नयी दिल्ली । बिजली मीटरों की गड़बड़ी से जुड़ी खबरें हर दिन अखबार के पन्नों पर छपती हैं। अक्सर आप और हम भी मीटर की गलत रीडिंग के चलते नुकसान झेलते हैं। लेकिन अब आने वाले वक्त में आपको मीटर की गलत रीडिंग से निजात मिल सकती है। बिजली वितरण कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लि. टीपीडीडीएल ने दिल्ली के अपने ग्राहकों को एकदम सटीक बिजली बिल उपलब्ध कराने के लिये कदम उठाया है। इसके तहत कंपनी मीटर रीडिंग के लिये ‘ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन’ (ओसीआर) का उपयोग करेगी।
कंपनी ने बयान में कहा कि इससे एक तरफ जहां ग्राहकों को सही बिजली बिल मिलेगा वहीं कंपनी का गैर-तकनीकी घाटा कम होगा। उसने अपने कार्य क्षेत्र उत्तरी और पश्चिमी दिल्ली में ग्राहकों के लिये कृत्रिम मेधा एआई) आधारित ‘ओसीआर’ प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिये एनीलाइन के साथ भागीदारी की है। टाटा पावर डीडीएल के अनुसार इस भागीदारी के तहत तकनीक की पूरी जांच-परख के बाद उसे उत्तरी दिल्ली में संबंधित कर्मचारियों को उपलब्ध कराया गया है।
इस नये ‘स्कैनिंग’ समाधान को ‘मीटर रीडिंग’ के लिये कर्मचारियों के मोबाइल उपकरणों जोड़ा गया है। इससे ये कर्मचारी जब अपने मोबाइल कैमरों से बिजली मीटर को स्कैन करेंगे तो तत्काल मीटर रीडिंग का ब्योरा प्राप्त कर सकते हैं। इस मीटर रीडिंग ब्योरे का टाटा पावर-डीडीएल सत्यापन करेगी ताकि इस बात की पुष्टि की जा सके कि आंकड़ा और कैमरों में ली गयी मीटर की तस्वीर वास्तविक होने के साथ-साथ सटीक भी हैं।
कंपनी ने कहा कि यह कदम ‘मीटर रीडिंग’ की प्रक्रिया में होने वाली मानवीय गड़बड़ियों को दूर कर बिजली बिल को सटीक बनाएगा और इसे वितरण कंपनी के गैर-तकनीकी घाटे भी कम होंगे।
टाटा पावर डीडीएल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी गणेश श्रीनिवासन ने कहा, ”हम नवीनतम प्रौद्योगिकी अपनाकर उपभोक्ताओं के बेहतर सेवाएं देने को प्रतिबद्ध हैं इस नये समाधान से हम अपने उपभोक्ताओं के लिये बेहतर पेशकश करने के साथ-साथ इस्तेमाल की जाने वाली बिजली के बदले सटीक बिल सुनिश्चित कर सकते हैं।”
अब बिजली बिल की नो टेंशन, सटीक ‘मीटर रीडिंग’ के लिये टाटा लाया ओसीआर
बिहार का रिक्शावाला एप बनाकर दे रहा 50 प्रतिशत सस्ती कैब सर्विस
टीम में आईआईटी,आईआईएम प्रोफेशनल भी
पटना । बिहार की प्रतिभा का डंका ऐसे ही देश भर में नहीं बजता। यहां का रिक्शावाला भी कमाल कर सकता है। रिक्शा चलाकर जीवन यापन करने वाले सहरसा के युवक दिलखुश ने ऐसा एप तैयार किया है जिससे कैब बुकिंग किराये में आप 40 से 60 प्रतिशत की बचत कर सकते हैं।
इतना ही नहीं कैब संचालकों की कमाई भी 10 से 15 हजार बढ़ सकती है। कैब सेवाओं से जुड़े इस ऐप का नाम रोडबेज है। एक तरफ कैब बुकिंग की सुविधा देने वाला रोडबेज की लोकप्रियता को इसी से समझा जा सकता है कि मात्र डेढ़ महीने में इस ऐप को 42 हजार लोगों ने इंस्टॉल किया।
दिल्ली में रिक्शा चलाता था दिलखुश
हर दिन सैंकड़ों लोग इस सेवा का लाभ ले रहे हैं। कभी खुद दिल्ली में रिक्शा चलाकर जीवन बसर करने वाले दिलखुश की टीम में आज आईआईटी, आईआईएम, ट्रिपल आईटी से पढ़ाई पूरी करने वाले इंजीनियर और मैनेजर जुड़े हैं। दिलखुश का यह स्टार्ट अप चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान पटना के इंक्यूबेशन सेंटर से इंक्यूबेटेड है। दिलखुश ने बताया कि अभी राज्य में तीन हजार वाहनों का उसका नेटवर्क है और अगले छह महीने में 15 हजार वाहनों का नेटवर्क तैयार करने का लक्ष्य है। दिलखुश की टीम में आज 16 लोग हैं, जिनमें भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों से चार लोगों ने उच्च शिक्षा ली है।
गरीबी में नहीं कर सका पढ़ाई
पिता बस ड्राइवर, अभाव में नहीं कर पाया पढ़ाई थर्ड डिविजन से मैट्रिक पास दिलखुश के पिता एक बस ड्राइवर हैं। अभावों में दिलखुश का बचपन गुजरा। मैट्रिक तक की ही पढ़ाई कर पाया। इसके बाद दिल्ली चला गया। रूट का आइडिया न होने से दिलखुश ने रिक्शा चलाना शुरू किया। लेकिन हफ्ते दस दिन बाद बीमार पड़ गया। इसके बाद घर लौट गया। कुछ दिनों बाद पटना आया और मारुति 800 चलाने लगा। एक कंपनी में चपरासी की नौकरी इसलिये नहीं मिली क्योंकि इंटरव्यू में एप्पल के लोगो को नहीं पहचान सका। इसी बीच दिलखुश को रोडबेज का आइडिया आया। कुछ समय पूर्व दिलखुश को जोश टॉक में इनावेशन पर बात करने और अन्य युवाओं को स्टार्ट अप के लिये प्रेरित करने को बुलाया गया था।
पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से आया आइडिया
दिलखुश ने बताया कि हाल के महीने में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से हर कोई प्रभावित हुआ है। विश्लेषण से पता चला कि 60 प्रतिशत लोग एक शहर से दूसरे शहर में एकतरफा जाना होता है। लेकिन कैब संचालक या ड्राइवर किसी भी उपभोक्ता से आने और जाने का पैसा लेता है। ऐसे में दिलखुश ने एक नेटवर्क तैयार किया और एक ऐसा ऐप डेवलप किया जो एकतरफा कैब की सुविधा उपलब्ध कराता है। इस ऐप से बुकिंग कर किराये में 40 से 60 प्रतिशत की बुकिंग शुल्क में बचत की जा सकती है। हालांकि लंबी दूरी की सुविधा देने वाले इस ऐप पर आपको पांच घंटे पहले बुकिंग करनी होगी।
सीआईएमपी बिजनेस इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन फाउंडेशन के सीईओ कुमोद कुमार कहते हैं कि दिलखुश के रोडबेज ऐप की लोकप्रियता हर दिन बढ़ रही है। यह सस्ता, सुलभ और सुरक्षित सेवा देने वाली कैब सर्विस है। लोगों को इस सेवा का लाभ लेना चाहिए।
इतिहास के पन्नों में सिमट रही मारवाड़ी गद्दियां
कोलकाता । पश्चिम बंगाल के मिनी राजस्थान के नाम से मशहूर बड़ाबाजार की खास पहचान मारवाड़ी गद्दियां इतिहास के पन्नों में सिमट रही हैं। कोलकाता में निवासरत प्रवासी राजस्थानियों में होली, दिवाली जैसे त्यौहार हो या अन्य अवसर एक दूसरे के हर सुख-दुख में साथ रहकर सारी बातें यहां साझा होती है।
बड़ाबाजार के व्यापार जगत में अपनी अलग छवि संजोए मारवाड़ी गद्दियां आज अतीत का हिस्सा बनती जा रही हैं। ये गद्दियां साड़ी, होजियरी, सूटिंग, शर्टिंग से लेकर कपड़ों के थोक व्यवसाय का स्थान होती हैं। जहां काम करने के साथ रहने की निःशुल्क सुविधा है।
बड़ाबाजार की पहचान कही जाने वाली गद्दियों में बरसों पुरानी व्यवस्था आज भी चल रही है, लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या हजारों से सिमट कर सैकड़ों में रह गई है। एक अनुमान के मुताबिक इन गद्दियों की संख्या आज लगभग 200 रह गई है। हर वक्त गुलजार रहने वाली बड़ाबाजार की मारवाड़ी गद्दियों में पहले की अपेक्षा काफी कम लोग रहते हैं। मालिक और कर्मचारियों के सामंजस्य से सैकड़ों बरस पुरानी इस व्यवस्था का निर्वहन अभी भी हो रहा है। पर कम। कपड़े के हब के रूप में विख्यात बड़ाबाजार गद्दी बाहुल्य क्षेत्र है।
आपसी तालमेल से शुरू गद्दी में रहने का सिलसिला
पहले जब लोग काम के सिलसिले में राजस्थान से कोलकाता आते थे तो नौकरी मिलने के बाद खाने की व्यवस्था राजस्थानी बासा में आसानी से हो जाती थी। लेकिन रहने की काफी असुविधा होती थी। वहीं मालिकों को रात में गद्दी की चिंता रहती थी। इसी बीच यह रास्ता निकला कि जो व्यक्ति गद्दी में अथवा उस गद्दी मालिक की खुदरा व्यापार की दुकान में काम करेगा वह उस गद्दी में रह सकता है। इसका लाभ मालिक और कर्मचारी दोनों को मिला। जहां प्रवासी कर्मचारियों को रहने की निशुल्क सुविधा मिल गई वहीं गद्दी के मालिक, गद्दी की सुरक्षा से भी आश्वस्त हो गए।
क्या है गद्दी?
गद्दी मालिकों की बाजार में खुदरा व्यवसाय की दुकानें होती हैं जिसका ज्यादातर माल गद्दियों में रखा जाता है। इन्हीं गद्दियों में थोक व्यापार होता है। इन गद्दियों में औसतन करोड़ों रुपये सालाना का व्यापार होता है। विभिन्न चीजों का व्यवसाय करने वाली इन गद्दियों में ज्यादातर ग्रामीण तथा उपनगरीय क्षेत्रों के व्यापारी थोक खरीददारी करने आते हैं।
बोले प्रवासी राजस्थान
कई वर्षों तक बड़ाबाजार की गद्दी में रहने वाले प्रवासी राजस्थानी लीलाधर शर्मा ने पत्रिका को बताया कि गद्दी में साथ रहने वाले एक दूसरे के भाई, ताऊ, चाचा होते हैं। उत्सव, त्यौहार या फिर कोई दुख-सुख, सबसे पहले आपस में साझा करते थे। साथ रहने वालों को एक दूसरे की पूरी जानकारी रहती थी।
उन्होंने बताया कि पहले इन गद्दियों में बड़ी संख्या में प्रवासी रहते थे लेकिन आज इनकी संख्या काफी कम हो गई है। इसका मुख्य कारण उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों ने कोलकाता, हावड़ा या आसपास के लिलुआ, बेलूर, हिंदमोटर, रिसड़ा आदि उपनगरीय क्षेत्रों में घर लेकर परिवार बसा लिया और यहां रहना छोड़ दिया है।
यहां है गद्दियां
यहां पारख कोठी, सदासुख कटरा, कमेटी कोठी, बिलासराय कटरा जैसे कई वाणिज्यिक मकानों में पहली या उससे ऊपर मंजिल की गद्दियों में बड़ी संख्या में प्रवासी राजस्थानी के अलावा बिहार, उत्तरप्रदेश और ओडिशा के लोग रहते हैं। जो ज्यादातर इन्हीं गद्दी मालिकों के यहां काम करते हैं।
लॉकडाउन में सुनी पड़ गई थी गद्दियां
2020 में कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी लोगों के अपने प्रदेश लौट जाने से बड़ाबाजार की मशहूर गद्दियां सुनी पड़ गई थी। सन्नाटे की चादर में लिपटी ये गद्दियां बाजार खुलने पर वापस चहक उठी लेकिन कम होती गद्दियों की संख्या से यह प्रथा अब गाहे बगाहे सिमटती जा रही है।
(साभार – राजस्थान पत्रिका)
नए अवतार में फिर हुगली नदी में फिर दिखेगा 1940 का पैडल स्टीमर
कोलकाता । पैडल स्टीमर ‘पीएस भोपाल’ जल्द ही हुगली नदी में एक बार फिर नजर आ सकता है। इसे ब्रिटेन के डंबर्टन पोत कारखाने (शिपयार्ड) में 1940 में बनाया गया था। अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि महानगर के पास एक निजी यार्ड में 62.6 मीटर लंबे और 2.4 मीटर चौड़े जहाज को नया रूप देने के लिए उस पर काम किया जा रहा है।
कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह के अध्यक्ष विनीत कुमार ने कहा कि जहाज के नवीनीकरण का काम लगभग पूरा हो चुका है और इसके जल्द ही हुगली नदी पर लौटने की उम्मीद है। शायद अगले कुछ महीनों में…। स्टीमर का संचालन शुरू होने से हमारे ‘विरासत यात्रा कार्यक्रम’ को गति मिलेगी क्योंकि नए ‘पीएस भोपाल’ में बाकी जहाजों (ऐसी यात्राओं के लिए इस्तेमाल होने वाले) की तुलना में अधिक लोग यात्रा करना चाहेंगे।
तीन करोड़ की अधिक लागत से किया जा रहा नवीनीकरण
उन्होंने बताया कि इस जहाज के नवीनीकरण एवं संचालन में शामिल निजी कंपनी बंदरगाह अधिकारियों को 50,000 रुपये की ‘रायल्टी’ का भुगतान करेगी और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल करेगी। उन्होंने कहा कि 80 साल पुराने जहाज का नवीनीकरण तीन करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया जा रहा है।
कैंसर ने छीना महानगर के युवा टीवी पत्रकार का निधन
कोलकाता । कोलकाता के युवा टीवी पत्रकार स्वर्णेन्दु दास के निधन पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुख जताया है। 40 वर्ष से कम उम्र के स्वर्णेन्दु का कैंसर की वजह से मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके निधन पर मीडिया जगत में शोक की लहर पसरी हुई है। ढ़ाई साल की बेटी के नाम सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट पढ़कर हर किसी का दिल भर आता है। इतनी कम उम्र में एक साथी का यूं चले जाना महानगर के मीडिया कर्मियों के लिए सदमे से कम नहीं है।
स्वर्णेन्दु बेहद ऊर्जावान पत्रकार थे। फील्ड में रिपोर्टिंग के समय साथियों से हमेशा मुस्कुरा कर बातें करना, एक दूसरे की मदद और हर जरूरत पर खड़े रहने वाले स्वर्णेन्दु हर किसी के अजीज थे। उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, “कोलकाता के एक युवा पत्रकार स्वर्णेन्दु दास के निधन की खबर दिल दहलाने वाली है। पत्रकारिता की दुनिया ने एक काफी प्रतिभाशाली शख्स को खो दिया है। मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं तथा उनके परिजनों, दोस्तों, शुभचिंतकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।”
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से वह अस्पताल में भर्ती थे। कैंसर का दर्द उनके लिए असहनीय हो चला था। इसी बीच 15 अगस्त को उन्होंने अपनी बेटी के साथ सोशल मीडिया पर एक फोटो डाली थी और लिखा था, (हिंदी में अनुवाद) “यह तस्वीर इस साल की नहीं पिछले साल की है। बेटी की उम्र दो वर्ष से थोड़ी अधिक है। सुबह-सुबह इलाके में झंडा फहराने के लिए मैं निकला था। स्कूटर पर सामने बेटी कुहू को बैठाकर इलाके के स्कूल, क्लब सहित कई जगहों पर झंडोत्तोलन में मैं शामिल हुआ। मेरे साथ मेरी बेटी ने हाथ में पुष्प लेकर वीर स्वतंत्रता सेनानियों नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी आदि को श्रद्धांजलि दी। क्षमा करना बेटी इस बार मैं तुम्हें साथ लेकर ऐसा नहीं कर पाया। तुम्हें कहीं लेकर भी नहीं जा सका। पिछले साल की बातें तो तुम्हें याद भी नहीं होंगी लेकिन यह तस्वीर सारे दिन मेरी आंखों से आंसू बहाती रही। मेरी प्यारी लाडली मैं नहीं जानता कि जीवन में तुमको फिर कभी कहीं घुमा सकूंगा, झंडा फहराने ले जा सकूंगा या नहीं। अगर नहीं ले जा पाऊं तो मेरी बातें सुनकर कम से कम आज का दिन गुजार लेना।”
विभाजन पर आधारित डिजिटल संग्रहालय की कोलकाता में होगी शुरुआत
कोलकाता। बंगाल की राजधानी कोलकाता में अगले सप्ताह तक देश के विभाजन पर आधारित एक डिजिटल संग्रहालय की शुरुआत होगी। इस संग्रहालय में भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच के गहरे संबंधों को दर्शाने वाली कला और साहित्य जगत की कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा। संग्रहालय में प्रदर्शित की जाने वाली कृतियां विभाजन की त्रासदी और उसके परिणामस्वरूप सीमा के दोनों ओर लोगों को हुईं परेशानियों और उनकी पीड़ा को भी दर्शाएंगी।
कोलकाता पार्टिशन म्यूजियम प्रोजेक्ट (केपीएमपी) का नेतृत्व कर रहीं रितुपर्णा राय ने कहा कि संग्रहालय का निर्माण करने का उद्देश्य विभाजन के दौरान पूर्वी भारत के बंगाल के अनुभव के अलावा विभाजन के बाद लोगों के जीवन और उनकी परिस्थितियों को यथासंभव व्यापक रूप से यादगार बनाना है। विभाजन संबंधी विषयों पर शोध करने वालीं राय ने कहा, इस परियोजना के जरिए हम भी समान रूप से विभाजन को लेकर किए जाने वाले विचार-विमर्श को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि विभाजन से हम बिछडऩे, हिंसा और लोगों के अपना घर छोड़कर जाने की पीड़ा को समझते हैं।
बीते सात दशकों से लगातार विभाजन और उसके परिणामों को लेकर चर्चा की जाती रही है। हम समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है। लेकिन, अब इससे बाहर निकलने का समय भी आ गया है। उन्होंने कहा, विभाजन का एक और पहलू निरंतरता भी है। मौजूदा समय में हम जिस विभाजनकारी दौर में रह रहे हैं, उसके मद्देनजर हम विभाजन को भी याद रखना चाहते हैं।
रितुपर्णा राय के मन में यूरोप में रहने और वहां युद्ध स्मारकों और संग्रहालयों के दौरे के दौरान विभाजन को लेकर एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार अंकुरित हुआ। उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद के दौर के बाद बंगाल और बांग्लादेश की परिस्थितियां पूरी तरह से अलग रही हैं। उन्होंने कहा, हम इस बात से इन्कार नहीं कर रहे हैं कि विभाजन हुआ था और उसके कुछ कारण थे। हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम जर्मनी की तरह फिर से एकजुट हो जाएंगे। हम विभाजन को याद रखेंगे और इससे जुड़े सभी सिद्धांतों को भी सामने रखेंगे।
राय ने कहा कि विभाजन के बावजूद बंगाल और बांग्लादेश में भाषा, साहित्य, खान-पान, कला और लोगों के पहनावे तथा रहन-सहन में काफी समानता है। उन्होंने कहा कि विभाजन के समय भारत में केंद्र की तत्कालीन सरकार ने पंजाब और बंगाल के साथ अलग-अलग व्यवहार किया। उनका मानना है कि विभाजन के बाद पंजाब में आए लोगों को बेहतर सुविधाएं और मुआवजा दिया गया जबकि पूर्वी भारत की ओर सरकार ने उतना ध्यान नहीं दिया।
राय ने कहा, यहूदियों का नरसंहार और भारत का विभाजन एक ही दशक में हुआ था। होलोकास्ट को समर्पित बहुत सारे स्मारक हैं, ऐसा क्यों है कि हमारे पास विभाजन का कोई सार्वजनिक स्मारक नहीं है? हमारे पास इतिहास लेखन, साहित्य, फिल्में हैं लेकिन सार्वजनिक स्मारक नहीं था?
डिजिटल विभाजन संग्रहालय केपीएमपी और वास्तुकला शहरीकरण अनुसंधान (एयूआर) के सहयोग से निर्मित किया जा रहा है। टाटा स्टील भी इसमें योगदान दे रहा है।
कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के वार्षिक समारोह में बरसी आजादी के अमृत महोत्सव की वर्षा
कोलकाता । कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव एवं कॉलेज का वार्षिक सांस्कृतिक अनुष्ठान आयोजित किया गया। 17 अगस्त को महानगर के ज्ञान मंच सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हावर्ड यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के गार्डिनियर प्रोफेसर एवं पूर्व सांसद प्रो. सुगत बोस उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य सभा सांसद एवं कॉलेज संचालन समिति के अध्यक्ष जनाब मो. नदीमुल हक उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल सरकार के अल्पसंख्यक मामलों एवं मदरसा शिक्षा विभाग के सचिव जनाब गोलाम हसन उबैदुर रहमान, विशेष सचिव जनाब शकील अहमद, छपते – छपते के प्रधान सम्पादक विश्वम्भर नेवर, कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की संचालन समिति की सदस्य मैत्रेयी भट्टाचार्य, मौलाना आजाद कॉलेज के उर्दू विभागाध्यक्ष एवं कॉलेज संचालन समिति के सदस्य डॉ. दाबिर अहमद भी समारोह में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रदीप प्रज्ज्वलन के साथ कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय एवं अतिथियों ने किया। समारोह में स्वागत वक्तव्य रखते हुए डॉ. उपाध्याय ने ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की कामना की। आजादी के अमृत महोत्सव के महत्व एवं उसके उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने नयी पीढ़ी को अपने कर्त्तव्यपथ पर अडिग रहने, अपने देश प्रेम और देश के प्रति अपने उत्तरदायित्व की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का यह धर्म है कि नयी पीढ़ी को वे सद्प्रेरणा, सत्चरित्रता और सत्कर्म की शिक्षा दें। शिक्षकों की पैनी दृष्टि राजनीति, समाज नीति पर भी रहनी चाहिए और तभी समाज संस्कार सुदृढ़ होगा। इसी के साथ ही उन्होंने कॉलेज की प्रगति का वार्षिक विवरण प्रस्तुत किया।
मुख्य अतिथि वक्ता मुख्य अतिथि के रूप में हावर्ड यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के गार्डिनियर प्रोफेसर एवं पूर्व सांसद प्रो. सुगत बोस ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस पर केन्द्रित अपने वक्तव्य में कहा कि नेता जी ऐसे एकमात्र नेता थे जो हर भाषा, जाति, धर्म पर विश्वास करते थे और सबको साथ लेकर चलते थे। स्त्री – पुरुष समानता में उनका गहरा विश्वास था और वे आजीवन लैंगिक विषमता को दूर करने के लिए काम करते रहे।
पश्चिम बंगाल सरकार के अल्पसंख्यक मामलों एवं मदरसा शिक्षा विभाग के सचिव जनाब गोलाम हसन उबैदुर रहमान ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि भारत बहुत आगे बढ़ चुका है मगर अब भी बहुत कुछ करना बाकी है और यह काम युवाओं को ही करना है। समारोह में उपस्थित राज्य के मदरसा विभाग के विशेष सचिव जनाब शकील अहमद ने युवाओं को शिक्षा के माध्यम से देश का नाम रोशन करने को प्रेरित किया। छपते – छपते के प्रधान सम्पादक विश्वम्भर नेवर ने कहा कि आजादी का सही मतलब अशिक्षा और भुखमरी से आजादी है। शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है। स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सुधार आया है और आज लड़कियां शानदार प्रदर्शन कर रही हैं।
राज्यसभा सांसद एवं कॉलेज संचालन समिति के अध्यक्ष जनाब मो. नदीमुल हक ने कहा कि भारत की यह खूबी है कि हमारा लोकतंत्र आज भी सक्रिय है और यहाँ धर्म, जाति और भाषा से परे लोग साथ रहते हैं। कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की संचालन समिति की सदस्य मैत्रेयी भट्टाचार्य ने कहा कि हम सभी को मिलकर देश को आगे ले जाना होगा। मौलाना आजाद कॉलेज के उर्दू विभागाध्यक्ष एवं कॉलेज संचालन समिति के सदस्य डॉ. दाबिर अहमद ने कहा कि आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद का यह समय आत्ममंथन और आकलन का समय है।
इस अवसर पर आजादी के अमृत महोत्सव पर कॉलेज की ओर से प्रकाशित स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया। समारोह में कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज में अमृत महोत्सव पालन समारोह की दृश्य – श्रव्य प्रस्तुति की गयी। समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के अन्तर्गत वंदेमातरम् की ऐतिहासिक यात्रा का प्रदर्शन किया गया। भारतीय स्त्रियों की स्थिति पर केन्द्रित एवं जश्न ए आजादी पर एक माइम की प्रस्तुति की गयीस और मेधावी छात्राओं को सम्मानित भी किया गया।
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कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज को मिलेगा नया परिसर
कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज का नया परिसर शीघ्र बनने जा रहे। कॉलेज के वार्षिक समारोह में वक्तव्य रखते हुए मदरसा विभाग के विशेष सचिव जनाब शकील अहमद ने यह बात कही। नया परिसर पार्क सर्कस में होगा। उन्होंने इसके लिए कलकत्ता गर्ल्स कॉ़लेज की संचालन समिति के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद नदीमुल हक एवं कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय के प्रयासों की सराहना भी की।
महानगर पहुँची ‘दोबारा’ की टीम
कोलकाता । ‘पिंक’ और ‘बदला’ के बाद तापसी पन्नू की एक और थ्रिलर फिल्म प्रदर्शित हुई। ‘दोबारा’ की टीम हाल ही में महानगर पहुँची। फिल्म फिलहाल चर्चा में है और मेलबर्न के इंडियन फिल्म फेस्टिवल, फैंटेशिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल जैसे कई फिल्मोत्सवों में सराही जा चुकी है। महानगर में टीम ‘दोबारा’ की स्क्रीनिंग अभिनेता प्रसेनजीत चटर्जी ने करवाई। तापसी पन्नू, पावेल गुलाटी, फिल्म के निर्देशक अनुराग कश्यप और निर्माता एकता कपूर ने फिल्म को लेकर मीडिया से जानकारी साझा की। तापसी पन्नू और पावेल गुलाटी ने फिल्म के प्रदर्शन के पूर्व कालीघाट मंदिर के दर्शन किये। फिल्म का निर्माण शोभा कपूर एवं एकता कपूर की कल्ट मूवीज द्वारा किया गया है।
2,000 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर पीवी प्लांट भी शुरू करेगा डीवीसी
एमसीसीआई में डीवीसी पर परिचयात्मक सत्र
कोलकाता । मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री डीवीसी: द रोड अहेड की विकसित भूमिका पर एक परिचयात्मक सत्र आयोजित किया। मुख्य अतिथि के रूप में दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के अध्यक्ष आर. एन. सिंह उपस्थित थे।
सत्र को डीवीसी के अरूप सरकार, सदस्य (वित्त) और श्री असीम नंदी, कार्यकारी निदेशक (वाणिज्यिक) और श्री डी. पुइतंडी, मुख्य अभियंता (वाणिज्यिक) ने भी संबोधित किया।
एमसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ललित बेरीवाला, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, ने सत्र के लिए स्वागत भाषण दिया। उन्होंने सराहना की कि डीवीसी ने 91.12 प्रतिशत की क्षमता उपयोग के साथ 38,416 एमयू की अब तक की सबसे अधिक वार्षिक उत्पादन के रूप में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं जो डीवीसी के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक है।
दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के अध्यक्ष श्री आर एन सिंह ने अपने संबोधन में 2030 तक 15,000 मेगावाट बिजली उत्पादन प्राप्त करने के मिशन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में बिजली की कुल मांग 24,000 मेगावाट दर्ज की गई, जिसमें पिछले साल डीवीसी ने 6,000 मेगावाट का योगदान दिया।
डीवीसी के भविष्य के रोड मैप पर बोलते हुए सिंह ने कहा कि दिसंबर 2024 तक, डीवीसी टीपीएस के कच्चे जल जलाशयों में 30 मेगावाट के फ्लोटिंग सोलर प्लांट शुरू करने में सक्षम होगा और 2024-25 तक, डीवीसी 2,000 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर पीवी प्लांट भी शुरू करेगा। डीवीसी 2030 तक अपने ताप विद्युत उत्पादन में 3,720 मेगावाट की वृद्धि करेगा।
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की क्षमता में कमी के संबंध में समस्या बताई। डीवीसी ने लुगुपहार और पंचेत हिल सहित विभिन्न क्षेत्रों में पंप भंडारण परियोजना की योजना बनाई है। सिंह ने इस बात की भी सराहना की कि भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा पावर ग्रिड है। भारत ने बिजली की कमी वाले देश से बिजली अधिशेष वाले देश तक की यात्रा को कवर किया है।
डीवीसी के सदस्य (वित्त) अरूप सरकार ने घोषणा की कि डीवीसी ने 28 अगस्त को कुमारडुबी में 11 केवी सबस्टेशन स्थापित करने का निर्णय लिया है और डीवीसी अगले 3 से 4 महीनों में घाटी क्षेत्रों में 17 अतिरिक्त 11 केवी सबस्टेशन के साथ आएगा। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बिजली शुल्क के मुद्दे को संबोधित करते हुए, आयातित कोयले की कीमत उच्च दर पर रही है जो अप्रत्यक्ष रूप से बिजली की लागत को बढ़ाती है। डीवीसी ने भारत में सबसे कम बिजली दरों को बनाए रखा है। श्री सरकार ने यह भी बताया कि कोयले की कीमत को नियंत्रित कर लिया गया है; यह बिजली उत्पादन की कम लागत का संकेत देगा। एमसीसीआई की विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा परिषद के अध्यक्ष देवेन्द्र गोयल ने धन्यवाद दिया।
मानवीय संस्कृति के लेखक हैं प्रेमचंद
‘आजादी के 75 साल: प्रेमचंद का भारत’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
मिदनापुर। राजा नरेंद्र लाल खान महिला महाविद्यालय (स्वायत्त) के हिंदी विभाग द्वारा ‘आज़ादी के 75 साल: प्रेमचंद का भारत’ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के संगीत विभाग के अध्यापक एवं छात्राओं द्वारा संगीत प्रस्तुति के साथ हुई। कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रेणु गुप्ता ने स्वागत वक्तव्य देते हुए बताया कि हमारे कॉलेज को देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में शामिल किया गया है।हमारे कॉलेज की प्रिंसिपल के सहयोग से हम निरंतर प्रगति कर रहे हैं।प्रेमचंद का साहित्य भारतीयता का साहित्य है। प्रथम सत्र में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए रेवेंशा विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर अजय पटनायक ने कहा कि आजादी के75वर्षों में देश ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काफी विकास किया है।प्रेमचंद के सपनों को पूरा करने का भरपूर प्रयास आज भी जारी है।। बीज वक्तव्य देते हुए विश्वभारती शांतिनिकेतन के पूर्व प्रोफेसर हरिश्चंद्र मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य हमें गलत चीजों का विरोध करना सिखलाता है।प्रेमचंद ने समाज के बड़े हिस्से को अपनी रचना के केंद्र में रखा है।वे हमें नैतिक मूल्यों से जोड़ते हैं।इस अवसर पर हिंदी विश्वविद्यालय हावड़ा के उपकुलपति प्रोफेसर दामोदर मिश्र के वक्तव्य का वाचन शोधार्थी मधु सिंह द्वारा किया गया। बतौर वक्ता विद्यासागर विश्वविद्यालय, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार प्रसाद ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में जीवन की जो छवियां हैं वे हमें बेचैन करती हैं।आज भी दलित हाशिये पर हैं।प्रेमचंद ने ऐसे भारत का सपना नहीं देखा था,जहां मटके का पानी पीने के लिए एक दलित बच्चे को मरना पड़ा। खड़गपुर कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ पंकज साहा ने कहा कि प्रेमचंद के भारत को देखने के लिए हमें प्रेमचंद को सिर्फ पढ़ना ही नहीं होगा उसे जीवन में भी उतारना होगा। इस सत्र में डॉ. प्रकाश अग्रवाल और रूपेश कुमार यादव ने आलेख पाठ किया। इस सत्र का संचालन अतिथि प्रवक्ता रवि पंडित ने किया। दूसरे सत्र की शुरुआत कॉलेज के अंग्रेजी विभाग की छात्रा प्रतिभा कारक द्वारा राष्ट्रप्रेम पर आधारित गीत के साथ हुई। इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए विद्यासागर विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि आजादी के सात दशक बाद भी प्रेमचंद के सपनों का भारत नहीं बन पाया।गरीबों, दलितों, वंचितों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिली।वे राजनीतिक परिवर्तन के साथ सामाजिक क्रांति की अपेक्षा रखते हैं ताकि मानवीय संस्कृति का विकास हो सके। बतौर वक्ता विद्यासागर विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. श्रीकांत द्विवेदी ने कहा कि प्रेमचंद के पात्र जीवन में छोटे-छोटे संघर्षों के बीच अपनी मुक्ति का स्वप्न देखते हैं।वे भारतीय जनमानस के लेखक हैं। मिदनापुर ऑटोनोमस कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रणजीत सिन्हा ने कहा कि प्रेमचंद हिंदी और उर्दू समाज में समान रूप से स्वीकृत हैं।उन्होंने भारतीय समाज को खंड-खंड में देखने के बजाय समग्रता में देखा। खड़गपुर कॉलेज के प्राध्यापक डॉ. संजय पासवान ने कहा कि प्रेमचंद वंचितों के लेखक हैं। इस सत्र में राकेश चौबे, मधु सिंह एवं सोनम सिंह ने आलेख पाठ किया। इस अवसर पर अंकिता द्विवेदी ने काव्य पाठ किया। इस अवसर पर कॉलेज स्तर पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागी प्रथम स्थान के लिए संयुक्त रूप से रुथ कर एवं नेहा शर्मा को द्वितीय और तृतीय के लिए क्रमशः पायल गुप्ता और लता मेहरा को पुरस्कृत किया गया। इस सत्र का संचालन अतिथि प्रवक्ता पंकज सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापिका सुमिता भकत ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।