नयी दिल्ली । खेल मंत्रालय द्वारा मौजूदा सेलेक्शन नियमों को आसान बनाने के फैसले के बाद भारतीय पुरुष और महिला फुटबॉल टीमों को चीन के हांगझू में आगामी एशियाई खेलों में भाग लेने की मंजूरी मिल गई है। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने भारतीय फुटबॉल टीमों को एशियाई खेलों में भाग लेने के लिए मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने एशिया में टॉप-8 की रैंकिंग से बाहर होने इसके पीछे की वजह बताई थी।
एशियाई खेलों में शामिल होंगी टीमें- इस स्थिति के जवाब में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने खेल मंत्रालय से एक गंभीर अपील की, जिसमें पुरुष और महिला टीमों को इस बड़े आयोजन में भारत का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया।
कोच ने पीएम से की थी हस्तक्षेप की मांग-भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम के कोच इगोर स्टिमैक ने भी इस मामले को सुलझाने में मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की थी। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि “भारतीय फुटबॉल प्रेमियों के लिए अच्छी खबर। हमारी राष्ट्रीय फुटबॉल टीमें, दोनों पुरुष और महिला आगामी एशियाई खेलों में भाग लेने के लिए तैयार हैं।”
टीम के प्रदर्शन पर मिली छूट- “भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय ने दोनों टीमों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए नियमों में ढील देने का फैसला किया है, जो मौजूदा नियमों के अनुसार क्वालीफाई करने में असफल हो रहे थे।
मंत्रालय ने कहा कि हाल के दिनों में फुटबाल टीम के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने छूट देने का फैसला किया है। मुझे यकीन है कि वे एशियाई खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे और हमारे देश को गौरवान्वित करेंगे।”
23 सितंबर से शुरू होंगे एशियाई गेम्स- मंत्रालय के चयन के नियमों के अनुसार केवल अपने संबंधित खेलों की महाद्वीपीय रैंकिंग में शीर्ष आठ में रहने वाली टीमों को ही एशियाड के लिए यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी। भारतीय पुरुष टीम एशिया में 18वें स्थान पर है, जबकि महिला टीम 11वें स्थान पर है। हांग्जो एशियाई खेल 23 सितंबर से 8 अक्टूबर तक चीन में आयोजित होंगे।
एशियाई खेलों में भाग लेंगी भारत की पुरुष और महिला फुटबॉल टीम
12 साल की गुंजन ने बनाया नया विश्व रिकॉर्ड, 62 घंटों में लद्दाख की तीन चोटियों पर की चढ़ाई
पणजी (गोवा) । गोवा के 12 वर्षीय पर्वतारोही गुंजन पंकज प्रभु नार्वेकर ने लद्दाख क्षेत्र की मरखा घाटी में 6000 मीटर से ऊपर की तीन चोटियों पर केवल 62.5 घंटों में सफलतापूर्वक चढ़ाई कर एक नया वैश्विक रिकॉर्ड बनाया है। इस सराहनीय उपलब्धि को हासिल करने के बाद गुंजन का लक्ष्य अब माउंट एवरेस्ट है। गोवा की गुंजन पंकज प्रभु नार्वेकर यहां की ज्ञान विकास स्कूल की 8वीं कक्षा की छात्रा हैं।
उन्होंने लद्दाख क्षेत्र की तीन चोटियों – माउंट कांग यात्से-2 (6250 मीटर), माउंट रेपोनी मल्लारी-1 (6097 मीटर) और माउंट रेपोनी मल्लारी-2 (6113 मीटर) पर्वत श्रृंखलाओं पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की है। 12 वर्षीय पर्वतारोही ने 49 घंटे में (पहली से तीसरी शिखर) और 62.5 घंटे (बेसकैंप से बेसकैंप) में 6000 मीटर से अधिक तीन चोटियों पर चढ़ाई की और एक नया वैश्विक रिकॉर्ड बनाया।
एएनआई से बात करते हुए गुंजन ने कहा, “जब हम गए तो मौसम काफी खराब था। अनुमान नहीं था कि इस महीने बर्फबारी होगी। मैं जब जा रही थी तो मुझे अनुमान था कि आसमान काफी साफ होगा और बर्फबारी नहीं होगी। बर्फ के कारण ये और कठिन था, क्योंकि चलते समय कुछ स्थानों पर हमारे पैर और कुल्हे काम करना बंद कर देते थे। उसे ठीक करने में या मालिश करने में हमें अधिक थकान होती थी। हालांकि, इस दौरान मुझे कोई चोट नहीं आई।”
गुंजन ने बताया कि, “मेरी मां मेरी सफलता से बहुत खुश हैं। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि एक ट्रैकर के रूप में सारी उपलब्धियां हासिल करते हुए देखकर मैं बहुत खुश हूं। मेरा मानना है कि सभी माता-पिता को अपने बच्चों को इसी क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने के लिए सहयोग करना चाहिए।” पर्वतारोही ने कहा कि, “मेरा सपना 7 महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ना है, जिनमें से केवल 3 ही बचे हैं। इसके अलावा मैं छत्तीसगढ़ के बच्चों और महिलाओं के लिए कुछ करना चाहती हूं। वे आज हर क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन उन्हें पहचान नहीं मिल रही है, जिसके वो हकदार हैं। मुझे इस पर काम करने की जरूरत है।”
कोलकाता के न्यूटाउन चिड़ियाघर में विदेश से जल्द लाए जाएंगे छह बाघ व छह शेर
कोलकाता । कोलकाता के न्यूटाउन में हाल में स्थापित मिनी चिड़ियाघर जल्द ही बाघों व शेरों की मेजबानी भी करेगा। इस चिड़ियाघर में आंगतुकों को आकर्षित करने के लिए जल्द ही विदेश से छह बाघ व छह शेर लाए जाएंगे। राज्य के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने यह जानकारी दी।
अदला-बदली कार्यक्रम के तहत बाघों व शेरों को लाया जाएगा
मल्लिक ने कहा- न्यूटाउन चिड़ियाघर के लिए अफ्रीकी देश कांगो, तंजानिया और मसाईमारा से जल्द छह बाघ व छह शेर लाए जाएंगे। अफ्रीकी देशों के साथ अदला-बदली कार्यक्रम के तहत बाघों व शेरों को यहां लाया जाएगा। हालांकि इसके बदले उन देशों को किन जानवरों को दिया जाएगा, इसका विवरण देने से उन्होंने इन्कार किया।
चिड़ियाघर में अलग से बनाया जाएगा सांपों का एक विशेष क्षेत्र
मल्लिक ने आगे बताया कि इसके अलावा न्यूटाउन चिड़ियाघर में अलग से सांपों का एक विशेष क्षेत्र भी बनाया जाएगा। यह अलीपुर चिड़ियाघर की तर्ज पर ही होगा। बता दें कि इसी साल की शुरुआत में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने न्यूटाउन में स्थापित मिनी चिडिय़ाघर का उद्घाटन किया था।
अलीपुर चिड़ियाघर का दूसरा विकल्प
वन मंत्री ने आगे कहा कि जेब्रा, जिराफ, खारे और मीठे पानी के मगरमच्छ, विभिन्न प्रकार के दुर्लभ पक्षी और हिरण जैसे जानवर पहले से ही इस चिड़ियाघर में मौजूद हैं। जल्द ही हम बाघ और शेर लाएंगे। उन्होंने कहा कि न्यूटाउन जू अब अलीपुर चिड़ियाघर का दूसरा विकल्प है। इस मिनी चिडिय़ाघर में मांसाहारी, सर्वाहारी और शाकाहारी जानवरों के लिए अलग-अलग क्षेत्र हैं।
बंगाल में पक्षियों को घर में कैद करने पर लगेगा प्रतिबन्ध
कोलकाता । राज्य के वन मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक के अनुसार यह प्रतिबंध अगस्त की शुरुआत में लगाया जा सकता है । मल्लिक ने कहा, “यह कानून किसी भी प्रकार की भारतीय प्रजाति के पक्षियों को घर में रखने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएगा. इसका उल्लंघन करना दंडनीय अपराध माना जाएगा और ऐसा न करने पर अधिकारियों द्वारा सख्त कार्रवाई की जाएगी । ” हालांकि, उन्होंने कहा कि विदेशी प्रजाति के पक्षियों घर में रखने के मामले में थोड़ी छूट दी जाएगी । मंत्री ने कहा, “लेकिन उस मामले में भी बहुत सारे प्रतिबंध होंगे, जैसे कि विदेशी प्रजातियों के पक्षियों को केवल प्रजनन के उद्देश्य से रखा जा सकता है । इसके लिए मालिकों को लाइसेंस प्राप्त करना होगा । यह लाइसेंस 15,000 रुपये के पंजीकरण शुल्क के भुगतान पर दिया जाएगा।”
मल्लिक ने आगे कहा कि विदेशी प्रजातियों के पक्षियों के रखरखाव के लिए प्रतिबंध होंगे. उन्होंने कहा । “मालिकों को उन्हें सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और वे उन्हें खुले बाजार में नहीं बेच पाएंगे । जिन्होंने पहले से ही भारतीय प्रजाति के पक्षियों को रखा हुआ है । उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से पहले, मेरा विभाग एक गहन अभियान कार्यक्रम चलाएगा ताकि वे जागरूक हो जाएं कि क्या करना है और क्या नहीं ।” राज्य वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि “भारतीय कानून के तहत पूरे देश में भारतीय पक्षियों को पालतू रूप में रखना वर्जित है. लेकिन इस कानून के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है । कई घरों में पक्षियों, विशेषकर तोतों को रखा जाता है. लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार इस मुद्दे पर सख्ती से कार्रवाई करे और इसलिए यह नया राज्य कानून लाया जा रहा है ।”
मानसून में पुरुष अपनाएं खुद को निखारने के यह तरीके
बरसात के मौसम का मतलब ये नहीं है कि आप पानी का सेवन छोड़ दें । अपनी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने के लिए खुद को पर्याप्त रूप से हाइड्रेट करें । दिन भर में कम स कम 4 लीटर पानी जरूर पिएं ।
मानसून के दौरान पसीना और शरीर की दुर्गंध चिंता का विषय हो सकती है । पसीने के कम करने और दुर्गंध को दूर करने के लिए सिर्फ डिओडोरेंट के बजाय एंटीपर्सपिरेंट का विकल्प चुनें । बारिश के मौसम में अपने कपड़ों के लिए पॉलिएस्टर और नायलॉन जैसे जल्दी सूखने वाले कपड़ों को चुनें । डेनिम जैसे भारी कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि इन्हें सूखने में अधिक समय लगता है और ये असुविधाजनक हो सकते हैं ।
बारिश के बावजूद, नमी के कारण आपकी त्वचा अभी भी शुष्क हो सकती है । अपनी त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए हल्के, नॉन ग्रीसी मॉइस्चराइज़र से मॉइस्चराइज़ करें ।
नमी यानी ह्यूमिडिटी के स्तर के कारण, आपके बाल फ्रीजी हो सकते हैं । ऐसे में बाल छोटे रखें । अपने बालों को साफ़ और चमकदार बनाए रखने के लिए एंटी-फ़्रिज़ उत्पादों या हेयर सीरम का उपयोग कर सकते हैं ।
मानसून के पानी और नमी से पैरों में संक्रमण और दुर्गंध आ सकती है । ऐसे में अपने पैरों को साफ और सूखा रखने की कोशिश करें और उचित जूते पहनें जो बारिश से सुरक्षा प्रदान करते हों ।
अगर आप दाढ़ी रखते हैं तो इसे अनियंत्रित और नम होने से बचाने के लिए नियमित रूप से ट्रिम करें । इसे अच्छी तरह से संवारकर रखने से न केवल आपका रूप निखरता है बल्कि मानसून के दौरान स्वच्छता बनाए रखने में भी मदद मिलती है ।
बर्फ की सिल्लियों से बनी थी भारत की पहली एसी ट्रेन
भारत में यदि रेलवे के इतिहास की बात करें, तो यह सभी लोगों को पता है कि भारत की पहली ट्रेन मुंबई से ठाणे के बीच साल 1853 में चली थी। इन दोनों स्टेशनों के बीच ट्रेन ने करीब 27 किलोमीटर का रूट तय किया था। समय के साथ-साथ रेलवे का विकास हुआ और वर्तमान में 13 हजार से अधिक यात्री ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है, जो कि 7 हजार से अधिक रेलवे स्टेशनों से गुजरती हैं।
यात्रा को और भी सुविधाजनक बनाने के लिए अब हम एसी कोच में भी सफर करते हैं, जिससे बाहर चाहे सूरज के कितने भी कड़े तेवर हो, लेकिन एसी कोच के अंदर की ठंडी हवा के आगे वह गर्मी बेसर से लगती है। हालांकि, यहां सवाल यह है कि क्या आपको भारत की पहली एसी ट्रेन के बारे में पता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम भारत की पहली एसी ट्रेन के बारे में जानेंगे।
कब चली थी भारत की पहली एसी ट्रेन
भारत में 1853 में ट्रेन चलने के बाद अंग्रेजों ने रेलवे नेटवर्क को विस्तार देना शुरू कर दिया था। इसके बाद साल 1928 में वह समय भी आया, जब अंग्रेजों ने भारत में पहली एसी ट्रेन का संचालन किया।
कौन-सी थी पहली एसी ट्रेन
आपको बता दें कि भारत की पहली एसी ट्रेन का नाम पंजाब मेल था। इस ट्रेन को 1928 में मुंबई से पाकिस्तान के शहर पेशावर तक चलाया जाता था, जिसमें अंग्रेजी अधिकारी सफर किया करते थे। हालांकि, कुछ समय बाद इसमें महात्मा गांधी से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी सफर किया।
1934 में बदल दिया था नाम
अंग्रेजों ने साल 1934 में इस ट्रेन का नाम बदल दिया था। उन्होंने इस ट्रेन का नाम पंजाब मेल से बदलकर फ्रंटियर मेल कर दिया था। उस समय यह ट्रेन मुंबई से दिल्ली, हरियाणा और अमृतर होते हुए पाकिस्तान तक जाती थी।
बर्फ की सिल्लियों का किया जाता था इस्तेमाल
भारत की पहली एसी ट्रेन का कहानी भी दिलचस्प है। दरअसल, उस समय इलेक्ट्रॉनिक एसी नहीं हुआ करता था। ऐसे में अंग्रेजी अधिकारी गर्मी में यात्रा करने के दौरान ट्रेनों में बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल करते थे। इसके लिए स्टेशन से बड़ी-बड़ी बर्फ की सिल्लियों को ट्रेन में लोड कर दिया जाता था।
खास बात यह है कि इन सिल्लियों को ट्रेन के कंपार्टेमेंट के नीचे रखा जाता था और उनके ऊपर एक पंखा लगा दिया जाता था। यह पंखा बैट्री से चलता था, जो कि बर्फ की ठंडक को कंपार्टेमेंट में फैला देता था।
आपको बता दें कि बर्फ को चेक करने के लिए हर स्टेशन पर अलग से स्टाफ भी तैनात किया जाता था, जो कि ट्रेन में बर्फ की स्थिति की जांच करता था। यदि बर्फ अधिक पिघल गई होती थी, तो उसे बदल दिया जाता था।
मानसून में आंखों को बचाएं संक्रमण से
मानसून का मौसम वाटर बोर्न संक्रमणों का खतरा बना रहता है । ऐसे में हाथों की अच्छी स्वच्छता बनाए रखकर आंखों से संबंधित कई समस्याओं को रोका जा सकता है । अपनी आंखों को छूने या आई ड्रॉप या दवा लगाने से पहले अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोने की आदत बनाएं ।
मानसून के मौसम में आपकी आंखें संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं । अपनी आंखों को गंदे हाथों से छूने या रगड़ने से बचें, क्योंकि इससे हानिकारक बैक्टीरिया या वायरस आ सकते हैं, जिससे आंखों में संक्रमण हो सकता है । चाहे आपको अपना चेहरा धोना हो या अपनी आंखें साफ करनी हो, हमेशा साफ, फ़िल्टर्ड पानी का उपयोग करें । दूषित पानी में हानिकारक सूक्ष्मजीव हो सकते हैं जो इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं ।
अगर आप भारी बारिश के दौरान बाहर निकल रहे हैं, तो अपनी आंखों को वॉटरप्रूफ या रैप-अराउंड धूप के चश्मे से सुरक्षित रखें । ये न केवल आपकी आंखों को बारिश की बूंदों से बचाते हैं बल्कि उन्हें धूल और हानिकारक यूवी किरणों से भी बचाते हैं ।
मानसून के मौसम में तौलिए, रूमाल या आंखों के मेकअप जैसे निजी सामान शेयर करने से आंखों में संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है । इन वस्तुओं में बैक्टीरिया या वायरस हो सकते हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति आसानी से संक्रमित हो सकते हैं । हमेशा अपनी वस्तुओं का उपयोग करें और उन्हें दूसरों के साथ साझा करने से बचें ।
अगर आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, तो बरसात के मौसम में खास स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है । अपने आंखों की देखभाल के लिए अत्यधिक नमी वाली स्थिति में लेंस पहनने से बचें क्योंकि इससे आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
आंखों के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए विटामिन और खनिजों से भरपूर संतुलित आहार जरूरी है । अपने आहार में गाजर, पालक, खट्टे फल, बादाम और मछली जैसे खाद्य पदार्थ शामिल करें, क्योंकि इनमें आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो स्वस्थ आँखों को बढ़ावा देते हैं.पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ।
लोकसभा ने पारित किया ‘जन विश्वास बिल’ बदलेंगे कई कानून
नयी दिल्ली । लोकसभा ने गुरुवार को जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2022 पारित कर दिया। विधेयक में कई क्षेत्रों में 42 कानूनों से संबंधित कई जुर्माने को दंड में बदलने का प्रावधान है। सजा देने के लिए अदालती अभियोजन आवश्यक नहीं होगा, कई अपराधों के लिए सजा के रूप में कारावास भी हटा दिया जाएगा। केंद्र द्वारा 19 मंत्रालयों को 42 कानूनों में पुराने प्रावधानों को हटाने के लिए कहने के बाद यह कानून पारित किया गया था। यह बिल पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में पेश किया था।
जिन अधिनियमों में संशोधन किया जा रहा है उनमें औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940; सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944; फार्मेसी अधिनियम, 1948; सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952; कॉपीराइट अधिनियम, 1957; पेटेंट अधिनियम, 1970; पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986; और मोटर वाहन अधिनियम, 1988।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 20 मार्च को पेश की गई संसदीय पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने से “न्यायपालिका और जेलों पर बोझ कम होगा”, जबकि व्यवसाय करना आसान हो जाएगा और साथ ही व्यक्तियों का जीवन भी आसान हो जाएगा। इसमें कहा गया है, “प्रस्तावित संशोधनों में से कुछ छोटे अपराधों से निपटने के लिए उपयुक्त न्यायनिर्णयन तंत्र पेश कर रहे हैं, जहां भी लागू हो और संभव हो। यह न्यायपालिका पर बोझ को कम करने, अदालतों को मुक्त करने और कुशल न्याय वितरण में मदद करने में काफी मदद करेगा।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उनके आवास पर दिन में हुई कैबिनेट बैठक के बाद विधेयक पारित किया गया। गृह मंत्री अमित शाह सहित सभी कैबिनेट मंत्री बैठक में भाग ले रहे हैं, जो 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले मंत्री स्तर में फेरबदल की चर्चा के बीच हो रही है। इस महीने की शुरुआत में पीएम नरेंद्र मोदी ने मंत्रिपरिषद के साथ बैठक की थी।
टाइम मैगजीन की 100 साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची में एकमात्र भारतीय ‘पथेर पांचाली’
कोलकाता । टाइम मैगजीन ने बीते 10 दशकों की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की एक सूची जारी की है जिसमें एक मात्र भारतीय फिल्म पथेर पांचाली को जगह मिली है। मैगजीन ने 1920 से 2010 के दशक को कवर किया है। 100 साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची की शुरुआत द कैबिनेट ऑफ डॉ कैलीगरी (1920) से हुई और वन्स अपॉन ए टाइम इन हॉलीवुड (2019) के साथ समाप्त होती है।
इन दो फिल्मों के बीच केवल एक भारतीय फिल्म पथेर पांचाली (1955) को जगह दी गई है जिसका निर्देशन सत्यजीत रे ने किया था। गौरतलब है कि पथेर पांचाली बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय के 1929 के बंगाली उपन्यास पर आधारित है। यह फिल्म रे के निर्देशन की पहली फिल्म थी। तब से इसका उल्लेख अब तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की कई समान सूचियों में किया गया है। इसमें सुबीर बनर्जी, कानू बनर्जी, करुणा बनर्जी, उमा दासगुप्त और चुनिबाला देवी शामिल हैं। फिल्म की कहानी बंगाल के निश्चिन्दिपुर गांव में रहने वाले अपू और उसकी बड़ी बहन दुर्गा की कहानी है। अपू और दुर्गा गरीबी की कड़वी सच्चाई से अनजा अपने बचपन की अल्हड़ शैतानियों में अपना जीवन बिताते हैं।
100 फिल्मों की सूची और उसमें पथेर पांचाली को कैसे चुना गया? टाइम के जचरक ने एक लेख में लिखा- ‘मैंने चुनने में 50 से अधिक वर्ष बिताए हैं। ये ऐसी फिल्में हैं जो शिल्प कौशल और भावना को जोड़ती हैं। वे अक्सर आकर्षक प्रदर्शन प्रस्तुत करते हैं। किसी भी कारण से, वे मुझे गहराई से छूते हैं।’ गौरतलब है कि हाल ही में, यह साइट एंड साउंड पत्रिका की सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की प्रतिष्ठित सूची में जगह पाने वाली एकमात्र भारतीय फिल्म थी। और इसे इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म क्रिटिक्स (एफआईपीआरईएससीआई) द्वारा अब तक की सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्म घोषित किया गया था।
100 फिल्मों की सूची ये फिल्में भी शामिल
पथेर पांचाली के अलावा इस सूची में साइकिल थीव्स, ब्रेथलेस, गॉन विद द विंड, सेवन समुराई, टैक्सी ड्राइवर, द गॉडफादर पार्ट 2 जैसे क्लासिक्स का उल्लेख मिलता है। इसके साथ ही ईटी द एक्स्ट्रा-टेरेस्ट्रियल और द एम्पायर स्ट्राइक्स बैक जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में और वोंग कार-वाई की दो फिल्में – इन द मूड फॉर लव और चुंगकिंग एक्सप्रेस भी शामिल हैं। सबसे हालिया प्रविष्टियाँ टारनटिनो की वन्स अपॉन ए टाइम इन हॉलीवुड और ग्रेटा गेरविग की लिटिल वुमेन हैं।
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खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में हिंदी शिक्षण कार्यशाला
कोलकाता। कोलकाता के सुप्रतिष्ठित खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में छह दिवसीय मूल्य वर्द्धक पाठ्यक्रम (वैल्यू एडेड कोर्स) के अंतर्गत ‘बोलचाल की हिंदी सीखें’ कोर्स कराया जा रहा है। आज से इस कोर्स की शुरूआत आई.क्यू.एस.सी एवं हिंदी विभाग के सयुंक्त तत्त्वावधान में अहिंदी भाषी विद्यार्थियों के लिए की गयी है। इस कोर्स में छह दिन अलग-अलग विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को हिंदी व्याकरण, वर्णमाला, लिंग की समस्या, वाक्य रचना, काव्य लेखन, साक्षात्कार,पत्र लेखन आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी देंगे। एमएसटीसी के पूर्व निदेशक मृत्युंजय श्रीवास्तव, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय से प्रो. वेद रमन पाण्डेय, स्कॉटिश चर्च कॉलेज से डॉ गीता दुबे, लिटिल थेस्पियन संस्था की निदेशक एवं रंगकर्मी उमा झुनझुनवाला, वागर्थ पत्रिका के सह संपादक एवं नाटककार सुशील कांति के साथ हिंदी विभाग की शिक्षिका डॉ शुभ्रा उपाध्याय, मधु सिंह और राहुल गौड़ क्लास लेंगे। खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज के अलावा दूसरे कॉलेज के विद्यार्थियों ने भी इस कोर्स में अपना पंजीकरण कराया है।कार्यशाला के पहले दिन कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुबीर कुमार दत्ता ने कहा कि कोलकाता में इस प्रकार का कोर्स पहली बार कराया जा रहा है। इस कोर्स से विद्यार्थी लाभांवित होंगे।बतौर विषय विशेषज्ञ खिदिरपुर कॉलेज की विभागाध्यक्ष डॉ इतु सिंह ने ‘वर्णमाला, उच्चारण, मात्राएँ, शब्द निर्माण ‘ विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि हिंदी सीखने के क्रम में इनकी जानकारी बहुत जरूरी है।डॉ शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि किसी भी भाषा को सीखना एक पूरी संस्कृति को सीखना होता है। आई.क्यू.एस.सी की संयोजिका एवं इतिहास विभाग की प्रो. अनामिका नंदी ने कहा कि यह कोर्स सभी विद्यार्थियों के लिए मददगार है क्योंकि यह कोर्स विद्यार्थियों को नौकरी के क्षेत्र में मदद करेगा।सभी प्रतिभागियों को 31 जुलाई को कोर्स प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। आपको बता दें कि इसके पहले अंग्रेजी विभाग की तरफ से लेखन कौशल और कॉलेज लाइब्रेरी की ओर से चैट जीपीटी विषय को लेकर वैल्यू एडेड कोर्स कराया गया था।