सरकार के बजट में आम लोगों के लिए कई घोषणाएं होती हैं। मिडिल क्लास के लोगों को सबसे ज्यादा इंतजार इनकम टैक्स की घोषणाओं का होता है। आजाद भारत के पहले बजट से लेकर और 2023 के बजट तक तमाम सरकारों ने कई तरह के प्रयोग किए हैं। ऐसी ही एक घोषणा करीब 68 साल पहले की गई थी। इस अनोखी घोषणा ने कुंवारे लोगों का बजट बिगड़ा कर रख दिया था। टैक्स स्लैब की वजह से कुंवारे लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया था।
जब कुंवारे लोगों पर बढ़ा गया था टैक्स का बोझ – बजट का ये दिलचस्प किस्सा साल 1955-56 के लिए पेश हुए बजट का है। केंद्र में जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व की सरकार थी और वित्त मंत्री के पद पर चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख थी। जिन्हें सी डी देशमुख के नाम से भी जाना जाता है। तत्कालीन वित्त मंत्री ने बजट में घोषणा की थी कि शादीशुदा और अविवाहितों के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब रहेगा। सरकार की इस अनोखी घोषणा ने सबको हैरान कर दिया था। सरकार की इस घोषणा के बाद कुंवारे लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ गया था। सरकार ने उस वक्त शादीशुदा लोगों के लिए मौजूदा टैक्स एक्जेम्प्ट स्लैब बढ़ाकर 2,000 रुपये कर दिया गया था जो 1,500 रुपए था और अविवाहितों के लिए इसे घटाकर 1,000 रुपए कर दिया गया था।
सरकार ने यह टैक्स स्लैब योजना आयोग की सिफारिश पर लागू किया था। भारत में शादीशुदा लोगों और कुंवारे लोगों के लिए पहली बार इस तरह की घोषणा की गई थी। 1955-56 के बजट में पहली बार हिंदी वर्जन भी लाया गया था। इसके बाद से ही एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट का हिंदी वर्जन और एक्सप्लेनेटरी मेमोरेंडम सर्कुलेट किया जाता है।
1955-56 में क्या था टैक्स स्लैब – 1955-56 में आए बजट के टैक्स स्लैब की बात करें तो शादीशुदा लोगों को 0 से 2,000 रुपए की कमाई पर कोई टैक्स नहीं था। 2,001 से 5,000 रुपये की कमाई पर 9 पाई टैक्स के रूप में देना होता था। कुंवारे लोगों की बात करें तो 0 से 1,000 रुपए की कमाई तक कोई टैक्स नहीं लगता था। वहीं, 1001 रुपए से 5,000 रुपये की कमाई पर 9 पाई टैक्स के रूप में देने पड़ते थे।