Sunday, June 29, 2025
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लड़कियों को दहेज नहीं, पैतृक सम्पत्ति में से अधिकार दीजिए

सम्बन्धों का आधार विश्वास होता है परन्तु सम्बन्धों का महत्वपूर्ण आधार एक दूसरे के प्रति सम्मान भी होता है । सबसे आवश्यक यह जान लेना है कि एक दूसरे के प्रति सम्मान का आधार आयु नहीं होता, व्यक्ति, वर्ग और सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि नहीं होती बल्कि एक दूसरे के व्यक्तित्व का, चरित्र का सम्मान होता है । हम यह बात इसलिए कह रहे हैं कि श्रावण का महीना चल रहा है और यह शिव और शक्ति को समर्पित सबके लिए यह सम्भव नहीं होता और न ही यह सबके वश की बात है कि वह किसी को पूर्ण रूप से उपरोक्त आधारों को छोड़कर सम्मान दे । जब एक दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास समाप्त हो जाए तो यह उचित समय होता है कि दूरी बना ली जाए, थोड़ा समय दिया जाए, आत्ममंथन किया जाए और इस पर भी बात न बने तो आगे बढ़ जाया जाए ।
हम भारतीय परिवारों में संयुक्त परिवारों को महत्व अवश्य दिया गया है मगर उसका आधार प्रेम से अधिक सामाजिक बन्धन ही है । परिवारों में स्त्रियों की स्थिति एक आश्रित की होती है या उपेक्षिता की होती है । जो आश्रित रहकर परिवार की एकता के नाम पर अपने साथ होने वाले हर अन्याय को सहती जाए और हर अन्याय में सम्बन्ध निभाने के नाम पर खड़ी हो जाए…परिवार हो या समाज, जय -जयकार उसी की होती है, दूसरी तरफ उपेक्षिता वह है जो प्रश्न उठाती है, अपने अधिकारों की बात करती है और उसके लिए लड़ती है और हर तरफ से उसे त्याज्य समझा जाता है । कारण यह नहीं है कि उसके सवाल गलत हैं बल्कि कारण यह है कि आपके पास इन प्रश्नों के उत्तर ही नहीं है । आपको पीड़ित – प्रताड़ित, मौन रहने वाली घुट – घुटकर जीने वाली औरतें आदर्श लगती हैं मगर मुखर स्त्रियों से आप डरते हैं मगर आप सम्मान इनमें से किसी का नहीं करते , यही तथ्य है ।
इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर पारम्परिक मीडिया तक, रील और मीम निर्माताओं तक ज्योति मौर्य – आलोक मौर्य का प्रकरण छाया है । सबने अपने – अपने पक्ष चुन लिए हैं जबकि सत्य कोई नहीं जानता मगर दुःखद यह है कि इस घटना की आड़ में अपनी कुत्सिल और दमित इच्छाओं को पूरा करने का जरिए पितृसत्तात्मक समाज ने निकाल लिया है । ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटना पहली बार हुई है परन्तु पुरुषों का बड़ा वर्ग खुद को स्वयंभू मानता है और स्त्रियों को अधीनस्थ..यह मानसिकता खुलकर सामने आ गयी है । क्या यह सिर्फ पति – पत्नी का मामला है, वास्तविकता यह है कि है मगर इसमें से अपने अहं की तुष्टि के लिए कैंची और जंजीर लेकर चलने वाले स्त्रियों के पर काटने निकल पड़े और अब होगा यह कि स्त्रियाँ अपनी जंजीरें निकाल फेकेंगी ।
यह जो बार – बार आप कहते हैं कि हर पुरुष एक जैसा नहीं होता तो आप यह क्यों नहीं समझते कि हर एक महिला एक जैसी नहीं होती और सबसे बड़ी बात यह है कि आपने एक पक्ष को तो सुन लिया मगर दूसरे पक्ष की बात नहीं सुन रहे और न ही समझना चाहते हैं क्योंकि नहीं समझने में आपकी सत्ता है । नहीं समझने में आपकी कुंठा, अहंकार, अशिक्षा..सब छुप जा रही है…आप खुद को खड़ा नहीं कर सके तो अब जो स्त्रियाँ आगे बढ़ रही हैं, उनकी प्रगति में बाधक बन रहे हैं…जबकि वह स्त्री आपके घर में एक घरेलू सहायक नहीं है..। चाहे वह आपकी बहन हो या पत्नी हो, दोनों का अपना सम्मान है, उनका स्वतंत्र व्यक्तित्व है और आगे बढ़ना आपके द्वारा दी गयी भिक्षा नहीं बल्कि उनका अधिकार है जिसे आप छीन नहीं सकते ।
इसके साथ ही यह भी समझना होगा कि अपने सपने अपने दम पर पूरे किये जाते हैं, अगर आप किसी पर निर्भर रहकर आसमान छूना चाहती हैं तो आप शायद आसमान छू भी लें मगर उसे पा नहीं सकतीं और न ही वह पूरा आसमान आपका होगा । कम से कम शिक्षित स्त्रियों को अपना खर्च और अपनी जिम्मेदारियों का बोझ खुद उठाना चाहिए । कोई किसी पर भी निर्भर होगा तो जटिलताएं और बढ़ेंगी । बचपन से ही माता – पिता यह कड़वी सच्चाई अपने बच्चों को बताकर बड़ा करेंगे तो वह मानसिक रूप से मजबूत होंगे और भविष्य के लिए तैयार भी । इसके लिए जरूरी है कि समय की माँग को समझते हुए लड़कियों को दहेज की जगह पैतृक सम्पत्ति में उनका अधिकार दीजिए..क्लेश और कलुषता दोनों कम होगी ।
यह ठोकर बहुत जरूरी थी कि स्त्रियाँ अपनी नींद से जागें और अपना सम्मान प्राप्त करें..अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आगे बढ़ें ।

 

भारतीय प्रवासी बंगाली हेतु ‘आईएफए शील्ड यू.के. 2023’ आयोजित

हेरिटेज बंगाल ग्लोबल ने आयोजित किया फुटबॉल टूर्नामेंट

कोलकाता । यूके में रहनेवाले भारतीय प्रवासी बंगाली समुदाय के लोग पिछले 6 वर्षों से (2020 के कोरोना काल के वर्ष को छोड़कर) हर गर्मियों के मौसम में आयोजित फुटबॉल टूर्नामेंट आईएफए (इंडियन फैन्स अलायंस) शील्ड में खेले जानेवाले मैच में हमेशा अपने पसंदीदा क्लब ईस्ट बंगाल या मोहन बागान की जर्सी पहने हुए देखे जाते हैं। इस साल 9 जुलाई को आर्बर पार्क में एक दिवसीय इस सुप्रसिद्ध फुटबॉल टूर्नामेंट ‘आईएफए शील्ड यूके 2023’ का आयोजन किया गया है, इसमें खेलने के लिए वहां फुटबाल प्रेमियों का उत्साह पूरे चरम पर है, इस प्रतियोगिता को इंग्लैंड के एफए द्वारा मान्यता प्राप्त है। हर साल इस फुटबॉल प्रतियोगिता में मैच के दौरान बंगाली समुदाय में काफी लोकप्रिय मेनू इलिश और चिंगड़ी (झींगा) के साथ मजेदार व्यंजन के साथ फुटबॉल और फूड डे एकसाथ मनाया जाएगा। इस साल मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब के सचिव दीपेंदु बिस्वास के समर्थन और पहल से क्लब के प्रशंसक टूर्नामेंट में पहली बार दिखेंगे। इस वर्ष के आयोजन में सोने पर सुहागा यह है कि भारतीय उच्चायोग ने स्वयं उप उच्चायुक्त सुजीत घोष के नेतृत्व में इस आयोजन में शामिल होने के लिए एक टीम भेजी है। पूर्व भारतीय अंतर्राष्ट्रीय जूल्स अल्बर्टो और हैरो काउंसिल के सबसे युवा काउंसिलर मैथ्यू गुडविन फ्रीमैन के साथ टीम काफी यह टीम दिलचस्प और दमदार लग रही है!

यह टूर्नामेंट पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के समूह के बीच खेला जाता है, जिसमें केवल महिलाएँ पेनल्टी शूटआउट करती हैं। इसके कारण इस आयोजन में शुरुआत से लेकर अंत तक भरपूर मजा ही मजा है । इस आयोजन में हेरिटेज बंगाल ग्लोबल के राजीब साहा, सौरव पॉल, रमिता घोष, सुदीप्तो भौमिक के लिए इस साल सबसे बड़ी संख्या में टीमों को शामिल करना एक नई चुनौती बन गई है। वही दूसरी ओर पॉइंटर्स बिजनेस फोरम (पीबीएफ) पिछले दो वर्षों से इस टूर्नामेंट का एक अभिन्न अंग रहा है, जिसका नेतृत्व इसके अध्यक्ष आईआईएचएम के सुबर्नो बोस, मुंबई स्थित एक्विस्ट रियल्टी के सचिव संजय गुहा, कोलकाता के देबाशीष घोष और हैरो के शौमो चौधरी कर रहे हैं।

एचबीजी के उपाध्यक्ष महुआ बेज हर इसकी तैयारियों में व्यस्त हैं, जो टूर्नामेंट की लगातार बदलती आवश्यकताओं को दर्शाते हैं और सुचारू वितरण सुनिश्चित करने के लिए बाहरी निकायों के साथ संपर्क कर रहे हैं। ईस्ट बंगाल, मोहन बागान और मोहम्मडन स्पोर्टिंग के लिए खेलने वाले खिलाड़ी सायंतन चक्रवर्ती, अबिरभाव बंद्योपाध्याय और ऋषिक बोस इस टूर्नामेंट की ट्रॉफी जीतने का लक्ष्य लेकर पिछले कुछ महीनों से हर हफ्ते अभ्यास में व्यस्त हैं। दिब्येंदु दूसरी बार खेलने के लिए स्विट्जरलैंड से आ रहे हैं। एचबीजी के निदेशक अनिर्बान मुखोपाध्याय कहते हैं, ‘इसकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि यह इस तरह का आयोजन ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी होने जा रहा है। सिडनी 23 सितंबर को अपने आईएफए शील्ड की मेजबानी करेगा। यूके में रहनेवाले प्रवासी बंगाली का एक बड़ा हिस्सा अब इस टूर्नामेंट से अपनी पहचान बना रहा है।

सांगवी डांस सेंटर’ का 10वां वार्षिक कार्यक्रम ‘सांगवी मोमेंट्स 2023’ सम्पन्न

कोलकाता । ‘सांगवी डांस सेंटर’, डांस और फिटनेस प्रीमियर डांस अकादमी सेंटर की ओर से कोलकाता के कला मंदिर में रंगारंग वार्षिक कार्यक्रम ‘सांगवी मोमेंट्स’ का भव्य आयोजन किया गया। यह शहर का एक दशक पुराना स्टूडियो है, जो महानगर में पश्चिमी अनुशासन सहित कुछ बेहतरीन अंतरराष्ट्रीय नृत्य शैली को संजोहे हुए है। इस कार्यक्रम का प्रबंधन मैप5 इवेंट्स द्वारा किया गया है। सांगवी मोमेंट्स के ग्रैंड फिनाले कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर डॉ. आर.के. गुप्ता (ऋषिकेश के आयुर्वेदिक ऑन्कोलॉजिस्ट), डॉ. ममता बिनानी (सीएस, सलाहकार, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम पश्चिम बंगाल चैप्टर की अध्यक्ष), नीता कनोरिया (निदेशक विंग्स), डॉ. गरिमा अग्रवाल (भारत गौरव रत्न और ज्योतिष, वास्तु और हीलिंग के लिए ब्रावो इंटरनेशनल वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स धारक), गगन सचदेव (बॉडीलाइन के मालिक), श्रीमती श्रद्धा पारेख अग्रवाल (बैंकर), विपुल कृष्ण अग्रवाल (व्यवसायी), श्री आशीष मित्तल (निदेशक, गोल्डन ट्यूलिप होटल), श्रीमती संगीता भुवालका (सांगवी नृत्य केंद्र की निदेशक) और श्रीमती विनीता मजीठिया (सांगवी डांस सेंटर की निदेशक) के अलावा कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इसमें शामिल थे।
सांगवी डांस सेंटर कोलकाता की प्रमुख नृत्य अकादमी है। इनके पास नृत्य और फिटनेस क्षेत्र में 23 वर्षों से अधिक का अनुभव है। यहां अनुभवी प्रशिक्षकों की टीम अबतक 3-70 वर्ष की आयु के बीच के 5 लाख से अधिक छात्रों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित कर चुके है। यहां हिप-हॉप, जैज़, कंटेम्पररी, व्हैकिंग, सेमी-क्लासिकल और बॉलीवुड जैसे कई नृत्य रूप सिखाया जाता हैं। यहां न केवल नृत्य, बल्कि एक्सपर्ट प्रशिक्षकों के साथ उनकी देखरेख में नियमित ज़ुम्बा कक्षाएं प्रदान करके फिटनेस रक भी पूरा ध्यान दिया जाता हैं। खास तौर पर वयस्कों के लिए ज़ुम्बा कक्षाएं नृत्य और फिटनेस के मिश्रण से उनमें तनाव-बस्टर के लिए डिज़ाइन की गई हैं। कार्यक्रम में इन विषयों पर विभिन्न शो का प्रदर्शन किया गया, जिसमे- आदियोगी (शिव के प्रति समर्पण), जियो, प्यार करो और डांस करो, जैस्मीन द्वारा अरेबियन नाइट्स का प्रदर्शन (बेली डांस), संयुक्त परिवार, 10 बॉलीवुड दिवस के साथ एक डांस जिगल, इंद्रधनुष के पार कहीं, काला रंग (प्रेम जुनून), द मैजिक टॉय स्टोरी, 10 दोहरे अंक वाली संख्या (दोहरा व्यक्तित्व) है, ज़ुम्बा, गंगू बाई, जब मैं बड़ा हो जाऊँगा, कोविड, भगवद गीता से 10 पाठ, सूफी कथक, 10 कदम (बच्चों के लिए स्वास्थ्य जागरूकता) के अलावा और भी काफी कुछ इस कार्यक्रम में प्रदर्शित किया गया।
सांगवी डांस सेंटर की निदेशक संगीता भुवालका और विनीता मजीठिया ने कहा, हमारे लिए 10वां वार्षिक शो ‘सांगवी मोमेंट्स 2023’ को प्रस्तुत करना एक बड़े सम्मान की बात है। इस रंगारंग भव्य कार्यक्रम में 3-60 वर्ष की आयु के कुल 400 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इस तरह के आयोजन छात्रों में आत्म-विश्वास, निर्णय लेने, स्मृति और आत्मविश्वास की गहरी भावना पैदा करने के अलावा, एक ही समय में उनकी रचनात्मकता का पोषण करते हैं। हमें खुशी है कि हमारा सांगवी परिवार आपस में एक गहरा बंधन साझा करता है। हम इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अपने सभी प्रतिभागियों को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए तहे दिल से धन्यवाद देते हैं।

मालदीव के शिक्षा मंत्री डॉ. अब्दुल्ला रशीद अहमद ने दिए विद्यार्थियों को शिक्षा के मंत्र सूत्र

कोलकाता ।  सर्वश्रेष्ठ शिक्षाविद् मालदीव के शिक्षा मंत्री डॉ अब्दुल्ला रशीद अहमद ने भवानीपुर कॉलेज के विद्यार्थियों को एमर्जिंग ट्रेंड्स इन एजूकेशन विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। विद्यार्थियों को जीवन के उद्देश्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्टता प्राप्त करने के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की । वैश्विक युग में जहांँ विभिन्न भाषाएँ, संस्कृतियाँ और कार्य हैं ऐसे युग में अपने देश को समृद्ध करने के लिए विद्यार्थियों को स्वयं सुदृढ़ होना होगा।डॉ अब्दुल्ला ने चौदह बिजनेस लॉ में विशिष्टता प्राप्त की है जो एक मिसाल है। एक अच्छे विद्यार्थी में छह सी की उपयोगिता बताई जिनमें कोलेबोरेशन, क्रिटिक्स थिंकिंग , क्रिएटिविटी , कम्युनिकेशन, सीटीजन, कैरेक्टर प्रमुख बिंदु हैं जिनको अपने जीवन में उतारना होगा तभी विद्यार्थी अपने उद्देश्यों पर खरे उतरेंगे। सफलता उन्हें ही मिलती है जो अपने जीवन में आराम के दायरे से बाहर निकल कर कार्य करते हैं। हम आज पूछते नहीं हैं स्वीकार कर लेते हैं अतः जिज्ञासु होना आवश्यक है।

मालदीव के शिक्षा मंत्री डॉ अब्दुल्ला रशीद अहमद के साथ साक्षात्कार लेतै हुए डॉ वसुंधरा मिश्र

डॉ वसुंधरा मिश्र ने एक साक्षात्कार में डॉ अब्दुल्ला रशीद से कई प्रश्न किए जिनमें स्त्री सशक्तीकरण, वेशभूषा, खानपान, भाषा और शिक्षा के आदान – प्रदान पर चर्चा की। डॉ अब्दुल्ला रशीद ने बताया कि यह इस्लामिक देश है, टूरिज्म के लिए मालदीव बहुत प्रसिद्ध है, लोग शूटिंग और हनीमून डेस्टिनेशन वहाँ जा कर मनाते हैं, हमारे यहाँ स्त्री- पुरुष में कोई भेद नहीं है।मालदीव की आधिकारिक भाषा दिवेही है लेकिन मुख्य रूप से अंग्रेजी में ही सभी कार्य होते हैं । 1192 द्वीपों से मिल कर मालदीव बना है, हमारी करेंसी रूफिया है। डॉ अब्दुल्ला सर्वश्रेष्ठ प्रिंसिपल के अवार्ड से सम्मानित किए गए जो मालदीव के इतिहास में पहली बार है । शिक्षा मंत्री के पूर्व डॉ अब्दुल्ला रशीद बतौर प्रिंसिपल अट्ठारह वर्ष तक कार्य किए। उनका मानना है कि वे शिक्षक हैं और अंत तक शिक्षक ही रहना चाहेंगे। इस अवसर पर विद्यार्थियों और शिक्षकों ने कई प्रश्न पूछे जिनके जवाब शिक्षा मंत्री ने दिए।
कॉलेज के डीन प्रो दिलीप शाह ने कॉलेज मोमेंटो, शॉल और उपहार से डॉ अब्दुल्ला रशीद को सम्मानित किया। स्वागत वक्तव्य में प्रो दिलीप शाह ने डॉ अब्दुल्ला का परिचय दिया और कहा कि मालदीव के साथ एमओयू करने का प्रस्ताव रखा है जिससे भवानीपुर कॉलेज के विद्यार्थियों और मालदीव के विद्यार्थियों का शिक्षा के क्षेत्र में आदान-प्रदान होगा। आने वाला समय बहुत तेजी से बदल रहा है जिससे हमें और मेहनत करने की आवश्यकता है। प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी के संयोजन में कार्यक्रम किया गया ।प्रो चंदन झा, प्रो दिव्या उदेशी, प्रो विवेक पटवारी की उपस्थिति रही। प्रो हर्षित चोखानी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।कार्यक्रम में एनसीसी के कैडट और नब्बे से अधिक विद्यार्थियों की उपस्थिति रही ।कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।
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पुस्तक समीक्षा – कविता सृजन से मुझे ऊर्जा मिलती है : प्रो प्रेम शर्मा को पढ़ते हुए

डॉ वसुंधरा मिश्र, भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज, हिंदी विभाग, कोलकाता

“एक दीप जलाकर तो देखो” प्रो प्रेम शर्मा का सद्य प्रकाशित कविता संग्रह है।भाषा नहीं, भाव ही कविता को संप्रेषित करते हैं। 50 से अधिक कविताओं में से किसी भी कविता को पढ़ते हुए पाठक समाज कल्याण की ही भावना को महसूस करता है। एक आदर्श समाज कैसे निर्मित हो? कैसे देश का गौरव बढ़ाया जा सकता है? कैसे बच्चों में अच्छे चरित्र का निर्माण किया जा सकता है? आधुनिक अपसंस्कृति की आंधी से दूर भारतीय संस्कृति को कैसे रोपित किया जाए? आदि द्वन्द्वों से गुजरती हुई कवयित्री प्रेम शर्मा विविध भावों को शब्दों में उतारती है। अपने आशावादी विचारों से अनुप्रेरित कवयित्री ने अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति में एक आदर्श परिवार समाज और देश की कल्पना की है।
कवयित्री जानती है –
‘आँखों से अश्क जो बहा सकते नहीं
पीकर गम जो घटा सकते नहीं
खुद को उतार देते हैं, कागज पर वो
बस फिर कुछ और वो करते नहीं’
कविता अपने ख़्यालात, अपने जज़्बात को पेश करने का एक बेहद ख़ूबसूरत ज़रिया है। कविताओं में भाव तत्व की प्रधानता है। रस को कविता की आत्मा माना जाता है जो कविता के अवयवों में आज भी सबसे अहम है।कवयित्री शब्दों के द्वारा अपनी अनकही बातों को आकार देती है।
इन कविताओं में एक लय है, भावों की लय, जो पाठक को बांँधे रखती हैं।एक और अंडर करेंट भी है जो देश, समाज और सत्ता में बैठे लोगों के लिए एक चेतावनी भी है। आधुनिकता की आँधी और तृष्णा की चाह में जो मनुष्य अपनी लालसाओं को पूरा करने में लगा हुआ है, इंसान से जानवर बन चुका है। ऐसे लोगों के पापों के सर्वनाश के लिए काल के अवतार का अवतरण होना निश्चित है। वह प्रकृति के इस नियम को जानती है कि काल के आगे बड़े -बड़े लोग धराशायी हुए हैं।

हृदय में यदि कोई तीक्ष्ण हूक उठती है। एक अनाम-सी व्यग्रता संपूर्ण व्यक्तित्व पर छा जाती है और कुछ कर गुज़रने की उत्कट भावना आत्मा को झिंझोड़ती रहती है। ऐसी परिस्थिति में कितने ही लंबे समय का अंतराल हो, रचनाशीलता अवसर मिलते ही हृदय में एकत्रित समस्त भावनाओं , विचारों और संवेदनाओं को अपनी संपूर्णता से अभिव्यक्त होती हैं। सिर्फ़ ज्वलंत अग्नि पर जमी हुई राख को हटाने मात्र का अवसर मिलना होता है, तदुपरांत प्रसव पीड़ा के पश्चात जिस अभिव्यक्ति का जन्म होता है, वह सृजनात्मक एवं गहन अनुभूति का सुखद चरमोत्कर्ष होता है। यह काव्य संग्रह ऐसी ही प्रसव पीड़ा के पश्चात जन्मी अभिव्यक्ति का संग्रह है।

गुणों की भरमार है धनिया पत्ती, मिलते हैं कई फायदे

धनिया हम सभी के किचन का एक अहम हिस्सा है। दाल हो या सब्जी या किसी भी प्रकार की चाट उसमें ऊपर से धनिया पत्ती तो जरूर डाली जाती हैं। धनिये के पत्तों में एक बेहतरीन खुशबु होती है, जिससे यह न सिर्फ हमारे भोजन को अद्भुत सुगंध प्रदान करता है, बल्कि उनका स्वाद भी बढ़ाता है। धनिया के पत्ते बड़े ही गुणकारी होते हैं और कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में लाभदायक होते हैं। इसमें विटामिन ए व सी, पोटैशियम, कैल्शियम और मैग्‍नीशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। सब्जियों के अलावा इसके उबले हुए पानी का सेवन करना भी फायदेमंद साबित होता हैं। अपने गुणकारी गुणों के चलते यह सेहत को जो फायदे पहुंचाती हैं उनके बारे में हम आपको आज यहां बताने जा रहे हैं। इन फायदों को जानकर आप भी धनिया पत्ती के दिवाने हो जाएंगे। आइये जानते हैं इसके फायदों के बारे में…
दिल को रखें सेहतमंद
उम्र बढ़ने के साथ दिल की सेहत में भी गिरावट आने लगती है। ऐसे में विटामिन्स और प्रोटीन्स से भरपूर भोजन खाना महत्वपूर्ण है। एक रिसर्च के मुताबिक, धनिया रोजाना खाने से दिल से जुड़ी समस्याओं और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है। ये ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल लेवल को काबू में भी रखती है।
थायराइड में फायदेमंद
ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से थायराइड की समस्या बढ़ सकती है। धनिया ब्लड शुगर और थायराइड को नियंत्रित करता है। थायराइड को नियंत्रित रखने के लिए रात के समय धनिया की पत्ती को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें और अगले सुबह इस पानी को छानकर पी लें। खाली पेट धनिया का पानी पीने से थायराइड को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
लिवर को करे डिटॉक्स
लिवर फंक्शन में सुधार और बेहतर बनाने में मदद मिलती है। धनिया पत्ती के उबले हुए पानी को एक बेहतरीन डिटॉक्स ड्रिंक माना जाता है, क्योंकि यह शरीर में जमा गंदगी, अपशिष्ट पदार्थों, टॉक्सिन्स को हमारे शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं। यह लिवर को साफ करते हैं और रक्त को भी शुद्ध करते हैं।
वजन को नियंत्रित करे
धनिया पत्ती का पानी मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में बहुत लाभकारी होता है। अगर आप रोजाना नियमित तौर पर सुबह खाली पेट धनिया की पत्तियों को उबालकर पानी पीते हैं तो इससे आपका मेटाबॉलिज्म तेज होता है। जिससे ये कैलोरी और अतिरिक्त चर्बी को बर्न करने में मददगार होता है।
एनीमिया से दिलाए राहत
धनिया आपके शरीर में खून को बढ़ाने में तो फायदेमंद होता ही है साथ ही यह आयरन से भरपूर होता है। इसलिए यह एनीमिया को दूर करने में फायदेमंद हो सकता है। साथ ही एंटी ऑक्‍सीडेंट, मिनरल, विटामिन ए और सी से भरपूर होने के कारण धनिया कैंसर से भी बचाव करता है।
डायबिटीज में फायदेमंद
हरा धनिया ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए रामबाण माना जाता है। डाइबिटीज रोगियों के लिए हरा धनिया किसी जड़ी-बूटी से कम नहीं है। इसके नियमित सेवन से ब्लड में इंसुलिन की मात्रा को कंट्रोल किया जा सकता है।
अच्छे पाचन तंत्र के लिए
धनिये के पत्ते का उपयोग पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें लिनालूल नामक कंपाउंड पाया जाता है, जो पेट फूलने से राहत देने वाली दवा की तरह काम करता है। इस आधार पर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए धनिये के पत्तों के उपयोगी माना जा सकता है।
तनाव कम करती है
धनिया की पत्तियां आपके पाचन को बढ़ाती हैं और इस तरह आपके शरीर पर तनाव कम करती है। ये पत्तियां हमारे पाचन तंत्र के माध्यम से हमें हल्का महसूस कराकर मूड को तेजी से बदलने में मदद करती हैं। धनिया में पाए जानेवाले पोषक तत्व ऑक्सिडेटिव तनाव को भी कम करते हैं।
आंखों के लिए फायदेमंद
आंखों के लिए धनिया के पत्ते के फायदे की बात करें, तो यह आंखों से संबंधित कई परेशानीयों के इलाज में फायदेमंद हो सकता है। एक रिसर्च में आंखों के लिए धनिया का इस्तेमाल अच्छा बताया गया है। इसके अलावा, आंखों में खुजली और जलन को शांत करने के लिए धनिया का इस्तेमाल उपयोगी हो सकता है। वहीं, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आंखों से जुड़ी बीमारियों और समस्याओं को भी दूर कर सकते हैं।

 

रिलायंस जियो भारत वी 2 ने 999 रुपये में पेश किया फोर जी फोन

नयी दिल्ली । इंडस्ट्रीज लिमिटेड की टेलिकॉम ब्रांच, रिलायंस जियो ने भारत में एक 4G फोन लॉन्च किया है। जियो के इस नए फोन का नाम ‘जियो भारत वी2’ है।
इसकी कीमत महज 999 रुपये रखी गई है। यूजर्स इस फोन में आसानी से 4G स्पीड के साथ इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
जियो ने एक विज्ञप्ति में कहा, हैंडसेट खरीदने वाले लोग “अन्य ऑपरेटरों के फीचर फोन की पेशकश की तुलना में 30 प्रतिशत सस्ता मासिक प्लान और 7 गुना अधिक डेटा” के पात्र होंगे।
इसके साथ ही जियो ने कहा कि अनलिमिटेड वॉयस कॉल और 14 जीबी डेटा के लिए बेसिक रिचार्ज प्लान की कीमत 123 रुपये प्रति माह रखी गई है, जबकि अन्य ऑपरेटरों के वॉयस कॉल और 2 जीबी डेटा के लिए 179 रुपये का प्लान है।
वार्षिक प्लान में 1,234 रुपये का शुल्क लगेगा, और इसमें असीमित वॉयस कॉल और 168 जीबी डेटा (0.5 जीबी प्रति दिन) शामिल होगा। कंपनी ने कहा, वॉयस कॉल और 24 जीबी डेटा के लिए अन्य ऑपरेटरों के 1,799 रुपये के वार्षिक प्लान की तुलना में यह लगभग 25 प्रतिशत सस्ता है।

श्रावण माह विशेष – जानिए कांवड़ यात्रा का अर्थ, इतिहास, पद्धति, महत्व

कांवड़ यात्रा आरम्भ हो चुकी है । कांवड़ यात्रा हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर सावन की चतुर्दशी यानी कि सावन शिवरात्रि तक होती है। कावड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा प्रतिवर्ष मनाई जाती है। इस यात्रा को जल यात्रा भी कहा जाता है क्योंकि इस प्रथा में यात्रियों को कांवड़िया कहा जाता है और कांवड़ हिंदू तीर्थ स्थानों से गंगा जल लाने के लिए हरिद्वार जाते हैं और फिर प्रसाद चढ़ाते हैं। हर साल सावन माह में कांवड़ यात्रा की जाती है। दूर-दूर से कांवड़ यात्री देवभूमि आते हैं। गंगा से जल भरकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इस दौरान देवभूमि उत्तराखंड में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। पूरी देवभूमि केसरिया हो जाती है। कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तजनों को कांवड़िया कहते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा का क्या अर्थ है। ये यात्रा हर साल क्यों की जाती है। तो आइये आज कांवड़ यात्रा के बारे में विस्तार से जाने से पहले हम कांवड़ यात्रा के इतिहास और इसके महत्तव के बारे में बताते हैं….

कांवड़ यात्रा का यह है अर्थ
कंधे पर गंगाजल लेकर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों पर जलाभिषेक करने की परंपरा कांवड़ यात्रा कहलाती है।वहीं आनंद रामायण में भी यह उल्‍लेख किया गया है कि भगवान राम ने भी कांवड़िया बनकर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया था।कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ यात्री वही गंगाजल लेकर शिवालय तक जाते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
कांवड़ यात्रा आरंभ होने की दो कथा
कहा जाता है कि भगवान परशुराम पहले कांवड़ियां थे। उन्होनें महादेव को प्रसन्न करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जल ले जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। तभी से हर साल कांवड़ यात्रा की शुरुआत की गई। हालांकि कुछ मान्यताओं के अनुसार, कांवड़ यात्रा की शुरुआत श्रवण कुमार ने त्रेता युग में की थी। श्रवण कुमार के अंधे माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान की इच्छा व्यक्त की। ऐसे में श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को कंधे पर कांवड़ में बिठा कर पैदल यात्रा की और उन्हें गंगा स्नान करवाया। लौटते समय अपने साथ गंगा जल लेकर आए जिसे उन्होंने भगवान शिव का अभिषेक किया। माना जाता है कि इसके साथ ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।
शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का कारण
पौराणिक काल में जब समुद्र मंथन किया गया था तो समुद्र मंथन से निकले विष को पान कर भगवान शिव ने दुनिया की रक्षा की थी। वहीं इस विष को पीने के काऱण उनका गला नीला पड़ गया था। कहते हैं इसी विष के प्रकोप को कम करने और उसके प्रभाव को ठंडा करने के लिए शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। इस जलाभिषेक से प्रसन्न होकर भगवाना भक्‍तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
इस तैयारी के साथ आते हैं कांवड़ यात्री
कांवड़ बनाने में बांस, फेविकोल, कपड़े, डमरू, फूल-माला, घुंघरू, मंदिर, लोहे का बारिक तार और मजबूत धागे का इस्तेमाल करते हैं। कांवड़ तैयार होने के बाद उसे फूल- माला, घंटी और घुंघरू से सजाया जाता है। इसके बाद गंगाजल का भार पिटारियों में रखा जाता है। धूप-दीप जलाकर बम भोले के जयकारों ओर भजनों के साथ कांवड़ यात्री जल भरने आते हैं और भगवान शिव को जला जढ़ाकर प्रसन्‍न होते हैं।
कांवड़ यात्रा के लिए नियम
कांवड़ यात्रा में आने के लिए यात्रियों को कुछ नियमों का पालन करना होता है। जिसके लिए उन्हें बिना नहाए कांवड़ को नहीं छूना होता। तेल, साबुन, कंघी का प्रयोग वो यात्रा में नहीं करते। सभी कांवड़ यात्री एक-दूसरे को भोला या भोली कहकर बुलाते हैं। ध्‍यान रखना होता है कि कांवड़ जमीन से न छूए।
कई तरह से की जाती है कांवड़ यात्रा
सामान्य कांवड़में यात्री कहीं भी आराम कर सकता है। लेकिन इस दौरान उन्हें ध्यान रखना होता है कि आराम करने के दौरान उनमकी कांवड़ जमीन से नहीं छूनी चाहिए। इस दौरान कांवड़ स्टैंड पर रखी जाती है। वहीँ, दूसरी ओर डाक कांवड़ में यात्री शुरुआत से शिव के जलाभिषेक तक बगैर रुके लगातार चलते रहते हैं। वहीं इस दौरान शरीर से उत्सर्जन की क्रियाएं वर्जित होती हैं। इसके अलावा खड़ी कांवड़ में भक्त खड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं। उनकी मदद के लिए कोई-न-कोई सहयोगी उनके साथ चलता रहता है। इसके विपरीत दांडी कांवड़ में भक्त नदी तट से शिवधाम तक की यात्रा दंड देते हुए पूरी करते हैं। यह बेहद मुश्किल यात्रा होती है, जिसमें कई दिन और कभी-कभी एक माह का समय तक लग जाता है।
कांवड का इतिहास
भगवान परशुराम भगवान शिव के परम भक्त थे। मान्यता है कि वे सबसे पहले कांवड़ लेकर बागपत जिले के पास “पुरा महादेव”, गए थे। उन्होंने गढ़मुक्तेश्वर से गंगा का जल लेकर भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था। उस समय श्रावण मास चल रहा था। तब से इस परंपरा को निभाते हुए भक्त श्रावण मास में कांवड़ यात्रा निकालने लगे।
कई प्रकार की होती है कांवड़ यात्रा
शुरुआत में कांवड़ यात्रा पैदल ही निकाली जाती थी। लेकिन समय के साथ इसके तमाम प्रकार और नियम कायदे सामने आ गए। जानिए उनके बारे में….
सामान्य कांवड़
सामान्य कांवर यात्रा के दौरान शिव भक्त जहां चाहे विश्राम करने के लिए स्वतंत्र होते हैं. इसके लिए सामाजिक संगठन के लोग कांवड़ियों के लिए पंडाल लगाते हैं, उनके लिए भोजन का प्रबंध करते हैं. विश्राम करने के बाद वह पुनः यात्रा शुरू करते हैं.
खड़ी कांवड़ यात्रा
खड़ी कांवड़ यात्रा सबसे कठिन होती है। इसमें भक्त कंधे पर कांवड़ लेकर पैदल यात्रा करते हुए गंगाजल लेने जाते हैं। इस कांवड़ के नियम काफी कठिन होते हैं। इस कांवड़ को न तो जमीन पर रखा जाता है और न ही कहीं टांगा जाता है। यदि कांवड़िये को भोजन करना है या आराम करना है तो वो कांवड़ को या तो स्टैंड में रखेगा या फिर किसी अन्य कांवडिये को पकड़ा देगा। लेकिन न तो जमीन पर रखेगा और न ही किसी पेड़ की टहनी पर टांगेगा।
झांकी वाली कांवड़
कुछ कांवड़िये झांकी लगाकर कांवड़ यात्रा करते हैं। ये किसी ट्रक, जीप या खुली गाड़़ी में शिव मूर्ति या प्रतिमा रखकर भजन चलाते हुए कांवड़ लेकर जाते हैं। इस दौरान भगवान शिव की प्रतिमा का श्रंगार किया जाता है और लोग भजन पर झूमते हुए यात्रा करते हैं। इस तरह की कांवड़ यात्रा को झांकी वाली कांवड़ कहा जाता है।
डाक कांवड़
डाक कांवड़ वैसे तो झांकी वाली कांवड़ जैसी ही होती है। इसमें भी किसी गाड़ी में भोलेनाथ की प्रतिमा को सजाकर रखा जाता है और भक्त शिव भजनों पर झूमते हुए जाते हैं। लेकिन जब मंदिर से दूरी 36 घंटे या 24 घंटे की रह जाती है तो ये कांवड़िए कांवड़ में जल लेकर दौड़ते हैं। ऐसे में दौड़ते हुए जाना काफी मुश्किल होता है। इस तरह की कांवड़ यात्रा को करने से पहले संकल्प करना होता है।
दांडी कांवड़
दांडी कांवड़ यात्रा के दरमियान शिव भक्त नदी तट से शिव धाम तक की यात्रा दांडी के सहारे पूरी करते हैं. यह सबसे कठिन यात्रा होती है, क्योंकि दांडी यात्रा में कभी-कभी महीनों लग जाते हैं.
कांवड़ यात्रियों के लिए नियम
बिना स्नान किये कांवड़ को स्पर्श नहीं करते.
यात्रा के दरम्यान तेल, साबुन, कंघी का प्रयोग नहीं किया जाता.
यात्रा में शामिल सभी कांवड़ यात्री एक-दूसरे को भोला, भोली अथवा भोले के नाम से पुकारते हैं.
कांवड़ को भूमि से स्पर्श नहीं करना चाहिए.
डाक कांवड़ यात्रा में शरीर से उत्सर्जन की क्रियाएं भी वर्जित होती हैं.
श्रवण कुमार थे पहले कांवड़ यात्री
मालूम हो कि सबसे पहले त्रेता युग में श्रवण कुमार ने ‘कांवड़ यात्रा’ शुरू की थी और तब से ही ‘कांवड़ यात्रा’ चली आ रही है। तो वहीं द्वापर युग में इसका जिक्र है। कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान ही युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम ने हरिद्वार से गंगाजल लाकर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ये यात्रा प्रारंभ की थी।
काफी प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ
आपको बता दें कि इस साल ये यात्रा 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक चलने वाली है। माना जाता है कि कांवड़ के जरिए गंगा जल शिव भगवान को अर्पित करने से भोलेनाथ काफी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सारे कष्टों से मुक्त कर देते हैं। कांवड़ यात्रा का जिक्र ‘वाल्मिकी रामायण’ में भी मिलता है।
कांवड़ यात्रा का महत्व
कांवड़ यात्रा एक पवित्र और कठिन यात्रा है जो पूरे भारत के भक्त विशेष रूप से उत्तर भारत में विभिन्न पवित्र स्थानों से गंगा जल लाने के लिए करते हैं, जो गौमुख, गंगोत्री, ऋषिकेश और हरिद्वार हैं। वे पवित्र गंगा में एक पवित्र डुबकी लगाते हैं और वे कांवड़ को अपने कंधों पर ले जाते हैं। कंवर बांस से बना एक छोटा सा खंभा होता है जिसके विपरीत छोर पर घड़े बंधे होते हैं। भक्त उन घड़े को गंगाजल से भर देते हैं और फिर पैदल चलकर अपनी कांवर यात्रा शुरू करते हैं और कुछ भक्त नंगे पांव भी देखे जाते हैं। हालांकि कुछ भक्त इस यात्रा को पूरा करने के लिए साइकिल, स्कूटर, मोटर साइकिल, जीप या मिनी ट्रक का भी उपयोग करते हैं। कांवड़ यात्रा में एक बहुत ही ध्यान देने वाली बात है कि इस यात्रा के दौरान ज्यादातर भक्त भगवा रंग की पोशाक पहनते हैं। पूजा के इस रूप का अभ्यास करके, कांवरिया आध्यात्मिक विराम लेते हैं और अपनी यात्रा के दौरान शिव मंत्र और भजनों का जाप करते हैं। कई एनजीओ और समूह कांवड़ियों को पानी, भोजन, मिठाई, फल, चाय, कॉफी प्रदान करने वाले शिविरों का आयोजन करते हैं और भक्तों के आराम करने की उचित व्यवस्था करते हैं। साथ ही भक्तों के लिए भी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करते हैं।

(साभार – समाचारनामा)

कोविड-19 के बाद बच्‍चों में बढ़े टाइप-वन डायबिटीज के मामले

एक अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के बाद बच्चों और किशोरों में टाइप 1 डायबिटीज के मामलों में वृद्धि हुई है । रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्‍चों पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं । जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित यह अध्ययन 19 वर्ष से कम उम्र के 1,02,984 युवाओं सहित 42 रिपोर्ट के आधार पर किया गया ।
टाइप 2 डायबिटीज के मामलों में वृद्धि
अध्ययन के परिणामों से यह पता चला कि टाइप 1 डायबिटीज दर पहले वर्ष से 1.14 गुना अधिक है । कोविड महामारी की शुरुआत के बाद दूसरे वर्ष में यह 1.27 गुना अधिक है । बच्चों और किशोरों में टाइप 2 डायबिटीज के मामलों में भी वृद्धि हुई है । अध्ययन में डायबिटीज केटोएसिडोसिस (डीकेए) की उच्च दर भी पाई गई. यह दर महामारी से पहले की तुलना में 1.26 गुना अधिक है. टाइप 1 डायबिटीज सबसे आम और गंभीर है, जो जीवन के लिए खतरा हो सकता है । यह तब विकसित होता है जब शरीर में रक्त शर्करा को ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए कोशिकाओं में पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है ।
किशोरों में पाए गए डायबिटीज के लक्षण
कनाडा में टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा कि डायबिटीज से पीड़ित बच्चों और किशोरों की बढ़ती संख्या के लिए संसाधनों में वृद्धि की आवश्यकता है । हमने महामारी के दौरान बच्चों और किशोरों में डायबिटीज के लक्षण पाए हैं । टीम ने कहा, यह चिंताजनक है. यह लंबे समय तक मरीज को प्रभावित करता है । इससे मृत्यु का खतरा भी बना रहता है ।
वहीं, शोधकर्ताओं ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि मामलों में वृद्धि किस कारण से हुई है, कुछ सिद्धांत हैं जिनमें यह कहा गया है कि कोविड संक्रमण के बाद बच्‍चों में मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है । बच्‍चों की जीवनशैली में बदलाव और तनाव भी इसका कारण हो सकता है ।

बाल झड़ने से बचाने में सहायक हैं डीआईवाई हेयर सीरम

मौसम का बदलाव, देखभाल की कमी और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली की आदतें बालों को जड़ से कमजोर बना देती हैं। बालों के तेजी से झड़ने से तनाव बढ़ता है और धीरे-धीरे वे गुच्छों में झड़ने लगते हैं। कंपनियां बालों की देखभाल करने वाले उत्पादों की तुलना में सर्वोत्तम परिणाम का दावा करती हैं, लेकिन उनमें मौजूद रसायनों के कारण नुकसान होने का डर रहता है। वैसे, घरेलू नुस्खों से बालों की बेहतर देखभाल की जा सकती है।आयुर्वेद में ऐसी कई चीजें बताई गई हैं जिन्हें घर पर ही तैयार किया जा सकता है। आइए आपको बताते हैं कैसे बनाया जा सकता है होममेड हेयर सीरम. साथ ही इसे इस्तेमाल करने का तरीका क्या है –
एलोवेरा जेल और नारियल तेल सीरम
एलोवेरा और नारियल का तेल त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद होता है। इनमें विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो बालों को नुकसान से बचाते हैं और बालों के विकास को बढ़ाते हैं।
घर पर हेयर सीरम कैसे बनाएं
आधा कप एलोवेरा जेल लें और इसमें मिला लें। इसे एक कटोरे में निकालें और एक चम्मच नारियल तेल, विटामिन ई तेल और आर्गन ऑयल मिलाएं। खुशबू के लिए आप इसमें एसेंशियल ऑयल मिला सकते हैं। अच्छी तरह मिलाने के बाद इस सीरम को किसी कसकर बंद डिब्बे में रख दें।
ऐसे करें उपयोग
जब भी आप हफ्ते में शैम्पू का इस्तेमाल करने का प्लान करें तो उससे पहले इस हेयर सीरम को अपने बालों पर लगा लें। ध्यान रखें कि इसे स्कैल्प पर जरूर लगाएं, लेकिन लिमिट में। वैसे, इसे बालों में लगाने से वे चमकदार भी हो सकते हैं।
डीआईवाई हेयर सीरम के फायदे
एलोवेरा और नारियल तेल का हेयर सीरम बालों को गर्मी से बचाता है। अगर आप हेयर स्टाइलिंग टूल्स का इस्तेमाल करते हैं तो इस हेयर सीरम को अपने बालों पर जरूर लगाएं।एलोवेरा और नारियल तेल से बने इस उत्पाद से बालों का तेजी से गिरना कम किया जा सकता है।यदि आपके बाल अभी भी घुंघराले हैं, तो इस हेयर सीरम से उन्हें ठीक करने की दिनचर्या का पालन करें।