Monday, September 15, 2025
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किरायेदार के अधिकार पर कोर्ट ने खींची ‘लक्ष्मण रेखा’ नहीं दे सकते मकान मालिक को निर्देश

नयी दिल्ली/मुंबई । बॉम्बे हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान किरायेदारों के अधिकार को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि किरायेदारों पास सीमित अधिकार हैं। ऐसे में वह मकान मालिक को प्रॉपर्टी में रिडेवलपमेंट कराने को लेकर निर्देश नहीं दे सकते हैं। मामला मुंबई के खार (पश्चिम) बिल्डिंग से जुड़ा था। यहां एक ‘अड़ियल किरायेदार’ (हाईकोर्ट के शब्दों में) बिल्डिंग के मरम्मत के काम को रोक रहा था। कोर्ट ने बीएमसी को रिडेवलपमेंट के जुड़ा कमेंसमेंट सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया। इस मामले में लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्म जीएम हाइट्स के मालिक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और आर एन लड्डा की बेंच ने कहा कि किरायेदार के अधिकारों को इस हद तक नहीं बढ़ाया जा सकता है कि प्रॉपर्टी के रिवडेवलपमेंट का काम किरायेदार की मर्जी से हो। ऐसा नहीं होना चाहिए कि संपत्ति के मालिक का अपनी संपत्ति में पसंद के हिसाब से बदलाव कराने का बुनियादी भौतिक अधिकारों ही छीन लिए जाएं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किरायेदारों का एकमात्र अधिकार इमारत के ध्वस्त होने से पहले उनके कब्जे वाले समकक्ष क्षेत्र के वैकल्पिक आवास के साथ प्रदान करना था। मामले से जुड़े वकील के अनुसार, हाई कोर्ट के इस फैसले से भविष्य के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का रास्ता खुलने की उम्मीद है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल जिस बिल्डिंग को लेकर केस चल रहा है उसे मूल रूप से रामी राजा चॉल के नाम से जाना जाता है। इसमें 21 किराएदार रहते थे। अगस्त 2021 में इस बिल्डिंग को जीर्ण-शीर्ण घोषित होने के बाद इसे ध्वस्त कर दिया गया था। इसके बाद बिल्डिंग मालिक ने एक कमर्शियल बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव रखा था। बिल्डिंग मालिक की तरफ से पैरवी करने वाले सीनियर एडवोकेट जीएस गोडबोले के अनुसार एमसी ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। इसमें एक को छोड़कर, अन्य 20 किरायेदारों को रिडेवलपमेंट प्लान में एक कमर्शियल बिल्डिंग बनाने पर कोई आपत्ति नहीं थी। इस किरायेदार ने एनओसी देने से इनकार कर दिया। साथ ही स्थायी वैकल्पिक आवास समझौते पर साइन भी नहीं किया। 2021 में बीएमसी की शर्त थी कि सभी किराएदारों की सहमति के बाद ही वास्तविक निर्माण या प्रारंभ प्रमाणपत्र के लिए मंजूरी जारी की जानी थी। मालिक ने अपनी याचिका में बीएमसी की शर्तों को यह तर्क देते हुए चुनौती दी कि वे मनमानी और असंवैधानिक हैं।
किरायेदारों के अधिकार क्या हैं
भारत सरकार ने साल 1948 में एक केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम पारित किया था। समय-समय पर इसमें बदलाव हुए हैं। कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार ने दो साल पहले ही नए किराया कानून को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य संपत्ति मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकारों की रक्षा के साथ ही शोषण से बचाव करना था। इस अधिनियम में संपत्ति को किराए पर देने की नियमों का वर्णन किया गया था। ध्यान देने वाली बात है कि हर राज्य का अपना किराया नियंत्रण कानून होता है। इसके बावजूद इसमें कोई खास अंतर नहीं होता है। ऐसे में किराये पर मकान लेने से पहले लिखित समझौता करना जरूरी होता है। ऐसे में आप भविष्य में होने वाले किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में उचित फोरम पर शिकायत करने के योग्य होते हैं।
रेंट एग्रीमेंट है जरूरी
मॉडल टेनेंसी एक्ट के तहत मकान मालिक और किरायेदार के बीच रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी है। एक्ट के सेक्शन 5 के तहत प्रत्येक किरायेदार एक अवधि के लिए वैध है। इस अवधि का जिक्र रेंट एग्रीमेंट में किया जाता है। एंग्रीमेंट में किरायेदार कब तक रहेगा, कितना किराया देगा, सिक्योरिटी राशि समेत अन्य बातों का जिक्र होगा। रहने का टाइम पीरियड खत्म होने से पहले एंग्रीमेंट को रिन्यू किया जा सकता है। यदि एक निश्चित समय के बाद जब एंग्रीमेंट खत्म होने के बाद रिन्यू नहीं होता है और किरायेदार कमरा या बिल्डिंग खाली नहीं करता है तो उसे मकानमालिक को बढ़ा हुआ किराया देना होता है। यदि वह मकान पर कब्जा जारी रखता है तो बढ़ा हुआ किराया पहले दो महीनों के लिए मासिक किराए का दुगना और फिर चार गुना होगा।
रेंट एग्रीमेंट में सिक्योरिटी राशि दो महीने के किराये से अधिक नहीं हो सकती है। कर्मशल बिल्डिंग के मामले में यह राशि 6 महीने के किराये के बराबर रखी गई है। यदि किरायेदार कमरा खाली करता है तो मकान मालिक को यह राशि एक महीने के भीतर लौटानी होगी।
यदि मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहता है तो उसे तीन महीने पहले किरायेदार को नोटिस देना होगा।
बिजली, पानी किरायेदार का मूलभूत अधिकार है, मकान मालिक किसी भी तरह का विवाद होने पर किराये र का बिजली-पानी या पार्किंग बंद नहीं कर सकता है।
यदि मकान मालिक को किराया बढ़ाना है तो उसे 3 महीने पहले किरायेदार को इसकी जानकारी देनी होगी। इसके अलावा वह बाजार मूल्य से अधिक किराया नहीं ले सकता है।
किराएदार को हर महीने किराया देने की एवज में रसीद लेने का अधिकार है। अगर मकान मालिक एंग्रीमेंट में लिखित समय से पहले किराएदार को घर खाली करवाता है तो वह कोर्ट में रसीद को सबूत के तौर पर पेश कर सकता है।
यदि किरायेदार घर में नहीं है तो मकान मालिक उसके घर का ताला नहीं तोड़ सकता है। इसके अलावा मकान मालिक घर से किरायेदार का समान बाहर नहीं फेंक सकता है।
मकान मालिक घर या बिल्डिंग को गंदा रखने पर किरायेदार को टोक सकता है।
घर खाली करने से एक महीने पहले किरायेदार को इसकी जानकारी मकान मालिक को देनी होगी। यदि मकान मालिक किरायेदार को निकालना चाहता है तो उसे 15 दिन का नोटिस देना होगा।
नए कानून के तहत मकान के ढांचे के देखभाल की जिम्मेदारी मकान मालिक की है।
अगर किरायेदार की मौत हो जाती है और उसका परिवार उसके साथ रहता है तो मकान मालिक अचानक उसे कमरा खाली करने के लिए नहीं कह सकता है।
एंग्रीमेंट होने के बाद मकान मालिक बिना अनुमति के किरायेदार के घर में नहीं घुस सकता है। अगर मकान मालिक को कमरे में आना है तो इसके लिए पहले किरायेदार की अनुमति लेनी होगी।
मकान मालिक किरायेदार के घर के पास, खासकर महिला किरायेदार के घर के पास या घर में बिना उसकी अनुमति के कैमरा नहीं लगा सकता है। ऐसा करने से किरायेदार की प्रिवेसी का हनन होता है यह कानूनन अपराधा है। इसके लिए 3 से 7 साल की सजा और आर्थिक जुर्माने का भी प्रावधान है।
मकान मालिक किरायेदारों को पालतू जानवर रखने से नहीं रोक सकता है। ऐसा करना पशुओं के प्रति क्रूरता अधिनियम के तहत आता है। यदि पालतू जानवर के रखने पर रोक लगाई जाती है तो यह संविधान के अनुच्छेद 51जी का उल्लंघन होगा।

(साभार – नवभारत टाइम्स)

बैसाखी पर विशेष जिथे रूत बैसाखी दी लै के आऊंदी मस्त बहारां,

जिथे रूत बैसाखी दी लै के आऊंदी मस्त बहारां, पा भंगड़े नचदे ने थां-थां गबरू ते मुटियारां..कनकां दी मुक गई राखी, ओ जट्टा आई बैसाखी। लो जी, एक बार फिर धमाल मचाने को आ गया है बैसाखी का त्यौहार। कल ढ़ोल-नगाड़ों की थाप पर जश्न मनाने का दिन है तो आप भी हो जाईए तैयार। बैसाखी का त्योहार हर वर्ष अप्रैल के 13 या 14 तारीख को पंजाब के साथ-साथ पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है। बैसाखी मुख्यत: कृषि पर्व है जिसे दूसरे नाम से ‘खेती का पर्व’ भी कहा जाता है। यह पर्व किसान फसल काटने के बाद नए साल की खुशियां के रूप में मनाते हैं। खेतों में रबी की फसल लहलहाती है तो किसानों का मन खुशी से झूम उठता है। केरल में इस त्योहार को ‘विशु’ तो बंगाल में इसे नब बर्ष के नाम से जाना जाता है। असम में इसे रोंगाली बिहू, तमिलनाडू में पुथंडू और बिहार में इसे वैषाख के नाम से पुकारा जाता है। यह दिन किसानों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिन राबी फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। इसी दिन गेहूं की पक्की फसल को काटने की शुरूआत होती है। इस दिन किसान सुबह उठकर नहा धोकर भगवान का शुक्रिया अदा करते हंै। यही नहीं बैसाखी को मौसम के बदलाव का पर्व भी कहा जाता है। इस समय सर्दियों की समाप्ति और गर्मियों का आरंभ होता है। वहीं व्यापारियों के लिए भी यह अहम दिन है। इस दिन देवी दुर्गा और भगवान शंकर की पूजा होती है। इस दिन व्यापारी नये कपड़े धारण कर अपने नए कामों का आरम्भ करते हैं।

बैसाखी, समझो आ गई गर्मी
बैसाखी त्यौहार अप्रैल माह में तब मनाया जाता है, जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। यह घटना हर साल 13 या 14 अप्रैल को ही होती है। सूर्य की स्थिति परिवर्तन के कारण इस दिन के बाद धूप तेज होने लगती है और गर्मी शुरू हो जाती है। इन गर्म किरणों से रबी की फसल पक जाती है। इसलिए किसानों के लिए ये एक उत्सव की तरह है। इसके साथ ही यह दिन मौसम में बदलाव का प्रतीक माना जाता है। अप्रैल के महीने में सर्दी पूरी तरह से खत्म हो जाती है और गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है। मौसम के कुदरती बदलाव के कारण भी इस त्योहार को मनाया जाता है।

इसी दिन हुई थी खालसा पंथ की स्थापना
वर्ष 1699 में सिखों के 10 वें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ (Baisakhi) की नींव रखी थी। ‘खालसा’ खालिस शब्द से बना है जिसका अर्थ शुद्ध, पावन या पवित्र होता है। खालसा पंथ की स्थापना के पीछे श्री गुरुगोविन्द सिंह जी का मुख्य लक्ष्य लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त कर उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना था। इस पंथ के द्वारा गुरु गोविन्दसिंह ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी। बैसाखी कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है।

ढोल-नगाड़ों की थाप पर मचता है धमाल
उत्तर भारत में विशेषकर पंजाब में बैसाखी पर्व को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ढोल-नगाड़ों की थाप पर युवक-युवतियां प्रकृति के इस उत्सव का स्वागत करते हुए गीत गाते हैं, एक-दूसरे को बधाइयां देकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं और झूम-झूमकर नाच उठते हैं। अत: बैसाखी आकर पंजाब के युवा वर्ग को याद दिलाती है, साथ ही वह याद दिलाती है उस भाईचारे की जहां माता अपने 10 गुरुओं के ऋण को उतारने के लिए अपने पुत्र को गुरु के चरणों में समर्पित करके सिख बनाती थी।

कैसे पड़ा बैसाखी नाम
वैशाख माह के पहले दिन को बैसाखी कहा गया है। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है।

‘एमएसएमई के लिए भुगतान में विलंब एवं वसूली’ पर चर्चा

कोलकाता । एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम-पश्चिम बंगाल चैप्टर ने एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम-पश्चिम बंगाल चैप्टर और आईसीएआई के ईआईआरसी के साथ संयुक्त तत्वाधान में मंगलवार को कोलकाता के आईसीएआई भवन में ‘एमएसएमई के लिए विलंबित भुगतान और वसूली पर एक चर्चा सत्र’ का आयोजन किया।
इस मौके पर विधायक विवेक गुप्ता, पश्चिम बंगाल राज्य एमएसई फैसिलिटेशन काउंसिल के सदस्य सीए आलोक टिब्रेवाल, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम, पश्चिम बंगाल की अध्यक्ष एवं अधिवक्ता सीएस डॉ. ममता बिनानी, आईसीएआई के ईआईआरसी के अध्यक्ष सीए देबायन पात्रा , आईसीएआई के ईआईआरसी के उपाध्यक्ष सीए संजीब सांघी , एमएसएमई, पश्चिम बंगाल सरकार के उपनिदेशक (मुख्यालय) अशोक घोष , ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अधिवक्ता नारायण जैन के अलावा समाज की कई विशिष्ट हस्तियां इसमें मौजूद थें।
इस मौके पर सीएस डॉ. एवं अधिवक्ता ममता बिनानी (पूर्व अध्यक्ष, आईसीएसआई और एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम डब्ल्यूबी चैप्टर की अध्यक्ष) ने कहा, एमएसएमई एक ऐसा क्षेत्र है, जो न केवल सकल घरेलू उत्पाद को धारण करता है और इसे बढ़ाता है, बल्कि राष्ट्र के सामाजिक और समान विकास के लिए यह एक बड़े रोजगार प्रदान करने का क्षेत्र भी है। इसमें 6 करोड़ से अधिक इकाइयों के साथ 11 करोड़ से अधिक श्रमिक इससे जुड़े हैं। एमएसएमई क्षेत्र कृषि के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता क्षेत्र है। देश के आर्थिक क्षेत्र में विकास और पर्याप्त योगदान में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30% और सभी भारतीय निर्यातों का 45% से अधिक का श्रेय इसी क्षेत्र में जाता है। सरकार हमेशा वैश्विक मूल्य की श्रृंखला में एमएसएमई की प्रतिस्पर्धा में सुधार करने की हर संभव तरीके से कोशिश कर रही है। इसका एक बहुत महत्वपूर्ण कारक कार्यशील पूंजी के तौर पर सस्ते पैसे की उपलब्धता है। जब उनका भुगतान अटक जाता है, तो व्यवसाय की गति खतरे में पड़ जाती है। क्योंकि इस एक व्यवसाय से कईयों का जीवन जुड़ा होता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य एमएसई की सुविधा परिषद को प्रदर्शित करना है। यह कैसे व्यवसायों के संकट को कम करने में काम कर रहा है । एमएसएमई के बारे में: वैश्विक रैंकिंग इंडेक्स पर भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में एमएसएमई काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दर्शाता है कि क्षेत्र कितनी तेजी से विकास कर रहा है।

अन्तरराष्ट्रीय बाजार में धूम मचाएगी पुरुलिया के छऊ मुखौटा कारीगरों की कला

साथ आए जीनियस फाउंडेशन एवं एसेंसिव एडु स्किल फाउंडेश

कोलकाता ।  जीनियस फाउंडेशन,जीनियस कंसल्टेंट लिमिटेड और एसेंसिव एडु स्किल फाउंडेशन पारम्परिक छऊ मुखौटा कलाकारों की सहायता के लिए आगे आए हैं। पुरुलिया के चरिदा में छाऊ मास्क कारीगरों का उद्यमिता विकास और बाजार लिंकेज बनाने के लिए एसेंसिव एडू स्किल फाउंडेशन के बीच समझौता हुआ है । यह परियोजना कारीगरों के लिए जमीनी स्तर से उद्यमियों को विकसित करने और एक सामूहिक व्यवसाय के रूप में काम करने के विचार को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने और उनके विकास पर केंद्रित होगी। कारीगरों को आधुनिक पैकेजिंग तकनीक के बारे में शिक्षित करने पर विशेष जोर दिया जाएगा।
जीनियस फाउंडेशन समझौता ज्ञापन के प्रावधानों के अनुसार एसेंसिव एडू स्किल फाउंडेशन को फंड प्रदान करेगा और एसेंसिव एडू स्किल फाउंडेशन कार्यक्रम को लागू करेगा। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर जीनियस कंसल्टेंट्स लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर.पी. यादव और एसेंसिव ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ के अध्यक्ष अभिजीत चटर्जी, राज्य के श्रम विभाग की अतिरिक्त सचिव शॉन सेन, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के बीओपीटीआर के निदेशक एसएम एजाज अहमद, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के एनएसडीसी के एसईओ बिक्रम दास, कपड़ा मंत्रालय के डीसी हस्तशिल्प कार्यालय की सहायक निदेशक मौमिता देब, सहायक निदेशक (एच),  सहायक निदेशक (एच) सुदर्शन दास, आरोहण फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत राय, शाकंभरी ग्रुप के जीएम-ब्रांड एंड कम्युनिकेशन सुबोध बिहानी की उपस्थिति में हुआ । सभी प्रतिनिधियों और विशेष अतिथियों ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के अभिनव कार्यक्रमों को कारीगरों की बेहतरी के लिए और दुनिया भर में स्थानीय विरासत को बढ़ावा देने के लिए लाया जाना चाहिए।

 

ऑटिज्म से लड़ने के लिए साथ आएं कॉरपोरेट जगत – संघमित्रा घोष

कोलकाता । मर्चेंट चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री एंड एमसीसीआई लेडीज फोरम और प्रेसीडेंसी एलुमनी एसोसिएशन कलकत्ता ने शुम्पन फाउंडेशन के साथ विश्व ऑटिज्म दिवस मनाया । गत 1 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के अवसर पर एक परिचर्चा सत्र इस अवसर पर आयोजित किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण विभाग की मुख्य सचिव संघमित्रा घोष उपस्थित थीं । राज्य में विकलांगता की डिग्री की पहचान करने के लिए यूडीआईडी के माध्यम से प्रमाणन प्रदान करने की पहल की है। हालांकि, विकलांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत जटिल है और विभाग इसके सरलीकरण की प्रक्रिया पर काम कर रहा है । घोष ने बताया कि आंगनबाडी केन्द्रों के माध्यम से विभाग ने प्रतिदिन लगभग 1 लाख 20 हजार बच्चों की देखभाल की है. आंगनवाड़ी केंद्र बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे के जीवन के पहले 18 महीनों के दौरान ऑटिज़्म का निदान किया जा सकता है और प्रारंभिक उपचार विकार की गंभीरता को कम कर सकता है। आंगनवाड़ी केंद्रों में एक मान्य परीक्षण उपकरण है, और यदि कोई बच्चा औसत से कम अंक प्राप्त कर सकता है, तो उसका विशेष ध्यान रखा जाता है।
समाज के सीमांत वर्गों में आत्मकेंद्रित बच्चों के सामने मुख्य चुनौती उनके लिए प्रभावी संसाधन व्यक्तियों और देखभाल करने वालों की उपलब्धता की कमी है। डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) ऑटिज्म जैसी अक्षमताओं से पीड़ित बच्चों को निरंतर चिकित्सा प्रदान करता है। पश्चिम बंगाल में 24 डीईआईसी हैं। डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सर्विसेज (डीईआईएस) को विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए इन सेवाओं को संचालित करने के लिए कॉर्पोरेट्स से समर्थन की आवश्यकता है। घोष ने निजी अस्पतालों में इन बच्चों की मदद के लिए हस्तक्षेप केंद्र शुरू करने पर जोर दिया । गत 20 जनवरी को, एमसीसीआई ने ऑटिज़्म के बारे में जागरूकता और सामुदायिक समझ फैलाने और हमारे समुदाय में ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की स्वीकृति को बढ़ावा देने के लिए प्रेसीडेंसी एलुमनी एसोसिएशन कलकत्ता के समझौते पर हस्ताक्षर किए। एमसीसीआई प्रेसीडेंसी एलुमनी एसोसिएशन कलकत्ता और शुम्पन फाउंडेशन के साथ मिलकर इस परियोजना पर साल भर काम करेगा।
सत्र में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सेरेब्रल पाल्सी की एडुकेशन कोऑर्डिनेटर एवं इन्क्लूजन फैसिलिटेचर एवं , प्रेसीडेंसी एलुमनी एसोसिएशन कलकत्ता की सदस्य मधुमिता दासगुप्ता, द हेरिटेज स्कूल की प्रिंसिपल सीमा सप्रू, पीडब्ल्यूसी इंडिया के प्रबन्ध निदेशक संजय बनर्जी ने विचार रखे ।
स्वागत भाषण एमसीसीआई के अध्यक्ष नमित बाजोरिया ने दिया । उन्होंने ऑटिस्टिक बच्चों को भी मुख्य धारा में लाने पर जोर दिया । प्रेसीडेंसी एलुमनी एसोसिएशन कलकत्ता के अध्यक्ष सुतीर्थ भट्टाचार्य ने कहा कि भेदभाव के खिलाफ लड़ने के लिए समाज को समावेश की आवश्यकता है। ऑटिज़्म के बारे में जागरूकता को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेसीडेंसी एलुमनी एसोसिएशन ने एमसीसीआई के साथ हाथ मिलाया है। धन्यवाद ज्ञापन एमसीसीआई लेडीज फोरम की चेयरपर्सन नीता बाजोरिया ने दिया ।

10 भाषाओं में प्रदर्शित होगी ‘स्पाइडर-मैन: एक्रॉस द स्पाइडर-वर्स’

कोलकाता । भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली बार बहुप्रतीक्षित और लोकप्रिय हॉलीवुड फ्रेंचाइजी फिल्म को 10 अलग-अलग भाषाओं में थिएटर में प्रीमियर किया जा रहा है। स्पाइडर-मैन फ़्रैंचाइज़ी को न केवल भारतीय बॉक्स ऑफ़िस पर अद्भुत सफलता मिली है, बल्कि स्पाइडर-मैन देश का सबसे पसंदीदा सुपरहीरो भी है, जिसकी डिमांड युगों-युगों से चली आ रही है। चूंकि स्पाइडर-मैन के देश भर में इतने जुनूनी फैन हैं, इसलिए निर्माताओं ने उसे सभी भारतीयों को करीब लाने का एक अनोखा तरीका निकाला है, जिससे यह एक अखिल भारतीय फिल्म बनने के साथ 2023 की सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्मों मे से एक बन गई है।

अंग्रेजी के अलावा, ‘स्पाइडर-मैन: अक्रॉस द स्पाइडर-वर्स’ हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी और बंगाली में रिलीज की जाएगी। 10 भाषाओं में रिलीज़ अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है और दर्शकों को कई भाषाओं में और उनकी पसंद के हिसाब से फिल्म का अनुभव करने की मौका प्रदान करेगा।

शोनी पंजिकरण, जनरल मैनेजर और सोनी पिक्चर्स रिलीज़िंग इंटरनेशनल (एसपीआरआई),भारत के प्रमुख ने बताया, “स्पाइडर-मैन भारत के सबसे पसंदीदा सुपर-हीरो है, और कोई भी स्पाइडर-मैन फिल्म वास्तव में एक सच्ची और भरोसेमंद अखिल भारतीय घटना है। स्पाइडर-मैन की आखिरी फिल्म, ‘नो वे होम’ ने स्पाइडर-मैन के प्रशंसकों को कई गुना बढ़ा दिया है। विभिन्न क्षेत्रों और भाषाओं में कंटेंट के बढ़ते उपयोग के साथ, हम चाहते थे कि भारत में हर घर अपने पसंदीदा सुपरहीरो को अपनी भाषा में अनुभव करे। हमें ‘स्पाइडर-मैन: अक्रॉस द स्पाइडर-वर्स’ को 10 भाषाओं में रिलीज़ करने पर गर्व है। भारत स्पाइडर-मैन से प्यार करता है, और यह भारतीय स्पाइडर-मैन, पवित्र प्रभाकर सहित कई भारतीय तत्वों के परिचय के साथ हमारे लिए और भी खास है। हमें यकीन है कि हमारे देश भर के दर्शक इस फिल्म को अपना प्यार देंगे।”

माइल्स मोरालेस ऑस्कर विजेता स्पाइडर-वर्स कहानी, स्पाइडर-मैन: अक्रॉस द स्पाइडर-वर्स के अगले चैप्टर के लिए वापस आया है। ग्वेन स्टेसी के साथ फिर से मिलने के बाद, ब्रुकलिन का फुल-टाइम, मैत्रीपूर्ण पड़ोसी स्पाइडर-मैन मल्टीवर्स में पहुंच जाता है, जहां उसका सामना स्पाइडर की एक टीम से होता है, जहां पर लोगों द्वारा उसके अस्तित्व की रक्षा करने का आरोप लगाया जाता है। इस फिल्म को जो स्पेशल बनाता है वह है पहली बार भारतीय स्पाइडर-मैन, पवित्र प्रभाकर का परिचय जो सीधे मुंबेटन की गलियों से हो रहा है। खैर, हम अपने पसंदीदा वेब्ड सुपरहीरो को सभी भाषाओं में उसके काम को देखने के लिए और इंतजार नहीं कर सकते! सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट इंडिया 2 जून 2023 को अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी और बंगाली में ‘स्पाइडर-मैन: अक्रॉस द स्पाइडर-वर्स’ को रिलीज़ करेगी

चारधाम यात्रा के दौरान करें माँ धारी देवी के दर्शन

कोलकाता । वर्ष 2023 की चार धाम यात्रा का भव्य शुभारंभ अप्रैल में हो रहा है । पिछले वर्ष की तरह सुगम यात्रा इस वर्ष हो इसके लिए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने पूरी तैयारी कर ली है।

चार धाम यात्रा मार्गों में सुरम्य वादियों के बीच अनेक धार्मिक स्थल हैं जहाँ प्रकृति के साथ दैवीय दिव्यता की अनुपम अनुभूति प्राप्त होती है । इन्ही धार्मिक स्थलों में से एक है माँ धारी देवी का मंदिर । माँ धारी देवी का यह पवित्र मंदिर बद्रीनाथ सड़क मार्ग पर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है । 600 वर्ष प्राचीन यह मंदिर श्रीमद देवी भागवत के अनुसार 108 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में धारी माता की मूर्ति बाढ़ से बह गई थी और धारी गांव के पास चट्टानों के बीच फंस गई थी। ऐसा माना जाता है कि धारी माता एक ग्रामीण के सपने में आयीं और उसे आदेश दिया कि वह उनकी मूर्ति को नदी से बाहर ले आए और मूर्ति को वहीं स्थापित कर दे जहां वह मिली थी और उसे खुले आसमान के नीचे रखा जाना चाहिए। इस प्रकार, मंदिर को धारी देवी मंदिर के रूप में जाना जाता है। यहाँ पुजारियों की मानें तो मंदिर में मां धारी की प्रतिमा द्वापर युग से ही स्थापित है। उनके अनुसार, देवी का रूप समय के साथ बदलता है, जिसे देखकर लोग हैरान हो जाते हैं। वास्तव में मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है। धारी माता को उत्तराखंड में चार धाम की संरक्षक और रक्षक के रूप में भी माना जाता है। मंदिर में मूर्ति देवी धारी देवी का ऊपरी आधा हिस्सा है और निचला आधा कालीमठ में स्थित है जहां उन्हें काली अवतार के रूप में पूजा जाता है।

वर्ष 2013 में अलकनंदा पावर प्लांट निर्माण के दौरान जून के महीने में देवी की मूर्ति को मूल स्थान से हटाकर हटाकर अलकनंदा नदी से लगभग 611 मीटर की ऊंचाई पर कंक्रीट के चबूतरे पर स्थानांतरित कर दिया गया था जिसके फलस्वरूप क्षेत्र को उस वर्ष भयंकर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा था। बादलों के फटने के कारण उत्पन्न बाढ़ और भूस्खलन ने पूरे शहर व राज्य को क्षति पहुँचाई जिससे सैकड़ों लोग मारे गए थे। भक्तों और स्थानीय लोगों का मानना ​​था कि यह हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए रास्ता बनाने के लिए मूर्ति को उसके ‘मूल स्थान’ से स्थानांतरित करने के कारण हुआ था। स्थिति को भाँपते हुए , मंदिर प्रशासन द्वारा पिछले माह मंदिर के स्तंभ को उठाकर मूल गर्भगृह को ऊँचा उठाकर मूर्ति को वापस से पुजारियों द्वारा विधिवत स्थापित किया गया है।

श्रद्धालु माँ धारी देवी के दर्शन हेतु सालों भर आते हैं, परंतु नवरात्रि के दौरान यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। चार धाम यात्रा के क्रम में श्रद्धालु चार धाम की संरक्षक और रक्षक माँ धारी देवी के दर्शन कर पुण्य का लाभ कमा सकते हैं और उनके समक्ष अपनी मनोवांछित इच्छा प्रकट कर उसे फलीभूत कर सकते हैं।

चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालु पूरे यात्रा मार्गों में ऐसे ही अनेक पवित्र एवं अतिमहत्वपूर्ण धर्मस्थलों के दर्शन कर सकते हैं। इस वर्ष की चार धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं के पंजीकरण अनिवार्य रूप से किए जा रहे हैं। 21 फरवरी से अब तक 10 लाख से अधिक श्रद्धालु पंजीकृत किए जा चुके हैं। इस बार सुगम व सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के क्रम में केवल पंजीकृत श्रद्धालुओं को ही धामों के दर्शन के लिए टोकन प्रदान किया जाएगा जिसके लिए केवल पंजीकृत श्रद्धालुओं को ही आगे की यात्रा जारी करने की अनुमति दी जाएगी, जिसके लिए विभिन्न धामों के दर्शन हेतु उनका सत्यापन किया जाएगा। केदारनाथ धाम के पंजीकृत श्रद्धालुओं के पंजीकरण का सत्यापन सोनप्रयाग में और बद्रीनाथ के पंजीकृत श्रद्धालुओं के पंजीकरण का सत्यापन पांडुकेश्वर में किया जाएगा। वहीं गंगोत्री व यमुनोत्री के लिए श्रद्धालुओं का सत्यापन क्रमशः हिना व बड़कोट में होगा। सत्यापन के पश्चात इन पंजीकृत श्रद्धालुओं को दर्शन हेतु टोकन प्रदान किया जाएगा जिनमें केदारनाथ, बद्रीनाथ व गंगोत्री के श्रद्धालु इन्हीं धामों से टोकन प्राप्त कर पाएँगे, वहीं यमुनोत्री के श्रद्धालुओं को टोकन जानकीचट्टी में दिया जाएगा।

चौथे शी आइवा अवार्ड्स में सम्मानित हुई महिलाएं

कोलकाता । शगुफ्ता हनाफी इवेन्ट्स (शी) द्वारा हाल ही में अलग – अलग क्षेत्रों की महिला हस्तियों को सम्मानित किया गया । शी द्वारा आयोजित चौथे शी आइवा अवार्ड्स में 15 महिला अचीवर्स सम्मानित की गयीं । सम्मानित होने वाली महिलाओं में कांथा संरक्षक फैशन डिजाइनर शामलू दडेजा, राजनेता अग्निमित्रा पाल, डॉ. आफरीन शब्बीर, आत्मन परमार, श्रुति मोहता, नीता बाजोरिया, सुनीता लाहिड़ी, मनीषा टिबरेवाल, आर. राजेश्वरी अय्यर, पूनम सिंह समेत 15 महिलाएं शामिल थीं । श्री शिक्षायतन के भुवालका ऑडिटोरियम में आयोजित इस सम्मान समारोह में अतिथि के रूप में कोलकाता में चीन के डिप्टी कौंसुलेट जनरल किन यंग, श्री शिक्षायतन फाउंडेशन की सेक्रेट्री जनरल ब्रतती भट्टाचार्य, धन्वन्तरी के प्रबन्ध निदेशक राजेन्द्र खण्डेलवाल समेत अन्य गण्यमान्य अतिथि उपस्थित थे । निर्णायकों में शिक्षाविद् जयता बसु, बी डी मेमोरियल की निदेशक सुमन सूद, एम पी बिड़ला फाउंडेशन एच एस स्कूल के सीईओ एस. के. सिंह शामिल थे । शी की संस्थापक शगुफ्ता हनाफी ने बताया की कि इस वर्ष 15 महिलाओं को सम्मानित किया गया और इसके लिए सैकड़ों नामांकन प्राप्त हुए ।

भारत जैन महामंडल लेडीज विंग ने मनायी महावीर जयंती

कोलकाता । महावीर जन्म कल्याणक दिवस पर भारत जैन महामंडल लेडिज विंग कोलकाता शाखा द्वारा जैन मंदिर, भवानीपुर में 25 किलो लड्डू वितरण किया गया। सभी बहनों को नाश्ता डब्बे भी प्रदान किए गए। भगवान महावीर के
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महावीर जयंती बहुत ही विशेष दिन माना जाता है। भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए मनुष्यों के लिए पांच नियम स्थापित किए जिन्हें हम पंच सिद्धांत के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान महावीर की पूजा-अर्चना की जाती है और उनके दिए गए उपदेशों को स्मरण करके उनके बताए गए सिद्धांतों पर चलने का प्रयास किया जाता है। इस अवसर पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भगवान महावीर की जयंती पर लोग भगवान महावीर की पूजा करते हैं और गरीबों को खाने का समान‌ वितरण करते हैं । विशेष सलाहकार पदाधिकारीगण सरोज भंसाली, अंजू सेठिया अध्यक्ष चंदा गोलछा, उपाध्यक्ष कल्पना गोलछा, कोषाध्यक्ष अंजू बैद और भारत जैन महामंडल लेडीज विंग की सदस्य बहनें सरिता बैद,सीमा बैद, कांता चोरड़िया, नेहा रामपुरिया, मंजु पारख, सज्जन भंसाली , कांता जैन,शशि सेठिया, पिंकी मणोत,राज कोठारी, प्रेम बरडिया,अनु बोहरा, ममता पींचा,अमराव रामपुरिया, बबीता छाजेड़, बबीता सांड, सुनीता जैन,सुमन फुलफगर, कविता दुगड़ विनीता बोहरा आदि। यह जानकारी भारत जैन महामंडल लेडिज विंग की विशेष सलाहकार पदाधिकारी अंजू सेठिया ने दी।

टीईई सूची में शामिल हुई मिर्जापुर की हाथ से बनी कालीन

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में हाथ से बुनी जाने वाली कालीन को टीईई की सूची में शामिल किया गया है। नई विदेश व्यापार नीति 2023 के तहत सरकार ने चार नए निर्यात उत्कृष्टता शहरों की घोषणा की है। मिर्जापुर की हाथ से बुनी जाने वाली कालीन व दरी के अलावा फ़रीदाबाद के परिधान, मुरादाबाद जिले की हस्तशिल्प व वाराणसी के हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पाद को शामिल किया गया है। इस सूची में शामिल में शामिल किए जाने के बाद सरकार के द्वारा उद्योग को बढ़ावा देने को लेकर प्रयास किया जाएगा।
उद्योग को मिलेगी रफ्तार, विदेशों में बजेगा डंका
सरकार के द्वारा नई विदेश व्यापार नीति के तहत टाउन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सिलेंस घोषित किया गया है। 39 मौजूदा शहरों की सूची में मिर्जापुर जिले की हस्तनिर्मित कालीन और दरी को शामिल किया गया है। मिर्ज़ापुर के अलावा तीन और शहरों के उत्पादों को भी जगह मिली है। मिर्जापुर जिले की हस्तनिर्मित कालीन और दरी को शामिल किये जाने के बाद इस उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इस सूची में शामिल किए जाने के बाद मिर्जापुर की निर्मित हस्तकालीन विदेशों में पहुंचेगा, जहां हस्तनिर्मित कालीन का डंका दुनियाभर में बजेगा।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि टीईई स्कीम में मिर्जापुर जिले की कालीन व दरी को शामिल किए जाने के बाद उद्योग को नए बाजार मिलेंगे। जिले में उद्योग स्थापित करने वाली औद्योगिक इकाइयों की विश्वनीयता अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी। उद्योग को बढ़ावा देने के लिये बुनियादी संसाधन भी आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे। मिर्जापुर जिले में निवेश को लेकर अपार संभावनाएं है। ऐसे में स्थानीय उद्योग को बढ़ावा मिले, इसको लेकर सार्थक कदम उठाये जा रहे है।
उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार देगी प्रोत्साहन
टीईई सूची में शामिल किए जाने के बाद सरकार के द्वारा उद्योग को बढ़ावा देने के लिये सहायता दी जाएगी। सरकार उद्योग को प्राथमिकता के आधार पर बाजार उपलब्ध कराने, निर्माण व औद्योगिक सेवाओं के लिये निर्यात प्रोत्साहन परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता की व्यवस्था करेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली व्यापार प्रदर्शनियों एवं मेले में भाग लेने के लिए मदद करने के साथ वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
निर्यात के आधार पर दी जाती है टीईई मान्यता
टीईई ऐसे औद्योगिक समूह होते है। जिन्हें निर्यात के आधार पर सरकार मान्यता देती है। मान्यता प्रदान किये जाने के बाद सम्बंधित शहर के कारोबारियों को आर्थिक विकास हेतु प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। औद्योगिक समूहों की क्षमता का अधिकतम उपयोग करने के साथ साथ मूल्य श्रृंखला और नवीन बाजारों का विकास करने के उद्देश्य से सरकार मान्यता देती है।