Monday, September 15, 2025
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रतन टाटा को ऑस्ट्रेलिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

नयी दिल्ली । भारतीय उद्योगपति रतन टाटा ने एक बार फिर से वैश्विक मंच पर भारत का मान बढ़ाया है। रतन टाटा को ऑस्ट्रेलिया ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया है। ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फैरेल ने ट्विटर पर रतन टाटा के साथ तस्वीरें शेयर करते हुए इसकी जानकारी दी है। टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा को सर्वोच्च सम्मान देते हुए ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें उद्योग जगत और परोपकार जगत का दिग्गज बताया है। उन्होंने सम्मान लेते हुए रतन टाटा के संग फोटो शेयर की है। तस्वीरों में रतन टाटा के साथ टाटा संग के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन भी नजर आए।
रतन टाटा को सम्मान
ऑस्ट्रेलिया ने रतन टाटा को कारोबार जगत में उनके काम और उनकी परोपकारिता के लिए ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया के सम्मान से सम्मानित किया गया है। रतन टाटा ने केवल भारत के लोगों पर ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया के लोगों पर अपनी छाप छोड़ दी है। बिजनस जगत में उनके योगदान ने ऑस्ट्रेलिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फैरेल ने उनके बारे में ट्वीट पर लिखा कि रतन टाटा ने केवल भारत के कारोबार और परोपकार के दिग्गज नहीं हैं, बल्कि उन्होंने अपने योगदान से ऑस्ट्रेलिया पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। उन्होंने भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए लंबे वक्त तक काम किया है। उन्होंने बिना रुके लंबे वक्त तक भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कारोबारी संबंधों को मजबूत करने के लिए काम किया है। उनके अहम योगदान को देखते हुए ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया ( सम्मान से सम्मानित किया गया। सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों के अपलोड होते ही वो वायरल हो गया। लोग रतन टाटा की तारीफों के पुल बांध रहे हैं।

चांदनी बनी वॉयस ऑफ स्लम, बदल रही है बस्ती के बच्चों का जीवन

नयी दिल्ली । झुग्‍गी-झोपड़ी के बच्‍चे चांदनी को ‘चांदनी दी’ के नाम से जानते हैं। वह आज ‘वॉयस ऑफ स्‍लम’ की संस्‍थापक हैं। 2016 में 18 साल की उम्र में उन्‍होंने इस संस्‍था की शुरुआत की थी। यह एनजीओ झुग्‍गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्‍चों की शिक्षा के लिए काम करता है। चांदनी इन बच्‍चों के दर्द को दूसरों की तुलना में कहीं ज्‍यादा महसूस कर सकती हैं। वजह है कि चांदनी ने कभी खुद यह जिंदगी जी है। उनका ताल्‍लुक सड़क पर तमाशा दिखाने वाले परिवार से था। छह साल की उम्र में पिता के साथ वह गांव-गांव शहर-शहर यह काम करती थीं। किसी तरह पेट पल जाता था। दुख का पहाड़ तब टूटा जब अचानक चांदनी के सिर से पिता का साया उठ गया। तब वह 10 साल की भी नहीं थीं। उनके दो और छोटे भाई-बहन थे। पिता के गम में मां का हाल बुरा हो गया था। परिवार का पेट पालने की जिम्‍मेदारी चांदनी पर आ गई थी। उन्‍होंने कूड़ा बीनना शुरू कर दिया। फूल और भुट्टे बेचे। उन्‍होंने वह समय देखा है जब उनसे लोगों ने ‘ऐ लड़की!’ ‘ओ!’ ‘कितने पैसे लेगी तू मेरे साथ चलने के…’ यहां तक कहा। लेकिन, चांदनी इन सबको सहकर आगे बढ़ती गईं और कारवां बनता गया। आज अपनी संस्‍था के जरिये वह न केवल सैकड़ों बच्‍चों को पढ़ा रही हैं, बल्कि उनकी सशक्‍त आवाज भी हैं।
बहुत छोटी उम्र से चांदनी झुग्‍ग‍ी-बस्तियों में रहने वाले बच्‍चों के लिए काम कर रही हैं। 10 साल की उम्र में वह ‘बढ़ते कदम’ नाम के संगठन से जुड़ गई थीं। यह संगठन गरीब बच्‍चों की शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य की बुनियादी जरूरतें पूरी करता है। चांदनी के कड़वे अनुभव उन्‍हें इस संस्‍था के पास तक लेकर गए। चांदनी का जन्‍म 1997 में हुआ था। पिता सड़क पर तमाशा दिखाया करते थे। छह साल की उम्र में वह भी पिता के काम का हिस्‍सा बनी गई थीं। लेकिन, अचानक एक दिन पिता नहीं रहे। घर पर चूल्‍हा जलना बंद हो गया। करीब एक साल तक परिवार ने भरपेट खाना नहीं खाया। परिवार का पेट पालने के लिए चांदनी मां के साथ कूड़ा बीनने लगीं। घर में उनके दो और छोटे भाई-बहन भी थे।
सुबह तड़के कूड़ा बीनने न‍िकल पड़ती थीं
चांदनी सुबह तीन बजे तड़के सड़क पर कूड़ा बीनने निकलती थीं। वह ऐसा बिल्‍कुल करना नहीं चाहती थीं। लेकिन, परिवार चलाने के लिए यह जरूरी था। फिर कूड़ा बीनना छोड़ उन्‍होंने फूल बेचना शुरू किया। लोग बहुत गंदी तरीके से बात करते थे। इसी दौरान उन्‍होंने ध्‍यान दिया कि कुछ लोग सड़कों पर बच्‍चों को पढ़ाने के लिए आते हैं। वह वहां जाकर पढ़ने लगीं। उन्‍हें एहसास था कि बस यही एक चीज है जिससे जिंदगी को बदला जा सकता है। फूल बेचने का काम बंद करके उन्‍होंने भुट्टे बेचने का काम शुरू कर दिया। भुट्टा खरीदने के लिए उन्‍हें नोएडा से दिल्‍ली जाना पड़ता था। वह करीब 50 किलो भुट्टा लेकर आती थीं। इसके लिए उन्‍हें सुबह 4 बजे मंडी पहुंचना पड़ता था। कारण य‍ह था कि समय बढ़ने के साथ मंडी में भाव बढ़ते जाते थे। गाड़ी भी नहीं मिलती थी। इसी तरह एक भयावह हादसे के कारण वह कई दिनों तक घर से नहीं निकली ।
झुग्‍गी में रहने वाले बच्‍चों की बन गईं आवाज
चांदनी ने सोचा इस तरह से तो काम नहीं चलेगा। वह घर में बंद रहकर कैसे रह सकती हैं। उनका घर कैसे चलेगा। और लोग भी तो काम करते हैं। उन्‍हें क्‍या-क्‍या नहीं सहना पड़ता होगा। बाल अधिकार के बारे में उन्‍होंने और जानकारी हासिल की। जब चांदनी 18 साल की हुईं तो देव प्रताप सिंह के साथ ‘वॉयस ऑफ स्‍लम’ की शुरुआत की। 2016 में शुरू हुआ यह एनजीओ झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले बच्‍चों के लिए काम करता है। यह उन्‍हें अपनी बात कहने के लिए मंच भी मुहैया करता है। ‘बालकनामा’ के जरिये भी चांदनी इन गरीब बच्‍चों की बातों को सामने लाती हैं। ‘बालकनामा’ दिल्‍ली से प्रकाशित होने वाला अखबार है जो सड़क पर रहने वाले बच्‍चे निकालते हैं। इसमें उस तरह के सभी विषय उठाए जाते हैं जिनसे सड़क पर रहने वाले बच्‍चों की जिंदगी पर असर पड़ता है। चांदनी ने इस अखबार में रिपोर्टर से सम्पादक तक का सफर तय किया है।

भारतीय मुद्रा में व्यापार करने वाला 19वाँ देश बना बांग्लादेश

ढाका । दुनिया में आज हर तरह का कारोबार डॉलर के जरिए होता है। लेकिन कई देश हैं जो डॉलर से छुटकारा चाहते हैं। बांग्लादेश और भारत के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है। इसके जरिए अब बांग्लादेश भारत से अपना व्यापार रुपये में करेगा। बांग्लादेश 19वां देश बन गया है जो भारत के साथ डॉलर की जगह भारतीय मुद्रा में व्यापार करेगा। दोनों देश डॉलर को छोड़ने और अपने लेनदेन को आसान बनाने के लिए स्थानीय मुद्रा के इस्तेमाल की बातचीत महीनों से कर रहे थे।
भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार शुरु करने के लिए बांग्लादेश के दो बैंक सोनाली बैंक और ईस्टर्न बैंक लिमिटेड ( ईबीएल) दो भारतीय बैंकों एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक में अपने वोस्ट्रो खाते खोलेंगे। दोनों भारतीय बैंक भी बांग्लादेश के इन बैंकों में अपने खाते खोलेंगे। बिनी किसी तीसरी मुद्रा के दोनों देश टका और रुपया में अपना व्यापार करेंगे। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक सोनाली बैंक लिमिटेड के सीईओ और एमडी मोहम्मद अफजल करीम ने कहा, ‘इस तरह के व्यापार से दोनों देशों का डॉलर पर दबाव कम होगा। दोनों देशों को इससे फायदा होगा।’
विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव होगा कम
भारतीय रिजर्व बैंक और एसबीआई का एक प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश की राजधानी पहुंचा था। यहां रुपया और टका में व्यापार करने पर चर्चा हुई थी। 11 अप्रैल को आरबीआई और एसबीआई के भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ईबीएल और सोनाली बैंक के एमडी से मुलाकात की। बांग्लादेश बैंक के कार्यकारी निदेशक मेजबुल हक ने कहा कि उनके देश के व्यवसायों ने भारत के साथ रुपये-टका में व्यापार का स्वागत किया है, क्योंकि इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा।
इन देशों से भी होता है रुपए में व्यापार
रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में भारत से बांग्लादेश का आयात करीब 13.69 अरब डॉलर था जिसमें से 2 अरब डॉलर का कारोबार भारतीय रुपये में होगा और बाकी का भुगतान अमेरिकी डॉलर में किया जाएगा। ईबीएल के एमडी ने कहा, ‘दोनों देशों के केंद्रीय बैंक से मंजूरी के बाद हम ग्राहकों को सूचित करेंगे कि भारत के साथ आयात और निर्यात सीधे रुपये में हो सकता है। जो भी व्यापारी रुपए में कारोबार करना चाहेंगे उन्हें लेटर ऑफ क्रेडिट दिया जाएगा। इससे व्यापारियों को फायदा पहुंचेगा।’ रूस, सिंगापुर, श्रीलंका, बोत्सवाना, फिजी, जर्मनी, गुयाना, इजरायल, केन्या, मलेशिया, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, ओमान, सेशेल्स, तंजानिया, युगांडा और यूनाइटेड किंगडम वह देश हैं, जिनके साथ भी रुपए में व्यापार होता है।

ब्रिटेन में भारतीय महिला का संबलपुरी साड़ी में मैराथन

 4 घंटे 50 मिनट में 42 किमी तक लगाई दौड़

लंदन । उत्तर-पश्चिम इंग्लैंड के मैनचेस्टर शहर में उत्तर-पूर्व भारत की पारंपरिक संबलपुरी साड़ी पहनकर मैराथन में दौड़ती हुई ओडिशा की एक महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। मधुस्मिता जेना (41) ने रविवार को अपनी चटख रंग की साड़ी और स्नीकर्स में चार घंटे और 50 मिनट में 42 किमी से अधिक की दूरी तय की। उनके इस कारनामे के बाद से सोशल मीडिया पर उनकी इस उपलब्धि के चर्चे हो रहे हैं।
ब्रिटिश प्रवासी संगठन फ्रेंड्स ऑफ इंडिया सोसाइटी इंटरनेशनल (एफआईएसआई) ने एक ट्वीट में कहा, “ब्रिटेन के मैनचेस्टर में रहने वाली एक भारतीय मधुस्मिता जेना ने एक सुंदर संबलपुरी साड़ी में आराम से मैनचेस्टर मैराथन 2023 में हिस्सा लिया। अपनी भारतीय विरासत को गर्व से प्रदर्शित करते हुए, वह सर्वोत्कृष्ट भारतीय पोशाक पर एक आकर्षक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करती हैं।” जल्द ही उनकी इस उपलब्धि की कई और लोगों ने भी सराहना की। हालांकि, कुछ लोगों ने उनके परिधान की व्यावहारिकता पर हैरानी जताई।

छात्राओं के चेहरे पर मुस्कान ला रहे हैं बिहार के ‘पैडमैन’ गौरव राय

सिवान । बिहार के ‘पैडमैन’ हालांकि आर्थिक रूप से उतने कमजोर नहीं हैं। इनके सामने बच्चियों को समझाने का झंझट नहीं है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार के ‘पैडमैन’ की। जो इन दिनों हजारों छात्राओं के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम कर रहे हैं। कहते हैं कि समाज के लिए कुछ करने की चाहत तो सभी मुश्किलें आसान हो जाती हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड के सुघड़ी निवासी गौरव राय। इन्होंने खुद की पहल से भगवानपुर हाट प्रखंड के तीन हाई स्कूलों में मंगलवार को सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाई।
गौरव राय ने माघर उच्च विद्यालय, माघर, इंद्र सिंह उच्च विद्यालय सह इंटर कॉलेज, हिलसड़ और एसएसए उच्च विद्यालय सह इंटर कॉलेज भगवानपुर हाट में वेंडिंग मशीन लगवाया। पटना से अपनी कार से इन मशीनों को लेकर गौरव राय एक- एक कर तीनों हाई स्कूलों में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने खुद से स्कूल में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन को लगाया। साथ ही शिक्षक और छात्राओं को इसके उपयोग की ट्रेनिंग भी दी। गौरव राय के इस पहल को देख शिक्षकों और छात्राओं ने खूब सराहा।
110 स्कूलों में लगा चुके हैं वेंडिंग मशीन
पटना में एक निजी कंपनी में सीनियर जेनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत गौरव सिन्हा सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। उन्होंने बताया कि प्रति महीने खुद की सैलरी से बचत कर वे सेनेटरी नेपकिन वेंडिंग मशीन और साइकिल खरीदते हैं। इस काम में बाद में मित्रों का भी सहयोग मिलने लगा। ऐसे में अब तक बिहार के 110 हाई स्कूलों में सेनेटरी नेपकिन वेंडिंग मशीन लगा चूके हैं। साथ ही 157 जरूरतमंद बच्चों को साइकिल भी दे चूके हैं।
कोरोना काल में बने ऑक्सीजन मैन
गौरव राय की पहचाना बिहार में ऑक्सीजन मैन के नाम से भी है। कोरोना के समय पटना में जरूरतमंदों को ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध करा कर गौरव सिन्हा ने कई लोगों की जिंदगी बचाई थी। जिसकी वजह से इन्हें ऑक्सीजन मैन के तौर पर बिहार में पहचान मिली। दरअसल कोरोना पॉजिटिव होने के बाद पीएमसीएच में उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिली। जिसके बाद उन्होंने खुद सिलिंडर खरीद लिया। और जब ठीक हो गए तो लोगों को सिलिंडर उपलब्ध कराने लगे। जिसमें लोगों ने भी उनका खूब साथ दिया।
(साभार – नवभारत टाइम्स)

अमित शाह ने किया विश्व का पहला नैनो डीएपी (तरल) उर्वरक राष्ट्र को समर्पित

• माननीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने इफको मुख्यालय, नयी दिल्ली में इफको द्वारा विकसित इफको नैनो डीएपी (तरल) उर्वरक राष्ट्र को समर्पित किया।
• एफसीओ के तहत अधिसूचित इफको नैनो डीएपी (तरल) शीघ्र ही किसानों के लिए उपलब्ध होगा।
• यह उर्वरक पौधे की उत्पादकता बढ़ाने में कारगर है। इसे आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर कृषि के ध्येय के अनुरूप विकसित किया गया है।
• यह परंपरागत यूरिया से सस्ता है। (डीएपी की एक बोरी की कीमत रु. 1350/- है जबकि नैनो डीएपी (तरल) के एक बोतल की कीमत मात्र रु. 600/- है।
• इसका प्रयोग जैविक रूप से सुरक्षित है तथा इसका उद्देश्य मृदा, जल और वायु प्रदूषण को कम करना है।
• इससे डीएपी के आयात पर निर्भरता कम होगी।
• इससे परिवहन और भंडारण की लागत में कमी आएगी।

कोलकाता । कृषि उत्पादकता तथा किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से माननीय केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री  अमित शाह ने आज विश्व के पहले नैनो डीएपी (तरल) उर्वरक का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री के सहकार से समृद्धि और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। माननीय मंत्री जी ने इफको सदन में आयोजित एक समारोह में नैनो डीएपी (तरल) राष्ट्र को समर्पित किया, जिसे भारत व विदेश में करोड़ों किसानों और सदस्य सहकारी समितियों ने ऑनलाइन देखा।
इफको ने नैनो डीएपी के उत्पादन के लिए गुजरात में कलोल, कांडला और उड़ीसा में पारादीप में विनिर्माण इकाइयों की स्थापना की है। कलोल संयंत्र में उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है। इस वर्ष नैनो डीएपी के 5 करोड़ बोतलों का उत्पादन किया जाएगा जो 25 लाख टन डीएपी के बराबर होगा। आशा है कि वित्त वर्ष 2025-26 तक इफको के तीनों नैनो डीएपी संयंत्रों से नैनो डीएपी की 18 करोड़ बोतलों का उत्पादन किया जाएगा।
नैनो डीएपी (तरल) नाइट्रोजन और फास्फोरस का उत्तम स्रोत है, जो पौधों में इन पोषक तत्वों की कमी को दूर करता है। उर्वरक क्षेत्र की विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा विकसित तरल उर्वरक नैनो डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत 2 मार्च, 2023 को अधिसूचित किया गया है। इफको को भारत में नैनो डीएपी (तरल) के उत्पादन की अनुमति देने के लिए राजपत्र अधिसूचना जारी की गई थी। यह जैविक रूप से सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ ही अवशेष मुक्त हरित कृषि के लिए उपयुक्त है।
इस अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, ने कहा , “सफल सहकारी समितियां अपने ढांचे से बाहर निकलते हुए अनुसंधान और नए नए क्षेत्रों में पदार्पण कर रही हैं । इस दृष्टि से इफको आज सभी सहकारी समितियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना है। इफको के द्वारा नैनो डीएपी (तरल) का लॉन्च फ़र्टिलाइज़र के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण शुरुआत है। करोड़ों केमिकल फर्टिलाइजर युक्त भूमि भारतीयों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी हुई है। आज लॉन्च हुए नैनो डीएपी (तरल) न केवल भूमि के संरक्षण में बड़ा योगदान देगा अपितु पौधे पर छिड़काव के माध्यम से उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाएगा ।“ “देश में कुल फर्टिलाइजर का उत्पादन 384 लाख मीट्रिक टन हुआ है। इसमें सहकारी समितियों ने 132 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन किया है। और इस 132 लाख मैट्रिक टन फ़र्टिलाइज़र में से अकेले इफको ने 90 लाख मीट्रिक टन फर्टिलाइजर का उत्पादन किया है। भारत की आत्मनिर्भरता में इफको, कृभको जैसी हमारी सहकारी समितियों का बहुत बड़ा योगदान है”  शाह ने कहा। इफको के अध्यक्ष दिलीप संघाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने के अनुरूप किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें बेहतर भविष्य प्रदान करने के उद्देश्य से नैनो डीएपी (तरल) को विकसित किया गया है।
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि नैनो डीएपी (तरल) फसल में पोषक तत्वों की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाने में बहुत प्रभावी पाया गया है। नैनो डीएपी (तरल) पर्यावरण हितैषी उत्पाद है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग में काफी कमी आएगी। उन्होंने बताया कि इफको किसानों की बेहतरी के लिए अत्याधुनिक नवीन कृषि तकनीकों और नवाचारों के प्रयोग पर लगातार काम कर रहा है।

अशोक द्विवेदी एवं अनिल ओझा नीरद को साहित्य अकादेमी का भाषा सम्मान

कोलकाता । वर्ष 2019 के लिए साहित्य अकादेमी का प्रतिष्ठित भाषा सम्मान पुरस्कार भोजपुरी भाषा एवं साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए अशोक द्विवेदी (बलिया) एवं अनिल कुमार ओझा ‘नीरद’ (कोलकाता) को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया था। यह पुरस्कार अकादेमी के साहित्योत्सव 2023 में नई दिल्ली में साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष श्री माधव कौशिक द्वारा प्रदान किया जाना था। लेकिन आकस्मिक अस्वस्थता के कारण श्री नीरद यह पुरस्कार ग्रहण करने नहीं पहुँच सके। इसलिए 1 लाख रुपए के इस पुरस्कार के साथ दिया जानेवाला उत्कीर्ण ताम्र फलक अकादेमी के क्षेत्रीय सचिव डॉ. देवेंद्र कुमार देवेश द्वारा उनके आवास पर जाकर उन्हें हस्तगत किया गया। इस अवसर पर नीरद ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अकादेमी का यह पुरस्कार उनके लिए नोबेल पुरस्कार की तरह है। ज्ञातव्य हो कि अकादेमी द्वारा कालजयी एवं मध्यकालीन भारतीय साहित्य तथा गैरमान्यताप्राप्त भाषाओं के विद्वानों के लिए भाषा सम्मान दिए जाने का आरंभ 1996 में किया गया था, जो अब तक 113 विद्वानों को प्रदान किया जा चुका है। इसके पूर्व भोजपुरी भाषा-साहित्य में योगदान के लिए अकादेमी का भाषा सम्मान पुरस्कार धरीक्षण मिश्र (1996),  मोती बी.ए. (2001) एवं  हरिराम द्विवेदी (2013) को प्रदान किए गए हैं।

एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम ने शुरू किया एमएसएमई अड्डा

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, ग्रेटेक्स और सन्मार्ग फाउंडेशन का सहयोग

कोलकाता । देश की अर्थव्यवस्था को ग्लोबल रैंकिंग इंडेक्स पर मजबूत करने में एमएसएमई की अहम भूमिका होती है। एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम-पश्चिम बंगाल चैप्टर ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, ग्रीटेक्स और सन्मार्ग फाउंडेशन के साथ मिलकर कोलकाता के द पार्क होटल में एमएसएमई अड्डा का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में विधायक विवेक गुप्ता, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एसएमई स्टार्टअप के प्रमुख अजय ठाकुर , एमएसएमई विकास मंच के अध्यक्ष रजनीश गोयनका (अध्यक्ष, ), ग्रेटेक्स कॉर्पोरेट सर्विस लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक आलोक हरलालका, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम, पश्चिम बंगाल की अध्यक्ष सीएस (डॉ.) एवं अधिवक्ता ममता बिनानी के अलावा समाज के कई अन्य सम्मानीय लोग मौजूद थे।
एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम, पश्चिम बंगाल की अध्यक्ष एवं आईसीएसआई और एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम पश्चिम बंगाल चैप्टर की पूर्व अध्यक्ष सीएस (डॉ.) एवं अधिवक्ता ममता बिनानी ने कहा, मुझे एमएसएमई अड्डा का हिस्सा बनकर बेहद खुशी हो रही है, इसका लक्ष्य एमएसएमई को लेकर इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में अब हर महीने उदारतापूर्वक विचार-विमर्श करना है। प्राथमिक तौर पर भारत एक मजबूत प्राथमिक और द्वितीयक बाजार माना जाता है। यह इस बात का प्रमाण है कि कैसे हमारे सम्मानीय व्यवसायों ने व्यापारिक क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ है। जिसके कारण इसके संचालन के दृष्टिकोण और परिदृश्य में काफी बदलाव आया है। इसी उपलब्धि के कारण आज भारत पूरी दुनिया के शीर्ष 10 देशों में अपनी जगह बनाने की दहलीज पर खड़ा है। आज का यह दौर एमएसएमई और स्टार्ट-अप्स के लिए अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का बेहतरीन समय है। इस अवसर का लाभ लेना न भूलें।
एमएसएमई के बारे में: हमारे देश की अर्थव्यवस्था को वैश्विक रैंकिंग इंडेक्स पर मजबूत करने में एमएसएमई काफी अहम भूमिका निभाता है। वर्तमान अनुमानों के अनुसार भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत, जिसमें 63 मिलियन से अधिक एमएसएमई हैं, जिसमें पहले की तुलना में इसमें लगभग दोगुना बढ़ोत्तरी हुई है।

उद्योगों की स्थापना के लिए कई जगहों पर भूमि चिह्नित कर रही है राज्य सरकार

कोलकाता । मर्चेन्ट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने हाल ही में राज्य की उद्योग, वाणिज्य, उद्यम एवं महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ.शशि पांजा के साथ एक परिचर्चा सत्र आयोजित किया । सत्र को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योगों के विस्तार के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है और इसके लिए वेस्ट बंगाल इंडस्ट्रियल प्रोमोशन बोर्ड के तहत 8 विभाग लाए गए हैं जिससे उद्योगों की स्थापना योग्य भूमि की पहचान की जा सके । राज्य सरकार की नीतियों के तहत पर्यटन पर विशेष जोर दिया जा रहा है । उत्तर बंगाल में चाय पर्यटन आकर्षण का केन्द्र बन रहा है । न्यू चमता और रायदक बागान में चाय उत्पादन के उपयोग में नहीं लाई जा रही भूमि को पर्यटन के लिए उपयोग में लाया जा रहा है । चमता में में मेफेयर होटल बन रहा है मगर भूमि के उपयोग के लिए कुछ मापदंड निर्धारित किये गये हैं । यह भूमि सस्ते आवासों एवं होम स्टे के लिए भी इस्तेमाल की जाएगी । इनमें से सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सबसे रघुनाथपुर से गुजरते हुए अमृतसर-दानकुनी फ्रेट कॉरिडोर के किनारे 8000 एकड़ गैर कृषि भूमि की पहचान थी जहां कई उद्योग लगने की सम्भावना थी । इंडस्ट्रियल प्रोमोशन बोर्ड ने पुरुलिया की जंगल सुन्दरी एवं क्रमनगरी को उद्योगों की स्थापना के लिए चिह्नित किया गया है और इसे रेड, ऑरेंज एवं ग्रीन जोन में विभाजित किया गया है । पुरुलिया में लौह एवं स्टील उद्योग की स्थापना के अवसर हैं । मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अमृतसर – डानकुनी मार्ग के कल्याणी तक विस्तार करने एवं उत्तर बंगाल को जोड़ने के लिए एक और रेलवे कॉरिडोर के निर्माण का प्रस्ताव दिया है । पश्चिम बंगाल की स्टील ईकाइयों को ओडिशा से लौह अयस्क मुहैया करवाने को लेकर पांजा ने कहा कि ओडिशा के मुख्यमंत्री ने इस बाबत हुई एक बैठक में इस पर सहमति जतायी है पर समय लगेगा । उन्होंने कहा कि आसनसोल के पास ढाकेश्वरी कॉटन मिल के लिए 193 एकड़ भूमि, दुर्गापुर के निकट मंगलपुर में विशाल भूमि, बेलूर में 100 एकड़ भूमि. जहाँ कभी नेस्को था, चिह्नित की गयी है । स्वागत भाषण एमसीसीआई के अध्यक्ष नमित बाजोरिया ने दिया जबकि उपाध्यक्ष प्रीति. ए. सुरेका ने धन्यवाद दिया ।

एमसीसीआई में कैपिटल मार्केट कॉन्क्लेव, निवेशकों के हितों पर जोर


कोलकाता । मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कैपिटल मार्केट कॉन्क्लेव आयोजित किया । सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह और मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी उपस्थित थे । कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने कहा कि आईटी क्षेत्र की तरह ही स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र भारत में लंबी अवधि के लिए विकास को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका में खपत होने वाली 40 फीसदी दवाएं भारत में बनती हैं। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के अलावा, “हमें अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने, मुक्त व्यापार समझौतों का लाभ उठाने की आवश्यकता होगी ।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र भारत में विकास का नेतृत्व करेगा, लेकिन भौतिक बुनियादी ढाँचा, कर संरचना में बदलाव, बैंकिंग सुधार और भारत स्टैक- डिजिटल बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने से विकास को बढ़ावा मिला है। मुखर्जी ने कड़ी मेहनत पर जोर दिया और कहा कि भारत में निवेशकों को बढ़ने का अवसर दिया जाना चाहिए । विकास को सक्षम करने के लिए एक प्रवाहकीय नियामक वातावरण होना चाहिए। शाह ने कहा कि बाजार में सफल होने के लिए लंबी अवधि के आधार पर अच्छी कंपनियों में निवेश करना चाहिए और बाजार में बने रहना चाहिए। एमसीसीआई के अध्यक्ष श्री नमित बाजोरिया ने स्वागत भाषण दिया। अन्य वक्ताओं में अर्जव बिल्डर्स की निदेशक दिवा जैन,एमसीसीआई की कैपिटल मार्केट काउंसिल के चेयरमैन रवि जैन, शामिल थे। स्टार्ट अप पर एमसीसीआई काउंसिल के अध्यक्ष प्रतीक चौधरी ने धन्यवाद दिया।

गरीब बच्चों पर खर्च होगी “मदर टेरेसा एंड मी” की कमाई

कोलकाता में लांच हुआ फिल्म का ट्रेलर

कोलकाता ।  फिल्म “मदर टेरेसा एंड मी” तीन असाधारण महिलाओं की एक शक्तिशाली कहानी है, जिनका जीवन आशा, करुणा और प्रेम से जुड़ा हुआ है। गुरुवार को इसके स्टारकास्ट जैकलीन फ्रित्ची-कॉर्नाज़, दीप्ति नवल, देबाश्री चक्रवर्ती और निर्देशक कमल मुसाले ने कोलकाता में फिल्म का ट्रेलर किया लॉन्च। फिल्म की बेहतरीन कहानी को लेकर दर्शक काफी दिनों से बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे है।

यह फिल्म भारत में मदर टेरेसा के प्रारंभिक वर्षों (1940 के दशक के मध्य से) की समाज सेवामूलक कार्यों की कहानी बताती है, इसमें दिखाया गया है कि वह कैसे गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की मदद करने कले हमेशा जुटी रहती थी। इस फिल्म में भारतीय मूल की एक ब्रिटिश युवा लड़की कविता की कहानी भी बताई गई है, जो कुछ प्रमुख सवालों के जवाब की तलाश में भारत की यात्रा करती है। देशभर के सिनेमाघरों में यह फिल्म जल्द अंग्रेजी और हिंदी भाषा में रिलीज होगी। ‘कैरी वेस्टर्न’ और ‘मिलियंस कैन वॉक’ जैसी सुपरहिट फिल्मों के निर्देशक स्विस/भारतीय कमल मुसाले ने अपनी इस नई फिल्म में कहानी का निर्देशन किया है।

इस फिल्म के कलाकारों में बनिता संधू पंजाबी मूल की एक ब्रिटिश अभिनेत्री हैं। जिन्होंने 11 साल की उम्र में अपना करियर शुरू किया था। अपने चरित्र ‘कविता’ के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “हममें कई मायनों में इस फिल्म के चरित्र के साथ बहुत समानता हैं। वह एक युवा लड़की है जो अपने जीवन को पहचान और समझ रही है।

फिल्म में मदर टेरेसा की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री जैकलिन फित्ची-कॉर्नज ने इस फिल्म को कमल मुसाले, रिचर्ड फ्रित्ची और थिएरी कैगियानट के साथ सह-निर्मित किया। यह विशेष रूप से इस मायने में काफी अहम है कि है कि इस फिल्म को पूरी तरह से चैरिटी के लिए बनाया गया है। इस फिल्म से होनेवाले सारे मुनाफे को गरीब बच्चों को दिया जाएगा, जिससे उन्हें स्वास्थ्य, सेवा और शिक्षा अर्जित करने ने मदद मिलेगी

फिल्म में बेहतरीन अभिनय का छाप छोड़ने वाली दीप्ती नवल एक अमेरिकी भारतीय अभिनेत्री हैं। जिन्होंने 1980 में अभिनय की शुरुआत की। इसके लिए उन्होंने अपना पहला सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता। तब से अब तक वह 90 से अधिक फिल्मों में अभिनय का जलवा बिखेर चुकी हैं। दीप्ति का प्रमुख योगदान कला सिनेमा के क्षेत्र में रहा है, जहां उन्हें भारत में महिलाओं की बदलती भूमिका को उजागर करने वाले उनके संवेदनशील और वास्तविक जीवन के चरित्रों के लिए आलोचनात्मक प्रशंसा मिली है।

कमल मुसाले, एक स्विस-भारतीय फिल्म निर्माता हैं, जिन्होंने इंग्लैंड में राष्ट्रीय फिल्म और टेलीविजन स्कूल से फिल्म निर्देशन और पटकथा लेखन में स्नातक करने के बाद, फिल्म निर्माता ने 30 से अधिक फिल्में बनाईं। जिनमें फीचर, वृत्तचित्र और कला फिल्में शामिल हैं। जो कान्स (द थ्री सोल्जर्स) और लोकार्नो (एलाइन, रेसलेट करी) जैसे प्रतिष्ठित उत्सवों में दिखाए गए हैं, और कई पुरस्कार जीते हैं।

कमल मुसले द्वारा निर्देशित और लिखित और करी वेस्टर्न मूवीज (प्राइवेट लिमिटेड), लेस फिल्म्स डू लोटस (एसएआरएल) और कविता टेरेसा फिल्म (लिमिटेड) के बैनर तले निर्मित इस फिल्म में बनिता संधू, जैकलीन फ्रिट्ची-कॉर्नाज़ और दीप्ति नवल प्रमुख भूमिकाओं में दिखेंगी।

इसके अलावा फिल्म में विक्रम कोचर, ब्रायन लॉरेंस, हीर कौर, केविन मेन्स, लीना बैश्य, शोबू कपूर, माही अली खान, फेथ नाइट और जैक गॉर्डन प्रमुख भूमिकाओं में नजर आएंगी।
फिल्म की प्रमुख भूमिकाओं में महिलाएं हैं, जिनमे कीको नखरा (डीओपी), रेखा मुसले (प्रोडक्शन डिज़ाइनर) और लाइन प्रोड्यूसर नूपुर कजबजे बत्तिन प्रमुख हैं। फिल्म में संगीत पीटर स्केयर, एनिक रोडी, वाल्टर मैयर और लॉरेंस क्रेवोइसियर ने दिया है। सिनेपोलिस और पेन मरुधर की ओर से आगामी 5 मई 2023 को पूरे देश में “मदर टेरेसा एंड मी” फिल्म को रिलीज करने जा रही है।