Thursday, August 21, 2025
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मुज्जफरनगर के तुषार ने 4 हजार स्टिक से बनाया पुरी का भगवान जगन्‍नाथ मंदिर

मुजफ्फरनगर । मुजफ्फरनगर के तुषार शर्मा ने एक बार फिर अपने जनपद का नाम रोशन किया है। तुषार ने उड़ीसा के पुरी स्थित भगवान जगन्‍नाथ मंदिर का मॉडल 4 हजार स्टिक से तैयार किया है। 3 महीने में मॉडल तैयार करने के लिए तुषार को अखबार की रद्दी और फेवीकोल का प्रयोग करना पड़ा। तुषार इससे पूर्व अयोध्‍या के भव्‍य राम मंदिर का मॉडल भी 8 हजार स्टिक की मदद से तैयार कर चुका है। अब तक बनाए गए व‍िभिन्‍न भव्‍य मॉडल पर तुषार को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड सहित कई सम्‍मान मिल चुके हैं।
तुषार का सपना है कि वह एक दिन अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराएं। बताया कि टॉप हंड्रेड रिकॉर्ड होल्डर एक्सीलेंट ऑन वर्ल्ड स्टेज 2022 में भी उसका नाम आ चुका है। तुषार ने बताया कि वह 4 साल में कई मॉडल बना चुका है। इनमें इंडिया गेट, लाल किला, गांधीजी का चरखा, व्हाइट हाउस, गोल्डन टेंपल, बद्रीनाथ धाम, स्‍वर्ण मंदिर, केदारनाथ धाम, क्रिसमस ट्री, शिवलिंग आदि शामिल है। तुषार ने कई महापुरुषों के छायाचित्र भी बनाए हैं।तुषार के परविार में खुशी का माहौल है। गांधी कॉलोनी निवासी जितेन्‍द्र शर्मा का बेटा तुषार देश के वि‍भिन्‍न भव्‍य मंदिरों के मॉडल स्टिक से तैयार कर उनकी एक प्रदर्शनी दिल्‍ली में लगाना चाहता है। तुषार ने बताया कि उनके पिता का कपड़े का कारोबार है, लेकिन वह अपने शौक को ही अपना व्‍यवसाय बनाना चाहता है। बताया कि इसी वर्ष उसने बीकॉम किया है। तुषार के पिता जितेन्‍द्र शर्मा का कहना है कि यदि उनका बेटा चाहेगा तो वह अपने शोक को ही व्यवसाय बना सकता है। उन्‍होंने बताया कि तुषार की उपलब्धियों पर वे लोग काफी खुश हैं।

 

88 साल की महिला ने योग से दे दी कैंसर को मात

25 साल पहले डॉक्टरों ने खड़े कर दिए थे हाथ
हमीरपुर । उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में 70 फीसदी लोगों ने अब फिट रहने के लिए योग और प्राणायाम से नाता जोड़ लिया है। यहां सुबह और शाम यमुना और बेतवा नदियों के तट पर कई स्थानों पर योग की पाठशाला लोगों से गुलजार रहती है। हमीरपुर में एक 88 साल की बुजुर्ग महिला ने योग और प्राणायाम से कैंसर जैसी घातक बीमारी को भी मात दे दी है। ये अपना काम बिना किसी के सहारे खुद करती हैं।
हमीरपुर शहर के पटकाना मुहाल निवासी कैलासवती 88 बसंत देख चुकी हैं। इनके तीन पुत्र और तीन पुत्रियां है। सभी की शादी हो चुकी है। बुजुर्ग महिला के तीनों बेटे अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं। मौजूदा वक्त में ये अपने छोटे पुत्र जगत प्रसाद मिश्रा के घर में रहती है लेकिन इतनी उम्र होने के बावजूद ये खुद ही अपना सारा काम करती हैं। इनकी छोटी बेटी रानी शुक्ला ने बताया कि 25 साल पहले मां बिल्कुल ठीक थी। अचानक पेट में तकलीफ बढ़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया। आराम न मिलने पर कानपुर ले जाया गया जहां कैंसर अस्पताल में तमाम जांचें की गईं। बताया कि कैंसर अस्पताल के डॉ. ईश्वर चन्द्र खरे ने जांच के बाद मां के पेट में कैंसर के लक्षण होने की बात कही।
कैंसर बीमारी होने पर घर के सभी लोग घबरा गए लेकिन मां जरा भी नहीं घबराई। बताया कि बाद में किसी की सलाह पर होम्योपैथिक इलाज कराया गया। साथ ही मां नियमित रूप से योग करने लगी। बुजुर्ग कैलासवती ने बताया कि वाकई योग ने उन्हें नया जीवन दिया है इसलिए सभी लोगों को सुबह की शुरुआत योग से ही करनी चाहिए। बताया कि वह खुद ही योग और कुछ प्राणायाम कई सालों से कर रही है। इसके अलावा नियमित रूप से शिवमंदिर में भोलेनाथ को एक लोटा जल चढ़ाने से भी बड़ा लाभ मिला है।
कैंसर हास्पिटल ने भी इलाज करने से खड़े किए थे हाथ
करीब ढाई दशक पहले 88 वर्षीय कैलासवती को पेट में दर्द होने पर कानपुर जेके अस्पताल ले जाया गया था। वहां कैंसर रोग विशेषज्ञ ईश्वर चन्द्र खरे ने ब्लड और अन्य जांच की। जांच में कैंसर के लक्षण पाए जाने पर उन्होंने इनका इलाज शुरू किया था। कई महीने तक दवाएं खाती रहीं। कई महीने बाद फिर अस्पताल ले जाया गया लेकिन बुजुर्ग महिला की हालत देख डॉक्टर ने यह कहकर हाथ जोड़ लिए थे कि अब इनकी सेवा घर पर करें। डॉक्टर के जवाब देने के बाद परिजन और रिश्तेदार मायूस हो गए थे।
नियमित योग से कैंसर बीमारी से लड़ रही बुजुर्ग महिला
योग और प्राणायाम के जरिए कैंसर पीड़ित वृद्धा ने बीमारी को जहां मात दी, वहीं अब पड़ोसी भी दंग हैं। उम्र के आखिरी पड़ाव में आने के बाद भी ये वृद्धा आज भी घर में खुद का सारा काम कर रही है। और तो और रोज तड़के बिस्तर छोड़ने के बाद स्नान और ध्यान करने के बाद सीधे मंदिर जाकर पूजा करती है। इसके बाद फिर ये योग और प्राणायाम करती है। उसने बताया कि कैंसर अस्पताल के डॉक्टर कह रहे थे कि ये तीन साल तक ही चल सकती हैं लेकिन भगवान की कृपा से वह अभी भी पूरी तरह से ठीक है।

सब्जी की खेती के लिए कचरे से बना रहे जैविक खाद

तीन माह में कमाए डेढ़ लाख रुपये
मैनाटांड़, (पश्चिम चंपारण)। स्थानीय पंचायत के बभनौली गांव निवासी मोटर साह भूमिहीन मजदूर हैं। जमीन के नाम पर इनके पास सिर्फ घराड़ी है। एक वर्ष पहले इनका मुख्य पेशा मजदूरी था। मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते थे। परिवार की आजीविका के लिए अन्य प्रदेशों में जाकर भी मजदूरी करते थे। तीन बेटियों के पिता मोटर साह मेहनत मजदूरी कर एक बेटी की शादी कर चुके हैं। इनकी जिंदगी में परिवर्तन की कहानी एक वर्ष पूर्व लिखी गई। वे गोपालपुर थाने के घोघा गांव में अपने रिश्तेदार नथुनी साह के यहां गए थे। नथुनी साह मिश्रित सब्जी की खेती करते हैं। उनकी खेती और आमदनी देखकर मोटर साह ने भी सब्जी की खेती करने का निर्णय लिया।
हालांकि, खेती के लिए जमीन नहीं होने के कारण परेशान थे। पंचायत के उप मुखिया धनंजय कुमार ने अपनी चार कट्ठा भूमि इन्हें सब्जी की खेती करने के लिए दी। चूंकि उप मुखिया की वह भूमि बेकार पड़ी हुई थी।
मोटर साह और उनकी पत्नी छठिया देवी का परिश्रम रंग लाया। सिर्फ कद्दू की खेती कर महज चार माह में मोटर साह ने करीब 50 हजार रुपये कमाए। इनके परिश्रम और उन्नतशील खेती को देखकर एसएसबी के तत्कालीन इंस्पेक्टर सुमित कुमार ने सब्जी में दवा के छिड़काव के लिए एक स्प्रे मशीन भी पुरस्कार स्वरूप दी थी।
मोटर साह ने बताया कि सब्जी की खेती की प्रेरणा उनके गोपालपुर थाने के घोघा गांव निवासी रिश्ते में साढ़ू नथुनी साह से मिली। पहले वर्ष में बीज एवं खेती करने की विधि भी नथुनी साह ने ही बताई।
मोहन साह ने बताया कि उप मुखिया धनंजय कुमार ने अगर जमीन नहीं दी होती तो सब्जी की खेती मैं आरंभ नहीं कर पाता। चार कट्ठे खेत में कद्दू और नेनुआ की खेती करने में 18 से 20 हजार की लागत आई है। महज तीन महीने में एक से डेढ़ लाख रुपये की कमाई हुई है, जिससे पांच कट्ठा जमीन रेहन लिया है। अगले वर्ष उस भूमि में भी सब्जी की खेती करने की योजना है। चार कट्ठा भूमि में लगे कद्दू में प्रतिदिन 90 से 100 कद्दू निकलता है।
गांव और आसपास के लोग ही खेत में आकर खरीदकर ले जाते हैं। बेचने के लिए भी कोई टेंशन नहीं रहता। बता दें कि मोटर साह पंचायत में स्वच्छता कर्मी का काम भी करते हैं। सुबह छह से आठ बजे तक गांव में डोर टू डोर जाकर कचरा उठाने का काम करते हैं। लोगों के घरों से निकले कचरे की छंटनी कर लेते हैं।
उसमें से खाद के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले कचरे को अलग कर अपने खेत में लाकर रख लेते हैं, जिससे सब्जी की पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है। मोटर साह ने बताया कि गांव के नाले के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए करते हैं। नाले के पानी व कचरे से बने जैविक खाद की वजह से उत्पादन अधिक हो रहा है। उप मुखिया धनंजय कुमार ने बताया कि इनको कृषि विभाग की ओर से आर्थिक सहयोग दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।

बाहर जा रहे हैं तो ऐसे रखें पौधों का ख्याल

गर्मियों में अक्सर ऐसा होता है कि पेड़-पौधे मुरझा जाते हैं और खासकर तब जब लोग घर से बाहर होते हैं । ऐसे में या तो घर की चाबी पड़ोसियों को देकर जाते हैं कि वो गमले में पानी डाल दें या फिर पेड़ों को ऐसे ही छोड़ कर चले जाते हैं, जिससे पेड़-पौधे बहुत जल्दी मुरझा जाते हैं । अगर आप गर्मियों में अपने पेड़ों को हेल्दी और हरा भरा रखना चाहते हैं, तो इन 3 टिप्स को आजमा कर देखें । इससे आपके पेड़ पौधे बिना पानी के भी हफ्ते 10 दिन तक ताजे रह सकते हैं । बस इस तरह से अपने गमलों में पानी डालने की ट्रिक अपनाएं –
इंस्टाग्राम पर _theleafgarden नाम से बने पेज पर गमलों की मिट्टी को नम रखने के कुछ आसान तरीके बताए गए हैं जिसमें एक महिला बताती हैं कि जब आप घर से बाहर जाएं तो पेड़ों को हेल्दी रखने के लिए आप क्या कर सकते हैं-
पहला तरीका- पौधों को हरा भरा रखने के लिए आप नारियल के छिलकों को फेंके नहीं बल्कि इसे पानी में भिगोकर रख दें और जब कभी आप बाहर जाएं तो इसे गमले की ऊपरी सतह पर लगा दें । गीले नारियल से मिट्टी सूखेगी नहीं और इसमें धीरे-धीरे पानी भी जाता रहेगा ।
दूसरा तरीका- अगर आप बाहर जा रहे हैं, तो खुद का एक वॉटर सिस्टम बनाएं । आप एक बोतल में छेद करके एक रस्सी डालें और इसे पौधे पर उल्टा लटका दें । इस बोतल में पानी भर दें. रस्सी की मदद से धीरे-धीरे पानी गमले में जाएगा और पौधा सूखेगा नहीं ।
तीसरा तरीका- अगर आप बाहर जा रहे हैं, तो पौधे को पानी दें और इसके ऊपर एक गीला कपड़ा रख दें । ऐसा करने से मिट्टी में नमी बनी रहेगी और पौधे लंबे समय तक सुखेंगे नहीं

भारत ए महिला टीम ने जीता एशिया कप

भारत ए महिला क्रिकेट टीम ने एशिया कप 2023 जीत लिया है । फाइनल मुकाबले में भारत ए की टीम ने बांग्लादेश ए को मात दे दी है। टीम इंडिया ने इस मैच को 31 रनों से जीतकर खिताबी मुकाबले में बाजी मारी। इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया ने बोर्ड पर 7 विकेट खोकर 127 रन लगाए थे। जवाब में बांग्लादेश की टीम 96 रन पर ही ऑलआउट हो गई।
इस मैच में टॉस जीतकर भारतीय महिला टीम बल्लेबाजी के लिए उतरी। पारी की शुरुआत करने उतरीं कप्तान श्वेता सहरावत और उमा चेत्री की जोड़ी ने मिलकर 28 रन ही जोड़े। लेकिन इसके बाद कनिका अहूजा के 30 रन और वृंदा दिनेश के 36 रनों की बदौलत टीम 20 ओवरों में 127 रन बनाने में कामयाब रही। बांग्लादेश की ओर से सुल्ताना खातून और नाहिदा अख्तर ने 2-2 विकेट हासिल किए।
जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी बांग्लादेश की टीम 19.2 ओवरों में 96 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। बांग्लादेश की पारी के दौरान सिर्फ 3 ही बल्लेबाज ऐसे थे जो दहाई का आंकड़ा क्रॉस कर पाए। टीम इंडिया की जीत की हीरो श्रेयंका पाटिल रहीं। श्रेयंका ने अपने 4 ओवर के कोटे में सिर्फ 13 रन देकर 4 विकेट नाम किए। वहीं मन्नत कश्यप ने भी 3 और कनिका अहूजा ने 2 विकेट अपने नाम कर लिए।
बता दें कि सेमीफाइनल में भारतीय टीम का सामना श्रीलंका से होना था। हालांकि ये मुकाबला बारिश के चलते धुल गया और लीग टेबल में टॉप करने के चलते महिला टीम फाइनल में पहुंच गई। वहीं बांग्लादेश की टीम पाकिस्तान को सेमीफाइनल में 6 रन से हराकर फाइनल तक पहुंची थी।

अप्रैल में 2.25 लाख महिलाएं पहली बार ईपीएफओ का हिस्सा बनीं

जुड़े17.20 नए लाख सदस्य जुड़े
नयी दिल्ली । सेवानिवृत्ति कोष का प्रबंधन करने वाले निकाय ईपीएफओ से अप्रैल के महीने में शुद्ध आधार पर 17.20 लाख सदस्य जुड़े जिनमें से करीब आधे लोग पहली बार इसके सामाजिक सुरक्षा दायरे का हिस्सा बने। श्रम मंत्रालय ने आंकड़ों में कहा कि अप्रैल, 2023 में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से जुड़ने वाले नए सदस्यों में से 54.15 प्रतिशत कर्मचारी 25 साल से कम उम्र के हैं। यह संगठित कार्यबल में युवा आबादी की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।
ईपीएफओ के अस्थायी रोजगार आंकड़ों से पता चलता है कि कई प्रमुख मानदंडों में खासा सुधार आया है। अप्रैल में कुल 17.20 लाख नए सदस्य ईपीएफओ से जुड़े जबकि मार्च में 13.40 लाख नए कर्मचारी इसका हिस्सा बने थे। इनमें से दोबारा ईपीएफओ का हिस्सा बनने वाले सदस्य मार्च में 10.09 लाख थे लेकिन अप्रैल में यह संख्या बढ़कर 12.50 लाख हो गई।
अपनी नौकरी बदलने वाले कर्मचारी ही दोबारा ईपीएफओ का सदस्य बनते हैं। हालांकि, अप्रैल में नौकरियां छोड़ने वाले कर्मचारियों की संख्या 11.67 प्रतिशत घटकर 3.77 लाख रही। अप्रैल में ईपीएफओ के अंशधारक बनने वाले नए कर्मचारियों में 3.48 लाख महिलाएं रहीं जबकि मार्च में यह संख्या 2.57 लाख थी। खास बात यह है कि अप्रैल में करीब 2.25 लाख महिलाएं पहली बार ईपीएफओ का हिस्सा बनीं।

 

दुर्गोत्सव 2023 – मोहम्मद अली पार्क में ‘खूटी पूजा’ सम्पन्न

कोलकाता । मोहम्मद अली पार्क के ‘यूथ एसोसिएशन’ द्वारा रथ यात्रा के शुभ अवसर पर ‘खूंटी पूजा’ आयोजित की गयी । इसके साथ ही दुर्गापूजा के तैयारियाँ आरम्भ हो गयीं । मोहम्मद अली पार्क का यूथ एसोसिएशन अपने पूजा मंडप की अपनी अनूठी शैली और सामाजिक कार्यों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसकी तैयारियां समिति पूरे वर्ष करती रहती है। इस मौके पर मौजूद सम्मानित हस्तियों में तापस रॉय (विधायक),  राजेश सिन्हा (पार्षद), रेहाना खातून (पार्षद), स्मिता बक्सी (पूर्व विधायक), संजय बक्सी (पूर्व विधायक) के अलावा समाज के कई विशिष्ट लोग मौजूद थे। मोहम्मद अली पार्क की यूथ एसोसिएशन की पूजा इस वर्ष अपने 55वें में प्रवेश कर रही है । सुरेंद्र कुमार शर्मा (महासचिव, मोहम्मद अली पार्क दुर्गा पूजा कमेटी) ने कहा, वर्षों से इस आयोजन की भारी सफलता के कारण ही हमें विभिन्न क्षेत्रों से अबतक कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। मोहम्मद अली पार्क की यूथ एसोसिएशन की पूरी टीम इस वर्ष भी एक बार फिर से इस बारह पूजा के आयोजन को सफल बनाने के लिए पूरी तरह से चार्ज है। पिछले कई वर्षों से हमारे पूजा मंडप में हर दिन लाखों लोग आते हैं।

 

‘सभी को जीवन में सकारात्मक उर्जा चाहिए’

कोलकाता । एमसीसीआई ने आहार की आदतें एवं मधुमेह को लेकर एक विशेष सत्र आयोजित किया । इस अवसर पर आध्यात्मिक वैज्ञानिक डॉ. आदर्शचन्द्र मुनि जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे । उन्होंने कहा कि अध्यात्म अस्तित्व का मूल है और सभी को जीवन में सकारात्मक उर्जा चाहिए । सकारात्मक उर्जा जागृत करने के लिए सभी को उनके हृदय, आंतरिक ज्ञान और शांति का अनुसरण करना चाहिए । जैन धर्म पूरी तरह आध्यात्मिकता पर केंद्रित है । उन्होंने कहा कि बीच – बीच में उपवास करने पर ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है । स्वागत भाषण एमसीसीआई की हेल्थ केयर काउंसिल के चेयरमैन राजेन्द्र खंडेलवाल ने दिया । उन्होंने स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ आदतें अपनाने पर जोर दिया ।

फादर्स डे पर एआईएफसीआर एवं इस्पात ने की पदयात्रा

कोलकाता । आयुष्मान इनिशिएटिव फॉर चाइल्ड राइट्स (एआईएफसीआर) ने फादर्स डे पर इस्पात के सहयोग से वॉक यानी पदयात्रा आयोजित की । गत 18 जून रविवार को फादर्स डे पर करुणामयी से सॉल्टलेक सिटी सेंटर तक यह पदयात्रा चली । इस पदयात्रा में प्रख्यात खिलाड़ी दिव्येंदु बरुआ, सायन भट्टाचार्य, पं. मलार घोष, गायक सुमित राय, मल्लिका घोष, अधिवक्ता अम्मर जाकी, अधिवक्ता सप्तदीप सिंह और महानगर के सरोगेट पिता अभिषेक पॉल ने भी भाग लिया । एआईएफसीआर के मानद सचिव अरिजीत मित्रा बच्चे के जीवन में पिता के महत्व और कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला । इस्पात के सचिव रितेश बसाक ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य अभिभावक के रूप में पिता की भूमिका के प्रति जागरुकता लाना ही कार्यक्रम का उद्देश्य है । ग्रैंडमास्टर दिव्येंदु बरुआ ने कहा कि पिता का आदर करने पर जोर देते हुए कहा कि पिता सिर्फ परिवार के लिए रोटी ही नहीं कमाता । कार्यक्रम का समापन सुमित राय के गायन एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुआ ।

पिता

डॉ. वसुंधरा मिश्र

पुरुषार्थ और पुरुषत्व का बीज है पिता
अपनी रचनात्मक ममत्व से माँ रचती मुझे
चलना सिखाया भले ही माँ ने
पिता की हथेलियों ने हर कदम पर संभाला मुझे
समाज और घर का सेतु बन
सजगता और निडरता की डोर थमाई मुझे
कोमलता और कठोरता के साथ
संघर्षशील बनने की प्रक्रिया में लगाया मुझे
पिता तो परिभाषित स्वयं है
वह आकाश है, पुरुष है, अधिकार है
एक व्यक्तित्व है, सृष्टि का एक पहिया है
जीवटता है, चट्टानों के बीच रिसती हुई जलधारा है
पिता परमेश्वर का अंश है, उष्णता का एकांश है
सृष्टि का एक पहिया है जो प्रकृति के गर्भ की स्थिति है
वह मेरा पिता है वह अंश है मुझमें ।