Tuesday, September 16, 2025
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सरस्वती वंदना

कवि  – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

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वर दे, वीणावादिनि वर दे !

प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव

भारत में भर दे !

काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !

वर दे, वीणावादिनि वर दे।

रायपुर के शनिदेव की पूजा करती हैं महिलाएँ

 महाराष्ट्र के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर में स्थित भगवान शनिदेव की प्रतिमा पर जहां महिलाओं को तेल अर्पित करने से रोके जाने का मामला सुर्खियों में है, वहीं राजधानी रायपुर के शनि मंदिरों में महिलाओं को तेल चढ़ाने से कोई मनाही नहीं है। छोटी उम्र की बालिका से लेकर युवतियां और बुजुर्ग महिलाएं तक शनिदेव की प्रतिमा पर श्रद्धा से तेल अर्पित करती हैं।

शनि मंदिरों में पुरुषों से ज्यादा युवतियां व महिलाओं की लाइन लगी रहती है। तेल अर्पित करने आई महिलाओं का कहना है कि किसी भी भगवान की पूजा-अर्चना करने से महिलाओं को रोकना गलत है। भारतीय संस्कृति में जब नारी को देवी तुल्य माना जाता है तो फिर उन्हें पूजा-अर्चना करने से कैसे रोका जा सकता है?

शनिवार को सुबह से ही शनि मंदिरों में भगवान शनिदेव को तेल अर्पित करने के लिए महिलाओं की कतार लगी रही और बारी-बारी से महिलाओं ने विधिवत पूजा-अर्चना करके शनि प्रतिमा पर तेल अर्पित किया। हालांकि चूड़ी लाइन स्थित प्राचीन शनि मंदिर में गर्भ गृह के भीतर किसी भी भक्त के प्रवेश करने की मनाही है और मुख्य प्रतिमा पर तेल अर्पित नहीं किया जा सकता सिर्फ उनके श्रृंगारित रूप का ही दर्शन किया जा सकता है, लेकिन मंदिर परिसर में ही पत्थर के एक और शनि देवता को विराजित किया गया है जहां कोई भी भक्त तेल अर्पित कर सकता है। दोपहर को मंदिर परिसर में अनेक पुरुष व महिलाएं तेल अर्पित करते नजर आईं।

आजाद चौक मुख्य मार्ग पर स्थित शनि मंदिर में दोपहर को बीच सड़क तक महिलाओं की कतार लगी रही। डीडी नगर से अपनी मां के साथ मंदिर पहुंची अनुपमा ठाकुर ने मंदिर के बाहर से पूजन सामग्री व तेल खरीदा और पुरुषों के पीछे लाइन में लग गई। मंदिर के भीतर प्रवेश करने के बाद उन्होंने पहले अगरबत्ती प्रज्ज्वलित कर पूजा की और फिर पॉलिथिन में रखे तेल को शनिदेव की प्रतिमा पर चढ़ाया।

इसके बाद शनिदेव की परिक्रमा की। उनके पीछे अनेक महिलाओं ने भी पूजा का क्रम जारी रखा। पूजा करने के बाद जब वे मंदिर से बाहर निकली तो पूछने पर बताया कि वे कई साल से निरंतर हर शनिवार को मंदिर आकर तेल अर्पित करती हैं, वे शनि शिंगणापुर जाकर भी दर्शन कर चुकी हैं लेकिन वहां महिलाओं को तेल चढ़ाने नहीं दिया जाता सिर्फ दर्शन करने की ही छूट है, इसलिए निराश हुई थी, मगर अपने शहर में जितनी देर तक चाहो शनिदेव के दर्शन कर तेल अर्पण कर मन्न्त मांगने की छूट है। वे कहती हैं कि महिलाओं को शनिदेव पर तेल अर्पण करने से रोकना गलत है।

कॉलेज में पढ़ने वाली युवती आरती ने भी शनि मंदिर में शनिदेव की प्रतिमा पर तेल अर्पित किया और पूछे जाने पर बताया कि किसी भी भगवान को मानना या न मानना अपनी-अपनी आस्था पर निर्भर करता है। हजारों लोग मन में ख्वाहिशें लेकर शनि सिंगनापुर जाते हैं और वहां यदि तेल अर्पण करने से रोका जाए तो यह महिलाओं के साथ अन्याय है, क्योंकि हमारी संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है।

घर-घर मे पूजा-पाठ ज्यादातर महिलाएं ही करती हैं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति को जीवित रखा है। पुरुष वर्ग तो महज हाथ जोड़कर व शीश नवाकर चले जाते हैं, मगर विधिवत पूजा महिलाएं ही करती हैं। ऐसे में महिलाओं के साथ भेदभाव करना उचित नहीं है। मंदिर में अनेक युवतियों व महिलाओं ने भी पूजा के बाद खुशी जाहिर की और कहा कि अच्छा है हमारे शहर में कोई प्रतिबंध नहीं है, वरना लोग मंदिरों में जाना ही बंद कर देंगे।

 

पुस्तक मेला – किताबों की खुमारी में घुली संस्कृति की मिठास

पुस्तक मेला बंगाल की संस्कृति ही नहीं एक वैश्विक उत्सव है। लाखों पुस्तक प्रेमी मिलन मेला प्राँगण में उमड़ पड़ते हैं। जब उत्सव होता है तो उसका विस्तार भी होता है, कुछ ऐसा ही विस्तार पुस्तक मेले का भी हुआ है। अब यहाँ सिर्फ साहित्य ही नहीं बल्कि कला, संस्कृति और बाजार पूरी शिद्दत के साथ मौजूद है। नलेन गुड़ का संदेश है तो टैटू भी है और टी शर्ट पर रंग बिखेरती महिलाएं भी हैं। पुस्तक मेले में घूमते हुए एहसास होता है कि कोलकाता को इसकी कितनी सख्त जरूरत है, वैसे ही या कुछ ऑक्सीजन की तरह।

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पुस्तक मेले में जगह – जगह लगे कियोस्क आपको एहसास दिलाएंगे कि यह शहर अपनी जडें अब भी जूट की संस्कृति में तलाश रहा है। नेशनल जूट बोर्ड में जिस तरह से जूट के थैले और गहने तक बिक रहे हैं, उसे देखकर तो यही एहसास होता है। यहाँ मौजूद दक्षिणापन्न के गौतम दत्त जब पूरे आत्मविश्वास के साथ उम्मीद जताते हैं कि इस साल बिक्री 15 लाख रुपए का आँकड़ा पार कर लेगी तो अच्छा ही लगता है।

IMG_20160130_155045नलेन चंद्र दास एंड सन्स के स्टॉल पर चॉकलेट संदेश, मौसमी और जलभरा जैसी मिठाइयों के लिए लगी भीड़ एहसास दिलाती है कि जहाँ मीठा है, बँगाल वहीं है। अब आते हैं हिन्दी पुस्तकों की तलाश में गलियारे में, इस बार उदासी नहीं है, एक साथ सारे स्टॉल कतार में और इनमें हिन्दी के पाठक, बुद्धिजीवी और लेखकों का जमावड़ा मानो मेला शब्द की साथर्कता साबित कर देता है। फेसबुक लेखन, इस बार एक नयी विधा दिखी और दिखीं इश्क पर लिखीं कई सारी किताबें। हमेशा की तरह आनंद प्रकाशन, प्रभात प्रकाशन, राजकमल प्रकाशन, पूजा बुक हाउस से लेकर साहित्य अकादमी के स्टॉल। अभी और पाठक उमड़ेंगे, व्यवस्था भी अच्छी है, कहते हैं आनंद प्रकाशन के दिनेश त्रिपाठी, फिर भी एक कसक रह जाती है, कभी जन्म लेगी हिन्दी प्रदेश में किताबों से इश्क की संस्कृति, यह भी उम्मीद है, शायद पूरी हो ही जाए, पुस्तक मेला तो साँस लेने की जगह है, भागती जिंदगी में खुद को तलाशने की कोशिश।

बनें बच्चों की आदर्श अभिभावक

  हर माता-पिता की ये इच्छा होती है कि उनके बच्चे पढ़े-लिखें और उनका नाम रोशन करें। उनमें वह तमाम आदतें हों जो एक अादर्श बच्चे में होती हैं, लेकिन क्या आप जानती हैं कि अपने बच्चे को आदर्श बनाने के लिए आपको भी उतनी ही मेहनत करने की जरूरत है जितनी की आपके बच्चे को।

अपने बच्चों के सामने चिल्लाने या फिर बहस करने से बचें। अपने गुस्से पर नियंत्रण कर अपने बच्चे के आगे एक उदाहरण रखें। बच्चों की अत्यधिक मांगों को पूरा करने या फिर उनपर अधिक प्रतिबंध लगाने से बचें। इन सब के जरिए आप अपने बच्चे को गुस्सैल होने से आसानी से बचा सकती हैं।

माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों के प्रति अपने प्यार को जाहिर करें। यह भी जरूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों से जिम्मेदाराना उम्मीदें रखें, क्‍यों‍कि जीवन में अनुशासन होना बहुत जरूरी है।

बच्चों को अनुशासन का पालन करना सिखाएं। अनुशासन का मतलब है नियम, सिद्धान्त और आदेशों का ठीक से पालन करना है। अनुशासन का अर्थ है, खुद को वश में रखना। अनुशासन सफलता की वजह भी बनता है। इसलिए अपने बच्चों को अनुशासित जरूर बनाएं।

जब भी बच्चा कुछ कहना या पूछना चाहें, तो उन्हें रोकें या टोकें नहीं। बच्चे को अपने मन की बात कहने दें और उसे प्रोत्साहित करें कि वह अपने मन की बात को बेझिझक होकर कह सके। इससे वह मुखर होगा और आगे अपने जीवन में खुल कर जी सकेगा।

अगर परिवार में कोई ऐसी समस्या है, जिसका संबंध बच्चे से है, तो कोई भी फैसला लेने से पहले बच्चे की सलाह जरूर लें या फिर उस फैसले में बच्चे को भी शामिल करें। बच्चों के सुझावों के लिए खुद को नकारात्मक करने की बजाए उनके सुझावों को गंभीरता से लें।

बच्‍चे के लिए एक अच्छा उदाहरण बनें। अपने बच्चों के सामने चिल्‍लाने या फिर बहस करने से बचें। अपने गुस्से पर नियंत्रण कर अपने बच्चे के आगे एक उदाहरण बनें। बच्चों की हर मांग को पूरा करने या फिर उनपर अधिक प्रतिबंध लगाने से बचें। इन सब के जरिए आप अपने बच्चे को गुस्सैल होने से आसानी से बचा सकती हैं।

माता पिता को चाहिए कि वह बच्चों के प्रति अपने प्‍यार को जाहिर करें। आप उन्हें जितना प्यार और सहारा देंगे वे जीवन में उतने ही मुखर और आत्मविश्वासी बनेंगे।

अपने अनुशासन पर अपनापन हावी न होने दें। ये ध्यान रखें कि आज आपकी थोड़ी-सी कठोरता, बच्चे के जीवन के लिए लाभदायी साबित होगी।

जब भी बच्चा कुछ कहना या पूछना चाहें, तो उन्हें रोके या टोके नहीं। बच्चे को अपने मन की बात कहने दें और उसे प्रोत्साहित करें कि वह अपने मन की बात को बेझिझक होकर कह सके। इससे वह मुखर होगा और आगे अपने जीवन में खुल कर जी सकेगा।

 

डार्क सर्कल से इस तरह पाएं छुटकारा

आजकल की हमारी लाइफस्‍टाइल कुछ ऐसी है कि हम घंटों कम्‍प्‍यूटर के आगे अपना समय बिताते हैं, जिसका तनीजा हमारी आंखों के नीचे काले घेरों के रूप में उभरक सामने आते हैं। पके बाल या चेहरे की झुर्रियों से कहीं ज्यादा आंखों के नीचे के काले घेरे आपकी बढ़ी उम्र के परिचायक हैं। आप अगर काले घेरे से परेशान हैं, तो टी बैग या मलाई आजमाएं, यह इन्हें कम करने में मददगार हैं। राजधानी स्थित नेशनल स्किन सेंटर के निदेशक नवीन तनेजा ने आंखों के नीचे के काले घेरों से छुटकारा पाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं।

टी बैग: रेफ्रिजरेटर में आधे घंटे तक रखे गए दो ब्लैक या ग्रीन टी के बैग का इस्तेमाल करें। उन्हें दोनों आंखों पर रखें और 10-15 मिनट तक वहीं रहने दें। इसके बाद उन्हें हटाएं और अपना मुहं धो लें इस प्रक्रिया को कुछ सप्ताह तक दो बार करें।

ठंडक: ठंडे पानी या दूध में भीगा हुआ साफ कपड़ा लें और कुछ मिनटों के लिए इन्हें अपनी पलकों के पास रखें। मुलायम कपड़े में बर्फ का टुकड़ा लपेटें और कुछ मिनटों तक इसे अपनी आंख के पास रखें।

मलाई: दो चम्मच मलाई और एक चौथाई चम्मच हल्दी मिलाएं। इसे काले घेरों पर लगाएं। इसे 15 से 20 मिनट तक रहने दीजिए, बाद में इसे गुनगुने पानी से धो लें।

पुदीना: पुदीने की पत्तियों को हाथों से पीस लें। पुदीने की पत्तियों में नींबू का रस मिलाएं। इसे 15 से 20 मिनट तक लगाएं। इसके बाद धो लें। इसे रोजाना दो बार करें।

 

किशोरों को सिगरेट देने पर सात साल की हो सकती है सजा

दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद पूरे देश में मचे बवाल के मद्देनजर जब जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट में संशोधन कर किशोर की उम्र सीमा 18 से घटाकर 16 साल की गई तब इसमें एक और प्रावधान किया गया, जो बहुत कम लोगों की नोटिस में गया है।

इस नए प्रावधान के मुताबिक अब किशोरों को सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पाद बेचने या ऑफर करने पर सात साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यह नया कानून 15 जनवरी से देश में लागू हुआ है और इससे बिहार में तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाएं उत्साहित हैं।

सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद कानून (कोटपा-2003) के तहत अब तक 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों को तंबाकू उत्पाद बेचने पर मात्र 200 रुपये तक के दंड का प्रावधान था। पूर्व में जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट के तहत किशोरों को केवल नारकोटिक ड्रग, जहरीला पेय पदार्थ और उत्तेजित करने वाले पदार्थ देने पर सात साल की सजा और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान था। अब इसमें तंबाकू उत्पाद को भी शामिल किया गया है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नए कानून को लेकर गजट जारी कर दिया है। तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से बिहार में काफी सक्रियता देखने को मिली है। पिछले वर्ष स्पेन में हुए वर्ल्ड टोबैको कांफ्रेंस में तंबाकू नियंत्रण के बिहार मॉडल के संबंध में जानकारी देने के लिए सोशियो इकॉनॉमिक एंड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड्स) के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। सीड्स सूबे में राज्य स्वास्थ्य समिति के साथ मिल कर तंबाकू नियंत्रण के लिए अभियान चला रहा है, जिसके नतीजे में 2013 से लेकर अब तक आठ जिले धूमपान मुक्त घोषित किए जा चुके हैं।

इनमें मुंगेर, लखीसराय, मधेपुरा, कटिहार, समस्तीपुर, दरभंगा, वैशाली एवं पटना शामिल हैं। मिश्रा के मुताबिक नए कानून से तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में सक्रिय कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं। भारत विश्व का पहला ऐसा देश है जिसने ऐसा सख्त कानून बनाया है। तंबाकू सेवन के चलते होने वाले कैंसर से हर वर्ष देश में करीब पांच लाख लोगों की मौत होती है।

 

असम की रेवती बनीं मिस एशिया

असम की रेवती छेत्री ने चीन में ऑर्गनाइज वर्ल्ड मिस एशिया यूनिवर्सिटी कॉन्टेस्ट में ‘मिस एशिया’ का खिताब जीता है। 22 साल की रेवती, आतिफ असलम की फैन हैं और उन्हें डेट करना चाहती हैं।

रेवती मॉडलिंग के अलावा गुवाहाटी लॉ कॉलेज से वकालत की पढ़ाई भी कर रही हैं और एक म्यूजिक एल्बम में भी काम कर चुकी हैं। इनके मॉडलिंग करियर की शुरुआत नेहा धूपिया के शो के लिए ऑडिशन से हुई थी। रेवती इससे पहले फेमिना मिस इंडिया 2015 में मिस पॉपुलर और मिस मल्टीमीडिया खिताब जीत चुकी हैं। वो अनुष्का और कंगना की तरह टॉप बॉलीवुड एक्ट्रेसेस के साथ 2015 में टाइम्स मैगजीन की मोस्ट डिजायरेबल वुमन की टॉप 50 में जगह पा चुकी हैं। 1986 से हर साल वर्ल्ड मिस एशिया यूनिवर्सिटी कॉन्टेस्ट ऑर्गनाइज किया जा रहा है और इसमें हर साल लगभग 70 कंटेस्टेंट्स हिस्सा लेती हैं। इस साल इस कॉन्टेस्ट में 69 मॉडल्स ने हिस्सा लिया था।

 

कहीं खास तो नहीं बन गया वो खास दोस्त

 

कभी-कभी दो फ्रेंड्स में से एक बेहद परेशान व डिस्टर्ब रहने लगता है, किसी से बात नहीं करता और खोया रहता है, दोस्तों की बेहद कोशिश के बावजूद वह ‘कुछ नहीं’ कहकर बात को टाल देता है। यहां तक कि अपने सबसे अच्छे दोस्त जो अपोजिट सेक्‍स का है, को भी नहीं बताता… और सब दुविधा में आ जाते हैं कि आखिर वजह क्‍या है। ऐसे में पहला सवाल यही होता है कि ‘‘क्या यह खलल इश्क का है या दोस्ती को नाम-ए-मोहब्बत दिये जाने की गुस्ताखी की जा रही है…

अगर ऐसे हालात आ जाएं तो आराम से सोचें कि इसके पीछे की वजह क्या हैं और क्यों आप इस प्यार व दोस्ती के रिश्ते को लेकर इतनी उलझन में आ फंसे हैं। ऐसे डाउट अक्सर जिन्दगी में दस्तक देते रहते हैं, जहां हमें दो राहों के बीच खड़े होकर किसी एक को चुनना होता है और दोनों ही हमें अच्छे लगते हैं। ऐसे में यह तय करना पूरी तरह से आपके ही हाथों में होता है कि कौन सा रास्ता सही है। इन हालातों के उत्पन्न होने की वजहों को समझे व परखें की क्यों आप इस उलझन में फँसी हैं और क्या वे वजहें सचमुच इतनी मजबूत हैं कि आप जिनकी वजह से ‘‘ मै प्यार में हूं’’ जैसा अहम फैसला ले सकें।

अगर आप सोच रही हैं कि आपका रिश्‍ता दोस्ती से थोड़ा ज्यादा और प्यार से थोड़ा कम है, तो जाग जाएं ऐसा कोई रिश्‍ता नहीं होता। या तो आप किसी से प्यार करते हैं या फिर नहीं। अब आप दोनों के बीच कौन सा रिश्ता है यह फैसला तो आपको ही करना पडेगा। मन में दोनों रिश्तों को लेकर जो संदेह से उससे जल्द से जल्द बाहर आना होगा नहीं, तो यह बनी बनाये दोस्ती के रिश्ते के टूटने का डर रहता है।
उम्र के एक खास पड़ाव पर प्यार सभी को होता है। पर इस बात का ध्‍यान रखें कि अपना प्यार भरा दिल सबके सामने खोल कर न रखें। ये खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि यह बात तब तक ही ठीक है, जब आपको यह पता हो कि आप उन्‍हें प्‍यार करते हैं, लेकिन अगर आप खुद दुविधा में हैं तो अपने उस दोस्त को अपनी कन्फयूजन के बारे में बताने से पहले उसके बारे में एक बार जरूर सोचें कि इस बारे में बताने पर उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी। अगर वह आपको ज्यादा भ्रमित कर सकता है, तो उसे बताने से परहेज ही करें।

यह स्पष्ट करें की क्या इस वक्त आप प्यार जैसे जज्बातों को समय दे सकती हैं या नहीं।

अपने आप से सवाल करें आपको अपने दोस्त में क्या चाहिए एक सच्चा दोस्त या प्यार।

जितना हो सके उतना जल्दी निर्णय लें क्योंकि जितना समय आप लेगें कन्फूजन उतनी ही बढती जाएगी साथ ही यह आपकी दोस्ती पर बुरा असर भी डाल सकता है

इस विषय में अपने अच्छे दोस्तों की सलाह अवश्य लें क्योंकि आप इन हालातों को केवल अपने नजरिए से ही देखते है दूसरों से भी इस विषय में सलाह करें तो अच्छा होगा।

जल्दबाजी में कोई ऐसा फैसला न लें कि आपको जीवन भर पछताना पडें।

 

कुछ अलहदा हो अंदाज तो बन जाए बात

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जब भी दोस्तों से आप बात करते होंगे और खासकर अगर आप किसी को पसंद करते हैं तो आपके जेहन में यह जरूर आता होगा कि आप ऐसा क्या करें कि आपकी वो आपको पसंद करें। फिल्मों की बात जाने दें, जिंदगी फिल्म नहीं होती और परदे पर जो दिखता है, वह भी आँखों का धोखा है। परदे पर सिक्स पैक, रोबीला अंदाज और लड़की को किसी भी हाल में पटाना भले ही फिल्म को हिट बनाता हो मगर एक आम लड़की को आप इन बातों से अपना नहीं बना सकते। अच्छा और स्वस्थ शरीर जरूरी है मगर अधिकतर लड़कियाँ अपने हमसफर में अपने पिता सा  संरक्षण तलाशती हैं। वैसे भी सच्चा पुरुष तो वही हो जो लड़कियों का सम्मान करना जानता है। अगर आप इस वैलेंटाइन डे पर किसी खास को प्रपोज करने जा रहे हैं तो इन बातों पर ध्यान दें, शायद बात बन जाए –

लड़कियों को वही लड़के पसंद आते हैं जिन्हें फॉर्मल और कैज़ुअल ड्रेसिंग में अंतर मालूम हो। भड़कीले रंग और बेमेल कपड़े आपको जोकर बना सकते हैं। भले ही वह आपको कुछ न कहे मगर आपका यह अंदाज आपकी लव स्टोरी के लिए बिलकुल फिट नहीं है।

कपड़े जब भी पहनें अपने शरीर के अनुसार पहनें। अगर आप 40 के हैं तो 25 का दिखने के चक्कर में तंग टीशर्ट न पहनें। इससे आपकी हँसी ही उड़ाई जाएगी। नियमित व्यायाम करें और थोड़ा पसीना बहाएं, अब प्यार में तो इतना किया ही जा सकता है। गर्लफ्रेंड के लिए ही नहीं बल्कि यह आपके लिए भी एक सकारात्मक बदलाव होगा औऱ आप कुछ भी पहनेंगे,अच्छा लगेगा। प्रेरणा के लिए एक नजर अदनान सामी और अर्जुन कपूर पर ही डालिए।

रंगों के चयन पर ध्यान दें। जी हां, लड़कियां इस पर भी गौर करती हैं। रंग अपने व्यक्तित्व और प्रोफेशन को ध्यान में रखकर चुनें मगर जबरन बाल लाल – पीले करना और पीले, गुलाबी और बैंगनी कपड़े पहनना, बिलकुल काम नहीं आने वाला। आप हल्के बेबी पिंक, आसमानी, सलेटी, भूरा, समुद्री हरा जैसे रंग जरूर पहन सकते हैं।

आजकल टीवी पर आ रहे परफ्यूम्स और डीओज़ के विज्ञापन आपको सपने जरूर दिखाते हैं मगर इसे असल जिंदगी में न उतारें। बात यह है कि बढ़िया परफ्यूम अच्छा लगता है वरना पसीने की गंध से तो सब आपसे दूर भागेंगे।

आपके जूते साफ और पॉलिश किए हुए होने चाहिए। बेमेल जुराबें न पहनें। जेवर पसंद हैं मगर बैंक की तिजोरी बनने की कोशिश न करें क्योंकि इससे आपकी भव्यता कम बेवकूफी अधिक माना जाएगा। इस तरह के प्रयोगों से आपकी छवि एक दिखावा करने वाले व्यक्ति की ही बनेगी जबकि कम जेवर आपको एक अच्छा लुक देंगे।

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कभी – कभी भारतीय बनें। खासकर त्योहारों या किसी खास मौके पर शेरवानी, कुरता – पायजामा या कलर्ड धोती पहनें। पूरी महफिल में आप अलग दिखेंगे।

बाल ऐसे ही बनवाएं जो आपके चेहरे पर फबे। अगर दाढ़ी चेहरे पर अच्छी लगती है, तभी रखें। अगर आपको भी मालूम नहीं है और आप फिर भी अपने गालों पर 2 किलो वज़न झेल रहे हैं, तो क्लीन शेव रहें या फिर स्टबल लुक रखें।

काला रंग सदाबहार है। शेरवानी, सूट हो या शर्ट या फिर टी-शर्ट, लड़कियों को लड़के इस रंग में बहुत शानदार लगते हैं।

टाई में लड़के न सिर्फ मेच्योर लगते हैं बल्कि वो समझदार भी लगते हैं, उन्हें देखकर लगता है कि कपड़े पहनने का ढंग है. तो बॉयज़, अगली बार टाई पहनना न भूलें।

बुलेट बाइक और उसपर लेदर जैकेट में लड़का. ओह माय गॉड! लड़के इस लुक में जितने ज़बरदस्त लगते हैं शायद ही किसी और में लगें मगर याद रहे, हेलमेट सिर पर होना चाहिए और तेज रफ्तार से बचें।

सफाई जरूरी है। जब लड़कों के नाखून, पैर गंदे या फिर त्वचा रूखी-खुश्क हो तो लड़कियाँ ही नहीं, हर कोई उनसे दूर भागेगा।

हां, आप कुछ भी पहनें या खुद को कैसे भी स्टाइल करें, सबसे ज़रूरी है आत्मविश्वास। फैशन में एक्सपेरिमेंट हर दिन होते हैं जो उन्हें पूरे एटिट्यूड और कॉन्फिडेंस से पहने वही एक असली जेन्टलमेन होता है।

 

एक मिनट के लिए Google.com के मालिक बने भारतीय छात्र को मिलेंगे 8 लाख रुपये

 सर्च इंजन गूगल ने सन्मय वेद को आठ लाख रुपये का भुगतान किया है। सन्मय वेद एक मिनट के लिए गूगल डॉट कॉम डोमेन नाम के मालिक बन गए थे। हालांकि सन्मय ने भुगतान की पूर्ण राशि दान कर दी।

पिछले साल सितंबर में कच्छ क्षेत्र के मांडवी के रहने वाले सन्मय गूगल डोमेन खोजते समय पाया कि गूगल डॉट कॉम (डोमेन नाम) खरीद के लिए उपलब्ध है। उन्होंने 12 डॉलर में यह डोमेन नाम खरीद लिया और गूगल द्वारा यह बिक्री निरस्त किए जाने से पहले इसके वेबमास्टर टूल्स तक पहुंच हासिल कर ली।
हालांकि सन्मय ने कहा था कि उन्होंने पैसे के बारे में कभी नहीं सोचा और वह मिलने वाली राशि आर्ट ऑफ लिविंग इंडिया फाउंडेशन को दान करना चाहते थे।
गूगल ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, ‘आपने सन्मय वेद के बारे में पढ़ा होगा जो गूगल डोमेन्स पर एक मिनट के लिए गूगल डॉट कॉम खरीदने में सफल रहे। सन्मय को हमारी ओर से दिया गया शुरुआती वित्तीय पुरस्कार 6,006.13 डॉलर (करीब 4 लाख) था। जब सन्मय ने यह पुरस्कार राशि दान करने की बात कही तो हमने इस राशि को बढ़ाकर दोगुना कर दिया।’
वेद ने लिंकेडिन पर एक पोस्ट में कहा था कि उन्होंने यह पुरस्कार राशि आर्ट ऑफ लिविंग के शिक्षा कार्यक्रम में दान करने का निर्णय किया।