Sunday, December 14, 2025
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घर में फेशियल कर चेहरा बनाएं खूबसूरत

मौसम कोई भी हो, फेशियल्स तो जरूरी हैं ही. लेकिन वो असरदार तभी होते हैं जब मौसम के अकॉर्डिंग हों। पार्लर में जाकर फेशियल्स करवाने का ऑप्शन तो है ही, लेकिन घर पर ही नेचुरल फेशियल्स के जरिए आपके चेहरे पर खूबसूरत और हेल्दी ग्लो आ सकता है। यहां जानिए कैसे :

फेशियल करने का सबसे बेसिक स्टेप है स्किन को क्लीन करना. फेस क्लीन करने के लिए या तो आप किसी कॉस्मेटिक क्लेंजर का यूज कर सकती हैं या फिर कच्चे दूध से भी फेस की क्लीनिंग की जा सकती है। इसके लिए एक कॉटन को कच्चे दूध में भिगोएं और उससे चेहरे को अच्छे से साफ करें। इसके बाद चेहरे को साफ पानी से अच्छे से धोएं।

स्किन के डेड सेल्स निकालने जरूरी हैं। अपने स्किन टाइप के अकॉर्डिंग एक स्क्रब सिलेक्ट करें। थोड़ा पानी लेते हुए स्क्रब से फेस पर हल्के हाथों से मसाज करें। मसाज सर्कुलर मोशन में करें। फोरहेड, नोज और चिन पर ज्यादा फोकस करें। इससे स्किन के पोर्स बंद होंगे। रेग्युलर एक्सफोलिएशन से फाइन लाइंस और रिंकल्स कम होते हैं।

फेस पर स्टीम लेने से स्किन के पोर्स खुलते हैं और जमा टॉक्सिंस भी निकलते हैं। बड़े बर्तन में पानी वॉयल करें और उसके ऊपर टॉवेल का टेंट बनाते हुए स्टीम लें। आप इसमें गुलाब की पत्तियां या फिर लैवेंडर, रोजमेरी इसेंशियल ऑयल्स की एक या दो बूंदें भी डाल सकती हैं। 10-15 मिनट तक स्टीम लेने के बाद चेहरे पर ठंडा पानी डालें।

चौथे स्टेप में आपको एक फेस मास्क सिलेक्ट करके अप्लाई करना है। ऑयली स्किन वालों के लिए क्ले वाले मास्क सही रहते हैं वहीं ड्राई स्किन के लिए क्रीमी मास्क और सेंसिटिव स्किन के लिए लाइट जेल सेंसिटिव मास्क सही रहते हैंभी कॉबिनेशन स्किन को एक से ज्यादा मास्क की जरूरत पड़ सकती है।

हर तरह की स्किन को मॉइश्चर की जरूरत होती है बस आपको अपनी स्किन टाइप के अकॉर्डिंग मॉइश्चराइजर चाहिए होता है। ऑयली स्किन के लिए लाइट वॉटर या जेल बेस्ड मॉइश्चराइजर सही रहता है वहीं ड्राई स्किन के लिए ऑयल बेस्ड। मॉइश्चराइजर से स्किन का टेक्सचर मेंटेन रहता है और वो प्रोटेक्टेड रहती है।

 

जब सानिया का जवाब सुनकर राजदीप सरदेसाई हुए शर्मिंदा…

नई दिल्ली। भारतीय टेनिस की सनसनी सानिया मिर्जा की आत्मकथा ऐस अगेंस्ट ऑड्सका विमोचन बुधवार को बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान ने किया। इस मौके पर कई हस्तियां मौजूद थी। वरिष्ठ प‍त्रकार राजदीप सरदेसाई ने इस मौके पर सानिया मिर्जा से एक सवाल पूछकर सबको हैरत में डाल दिया लेकिन इस सवाल के बाद सानिया ने उन्हें जो जबाव दिया, उससे वे शर्मिंदा हो गए और रक्षात्मक रुख में आ गए। 

सानिया मिर्जा की आत्मकथा का विमोचन समारोह गरिमामय होने के साथ ही ग्लेमरस था। उनकी आत्मकथा को पूरी होने में पांच बरस का वक्त लगा। इस किताब में अब तक के उसके जीवन के घटनाक्रमों का इसमें जिक्र है। इसमें उनके जीवन से जुड़े विवादों को भी छुआ गया है। हार्पर कॉलिंस द्वारा प्रकाशित सानिया मिर्जा की इस आत्मकथा में उनके करियर सहित जीवन से जुड़ी हर चीज को शामिल किया गया है। 40 अध्याय की इस किताब की कहानी उस समय से अब तक की है, जब वह 4 या 5 वर्ष की थी।

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सानिया ने अपनी आत्मकथा बुधवार को रिलीज किया था। इस मौके पर वे मीडिया हाउसेज को इंटरव्यू भी दे रही थीं। इसी क्रम में वे ‘इंडिया टुडे’ न्‍यूज चैनल पर राजदीप से बात कर रही थीं। बातचीत के दौरान राजदीप सरदेसाई ने सानिया से पूछा, ‘इस सेलिब्र‍िटी स्‍टेटस के बीच सानिया कब सेटल होने जा रही हैं। क्‍या ऐसा दुबई में होगा? क्‍या ऐसा किसी दूसरे देश में होगा? मातृत्‍व के बारे में? परिवार बनाने के बारे में? मैंने इस बारे में किताब में नहीं पढ़ा। ऐसा लगता है कि आप ‘सेटल’ होने के लिए ‘रिटायर’ नहीं होना चाहतीं?

सानिया ने कहा, ‘क्‍या आपको नहीं लगता कि मैं सेटल हूं? आप निराश लग रहे हैं क्‍योंकि मैंने इस वक्‍त मातृत्‍व की जगह दुनिया की नंबर वन बनना चुना लेकिन मैं आपके सवाल का जवाब जरूर दूंगीं। ये उन सवालों में से एक है, जिसका हम महिलाओं को अकसर सामना करना पड़ता है। दुर्भाग्‍य से यह कोई मायने नहीं रखता कि हमने कितने विंबलडन जीते या नंबर वन बने, हम सेटल नहीं होते। हालांकि, मातृत्‍व और परिवार शुरू करना भी मेरी जिंदगी में होगा। और ऐसा जब होगा तो मैं जरूर बताऊंगी कि मेरी इसे लेकर क्‍या योजना है?’

राजदीप ने तुरंत माफी मांगते हुए कहा, ‘मैं माफी मांगता हूं। मुझे लगता है कि मैंने गलत ढंग से सवाल पूछा। आप पूरी तरह से सही हैं। मैं ऐसा किसी पुरुष एथलीट से कभी नहीं पूछता।’ सानिया ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं। आप पहले ऐसे जर्नलिस्‍ट हैं, जिसने नेशनल टीवी पर माफी मांगी हो।’ सानिया ने अंत में कहा, ‘मुझे उम्‍मीद है कि आज से कुछ साल बाद एक 29 साल की लड़की से यह नहीं पूछा जाएगा कि वो कब बच्‍चे पैदा करने वाली है जब वो नंबर वन हो।’

सीनियर जर्नलिस्‍ट राजदीप सरदेसाई को अपने एक सवाल के लिए मशहूर टेनिस प्‍लेयर सानिया मिर्जा से माफी मांगनी पड़ी। राजदीप ने उनसे सेटल होने और फैमिली शुरू करने के बारे में पूछा था। सानिया ने कुछ ऐसा जवाब दिया कि राजदीप को माफी मांगनी पड़ी। राजदीप ने यह कहते हुए माफी मांगी कि उन्‍होंने गलत तरीके से सवाल पूछा।

 

मॉनसून में कुछ इस तरह का हो आपका फैशन स्टाइल

अगर आप उन लोगों में से हैं जिन्हें मानसून में भी स्टाइल में तैयार होना और भीगना पसंद है तो इन टिप्स साथ बारिश का मजा लें।

यूं तो जीन्स एक बार गीली होने के बाद सूखने में बहुत देर लगाती है लेकिन फिर भी लोग अक्सर मॉनसून में यही ज्यादा पहनते हैं। लेकिन ये इतनी प्रैक्टिकल विकल्प है, खासकर ब्लू और ब्लैक जैसे डार्क शेड्स कि लोग जल्दी न सूखना स्वीकार करते हुए भी इसी को पहनना पसंद करते हैं बजाय किसी अन्य वॉटर-फ्रेंडली फैब्रिक के।

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अगर बारिश में जीन्स पहननी ही है तो थोड़ा ज्यादा आरामदायक फिट क्यों न चुना जाए। जैसे कि स्ट्रेच डेनिम ऐसा है जिसमें स्पैंडेक्स ज्यादा नहीं होता, ये सूखता भी जल्दी है और गीले होने के बाद स्किन पर चिपकता भी नहीं है। अगर डेनिम्स के साथ प्रयोग करना ताहें तो बुल डेनिम आदर्श है। ये बहुत ही सॉफ्ट फैब्रिक होता है। किसी भी अन्य फैब्रिक से ये ज्यादा ड्यूरेबल होता है।

मानसून के डल और ग्लूमी मौसम में कलर्स बहुत अच्छे लगते हैं। किसी भी तरह के स्टाइल वाले शर्ट्स में कलर बुरे नहीं लगते हैं। लाइट कलरफुल फैब्रिक्स और प्रिंट्स ट्राय करें। प्रिंटेड टी-शर्ट्स और लाइट कॉटन के शर्ट्स इस मौसम के लिए सबसे आदर्श माने जाते हैं।

कैजुअल शर्ट्स और कैजुअल फील्ड जैकेट्स भी ट्राय किए जा सकते हैं। ये मजेदार और सॉफेस्टिकेटेड लुक देते हैं। इस साल पुरुषों के लिए फैशन स्केल पर बहुत से कलर्स पसंद किए जा रहे हैं। जैसे पर्पल के नए शेड्स के साथ अर्दी ग्रीन, ऑरेंज, पिंक और बेज भी ऐसा कलर है जो इस मौसम में मूड अच्छा कर देता है।

कैनवास के शूज तो पूरी तरह से अवॉइड ही करने चाहिए। बारिश के डैंप मौसम में क्रॉक्स सबसे अच्छा विकल्प हैं। इन दिनों हर तरह के कलर और स्टाइल में क्रॉक्स मिल रहे हैं। ये हर रेंज में भी मिल जाते हैं। किसी भी तरह के आउटफिट के साथ क्रॉक्स को टीम किया जा सकता है।

बारिश में ज्यादातर पुरुष शॉर्ट्स पहनना पसंद करते हैं, तो क्रॉक्स शॉर्ट्स पर बहुत अच्छे लगेंगे। अगर जींस पहनना है तो भी क्रॉक्स स्टाइलिश लगते हैं। इसके अलावा जेली स्लीपर्स भी फिलहाल नया ट्रेंड बना रही हैं।

 

फोर्ब्स एशिया की सूची में शामिल यशवीर अब बदलना चाहते हैं किसानों की जिंदगी

जयपुर. डॉ. अब्दुल कलाम हर बच्चे से कहते थे कि ड्रीम्स वो नहीं जो आप सोते हुए देखते हो, ड्रीम्स तो वो हैं जो आपको सोने ही ना दें। इसी का असली मतलब बताया है झुंझुनू के गांव बनगोठड़ी (पिलानी) के यशवीर सिंह ने। जिन्होंने हाल ही में फोर्ब्स एशिया मैगजीन की अंडर-30 लिस्ट में जगह बनाई है।

एक जिंदगी मिलती है जिसमें बेसिक लाइफ (कपड़े, खाना, ट्रेवल) से हटकर दूसरों से जुडऩे और उन्हें खुशी देने के लिए कुछ करना चाहिए।

जिंदगी में कामयाबी के मायने मेरे लिए अलग हैं। इसी को मन में ठानकर मैं बिट्स पिलानी से इकोनॉमिक्स में एमएससी करते हुए स्टूडेंट्स यूनियन का प्रेसिडेंट बना और अपने दोस्तों के साथ वहां के कई गांवों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाने और कॅरिअर काउंसिल करने लगा।

– वहीं से पहला एक्सपीरियंस मिला और रेस्पॉन्स देखकर मेरा हौसला बढऩे लगा। इसके बाद ग्रेजुएशन होने पर कई दोस्त कॅरिअर के लिए लाखों के पैकेज पर बाहर चले गए। लेकिन मैंने कॉलेज के बाद नेशनल सोशल एंटरप्रिन्योरशिप फोरम शुरू किया जिससे यंग लोगों को तैयार करते थे ताकि वे अपनी और दूसरों की मदद करते हुए अपने कॅरिअर की शुरुआत कर सकें।

यह प्रोग्राम देश के 40 इंस्टीट्यूट्स में भी चलाया गया। चार साल बाद मैं आक्सफोर्ड (यूके) से एमबीए करने चला गया। वहां से आकर अशोका इनोवेटर्स फॉर द पब्लिक में डायरेक्टर ऑफ यूथ वेंचर प्रोग्राम्स (साउथ एशिया) के पद पर कार्य कर रहा हूं।

– यहां पॉलिसी मेकर्स के साथ मिलकर काम कर रहा हूं जिससे स्टूडेंट्स को चेंज मेकर के रूप में तैयार किया जाता है जिससे वे सोसायटी के लिए काम कर सकें। मेरे पास भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश की जिम्मेदारी है। ग्लोब लेवल पर इस संस्था के साथ काम करके इसके बाद राजस्थान के गांवों और किसानों के लिए काम करूंगा।  पिलानी के बनगोठड़ी गांव से हूं। दादाजी किसान और पिता करम वीर सिंह स्पोर्ट्समैन थे और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में प्रशासनिक अधिकारी बनें।

गांवों में किसानों को मशक्कत करते देखा है जिनसे मैं इंस्पायर होता हूं। गांव में बच्चों को पढऩे के लिए इतना मौका नहीं मिलता, लेकिन मैं लकी हूं कि मुझे बड़े इंस्टीट्यूट्स में पढऩे का मौका मिला है।  फोर्ब्स मैगजीन की ओर से हर साल अलग-अलग 20 क्षेत्रों में 30 की एज से कम 30 यंग लीडर्स व अन्य हस्तियों को सम्मानित किया जाता है।

यशवीर को सोशल रेस्पोंसिबिलिटीज इंडियन यंगस्टर्स के बीच एंटरप्रिन्योरशिप की संभावनाएं तलाशने में दिए गए योगदान के लिए सोशल एंटरप्रिन्योरशिप कैटेगरी लिस्ट में शामिल किया है। यशवीर कई इंटरनेशनल और नेशनल ऑर्गेनाइजेशंस से सम्मानित हो चुके हैं।

– वाइस चांसलर से सोशल इंपेक्ट अवॉर्ड, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ग्लोबल शेपर, इंटरनेशनल यूथ फाउंडेशन के यूथ एक्शन नेट फैलोशिप अवॉर्ड एवं ऑस्ट्रेलिया इंडिया यूथ डायलॉग में भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

 

कश्मीर में उपद्रव के बीच, 40 किमी पैदल चलकर, घायलों के इलाज के लिए अस्पताल पहुंची ये नर्स !

रविवार को  कश्मीर में हिंसा और तनाव फैला हुआ था। दुकानों के शटर गिरे हुए थे, सड़को पर पत्थर ही पत्थर नज़र आ रहे थे। खौफ के कारण लोग अपने घरों में ही छुपे बैठे थे। ऐसे हालात में दो नर्सें 40 किलोमीटर पैदल चलकर ड्यूटी करने अस्पताल पहुँचीं।

फिरदौसा राशिद और फिरदौसा राशिद  एक ही नाम की दोनों नर्सें श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में काम करती हैं। इनमें से एक फिरदौसा उत्तर कश्मीर के तंगमार्ग में रहती हैं जबकि दूसरी मगम इलाके की रहने वाली हैं।
“मुझे पता था कि अस्पताल में स्टाफ कम हैं। मेरी ड्यूटी सर्जिकल आइसीयू में थी इसलिए लोगों की जान बचाने के लिए मेरा ड्यूटी पर पहुँचना जरूरी था। अगर नर्स न हो तो आईसीयू का क्या फायदा?” तंगमार्ग की रहने वाली फिरदौसा ने सोमवार को ग्रेटर कश्मीर के संवाददाता से बातचीत में बताया।

उन्होंने बताया कि वो घर से सुबह 7:45 बजे निकलीं और दोपहर के 2:15 बजे अपने अस्पताल पहुँचीं। उन्हें अफसोस था कि उन्होंने निकलने मे देरी कर दी। मगम से कुछ दूर तक तो एक एंबुलेंस ने उन्हें छोड़ दिया जिसके बाद उन्होंने फिर से पैदल चलना शुरू कर दिया।

“अस्पताल में कुछ नर्स दो दिन से लगातार काम कर रहीं थीं। उन्हें आराम देना जरूरी था। इसलिए मुझे किसी भी तरह अस्पताल पहुँचने की प्रेरणा मिलती रही। घर वालों ने मुझे चेताया कि मैं अपनी जान जोखिम में डाल रहीं हूँ लेकिन मैंने उनको नजरअंदाज कर दिया।“– फिरदौसा नेकहा।

रास्ते में फिरदौसा उपद्रवियों के बीच से होकर गुजर रहीं थीं। कई लोगों ने उन्हें रोककर पूछा कि वो सड़क पर क्यों निकली हैं। पर फिरदौसा बिना किसी को कोई जवाब दिए आगे बढ़ती गईं।

श्रीनगर गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डा. कैसर अहमद ने कहा, “अस्पताल के कई कर्मचारी हैं जो अपनी जान जोखिम में डालकर अस्पताल पहुँच रहे हैं। कुछ लोगों की रास्ते में गाड़िय़ाँ तोड़ दी गईं। लेकिन हम लोग किसी न किसी तरह अस्पताल पहुँच रहे हैं। वो हमारे ही लोग हैं। उन्हें हमें अस्पताल पहुँचने देना चाहिए ताकि हम यहाँ सैंकड़ों घायलों का इलाज कर सकें।”

 

 

कंट्रोवर्शियल भाभीजी’ की भूमिका में वापसी करेंगी शिल्पा शिंदे

शिल्पा शिंदे के प्रशंसकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। ‘भाभी जी घर पर हैं’ का साथ छूटने के बाद वो दोबारा से वापसी कर रही हैं। अपने एक नए शो ‘कंट्रोवर्सियल भाभीजी’ में वो भाभीजी के अवतार में नजर आएंगी। यह शो डिजिटल प्लैटफॉर्म पर लॉन्च होगा।

अपनी वापसी को लेकर शिल्पा ने कहा,’जो लोग बेचैन थे कि शिल्पा कहां गायब हो गईं, क्या कर रही हैं, इस शो से उन लोगों को जवाब मिल जाएगा।’

इसके साथ ही उन्होंने कहा,’मेरे शो छोड़ने के बाद हुए विवादों पर यह शो एक स्पूफ की तरह होगा। मैं एक साधारण महिला हूं लेकिन लोगों ने छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ बनाते हुए मुझे विवादित बना दिया। अगर ऐसा ही है तो अच्छा है कि मैं इसे इंजॉय करूं।’

गौरतलब है कि कुछ महीनें पहले ही शिल्पा का अपने शो ‘भाभी जी घर पर हैं’ के डायरेक्टर के काफी विवाद हो गया था, जिसके बाद शिल्पा ने शो को अलविदा कह दिया था। हालांकि शिल्पा की जगह शो में शोभांगी आत्रे ने ले ली है लेकिन शिल्पा के प्रशंसक उन्हें आज भी शो में काफी मिस करते हैं।

 

खुद प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण बनाने में जुटे वृद्ध दंपति

सूरत के गौरांग और स्मिता देसाई, वीर सावरकर पार्क में जगह-जगह फैले प्लास्टिक के कचरे को उठाकर कूड़ेदान में फेंकते हैं। इनके इस योगदान के कारण बाग में सैर के लिए आने वाले लोगों को एक स्वच्छ वातावरण मिल पाता है।

गौरंग और स्मिता मुम्बई के टाटा पावर लिमिटेड से रिटायर्ड इंजीनियर हैं। प्लास्टिक के कचरे के प्रति लोगों के उदासीन रवैये और सार्वजनिक जगहों पर फैले गुटखा-तंबाकु के पैकेट से परेशान होकर इन्होंने खुद ही कचरा बटोर कर कुड़ेदान में डालने का निर्णय लिया। प्लास्टिक के कचरे को हटाने की इस मुहीम की शुरुआत इन्होने 2005 से कर दी थी ।

कुछ दिन पहले जब वे कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए थे तो वहाँ भी उनका ध्यान प्लास्टिक के कचरे पर था।

2005 में दांडी मार्च की 75वीं वर्षगाँठ मनाने के लिए साबरमति से दांडी तक पदयात्रा की गई थी।  गौरंग ने भी इसमें हिस्सा लिय़ा था। इसमें हिस्सा लेने वालों से मिलने आने वाले लोग इधर-उधर कचरा फेंक रहे थे। गौरंग ने उसे बटोरना शुरू कर दिया। इसके बाद 2014 में ये दोनों सूरत आ गए।

हमने ये काम गाँधी जी से प्रेरित होकर शुरू किया। शुरूआत में तो लगभग 12 बैग कचरा मिलता था। हालाँकि, अब स्थिति कुछ सुधरी है।गौरंग ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा।

इन्होंने करीब 200 कपड़े के थैले लोगों में बाँटें हैं। 1000 कपडे के थैलो का ऑर्डर और दिया है जिसे वो सब्जी मंडी में बाँटेंगे।

स्मिता का कहना है, “हमारा एकमात्र मकसद पर्यावरण को प्लास्टिक के खतरे से बचाना है।

 हमें यकीन है कि स्वच्छ भारत का जो सपना बापू ने देखा था वो देसाई दंपत्ति जैसे नेक लोगो की कोशिशो से एक दिन ज़रूर पूरा होगा!

(साभार – द बेटर इंडिया)

एमबीए पास राधिका ने नौकरी छोड़ खोला ढाबा

सपने छोटे हो या बड़े, उनको पूरा करने के लिए जरूरत होती है जोश और आत्मविश्वास की. इस बात को राधिका अरोड़ा की हिम्मत और जोश ने साबित कर दिखाया है। काम कोई भी हो उसे करने की लगन चाहिए होती है और फिर कामयाबी आपके साथ चल पड़ेगी.

हरियाणा के अंबाला की राधिका ने पहले बी.कॉम किया फिर उच्‍च शिक्षा के लिए एमबीए करने चंड़ीगढ़ आ गई। राधिका ने पहले तो नौकरी की. फिर उन्‍हें कुछ ऐसा सूझा कि उसके बाद रिलायंस कंपनी में मिली नौकरी छोड़ कर खाने की रेहड़ी लगा ली।

हरियाणा के अंबाला की राधिका ने मोहाली इंडस्‍ट्रियल एरिया में एक फूड ज्‍वाइंट खोला है। सबसे मजेदार और अनोखी बात ये है कि राधिका ने एमबीए किया है और वे रिलायंस में एचआर की शानदार नौकरी छोड़कर मोहाली में खाने की रेहड़ी लगा रही हैं।

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बीकॉम की पढ़ाई के बाद एमबीए करने के लिए राधिका अंबाला से चंडीगढ़ आ गई थी और उसी दौरान उन्‍होंने पेइंग गेस्‍ट बनकर रहना शुरू किया। यहां रहने के दौरान राधिका को पेइंग गेस्ट का खाना अच्छा नहीं लगता था। खाने की समस्या ने राधिका को नौकरी के दौरान काफी परेशान किया. तभी उन्हें लगा कि बजाय कहीं और नौकरी करने के अच्छा है अपना काम शुरू किया जाए। राधिका ने पढ़ाई के दौरान सबसे ज्‍यादा घर के खाने को याद किया था इसलिए उन्‍हें फूड ज्‍वाइंट खोलना तय किया.

राधिका स्‍वभाव से चुलबुली और काफी एक्टिव हैं। रास्‍ता चुन लेना और उस पर चलना बहुत मुश्किल होता है. उन्‍होंने अपने बुलंद हौसले के साथ इस काम की शुरुआत की। लोगों को अपनेपन का एहसास कराने के लिए उन्‍होंने रेहड़ी का नाम रखा है माँ का प्यार। आज वो हर रोज घर से बाहर रहने वालों को घर का खाना बनाकर खिलाकर खुशियां फैला रही हैं। उन्‍हें इस काम का रिस्‍पान्स भी बहुत अच्‍छा मिल रहा है.

उनके फूड कोर्ट में राजमा-चावल, कढ़ी चावल, दाल-चावल और रोटी सब्जी सहित वो सब कुछ मिलता है जो घर में बनता है। मोहाली के इंडस्ट्रियल एरिया में वो रोजाना एक बजे से तीन बजे तक रेहड़ी लगाती हैं। आज 70 लोगों का खाना रोज बनाने वाली लड़की को कभी खाना बनाना पसंद नहीं था, पर अब ऐसा जोश चढ़ा है की अकेले ही राधिका सब संभाल रही हैं। इस काम को शुरू करने के लिए उन्‍होंने एक लाख रुपये का निवेश किया है.

जब ये काम शुरू करना था तब उनके बिजनेसमैन पिता को कामयाबी मिलने पर संदेह था। इसकी वजह राधिका का लड़की होना था, क्‍योंकि किसी काम को करना आज के आधुनिक समाज में भी लड़कियों के लिए लड़कों की अपेक्षा अक्‍सर थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इन सबके बावजूद राधिका के हौसल को देखते हुए परिवार के सभी सदस्‍यों ने उनका पूरा साथ दिया। आज कामयाबी मिलने के बाद वो भविष्‍य में चंडीगढ़ के आईटी पार्क में अपना फूड कोर्ट खोलने की प्‍लानिंग कर रही हैं।

 

कर्नाटक की लक्ष्मी ने उम्र भर की कमाई से गाँव में खुदवाया कुआँ

कर्नाटक के बेहद सुदूर हिस्से में बसे एक गाँव में पेंशन के सहारे बेहद कम साधनों में अपनी जीविका चलनेवाली एक महिला ने अपनी पेंशन से मिलने वाली रकम बचाकर गाँव के लोगो के लिए एक कुआँ खुदवाया है।

60 वर्षीय लक्ष्मी कर्नाटक में मंगलुरु के निकट उडुपी जिले के एक बेहद छोटे और सुखा पीड़ित गाँव आमपारू में रहती है। आम्रपारू ग्राम पंचायत पथरीले  भू-भाग में स्थित है जहा पीने योग्य पानी के साधनों की बेहद कमी है। भीषण गर्मी में जब आस पास कही पानी उपलब्ध नहीं होता तो गाँव वालो को टैंकर के पानी से काम चलाना पड़ता है और बाकि पुरे साल उन्हें अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए सबसे नजदीकी पानी के स्त्रोत से पानी लाने के लिए 2-3 किमी चलना पडता है। इस इलाके के हैण्डपंप भी पीने योग्य पानी की जरुरत को पूरा नहीं कर पाते है।

गाँववालो की पीने के पानी की भीषण समस्या के लिए लक्ष्मी ने पहल की और गाँव की चार और महिलाओ के साथ मिलकर एक टीम बनायीं। इसके बाद एक निश्चित स्थान तलाश कर के इन लोगो ने एक कुआँ खोदना शुरू कर दिया।

लक्ष्मी और उसकी टीम की बाकि महिलाओ ने कठिन परिश्रम के बाद एक 52 फीट गहरा और 6 फीट चौड़ा कुआँ खोदने में सफलता पाई और आज ये कुआँ आम्रपारु ग्राम पंचायत के विवेक नगर कॉलोनी में गाँव वालो के इस्तेमाल के लिए पूरी तरह से तैयार है। आज गाँव के 10 से भी ज्यादा घर अपनी पानी की जरुरत के लिए पूरी तरह से इस कुएं के ऊपर निर्भर है और साथ ही साथ ये अन्य गांववालों  की जरुरत भी पूरी करता है। ये कुआं सरकार की मनरेगा योजना के तहत बनाया गया जिसमे गाँव के बेरोजगार व्यक्तियों को 100 दिन के पक्के रोजगार देने का वायदा किया जाता है। ग्राम पंचायत ने भले 82000 रुपये  योजना को पूरा करने के लिए दिए पर यह धनराशी इस योजना को असली जामा पहनने के लिए अपर्याप्त थी। इस योजना को पूरा करने में 1.18 लाख की धनराशी की आवश्यकता थी। पर लक्ष्मी अपने इरादों में पक्की थी। उसने अपनी पेंशन से बचाकर जमा की गयी पूरे जीवन की धनराशी और साथ ही साथ मानरेगा के तहत दी गयी राशि को इस कुए के निर्माण में लगा दी।

आम्रपारु ग्राम पंचायत के उप-प्रधान किरण हेगड़े नेटाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया, “लक्ष्मी काफी साहसी और इरादों में काफी दृढ महिला है और बाकि लोगो के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।

इस महिला ने अपनी उम्रभर की जमा पूंजी को समाज की बेहतरी के काम में खर्च कर दिया।

(साभार – द बेटर इंडिया)

नये अंदाज में फिर से इस्तेमाल करें शादी का लहंगा

शादी आपकी हो या आपने किसी की शादी में पहनने के लिए लहंगा खरीदा हो, वह आलमारी में पड़े – पड़े खराब हो जाए, आप हरगिज नहीं चाहेंगी। फिर भी शादी में एक बार पहनने के बाद वो लहंगा हमेशा के लिए आपकी अलमारी में बंद हो जाता है. आज एक बार फिर से उस लहंगे को बाहर निकालें और उसे नया लुक देकर पहनें, हम बताते हैं कैसे –

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दुपट्टें को करें ऐसे इस्तेमाल – आपका लंहगा किसी भी कलर का हो, उसके दुपट्टे को अलग-अलग स्टाइल्स में अलग-अलग कपड़ों के साथ पेयर करें. इसे स्ट्रेट फिट वाले सूट, अनारकली, या फिर पटियाला सलवार-कमीज़ के साथ पहनें। अगर आपका वेडिंग दुपट्टा नेट या टिशू का है तो इसे सिर्फ उसी कलर के रॉ सिल्क सूट या वेल्वेट अनारकली के साथ ट्राय करें। अगर आपका दुपट्टा जॉर्जेट का है तो इसे क्रेप या कॉटन सलवार-कमीज़ के साथ पहनें।

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चोली से बनाएं ब्लाउज़ – शादी के लहंगे की चोली के साथ एक्सपेरिमेंट करें और इसे किसी साड़ी के साथ पहनें। जैसे अगर आपके पास एम्ब्रॉइडरी वाली क्रेप चोली है तो इसे सिंपल क्रेप साड़ी के साथ पेयर करें। वेलवेट चोली को नेट साड़ी या वेलवेट साड़ी के साथ पहनें. ऐसे में किसी को भी पता नहीं चलेगा कि आपने साड़ी के साथ अपनी शादी की चोली पहनी है। दोस्त की शादी या कोई फंक्शन अटेन्ड करना हो तो आप कोई सिंपल लहंगा खरीदें और उसे शादी की चोली और दुपट्टे के साथ पहन लें। ऐसा करके आपके पैसे भी बचेंगे और आपका शादी का लहंगा भी इस्तेमाल हो जाएगा. ब्लाउज़ आगे से ही नहीं पीछे से भी हो।

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साथ पहनें – ऐसे में किसी को भी पता नहीं चलेगा कि आपने साड़ी के साथ अपनी शादी की चोली पहनी है। दोस्त की शादी या कोई फंक्शन अटेन्ड करना हो तो आप कोई सिंपल लहंगा खरीदें और उसे शादी की चोली और दुपट्टे के साथ पहन लें। ऐसा करके आपके पैसे भी बचेंगे और आपका शादी का लहंगा भी इस्तेमाल हो जाएगा।

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ड्रेप से लुक बदलें – क्रिएटिव बनें और अपने लहंगे के लुक को पूरा बदल दें, क्योंकि फैशन का मतलब है कुछ नया करना और कुछ ख़ास बनाना. आप अपने लहंगे को अलग-अलग तरह से ड्रेप करें. जैसे साड़ी स्टाइल, गुजराती लंहगा स्टाइल या रिस्ट स्टाइल (जिसमें दुपट्टे का एक कोना अपनी कलाई पर बांधते हैं). आप अलग से एक कॉट्रैस्टिंग दुपट्टा को भी अपने लहंगे के साथ स्टाइल कर सकती हैं।

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प्रयोग करें – शादी के टाइम आप लहंगे के रंग, डिज़ाइन, एंबेलिशमेंट सब पर ध्यान देती हैं, लेकिन सिर्फ एक बार उसे पहन कर क्यों बरबाद करना? एक बार फिर से नए लुक के लिए अपने हेवी लहंगे को बैन्डो या कॉर्सेट के साथ पहनें. प्लेन, हल्के काम वाले कॉर्सेट आपके भारी भरकम लहंगे पर बहुत अच्छे लगेंगे। इसके अलावा इसे आप शीयर जैकेट के साथ भी पहन सकती हैं। इन जैकेट लहंगों को खरीदने के बजाय अपनी शादी के लहंगे को जैकेट लहंगा बनाएं। अपनी पसंद के फैब्रिक और इम्ब्रॉइडरी से डिज़ाइन कराएं।

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लहंगे को बनाएं अनारकली – अगर आपके पास कोई अच्छा टेलर है, तो आप अपने लहंगे या चोली (ब्लाउज़) का अनारकली भी बनवा सकती हैं। ऊपर के लिए सिंपल फैब्रिक को लहंगे के घेरे के साथ सिलवा लें। ऐसे ही अगर चोली का अनारकली बनवाना है तो इसके नीचे किसी अच्छे फैब्रिक की कलियां जुड़वा लें।

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