मुम्बई । अयोध्या के रहने वाले ऋषि सिंह ने इंडियन आइडल सीजन 13 की ट्रॉफी अपने नाम कर ली। इसके लिए उन्हें एक चमचमाती ट्रॉफी, मारुति सुजुकी एसयूवी और 25 लाख रुपये दिये गये हैं ।
हालांकि सोशल मीडिया पर तो वे पहले से ही पॉपुलर हो गए थे. दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे ऋषि सिंह के फैन-फॉलोअर्स की लिस्ट में अब एक बड़ा नाम भी शामिल हो गया है-विराट कोहली. जी हां, क्रिकेटर विराट कोहली सोशल मीडिया पर ऋषि सिंह को फॉलो करते हैं. इंस्टाग्राम पर ऋषि के इस वक्त टोटल 865k फॉलोआर्स हैं, जिनमें से एक हैं 243 मिलियन फॉलोअर्स वाले क्रिकेटर विराट कोहली. इतना ही नहीं उनको तो सोनी म्यूजिक इंडिया के साथ रिकॉर्डिंग का कॉन्ट्रैक्ट भी मिला है।
इस जीत पर उनसे जब पूछा गया कि उन्हें कैसे लग रहा है तो 21 साल के विनर ने बताया कि जब उनके नाम की घोषणा हुई तो वह अपने आंसू रोक नहीं पा रहे थे। क्योंकि इंडियन आइडल जैसे शो को जीतना उनके लिए बड़ी बात थी। साथ ही इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत भी की थी। विजेता ऋषि सिंह ने बताया कि उन्होंने जब वो शो का हिस्सा बने थे तो उनके दिमाग में ये था कि उन्हें आखिरी तक रहना है। शो की शुरुआत में ही मैं सोशल मीडिया पर पॉपुलर हो गया था ऐसे में मुकाबला और मुश्किल हो गया था। खासकर मेरी सह प्रतियोगी देबस्मिता रॉय के साथ जो कि फर्स्ट रनर अप हैं इसलिए मैंने हमेशा यही सोचा कि कोई भी विजेता हो सकता है।
अयोध्या के ऋषि सिंह बने इंडियन आइडल सीजन 13 के विजेता
गर्मियों में सेहत का ख्याल रखेगा सत्तू
गर्मी के मौसम में तेज गर्म हवाएं सेहत को कई तरीके से नुकसान पहुंचा सकती है इसमें स्किन झुलस जाती है और बाल रूखे और बेजान से हो जाते हैं। वहीं पेट का भी बुरा हाल हो जाता है।
लू लगने से चक्कर ,उल्टी ,बुखार ,सिर दर्द की परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सदियों पुराना नुस्खा आज भी लोग अपनाते हैं इससे बचने के लिए हम बात कर रहे हैं सत्तू के घोल की।
100 ग्राम सत्तू में पोषक तत्व- 20.6 % प्रोटीन , 7.2 % वसा, 1.35 % फाइबर, 65.2 %, कार्बोहाइड्रेट 2.95 % नमी , 406 कैलोरी पाई जाती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को लू नहीं लगने देते हैं
गर्मी से बाहर निकलने के लिए बड़े बुजुर्ग सत्तू खाने पर ज्यादा जोर देते हैं। क्योंकि इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को लू नहीं लगने देते हैं। इसके अलावा भी कई तरीकों से लाभ पहुंचाते हैं सेहत को जिसके बारे में आज हम आपको बताते हैं। सत्तू को ग्रामीण लोग ‘सतुआ ‘ भी कहते हैं। आमतौर पर सत्तू को गांव के लोग ज्यादा खाते हैं इसे सुपर फूड की केटेगरी में रखा गया है। इसमें फाइबर ,कार्बोहाइड्रेट ,प्रोटीन,कैल्शियम ,मैग्नीशियम पाया जाता है ,गर्मी के मौसम में परफेक्ट एनर्जी ड्रिंक है ।
आज हम आपको सत्तू के फायदे बताते हैं। यह लू से तो बचाता है साथ में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर में भी फायदा पहुंचाता है। इसमें ब्लड शुगर कंट्रोल में होता है ।
अगर आप सत्तू का घोल पीना पसंद नहीं करते हैं तो आप इस का पराठा भी बना कर खा सकते हैं। स्किन और बाल के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा इससे बालों का झड़ना और चेहरे की झुर्रियां कम होगी। सत्तू में आयरन की मात्रा कम होती है जो बाल की सेहत के लिए अच्छा होता है।
गर्भावस्था और पीरियड में महिलाओं के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है ऐसे में उनकी भरपाई कर देता है। सत्तू में विटामिन और खनिज की मात्रा होती है जो शरीर को प्रोटीन प्रदान करने का भी काम करता है।
लिटिल थेस्पियन ने आयोजित किया जश्न ए अजहर
रपट – राधा कुमारी ठाकुर
कोलकाता । लिटिल थेस्पियन द्वारा आयोजित 12वा नेशनल थियेटर फेस्टिवल जश्न ए अज़हर कोलकाता में स्थित 11 प्रिटोरिया स्ट्रीट ज्ञान मंच में भारत सरकार द्वारा वित्तीय सहायता से आयोजित होने किया गया 18 मार्च से 24 मार्च तक।
18 मार्च पहला दिन शनिवार दोपहर उद्घाटन समारोह एवं अरुण पांडे (निर्देशक विवेचन रंगमंडल जबलपुर) जी को अज़हर आलम स्मृति सम्मान से पुरस्कृत किया किया, तथा इसी क्रम में “नाट्य रंग और रचनात्मक प्रतिरोध के संदर्भ:” विषय पर रंग संवाद हुआ, जिसके केंद्र में जितेंद्र भाटिया ,अरुण होता, संतोष राजपूत रहे और उन्होंने अपनी बात रखी। इस प्रथम रंग संवाद सत्र का संचालन शुभ्रा उपाध्याय के द्वारा संपन्न हुआ तथा दूजों कबीर संतोष राजपूत के निर्देशन में विवेचन रंगमंडल द्वारा प्रस्तुत किया गया।
19 मार्च कठपुतली थिएटर के निर्देशक दिलीप मंडल को सम्मानित करने के साथ रंग संवाद विषय “विसंगतियों में चक्रव्यूह में आज का व्यक्तित्व” विषय पर मृत्युंजय प्रभाकर, दिनेश वडेरा, राजेश सिंह जी ने अपनी बात रखी। इस दुसरे दिन के संवाद सत्र का संचालन सूफिया यासमीन द्वारा सम्पन्न हुआ तथा इसी क्रम में राजेश सिंह के निर्देशन में नाटक व्यक्तिगत फ्लाइंग फेदर्स आर्ट एसोसिएशन दिल्ली समूह के द्वारा प्रस्तुत किया गया।
20 मार्च को अभिनेता दिलीप दवे को सम्मानित किया गया और साथ ही रंग संवाद “स्त्री हस्तक्षेप” विषय पर शर्मिला जालान, राजश्री शुक्ला, अयाज़ खान जी ने अपना वक्तव्य रखा। इस तीसरे रंग संवाद सत्र का संचालन गीता दुबे द्वारा संपन्न हुआ तथा इसी कड़ी में अयाज खान के निर्देशन में नाटक ए लड़की ग्वालियर की परिवर्तन समूह के द्वारा प्रस्तुत किया गया।
21 मार्च को अभिनेत्री और निर्देशक रूकया रे को सम्मानित करने के साथ “नाटकों में प्रेम और प्रतिरोध” विषय पर मोहम्मद कासिम, सोमा बंदोपाध्याय, निलॉय रॉय, जी ने अपनी बात रखी और इस चौथे रंग संवाद का संचालन इतू सिंह द्वारा संपन्न हुआ तथा इसी कड़ी में निलॉय रॉय के निर्देशन में नाटक ओडिपस संवाद पीपुल्स थियेटर ग्रुप दिल्ली के द्वारा प्रस्तुत किया गया।
22 मार्च को अभिनेता और निर्देशक अशोक सिंह को सम्मानित करने के साथ “संभावनाएं और चुनौतियां” विषय पर कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, मृत्युंजय श्रीवास्तव, मुस्ताक काक जी ने अपना वक्तव्य रखा। इस पांचवें रंग संवाद का संचालन मोहम्मद कासिम के द्वारा संपन्न हुआ तथा इसी क्रम में मुस्ताक काक के निर्देशन में नाटक लम्हों की मुलाकात विनीत रंगमंच जम्मू समूह के द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसकी पटकथा उमा झुनझुनवाला द्वारा लिखी गई है।
23 मार्च को जामा हबीब को सम्मानित करने के साथ विषय “स्त्री अस्मिता स्वप्न और संघर्ष” विषय पर मृत्युंजय कुमार सिंह, डॉ. सत्या उपाध्याय और उमा झुनझुनवाला ने अपनी बात रखी तथा इस छठे रंग संवाद का संचालन डॉ. अल्पना नायक के द्वारा संपन्न हुआ। इसी क्रम में उमा झुनझुनवाला के निर्देशन में नाटक रेत और इंद्रधनुष कोलकाता के नाट्य संस्था लिटिल द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसकी रचना डॉ शशि सहगल ने की है।
गर्भ में भगवान महावीर के आते ही माता त्रिशला को नजर आए थे 14 भव्य स्वप्न
निंद्रावस्था और अर्द्धचेतन अवस्था में अंतर है। अर्द्ध चेतन अवस्था के दौरान कई बार हमें भी कुछ ऐसे स्वप्न आते है। जिनके पीछे कुछ संकेत होते है। स्वप्न कई बार हमें सचेत भी करते है। भगवान महावीर जब माता त्रिशला के गर्भ में पधारे तब माता को 14 भव्य नजारे स्वप्न में नजर आए थे। संकेत यह स्पष्ट कर रहे थे की गर्भ में स्थान लेने वाला जीव बहुत मजबूत, साहसी और सद्गुणों से भरा होगा। वह बहुत धार्मिक होगा और एक महान राजा या आध्यात्मिक नेता बनेगा। वह धार्मिक व्यवस्था में सुधार और पुनर्स्थापना करेगा। वह जीवन और मृत्यु से परे हो जाएगा। वह स्वयं भी मोक्ष में जाएगा और ब्रह्मांड के सभी प्राणियों को मोक्ष प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करेगा।
क्या था पहला स्वप्न
पहले स्वप्न में माता त्रिशला को गजराज (हाथी) नजर आए थे। इस सपने ने संकेत दिया कि असाधारण चरित्र गर्भ में स्थापित हुआ है। गजराज पर हौदा भी था। यह स्पष्ट कर रहा था की यह जीव सम्पूर्ण जगत के लिए एक अलग ही आध्यात्मिक चेतना का मार्गदर्शन करेगा ।
दूसरा स्वप्न
माता त्रिशला ने दूसरे स्वप्न में एक वृषभ (बैल) के दर्शन किए थे। इस सपने ने संकेत दिया कि गर्भ का जीव महान आध्यात्मिक शिक्षक होगा। वह धर्म की फसल लहलहाएगा।
तीसरा स्वप्न
माता त्रिशला को तीसरे स्वप्न में जंगल के नायक सिंह का दीदार हुआ था। इस सपने का संकेत स्पष्ट था की गर्भस्थ जीव सिंह की तरह शक्तिशाली और मजबूत होगा। वह निडर, सर्वशक्तिमान और दुनिया पर राज करने में सक्षम होगा।
चौथा सपना
मातारानी त्रिशला देवी को चौथे स्वप्न में धन की देवी लक्ष्मीजी का दर्शन हुआ था। धन, समृद्धि और शक्ति की देवी के स्वप्न में आने से यह स्पष्ट हो गया था की गर्भस्थ जीव को धन और वैभव की कोई कमी नही रहेगी। वह एक उत्कृष्ट दानी होगा।
पंचम स्वप्न
पाचवें स्वप्न में माता त्रिशला ने आकाश से उतरती एक सुंदर पुष्पमाला देखी। इस सपने का संकेत था की गर्भस्थ जीव के शिक्षण की खुशबू पूरे ब्रह्मांड में फैलेगी, और वह सभी का सम्मान करेगा।
छठां स्वप्न
माता रानी त्रिशला ने छठे स्वप्न में पूर्णमासी का चन्द्र देखा था। इस सपने का संकेत यह माना गया की गर्भस्थ जीव जगत के सभी प्राणियों के दुख को कम करने में मदद करेगा। वह शीतलता और शांति के लिए समर्पित होगा। वह संपूर्ण मानवता की आध्यात्मिक प्रगति में मदद करेगा।
माता त्रिशला को सातवें स्वप्न में चमकदार किरणों से युक्त सूर्य दिखाई दिया था। इस सपने का संकेत यह माना गया की गर्भस्थ जीव को सर्वोच्च ज्ञान होगा और वह भ्रम के अंधेरे को दूर कर देगा।
आठवां स्वप्न
माता रानी त्रिशला को स्वप्नों की श्रंखला में दिखाई दिया अष्टम स्वप्न का नजारा अद्भुद था। माता ने सुनहरी छड़ी पर लहराते एक विशाल ध्वज का दर्श किया था। इस सपने का संकेत माना गया कि गर्भस्थ जीव धर्म का बैनर लेकर चलेगा। वह पूरे ब्रह्मांड में धार्मिक व्यवस्था को बहाल करेगा।
नौवां स्वप्न
माता रानी त्रिशला को नवम स्वप्न में एक स्वर्ण कलश दिखाई दिया था। यह कलश शुद्ध स्वच्छ जल से भरा था।
इस सपने ने संकेत दिया कि गर्भस्थ जीव सभी गुणों में परिपूर्ण होगा और सभी जीवित प्राणियों के लिए दया से भरा होगा।
दसवां सपना
माता त्रिशला ने दसवें स्वप्न में खिलते कमल के फूलों से भरी झील का दर्श किया था। इस सपने का संकेत माना गया की गर्भस्थ जीव सांसारिक लगाव से परे अध्यात्म का पुष्प पल्लवित करेगा। वह प्राणी मात्र को संसार के सुख – दुखों से परे रहने और जन्म – मरण से मुक्त होने का बोध देगा।
ग्यारहवां सपना
माता त्रिशला को दिखाई दिया ग्यारहवां स्वप्न एक महासागर का था। इस सपने का संकेत यह माना गया की गर्भस्थ जीव ज्ञान का अथाह सागर होगा। वह असीम ज्ञान प्राप्त कर सांसारिक जीवन से मुक्ति की राह पर चलेगा और अन्य सभी के लिए इस राह को प्रशस्त करेगा।
बारहवां स्वप्न
माता रानी त्रिशला ने बारहवें स्वप्न में आकाश में विचरण करते एक देव विमान का दर्श किया था।
इस सपने का संकेत यह माना गया कि ब्रह्मांड की सभी दिव्य आत्माएं गर्भस्थ जीव की आध्यात्मिक शिक्षाओं का सम्मान करेंगे।
तेरहवां स्वप्न
माता रानी त्रिशला को तेरहवें स्वप्न में रत्नराशी का दर्श हुआ था। इस सपने ने संकेत दिया कि गर्भस्थ जीव का अनंत गुण और ज्ञान संसार सागर में फैलेगा।
चौदहवां स्वप्न
माता रानी त्रिशला को अंतिम चौदहवें स्वप्न में धुंए से रहित प्रज्ववलित अग्नि नजर आई थी। इस सपने ने संकेत दिया कि गर्भस्थ जीव संसार से अज्ञान रूपी धुंए को दूर करेगा। अंध-विश्वास और रूढ़िवादी संस्कारों से परे जाकर ज्ञान की अग्नि प्रज्ववलित करेगा। वह अशुभ कर्मो को तप की अग्नि से जलाने का ज्ञान देगा।
बारिश हो रही हो या धूप हो गायब तो ऐसे सुखाएं कपड़े
जब आपके कपड़े सुखाने के समय की बात आती है तो सही समय पर कपड़े धोएं। इससे होगा यहा है कि आप दिन में पहले अपनी धुलाई करेंगी थोड़ी धूप में कपड़े रखे जा सकेंगे। इसके बाद इन्हें रात होने से पहले कमरे में ले आएं और खिड़की खोल दें। हवा से कपड़े सुबह तक आराम से सूख जाएंगे। अगर आप रात भर कपड़े बाहर रखेंगी तो पाले से कपड़े वापिस गीले हो सकते हैं।बारिश के मूड का कोई भरोसा नहीं रहता । कभी भी और किसी भी मौसम में धमक जाती है और इसके आने से सबसे ज्यादा परेशानी होती है कपड़ों को सुखाने की । जब घर के बाहर लगातार बारिश हो रही हो तो आप अक्सर चाय पकौड़े का मजा लेना नहीं भूलते लेकिन बारिश अपने साथ कई परेशानियां लेकर आती है. इस दौरान आपको कपड़े सुखाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि तब धूप नहीं निकलती और हवा में नमी ज्यादा होती है।
ऐसे में कपड़ों को सूखने में 2 से 3 दिन लग सकते हैं, जिससे दुर्गंध आने लगती है। दरअसल, लंबे समय तक नमी रहने से कपड़ों में बैक्टीरिया पनप सकते हैं। इन कपड़ों को पहनने से खुजली और अन्य चर्म रोग हो सकते हैं। आइए जानते हैं बारिश में कपड़े कैसे सुखाएं और मौसमी बीमारियों से खुद को कैसे बचाएं।
कई सारे कपड़ों को एक साथ धोने से वो अंत में खराब हो जाएंगे। इसी वजह से उन्हें वॉशिंग मशीन में सूखने में वक्त लगता है। ध्यान रखें कि अगर आप भारी कपड़े जैसे स्वेटर, बेडशीट डाल रही हैं तो उसे कम मात्रा में डालकर ही धोएं ।
कपड़े सुखाने के लिए हम सबसे पहले उसे मशीन में स्पिन करते हैं। इससे कपड़े जल्दी सूखने में मदद मिलती है। अगर आपने कपड़े स्पिन में चलाएं हैं तो मशीन का तेज स्पिन प्रोग्राम सेलेक्ट करें। इससे कपड़ों में बचा अतिरिक्त पानी को निकालने में मदद मिलेगी और कपड़ों से नमी कम होगी।
इससे पहले कि आप सुपर-फास्ट स्पिन के लिए कंट्रोल सेट करें, अपने कपड़ों पर केयर लेबल जरूर देख लें। देखें क्या वह फास्ट स्पिन झेलने से खराब तो नहीं होंगे।अपने कपड़ों को लटकाने के लिए सही जगह चुनें, ताकि उन्हें सूखने के लिए पर्याप्त हवा मिले। एक साथ कई कपड़ों की ओवरलैपिंग से कपड़े नहीं सूखेंगे। सुनिश्चित करें कि जीन्स जैसी मोटी वस्तुओं में जगह हो ताकि वह बाकी कपड़ों पर न लगें। इससे न जीन्स जैसे मोटे कपड़े सूखेंगे और न ही हल्के कपड़े सही ढंग से सूखेंगे । यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जिस कमरे में आपके कपड़े सूख रहे हैं वह अच्छी तरह से हवादार है। यह न केवल नमी और मोल्ड को रोकने में मदद करेगा बल्कि आपके कपड़े भी जल्दी सूखेंगे। खुली हुई खिड़कियां आपके घर में ताज़ी हवा का संचार करने का सबसे अच्छा तरीका हैं और इससे कपड़े जल्दी सूखेंगे। अपने बड़े कमरे की खिड़की के पास सबसे धूप वाले हिस्से पर कपड़े सुखाएं ताकि जो धूप और हवा लगे वो सीधे आपके कपड़ों पर लगे।अगर आपके कमरे से बदबू आ रही है तो उसे पूरे दिन खुला रखें, ताकि हवा का सही संचार हो और बदबू बाहर निकल सके। इसके अलावा आप ह्यूमिडिटी से बचने के लिए डीह्यूमिडिफायर का उपयोग भी कर सकती हैं।
बरसात के दिनों के लिए कपड़े
1. जब कई दिनों से बारिश हो रही हो तो कपड़े धोने के बाद और सुखाने से पहले एंटीसेप्टिक पानी में भिगो दें, इससे कीटाणु कपड़ों पर पनपने से बचेंगे।
2. अगर आप मशीन में धो रहे हैं तो आखिरी समय में पानी में सेब का सिरका या एंटीसेप्टिक मिलाएं। इससे बैक्टीरिया नहीं होंगे।
3. पसीने से तर कपड़ों को धोने के लिए जब आप वाशिंग मशीन का इस्तेमाल करें तो उसका ढक्कन कभी बंद न करें, यह कपड़ों से अच्छी तरह से महक नहीं निकलने देता, ऐसे कपड़ों को बाल्टी में धोना ही बेहतर होता है.
4. जब कपड़े धोने के बाद पानी टपकना बंद हो जाए तो उन्हें घर के स्टैंड पर फैलाकर क्लिप कर दें। फिर नीचे अगरबत्ती या धूपबत्ती को हिलाएं, कपड़े से दुर्गंध नहीं आएगी।
5. आप बालकनी पर प्लास्टिक के पर्दे लगाएं और फिर कपड़ों को वहीं सूखने के लिए छोड़ दें, ताकि बारिश की बूंदें आपके कपड़ों तक न पहुंचें.
6. सबसे अच्छा तरीका यह है कि कपड़े से पानी निकालने के बाद स्टैंड को भरपूर वेंटिलेशन वाले कमरे में रखा जाए। अब पंखा या कूलर को फुल स्पीड से चलाएं, इससे कपड़े जल्दी सूखते हैं।
7. कपड़े को सूखने के तुरंत बाद आयरन करें, इससे कपड़े की नमी खत्म हो जाती है और बचे हुए कीटाणु मर जाते हैं।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड – हम कभी नहीं भूल सकते 13 अप्रैल 1919 का दिन

एक समय था जब भारत को उसकी समृद्धि और सम्पन्नता के कारण उसे सोने की चिड़िया कहा जाता था | दिन बदले, समय बदला धीरे-धीरे कब समय की वसंत ऋतु ने पतझड़ का रुख कर लिया पता ही नहीं चला | जैसे गुड़ की मिठास के कारण उसके आस पास चीटियों का जमावड़ा हो जाता है, और देखते ही देखते चीटियां उस गुड़ को उसकी मिठास सहित चट कर जाती है| ऐसा ही कुछ हुआ भारत देश के साथ | समय- समय पर होने वाले बाहरी आक्रमण, लूट-पाट, अत्याचारों ने भारत की समृद्धि को बिलकुल नष्ट कर दिया| ईरान, यूनानी, मुगल और ब्रिटिश आदि द्वारा भारत पर किये गए आक्रमणों की एक लम्बी सूची है| जिन्होंने हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को हमसे दूर कर दिया| हालाँकि ब्रिटिश राज का कहर विश्व के अन्य देशों पर भी बरपा किन्तु यदि एक अकेले भारत की बात की जाए तो अंग्रेजों ने यहां पूरे 200 साल तक अपना आधिपत्य कायम रखा| यही कारण है कि भारतीय इतिहास का एक बड़ा हिस्सा अंग्रेजी राज द्वारा किये गए जुल्मों से भरा पड़ा है| इसकी शुरुआत सन 1608 से हुई जब अंग्रेज भारत में व्यापार करने की इच्छा से मेरठ शहर द्वारा भारत में आए ,और देखते ही देखते सम्पूर्ण भारत को ही अपना सम्राज्य बना लिया |
इन 200 वर्षों के दौरान अलग- अलग कूटनीतियों से अंग्रेजों ने भारतीय मानसिकता को प्रभावित किया | रेल मार्ग , डाक तार व्यवस्था , स्कूल- कॉलेज आदि के निर्माण द्वारा भारतीयों के सम्मुख यह ढोंग करते रहे कि यह सब कुछ भारतीयों की सेवा में, भारत देश को समृद्ध बनाने हेतु किया जा रहा| किन्तु वास्तव में इनकी मनसा येन केन प्रकारेण अपनी चाल बाजियों से भारत की जनता को भुलावे में डालना था| अंग्रजों द्वारा ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति हमारे समक्ष इसी का एक सशक्त उदाहरण है| यह तथ्य तो सर्वविदित है,कि समय परिवर्तनशील है |ऐसे में अब बारी थी अंग्रेजी हुकुमत के तख्तापलट की| एक न एक दिन अंग्रेजों की इन सभी जालसाजियों के प्रति आवाजों का उठना निश्चित था,और वह वही समय रहा जिसे हम 1857 के विद्रोह में रूप में जानते हैं |
1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था| यह विद्रोह दो वर्षो तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चला, और यहीं से भारत की आज़ादी की नीव पड़ी| जिसके साकार रूप को देखने का सुख 1947 में प्राप्त हुआ| इस क्रांति के बाद अंग्रेजों की दमन नीतियां अपनी क्रूरता के साथ और भी उग्र हो गयीं | इसी क्रूरता का एक वीभस्त दृश्य १९१९ का जन संहार जलियांवाला बाग़ हत्याकांड रहा जिसकी रक्तिम छवि आज भी भारतियों में ह्रदय पटल पर अंकित हैं| जिसका हाहाकार आज भी भारतीय जनमानस के कानों में गुंजायमान है|
अंग्रेजी हुकूमत की मनमानियों के तहत सन 1919 में भारत देश में ब्रिटिश सामाज्य द्वारा कई तरह के कानून लागू किये गए| जिनका विरोध समय- समय पर भारत के अलग अलग राज्यों में हुआ| 6 फ़रवरी, साल 1919 में ब्रिटिश सरकार के इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में ‘रॉलेक्ट’ नामक बिल को पेश किया गया | इस बिल को ‘इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल’ ने मार्च के महीने में पास कर दिया था जिसके बाद ये बिल एक अधिनियम बन गया | इस अधिनियम की मदद से भारत की ब्रिटिश सरकार अपने खिलाफ भारतीय क्रांतिकारियों पर काबू पाना चाहती थी और हमारे देश की आज़ादी के लिए चल रहे आंदोलन को पूरी तरह से ख़त्म करना चाहती थी | अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए इस अधिनियम का महात्मा गाँधी सहित कई नेताओं ने विरोध किया था | गाँधी जी ने इसी अधिनियम के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन को पूरे देश में शुरू किया |यह आंदोलन अपनी सार्थक गति से आगे बढ़ रहा था जिसके परिणाम स्वरुप भारी संख्या में भारतीय इस आंदोलन में अपनी सहभागिता दर्ज करवाने लगे, जो कि अंग्रेजी हुकूमत के सम्मुख एक बड़ी समस्या के तौर पर अपना मुँह बाए खड़ी थी|
13 अप्रैल 1919 ,यह बैसाखी का दिन था जिस दिन इस एक्ट के विरोध में पंजाब,अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में सभा होनी थी | इस तरह की सभा या सामूहिक जमावड़े की रोक थाम के लिए पूरे शहर में पहले से ही कर्फ्यू की घोषणा हो चुकी थी| इसके उपरांत भी बाग़ में स्वत्रंता की मांग करने वाले हज़ारों आंदोलनकारियों की भीड़ इकट्ठा थी,जो शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग मौजूदा सरकार के समक्ष रखना चाहती थी| अंग्रेजों की कूटनीति और क्रूरता का दोहरा रूप हमें एक बार फिर दिखा जब पहले इन्होने सभा के लिए बाग़ की भीड़ को जानबूझ कर इकठ्ठा होने दिया| फिर जैसे सभी भारतीयों को एक बड़ा सबक सिखाने जैसे इरादे से ‘ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर’ अपने 90 सिपाहियों के साथ बाग में पहुंचे और बिना किसी पूर्व चेतावनी के अंधाधुंध गोलियाँ चलने का आदेश दे डाला|
आंकड़ों के अनुसार इस निर्मम हत्याकांड में करीब 379 लोग मरे गए थे और लगभग 1000 लोग घायल हुए थे| जबकि कुछ जानकारों का यह मनना था कि इस नरसंहार में मरने वालों की संख्या 1000 से पार कर चुकी थी,जबकि 1500 से ऊपर लोग घायल हुए थे | इस हत्याकांड में जाने कितने ही परिवार जनरल डायर के एक आदेश से उनकी गोलियों का निशाना बन गए| बैसाखी का त्यौहार एक कारण था जिसके तहत उस सभा में महिलाओं सहित बच्चों की उपस्थिति भी भारी मात्रा में थी फलतः वे सब भी इस नरसंहार की भेंट चढ़ गए |
अमृतसर में भारतीयों द्वारा दी गई ये क़ुरबानी व्यर्थ नहीं गई | इस घटना ने स्वतंत्रता की लड़ाई में उस धधकती ज्वाला का कार्य किया जिसमें अंततः सन ११९४७ में अंग्रेजी हुकूमत का दहन हुआ |यह हत्याकांड स्वतंत्रता संग्राम में बड़े बदलाव का कारण बनी | विशेष कर पंजाब के लोगों में यह आक्रोश बन कर उभरा| ब्रिटिश सरकार की ये क्रूरता बाग की दीवारों पर गोलियों के निशान के रूप में आज भी अंकित है| भारतीयों के लिए जलियांवाला बाग़ हत्याकांड उनके इतिहास की सबसे दारुण घटना का उदाहरण बन कर आज भी उनकी संवेदनाओं को झंकृत करती रहती है |भारत की यह स्वतंत्रता ऐसे ही न जाने कितने बलिदानों का प्रतिफल है|
‘तेलंगाना टी चैंपियनशिप 2023’ का दूसरा संस्करण सम्पन्न
कोलकाता । हाइबिज.टीवी द्वारा प्रतियोगिता ‘तेलंगाना टी चैंपियनशिप’ के दूसरे संस्करण का सफल आयोजन टी बोर्ड इंडिया और भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के समर्थन से हैदराबाद के एचआईसीसी, नोवोटेल में किया गया। इस टी चैंपियनशिप के दूसरे संस्करण में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और टी बोर्ड इंडिया ने अहम भूमिका निभाई। वर्ष 2022 में इस प्रतियोगिता को लॉन्च किया गया था। इसकी अपार सफलता के कारण वर्ष 2023 में इसके दूसरे संस्करण का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए किसी तरह का प्रवेश शुल्क नही रखा गया था। इसके कारण इस प्रतियोगिता का हिस्सा बनने के लिए महिला प्रतिभागियों में काफी उत्साह देखा गया। इस प्रतियोगिता में 200 के करीब महिला प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में जीत के साथ प्रथम स्थान प्राप्त करनेवाली प्रभा ने 1 लाख रुपये का पहला पुरस्कार जीता। पोटलुरी माधवी ने 50,000 रुपये का दूसरा पुरस्कार जीता और सीतामराजू नागा कमला ने 25,000 रुपये का तीसरा पुरस्कार जीता। इसके अतिरिक्त पांच अन्य महिलाओं को 10-10 हजार रुपये का सांत्वना पुरस्कार भी सौंपा गया।
इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, ‘हममें से अधिकतर लोगों की प्रत्येक दिन की शुरूआत एक कप चाय की कड़क प्याली के साथ शुरू होती है। इस तरह के अभूतपूर्व कार्यक्रम का आयोजन कर सभी प्रतिभाशाली महिलाओं को एक मंच पर लाने के लिए हाइबिज.टीवी प्रबंधन को हार्दिक बधाई। उन्होंने चाय की ताकत के बारे ध्यान आकर्षित करते हुए सभी को याद दिलाया कि ‘चाय में इतनी ताकत है कि चाय बेचने वाला देश का प्रधान मंत्री बन गया है’
इस कार्यक्रम में फाल्गुनी बनर्जी (टी डेवलपमेंट के उप निदेशक, टी बोर्ड इंडिया), दरवेश अनीस अहमद (मैनेजिंग पार्टनर, द नीलगिरी टी एम्पोरम), एम राजगोपाल (प्रबंध निदेशक, हाइबिज.टीवी) और संध्या रानी (सीईओ, हाइबिज.टीवी) के साथ समाज की अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इस कार्यक्रम में शामिल थे।
भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के विद्यार्थी पहुँचे ग्रीनप्लाई औद्योगिक ईकाई जोका
कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के विद्यार्थियों ने ग्रीन प्लाई की जोका स्थित औद्योगिक इकाई का दौरा किया । इससे उनके औद्योगिक ज्ञान सीखने में सहायता मिली । वाणिज्य विभाग (सुबह) के छात्रों के लिए औद्योगिक यात्राओं की व्यवस्था करके इस अंतर को कम करने की पहल की गई ।मॉर्निंग सेशन के छठे सेमेस्टर के छात्रों को ग्रीनप्लाई देखने का मौका दिया गया। गत 11 मार्च को मॉर्निंग सेक्शन के लगभग 34 छात्र, विभाग के 2 फैकल्टी सदस्यों के साथ कृपारामपुर, जोका में औद्योगिक यात्रा के लिए गए। छात्रों ने फैक्ट्री में चल रही कार्यप्रणाली के बारे में जाना। प्लाई उद्योग में विनियर, फाइबर बोर्ड, हार्डबोर्ड, इंप्रेग टिम्बर जैसे विभिन्न प्रकार के उत्पाद हैं। टिम्बर्स, ब्लॉक बोर्ड्स और लेमिन बोर्ड्स को कॉम्प्रेग करें, लॉग चयन से शुरू होकर, छीलने से लेकर वीनर तक, गर्म प्रेसिंग, प्री-प्रेसिंग, सैंडिंग और एज फ़िनिश तक सुखाने से, इस दौरे ने छात्रों को औद्योगिक प्रक्रिया का एक दिलचस्प प्रत्यक्ष अनुभव दिया और व्यावहारिक आधार पर उनके तकनीकी ज्ञान को विकसित करने में मदद की। कुल मिलाकर, यात्रा एक ज्ञानवर्धक अनुभव था और छात्र संचालन के पैमाने और निर्माण प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली तकनीक से बहुत प्रभावित हुए। इस यात्रा ने उन्हें प्लाइवुड निर्माण प्रक्रिया और उच्च गुणवत्ता वाले प्लाइवुड उत्पादों के उत्पादन में किए जाने वाले प्रयासों की बेहतर समझ दी। वहां उन्होंने प्लाई की निर्माण प्रक्रिया, उत्पादन प्रक्रिया, लेबलिंग, परिवहन और बिक्री की प्रक्रिया को भी समझा। विभिन्न विभागों के साथ उनकी बातचीत ने कंपनी का समग्र दृष्टिकोण प्रदान किया। यह दौरा काफी संवादात्मक और जानकारीपूर्ण था क्योंकि उन्हें एक संयंत्र में होने वाली निर्माण और विपणन गतिविधियों के बारे में पता चला। यह छात्रों के लिए एक रोमांचकारी अनुभव था क्योंकि इससे उन्हें कॉर्पोरेट जगत में पैर जमाने में मदद मिलेगी। ग्रीनप्लाई के फैक्ट्री प्रबंधक श्री पार्थ नाथ को स्मृति चिन्ह के रूप में प्रशंसा का प्रतीक भेंट किया गया।सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।
भवानीपुर कॉलेज में दो दिवसीय कार्निवाल 2023 का आयोजन
भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज द्वारा कॉलेज परिसर में दो दिवसीय कार्निवल 27 – 28 मार्च, 2023 को आयोजित किया गया जो सभी छात्रों, अभिभावकों और मेहमानों के लिए खुला था। कार्निवल का माहौल ठीक उस गली से दिखाई दे रहा था जहां कॉलेज के प्रवेश द्वार पर कार्निवल बैनर में आपका स्वागत है। प्रवेश द्वार से लेकर कॉलेज के अंदर तक झालरों और सुंदर सजावट और जगमगाती रोशनी के साथ सभी को आकर्षित करने वाला रह। इसके पंजीकरण के लिए सुबह 11:30 बजे से ही विद्यार्थियों की लंबी लाइन रही। सभी को वालिया हॉल से होते हुए टर्फ तक ले जाया गया।
कॉलेज का टर्फ एरिया आकर्षण का केंद्र बन गया, जिसमें टर्फ के चारों ओर गेमिंग, मर्चेंडाइज और फूड स्टॉल लगे थे। टर्फ को चमकीले रंग के फ्रिंज से सजाया गया था, जिससे बाउंसी, ट्रैम्पोलिन और बुल राइड्स जैसे मजेदार कार्निवल गेम्स हुए। स्टॉल में सैंडविच, बर्गर, चाइनीज फूड और कई तरह के स्ट्रीट फूड जैसे नमकीन शामिल थे, पेय पदार्थों में लस्सी और मॉकटेल जैसे कई विकल्प थे। सभी प्रकार की बेकरी उल्लेख से परे है।अन्य स्टालों पर कलाकृतियां, परफ्यूम, पारंपरिक कुर्तियां, इंस्टेंट फोटोग्राफ, अनुकूलित टी-शर्ट, मैग्नेट और फोटो फ्रेम बेचे गए। गेमिंग स्टालों में डार्ट्स, राइफल शूटिंग, वॉटर गन, अक्षरों की व्यवस्था और कई अन्य जैसे दिलचस्प खेल थे। वालिया हॉल में, अन्य स्टॉल लगाए गए और उन्होंने विभिन्न प्रकार के सामान बेचे जिन्हें छात्रों ने अच्छी संख्या में बेचा। एयर हॉकी, हिटिंग कप जैसे कुछ अन्य खेल स्टॉल भी वालिया हॉल में लगाए गए ।
कार्निवल के प्रथम दिन छात्र छात्राओं द्वारा अपने पालतू पशुओं का प्रदर्शन और कॉलेज टर्फ पर आयोजित एक ओपन माइक कार्यक्रम देखा गया। प्यारे पालतू जानवरों को देखने के लिए टर्फ पर भारी भीड़ जमा हो गई। पालतू जानवर अपने देखभाल करने वालों के साथ टर्फ पर पालतू जानवरों के साथ टहलते रहे और सभी ने उन्हें प्यार किया। ओपन माइक इवेंट के लिए रास्ता बनाते हुए शाम छह बजे पेट शो समाप्त हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत छात्र मामलों के डीन प्रो. दिलीप शाह के जोरदार भाषण से हुई। इस शो को अंकित भारद्वाज ने होस्ट किया जो एक स्टैंड अप कॉमेडियन हैं और अपने प्रफुल्लित करने वाले चुटकुलों से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया । ओपन माइक में अन्य प्रतिभागियों ने प्रस्तुति दी तो कुछ गायकों ने अपनी सुरीली आवाज से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह शाम दिल को छू लेने वाली शायरियों से मंत्रमुग्ध कर देने वाली थी, क्योंकि कार्यक्रम शाम साढ़े सात बजे समाप्त हुआ। दिन भर के कार्यक्रमपूर्ण दिन के बाद डीजे नाइट के लिए डांस फ्लोर पर रोशनी की गई और छात्रों ने संगीत की धुन पर थिरकने के लिए ठुमके लगाए। कार्निवाल का पहला दिन रात साढ़े नौ बजे खत्म हुआ और तब तक सभी स्टॉल में समान बिक चुके थे।
कार्निवल के द्वितीय दिन, फुटफॉल एक हजार से ऊपर था और स्टॉल लोगों से भर गए थे। दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण बैंड का प्रदर्शन था जो टर्फ पर आयोजित किया गया था। राग एन रॉक और रेट्रो कैट्स उस रात प्रदर्शन करने वाले बैंड थे। उनके शानदार प्रदर्शन ने दर्शकों को मनोरंजन से रोमांचित कर दिया। अगली घटना आग जगलिंग थी जो वालिया हॉल के बाहर आयोजित की गई थी। इसमें रोमांचक कार्यक्रम शामिल थे जो नृत्य तकनीकों के साथ-साथ करतब दिखाने, हेरफेर करने, अग्नि-श्वास, हास्य और दर्शकों के साथ सीधे बातचीत के साथ थे। कार्निवल छात्रों के बीच उद्यमिता के कौशल को स्थापित करने का एक हिस्सा था और दूसरे दिन के अंत तक, छात्र निश्चित रूप से सफल उद्यमी बनने के लिए भविष्य के लिए तैयार थे। कार्यक्रम का दूसरा दिन रात साढ़े नौ बजे तक समाप्त हो गया और यह एक जबरदस्त सफलता थी जिसे अंत में डीन प्रो दिलीप शाह की उपस्थिति में मनाया गया।कार्निवाल की रिपोर्ट बीए द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा कसिस शॉ ने दी और सूचना डॉ वसुंधरा मिश्र ने दी ।
शिक्षा व्यवस्था के भविष्य को लेकर परिचर्चा
भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के जुबली सभागार में आयोजित भारत के तीन प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रमुख पदाधिकारियों ने विद्यार्थियों के सम्मुख अपने बहुमूल्य विचार रखे। सभी पदाधिकारियों का अभिनंदन भी किया गया।सत्ताइस मार्च 2023 को द भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज में छात्रों को अपने व्यक्तिगत करियर पथ के नायकों से मिलने का सुनहरा अवसर मिला। तीन प्रतिष्ठित संस्थानों, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया, द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया और द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के गणमान्य व्यक्ति सुबह ग्यारह बजे कॉलेज के जुबली हॉल में उनके योगदान के लिए सम्मानित होने के लिए एकत्रित हुए। सीए (चार्टर्ड एकाउंटेंसी), सीएमए (लागत और प्रबंधन लेखा), सीएस (कंपनी सचिवालय) के पाठ्यक्रमों का अनुसरण करने वाले भविष्य के इच्छुक छात्रों को संबोधित किया जो विद्यार्थियों के लिए सुनहरा अवसर था । जीवन में एक बार मिलने वाले इस अवसर का फायदा 225 विद्यार्थियों उठाया। गेट खुलते ही वे हॉल में उमड़ पड़े।
तीन संस्थानों से कुल 12 गणमान्य व्यक्ति थे और उनमें से कुछ कॉलेज के पूर्व छात्र भी थे। कार्यक्रम की शुरुआत पूर्वाहन साढ़े ग्यारह बजे गणमान्य व्यक्तियों द्वारा औपचारिक दीप प्रज्वलित करने के साथ छात्र मामलों के डीन प्रो. दिलीप शाह के वक्तव्य के साथ हुई। इसके बाद, प्रो. सीए विवेक पी. पटवारी और प्रो नितीन चतुर्वेदी जो कार्यक्रम के एंकर भी थे द्वारा गणमान्य व्यक्तियों को मंच पर बुलाया गया। प्रो. शाह द्वारा सम्मानित किया जाना और इस तरह छात्रों के साथ अपने ज्ञानवर्धक शब्दों को साझा किया । सीए रंजीत अग्रवाल से शुरू होकर द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट से लेकर डॉ देवाशीष मित्रा, सेंट्रल काउंसिल के सदस्य और द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के तत्काल पूर्व अध्यक्ष, और सीएमए बिस्वरूप बसु, पूर्व अध्यक्ष और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के सेंट्रल काउंसिल के सदस्य। इस कार्यक्रम में सीएस का अभिनंदन भी किया गया। भारत के कंपनी सचिवों के संस्थान के ईआईआरसी के उपाध्यक्ष डॉ मोहित शॉ, जिन्होंने उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ छात्रों को अपने बहुमूल्य ज्ञान और अनुभव साझा किए, जिससे उन्हें भविष्य में अधिक उपयुक्त विकल्प बनाने में मदद मिली।
छात्रों को सलाह दी गई कि वे भविष्य में और अधिक कुशल होने के लिए अधिक तकनीकी प्रथाओं को विकसित करें। एक ऐसी घटना जहां हमने ज्ञान को अनुभव से उत्साह में स्थानांतरित होते देखा।अनिकेत दासगुप्ता ने अंग्रेजी में रिपोर्ट बनाई और सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।
लार्सन और टुब्रो एडुटेक के सहयोग से सेमिनार
डिजिटल युग के इस अत्यधिक लक्ष्य-उन्मुख युग में, कौशल आधारित ज्ञान का नया युग देश में छात्रों के लिए प्रमुख महत्व बन गया है। बदलते चलन के साथ तालमेल बिठाने के लिए भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज ने लार्सन एंड टुब्रो एडुटेक के सहयोग से एक सेमिनार का आयोजन किया। संगोष्ठी 20 मार्च 2023 को पूर्वाहन 11:30 बजे सोसाइटी हॉल में थी जिसमें विभिन्न पाठ्यक्रमों के 90 से अधिक छात्र यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि नए युग के कार्य के लिए कौशल की आवश्यकताएं क्या हैं।
लार्सन एंड टुब्रो जिसे आमतौर पर एलएंडटी के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह कंपनी है, जिसने छात्रों को ऑनलाइन मोड में आत्म-गति से सीखने के लिए कौशल आधारित पाठ्यक्रम प्रदान करके शिक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया है। ये पाठ्यक्रम छात्रों को एल एंड टी और इसके कॉर्पोरेट संघों द्वारा आवश्यक आवश्यक कौशल सीखने में सक्षम बनाएंगे। सत्र की शुरुआत द्वारा एल एंड टी एडुटेक के परिचय के साथ हुई एलएंडटी से गोविंद शॉ, कोलकाता कार्यालय की सीएसआर और प्रशासन गतिविधि के तहत एचआर, परियोजना कार्यान्वयन की देखभाल कर रहे हैं। उन्होंने डेटा एनालिटिक्स, फाइनेंस एंड अकाउंट्स आदि सहित एलएंडटी द्वारा पेश किए गए विभिन्न पाठ्यक्रमों के माध्यम से छात्रों को बताया , जो छात्रों को डेटा एनालिस्ट, रिसर्च एनालिस्ट, फाइनेंस एसोसिएट आदि जैसी नौकरी की भूमिकाओं के लिए तैयार करता है।
बेहतर रोजगार के लिए कौन से कौशल सीखे जा सकते हैं, इस पर आंख खोलने वाले सत्र के बाद, छात्रों ने पूछताछ की कि वे पाठ्यक्रमों के लिए नामांकन कैसे कर सकते हैं और नौकरी के अवसरों को बढ़ा सकते हैं। संगोष्ठी डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स, प्रो. के समापन भाषण के साथ समाप्त हुई। प्रो दिलीप शाह ने छात्रों को समय के साथ चलने और स्नातक होने तक नौकरी के लिए तैयार होने के लिए प्रोत्साहित किया। संगोष्ठी के पीछे का विचार छात्रों को इस बात से परिचित कराना था कि कॉर्पोरेट वास्तव में नौकरी चाहने वालों से क्या उम्मीद करते हैं और इस तरह के पाठ्यक्रमों के माध्यम से उनकी अपेक्षाओं को कैसे पूरा किया जाए।अनिकेत दासगुप्ता बीकॉम (एच) प्रथम वर्ष के छात्र ने रिपोर्ट दी। सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।
‘मानस का हंस’ उपन्यास पर छात्र संगोष्ठी का आयोजन
कोलकाता । सेंट पॉल्स कैथेड्रल मिशन कॉलेज के हिन्दी विभाग में अमृतलाल नागर की यशस्वी कृति ‘मानस का हंस’ के प्रकाशन का 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर छात्र संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस साहित्यिक कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कमलेश कुमार पाण्डेय ने अपने वक्तव्य में अमृतलाल नागर की कृति ‘मानस का हंस’ के वैचारिक अवदान पर जोर देते हुए उसके पठनीयता पर अपने विचार रखे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक विजय शंकर मिश्रा ने छात्र संगोष्ठी की महत्ता, छात्रों की सहभागिता के सामंजस्य पर बल देते हुए उनके व्यक्तित्व के विकास को जरूरी पक्ष बताया। विशिष्ट वक्ता उमेशचंद्र कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कमल कुमार ने इस संगोष्ठी की सराहना करते हुए मानस का हंस की प्रासंगिकता और मौजूदा समाज में साहित्य की आवश्यकता पर अपने विचार रखें।
छात्र संगोष्ठी में आयशा नाज, राहुल सिंह, विवेक तिवारी, सचिन शर्मा, अलका कुमारी और सोनाली प्रसाद ने ‘मानस का हंस’ पर अपने-अपने संगोष्ठी पत्र का वाचन किया। इस प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान क्रमशः अलका कुमारी, विवेक तिवारी एवं आयशा नाज रहें। कार्यक्रम की रूपरेखा एवं स्वागत भाषण विभाग के प्राध्यापक डॉ. विकास कुमार साव ने किया, कार्यक्रम का संचालन प्रो. आरती यादव एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. परमजीत कुमार पंडित ने किया।
रामनवमी पर विशेष – जानिए श्रीराम के जन्म से संबंधित कुछ तथ्य
भगवान श्रीराम के जन्म को लेकर इतिहाकारों और पुराणों के जानकारों के बीच मतभेद है। इस बीच उन पर हुए शोध कुछ और ही कहते हैं। शोधकर्ताओं ने पुराणों के साक्ष्य को समझकर राम के जन्म के संबंध में बहुत ही रोचक विवरण प्रस्तुत किया है। श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था या नहीं?
जानते हैं कि प्रभु श्रीराम का जन्म कब हुआ था।
1. वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे, तब हुआ था। इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, बृहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था। (बाल कांड 18/श्लोक 8, 9)।…जन्म सर्ग 18वें श्लोक 18-8-10 में महर्षि वाल्मीकिजी ने उल्लेख किया है कि श्री राम जी का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अभिजीत मुहूर्त में हुआ था।
मानस के बाल काण्ड के 190वें दोहे के बाद पहली चौपाई में तुलसीदासजी ने भी इसी तिथि और ग्रह-नक्षत्रों का जिक्र किया है।
2. शोधकर्ता डॉ. वर्तक पीवी वर्तक के अनुसार ऐसी स्थिति 7323 ईसा पूर्व 4 दिसंबर में ही निर्मित हुई थी, लेकिन प्रोफेसर तोबयस के अनुसार जन्म के ग्रहों के विन्यास के आधार पर 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व हुआ था। उनके अनुसार ऐसी आकाशीय स्थिति तब भी बनी थी। तब 12 बजकर 25 मिनट पर आकाश में ऐसा ही दृष्य था जो कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है।
3. ज्यादातर शोधकर्ता प्रोफेसर तोबयस के शोध से सहमत हैं। इसका मतलब यह कि राम का जन्म 10 जनवरी को 12 बजकर 25 मिनट पर 5114 ईसा पूर्व हुआ था? -संदर्भ : (वैदिक युग एवं रामायण काल की ऐतिहासिकता: सरोज बाला, अशोक भटनाकर, कुलभूषण मिश्र)
यूनीक एग्जीबिशन ऑन कल्चरल कॉन्टिन्यूटी फ्रॉम ऋग्वेद टू रोबॉटिक्स नाम की इस एग्जीबिशन में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार भगवान राम का जन्म 10 जनवरी, 5114 ईसापूर्व सुबह बारह बजकर पांच मिनट पर हुआ (12:05 ए.एम.) पर हुआ था। कुछ जानकार 21 फरवरी का जिक्र करते हैं।
4. राम की वंशावली के आधार पर : वंशवली के जानकर लाखों वर्ष के युग की धारणा को कल्पित मानते हैं। क्योंकि पहली बात तो यह कि युग का मान स्पष्ट नहीं है। दूसरी बात यह कि यदि आप भगवान श्रीराम की वंशावली के मान से गणना करते हैं तो यह लाखों नहीं हजारों वर्ष की बैठती है। जैसे श्रीराम के बाद उनके पुत्र लव और कुश हुए फिर उनकी पीढ़ियों में आगे चलकर महाभारत काल में 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए। इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए।
वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग भी राम के पुत्र कुश के वंशज है।
महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे। अब यदि तीन पीढ़ियों का काल लगभग 100 वर्ष में पूर्ण होता है तो इस मान से श्रीराम को हुए कितने हजार वर्ष हुए हैं आप इस 309 पीढ़ी के मान से अनुमान लगा सकते हैं।
5. पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था। इसका मतलब 3102+2021= 5123 वर्ष कलियुग के बीत चूके हैं। उपरोक्त मान से अनुमानित रूप से भगवान श्रीराम का जन्म द्वापर के 864000 + कलियुग के 5123 वर्ष = 869123 वर्ष अर्थात 8 लाख 69 हजार 123 वर्ष हो गए हैं प्रभु श्रीराम को हुए। परंतु यह धारणा इतिहासकारों के अनुसार सही नहीं है, जो वाल्मीकि रामायण में लिखा है वही सही माना जा सकता है।
(साभार – वेबदुनिया)