Wednesday, September 17, 2025
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खूंखार बाघ के जबड़े से 15 महीने के मासूम को माँ ने बचाया

उमरिया । अपने बच्चे की हिफाजत के लिए मां दुनिया का बड़े से बड़ा खतरा भी मोल ले सकती है। मध्य प्रदेश में एक महिला ने भी ऐसी ही मिसाल पेश की है और अब उसकी बहादुरी के चर्चे पूरे इलाके में हैं। उमरिया जिले में रहनी वाली महिला अपने 15 महीने के बच्चे को बचाने के लिए बाघ से भिड़ गई और हिम्मत दिखाते हुए खूंखार जानवर के चंगुल से बच्चे को बचाकर ले आई। इस दौरान बच्चे और उसकी मां को कुछ चोटें भी आई हैं और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बाघ के जबड़े में था मासूम बच्चा
घटना उमरिया जिले के बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य के रोहनिया गांव की है। यहां एक 25 वर्षीय महिला ने अपने बच्चे की जान बचाने के लिए वो कर दिया जिसे पूरा प्रशासन भी मिलकर नहीं कर सका। घटना के मुताबिक अर्चना चौधरी नाम की महिला अपने बेटे रविराज को शौच कराने के लिए खेत में ले गई थी, तभी बाघ ने उस पर हमला कर दिया और बच्चे को जबड़े से पकड़ लिया, इस पर महिला ने अपने बेटे को बचाने की कोशिश की तो बाघ ने उस पर भी हमला कर दिया।
महिला ने बताया कि वह अपने बच्चे को बचाने के लिए लगातार कोशिश करती रही। इस दौरान उसने शोर मचाया तो कुछ ग्रामीण वहां पहुंच गए। ग्रामीणों ने जब बाघ का पीछा किया तो वह बच्चे को छोड़कर जंगल में भाग गया. महिला के पति भोला प्रसाद ने कहा कि उनकी पत्नी को कमर, हाथ और पीठ पर चोटें आई हैं वहीं बेटे के सिर और पीठ में चोट लगी है। वनरक्षक राम सिंह मार्को ने कहा कि महिला और उसके बेटे को तुरंत मानपुर के स्वास्थ्य केंद्र में शुरुआती इलाज दिया गया फिर उमरिया के जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

 

 

भारतीय मूल की प्रोफेसर बनी ‘इमर्जिंग लीडर इन हेल्थ एंड मेडिसिन स्कॉलर’

ह्यूस्टन । भारतीय मूल की प्रोफेसर स्वाति अरूर को ‘नेशनल अकैडमी ऑफ मेडिसिन’ (एनएएम) ने वर्ष 2022 के लिए ‘इमर्जिंग लीडर इन हेल्थ एंड मेडिसिन स्कॉलर’ चुना है। अरूर टेक्सास विश्वविद्यालय में ‘एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर’ में जेनेटिक्स की प्रोफेसर और उपाध्यक्ष हैं।
एमडी एंडरसन की स्थापना 2016 में हुई थी और अरूर इस प्रतिष्ठित समूह में शामिल की जाने वाली फैकल्टी की पहली सदस्य हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर उनका जुनून तब से जगजाहिर है जब वह 1991-1994 में दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक कर रही थीं और उन्होंने एचआईवी पीड़ित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए एक गैर सरकारी संगठन की शुरुआत की थी।
अरूर ने 2001 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से माइक्रोबायलॉजी में पीएचडी किया और इसके बाद कनेक्टिकट विश्वविद्यालय से परास्नातक की पढ़ाई की। एमडी एंडरसन के अध्यक्ष पीटर पिस्टर्स ने कहा, ‘‘हमें प्रसन्नता है कि नेशनल एकैडमी ऑफ मेडिसिन ने लाइफ साइंस के क्षेत्र में डॉ अरूर के योगदान और बेहतरीन नेतृत्व को मान्यता दी।’’
पिस्टर्स ने कहा, ‘‘कैंसर मेटास्टेसिस अनुसंधान को आगे बढ़ाने की उनकी लगन, विशेषज्ञता और कार्य हमारे प्रतिष्ठान के लिए अनमोल हैं और हम उन्हें चुने जाने का स्वागत करते हैं।’’‘एनएएम इमर्जिंग लीडर फोरम’ वाशिंगटन में 18-19 अप्रैल 2023 को आयोजित किया जाएगा।
अरूर ने अपने चयन पर कहा, ‘‘हमारे पास सर्वश्रेष्ठ दुनिया नहीं है। बल्कि विश्व हमारे कार्यों का प्रतिबिंब है कि हम पीछे क्या छोड़ कर जाएंगे और आगे क्या कीमत चुकाएंगे।’उन्होंने कहा, ‘‘उभरती हुई शख्सियत के तौर पर नामित होना न केवल एक सम्मान है बल्कि यह मुझे वैश्विक शख्सियतों के साथ काम करने और उनसे सीखने का एक मौका भी देगा…।’’

कल्याण चौबे बने एआईएफएफ के पहले खिलाड़ी अध्यक्ष

नयी दिल्ली । अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को अपने 85 साल के इतिहास में पहली बार कल्याण चौबे के रूप में पहला ऐसा अध्यक्ष मिला जो पूर्व में खिलाड़ी रह चुके हैं। चौबे ने अध्यक्ष पद के चुनाव में पूर्व दिग्गज फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया को हराया।
मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के पूर्व गोलकीपर 45 वर्षीय चौबे ने 33-1 से जीत दर्ज की। उनकी जीत पहले ही तय लग रही थी क्योंकि पूर्व कप्तान भूटिया को राज्य संघों के प्रतिनिधियों के 34 सदस्यीय निर्वाचक मंडल में बहुत अधिक समर्थन हासिल नहीं था।
सिक्किम के रहने वाले 45 वर्षीय भूटिया का नामांकन पत्र भरते समय उनके राज्य संघ का प्रतिनिधि भी प्रस्तावक या अनुमोदक नहीं बना था।
पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर सीट से हारने वाले भाजपा के राजनीतिज्ञ चौबे कभी भारतीय सीनियर टीम से नहीं खेले हालांकि वह कुछ अवसरों पर टीम का हिस्सा रहे थे।
उन्होंने हालांकि आयु वर्ग के टूर्नामेंट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वह मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के लिए गोलकीपर के रूप में खेले हैं। भूटिया और चौबे एक समय ईस्ट बंगाल में साथी खिलाड़ी थे।
कर्नाटक फुटबॉल संघ के अध्यक्ष और कांग्रेस के विधायक एनए हारिस ने उपाध्यक्ष के एकमात्र पद पर जीत दर्ज की। उन्होंने राजस्थान फुटबॉल संघ के मानवेंद्र सिंह को हराया। अरुणाचल प्रदेश के किपा अजय ने आंध्र प्रदेश के गोपालकृष्णा कोसाराजू को हराकर कोषाध्यक्ष पद हासिल किया।
कोसाराजू ने अध्यक्ष पद के लिए भूटिया के नाम का प्रस्ताव रखा था जबकि मानवेंद्र ने उसका समर्थन किया था। कार्यकारिणी के 14 सदस्यों के लिए इतने ही उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था और उन्हें निर्विरोध चुना गया।

टाटा मोटर्स की बिक्री में 36 प्रतिशत की वृद्धि, हुई 78,843 इकाई

नयी दिल्ली । वाहन कंपनी टाटा मोटर्स की अगस्त, 2022 में कुल बिक्री 36 प्रतिशत बढ़कर 78,843 इकाई हो गई। वाहन क्षेत्र प्रमुख कंपनी ने पिछले साल के इसी महीने में 57,995 इकाइयों की बिक्री की थी। अगस्त में टाटा मोटर्स की कुल घरेलू बिक्री 41 प्रतिशत बढ़कर 76,479 इकाई हो गई। कंपनी ने अगस्त, 2021 में 54,190 इकाइयां डीलरों को भेजी थी।
घरेलू बाजार में यात्री वाहनों की बिक्री पिछले महीने 68 प्रतिशत बढ़कर 47,166 इकाई पर पहुंच गई। एक साल पहले यह आकंड़ा 28,018 इकाई रहा था।
पिछले महीने घरेलू बाजार में कंपनी की वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 12 प्रतिशत बढ़कर 29,313 इकाई हो गई। पिछले साल इसी महीने में कंपनी 26,172 वाणिज्यिक वाहन बेचे थे।

प्रख्यात अर्थशास्त्री अभिजीत सेन का निधन

नयी दिल्ली । योजना आयोग के पूर्व सदस्य एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रमुख विशेषज्ञों में से एक अभिजीत सेन का सोमवार रात निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे।
सेन के भाई डॉ. प्रणब सेन ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘अभिजीत सेन को रात करीब 11 बजे दिल का दौरा पड़ा। हम उन्हें अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक उनका निधन हो चुका था।’’

सेन का कॅरियर चार दशक से अधिक लंबा रहा। वह कैम्ब्रिज के ऑक्सफोर्ड में तथा नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अर्थशास्त्र पढ़ा चुके हैं। कई महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं, जिसमें कृषि लागत और मूल्य आयोग का अध्यक्ष पद भी शामिल है।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान सेन 2004 से 2014 तक योजना आयोग के सदस्य रहे।

सेन को 2010 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सत्ता में आने पर, उसने सेन को ‘‘दीर्घकालिक अनाज नीति’’ बनाने के वास्ते एक उच्च स्तरीय कार्यबल के प्रमुख का पद सौंपा। सेन गेंहू और चावल के लिए सार्वभौमिक जन वितरण प्रणाली के घोर समर्थक थे।

उनका तर्क था कि खाद्य पदार्थों पर दी जाने वाली रियायतों से राजकोष पर पड़ने वाले बोझ को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है, जबकि देश के पास न सिर्फ सार्वभौमिक जन वितरण प्रणाली को सहयोग देने के लिए बल्कि किसानों को उनके उत्पाद के उचित मूल्य की गारंटी देने के लिए भी पर्याप्त वित्तीय संभावनाएं हैं।

सेन संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), एशियाई विकास बैंक, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन, कृषि विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष और ओईसीडी विकास केंद्र जैसे अनेक वैश्विक अनुसंधान एवं बहुपक्षीय संगठनों से भी जुड़े रहे।

उनके भाई प्रणब सेन ने बताया कि अभिजीत सेन पिछले कुछ वर्षों से श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे, जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान और बढ़ गई। उनके परिवार में पत्नी जयती घोष और बेटी जाह्नवी है। सेन की पत्नी भी जानी मानी अर्थशास्त्री हैं।

अंबानी ने पुत्री ईशा को बताया रिलायंस के खुदरा कारोबार का प्रमुख

मुंबई । रिलायंस समूह के प्रमुख मुकेश अंबानी द्वारा सोमवार को अपनी पुत्री ईशा का परिचय समूह के खुदरा कारोबार के मुखिया के तौर पर कराए जाने के साथ ही उत्तराधिकार योजना के पुख्ता संकेत मिल गए हैं।
अंबानी इसके पहले अपने बेटे आकाश को समूह की दूरसंचार इकाई रिलायंस जियो का चेयरमैन नामित कर चुके हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की 45वीं सालाना आमसभा (एजीएम) में अंबानी ने ईशा का परिचय खुदरा कारोबार के अगुवा के तौर पर कराया। उन्होंने ईशा को खुदरा कारोबार के बारे में बोलने के लिए बुलाते समय इसका मुखिया बताया।

ईशा ने व्हॉट्सएप का इस्तेमाल कर ऑनलाइन किराना ऑर्डर करने और ऑनलाइन भुगतान करने से संबंधित एक प्रस्तुति भी दी। 65 वर्षीय मुकेश अंबानी की तीन संतानें हैं। ईशा और आकाश दोनों जुड़वां भाई-बहन हैं जबकि सबसे छोटे अनंत हैं। ईशा की शादी पीरामल समूह के आनंद पीरामल से हुई है।

रिलायंस समूह के मुख्यतः तीन व्यवसाय हैं जो तेल शोधन एवं पेट्रो-रसायन, खुदरा कारोबार और डिजिटल कारोबार (दूरसंचार शामिल) हैं। इनमें से खुदरा और डिजिटल कारोबार पूर्ण-स्वामित्व वाली इकाइयों के अधीन हैं वहीं तेल-से-रसायन या ओ2सीकारोबार रिलायंस के तहत आता है। नवीन ऊर्जा कारोबार भी मूल कंपनी का ही हिस्सा है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि मुकेश अंबानी अपने छोटे बेटे अनंत को तेल एवं ऊर्जा कारोबार का जिम्मा सौंप सकते हैं।

स्वच्छ, किफायती पानी लाभ कमाने वाली निजी कंपनियों के हाथों में क्यों नहीं होना चाहिए : शोध

लंदन । इंग्लैंड की जल कंपनियां इस गर्मी में भारी आलोचना का शिकार हुई हैं। जुलाई में पड़ी भारी गर्मी के कारण कई क्षेत्रों में सूखे की स्थिति घोषित कर दी है, जबकि रिसाव के कारण हर दिन 3 अरब लीटर पानी बर्बाद हो जाता है।
यह कंपनियां उनके द्वारा किए जाने वाले प्रदूषण के कारण आलोचना के घेरे में आ गई हैं। इंग्लैंड की केवल 14% नदियाँ पारिस्थितिक स्थिति के लिहाज से‘‘अच्छी’’ होने के मानदंड को पूरा करती हैं। नदियों और समुद्रों में सीवेज का बढ़ना एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है, पर्यावरण एजेंसी ने सबसे गंभीर घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए जेल की सजा का आह्वान किया है।
इस बीच इन कंपनियों के शेयरधारकों और निवेशकों को भरपूर लाभ हुआ है। 2021 से पहले के 12 वर्षों में, इंग्लैंड की नौ जल और सीवरेज कंपनियों ने लाभांश के रूप में प्रति वर्ष औसतन £1.6 अरब पाउंड का भुगतान किया। निदेशकों का वेतन भी बढ़ गया है। टेम्स वाटर की नयी सीईओ को 2020 में कंपनी में शामिल होने पर £31 लाख पाउंड का ‘‘गोल्डन हैलो’’ मिला।
हमारा नवीनतम शोध इस बात की जांच करता है कि निजी इक्विटी निवेशक इंग्लैंड की जल कंपनियों के स्वामित्व पर हावी हो गए हैं – और वे सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों की तुलना में काफी कम पारदर्शिता के साथ कैसे काम करते हैं और लाभ निकालने के लिए अधिक आक्रामक दृष्टिकोण रखते हैं।
लाभांश के ये उच्च स्तर, निदेशकों को वेतन (और ऋण वित्त, जो कुछ कंपनियों को ब्याज दरों में वृद्धि के रूप में तेजी से डांवाडोल कर सकता है) का भुगतान जल उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है। इनमें से कई ग्राहकों को भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है और यह रकम उनके संकटपूर्ण जीवन यापन को और भी अधिक तनाव में डाल देती है।
कुल मिलाकर, इंग्लैंड की जल प्रणाली सामान्य घरों के माध्यम से काम करती है, जो उनके द्वारा की जाने वाली पानी की खपत के बदले में मिलने वाली राशि को बड़े पैमाने पर अज्ञात शेयरधारकों को जटिल कॉर्पोरेट संरचनाओं के माध्यम से उदार रिटर्न का वित्तपोषण करते हैं।
तो इस सब में विनियमन को क्या हो गया है? हमारे पेपर में, हम तर्क देते हैं कि नियामक प्रक्रिया – जिसमें इंग्लैंड में गुणवत्ता, पर्यावरणीय प्रभाव और कीमतों के लिए जिम्मेदार तीन अलग-अलग एजेंसियां – निवेशकों, उपभोक्ताओं और पर्यावरण के हितों के बीच उचित संतुलन कायम करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करती हैं।
लाभ से प्रेरित जल कंपनियों को व्यापक सामाजिक हित में काम करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता है। उन्हें ग्राहकों से जो राशि वसूल करने की इजाजत दी गई है वह भविष्य की लागतों के अनुमानों और पानी की गुणवत्ता, प्रदूषण की घटनाओं, रिसाव और खपत से संबंधित कुछ लक्ष्यों को प्राप्त करने पर आधारित हैं।
इसके परिणाम कुछ अजीब हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, सरकार चाहती है कि 2050 तक पानी की खपत लगभग 140 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन से गिरकर 110 लीटर हो जाए। अगर ऐसा होता है, तो पानी कंपनियां कीमतों में वृद्धि करने में सक्षम होंगी। मतलब यह कि हम अपने उपभोग में कमी करके उन्हें अधिक भुगतान भी करेंगे।
किसी अन्य देश ने इंग्लैंड के उदाहरण का अनुसरण नहीं किया है, और अन्य देशों में पानी बड़े पैमाने पर सार्वजनिक क्षेत्र में है। 25 साल के निजी नियंत्रण के बाद पेरिस ने 2010 में अपना पानी वापस सार्वजनिक स्वामित्व में ले लिया। एक साल बाद, सार्वजनिक प्रबंधन के कारण बचत के परिणामस्वरूप पानी की कीमत में 8% की कटौती की गई।
सार्वजनिक स्वामित्व पर स्विच करना आसान नहीं है, लेकिन एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि यह यूरोप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इससे न केवल पानी सस्ता होगा, बल्कि लंबे समय में, मुनाफे के पुनर्निवेश के साथ लागत में कमी की संभावना है, और सार्वजनिक स्वामित्व से अधिक पारदर्शिता होनी चाहिए।
मौजूदा व्यवस्था काम नहीं कर रही है। सीधे शब्दों में कहें, तो पानी से जुड़े सार्वजनिक हित को पूरा करने के दौरान निजी कंपनियों को लाभ प्रोत्साहन देना असंभव है। चरम मौसम की घटनाओं का बढ़ना तय लग रहा है और ऐसे में पानी को सार्वजनिक स्वामित्व में होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि निजी मुनाफे पर सामाजिक और पर्यावरणीय परिणामों को प्राथमिकता दी जा सकती है।
निजी क्षेत्र की दक्षता में एक वैचारिक विश्वास के साथ इंग्लैंड के पानी का निजीकरण किया गया था। लेकिन 33 वर्षों के बाद, निजी स्वामित्व प्रयोग विफल हो गया है।

शिक्षकों के मनोविज्ञान और उनकी मनोदशा को समझा जाए

सितम्बर का महीना शिक्षकों और हिन्दी के नाम रहता है। आज शिक्षक दिवस है और तरह – तरह के आयोजन हो रहे हैं। 5 सितम्बर ऐसा दिन है जब शिक्षकों की बात की जाती है, उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है। कहने की जरूरत नहीं है कि विद्यार्थी इस दिन को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं मगर सवाल यह भी है कि शिक्षकों को समझने की जरूरत तो बनी हुई है और शिक्षक समझें, यह भी जरूरी है। आज के शिक्षक नागार्जुन के शिक्षक की तरह नहीं हैं, वह शिक्षक जो भुखमरी का शिकार हो गया। ऐसा नहीं है कि यह स्थिति अभी तक मिट गयी है मगर यह तो सच है कि शिक्षकों की जीवन शैली में सुधार आया है। परिवर्तन की यह गंगा अभी जमीनी स्तर पर नहीं पहुँची और शिक्षण भी एक सुनिश्चित सेटल जीवन की आकांक्षा पूरा करने वाला कार्यक्षेत्र ही अधिक रह गया है। विषमता तो हर ओर है और सत्य यह है कि शहर के शिक्षक गांवों में पढ़ाना नहीं चाहते और गांव के शिक्षक गांव में रहना नहीं चाहते। जो उच्च शिक्षा प्राप्त शिक्षक हैं, उनको स्कूलों में पढ़ाना अपनी शिक्षा की बर्बादी लगता है और वह हीनता बोध से ग्रस्त हैं। वस्तुतः शिक्षकों पर बढ़ते कार्यभार के बीच विद्यार्थियों के प्रति उनकी सोच को समझने की जरूरत है। तकनीक और किताबों के बीच संतुलन साधने की जरूरत है। जरूरी है कि शिक्षकों के मनोविज्ञान और उनकी मनोदशा को समझा जाए और उसके अनुरूप ही नीतियाँ बनायी जाएं। इससे भी ज्यादा जरूरी है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था का आधार आंकड़ों पर नहीं जमीनी सच्चाई पर टिका हो तभी शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

एमसीसीआई में भारत – चीन व्यापार पर चर्चा

कोलकाता । मर्चेन्ट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआई) द्वारा हाल ही में भारत एवं चीन के व्यापारिक सम्बन्धों पर एक परिचयात्मक सत्र आयोजित किया गया। चीन के इकोनॉमिक एवं कर्मशियल कौंसुल झांग होंग्जी इस अवसर पर उपस्थित थे। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि भारत – चीन का व्यापार 2021 में 125.6 बिलियन डॉलर का रहा और इसमें 42.3 प्रतिशत की वृद्धि रही। उन्होंने चीनी उत्पादों की गुणवत्ता को सराहते हुए वर्तमान समय को भारत के विकास का सर्वश्रेष्ठ दौर बताया। उन्होंने पड़ोसी देशों से व्यापारिक सम्बन्ध मजबूत करने का परामर्श दिया। एमसीसीआई के अध्यक्ष ऋषभ कोठारी ने अपने स्वागत भाषण में पश्चिम बंगाल में चीन की साझेदारी में चल रहे दुर्गापुर की एरोट्रोपिलस परियोजना की चर्चा की। धन्यवाद एमसीसीआई के उपाध्यक्ष नमित बाजोरिया ने दिया।


एमसीसीआई में स्टार्टअप और उद्यमिता के मनोविज्ञान पर परिचर्चा
कोलकाता । एमसीसीआई में स्टार्टअप और उद्यमिता के मनोविज्ञान पर परिचर्चा आयोजित की गयी। परिचर्चा को ओलम इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक एवं सीएचआरओ जयदीप बोस ने कहा कि उद्यमी के पास दूरदृष्टि, प्रेरणा, रणनीतिक विचार और रणनीति का क्रियान्वयन होना चाहिए। काफी हद तक, उद्यमी के लिए मूल्य महत्वपूर्ण हैं और व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ मूल्यों पर विचार किया जाना चाहिए।
इंस्टीट्यूट ऑफ साइक्रेटरी के आरएमओ एवं क्लिनिकल ट्यूटर वरिष्ठ मनोचिकित्सक सुबीर हाजरा चौधरी ने कहा कि व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में एक आदर्श बदलाव आया है। उद्यमिता को उद्यम पूंजी पारिस्थितिकी तंत्र में स्थानांतरित कर दिया गया है।
सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी बासव दासगुप्ता ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों नए उद्यम के लिए बहुत से सुविधाजनक व्यावसायिक समर्थन के साथ आए हैं। एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल, ई-कॉमर्स आदि जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ने के बड़े अवसर हैं। नए उद्यमी को संरचनात्मक के अलावा असंरचित गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए। व्यवसाय में मूल्य उद्यमी के लिए सफलता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
एमसीसीआई की स्टार्टअप एवं स्किल डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष स्मरजीत मित्रा ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि एमसीसीआई स्टार्ट अप कम्युनिटी और भावी उद्यमियों को मेंटरिंग और हैंड होल्डिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए जल्द ही एमसीसीआई स्टार्ट अप हेल्प डेस्क के साथ आएगा।

 

शी ने प्रदान किये टीचर्स एक्सिलेंस अवार्ड्स

कोलकाता । शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शी की ओर से शिक्षकों को सम्मानित किया गया। गत 3 सितंबर को श्री शिक्षायतन परिसर में भुवलका हॉल में शिक्षायतन फाउंडेशन, मीनू साड़ी द्वारा संचालित और धनवंतरी द्वारा सह-संचालित  इस कार्यक्रम में कई शैक्षणिक पेशेवरों, शिक्षकों, संस्थागत प्रमुखों, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, उद्यमियों, फैशन जगत के लोगों ने भाग लिया। शी की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम का यह दूसरा वर्ष था।
शी की संस्थापक शगुफ्ता हनाफी ने कहा, “शिक्षक छात्रों के लिए मार्गदर्शक शक्ति हैं, जो उन्हें अच्छा मनुष्य एवं समाज के लिए मूल्यवान सदस्य बनाते हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय स्वर्गीय जुनैद आलम, रक्षिता जबीन और मीना खातून को देते हुए कहा कि टीचर्स एक्सीलेंस अवार्ड मेरे शिक्षकों और उन सभी शिक्षकों के लिए मेरी गुरु दक्षिणा है, जो अपने विद्यार्थियों में विश्वास करते हैं।
शिक्षायतन फाउंडेशन की महासचिव ब्रतती भट्टाचार्य ने कहा, ‘ कोविड के कारण शिक्षा में परिवर्तन आया है। शिक्षा और तकनीक का मेल समय की जरूरत है। शिक्षकों के योगदान को सम्मानित करने के लिए द्वितीय शिक्षक उत्कृष्टता पुरस्कार’ इस दिशा में एक ऐसा ही कदम है। इसका उद्देश्य राज्य के कुछ सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों के विशिष्ट योगदान को पहचानना और उनका सम्मान करना है। विजेताओं को कल पुरस्कार शाम को ज्ञान सेनानियों के रूप में याद किया गया है।
समारोह में प्राथमिक, मिडिल, सेकेंडरी, सीनियर सेकेंडरी स्तर के 16 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इनमें से 4 मानद पुरस्कार थे जबकि शेष शिक्षकों का चुनाव नामांकन के आधार पर किया गया। निर्णायकों में श्री शिक्षायतन फाउंडेशन की महासचिव ब्रतती भट्टाचार्य, बी डी मेमोरियल की निदेशक सुमन सूद, सेंट जेवियर्स स्कूल की वरिष्ठ शिक्षिका जयता बसु, बेस्ट फ्रेंड्ज की 2022-2023 की चेयरपर्सन पायल वर्मा एवं वैश्विक कलाकार ओंकार दर्दाकर।
सम्मानित होने वालों में प्रदीप चोपड़ा (आयरन मैन ऑफ द इयर), इमरान जाकी (आईकॉन एडुप्रेनियर), मामून अख्तर (एडुकेशन हीरो अवार्ढ), एस.के. सिंह (एक्सिलेंस इन स्कूल लीडरशिप), आरवीन अहमद (उर्दू के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड), सीमा बाहरी (विशेष जरूरतमंदों के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान), अपाला दत्ता (प्रिंसिपल ऑफ द इयर), यश अग्रवाल (फिट एंड वेलनेस कोच ऑफ द इयर), जोसफ चाको (बियॉन्ड इकोनॉमिक्स), राजकुमारी सहारिया (वेलबिंग कोच), वसीम अहमद खान (उत्कृष्ट संगीत शिक्षक), सुधा जायसवाल (पर्य़ावरण शिक्षा के क्षेत्र में इनोवेशन), सुतपा दत्ता दासगुप्ता (टीचर ऑफ द इयर), पत्राली बनर्जी (मेकअप प्रशिक्षण में उत्कृष्टता), नीशत तबस्सुम (उत्कृष्ट बेकिंग उद्यमी), गजाला यास्मीन (उत्कृष्ट मीडिया प्रबंधन)
समारोह में विशेष अतिथि के रूप में धन्वन्तरि के निदेशक राजेंद्र खंडेलवाल,अभिनेता सुप्रतिम रॉय, शिक्षाविद् इंद्राणी गांगुली, अभिनेत्री पापिया अधिकारी, टेक्नो इंडिया के निदेशक प्रो. डॉ सुजय विश्वास, ओडिशी नृत्यांगना संचिता भट्टाचार्य, साउथ सिटी इंटरनेशनल के प्रिंसिपल जॉन बगुल समेत अन्य लोग उपस्थित थे।