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120 सालों से लोगों की सेवा कर रहा अयोध्या का श्री राम अस्पताल
अयोध्या । सदियों से अयोध्या के लोग भगवान राम से अपनी भलाई के लिए प्रार्थना करते रहे हैं, लेकिन शहर में एक और ‘श्री राम’ भी हैं। अयोध्या के ये ‘श्री राम’ 120 से अधिक सालों से गरीबों, बीमारों को राहत और सहायता प्रदान करते आ रहे हैं। अपने में ऐतिहासिक विरासत को समेटे श्री राम अस्पताल का भवन शहर के केंद्र में राम पथ से जुड़े और नवनिर्मित भव्य राम मंदिर से एक किलोमीटर से भी कम की दूरी पर स्थित है।
इमारत के मुख्य ब्लॉक में एक दीवार पर लगी पुरानी संगमरमर की पट्टिका पर एक शिलालेख है, जिस पर लिखा है – ‘माननीय राय श्री राम बहादुर द्वारा अयोध्या के गरीबों के लिए निर्मित यह अस्पताल 5 नवंबर, 1900 को शुरू किया गया था। इसकी आधारशिला फैजाबाद मंडल के आयुक्त आईसीएस जे हूपर द्वारा रखी गई थी। 12 अप्रैल, 1902 को आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर एचएच सर जेम्स डिग्स लाटूश, केसीएसआई ने सार्वजनिक उपयोग के लिए खोला था’। एक अन्य पट्टिका पर हिंदी और उर्दू में वही शिलालेख अंकित है।
कई जिलों के लोग कराते हैं इलाज – अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी यश प्रकाश सिंह ने बताया, ‘यह अस्पताल क्योंकि अयोध्या में और राम जन्मभूमि स्थल के निकट स्थित है इसलिए बहुत बड़ी संख्या में लोग सोचते हैं कि इसका नाम प्रभु श्री राम के नाम पर रखा गया है। इसके संस्थापक श्री राम एक परोपकारी व्यक्ति थे, जिन्होंने इस अस्पताल की स्थापना की थी। अस्पताल में अयोध्या और फैजाबाद के साथ-साथ गोंडा और बस्ती जिलों से भी मरीज आते हैं।’
अस्पताल में होता है मुफ्त इलाज – यश प्रकाश सिंह ने बताया कि ‘अस्पताल उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन है और इलाज मुफ्त है। कई लोग यह भी सोचते हैं कि यह एक निजी अस्पताल है।’ अस्पताल को अब आधिकारिक तौर पर राजकीय श्री राम अस्पताल कहा जाता है। अपनी स्थापना के बाद से अस्पताल ने गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा की है और राम मंदिर के निर्माण के साथ बदली अयोध्या की रंगत के बाद यह भी नए जोश के साथ चिकित्सा सेवा के जरूरतमंद श्रद्धालुओं की सेवा कर रहा है।
राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को हुआ और आम जनता के लिए इसके कपाट 23 जनवरी को खोल दिए गए। तब से अब तक लाखों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर चुके हैं। प्रकाश सिंह ने कहा- उद्घाटन के पहले दिन एक भक्त जो बेहोश हो गया था। उसे एम्बुलेंस में हमारे अस्पताल में लाया गया और उसे चिकित्सा सहायता दी गई, अन्य श्रद्धालु जिन्हें सांस लेने में समस्या की शिकायत थी, या जो भीड़ में घायल हो गए थे, उनकी भी देखभाल की गई। अस्पताल राम मंदिर परिसर की ओर जाने वाले मुख्य सजावटी प्रवेश द्वार से पैदल दूरी पर स्थित है। 120 बिस्तरों वाले श्री राम अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, ‘पहले अस्पताल की पुरानी इमारत का रंग गुलाबी था, लेकिन राम पथ के किनारे की इमारतों के समान स्वरूप के अनुरूप इसका रंग हाल में बदलकर पीला कर दिया गया।’
(भाषा इनपुट के साथ रिपब्लिक भारत डेस्क)
शोज हाउसफुल, पर सिनेमाघर खाली, क्या है कॉरपोरेट बुकिंग
फिल्में रिलीज होने के साथ सिर्फ कहानी, वीएफएक्स या फिर स्टार्स ही चर्चा में नहीं आते. आजकल एक शब्द काफी चलन में है, वो है- कॉरपोरेट बुकिंग. कभी ना कभी ये शब्द आपके कानों के पर्दे को छूते हुए जरूर गुजरा होगा।
दिसंबर 2023 में जब रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ रिलीज हुई तो उस समय भी ये शब्द सुर्खियों में आया था। फिल्म के निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा के भाई और को-प्रोड्यूसर प्रणय रेड्डी वांगा ने आईड्रीम मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था- “फिल्म की कमाई के जो आंकड़े हमने जारी किए हैं, वो बिल्कुल सटीक हैं। आजकल लोग बॉक्स ऑफिस नंबर्स पर शक करते हैं, क्योंकि आजकल बॉलीवुड में कॉरपोरेट बुकिंग पर निर्भर होने का ट्रेंड है। हमने ऐसा नहीं किया है।”
22 दिसंबर 2023 को थिएटर्स में प्रभास की फिल्म ‘सलार’ आती है. रिलीज के अगले ही दिन सोशल मीडिया पर इस फिल्म के खिलाफ ‘Scammer Salaar’ नाम का एक हैशटैग ट्रेंड करने लगता है। नेटिजंस ऐसा दावा करते हैं कि फिल्म के कलेक्शन को बढ़ा चढ़ाकर दिखाने के लिए मेकर्स ने कॉरपोरेट बुकिंग की है। इतना ही नहीं, ऐसा भी दावा होता है कि बिहार के बक्सर के ‘कृष्णा सिनेमहॉल’ में सुबह 6 और 7 बजे के शोज हाउसफुल दिखाए जाते हैं, जबकि ये हॉल 6 साल पहले ही बंद हो चुका है। उस समय इस तरह की भी बातें होती हैं कि ‘बुकमाय शो’ पर इस फिल्म के मॉर्निंग शो भरे हुए दिखाए गए, लेकिन जितने बजे का शो था उस समय सारे मॉल बंद थे। पिंकविला की एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2022 में एक एक्शन फिल्म रिलीज होती है. रिलीज से पहले ये आंकड़ा सामने आता है कि टॉप नेशनल चेन की एडवांस बुकिंग में फिल्म ने 90 हजार टिकट बेच डाले हैं जबकि वो फिल्म ओपनिंग डे पर सिर्फ 6.50 करोड़ की ही कमाई कर पाती है। हालांकि, अगर किसी फिल्म के 90 हजार टिकट बिकते हैं तो ऐसा माना जाता है कि वो पिक्चर कम से कम 15 करोड़ तो जरूर कमाएगी, जोकि हुआ नहीं था। ये कोई इकलौता मामला नहीं है. आए दिन किसी न किसी फिल्म पर कॉरपोरेट बुकिंग के आरोप लगते रहते हैं. अब चलिए यहां पर समझ लेते हैं कि आखिर ये कॉरपोरेट बुकिंग है क्या और ये काम कैसे करती है –
कॉरपोरेट बुकिंग का खेल – आज कल रिलीज हो रही सभी फिल्मों के बीच हिट-सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर होने की होड़ मची हुई है लेकिन अच्छा कलेक्शन सिर्फ वो ही फिल्में कर पाती हैं, जिसे लोग पसंद करते हैं। जिस पिक्चर को लोग नकार देते हैं उसकी कमाई में गिरावट आ जाती है. लेकिन हिट होने की इस रेस में कुछ फिल्मों के मेकर्स द्वारा खुद ही बुकिंग करवा ली जाती है, जिससे कमाई के आंकड़े को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है। ऐसे में होता क्या है कि जब हम ऑनलाइन टिकट बुक करते हैं तो हमें ये दिखाया जाता है कि शोज हाउसफुल हैं, लेकिन जब आप थिएटर्स पहुंचते हैं तो वहां का नजारा कुछ और ही होता है। गिने-चुने लोग ही बैठे होते हैं. ये बुकिंग बड़े पैमाने पर कई बड़ों शहरों में की जाती हैं। फिल्ममेकर्स ऐसा करके बॉक्स ऑफिस पर खुद को जीत तो दिला देते हैं और ऐसी चर्चा होनी शुरू हो जाती है कि इस फिल्म ने 100 करोड़, 200 करोड़ या 1000 करोड़ कमा डाले, लेकिन हकीकत में मेकर्स को इससे पैसे के मामले में कुछ फायदा होता नहीं है. क्योंकि वो खुद ही टिकट बुक करवाते हैं और वो पैसा अपने घर में ही घूम-फिरकर वापस आ जाता है।
फिल्म ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा ने एफएम कनाडा को कुछ समय पहले दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि एनिमल इकलौती ऐसी फिल्म है, जिसके बारे में उन्होंने जरा सा ये भी नहीं सुना कि इस फिल्म के पास कॉरपोरेट बुकिंग से पैसा आ रहा हो. उन्होंने कहा था कि ये एक ऐसी फिल्म है, जिसने अपनी मेरिट पर कमाई की है और कमाई के जो आंकड़े सामने आए हैं वो सटीक हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि- “कुछ और बड़ी फिल्में हैं जो मेरिट से ब्लॉकबस्टर हैं, लेकिन उसे और भी बड़ा ब्लॉकबस्टर साबित करने के लिए उस फिल्म के प्रोड्यूसर या हीरो कॉरपोरेट बुकिंग के नाम पर पैसे फाड़ते हैं और जो लोग बोलते हैं कि ‘बुकमाय शो’ पर फुल दिखा रहा है, लेकिन अंदर जाकर देखा तो 10 लोग बैठे हैं. ऐसा इसलिए ही होता है।”
मेकर्स को फायदा भी और नुकसान भी – कॉरपोरेट बुकिंग से जहां मेकर्स को अपनी फिल्म को बड़ा दिखाने में फायदा होता है तो वहीं दूसरी तरफ उनको भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसको समझने के लि एक उदाहरण लेते हैं- मान लीजिए अगर कोई हीरो या फिर प्रोड्यूसर 8 करोड़ रुपये के टिकट खरीदता है, तो उसके बाद रिकॉर्ड में ये तो जाता है कि इस फिल्म के इतने करोड़ रुपये के टिकट बिक गए हैं, लेकिन जब वो पैसा घूम-फिरकर उनके पास वापस आता है, तो पूरा नहीं आता है. क्योंकि फिल्म ने जितने के भी टिकट बेचे हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा एक्जीबिटर्स के पास चला जाता है।
चुनाव प्रचार अभियान में बच्चों का इस्तेमाल न करें राजनीतिक दल : चुनाव आयोग
नयी दिल्ली । लोकसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों से पोस्टरों एवं पर्चों में प्रचार के लिए किसी भी रूप में बच्चों का इस्तेमाल करने से मना किया है। राजनीतिक दलों को भेजे परामर्श में निर्वाचन आयोग ने दलों और उम्मीदवारों द्वारा चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरीके से बच्चों का इस्तेमाल किए जाने के प्रति अपनी ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति से अवगत कराया। आयोग ने कहा, ‘किसी भी तरीके से राजनीतिक प्रचार अभियान चलाने के लिए बच्चों के इस्तेमाल पर भी यह प्रतिबंध लागू है, जिसमें कविता, गीत, बोले गए शब्द, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के प्रतीक चिह्न का प्रदर्शन शामिल है।’ उन्होंने आगे कहा कि यदि कोई नेता जो किसी भी राजनीतिक दल की चुनाव प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं है और कोई बच्चा अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ उसके समीप केवल मौजूद होता है तो इस परिस्थिति में यह दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने आगामी संसदीय चुनावों के मद्देनजर लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में उनसे सक्रिय भागीदार बनने का आग्रह किया है।
लाक्षागृह-कब्रिस्तान विवाद: मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज
‘पुलिस बिन एक दिन’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
कोलकाता । नयी दिल्ली से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘पुलिस पब्लिक प्रेस’ के द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन कोलकाता के भारतीय भाषा परिषद में 21 जनवरी, रविवार को किया गया था। इस संगोष्ठी का विषय ‘पुलिस बिन एक दिन’ था। इस संगोष्ठी का उद्देश भारत को अपराध मुक्त करना है और आम जनता तथा पुलिस के बीच संबंध तथा संवाद स्थापित करना है। जिसके लिए संगोष्ठी के साथ-साथ एक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों के विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के चयनित 12 प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति मंच पर दी। इन प्रतिभागियों का चयन ऑनलाइन चयन प्रक्रिया द्वारा किया गया था। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के ओंकार बनर्जी, द्वितीय स्थान सेंट ल्युक डे स्कूल की वर्षा जायसवाल, तृतीय स्थान पर कांकीनारा हाई स्कूल के पीयूष साव और चतुर्थ स्थान सेंट ल्यूक डे स्कूल की सृष्टि सिंह ने प्राप्त किया। भाषण प्रतियोगिता के निर्णायकों की रूप में वरिष्ठ कवयित्री विद्या भंडारी, जनवादी कवि राज्यवर्धन और एम.एम.टी.सी. के पूर्व निदेशक मृत्युंजय श्रीवास्तव उपस्थित थे। इस आयोजन के प्रधान अतिथि और संगोष्ठी के मुख्य वक्ता पूर्व आई.पी.एस. विजय कुमार को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में विशिष्ट योगदान और कार्यों के किए डॉ. केयूर मजमूदार, प्रो. (डॉ) संजय जायसवाल, रचना सरन, विनोद यादव, प्रिया श्रीवास्तव, चेतन चौधरी, प्रकाश किल्ला, सोनू जायसवाल, सुशील कुमार सिंघल, सुरजीत दे, दिनेश जायसवाल, तारक नाथ दुबे, अल्पना सिंह आदि को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में पुलिस पब्लिक प्रेस पत्रिका के कर्णधार पवन कुमार भूत ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।
22 जनवरी का श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह अंक
श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह अंक – श्रीराम मंदिर आन्दोलन का इतिहास, स्वामी रामभद्राचार्य, नेताजी जयंती एवं गणतंत्र दिवस समारोह पर आधारित विविध सामग्री
शुभजिता – दिसंबर एवं जनवरी संयुक्त अंक
मिशन सिलक्यारा से लेकर आपराधिक कानूनों के ऐतिहासिक परिवर्तन की यात्रा एवं अन्य स्तम्भ
अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले में पहुंचे 29 लाख लोग, बिकीं 27 करोड़ की किताबें




