Monday, June 30, 2025
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एमसीसीआई में क्यूरेटेड सोशल स्टॉक एक्सचेंज और सोशल ऑडिट पर विशेष चर्चा सत्र 

मर्चेंट्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की लीगल काउंसिल की चेयरपर्सन ममता बिनानी द्वारा संयोजित

कोलकाता । मर्चेंट्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआई )में सोशल स्टॉक एक्सचेंज और सोशल ऑडिट पर एक विशेष चर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इसे आईसीएसआई के पूर्व अध्यक्ष और मर्चेंट्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की लीगल काउंसिल की चेयरपर्सन ममता बिनानी द्वारा क्यूरेट किया गया।
इस मौके पर श्री अनिकेत तलाती (राष्ट्रीय अध्यक्ष, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया), श्रीमती रूपंजना दे (सदस्य, सेंट्रल काउंसिल, इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनीज सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया), श्री विजेंदर शर्मा (राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया), श्री दिलीप बी देसाई (अध्यक्ष, डीएचसी – देसाई हरिभक्ति), श्री रजनीश गोयनका (राष्ट्रीय अध्यक्ष, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम), श्रीमती रचना भुसारी, (उपाध्यक्ष, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड), श्री मिलन बोचीवाल (सलाहकार, जीवाईआर कैपिटल एडवाइजर्स, मर्चेंट बैंकर), श्री सिद्धार्थ सान्याल (मुख्य अर्थशास्त्री और प्रमुख अनुसंधान, बंधन बैंक), श्री अविक गुप्ता (वरिष्ठ प्रबंधक, प्राथमिक बाजार संबंध, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड) और श्रीमती सहाना भौमिक, (निदेशक, डीआईटीओ समाज कल्याण संघ) इस चर्चा सत्र में ऑनलाइन शामिल हुए, जबकि देसाई, सान्याल, गुप्ता और बोचीवाल इस सत्र में शारीरिक रूप से उपस्थित थे।

इस मौके पर सीएस, डॉ. और अधिवक्ता श्रीमती ममता बिनानी (पूर्व अध्यक्ष आईसीएसआई और लीगल काउंसिल ऑफ मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की चेयरपर्सन) ने कहा, सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) को एक मंच के रूप में बनाया गया था, ताकि सामाजिक उद्यमों को विभिन्न प्रकार के फंडिंग करने वाले संगठनों को इससे जुड़ने में सक्षम बनाया जा सके। इन उद्यमों के लिए उनकी सामाजिक पहलों में वित्त की तलाश करने और धन जुटाने के साथ बढ़ी हुई पारदर्शिता और उत्तरदायित्व प्रदान करने के लिए एक माध्यम के रूप में सेवा करके लाभकारी संगठनों (एफपीओ) और गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) के बीच की खाई को पूरा किया जा सके। वर्ष 2018 में सेबी के आईसीडीआर के 16 ​​सम्मोहक मानदंड हैं, जैसे भूख, गरीबी और कुपोषण को दूर करना, शिक्षा को आगे बढ़ाना, रोजगार, समानता और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे अन्य महत्वपूर्ण विचार इसमें शामिल हैं।

भवानीपुर कॉलेज में ‘पर्यावरण बचाओ, हरियाली लाओ’ नृत्य कार्यशाला 

कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज में पर्यावरण बचाओ, हरियाली लाओ और पेड़ों को बचाओ विषय पर एक नृत्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ों को बचाना आवश्यक है। इसके लिए तीन दिन की शास्त्रीय नृत्य कार्यशाला में छात्र छात्राओं ने नृत्य द्वारा अपने भावों को अभिनयात्मक रूप दिया। यह हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे अच्छा उपहार है। पर्यावरण को हरा-भरा रखने के लिए नृत्य द्वारा विद्यार्थियों के लिए अभिव्यक्ति देना सबसे अच्छा तरीका है। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर विश्व को ग्रीन हाउस बनाने में योगदान दिया जा सकता है। इस कार्यशाला का संचालन प्रसिद्ध नृत्यांगना आचार्य अनुसूया घोष बनर्जी द्वारा किया गया और श्रीमती संचिता मुंशी साहा द्वारा समन्वयित किया गया। कार्यशाला बहुत सफल रहा और छात्र छात्राओं ने बहुत आनंद उठाया। इस कार्यक्रम की सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

भवानीपुर कॉलेज में मजरूह सुल्तानपुरी की याद में गजलों भरी शाम

कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के बुक रिडिंग सेशन के अंतर्गत उर्दू साहित्य के शायर और फिल्मों के गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को ग़ज़ल कार्यक्रम में श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर विद्यार्थियों के लिए ग़ज़ल विधा पर चर्चा की गई और उनके गीतों को गाया गया। उनकी मशहूर ग़ज़ल ‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर /लोग आते गए और कारवाँ बनता गया’ थीम पर आधारित इस कार्यक्रम में अन्य शायरों के गीतों को भी गाया गया।
उर्दू साहित्य के शायर और फिल्मों के गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने अपने जीवन के छह दशकों में 350 फिल्मों में 2000 से भी अधिक गाने लिखे। मजरूह साहब की फिल्मों के बहुत से गाने लगभग हिट रहे। तीसरी मंजिल, तीन देवियाँ, ज्वेल थीफ आदि के बेहतरीन गानों के लिए अवार्ड भी मिले और पहले गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को 1993 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित सम्मानित हुए।
इस कार्यक्रम के मेहमानों में प्रसिद्ध युवा पीढ़ी की ग़ज़लकारा स्वाति वर्धन जो नई कविता और गजलों की कमपोजर और गायिका ने अपने गीतों को गाया। डॉ अभिज्ञात हिंदी साहित्यकार, कवि, लेखक, गजलकार और पेशे से पत्रकार, हिंदी और बांग्ला की कई फिल्मों में अभिनय , भोजपुरी गीतकार ने ग़ज़ल विधा की बारिकियों पर चर्चा की और अपनी ग़ज़लें भी सुनाई जिसे बहुत पसंद।किया गया। किस्सा गोई और थियेटर पर्सनालिटी पलाश चतुर्वेदी ने शेर सुनाए। युवा थियेटर और दस्ताने गोई के बेहतरीन कलाकार ने ग़ज़ल के लिखने के क़ायदे पर अपने अंदाज़ में गजल सुनाई। संगीतज्ञ और युवाओं के लोकप्रिय गायक सौरभ गोस्वामी ने गीत ‘होठों से छू लो तुम’ गाकर सभी श्रोताओं को मुग्ध किया। इस अवसर पर डॉ वसुंधरा मिश्र ने बहादुर शाह जफ़र की ग़ज़ल हमने दुनिया में आके क्या देखा जो भी देखा इक ख़्वाब सा देखा सुनाई। दस से अधिक विद्यार्थियों ने ग़ज़ल कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उज्जवल करमचंदानी,प्रत्युष तिवारी, रवि सिंह, कशिश सॉ, पीटर, देवांग नागर, अर्पिता विश्वास, अंजली अग्रवाल,मुस्कान कोठारी, नम्रता चौधरी आदि कई छात्र- छात्राओं ने गीत और ग़ज़ल सुनाई जिसे सभी ने पसंद करते हुए दाद दी गई।
ग़ज़ल विधा को विद्यार्थी जाने इसलिए इस कार्यक्रम के आयोजन में कॉलेज के डीन प्रो दिलीप शाह ने अपने वक्तव्य में कहा और कार्यक्रम में पूर्ण सहयोग दिया। प्लेसमेंट हॉल में ग़ज़ल गायकों और विद्यार्थियों के शामे – ग़ज़ल के अनुरूप साज- सज्जा का इंतजाम करवाया गया जिसमें जमीन पर गद्दों पर बैठने के इंतजाम के साथ, लाइटिंग, शमां लैंप, झूमर और गुलाब जल का छिड़काव किया गया। कार्यक्रम के पश्चात चाय और नाश्ते का इंतजाम किया गया। संचालन और संयोजन डॉ वसुंधरा मिश्र ने किया।मयंक शर्मा ने काव्य, गीत और ग़ज़ल पाठ के लिए विद्यार्थियों को आमंत्रित किया। क्रिसेंडो, इन एक्ट, आर्ट एन मी के विद्यार्थियों और कार्यक्रम की कोआर्डिनेटर काव्या गुप्ता ने कार्यक्रम के रजिस्ट्रेशन और व्यवस्थाओं में सक्रिय योगदान दिया। प्रातःकालीन कॉमर्स सत्र की कोआर्डिनेटर प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी, प्रो दिव्या उदेशी और समीक्षा खंडूरी का विशेष सहयोग रहा। ग़ज़ल कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

डॉ. वसुंधरा मिश्र की 2 नयी ई पुस्तकें शुभ सृजन प्रकाशन पर

प्रख्यात साहित्यकार डॉ. वसुंधरा मिश्र की नयी ई पुस्तक शुभ सृजन प्रकाशन पर…यह पुस्तक लेखिका की साहित्यिक धरोहर का खजाना है । पुस्तक में आलेख, साहित्यिक संस्मरण, समीक्षा और कविताएं हैं जो इन्होंने समकालीन साहित्यकारों एवं घटनाओं को आधार बनाकर रची हैं ।
गीताश्री, ज्योत्सना मिलन, उषा किरण खान से लेकर गालिब, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर से लेकर पद्मश्री डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र, गौतम बुद्ध, महावीर, आयुर्वेद समेत कई विविध विषयों पर लेखनी चली है ।
इसके साथ ही कई पुस्तकों की समीक्षा भी इस पुस्तक में है जिसमें किशन दाधीच, नमिता जायसवाल, पूनम त्रिपाठी जैसी लेखिकाओं की कृतियों की समीक्षा है ।
सृजन के पन्ने (ई पुस्तक)
शुभ सृजन प्रकाशन
मूल्य – 100 रुपये

खबरों में भवानीपुर का दूसरा संस्करण सामने है…ई पुस्तक में संस्थान की गतिविधियों की झलक है..

पुस्तक की कीमत 50 रुपये

मैं बनारस हूं

  • बब्बन

मैं बनारस हूं।
भक्ति भाव से ओतप्रोत,
आध्यामिकता का उज्जवल कपोत,
पूजन,वन्दन का अक्षय श्रोत।
जिसको स्पर्श किया वो बना सोना,
वो अनमोल मैं पत्थर पारस हूं।
बाबाभोले का नगर बनारस हूं।

कहीं कबीर की साखी हूं।
कहीं नजीर की रूबाई हूं।
भारतेन्दु का अमर साहित्य हूं मैं,
कहीं तुलसी के मानस की चौपाई हूं।
संकट मोचन की आरती में गूंजे,
वो बिस्मिल्लाह खान की मैं शहनाई हूं।
लमही का प्रेमचंद भी मेरे अन्दर,
यहीं कामायनी के हैं जयशंकर।
विश्वनाथ धाम पहचान मेरी,
मैं हीं हूं मानस मन्दिर।
कबीर ने जिसको धरिदीन्ही,
वो चदरिया मैं जस की तस हूं।
बाबा भोले का नगर बनारस हूं।
आस्था की डगर बनारस हूं।

  • बनारस से

भारत की युवा बिग्रेड ने जूनियर हॉकी एशिया कप जीतकर रचा इतिहास

सालालाह (ओमान) । भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम ने गत गुरुवार को चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 2-1 से हराकर चौथी बार जूनियर एशिया कप खिताब जीत लिया। आठ साल बाद हो रहे इस टूर्नामेंट को देखने के लिये भारी तादाद में भारत और पाकिस्तान के प्रशंसक जुटे थे। आखिरी क्षणों में पाकिस्तान ने काफी आक्रामक हॉकी दिखाई लेकिन भारतीय गोलकीपर मोहित एच एस की अगुवाई में रक्षापंक्ति ने उनके हर वार को नाकाम कर दिया। भारत के लिये अंगद बीर सिंह ने 12वें मिनट में, अराइजीत सिंह हुंडल ने 19वें मिनट में गोल दागे जबकि भारत के पूर्व मुख्य कोच रोलैंट ओल्टमेंस की कोचिंग वाली पाकिस्तानी टीम के लिये एकमात्र गोल 37वें मिनट में बशारत अली ने किया।

भारत ने 2004, 2008 और 2015 के बाद यह खिताब चौथी बार जीता है जबकि पाकिस्तान 1987, 1992 और 1996 में चैम्पियन रह चुका है। दोनों टीमें इससे पहले तीन बार जूनियर पुरूष हॉकी एशिया कप के फाइनल में भिड़ चुकी हैं। पाकिस्तान ने 1996 में जीत दर्ज की जबकि 2004 में भारत विजयी रहा। भारत ने पिछली बार मलेशिया में खेले गए टूर्नामेंट में पाकिस्तान को 6-2 से हराकर खिताब जीता था। इस बार टूर्नामेंट आठ साल बाद हो रहा है। कोरोना महामारी के कारण 2021 में इसका आयोजन नहीं हुआ था।

भारत ने आक्रामक शुरूआत करके पाकिस्तानी गोल पर पहले ही क्वार्टर में कई हमले बोले। भारत को 12वें मिनट में पहली कामयाबी अंगद बीर ने दिलाई। दूसरे क्वार्टर में भी गेंद पर नियंत्रण के मामले में भारत का ही दबदबा रहा। भारतीय फॉरवर्ड पंक्ति के शानदार मूव को अराइजीत ने फिनिशिंग देते हुए 19वें मिनट में दूसरा फील्ड गोल दागा। टूर्नामेंट में यह उनका आठवां गोल था। हाफटाइम से पहले पाकिस्तान के शाहिद अब्दुल ने सुनहरा मौका बनाया लेकिन गोल के सामने से उनके शॉट को भारतीय गोलकीपर मोहित एच एस ने पूरी मुस्तैदी से बचाया।

दूसरे हाफ में पाकिस्तानी टीम ने आक्रामक वापसी की और इसका फायदा उसे तीसरे क्वार्टर के सातवें मिनट में मिला जब शाहिद अब्दुल ने सर्कल के भीतर से भारतीय डिफेंडरों को छकाते हुए गोल के दाहिनी ओर खड़े बशारत को गेंद सौंपी और उन्होंने भारतीय गोलकीपर को चकमा देकर गोल कर दिया। पाकिस्तान को 50वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन टीम बराबरी का गोल नहीं कर सकी। वहीं चार मिनट बाद लगातार दो पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।

भारत और पाकिस्तान दोनों टूर्नामेंट में अपराजेय रहे हैं। दोनों का सामना लीग चरण में भी हुआ था लेकिन वह मैच 1-1 से ड्रॉ रहा था। भारत बेहतर गोल औसत के आधार पर लीग चरण में शीर्ष पर रहा। गत चैम्पियन भारत ने पहले मैच में चीनी ताइपै को 18-0 से हराया जबकि जापान को 3-1 और थाईलैंड को 17-0 से मात दी। सेमीफाइनल में भारत ने कोरिया को 9-1 से हराया। वहीं पाकिस्तान ने लीग चरण में चीनी ताइपै को 15-1, थाईलैंड को 9-0, जापान को 3-2 से और सेमीफाइनल में मलेशिया को 6-2 से हराया था

आखिर कैसे हुआ ओडिशा में ट्रेन हादसा, मानवीय गलती थी या तकनीकी खामी, उठ रहे कई सवाल

ओडिशा के बालासोर में रूह कंपा देने वाले हादसे के बाद रेलवे का सेफ्टी सिस्टम सवालों में है। ट्रेनों की टक्कर रोकने के लिए रेलवे ने कवच सिस्टम शुरू किया था लेकिन जिस रूट पर यह हादसा हुआ, वहां अभी कवच सिस्टम नहीं लगाया गया है। ट्रेन हादसा क्यों हुआ, अभी तक इसकी सही जानकारी सामने नहीं आई है। शुरुआती जांच के बाद कहा गया कि सिग्नल में गड़बड़ी के कारण हादसा हुआ। रेल मंत्रालय ने जांच का जिम्मा रेलवे सेफ्टी कमिश्नर को सौंपा है। जांच टीम मौके पर पहुंच गई है।
क्या है हादसे की वजह
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि हावड़ा जा रही 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे बाहानगा बाजार के पास पटरी से उतरे और बगल के रेल ट्रैक पर जा गिरे। जहां ये बेपटरी हुए डिब्बे 12841 शालीमार-चेन्नै कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए और इसके डिब्बे भी पलट गए। इस टक्कर के बाद कोरोमंडल और बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, दोनों के ही बेपटरी हुए डिब्बे बगल की लूपलाइन में खड़ी मालगाड़ी से टकरा गए, जिससे मालगाड़ी भी हादसे की चपेट में आ गई। रेलवे प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतरी और इसके 10-12 डिब्बे बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस की पटरी पर जा गिरे।
उठ रहे हैं कई सवाल
इस भयंकर हादसे पर तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल है कि क्या पटरियों में पहले से कोई कमी थी, क्या पटरियों की रूटीन जांच में काई लापरवाही बरती गई, क्या किसी ने पटरियों के साथ छेड़छाड़ की, क्या डिरेल का कारण ट्रेन की तेज रफ्तार थी, जीपीएस मॉनिटरिंग में ट्रेन हादसे का पता क्यों नहीं चला, क्या ट्रेन का ऑटोमैटिक ब्रेक्रिंग सिस्टम फेल हुआ, क्या हादसे के पीछे कोई साजिश है। ऐसे तमाम सवालों पर रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है कि हादसा किस वजह से हुआ।
रेलवे सेफ्टी कमिश्नर को जांच
इस भीषण रेल हादसे की उच्चस्तरीय जांच शुरू हो गई है। जांच टीम की अध्यक्षता दक्षिण-पूर्वी प्रखंड के रेलवे सेफ्टी कमिश्नर ए. एम. चौधरी करेंगे। उनकी टीम मौके पर पहुंच गई है। रेलवे सेफ्टी कमिश्नर नागर विमानन मंत्रालय के अधीन काम करते हैं। जांच का काम शुरू हो गया है। वह हर पहलु पर जांच करेगी। हालांकि जांच रिपोर्ट कब तक आएगी, यह तय नहीं किया गया है।
रेल मंत्री ने कहा, राहत पर जोर
हादसे की जगह पहुंचे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बालासोर में शनिवार को उस जगह पहुंचे, जहां शुक्रवार को भीषण रेल दुर्घटना हुई थी। रेल मंत्री ने कहा कि मेन फोकस राहत और बचाव अभियान पर है। बचाव और राहत कार्य के लिए 1200 से ज्यादा कर्मी लगे हैं। इनमें NDRF के 300 से ज्यादा कर्मी हैं। ये लोग मेटल कटर, खोजी कुत्तों और अन्य भारी उपकरणों की मदद से बचाव कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। इस हादसे में दोनों ट्रेने का ड्राइवर और गार्ड भी घायल हैं।

कन्नौज की 120 साल पुरानी खुशबू की हवेली, जहां मनाया जाता है फूलों का उत्सव

उत्तर प्रदेश का कन्नौज शहर इत्र यानी परफ्यूम के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यहां कई घरों में इत्र बनाया जाता है, जो यहां से दुनियाभर में भेजा जाता है। कन्नौज शहर की संकरी गलियों में इत्र की खूशबू किसी को भी दीवाना बना लेंगी। यहां की गलियों में गुलाब, चंदन और चमेली की खुशबू आती है। कन्नौज में इत्र बनाने का काम सदियों से चला आ रहा है। सम्राट हर्ष ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया था। इस खुशबू भरे इस शहर का इतिहास 200 साल से भी पुराना है।
सदियों पुराने पेशे को रखा है जिंदा
यहां लोग अपने हाथों से फूलों से रस निकाल कर शुद्ध इत्र बनाते थे। हालांकि अब इत्र बनाने के लिए मशीनें आ चुकी हैं। लेकिन फिर भी कन्नौज वालों ने सदियों पुराने पेशे को जिंदा रखा है। ऐसे ही एक इत्र उत्पादक प्रणव कपूर भी हैं। प्रणव आठवीं पीढ़ी के इत्र उत्पादक हैं, यानी उनसे पहले सात पीढ़ी इत्र बनाने का काम करती आ रही हैं। प्रणव 120 साल पुरानी हवेली में आज भी इत्र बनाने का कारोबार करते हैं। सबसे हैरानी की बात ये है कि प्रणव के यहां आज भी पारपंरिक ढंग से इत्र बनाया जाता है।
आठ पीढ़ियां कर रही इत्र का कारोबार
प्रणव इंस्टाग्राम पर इत्र बनाने के काम से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो भी शेयर करते हैं, जिन्हें लाखों लोग पसंद करते हैं। प्रणव बताते हैं कि मेरे परिवार की आठ पीढ़ियां इत्र बनाने का काम करती रही हैं, मेरा बचपन भी इसी सबके बीच बीता। मेरी सबसे प्यारी यादों में से एक वह है जब मेरे दादाजी मुझसे इत्र और फूलों की खुशबू पहचानने के लिए कहते थे। रिपोर्टों के अनुसार, कन्नौज में डिस्टिलरों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में प्रणव इत्र के 200 साल पुराने कारोबार को आज भी संजोकर चला रहे हैं।
ऐसे आया इत्र उत्सव मनाने का विचार
प्रणव ने कुलिनरी आर्ट्स का कोर्स किया है, उन्हें कुकिंग करना पसंद है। वो कहते हैं कि कुकिंग और परफ्यूमरी मेरा जुनून था और मैं इन दोनों को मिलाने का तरीका खोजना चाहता था। 2017 में जैसलमेर की छुट्टी के दौरान वो एक होमस्टे में रुके थे, जहां उन्हें अपने दोनों स्किल को मिलाने का तरीका मिला। दरअसल प्रणव जहां रुके थे, वो एक हवेली थी, जिसे होटल में बदल दिया गया था। इससे उन्हें भी आइडिया आया। प्रणव कहते हैं कि मैंने अपनी 120 साल पुरानी हवेली को इसी तरह बदलने का फैसला किया। इस बारे में पहले किसी ने सोचा नहीं था। इस प्लान को एक्जीक्यूट करने में लगभग 6 साल लग गए। कोरोना भी इसमें बाधा बनकर सामने आया। लेकिन 2022 में उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया।
मौसम के हिसाब से बनाए जाते हैं उत्सव
साल 2022 में प्रणव ने अपनी पुश्तैनी हवेली को होटल में बदल दिया। उन्होंने होटल का शानदार मेनू तैयार किया, जिसमें पारंपरिक खाना शामिल किया गया। हवेली की लोन में एक परफ्यूम बार है जहां लोग आ सकते हैं और अपने खुद के परफ्यूम भी बना सकते हैं। मार्च 2023 में प्रणव ने ‘गुलाब उत्सव’ मनाने के लिए मेहमानों के अपने पहले समूह की मेजबानी की। वो बताते हैं कि हम अपने त्योहारों को मौसमों से जोड़ते हैं, क्योंकि हर मौसम के हिसाब से अलग-अलग फूल खिलते हैं। उदाहरण के लिए, फरवरी से मार्च ‘गुलाब का मौसम’ है, इसलिए हमारे पास गुलाब का त्योहार था। ऐसे में होटल में सब कुछ गुलाब थीम पर था।
मेहमान खुद चुनते हैं फूल फिर बनाते हैं इत्र
मेहमानों को गुलाब के खेत में ले जाया जाता है जहां वे इत्र के लिए फूल तोड़ते हैं। फिर उन्हें डिस्टिलरी में ले जाया जाता है जहां वे इत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं। फिर, हम उन्हें परफ्यूम बार में ले जाते हैं, जहां वे मेरी मदद से अपना परफ्यूम बना सकते हैं। गुलाब उत्सव के बाद वो अब चमेली उत्सव मना रहे हैं। चूंकि चमेली के फूलों को रात में तोड़ जाता है। इसलिए रात में फूलों को तोड़कर उनका इत्र तैयार किया जाता है। उन्होंने फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ कोयम्बटूर, दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई जैसे भारतीय शहरों से दुनिया भर के लोगों की मेजबानी की है।
फिर से इत्र की राजधानी के रूप में उभर रहा कन्नौज
प्रणव कहते हैं कि उनके इस आइडिया से कन्नौज शहर को फिर से इत्र की राजधानी के रूप में जाना जाने लगा है। लोग परफ्यूम के लिए विदेशी ब्रांड की ओर देखते हैं, लेकिन उनके इस प्रयास से कन्नौज में बनने वाला इत्र अब ब्रांड के रूप में उभर कर आ रहा है। सबसे कमाल की बात ये है कि कन्नौज में नेचुरल तरीके से इत्र तो बन ही रहा है, साथ में लोग इतने पुराने खुशबू के कारोबार को बारीकी से जान पा रहे हैं।
(साभार – नवभारत टाइम्स)

दफ्तर में क्या आती हैं उबासियाँ तो ऐसे मिलेगा छुटकारा

ऑफिस में काम करते अक्सर हमें बहुत जोरों से नींद आती है लेकिन काम के दौरान हम सो नहीं सकते। मगर नींद के कारण हमारा काम में मन नहीं लगता और थकान महसूस होती है। एक-दो दिन के लिए तो ये सामान्य बात है लेकिन रोजाना आपके साथ ऐसा होना एक बड़ी समस्या है।
ऐसे में आपको इस परेशानी को इग्नोर नहीं करना चाहिए और इस पर ध्यान देना चाहिए। वर्तमान समय में हमारी लाइफस्टाइल कुछ इस तरह हो गई है कि हम देर रात तक जगते हैं और सुबह में जल्दी उठ जाते हैं जिससे हमारी नींद पूरी नहीं हो पाती।
दुनिया में आज नींद की कमी इतनी आम है कि यह काम पर उनके प्रदर्शन को स्पष्ट रूप से प्रभावित कर रही है जो बिल्कुल ठीक नहीं है। ऐसे में हमारे इस लेख में बताई गई कुछ आसान टिप्स को फॉलो करके आप नींद से छुटकारा पा सकते हैं।
1- जब आप देर रात तक न जागकर पूरी नींद लेंगे तो आपको पूरा दिन काम करने में अच्छा महसूस होगा। आप बिना थके और नींद महसूस किए काम कर पाएंगे। रात के समय पूरी नींद लेना बहुत जरूरी है। आप अपना एक टाइम टेबल बना सकते हैं और उस अनुसार, नींद को तय घंटों में पूरा कर सकते हैं।
2- व्यायाम करना एक अच्छी आदत है और हर किसी को सुबह उठकर व्यायाम जरूर करना चाहिए। जिन लोगों को भी काम के दौरान अधिक नींद आती है वह सुबह उठकर जरूर व्यायाम करें। इससे आपको पूरा दिन फ्रेश फील होगा और काम का बोझ भी नहीं लगेगा।
3- कई बार ऑफिस में हम काम में इतना मग्न हो जाते हैं कि घंटों एक की जगह पर एक ही पोजीशन में बैठे रहते हैं। ऐसे में हमें थकान महसूस होती है और नींद आती है। इस परेशानी से बचने के लिए आपको समय-समय पर अपनी कुर्सी से उठना होगा। आप कुछ देर में कुर्सी से उठकर थोड़ा टहल लें जिससे आपकी नींद फौरन भाग जाएगी।
4- कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करने से हमारी आंखें बहुत थक जाती है और दर्द होने लगती है। आपको इस समस्या से बचना होगा और इसके लिए आप लगातार स्क्रीन को न देखें। आपको कुछ मिनट बाद सिस्टम से दूर कही देखना होगा और अपनी आंखों को धो लें पलकों को थोड़ा झपकाएं। ऐसा करने से आपकी आंखों को आराम मिलेगा और नींद भी नहीं आएगी।
5- अपने लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलावों के साथ ही सबसे जरूरी है कि आप एक स्वस्थ आहार लें और भरपूर मात्रा में पानी पिए। पूरे दिन ऊर्जावान रहने के लिए और अच्छे से ऑफिस में काम करने के लिए आपको उचित आहार और पानी पीना होगा।

ढाबा स्टाइल पनीर लबाबदार

सामग्री – 1 कटा हुआ प्याज, 2 टेबल स्पून क्रीम, 2 टेबल स्पून कद्दूकस किया हुआ पनीर, 1 तेज पत्ता, 1 हरी मिर्च, 1 टी स्पून कसूरी मेथी, थोड़ी सी दालचीनी, 1/4 टी स्पून हल्दी, 1/4 टी स्पून गरम मसाला, 1/2 टी स्पून लें जीरा पाउडर, 1/2 छोटी चम्मच लाल मिर्च पाउडर, 2-3 छोटी चम्मच हरा धनिया, 2 छोटी चम्मच मक्खन और 2 छोटी चम्मच तेल. साथ ही 2 से 3 टमाटर, 2 कली लहसुन, थोडा सा अदरक, 2 फली इलायची, 15-20 काजू, 4 से 5 लौंग, 1 कप पानी और स्वादानुसार नमक
विधि – पनीर लबाबदार बनाने के लिए सबसे पहले पनीर के टुकड़े काट लें। इसके बाद एक बड़े बर्तन में टमाटर, लहसुन की कलियां और अदरक डालें। इसमें इलायची की फलियां, लौंग, काजू और थोड़ा सा नमक डालकर, इसके ऊपर एक कप पानी डालकर गैस पर गरम होने के लिए रख दीजिए. – इसके बाद बर्तन को ढककर 10 मिनिट तक पकाएं, ताकि टमाटर नरम और गल जाएं. – इसके बाद गैस बंद कर दें और मिश्रण को ठंडा करके ब्लेंड करके स्मूद पेस्ट बना लें । इसके बाद पैन में मक्खन डालकर मध्यम आंच पर गर्म करें. – मक्खन के पिघलने के बाद इसमें तेजपत्ता, दालचीनी, मिर्च और मेथी दाना डालकर मसाले से महक आने तक भूनें. – इसके बाद इसमें बारीक कटा हुआ प्याज डालें और प्याज का रंग गोल्डन ब्राउन होने तक पकाएं । इसके बाद इसमें हल्दी, धनिया पाउडर, जीरा पाउडर और मिर्च पाउडर डालकर मिला लें । मसाले के अच्छे से भुन जाने पर इसमें तैयार टमाटर की प्यूरी डालकर अच्छी तरह मिला लें । इसके बाद पैन को ढक दें और प्यूरी को 10 मिनट तक पकने दें. कुछ देर पकने के बाद इसमें पनीर क्यूब्स और कद्दूकस किया हुआ पनीर डालकर अच्छी तरह मिलाएं।अब सब्जी को ढककर धीमी आंच पर 5 मिनट तक पकने दें. इससे पनीर ग्रेवी को अच्छे से सोख लेगा। – इसके बाद गैस बंद कर दें और ऊपर से 2 टेबल स्पून क्रीम डालकर मिक्स करें. – फिर गरम मसाला और हरा धनिया डालकर मिक्स करें. आपका लाजवाब पनीर लबाबदार तैयार है । अब इसे रोटी, नान या चावल के साथ परोसें ।