Monday, September 15, 2025
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जलियाँवाला बाग हत्याकांड – हम कभी नहीं भूल सकते 13  अप्रैल 1919 का दिन

प्रियंका सिंह, पी.एच.डी.शोधार्थी, कलकत्ता विश्वविद्यालय

एक समय था जब भारत को उसकी समृद्धि और सम्पन्नता के कारण उसे सोने की चिड़िया कहा जाता था | दिन बदले, समय बदला धीरे-धीरे कब समय की वसंत ऋतु ने पतझड़ का रुख कर  लिया पता ही नहीं चला | जैसे गुड़ की मिठास के कारण उसके आस पास चीटियों का जमावड़ा हो जाता है, और देखते ही देखते चीटियां उस गुड़ को उसकी मिठास सहित चट कर जाती है| ऐसा ही कुछ हुआ भारत देश के साथ | समय- समय पर होने वाले बाहरी आक्रमण, लूट-पाट, अत्याचारों ने भारत की समृद्धि को बिलकुल नष्ट कर दिया| ईरान, यूनानी, मुगल और ब्रिटिश आदि द्वारा भारत पर किये गए आक्रमणों की एक लम्बी सूची है| जिन्होंने हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को हमसे दूर कर दिया| हालाँकि ब्रिटिश राज का कहर विश्व के अन्य देशों पर भी बरपा किन्तु यदि एक अकेले भारत की बात की जाए तो अंग्रेजों ने यहां पूरे 200  साल तक अपना आधिपत्य कायम रखा| यही कारण है कि भारतीय इतिहास का एक बड़ा हिस्सा अंग्रेजी राज द्वारा किये गए जुल्मों से भरा पड़ा है| इसकी शुरुआत सन 1608 से हुई जब अंग्रेज भारत में व्यापार करने की इच्छा से मेरठ शहर द्वारा भारत में आए ,और देखते ही देखते सम्पूर्ण भारत को ही अपना सम्राज्य बना लिया  |

इन 200 वर्षों के दौरान अलग- अलग कूटनीतियों से अंग्रेजों ने भारतीय मानसिकता को प्रभावित किया | रेल मार्ग , डाक तार व्यवस्था , स्कूल- कॉलेज आदि के निर्माण द्वारा भारतीयों के सम्मुख यह ढोंग करते रहे कि यह सब कुछ भारतीयों की सेवा में, भारत देश को समृद्ध बनाने हेतु किया जा रहा|  किन्तु वास्तव में इनकी मनसा येन केन प्रकारेण अपनी चाल बाजियों से भारत की जनता को भुलावे में डालना था| अंग्रजों द्वारा ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति हमारे समक्ष इसी का एक सशक्त उदाहरण है| यह तथ्य तो सर्वविदित है,कि समय परिवर्तनशील है |ऐसे में अब बारी थी अंग्रेजी हुकुमत के तख्तापलट की| एक न एक दिन अंग्रेजों की इन सभी जालसाजियों के प्रति आवाजों का उठना निश्चित था,और वह वही समय रहा जिसे हम 1857 के विद्रोह में रूप में जानते हैं |

1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था| यह विद्रोह दो वर्षो तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चला, और यहीं से भारत की आज़ादी की नीव पड़ी| जिसके साकार रूप को देखने का सुख  1947 में प्राप्त हुआ|  इस क्रांति के बाद अंग्रेजों की दमन नीतियां अपनी क्रूरता के साथ और भी उग्र हो गयीं | इसी क्रूरता का एक वीभस्त दृश्य १९१९ का जन संहार जलियांवाला बाग़ हत्याकांड रहा जिसकी रक्तिम छवि आज भी भारतियों में ह्रदय पटल पर अंकित हैं| जिसका हाहाकार आज भी भारतीय जनमानस के कानों में गुंजायमान है|

अंग्रेजी हुकूमत की मनमानियों के तहत सन 1919 में भारत देश में ब्रिटिश सामाज्य द्वारा कई तरह के कानून लागू किये गए| जिनका विरोध समय- समय पर भारत के अलग अलग राज्यों में हुआ| 6 फ़रवरी, साल 1919 में ब्रिटिश सरकार के इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल  में ‘रॉलेक्ट’ नामक बिल को पेश किया गया | इस बिल को ‘इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल’ ने मार्च के महीने में पास कर दिया था जिसके बाद ये बिल एक अधिनियम बन गया | इस अधिनियम की मदद से भारत की ब्रिटिश सरकार अपने खिलाफ  भारतीय क्रांतिकारियों पर काबू पाना चाहती थी और हमारे देश की आज़ादी के लिए चल रहे आंदोलन को पूरी तरह से ख़त्म करना चाहती थी | अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए इस अधिनियम का महात्मा गाँधी सहित कई नेताओं ने विरोध किया था | गाँधी जी ने इसी अधिनियम के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन को पूरे देश में शुरू किया |यह आंदोलन अपनी सार्थक गति से आगे बढ़ रहा था जिसके परिणाम स्वरुप भारी संख्या में भारतीय इस आंदोलन में अपनी सहभागिता दर्ज करवाने लगे, जो कि अंग्रेजी हुकूमत के सम्मुख एक बड़ी समस्या के तौर पर अपना मुँह बाए खड़ी थी|

13 अप्रैल 1919 ,यह बैसाखी का दिन था जिस दिन इस एक्ट के विरोध में पंजाब,अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में सभा होनी थी | इस तरह की सभा या सामूहिक जमावड़े की रोक थाम के लिए पूरे शहर में पहले से ही कर्फ्यू की घोषणा हो चुकी थी| इसके उपरांत भी बाग़ में स्वत्रंता की मांग करने वाले हज़ारों आंदोलनकारियों की भीड़ इकट्ठा थी,जो शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग मौजूदा सरकार के समक्ष रखना चाहती थी| अंग्रेजों की कूटनीति और क्रूरता का दोहरा रूप हमें एक बार फिर दिखा जब पहले इन्होने सभा के लिए बाग़ की भीड़ को जानबूझ कर इकठ्ठा होने दिया| फिर जैसे सभी भारतीयों को एक बड़ा सबक सिखाने जैसे इरादे से ‘ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर’ अपने 90 सिपाहियों के साथ बाग में पहुंचे और बिना किसी पूर्व चेतावनी के अंधाधुंध गोलियाँ चलने का आदेश दे  डाला|

आंकड़ों के अनुसार इस निर्मम हत्याकांड में करीब 379 लोग मरे गए थे और लगभग 1000 लोग घायल हुए थे| जबकि कुछ जानकारों का यह मनना था कि इस नरसंहार में मरने वालों की संख्या 1000 से पार कर चुकी थी,जबकि 1500 से ऊपर लोग घायल हुए थे | इस हत्याकांड में जाने कितने ही परिवार जनरल डायर के एक आदेश से उनकी गोलियों का निशाना बन गए| बैसाखी  का त्यौहार एक कारण था जिसके तहत उस सभा में महिलाओं सहित बच्चों की उपस्थिति भी भारी मात्रा में थी फलतः वे सब भी इस नरसंहार की भेंट चढ़ गए |

अमृतसर में भारतीयों द्वारा दी गई ये क़ुरबानी व्यर्थ नहीं गई | इस घटना ने स्वतंत्रता की लड़ाई में उस धधकती ज्वाला का कार्य किया जिसमें अंततः सन ११९४७ में अंग्रेजी हुकूमत का दहन हुआ |यह हत्याकांड स्वतंत्रता संग्राम में बड़े बदलाव का कारण बनी | विशेष कर  पंजाब के लोगों में यह आक्रोश बन कर उभरा| ब्रिटिश सरकार की ये क्रूरता बाग की दीवारों पर गोलियों के निशान के रूप में आज भी अंकित है| भारतीयों के लिए जलियांवाला बाग़ हत्याकांड उनके इतिहास की सबसे दारुण घटना का उदाहरण बन कर आज भी उनकी संवेदनाओं को झंकृत करती रहती है |भारत की यह स्वतंत्रता ऐसे ही न जाने कितने बलिदानों का प्रतिफल है|

 

‘तेलंगाना टी चैंपियनशिप 2023’ का दूसरा संस्करण सम्पन्न

कोलकाता । हाइबिज.टीवी द्वारा प्रतियोगिता ‘तेलंगाना टी चैंपियनशिप’ के दूसरे संस्करण का सफल आयोजन टी बोर्ड इंडिया और भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के समर्थन से हैदराबाद के एचआईसीसी, नोवोटेल में किया गया। इस टी चैंपियनशिप के दूसरे संस्करण में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और टी बोर्ड इंडिया ने अहम भूमिका निभाई। वर्ष 2022 में इस प्रतियोगिता को लॉन्च किया गया था। इसकी अपार सफलता के कारण वर्ष 2023 में इसके दूसरे संस्करण का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए किसी तरह का प्रवेश शुल्क नही रखा गया था। इसके कारण इस प्रतियोगिता का हिस्सा बनने के लिए महिला प्रतिभागियों में काफी उत्साह देखा गया। इस प्रतियोगिता में 200 के करीब महिला प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में जीत के साथ प्रथम स्थान प्राप्त करनेवाली प्रभा ने 1 लाख रुपये का पहला पुरस्कार जीता। पोटलुरी माधवी ने 50,000 रुपये का दूसरा पुरस्कार जीता और सीतामराजू नागा कमला ने 25,000 रुपये का तीसरा पुरस्कार जीता। इसके अतिरिक्त पांच अन्य महिलाओं को 10-10 हजार रुपये का सांत्वना पुरस्कार भी सौंपा गया।

इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, ‘हममें से अधिकतर लोगों की प्रत्येक दिन की शुरूआत एक कप चाय की कड़क प्याली के साथ शुरू होती है। इस तरह के अभूतपूर्व कार्यक्रम का आयोजन कर सभी प्रतिभाशाली महिलाओं को एक मंच पर लाने के लिए हाइबिज.टीवी प्रबंधन को हार्दिक बधाई। उन्होंने चाय की ताकत के बारे ध्यान आकर्षित करते हुए सभी को याद दिलाया कि ‘चाय में इतनी ताकत है कि चाय बेचने वाला देश का प्रधान मंत्री बन गया है’

इस कार्यक्रम में फाल्गुनी बनर्जी (टी डेवलपमेंट के उप निदेशक, टी बोर्ड इंडिया), दरवेश अनीस अहमद (मैनेजिंग पार्टनर, द नीलगिरी टी एम्पोरम), एम राजगोपाल (प्रबंध निदेशक, हाइबिज.टीवी) और संध्या रानी (सीईओ, हाइबिज.टीवी) के साथ समाज की अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इस कार्यक्रम में शामिल थे।

रामनवमी पर विशेष – जानिए श्रीराम के जन्म से संबंधित कुछ तथ्य

भगवान श्रीराम के जन्म को लेकर इतिहाकारों और पुराणों के जानकारों के बीच मतभेद है। इस बीच उन पर हुए शोध कुछ और ही कहते हैं। शोधकर्ताओं ने पुराणों के साक्ष्य को समझकर राम के जन्म के संबंध में बहुत ही रोचक विवरण प्रस्तुत किया है। श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था या नहीं?
जानते हैं कि प्रभु श्रीराम का जन्म कब हुआ था।
1. वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे, तब हुआ था। इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, बृहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था। (बाल कांड 18/श्लोक 8, 9)।…जन्म सर्ग 18वें श्लोक 18-8-10 में महर्षि वाल्मीकिजी ने उल्लेख किया है कि श्री राम जी का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अभिजीत मुहूर्त में हुआ था।
मानस के बाल काण्ड के 190वें दोहे के बाद पहली चौपाई में तुलसीदासजी ने भी इसी तिथि और ग्रह-नक्षत्रों का जिक्र किया है।
2. शोधकर्ता डॉ. वर्तक पीवी वर्तक के अनुसार ऐसी स्थिति 7323 ईसा पूर्व 4 दिसंबर में ही निर्मित हुई थी, लेकिन प्रोफेसर तोबयस के अनुसार जन्म के ग्रहों के विन्यास के आधार पर 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व हुआ था। उनके अनुसार ऐसी आका‍शीय स्थिति तब भी बनी थी। तब 12 बजकर 25 मिनट पर आकाश में ऐसा ही दृष्य था जो कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है।
3. ज्यादातर शोधकर्ता प्रोफेसर तोबयस के शोध से सहमत हैं। इसका मतलब यह कि राम का जन्म 10 जनवरी को 12 बजकर 25 मिनट पर 5114 ईसा पूर्व हुआ था? -संदर्भ : (वैदिक युग एवं रामायण काल की ऐतिहासिकता: सरोज बाला, अशोक भटनाकर, कुलभूषण मिश्र)
यूनीक एग्जीबिशन ऑन कल्चरल कॉन्टिन्यूटी फ्रॉम ऋग्वेद टू रोबॉटिक्स नाम की इस एग्जीबिशन में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार भगवान राम का जन्म 10 जनवरी, 5114 ईसापूर्व सुबह बारह बजकर पांच मिनट पर हुआ (12:05 ए.एम.) पर हुआ था। कुछ जानकार 21 फरवरी का जिक्र करते हैं।
4. राम की वंशावली के आधार पर : वंशवली के जानकर लाखों वर्ष के युग की धारणा को कल्पित मानते हैं। क्योंकि पहली बात तो यह कि युग का मान स्पष्ट नहीं है। दूसरी बात यह कि यदि आप भगवान श्रीराम की वंशावली के मान से गणना करते हैं तो यह लाखों नहीं हजारों वर्ष की बैठती है। जैसे श्रीराम के बाद उनके पुत्र लव और कुश हुए फिर उनकी पीढ़ियों में आगे चलकर महाभारत काल में 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए। इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए।
वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग भी राम के पुत्र कुश के वंशज है।
महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे। अब यदि तीन पीढ़ियों का काल लगभग 100 वर्ष में पूर्ण होता है तो इस मान से श्रीराम को हुए कितने हजार वर्ष हुए हैं आप इस 309 पीढ़ी के मान से अनुमान लगा सकते हैं।
5. पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था। इसका मतलब 3102+2021= 5123 वर्ष कलियुग के बीत चूके हैं। उपरोक्त मान से अनुमानित रूप से भगवान श्रीराम का जन्म द्वापर के 864000 + कलियुग के 5123 वर्ष = 869123 वर्ष अर्थात 8 लाख 69 हजार 123 वर्ष हो गए हैं प्रभु श्रीराम को हुए। परंतु यह धारणा इतिहासकारों के अनुसार सही नहीं है, जो वाल्मीकि रामायण में लिखा है वही सही माना जा सकता है।

(साभार – वेबदुनिया)

स्वदेश दर्शन योजना में उत्तराखंड सम्मानित

नयी दिल्ली / देहरादून । उत्तराखंड राज्य के टिहरी जनपद में स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत निर्मित लॉग हट्स को सर्वश्रेष्ठ लॉग हट्स की श्रेणी में रनर अप के तौर पर सम्मानित किया गया । राज्य को यह सम्मान पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्वदेश दर्शन योजना के तहत प्रदान किया गया। इस दो दिवसीय चिंतन शिविर में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया । उत्तराखंड से राज्य के पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज को केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा सम्मान दिया गया । इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा , ”  राज्य को साहसिक, जिम्मेदार व सतत पर्यटन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए सम्मानित किया गया । इसके अलावा आज का यह सम्मान हमें और अच्छा करने के लिए प्रेरित करता है। स्वदेश दर्शन योजना 2.0 के अंतर्गत पिथौरागढ़ के आदि कैलाश, ओम पर्वत, मुनस्यारी , चंपावत जिले के चूका, में पर्यटन अवस्थापनाओं के लिए विकासाधीन हैं। वहीं हेरिटेज सर्किट के लिए कटारमल , जागेश्वर , बैजनाथ देवीधुरा आदि स्थलों को विकसित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ” राज्य को लॉग हट श्रेणी में सम्मानित किया जाना अपने आप में गर्व का विषय है। राज्य को सर्वश्रेष्ठ लॉग हट गंतव्य बनाने के लिए स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत टिहरी स्थित सिराई में 20 लॉग हट्स का निर्माण किया गया है , जिसके लिए कुल 11 करोड़ 30 लाख की राशि आवंटित की गयी । लॉग हट आधुनिक युग में पर्यटन के लिए मील का पत्थर साबित होगा । यह ईको फ्रेंडली होने के साथ साथ इंसुलेटर का भी काम करता है अर्थात इसमें ठहरने वाले पर्यटक गर्मी में शीतलता और सर्दी में गर्म माहौल का अनुभव कर सकते हैं”।

काकुड़गाछी में खुला पन्ना डायमंड वर्ल्ड ज्वेलर्स का नया स्टोर

कोलकाता । पन्ना डायमंड वर्ल्ड ज्वेलर्स” का नया स्टोर काकुड़गाछी में खुला है। स्टोर का उद्घाटन सीएस डॉ. व अधिवक्ता ममता बिनानी ( अध्यक्ष, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम, पश्चिम बंगाल चैप्टर), पन्ना डायमंड वर्ल्ड ज्वेलर्स के निदेशक ओमप्रकाश अग्रवाल, पन्ना डायमंड वर्ल्ड ज्वेलर्स के निदेशक श्याम सुंदर चौधरी, पन्ना डायमंड वर्ल्ड ज्वेलर्स के निदेशक दिलीप कुमार अग्रवाल और पन्ना डायमंड वर्ल्ड ज्वेलर्स के निदेशक पिंटू अग्रवाल ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर समाज की कई प्रतिष्ठित हस्तियां भी यहां मौजूद थे। शोरूम की लॉन्चिंग के मौके पर ग्राहकों को इस ज्वेलरी ब्रांड के हीरे की ज्वेलरी कीमतों पर स्क्रेच कार्ड के जरिए 40 प्रतिशत तक की छूट के साथ-साथ मेकिंग चार्ज पर 100 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है। इसके अलावा यहां ग्राहक प्रत्येक खरीद पर सुनिश्चित उपहार के साथ-साथ लकी ड्रा का भी हिस्सा बनेंगे। विजेता को यहां 5 किलो चांदी तक जीतने मिलने का मौका मिलेगा। काकुड़गाछी में पन्ना डायमंड वर्ल्ड ज्वेलर्स की इस नई शाखा के साथ, कोलकाता में अब इसके चार शोरूम होंगे। अन्य तीन शोरूम कैमक स्ट्रीट, हावड़ा और न्यू मार्केट में मौजूद हैं। यहां महिलाओं और पुरुषों के लिए सोने और हीरे के आभूषणों का एक उत्कृष्ट संग्रह उपलब्ध है, जिसमें हार, कंगन, झुमके, अंगूठियां और बहुत कुछ शामिल हैं। यहां के अधिकारियों का दावा है कि, ग्राहकों को इस नए स्टोर में खरीदारी का काफी अलग हटकर नया अनुभव प्राप्त होगा। इस अवसर पर सीएस डॉ. व अधिवक्ता ममता बिनानी ने कहा, जिस चीज ने मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित किया वह यह है कि यहां ग्राहकों की व्यक्तिगत पसंद की डिजाइन का भी बड़ा कलेक्शन मौजूद हैं। यहां ज्वेलरी के प्रत्येक पीस को कुशल कारीगर काफी बारीकी से तैयार किए हैं, जिनके पास अद्वितीय और सुरुचिपूर्ण डिजाइन बनाने का बड़ा अनुभव है।

एमसीसीआई में महिलाओं की सामाजिक उद्यमिता पर चर्चा

कोलकाता । मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और एमसीसीआई लेडीज फोरम ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के साथ परिचर्चा आयोजित की । सत्र में “सामाजिक उद्यमिता के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने” पर चर्चा की गयी । परिचर्चा में कोलकाता में ऑस्ट्रेलिया की कौंसुल जनरल रोवन एन्सवर्थ, लेखिका एवं नृत्यांगना आलोकानंदा राय ने भाग लिया ।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि हाल के दिनों में महिलाओं को विभिन्न भूमिकाओं में नेतृत्वकर्ता के रूप में आगे आते देखा गया है। महिलाओं के बीच सामाजिक उद्यमिता की अवधारणा को प्रोत्साहित करने में आयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शर्मा ने कहा कि एनसीडब्ल्यू ने पूरे भारत में आईआईएम के माध्यम से महिलाओं के लिए चार सप्ताह का उद्यमशीलता प्रशिक्षण शुरू किया है। आयोग ने छात्राओं को डिजिटल साक्षरता में शिक्षित करने और उन्हें नौकरी के लिए तैयार करने के लिए कॉलेजों में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया है। कोविड -19 के दौरान, आयोग ने मेटा के सहयोग से, महिलाओं को अपने व्यवसायों के लिए सोशल मीडिया का सुरक्षित उपयोग करने के तरीके पर प्रशिक्षित करने के लिए डिजिटल शक्ति कार्यक्रम की शुरुआत की। सुश्री शर्मा ने आगे एनसीडब्ल्यू की कुछ पहलों का उल्लेख किया जिससे कोविड काल के दौरान बहुत से लोगों को मदद मिली।
महिला कैदियों के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने के लिए आयोग ने पहले ही बांग्लादेश मानवाधिकार आयोग के साथ समन्वय कर लिया है ताकि वे महिलाएं सामान्य जीवन जी सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार मेंटल होम से ठीक होकर घर वापस आने वाले मरीजों के लिए मिड वे होम बनाए।
कोलकाता में ऑस्ट्रेलिया की कौंसुल जनरल रोवन एन्सवर्थ ने कहा कि मानवाधिकारों में लैंगिक समानता प्राथमिकता होनी चाहिए। समाज को महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता पर ध्यान देना चाहिए।
लेखिका एवं नृत्यांगना आलोकानंदा राय ने सुधार गृहों के कैदियों को गीतों और नृत्य के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए अपनी अविश्वसनीय यात्रा साझा की। उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा जन्मजात अपराधी नहीं होता है। हर बच्चे के लिए बेहतर माहौल बनाने की जिम्मेदारी समाज की है। सुश्री रॉय ने कहा, “महिला और पुरुष दिवस मनाने के बजाय, हम सभी को अंतर्राष्ट्रीय मानवता दिवस मनाना चाहिए।”
स्वागत भाषण एमसीसीआई के अध्यक्ष नमित बाजोरिया ने दिया । उन्होंने कहा कि सामाजिक उद्यमिता के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की प्रक्रिया है और इसमें महिला-नेतृत्व वाले सामाजिक उद्यम का समर्थन करने के लिए शिक्षा, प्रशिक्षण और वित्तीय संसाधनों तक पहुंच प्रदान करना शामिल है।
इस सत्र में महिला बांस हस्तशिल्प कलाकार शिखा जानोरिया एवं सामाजिक उद्यमी एवं लड़कियों की शिक्षा पर काम कर रही मीम खातून ने परिवर्तन की कहानी साझा की । समाज के लिए उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें कृतिका फेलोशिप से सम्मानित किया गया। क्योर एसएमए इंडिया की सह-निदेशक मोमिता घोष ने भी एसएमए जैसी दुर्लभ बीमारियों से लड़ने वाली माताओं के समूह के बारे में अपनी कहानी साझा की। काउंसिल फॉर एमसीसीआई लेडीज फोरम की चेयरपर्सन नीता बाजोरिया ने धन्यवाद दिया ।

अजय सिंह बने एसोचेम के नये अध्यक्ष. संजय नायर बने उपाध्यक्ष

कोलकाता । स्पाइस जेट के चेयरमैन एवं प्रबन्ध निदेशक अजय सिंह ने एसोसिएटेड चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचेम) के नये अध्यक्ष का पदभार सम्भाल लिया है । उन्होंने सुमन्त सिन्हा की जगह ली है । सोरिन इन्वेस्टमेंट फंड के संस्थापक एवं चेयरमैन संजय नायर एसोचेम के नये वरिष्ठ उपाध्यक्ष बने हैं और विश्व स्तर पर वित्त बाजार के अन्तरराष्ट्रीय जानकार भी हैं । उन्होंने अपने दायित्व को बड़ा सम्मान बताया । एसोचेम के नये अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि यह चुनौतीपूर्ण समय है मगर वैश्विक मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5 से 7 प्रतिशत की गति से बढ़ रही है । एसोचेम केन्द्र एवं राज्य सरकारों. अकादमिक विशेषज्ञों एवं अर्थशास्त्रियों के साथ मिलकर काम करेगा। अजय सिंह बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं और इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी हैं ।

अर्चना संस्था ने की माँ दुर्गा की आराधना

कोलकाता ।  दुर्गा ए मैया थारा रूप हजार /थार चरणां म शीश नवाऊं म्हारी मात।संगीता चौधरी ने लोकसंगीत में माँ दुर्गा के प्रति भक्ति प्रकट की, मृदुला कोठारी ने मांँ तुम्हारे रूप की छवि दिखलाओ एक बार, पार लगा दो सबकी नैया /स्वर्ण माता पकड़ो बइया गीत सुनाया वहीं हिम्मत चोरड़़िया प्रज्ञा ने कुण्डलिया में माता की महिमा बताई माता तेरे नाम की,महिमा अपरम्पार।/जाप जपे जो प्रेम से, ले सपने आकार।।और गीत माँ शुभंकर, माँ सहारा।माँ हमें ही दे किनारा।।अहमदाबाद से भारती मेहता ने कविता मैं धरती हूँ , माँ हूँ जन्मदात्री हूँ , पालनहारी हूँ…, शशि कंकानी ने मांँ उतरो धरा पर फिर एक बार,नया रूप ले नया अवतार।।, पत्थर को मैं क्यूँ पूजूंँ जब देवी स्वरूपा दिखती मांँ ।।, विद्या भंडारी ने अपनी माँ के साथ बिताए समय पर कविता सुनाई – समय बताती एक घङी थी माँ और दल बादल बिच चमकै जी तारा राजस्थानी लोक गीत शैल भवानी म्हाने लागै जी प्यारा सुनाया।
इंदु चांडक ने आदिशक्ति जगदीश्वरी,सकल जगत आधार।
नमन करूँ तव चरण में,कर लेना स्वीकार।। भजन सुनाकर माँ के प्रति भक्ति प्रकट की। जूम पर हुए इस कार्यक्रम में नौरतनमल भंडारी ने माँ दुर्गा का आवाह्न करते हुए दो गीत सुनाए हे स्वर लहरी/सरगम की देवी/वर दे,मुझे वर दे,वरद और होके सिंह पर /सवार/ करके सोलह श्रंगार आई मैया/सुनकर भक्तों की/पुकार/आई मैया।वसुंधरा मिश्र ने तुम्हारा आना कविता सूर्य की पसरी धूप में तुम्हारा आना चाँदनी सा लगा /मन के झंकृत तारों ने नई रागिनी गाई सुनाई। अर्चना संस्था के सभी सदस्यों ने स्वरचित रचनाएँ और गीत पढे़ ।संस्था सृजनात्मकता और मौलिक रचनाकारों के लिए जानी जाती है। धन्यवाद ज्ञापन दिया विद्या भंडारी ने और कार्यक्रम का संचालन किया मृदुला कोठारी ने ।सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

शहादत दिवस पर याद किये गये शहीद – ए – आज़म भगत सिंह

कोलकाता ।  भगतसिंह मैमोरियल कमेटी ने शहीद ए आज़म भगत सिंह को उनके शहादत दिवस गत 23 मार्च पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। हावड़ा के काजीपाड़ा मोड़ पर स्थित भगतसिंह की मूर्ति पर सुबह कमेटी के सदस्यों ने फूल माला चढ़ा कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। संध्या समय विभिन्न स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत कविता गीत सुनाए। युवा छात्र छात्राओं ने शिबपुर ट्राम डिपो हावड़ा से भगतसिंह के लिए ड्रम की धुन बजाते हुए एक रैली भी निकाली जो काजीपाड़ा मोड़ स्थित भगतसिंह की मूर्ति परिसर पर समाप्त हुई। सभी युवा वर्ग ने गॉर्ड अॉफ ओनर से मूर्ति के सामने सलामी दी। इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद किया गया।
विशिष्ट वक्ता भवानीपुर कॉलेज की हिंदी अध्यापिका डॉ वसुंधरा मिश्र ने अपने वक्तव्य में भगतसिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगतसिंह आज भी जिंदा है, आज 93वीं पुण्यतिथि पर भगतसिंह को स्मरण करना हमारे युवा पीढ़ी के लिए और सभी देशवासियों के लिए प्रेरणादायी है। मात्र 23 वर्ष का युवक धर्म, जाति और भाषा से परे अपने देश के लिए एक विचार और एक सोच बन गया है जो देशभक्ति के लिए प्रेरणादायी है।
भगतसिंह मैमोरियल कमेटी के सचिव सौमित्र सेनगुप्ता ने बच्चों द्वारा तैयार की गई भगतसिंह बुलेटिन का लोकार्पण किया और कहा कि इससे बच्चों की सृजनात्मक कार्य में बढ़ोतरी होगी। अनीसूल करीम ने भगतसिंह के फांसी की सजा से संबंधित बातें बताई साथ ही जेल में उनपर हुए अंग्रेजी शासन द्वारा होने वाली अमानवीयता के विषय में बताया। वहीं शिक्षक जसवीर सिंह ने बताया कि जब भगतसिंह 14 वर्ष के थे और जलियांवाला बाग में होनेवाले नरसंहार को देखकर उनमें भारी बदलाव बदलाव आया और देश के प्रति अपने प्राणों तक की परवाह नहीं की।
पूटन माला, माधुरी झा और उनकी टीम ने इस कार्यक्रम का संयोजन किया ।

शब्दयोगी मनोज मुंतशिर शुक्ला की प्रस्तुति “मां, मातृभूमि और मोहब्बत”

हिंदू नववर्ष “विक्रम संवत 2080”  पर किया गया आयोजन

कोलकाता । हिंदू नववर्ष “विक्रम संवत 2080” के शुभ अवसर पर श्री राम सेवा समिति ट्रस्ट, एकल श्रीहरि सत्संग समिति, साल्टलेक सांस्कृतिक संसद और हरियाणा सेवा सदन के संयुक्त तत्वाधान में कोलकाता के साइंस सिटी ऑडिटोरियम में “मां, मातृभूमि और मोहब्बत” कार्यक्रम का आयोजन किया गया । “तेरी मिट्टी में मिल जावा” जैसे गीतों के लोकप्रिय गीतकार, कवि, पटकथा लेखक और सिनेमा जगत की जानी मानी हस्ती शब्दयोगी मनोज मुंतशिर शुक्ला ने अपनी कविताओं और संवादों से दर्शकों में जोश भर दिया ।

उनके सरल छंद श्रोताओं के दिलों को छू गए। उनके साथ लोकप्रिय गायक आशीष कुलकर्णी और इशिता विश्वकर्मा ने अपनी गायकी से दर्शको का मन मोह लिया । ऑडिटोरियम अपनी क्षमता से अधिक भरा था । कार्यक्रम के आयोजक श्री राम सेवा समिति ट्रस्ट, एकल श्रीहरि सत्संग समिति, साल्टलेक सांस्कृतिक संसद और हरियाणा सेवा सदन जैसे गैर-लाभकारी संगठन थे जो पिछले कई वर्षो से समाज सेवा के लिए समर्पित है।इस कार्यक्रम में इन संस्स्थाओं द्वारा समाज के लिए किये जा रहे कार्यो की झलकियो को भी प्रदर्शित किया गया जिससे बड़ी संख्या में मौजूद दर्शकों तक इनके बारे में जागरूकता फैलाने में मदद मिली।

कार्यक्रम में इन सभी संस्थाओं के सदश्यों, दानदाताओं ने उपस्थित होकर सहभागिता की ओर कोलकाता के अधिकांश प्रतिष्ठित उद्योगपति व समाजसेवी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। दीप प्रज्वलनकर्ता – श्री सजन कुमार जी बंसल, कार्यक्रम अध्यक्ष – श्री विश्वनाथ जी सेकसरिया, मुख्य वक्ता – श्री दीनदयाल जी गुप्ता, मुख्य अतिथि – श्री सत्यनारायण जी देवरिया थे। इस आयोजन को बालव्यास आचार्य श्रीकांत जी शर्मा का आशीर्वाद प्राप्त हुआ । विशिष्ट अतिथियों में  प्रह्लाद राय अग्रवाल, रमेश कुमार जी सरावगी, गोविन्द राम जी अग्रवाल, ललित जी बेरीवाल,  प्रदीप जी टोडी, बनवारी लाल जी सोती एवं शामिल थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सजन कुमार बंसल ने कहा “स्वामी विवेकानन्द ने कहा था यदि हमें गौरव से जीने का भाव जगाना है अपने अन्तर्मन में राष्ट्र भक्ति के बीज को पल्लवित करना है तो राष्ट्रीय तिथियों का आश्रय लेना होगा।” विशिष्ट अतिथि रमेश कुमार जी सरावगी ने कहा “यही समय है जब देश के विभिन्न भागों में उत्सव मनाये जाते हैं। नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं जो कि किसी कार्य को करने का शुभ मुहूर्त होता है।” प्रधान अतिथि सत्य नारायण देवरालिया ने कहा “यह दिन हमारे मन में यह उद्घोष जगाता है कि हम पृथ्वी माता के पुत्र हैं, सूर्य, चन्द्र व नवग्रह हमारे आधार हैं, प्राणी मात्र हमारे परिवारिक सदस्य हैं तभी हमारी संस्कृति का बोध वाक्य ”वासुदेव कुटम्बकम“ का सार्थक्य सिद्ध होता है।”  कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वनाथ सेक्सरिया ने कहा “यह सृष्टि की रचना का प्रथम दिवस है। मान्यता है कि इसी दिन सर्व प्रथम सूर्योदय हुआ था। प्रभु श्री राम ने लंका विजय के बाद राज्याभिषेक के लिए इसी दिन का चयन किया था।” मुख्य वक्ता दीनदयाल गुप्ता ने कहा “हमें गर्व के साथ भारतीय नव वर्ष यानि विक्रम संवत् प्रतिप्रदा को मनाना चाहीये और अपनी नई पीढ़ी को अपनी प्राचीन व अतुलनीय संस्कृति को सम्मान देने हेतु प्रेरित करना चाहिये।”