Wednesday, September 17, 2025
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अपने सारे सपने पूरे कर रही हैं आज की बुजुर्ग महिलाएं

रेखा श्रीवास्तव

आधुनिकता और मोबाइल युग में हमारे समाज की बुजुर्ग महिलाओं ने भी स्वयं को बहुत बदल लिया है। अब वह बुढ़ापे को बहुत ही अच्छे से बिता रही हैं। पूरे उत्साह और आनंद से अपना समय गुजार रही हैं। चाहे गृहिणी हो या रिटार्यड, अब वह बुढ़ापे का रोना नहीं रोती, बल्कि अपने सपने को पूरा करने का अच्छा समय समझ रही हैं। अच्छी जिंदगी जी रही हैं। इसमें इनको बच्चों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। कोलकाता के सॉल्टलेक, न्यूटाउन इलाके में आपको ऐसी बहुत बुजुर्ग महिलाएं दिख जायेंगी जो बहुत खुशी-खुशी अकेले रह रही हैं और अपनी जिंदगी के इस पड़ाव का आनंद ले रही है। उनके बच्चे अलग रहते हुए भी अपनी माँ का पूरा ख्याल रखते हैं। इनके बारे में सुनने और दूर से देखने पर बहुत अजीब सा लगता है। लेकिन जब आप इन महिलाओं से बातचीत करेंगे और उनके इस व्यवस्था में उनको खुश देखेंगे तो आपको यह व्यवस्था अच्छी लगेगी। इस बाबत मैंने बहुत सी बुजुर्ग महिलाओं से बातचीत कीं। उनकी खुशी देख मुझे भी बहुत खुशी हुई। जब मैं न्यूटाऊन में रह रही रीता सामंत से बातचीत की, तो वह बोली मैं खुद को अपनी स्थिति के अनुसार बदल लेती हूँ। एक समय था जब परिवार में बहुत सदस्य थे, घर की जिम्मेदारी थी। मैं पूरी तरह से उसमें रम गई थी। बेटी को पढ़ाने के लिए भी बहुत मेहनत की। लेकिन अब जब हमारे पति शिशिर सामंत नहीं रहे, और हमारी बेटी विदेश में अपनी जिंदगी जी रही है। तो मैं कोलकाता के फ्लैट में खुशी-खुशी रह रही हूँ। मुझे बचपन से पढ़ने, गाना गाने का बहुत शौक था, लेकिन परिवार की जिम्मेदारी के कारण मैं नहीं कर पा रही थी।

अब मेरे पास बहुत समय है, इसलिए मैं अपने सारे शौक को पूरा कर पा रही हूँ। बेटी विदेश में रहते हुए भी, मेरे लिए सारी व्यवस्था की हुई है। मैं अकेलेपन को बोझ नहीं समझती, बल्कि अपने समय का सदुपयोग कर रही हूँ। उन्होंने बताया कि वह अकेले सफर कर लेती हैं, और अभी कुछ दिन पहले ही वियतनाम में रह रही बेटी के यहाँ से लौटी हैं। वहीं बीएसएनएल से रिटार्यड हुई सीमा जी ने बताया कि उनका बेटा-बहू साल्टलेक में रहते हैं। पति अब इस दुनिया में नहीं है। वह कोलकाता के न्यूटाउन इलाके में एक छोटा सा फ्लैट खरीदकर अपने मनमुताबिक जिंदगी जी रही है। वह कभी-कभार बेटे के यहाँ चली जाती हैं और वो लोग भी माँ के पास आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम चाहते तो साथ में भी रह सकते थे, लेकिन आपस में रहकर मनमुटाव हो सकता था, इसलिए हमलोगों ने मिलकर यह फैसला लिया और हमलोग अपने फैसले पर बहुत खुश है। वहीं 90 वर्षीय मासी माँ (सभी इसी नाम से पुकारते हैं) अपने पाँच-पाँच बच्चों को पढ़ा-लिखा कर अच्छी जिंदगी जीने के लायक बनाईं। सभी अच्छे पद पर कार्यरत हैं। मासी माँ और उनका छोटा बेटा एक कॉम्लेक्स में रहते हैं। बेटा-बहू एक फ्लैट में और मासी माँ अपने पति के साथ दूसरे फ्लैट में रहती हैं। कई साल पहले उनके पति का देहांत हो गया। अब वह अकेले ही रह रही है। बहू दोनों समय का खाना बना कर दे देती हैं। बेटा घर की व्यवस्था कर देता हैं। घर में काम करने के लिए और मासी माँ की देखभाल के लिए एक आया की भी व्यवस्था की गई है। मासी माँ दिन में अखबार-किताबें पढ़कर समय बिताती है। वह साहित्य, राजनीति में घंटों चर्चा कर सकती हैं, पर पिछले कई महीनों से उनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं रह रहा है, लेकिन फिर भी अपनी दिनचर्या में बहुत व्यस्त रहती है और अपनी जिंदगी से पूरी तक संतुष्ट है। वहीं मुज्जफरपुर की रहने वाली ऋतु अग्रवाल जिसकी कोलकाता में शादी हुई है। वह अकेली संतान है। इसलिए वह अपनी माँ को कोलकाता ले आई है और उनके लिए यहाँ अपने पास ही एक अलग फ्लैट की व्यवस्था कर दी है। बेटी ऋतु अपने ससुराल, नौकरी के साथ-साथ माँ की भी देखभाल कर पा रही है और इस व्यवस्था से माँ-बेटी दोनों बहुत खुश हैं।

फिल्म समीक्षा : माई

एक दौर ऐसा था, जब अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरी और उनकी हेयर स्टाइल दोनों की काफी धूम थीं। उनकी फैन पद्मिनी कोल्हापुरी की तरह साइड में चोटी करती। उनके अभिनय का जादू सिर चढ़कर बोलता था। उनकी ‘वो सात दिन’, ‘प्रेम रोग’, ‘सौतन’, ‘प्यार झुकता नहीं, ‘प्यार के काबिल हो’ या फिर ‘स्वर्ग से सुंदर’ – इन सभी फिल्मों में पद्मिनी कोल्हापुरी का याद रखने लायक अभिनय है। बंबई में 01 नवंबर, 1965 को जन्मी पद्मिनी कोल्हापुरी महज सात साल की छोटी-सी उम्र में रूपहली दुनिया में आ चुकी थी। वह हर तरह के किरदार को खूबी जीती थी। उनकी ‘वो सात दिन’ अभी भी जेहन से नहीं उतरती। इस फिल्म में एक चुलबुली लड़की की भूमिका को पद्मिनी ने जीवंत बना दिया था। इसी तरह फिल्म ‘प्रेम रोग’ का किरदार आज भी नहीं भूलता। 1990 से 1995 तक उनकी फिल्मों ने काफी धूम मचाया। उसके बाद वह पर्दे से गायब हो गई। लेकिन, यूट्यूब खंगालने पर पता चलता है सिनेमा को पद्मिनी ने कभी अलविदा नहीं कहा, बल्कि वह आज भी सक्रिय हैं। कई सालों के अंतराल पर फिल्मों में अभिनय करती रहीं, लेकिन हाँ, उनकी फिल्मों की चर्चा ज्यादा नहीं हुई और बाक्स ऑफिस पर शायद उतना छा भी नहीं पायी। उसी के बाद 2012 में बनी और 2013 में रिलीज हुई ‘माई’ फिल्म के वीडियो पर मेरी नजर पड़ी। उसके स्क्रीन पर पद्मिनी, रामकपूर और गायिका आशा भोंसले जी दिखीं। अब इस फिल्म को देखने की इच्छा प्रबल हो गयी। देखने के पीछे तीन मुख्य कारण थे। पहला आशा जी 79 की उम्र में अभिनय की दुनिया में प्रवेश कर रही हैं। दूसरा बड़ा कारण बड़े अच्छे लगते हैं के रामकपूर को देखना सही में बहुत अच्छा लगता है और तीसरा सबसे मुख्य कारण पद्दिमनी कोल्हापुरी की फिल्म देखना बेहद पसंद है। इसके लिए मोबाइल को स्टैंड पर लगा कर, कान में इयर फोन लगाकर बैठ गई फिल्म देखने। वैसे आजकल शार्ट फिल्म, वेब सीरिज के जमाने में दो-ढ़ाई घंटे की फिल्म को देखना बहुत बड़ा काम है। वैसे यह फिल्म केवल पौने दो घंटे की ही थी।
चलिए, अब बात करते हैं इस फिल्म के बारे में। इस फिल्म का पहला सीन बहुत ही ऊर्जावान था। पद्मिनी कोल्हापुरी रसोई संभालकर ऑफिस जाने की तैयारी कर रही है। एकदम फिट। चुस्त दुरुस्त। घर, परिवार के साथ-साथ कार्यालय में भी कर्मठ कर्मचारी के रूप में दिखीं। आजकल की लड़कियों को टक्कर देता पहनावा और वैसा ही व्यक्तित्व। कहीं से उम्र उनपर हावी नहीं दिखा। फिल्म में केंद्र की भूमिका में आशा भोंसले दिखीं, जो माई के रूप में है। उनका अभिनय जीवंत रहा। फिल्म में वह बहुत मेहनत कर अपने बच्चों को संभालती, पढ़ाती हैं। लेकिन अब वह बूढ़ी हो चुकी है। बीमार है। उन्हीं इसी समस्या को लेकर फिल्म की कहानी लिखी गई हैं। और पूरी फिल्म इन्हीं के इर्द-गिर्द है। पति, पिता, दामाद के साथ-साथ एक अच्छे पत्रकार के रूप में दिखें रामकपूर। उनके अभिनय की क्या बात। वह सांक्षी तंवर हो या पद्दिमनी सब के साथ फिट हो जाते हैं। उनका हैंडसम लुक की क्या बात करूँ। बड़े अच्छे लगते हैं, करके तू भी मुहब्बत से ही उनको पसंद किया जा रहा है।
ऐसे बेटा-बेटी जो आज बूढ़े या बीमार माँ या पिता को अपने जीवन से अलग कर देना चाहते हैं। अपनी कामयाबी के लिए अपने परिवार में उनको जगह नहीं दे पाते हैं। उन्हें लगता है कि वृद्धा आश्रम ही उनके लिए सही जगह है। ऐसे बच्चों को यह फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए। वहीं दूसरी तरफ एक माँ और बेटी के प्यारे रिश्ते को भी दिखाया गया है। 2012 में बनी इस फिल्म में चित्रहार और बुधवार का भी जिक्र होकर उस समय की याद दिला दी। 10 साल पहले बनी इस फिल्म में दिखाई गई समस्या समाज में आज भी बरकरार है। निसंदेह यह समस्या बढ़ी ही है, इसलिए इस फिल्म की जरूरत आज भी बहुत है। पर अफसोस है कि ऐसी फिल्म को आज का युवा समाज देखना नहीं चाहता, इसलिए यह बाक्स ऑफिस पर अपना परचम नहीं लहरा सकी। फिल्म के गाने बहुत ही अच्छे हैं। आशा जी की मधुर आवाज कानों को बहुत अच्छी लगी। इस फिल्म के गाने ने मुझे बचपन की यादें दिला दी। इस फिल्म के निर्देशन का कार्यभार महेश कोडियार ने बखूबी किया है। यह उनकी पहली निर्देशित फिल्म है। फिल्म के एक प्रथम दृश्य से लेकर अंतिम दृश्य तक मैं उठ भी नहीं पाई। संगीत नितिन शंकर का है। मैं इस फिल्म को देखकर बोर तो नहीं महसूस की, लेकिन हाँ कई जगहों पर भावुक तो जरूर हो गई।

एच.के.चौधरी को ‘टाइम्स फिलैंथ्रॉपी अवार्ड 2022’

कोलकाता । हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, कोलकाता के अध्यक्ष एच.के.चौधरी को टाइम्स फिलैंथ्रॉपी अवार्ड 2022 प्राप्त किया। गत 26 अगस्त को उनको समाज सेवा एवं शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण और मूल्यवान योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
चौधरी ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार आलापन बंद्योपाध्याय से पुरस्कार प्राप्त किया। हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सीईओ श्री पी.के.अग्रवाल ने कहा, “इस महान अवसर पर, मैं इस पल को देखकर गर्व महसूस कर रहा हूं। यह पूरे विरासत परिवार के लिए गर्व की बात है।”
एच.के.चौधरी विक्रम इंडिया और बीआरसीएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, बहल, हरियाणा के अध्यक्ष भी हैं। वह फ्रेंड्स ऑफ ट्राइबल सोसाइटी और विभिन्न अन्य संगठनों के सक्रिय सदस्य भी हैं जो समाज और सामुदायिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। एच.के. चौधरी ने कहा, “मैं इस नेक पहल के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया को धन्यवाद देता हूं। यह पुरस्कार देश भर में परोपकारी लोगों को पहचानने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

‘बूंद बूंद गजल’ का लोकार्पण एवं काव्यपाठ का आयोजन

कोलकाता। भारतीय भाषा परिषद में सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन और रचनाकार संस्था द्वारा विनोद प्रकाश गुप्ता ‘शलभ’ के नवीनतम गजल संग्रह ‘बूंद बूंद गजल’ का लोकार्पण एवं काव्यपाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखिका सुधा अरोड़ा ने कहा कि एक रचनाकार अपने समय के सच को अपनी संवेदना से उसे सार्वजनिक और मानवीय बनाता है।शलभ जी प्रेम और गहरी बेचैनी के गजलकार हैं। शशि किरण जी ने अपने जीवन के आत्मीय क्षणों और घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि विनोद का शायर और संवेदनशील मन ही इस संग्रह की यात्रा का आधार है।विशिष्ट अतिथि सुधांशु रंजन ने कहा कि जो प्रेम करता है वो किसी का फना नहीं कर सकता। विनोद जी की गजलों में प्रेम का उदात्त रूप सामने आता है। गजलकार नंदलाल रौशन ने कहा कि विनोद जी ने इस संग्रह में गजल की हर रवायत को बचाने की सफल कोशिश की है। सेराज खान बातिश ने कहा कि विनोद जी के गजलों में आदमियत को बचाने की तड़प है।वे सहजमना पर विविधताओं से भरे गजलकार हैं।आलोचक-कवि प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि आज जब कलम ने सच बोलना कम कर दिया है तब विनोद जी पूर्व नौकरशाह होते हुए भी अपनी कलम को रोकते नहीं कहने देते हैं । इनकी कलम सच की महत्ता को हमारे सामने रखती है। रचनाकार के अध्यक्ष सुरेश चौधरी ने कहा कि यह संग्रह उनके समर्पण का पर्याय है। इकबाल के शेर में जो मारक क्षमता है, वही क्षमता इनके गजल में देखने को मिलती है। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ शंभुनाथ ने कहा कि समुद्र में गिरते बूंद को सभी देख लेते है, बूंद में गिरते समुद्र को जो देख ले वो कवि है। विनोद जी ने अपनी पीड़ा को बड़ा बनाया और यह संग्रह उनके हिम्मत का विस्तार है। विनोद प्रकाश गुप्ता ने प्रथम सत्र का धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि कोलकाता में उन्हें बहुत प्यार मिला।मैं इस सांस्कृतिक नगरी के प्यार को अपने अगले संग्रह में जरूर दर्ज करूंगा। प्रथम सत्र का संचालन डॉ संजय जायसवाल ने किया। कविता पाठ सत्र में अभिषेक पाण्डेय, राजेश सिंह, अल्पना सिंह,सूर्य देव रॉय, मधु सिंह, मौसमी प्रसाद, इबरार खान, मनीषा गुप्ता, राजनाथ बेखबर, श्रीप्रकाश गुप्ता, निर्मला तोदी, नीता अनामिका,आनंद गुप्ता ,प्रीति भारती, निशा कोठारी, संदीप गुप्ता, जूली जाह्नवी,शैलेष गुप्ता,जीतेंद्र जीतांशु, विद्या भंडारी, रावेल पुष्प, योगेंद्र शुक्ल सुमन,विमलेश त्रिपाठी,राज्यवर्धन, अभिज्ञात, उमरचंद जायसवाल, शैलेंद्र शांत ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर शाइना ,शिवन्या, विकास कुमार, पूजा गौड़,सपना कुमारी, अनिल सहित सैकड़ों साहित्य और संस्कृतिप्रेमी उपस्थित थे।इस सत्र का संचालन रचना सरन ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विनोद प्रकाश गुप्ता ने दिया।

बंगाल के 20 हिंदी शिक्षकों को मिलेगा हिंदी शिक्षा सम्मान -2022

भारतीय भाषा परिषद द्वारा शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजन

कोलकाता । भारतीय भाषा परिषद की विशेष सम्मान समिति ने सर्वसम्मति से पश्चिम बंगाल के विश्वविद्यालय, कॉलेज और स्कूल के 20 हिंदी शिक्षकों के नामों का चयन किया है| इन्हें पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में शिक्षक दिवस के अवसर पर आगामी ३ सितंबर को परिषद सभागार के एक भव्य आयोजन में ‘हिंदी शिक्षा सम्मान-2022′ प्रदान किया जाएगा| परिषद के निदेशक डॉ.शंभुनाथ ने बताया कि वर्तमान समय में शिक्षण की गुणवत्ता की समस्या को देखते हुए इस वर्ष से कर्मठ और प्रयोगशील शिक्षकों को सम्मानित करने का निर्णय परिषद ने लिया है| परिषद समाज की ओर से उनके श्रेष्ठ योगदान के लिए सम्मानित करते हुए कृतज्ञता व्यक्त करेगी|इस वर्ष विश्वविद्यालयों के जिन प्राध्यापकों को सम्मानित किया जाएगा वे हैं –
प्रो. दामोदर मिश्र (कुलपति, हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा), प्रो. मनीषा झा (प्रोफेसर, हिंदी विभाग, नार्थ बंगाल यूनिवर्सिटी, सिलीगुड़ी), प्रो. तनूजा मजुमदार (प्रोफेसर, हिंदी विभाग, प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय) प्रो. अरुण होता : प्रोफेसर और अध्यक्ष, वेस्ट बंगाल स्टेट यूनिवर्सिटी, बारासात| कॉलेजों के सम्मानित किया जाने वाले प्राध्यापक हैं – डॉ. सत्या उपाध्याय (प्रिंसिपल, कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज, कोलकाता), डॉ. गीता दूबे (एसोसिएट प्रोफेसर, स्काटिश चर्च कॉलेज, कोलकाता), डॉ. इतु सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर, खिदिरपुर कॉलेज, कोलकाता), डॉ. कुलदीप कौर (एसोसिएट प्रोफेसर, गोखले मेमोरियल गर्ल्स कॉलेज, कोलकाता), डॉ. कमलेश पांडेय (एसोसिएट प्रोफेसर, सेंट पॉल्स कॉलेज, कोलकाता), डॉ. आशुतोष कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर, बंगवासी मॉर्निंग कॉलेज, कोलकाता), डॉ. रिंकू घोष (एसोसिएट प्रोफेसर, लेडी ब्रेबार्न कॉलेज, कोलकाता), डॉ. कृष्ण कुमार श्रीवास्तव (एसोसिएट प्रोफेसर, आसनसोल गर्ल्स कॉलेज, आसनसोल), डॉ. सुनीता साव (असिस्टेंट प्रोफेसर, सावित्री गर्ल्स कॉलेज, कोलकाता)|
स्कूलों के सम्मानित किए जाने वाले अध्यापक हैं – डॉ. राजेंद्रनाथ त्रिपाठी (वरिष्ठ अध्यापक, सेंट जेवियर्स स्कूल, पार्क स्ट्रीट, कोलकाता), सुरेश शॉ (वरिष्ठ अध्यापक, ग्रेस लिंग लियांग इंग्लिश स्कूल, कोलकाता), सौमित्र जायसवाल (अध्यापक, द हेरिटेज स्कूल, कोलकाता), उत्तम कुमार ठाकुर (अध्यापक, गवर्नमेंट हाई स्कूल, कलिंपोंग), डॉ. सोनम सिंह (अध्यापिका, हावड़ा शिक्षा सदन फॉर गर्ल्स, हावड़ा), कपिल कुमार झा (अध्यापक, सेंट जोसेफ स्कूल, कोलकाता), डॉ. सुनीता प्रसाद (अध्यापिका, रामाशीष हिंदी हाई स्कूल, बर्दवान)| परिषद की मंत्री प्रो. राजश्री शुक्ला ने एक वक्तव्य में कहा कि हिंदी शिक्षण सम्मान समारोह में लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध विद्वान डॉ. सूर्य प्रसाद दीक्षित मुख्य अतिथि होंगे और डॉ. कुसुम खेमानी स्वागत वक्तव्य देंगी|

 

 

नाटक साझी संस्कृति और साझी विरासत को जोड़ने एवं संजोने का काम करता है- राकेश

ए. के.हंगल और अभिनय में सृजन’ पर वेबिनार

कोलकाता । भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा),अलवर द्वारा प्रसिद्ध अभिनेता एवं इप्टा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ए. के.हंगल के 10वें स्मृति दिवस पर 26 अगस्त, 2022 को राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय ‘ए. के.हंगल और अभिनय में सृजन’ था। कार्यक्रम को दो भागों में आयोजित किया गया। प्रथम भाग में, इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर सिंह का निधन 23 अगस्त को हो गया था। यह कार्यक्रम उन्हीं को समर्पित करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। जिसमें इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव राकेश ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला।
दूसरे भाग में शुरुआत में अलवर इप्टा के पूर्व महासचिव राजेश भारद्वाज ने अतिथियों एवं वेबिनार में पूरे भारत से जुड़े प्रबुद्ध जनों का स्वागत किया। विषय प्रवर्तन करते हुए राष्ट्रीय इप्टा के उपाध्यक्ष तनवीर अख्तर ने कहा कि नाटक के लिए तीन चीजें जरूरी हैं:- ट्रेनिंग, अभ्यास एवं डिसीप्लेन। इन तीन बातों का जो अभिनेता अनुसरण करेगा, वही सृजनात्मक हो सकेगा। मुंबई से प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक व निर्माता रमेश तलवार ने ए.के.हंगल के साथ की गई फिल्मों, नाटक तथा उनकी सोच – शख्सियत के विषय में विस्तार से चर्चा की। नाटक पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नाटक को रिएक्शनरी नहीं होना चाहिए।
मुंबई इप्टा की अध्यक्षा एवं ख्यातनाम अभिनेत्री ‘ये जो है ज़िंदगी’, ‘ससुराल गेंदा फूल’ में अभिनय करने वाली सुलभा आर्या ने कहा कि उनका और हंगल साहब का साथ 50 साल तक रहा। उन्होंने हंगल साहब से सीखा कि ‘अभिनय सिर्फ़ अभिनय नहीं है, उस करैक्टर को जीना है।’ उन्होंने अभिनय के साथ-साथ सोशल अवेयरनेस की भी बात की।
‘वागले की दुनिया’ सीरियल से प्रसिद्धि पाने वाले मशहूर अभिनेता अंजन श्रीवास्तव, मुंबई ने हंगल साहब के साथ फिल्म और नाटक के रिहर्सल करते समय के संस्मरण सुनाए और कहा कि एक्टर को सोशल, विचारों को आदान प्रदान करने वाला तथा समय की पाबंदी रखने वाला होना चाहिए।
मुंबई इप्टा के महासचिव एवं ‘ओम शांति ओम’, ‘कहानी’ आदि फिल्मों में अभिनय करने वाले मशहूर अभिनेता मसूद अख्तर ने हंगल साहब को याद करते हुए कहा कि हंगल साहब आज हमारे बीच नहीं है, परंतु उनकी यादें, हिदायतें एवं विचार आज भी जिंदा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय इप्टा के महासचिव राकेश ने कहा कि नाटक साझी संस्कृति और साझी विरासत को जोड़ने एवं संजोने का काम करता है। जीवन को बहुत से नजदीक देखने वाला कलाकार ही अच्छा अभिनय कर सकता है।
इस कार्यक्रम की खास उपलब्धि यह रही कि कई श्रोताओं ने प्रश्न पूछे, जिनके रमेश तलवार ने जवाब दिए। कार्यक्रम का संचालन अलवर इप्टा की महासचिव डॉ. सर्वेश जैन ने किया। अंत में अलवर इप्टा के अध्यक्ष महेंद्र सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वेबिनार का तकनीकी पक्ष कादंबरी, कार्तिक एवं स्वाति ने संभाला।

45वीं वर्षगांठ पर आर. आर.अग्रवाल ज्वेलर्स ने पेश किया दुबई कलेक्शन

कोलकाता । आरआर अग्रवाल ज्वेलर्स कोलकाता ने इस साल ज्वैलर्स इंडस्ट्री में 45वां साल पूरा किया है। वर्षगांठ समारोह के अवसर पर आर. आर. अग्रवाल ज्वैलर्स ने अपना नया खंड दुबई गोल्ड कलेक्शन पेश किया। आर. आर. अग्रवाल के निदेशक रतन लाल अग्रवाल ने कहा कि “वर्तमान समय में ग्राहक एक छत के नीचे सब कुछ चाहते हैं इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए हमने अपने शोरूम का विस्तार किया है”।
प्रतिष्ठान के एक अन्य निदेशक रेवती रमन अग्रवाल ने डायमंड पोल्की, कुंदन जड़ाऊ, डायमंड, एंटीक गोल्ड ज्वैलरी सेट और जेम स्टोन्स का विशेष संग्रह पेश करने की जानकारी दी। इस बार उन्होंने दुबई गोल्ड डिजाइन का खास कलेक्शन पेश किया है। आर. आर. अग्रवाल ज्वैलर्स पूरे शहर में लालित्य, शैली और परिष्कार और बेजोड़ शिल्पकार के सही मिश्रण के साथ उत्कृष्ट स्वाद के प्रतिबिंब के लिए जाना जाता है। निदेशक रेवती रमन अग्रवाल के पुत्र ऋषभ अग्रवाल ने ग्राहक के लिए अपनी 45 वीं वर्षगांठ पर शानदार पेशकशों की घोषणा की, जैसे कि मेकिंग चार्ज पर 50% तक की छूट और पहला पुरस्कार जीतने का मौका दुबई की सैर, दूसरा पुरस्कार टू व्हीलर है, तीसरा पुरस्कार स्मार्ट फोन और कई अन्य विशिष्ट पुरस्कार हैं। ऑफर कोलकाता के तीनों शोरूम में 26 से 4 सितंबर तक ही उपलब्ध है और इस दौरान रविवार को तीनों शोरूम खुले रहेंगे. वे वर्तमान में कैमक स्ट्रीट, सिटी सेंटर, बड़ाबाजार और जयपुर में हैं।

हेक्सागोन इंडिया के प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन में रियलिटी कैप्चर का प्रदर्शन

कोलकाता । हेक्सागोन इंडिया द्वारा प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन गत शुक्रवार को संपन्न हुआ। इसमें राज्य भर के दूर दराज इलाकों से आए गणमान्य लोग शामिल हुए। जिन्हे सम्मेलन के दौरान हेक्सागोन के संपूर्ण सर्वेक्षण, वास्तविकता कैप्चर, खनन और भू-स्थानिक उत्पाद और समाधान पोर्टफोलियो के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी।
हेक्सागोन इंडिया समिट का उद्घाटन आईएएस रणधीर कुमार (सचिव, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग, पश्चिम बंगाल और वेबेल के प्रबंध निदेशक ने किया। इस मौके पर प्रमोद कौशिक (अध्यक्ष हेक्सागोन इंडिया), मनोज शर्मा (निदेशक विपणन और बिक्री उत्कृष्टता), भास्कर जेवी (आईएफएस, मुख्य वन संरक्षक, कार्य योजना और जीआईएस सर्कल, पर्यावरण और वन विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार), आशीष कुमार जेना (संयुक्त सचिव और संयुक्त निदेशक, राजस्व अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान, ओडिशा सरकार), डॉ. बिभास चंद्र बर्मन, उप निदेशक (हाइड्रोलिक), सिंचाई और जलमार्ग विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार), दीपांकर रॉय चौधरी (उप निदेशक (जल विज्ञान), सिंचाई और जलमार्ग विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार) के अलावा कई अन्य गणमान्य सदस्य मौजूद थे।
इस शिखर सम्मेलन में नवीनतम तकनीक, जिसकी मदद से कम संसाधनों और उत्कृष्ट गुणवत्ता के साथ ग्राहकों की जरूरतों को पूरा किया जाए, उसे भी प्रस्तुत किया गया। इस आयोजन में हेक्सागोन के जीआईएस, रिमोट सेंसिंग और फोटोग्रामेट्री सॉफ्टवेयर के पावर पोर्टफोलियो में नवीनतम प्रौद्योगिकी के बारे में भी विस्तार से बताया गया।
भारत में, हेक्सागन के 2100 से अधिक कर्मचारी हैं, जिनका कार्यालय 14 शहरों और दो अनुसंधान एवं विकास केंद्रों (हैदराबाद और पुणे) में हैं। कोलकाता के साल्टलेक के इको सेंटर में हेक्सागन इंडिया ने 25 अगस्त को एक अत्याधुनिक सर्विस सेंटर के रूप में नया कार्यालय खोला।
इस मौके पर हेक्सागोन इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कौशिक ने कहा, अत्याधुनिक डेटा हेक्सागोन के डीएनए में है। हम इन 20 वर्षों के सफर में सेंसर समाधान में एक लीडर बनकर उभरे हैं। दशकों से हम रक्षा और सुरक्षा, कानून प्रवर्तन, मानचित्रण संगठनों, तेल और गैस, औद्योगिक निर्माण, खनन, वन और कृषि, ऑटोमोबाइल उद्योग, परिवहन, शहरी परिवर्तन, आदि में अपने ग्राहकों की सेवा कर उनका समर्थन प्राप्त कर रहे हैं। भारत में शीर्ष विकास परियोजनाओं जैसे भूमि प्रबंधन और अभिलेखों का डिजिटलीकरण, बांध की निगरानी, ​​​​रेलवे का विकास, लोगों के लिए सुरक्षित शहर के लिए अपनी स्मार्ट सिटी परियोजना का समर्थन करके राष्ट्र को स्मार्ट बनाने के हेक्सागन देश की मदद कर रहा है।
मनोज शर्मा (निदेशक, मार्केटिंग एंड सेल्स) ने कहा, हेक्सागन जियोसिस्टम सॉल्यूशंस देश भर के कई राज्यों में लीका स्मार्टट्रैक और तकनीक के साथ सटीक 3डी पोजिशनिंग के लिए पसंदीदा तकनीक है। यह डिजिटल इंडिया के लिए आधार बनाता है। इसने रियलिटी कैप्चर या स्कैनिंग उद्योग में नए आयाम जोड़े हैं। हमारे स्थान-आधारित डेटा और व्यावसायिक बुद्धिमत्ता को मिलाकर, ये समाधान शहरी नियोजन, जनगणना, परिवहन, उपयोगिताओं, संपत्ति मूल्यांकन, आग और बचाव, नागरिक जुड़ाव, अचल संपत्ति, सार्वजनिक सुरक्षा, और के लिए डेटा स्रोतों की एक अनंत मात्रा को सपोर्ट करते हैं।

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आयुष्मान भारत योजना के तहत मिलेंगी व्यापक स्वास्थ्य सुविधाएं 

नयी दिल्ली । ट्रांसजेंडर वर्ग के लोगों को अब आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई के तहत समग्र स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सकेगा और इस संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को एमओयू की सराहना करते हुए इसे देश में अपनी तरह का पहला करार बताया और कहा कि यह ट्रांसजेंडर वर्ग के लिए अधिकार तथा सम्मानपूर्ण स्थान सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने कहा कि एमओयू से देशभर में ट्रांसजेंडर वर्ग के उन लोगों को सभी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा जिनके पास नेशनल पोर्टल द्वारा जारी ट्रांसजेंडर प्रमाणपत्र हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय प्रति वर्ष प्रति ट्रांसजेंडर के लिए पांच लाख रुपये का बीमा कराएगा।
मांडविया ने कहा कि ट्रांसजेंडर वर्ग के लिए मौजूदा आयुष्मान भारत के साथ ही एक समग्र पैकेज तैयार किया जा रहा है।
इसके तहत इस श्रेणी से जुड़े लोग देशभर में ऐसे किसी भी अस्पताल में उपचार करा सकेंगे जो आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई के पैनल में हैं और जहां संबंधित पैकेज उपलब्ध है।
इस योजना में उन सभी ट्रांसजेंडर लोगों को शामिल किया जाएगा जिन्हें केंद्र और राज्य प्रायोजित अन्य ऐसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा हो।

सितंबर में 13 दिन बंद रहेगा बैंकों में कामकाज

कोलकाता । अगस्त महीने में बैंकिंग हॉलिडे के कारण सरकारी और प्राइवेट बैंकों में कामकाज बंद रहा, जिसके चलते आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है।
आपको बता दे कि अगस्त महीना में अब 7 दिन शेष है, इसके बाद सितम्बर का महीना शुरू होने जा रहा है। इस खबर में हम आपको बताने जा रहे है कि आखिर सितम्बर माह में कितने दिन बैंक बंद रहेंगे। सितंबर में 13 दिन बैंकों में कामकाज बंद रहेगा।
इतने दिन बैंक रहेंगे बंद
सितंबर में अगले महीने 13 दिन बैंक बंद रहेंगे। हालाँकि आपको बता दे कि देशभर के सभी बैंक इतने दिनों तक बंद नहीं रहेंगे। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जो छुट्टियां तय की हैं, उनमें से कुछ क्षेत्रीय भी हैं। किस राज्य में बैंक बंद रहेंगे और कहां खुले रहेंगे। इसके आधार पर अपने बैंक से जुड़े काम-काज आप समय पर निपटा ले. जिससे आपको कोई समस्या न हो और किसी भी काम में रुकावट न आए।
देखें बैंक की छुट्टियों की पूरी सूची
1 सितंबर: गणेश चतुर्थी (दूसरा दिन)- पणजी में बैंक बंद
4 सितंबर: रविवार (साप्ताहिक अवकाश)
6 सितंबर: कर्मा पूजा- रांची में बंद बैंक
7 सितंबर: पहला ओणम- कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में बैंक बंद
8 सितंबर: थिरूओणम- कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में बैंक बंद
9 सितंबर: इंद्रजात्रा- गंगटोक में बैंक बंद
10 सितंबर: शनिवार (महीने का दूसरा शनिवार), श्री नरवण गुरु जयंती
11 सितंबर: रविवार (साप्ताहिक अवकाश)
18 सितंबर: रविवार (साप्ताहिक अवकाश)
21 सितंबर: श्री नरवण गुरु समाधि दिवस- कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में बैंक बंद
24 सितंबर: शनिवार (महीने का चौथा शनिवार)
25 सितंबर: रविवार (साप्ताहिक अवकाश)
26 सितंबर: नवरात्रि स्थापना/लैनिंगथोऊ सनमाही का मेरा चाओरेन हाउबा- इंफाल और जयपुर में बैंक बंद.
कुल 13 दिन की हैं छुट्टियां
आपको बता दें सितंबर महीने में त्योहारों के चलते बैंक की कुल 13 दिन की छुट्टियां हैं। इसमें शनिवार और रविवार का साप्ताहिक अवकाश शामिल है। बता दें बैंक की छुट्टियों के चलते भी आप ऑनलाइन सुविधाओं का फायदा ले सकते हैं यानी आप ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए पैसों का लेनदेन छुट्टी वाले दिन भी कर सकते हैं।