फार्मा मार्केटिंग प्रैक्टिस को लेकर यूसीपीएमपी 2024 नोटिफाई कर दिया है। इसके तहत फार्मा सेक्टर के लिए नई गाइडलाइंस जारी कर दी गई हैं। फार्मा सेक्टर के लिए जारी की गई इस नई गाइडलाइंस में सरकार ने डॉक्टरों और उनके रिश्तेदारों को मिलने वाले गिफ्ट्स पर रोक लगा दी है। जी हां, सरकार ने हेल्थकेयर इंडस्ट्री में किसी भी तरह के अनैतिक कार्यों को रोकने के लिए ये बड़ा फैसला लिया है।
ट्रैवल और ऐकोमोडेशन भी नहीं दे सकती फार्मा कंपनियां – फार्मा सेक्टर में होने वाली कई तरह की अनऐथिकल प्रैक्टिस को खत्म करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ फार्मा ने कुछ बड़ी और महत्वपूर्ण गाइडलाइंस जारी की हैं। इस नई गाइडलाइंस के मुताबिक फार्मा कंपनी, किसी भी डॉक्टर, हेल्थकेयर वर्कर या उनके परिवार के सदस्यों को किसी भी तरह का कोई गिफ्ट्स नहीं दे सकती हैं। इसके साथ ही फार्मा कंपनियां अब हेल्थकेयर वर्कर्स या उनकी फैमिली को देश में या देश के बाहर ट्रैवल या आवास भी ऑफर नहीं कर सकती हैं। इसके साथ ही कोई भी फार्मा कंपनी इन लोगों को किसी भी तरह का कोई आर्थिक फायदा भी नहीं दे सकती हैं।
फार्मा कंपनियों के सीएमई वर्कशॉप पर भी लगी रोक – सरकार की तरफ से जारी किए गए गाइडलाइंस के मुताबिक अब फार्मा कंपनियां सीएमई (कंटीन्यूइंग मेडिकल एडुकेशन) वर्कशॉप भी नहीं कर सकतीं। फार्मा कंपनियां पहले इस तरह के वर्कशॉप करती थीं, जिनमें डॉक्टरों को विदेशों के टूर पर भेजा जाता था। फार्मा कंपनियों को अपनी दवाइयों की सभी जानकारी बिल्कुल सही देनी होंगी, दवाइयों की जानकारियां मिसलीडिंग नहीं होनी चाहिए।
दवा कंपनियों को फ्री सैंपल का देना होगा पूरा हिसाब – इतना ही नहीं, फार्मा कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले फ्री सैंपल पर भी लगाम कसने की तैयारी हो गई है। गाइडलाइंस में कहा गया है कि फार्मा कंपनियां अपनी सालाना घरेलू बिक्री का सिर्फ 2 प्रतिशत की फ्री सैंपल दे सकती हैं। इसके साथ ही, फार्मा कंपनियों को फ्री सैंपल का पूरा हिसाब देना होगा। ये कंपनियां सिर्फ योग्य डॉक्टरों को ही प्रैक्टिस के लिए फ्री सैंपल दे सकती हैं।
शादीशुदा रहते लिव इन रिलेशन में नहीं रह सकते हैं विवाहित
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े एक मामले में सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा है कि हिन्दू विवाह अधिनियम के मुताबिक यदि पति-पत्नी जीवित हैं और तलाक नहीं लिया गया है, तो उनमें से कोई भी दूसरी शादी नहीं कर सकता । कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि कानून के खिलाफ रिश्तों को अदालत का समर्थन नहीं मिल सकता। हाईकोर्ट ने इसी तल्ख टिप्पणी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली विवाहिता की याचिका को खारिज कर दिया है । अदालत ने अर्जी खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ताओं पर दो हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया ।
कोर्ट ने खारिज की याचिका – जस्टिस रेनू अग्रवाल ने कासगंज की एक विवाहिता व अन्य की याचिका खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवाहित महिला अपने पति से तलाक लिए बिना किसी अन्य के साथ लिव इन में नहीं रह सकती। ऐसे रिश्तों को मान्यता देने से समाज में अराजकता बढ़ेगी और देश का सामाजिक ताना-बाना तहस नहस हो जाएगा।
विवाहिता और लिव इन रिलेशनशिप में उसके साथ रहने वाले प्रेमी ने सुरक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में कहा गया था दोनों याची लिव इन पार्टनर हैं। उन्होंने कासगंज जिले के एसपी से सुरक्षा की मांग की थी। कोई सुनवाई न होने पर यह याचिका दाखिल की गयी ।
शादीशुदा होने के बावजूद लिव इन रिलेशन – सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला और उसका प्रेमी दोनों ही पहले से शादीशुदा हैं। दोनों अपने जीवनसाथियों को छोड़कर सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने के लिए लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। याचिका का प्रेमी युवक की पत्नी द्वारा विरोध भी किया गया। अदालत में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े के पहले से शादीशुदा होने के सबूत भी पेश किए गए। अदालत में सुनवाई के दौरान यह भी साफ हुआ कि दोनों में से किसी याची का अपने पति या पत्नी से तलाक नहीं हुआ है। विवाहिता याची दो बच्चों की मां है और दूसरे याची के साथ लिव इन में रह रही है। कोर्ट ने इसे कानून के खिलाफ माना और सुरक्षा देने से इंकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया।