Monday, July 21, 2025
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सिनी की अरबन यूनिट ने आयोजित की बाल संसद, जमकर बोले बाल प्रतिनिधि

संविधान कहता है कि बच्चों को भी अपनी बात कहने का हक है और ये बच्चों का अधिकार है कि उनकी बात सुनी जाए। यह अलग बात है कि आए दिन उनके इस अधिकार का हनन होता है क्योंकि सच तो यह है कि बच्चे सोचते हैं और उनकी अपनी विचारधारा होती है, यह मानने के लिए तो हम तैयार ही नहीं होते। संविधान की धारा 12 के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों की बात सुनी जाए। साफ है कि बच्चे मतदाता नहीं है इसलिए बड़ी राजननीतिक पार्टियों के एजेंडे में उनका विकास नहीं है और तमाम चुनावों में उनके अधिकारों और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए मुश्किल से कुछ शब्द खर्च किए जाते है।cini child parliament 2

ऐसी स्थिति में उनके लिए बाल संसद का होना हैरत की बात हो सकती है मगर हाल ही में महानगर में सिनी की अरबन यूनिट ने यह नेक काम किया और महानगर के 10 वार्डों के बच्चों को लेकर बाल संसद आयोजित की जिसमें 7 चुने गए बाल प्रतिनिधियों ने इन वार्डों के बच्चों की समस्याएं रखीं। इस मौके पर बच्चों की शिकायत सुनने के लिए नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के चेयरमैन अशोकेंदु सेनगुप्त भी उपस्थित थे। बच्चों ने अपने स्कूलों की लचर हालत से लेकर नशीले पदार्थों को लेकर पुलिस की उदासीनता से लेकर कई सामाजिक समस्याओं पर रोशनी डाली। सिनी इन समस्याओं को जनप्रतिनिधियों तक पहुँचाएगी।

गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करता है ये तो हम सभी जानते हैं पर गर्भवती महिलाओं के लिए ये बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. खासतौर पर तब जब महिला दमा से पीड़ित हो।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का कहना है कि ऐसी गर्भवती महिलाएं जिन्हें दमा है, जब वायु प्रदूषण के संपर्क में आती हैं तो उनमें निर्धारित समय से पूर्व प्रसव की आशंका बढ़ जाती है।

दमा पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए आखिरी छह सप्ताह का समय काफी गंभीर होता है. अत्यधिक प्रदूषण वाले कणों, जैसे एसिड, मेटल और हवा में मौजूद धूल कणों के संपर्क में आने से भी समयपूर्व प्रसव का खतरा बढ़ जाता है।

यह जानकारी जरनल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनॉलॉजी में प्रकाशित हुई है।

वायु प्रदूषण हमारी सांस प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है और दमा, ब्रांकाइटिस, लंग कैंसर, टीबी और निमोनिया जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. के के अग्रवाल का कहना है कि दमा से पीड़ित लोगों को वायु प्रदूषण से बचने के लिए अत्यधिक प्रदूषण के समय घर से बाहर जाने से परहेज करना चाहिए. साथ ही हमें वायु प्रदूषण कम करने के उपाय करने चाहिए.

 

गृहिणियों का श्रम भी मान का हकदार

हाल ही में सोशल मीडिया में एक पति का लिखा वो पत्र लोगों को भावुक कर गया, जिसमें उसने अपनी पत्नी को समर्पण के लिए शुक्रिया कहा और कृतज्ञता जताई। पति ने लिखा कि एक गृहिणी होने के नाते मुझे लगता था कि मेरी पत्नी घर पर रहती है तो उसके पास काम ही क्या है? इसलिए मैंने उसे कभी उसके काम का क्रेडिट नहीं दिया। वह दिनभर घर और बच्चे की देखभाल में थकी रहती। लेकिन मुझे घर लौटने पर हमेशा अपनी ही थकान दिखती।

ऑफिस से लौटकर मैं उसे अक्सर यही कहता कि तुमने क्या किया दिनभर? लेकिन अब गंभीरता से सोचने पर लगता है कि यह महिला कितनी गजब की है। जो बच्चे और घर की अनगिनत जिम्मेदारियां अकेले ही संभालती है। इतना सोचा तो खुद पर ही गुस्सा आया। इसलिए सबसे कहूंगा कि अपने बच्चों की मां का सम्मान करें। जो घर-परिवार के लिए अपनी हर खुशी से नाता तोड़ लेती हैं।

हर मोर्चे पर है डटी

चिंता में डूबी पत्नी, नसीहतें और समझाइशें देती मां, बड़ों की देखभाल का जिम्मा उठाने वाली बहू और नाते रिश्तेदारी के बुलावे और दिखावे की रीति-नीति निभाने वाली एक जिम्मेदार स्त्री। वह हर मोर्चे पर डटी रहती है। भागती है, दौड़ती है, हांफती है, थकती है। भीतर ही भीतर जूझती भी है। बस, मन की नहीं कहती कभी। गृहिणी जो है। सामाजिक-पारिवारिक छवि कुछ ऐसी कि वह सब कुछ करती है पर कुछ नहीं कहती। वाकई, गृहिणी के रूप में स्त्री की यह भूमिका साधारण होकर भी कितनी असाधारण है। रोजमर्रा की अनगिनत जिम्मेदारियों को निभाते हुए समय के साथ कितना कुछ रीत जाता है गृहिणियों के मन के भीतर। लेकिन इसे समझने का अवकाश ना उसे मिलता है और ना ही उसके अपनों को।

बदलते समय में बढ़ी जिम्मेदारियां

समय के साथ गृहिणी की भूमिका भी बदल गई है। लेकिन उसके हिस्से आई जिम्मेदारियां कम नहीं हुई हैं। आज हर काम के लिए घरों में मशीनें मौजूद हैं पर उसकी भागमभाग अब भी जारी है। पहले जिम्मेदारियां तो थीं लेकिन दायरा सीमित था। मगर आज दायरा असीमित है घर से लेकर बाहर की जिम्मेदारी के अलावा बच्चों की पढ़ाई से लेकर फ्यूचर इंवेस्टमेंट की तैयारियों में वह जुटी रहती है। फिर भी वह हर बात में तालमेल बैठा ही लेती है।

सबके लिए कुछ न कुछ

चाहे गांव हो या शहर सुबह सबसे पहले बिस्तर छोड़ने और रात को सबके बाद अपने आराम की सोचने वाली महिलाएं पति, बच्चों और घर के अन्य सदस्यों की देखरेख में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि खुद को हमेशा दोयम दर्जे पर ही रखती हैं। दूसरों की शर्तों, इच्छाओं और खुशियों के लिए जीने की उन्हें न केवल आदत-सी हो जाती है बल्कि किसी काम में जरा-सी भी कमी रह जाए तो, वे अपराधबोध से ग्रस्त हो जाती हैं। लेकिन फिर भी देखने में आता है कि उन्हें ताने ही सुनने को मिलते हैं। उनके काम का श्रेय और सम्मान उनके हिस्से नहीं आता।

कुल मिलाकर कहा जाए तो वो एक ऐसा ‘सपोर्ट सिस्टम है जो हमें जीने का हौसला देती हैं। न कोई छुट्टी ना कोई वेतन। सच कहें तो कोई गृहिणी वेतन चाहती भी नहीं। पर वो अपनों की जो सेवा सहायता करती है उसके बदले सम्मान की अपेक्षा तो करती ही है जो कि उसका मानवीय हक भी है। एक राष्ट्रीय सर्वे के मुताबकि 45 प्रतिशत ग्रामीण और 56 प्रतिशत शहरी महिलाएं जिनकी उम्र पंद्रह साल या उससे ज्यादा है पूरी तरह से घरेलू कार्यों में लगी रहती हैं। यह आंकड़ा हैरान करने वाला है कि 60 साल से ज्यादा की उम्र वाली एक तिहाई महिलाएं ऐसी हैं, जिनका सबसे ज्यादा समय इस आयु में भी घरेलू कार्यों को करने में ही जाता है।

भागीदारी का आर्थिक पहलू

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ भारत में ही महिलाएं दिनभर में 352 मिनट अवैतनिक कार्यों को करने में बिताती हैं। यानी इन कामों के लिए उन्हें कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलता। जबकि कुछ सालों पहले अमेरिका में हुए एक अध्ययन ने वहां गृहिणियों द्वारा किए गए घरेलू कामों की सालाना कीमत 57 लाख रुपए के बराबर आंकी थी। गौरतलब है कि पश्चिमी देशों में घर की जिम्मेदारियां केवल महिलाओं के हिस्से नहीं हैं।

इसलिए वहां गृहिणी के रूप में भी महिलाओं के श्रम और आर्थिक भागीदारी के पक्ष को महत्व दिया जाता है। जबकि हमारे यहां का रहन-सहन और सामाजिक ढांचा कुछ इस तरह का है कि घर पर रहने वाली महिलाओं के हिस्से में काम विकसित देशों से ज्यादा हैं और सुविधाएं कम हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि हमारे यहां घरेलू कार्य का जिम्मा पूरी तरह से महिलाओं का ही होता है। पुरुषों का सहयोग नाममात्र को ही मिलता है। हमारे यहां घरेलू कामकाज में पुरुषों की भागीदारी प्रतिदिन केवल 19 मिनट है।

अनदेखी की शिकार

गृहिणी हर परिवार की पृष्ठभूमि तैयार करती है। किसी कलाकृति को उकेरने के लिए जो स्थान कैनवास का होता है घर के सदस्यों के जीवन में वही भूमिका होती है गृहिणियों की। ये बात और है कि तस्वीर बन जाने पर वे भी कैनवास की तरह ही कहीं पीछे छुप जाती हैं। शायद यही वजह है कि इस रूप में महिलाओं की भागीदारी को हर जगह और हर हाल में अनदेखा करने की ही कोशिश की जाती है। घर का कोई भी सदस्य किसी भी समय कह देता है कि ‘तुम दिन भर घर में करती ही क्या हो?’

मनोवैज्ञानिक आधार

मनोवैज्ञानिक रूप से देखा जाय तो यह अनदेखी एक अपराधबोध के भाव को जन्म देती है। वे सबके साथ होकर भी अकेली हो जाती हैं। उनके मन में सब कुछ करके भी खुद को कुछ भी करने योगय ना समझने का भाव इतना गहरा जाता है कि वे तनाव और अवसाद की शिकार बन जाती हैं। एक हालिया अध्ययन में भी सामने आया है कि 96 फीसद महिलाएं दिन में कम से कम एक बार खुद को दोषी या अपराधी मानती हैं। अपराधबोध से जुड़ा उनका यह भाव अधिकतर मामलों में बच्चों की परवरिश या परिवार की संभाल से ही जुड़ा होता है। इसके बावजूद उनके कार्यों का आकलन ठीक से नहीं किया जाता है।

(साभार – नयी दुनिया)

 

वरिष्ठ अभिनेता मनोज कुमार को मिलेगा दादा साहब फाल्के अवॉर्ड

बॉलीवुड के वरिष्ठ अभिनेता मनोज कुमार को वर्ष 2015 के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जाएगा. यह पुरस्कार भारत सरकार की ओर से फिल्म जगत में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया जाता है।

इसमें स्वर्ण कमल, एक शाल और 10 लाख रुपये की नकद राशि शामिल रहती है। इसके लिए एक कमिटी गठि‍त होती है और इनकी वोटिंग के आधार ही विजेता का नाम तय किया जाता है.।

मनोज कुमार ‘शहीद’, ‘पूरब और पश्चिम ‘, ‘धरती कहे पुकार’, ‘क्रांति’ और ‘उपकार’ जैसी फिल्मों के जरिए लोगों में राष्ट्रभक्ति की भावना जगाने वाले अभिनेताओं में से एक हैं. उनकी इन फिल्मों के आधार पर उन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना जाता है. मनोज कुमार को उनके अभिनय की खास शैली और संवाद अदायगी के लिए भी याद किया जाता है.।

 

मटर के साथ हो कुछ तीखा तो कुछ मीठा

मटर की बर्फीgreen peas burfi2

सामग्री – 200 ग्राम हरे मटर के दाने, दो कप दूध, 250 ग्राम मावा, 100 ग्राम पिसी शक्कर, 10-10 दाने पिस्ता, पांच काजू कटे हुए, दो चम्‍मच शुद्ध घी।

विधि – मटर के दानों को दूध में उबाल कर पीस लें। अब एक कड़ाही में मावा डालकर भून लें। अब इसमें पिसी मटर व शकर मिला लें। आवश्यकतानुसार थोड़ा घी में डाल सकते हैं। एक थाली में घी की चिकनाई लगाकर मटर व मावे के मिश्रण को डालकर फैला दें और इसके ऊपर पिस्ता एवं काजू के टुकड़े लगा दें। चाकू से बर्फी को एक ही साइज में काटकर ठंडा होने दें। अब बर्फी निकालकर सर्व करें। यह बहुत स्वादिष्ट एवं पौष्टिक लगती है।

 

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विधि – 250 ग्राम मेथी, एक कटोरी हरे मटर, आधा कटोरी मलाई, दो चम्‍मच तेल, आधा चम्‍मच जीरा, आधा चम्‍मच मेथीदाना, चुटकीभर हींग, दो बड़े प्याज व टमाटर बारीक कटे हुए, एक चम्‍म्‍च अदरक-लहसुन का पेस्ट, 3-4 हरी मिर्च, आधा धनिया पाउडर, आधा चम्‍म्‍च गरम मसाला, नमक स्वादानुसार।

विधि – मेथी की पत्तियों को धोकर मटर के साथ एक ग्लास पानी के साथ 5 मिनट तक पकाएं। कड़ाही में तेल गरम करके हींग, जीरा और मैथी दाना डालकर तड़का लीजिए। फिर इसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट, हरी मिर्च डालकर दो मिनट तक भून लें। फिर प्याज डालें और जब प्याज सुनहरी होने लगे तो कटे टमाटर और सारे मसाले डालकर पकाएं। स्वाद के लिए चुटकी भर चीनी भी डाल सकते हैं। अब इसमें मलाई डालकर अच्छी तरह से मिक्स करें और मेथी व मटर भी मिला दें। नमक डालकर एकसार कर लें और 5 मिनट के लिए ढंक दें। एक बोल में निकालकर हरे धनिए की पत्ती से गार्निश करें।

 पांच राज्यों में चुनाव का ऐलान, बंगाल में कई चरणों में मतदान

देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। बंगाल में 6 चरणों  में मतदान होगा। पहले चरण में 4 अप्रैल को 65 सीटों पर चुनाव होंगे. जबकि 11 अप्रैल को 61 सीटों पर वोटिंग होगी. मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने बताया कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी की कुल 824 विधानसभा सीटों पर चुनावों के लिए आचार संहिता लागू हो गई है।

उन्होंने कहा कि विकलांग मतदाताओं के लिए पोलिंग बूथ पर रैंप बनाए जाएंगे। सभी पोलिंग बूथों में मॉडल सुविधाएं होंगी. मतदाताओं की सुविधा के लिए ईवीएम में नोटा का चिन्ह दिया जाएगा साथ ही उम्मीदवारों के नाम के आगे उनकी फोटो भी रहेगी. उन्होने कहा कि चुनाव आयोग पेड न्यूज पर भी नजर रखेगा।

चुनावों के दौरान सुरक्षा के मुद्दे पर जैदी ने कहा कि सभी राज्यों को पर्याप्त सुरक्षा दी जाएगी। हर जिले में पांच केंद्रीय पर्यवेक्षक होंगे। असम और पश्चिम बंगाल के पोलिंग स्टेशनों में केंद्रीय बल सुरक्षा में तैनात होंगे. इसके साथ ही चुनावों के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए लंबे समय से तैनात अधिकारियों के तबादले किए जाएंगे।

असम में दो चरणों में 4 और 11 अप्रैल को वोटिंग होगी. जबकि पश्चिम बंगाल में छह चरणों में वोटिंग होगी. केरल और तमिलनाडु  में सिर्फ एक चरण में ही वोटिंग होगी.

इन राज्यों में होंगे चुनाव 
केरल की 148, तमिलनाडु में 234, प. बंगाल में 294 पुडुचेरी में 30 और असम में 126 विधानसभा सीटों में चुनाव होने हैं. सभी राज्यों के करीब 17 करोड़ वोटर अपने अधिकार का इस्तेमाल करेंगे.

चुनाव आयोग की तैयारियां पूरी
इससे पहले चुनाव आयुक्त ने संकेत दिया था कि मई से पहले 5 राज्यों में होने वाले चुनाव की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं.

मतदाता सूची का खास अभियान पूरा
मुख्य चुनाव आयुक्त जैदी ने बताया था कि मतदाता सूची में गड़बड़ियों की शिकायत मिली थी. जिसे ठीक करने का काम किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा था कि बेहतर मतदाता सूची के लिए चुनाव आयोग का विशेष अभियानपूरा हो गया है.  ने बताया कि पांचों राज्यों से करीब 7 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं.

2011 चुनावों में दलों की स्थिति

पश्चिम बंगाल

दलगत स्थिति कुल: 294/294

पार्टी   परिणाम      जीते/हारे

एआईटीसी    184         +155

कांग्रेस                 42           +21

सीपीएम      40           -136

सीपीआई      2              -6

एनसीपी      0              0

एआईएफबी    11           -12

बीजेपी 0              0

आरएसपी     7              -13

जेएमएम      0              0

एसपी                  1              +1

आरजेडी      0              -1

जेकेपी (एन)   0              -1

अन्‍य                  7              –

 

असम

दलगत स्थिति कुल: 294/294

पार्टी   परिणाम      जीते/हारे

एआईटीसी    184         +155

कांग्रेस                 42           +21

सीपीएम      40           -136

सीपीआई      2              -6

एनसीपी                      0              0

एआईएफबी    11           -12

बीजेपी                 0              0

आरएसपी     7              -13

जेएमएम      0              0

एसपी                  1              +1

आरजेडी                      0              -1

जेकेपी (एन)   0              -1

अन्‍य                  7              -1

 

 

केरल

दलगत स्थिति कुल: 140/140

पार्टी   परिणाम      जीते/हारे

सीपीएम      45           -16

सीपीआई      13           -4

कांग्रेस                 38           +14

एमयूएल      20           +13

केसीएम               9              +2

जेडीएस                 4              -1

जेएसएस      0              -1

सीएमपी      0              0

आरएसपी     2              -1

बीजेपी                 0              0

एनसीपी                      2              +1

अन्‍य                  7              -4

 

 

तमिलनाडु

दलगत स्थिति कुल: 140/140

पार्टी   परिणाम      जीते/हारे

सीपीएम      45           -16

सीपीआई      13           -4

कांग्रेस                 38           +14

एमयूएल      20           +13

केसीएम                      9              +2

जेडीएस                 4              -1

जेएसएस      0              -1

सीएमपी      0              0

आरएसपी     2              -1

बीजेपी                 0              0

एनसीपी               2              +1

अन्‍य                  7              -4

 

पुडुचेरी

दलगत स्थिति कुल: 30/30

पार्टी   परिणाम      जीते/हारे

सीपीआई      0              -1

कांग्रेस                 7              -3

डीएमके                 2              -5

पीएमके                 0              -2

बीजेपी                 0              0

डीएमडीके     0              0

एनआरसी     15           +15

एआईएडीएमके 5              +2

अन्‍य                  1              -3

 

पीठ का भी रखिए जरा ख्याल

जैसा कि अब बैकलेस चोली, ब्लाउजेज़ और ड्रेसेज़ हर औरत के वॉर्डरोब का ज़रुरी हिस्सा बन चुकी हैं, ऐसे में हमारी पीठ का खूबसूरत दिखना काफी ज़रुरी हो जाता है लेकिन कई बार पीठ अगर अच्छी नहीं दिखती है, तो हमें इन लो-कट आउटफिट्स से ना चाहते हुए भी मुंह मोड़ना पड़ता है। वैसे अब आपको परेशान होने की ज़रुरत नहीं है, कुछ ऐसे तरीके हैं जिसकी मदद से चेहरे की तरह ही पा सकती हैं खूबसूरत पीठ.

आपका ब्यूटी रूटीन एक अच्छे बैक-शियल के बिना अधूरा है. अब आप सोचेंगी कि ये बैक-शियल क्या है? ये कुछ नहीं, बल्कि पीठ का फेशियल है।. इस ट्रीटमेंट में कंधे से लेकर हिप तक, पूरी पीठ की फेशियल की जाती है. इससे आपके पीठ में मौजूद डेड सेल्स खत्म हो जाते हैं. फेशियल के बाद पीठ का मसाज किया जाता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। फिर मास्क और मॉइश्चराइज़िमग क्रीम लगाते है।Bollywoods-hottest-actresses-in-a-backless-dress-Aishwarya-Rai

जल्दबाज़ी में हैं तो ऐसे पाएं खूबसूरत पीठ

पार्टी में जाने वाली हैं और आप एक बैकलेस पहनने की सोच रही हैं, तो ऐसे में क्या करें? किसी की मदद से ब्लीच या डीप क्लेनज़िंग मास्क अपनी पीठ पर लगाएं और फिर नहा लें। इससे पलभर में आपकी पीठ में ग्लो आ जाएगा. अगर आपकी स्किन सेंसटिव है और आप ब्लीच कर रही हैं, तो ध्यान रखें कि आपने माइल्ड फॉर्मूले वाला ब्लीच चुना हो.

अपनाएं घरेलू नुस्खे

अगर आपके पास सैलॉन जाने का समय नहीं है, तो आप कुछ घरेलू नुस्खे भी अपना सकती हैं. ऑयल फ्री लोशन या ऐसा बॉडी वॉश जिसमें सैलिसिलिक एसिड मौजूद हो, इस्तेमाल करें. इससे आपकी पीठ पर पिंपल्स की समस्या नहीं होगी. इसकी अलावा, स्मूद और ग्लोइंग पीठ पाने के लिए हल्दी का मास्क भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए बेसन, हल्दी, शहद और दूध को मिलाकर पेस्ट तैयार करें. आप इस पेस्ट की एक पतली लेयर अपनी पीठ पर लगाएं। 20 मिनट बाद इसे धो लें. ये आपकी पीठ की रंगत निखारने के अलावा एक्ने से बचाएगा और वो भी स्किन को ड्राय किए बिना.

मेकअप की लें मदद

मेकप के फायदे लाजवाब हैं. अगर आपको ऊपर बताएं किसी भी ट्रीटमेंट्स के लिए समय नहीं है, तो परेशान ना हो मेकअप की मदद से आप पा सकती हैं बेदाग और ग्लोइंग बैक. शिमर बॉडी लोशन या वॉटर-फ्री फॉउंडेशन लगाएं और फिर सर्कुलर मोशन में ब्रश की मदद से थोड़ा कॉम्पैक्ट पाउडर लगाएं और हो गया आपका काम। है ना आसान!

 

त्रिवेणी संयोग में महाशिवरात्रि, महाकाल भस्मारती का विशेष महत्व

इस वर्ष शिव योग, सोमवार और घनिष्ठा नक्षत्र के सुखद संयोग में महाशिवरात्रि पर्व 7 मार्च को मनाया जाएगा। यह त्रिवेणी संयोग 54 साल बाद बना है। इसके चलते पर्व पर भगवान शिव की पूजा का खास महत्व बन रहा है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिष पं. श्यामजी बापू के अनुसार चतुर्दशी तिथि सोमवार को दोपहर 1.20 पर लगेगी जो दूसरे दिन 8 मार्च को सुबह 10.33 तक रहेगी। चतुर्दशी रात्रि के समय सोमवार को रहेगी। अतः इसी दिन महाशिवरात्रि मनाना शास्त्र सम्मत है।

सोमवार को शिवयोग रात 8.18 बजे तक रहेगा। घनिष्ठा नक्षत्र भी दिवस पर्यंत रहेगा। चार साल बाद सोमवार को महाशिवरात्रि आई है। इससे उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर मेंं भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में उज्जैन के महाकालेश्वर भी शामिल हैं।

भगवान महाकाल की भस्मारती में शामिल होने देश-विदेश से प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं।भस्म आरती के बाद सुबह 6 बजे से दर्शनार्थियों को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। आइये जानते हैं क्या है भस्मारती का महत्व।

दरअसल भगवान महाकाल के दर्शनों और भस्मारती का अपना विशिष्ट महत्व है। मान्यता है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शनों से भक्त को अकाल मृत्यु और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

धर्मग्रंथों में तो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विविध स्वरूप में महिमा का बखान किया गया है। इसे पृथ्वी पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग बताया गया है।

विद्वानों का मत है कि भगवान महाकाल का ज्योतिर्लिंग दक्षिण मुखी है। दक्षिण दिशा का स्वामी यमराज को बताया गया है और महाकाल को पृथ्वी के अधिपति के रूप में भी जाना जाता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्‍बावाला के अनुसार अवंतिकानाथ का सनातन धर्म परंपरा में विशिष्ट महत्व है। नाथ संप्रदाय और हिंदू संप्रदाय में ब्रह्म मुहूूर्त में ही भस्मारती का महत्व है। इसी के आधार पर अलसुबह भस्मारती की जाती है। नाभि केंद्र में बसे होने से भी इस मंदिर का विशेष महत्व बताया गया है।

पंडित डब्बावाला के अनुसार यही कारण है कि भस्‍मारती के लिए भक्तों में अधिक उत्साह और श्रद्धा देखी जाती है। उन्होंने बताया कि भस्‍मारती में शामिल होना किसी अलौकिक अनुभव से कम नहीं है। भस्मारती की प्रक्रिया और उसकी आभा शब्दों से परे है। कहते हैं भस्मारती में शामिल होने से जहां भक्तों को कष्टों से मुक्ति मिलती है वहीं उन्हें मानसिक शांति का आभास भी होता है। गृह बाधाएं भी इससे दूर होती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में भस्मारती के दौरान दसाें दिशाओं की ऊर्जा और जागृति का अहसास भी महसूस किया जाता है।

 

नंगे पैर प्रैक्टिस करती थी ये ओलिंपियन एथलीट

जयपुर.2014 इंचियोन एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीत चुकी खुशबीर कौर नेशनल पैदल चाल कामपिटीशन में हिस्सा लेने जयपुर पहुंची हैं। बता दें कि इस एथलीट के पास कभी जूते तक खरीदने के पैसे नहीं थे। पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

 मां की हिम्मत ने दिया हौसला

– खुशबीर ने बताया कि मेरी मां ने हमारे लिए क्या नहीं किया।

– पिता (बलकार सिंह) का 2000 में हार्टअटैक से निधन हो गया था। हम पांच भाई-बहन हैं।

– मां (जसवीर कौर) ने हमें कैसे-कैसे पाला है मैं ही जानती हूं।

– अब मैं चाहती हूं कि मां को हर वो खुशी दे पाऊं जिसकी वे हकदार हैं।

– मां की हिम्मत है कि उन्होंने हम तीनों बहनों (हरजीत, करमजीत और मुझे) एथलीट बनाया।

– उन्होंने बताया कि मां के जिद के बाद सबसे पहले मेरी बड़ी बहन हरजीत ने एथलेटिक्स में हिस्सा लेना शुरू किया।

– उसके बाद मैंने पैदल चाल में करियर बनाया और अब मेरी तीसरी बहन करमजीत भी पैदल चाल में हिस्सा ले रही है और जयपुर में आयोजित हो रही प्रतियोगिता से उसके भी ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने की पूरी उम्मीद है।

कभी बिना जूतों के दौड़ी थी

– शुरू में रनर बनना चाहती थी, लेकिन वॉकिंग ज्यादा पसंद थी। 2007 में स्टेट चैंपियन बनी।

– गांव के आसपास बिना जूतों के ही वाॅक करती थी और मेरी दीदी साइकिल पर मुझे फॉलो करती थी।

– 2008 में जूनियर नेशनल में भी बिना जूते पहने ही दौड़ी थी और सिल्वर मेडल जीता था।

– इसके बाद मेरे कोच पूर्व एशियन चैंपियनशिप पदक विजेता बलदेव सिंह ने मुझे ट्रेनिंग गियर दिलवाए।

टोक्यो में पक्का पदक आएगा

– खुशबीर कहती हैं 1986 में पैदल चाल में केवल एक भारतीय एथलीट ने हिस्सा लिया था।

– लंदन ओलिंपिक के लिए 4 एथलीटों ने क्वालिफाई किया।

– रियो ओलिंपिक में पैदल चाल में और ज्यादा एथलीट हिस्सा लेंगे।

– उम्मीद यही है कि रियो नहीं तो 2020 टोक्यो ओलंपिक में पक्का पैदल चाल में पदक आएगा। मैं तब तक अपनी तैयारियां जारी रखूंगी।

 

 

कभी धूप में सिर्फ प्लेन को देखने खड़ी होती थी, अब बनी पहली महिला पायलट

रायपुर.बचपन में आसमान में उड़ते प्लेन को घर से बाहर भागकर देखकर खुश होने वाली टि्वंकल अब खुद प्लेन उड़ाएंगी। अपनी ट्रेनिंग खत्म कर अब टि्वंकल छत्तीसगढ़ की पहली कमर्शियल पायलट बन चुकी हैं।

ट्विंकल वन विभाग में अफसर प्रभाकर नागदेवे की बेटी हैं। प्रभाकर बताते हैं कि बचपन से टि्वंकल को प्लेन का बड़ा क्रेज था। वह प्लेन को सिर्फ देखने के लिए धूप में खड़ी होकर प्लेन के गुजरने का इंतजार किया करती थी। भिलाई से स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद टि्वंकल  का सलेक्शन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी में हुआ। वो कहती हैं कि प्लेन उड़ाना उसका पैशन है। उन्होंने कुछ समय तक इंस्टीट्यूट में बतौर इंस्ट्रक्टर भी काम किया। अब वो यात्री विमान उड़ाएंगी।

सिर्फ यही बन सकते हैं पायलट

फ्लाइंग के लिए सरकारी के अलावा देश में कुछ प्राईवेट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी हैं। यहां ट्रेनिंग के बाद फ्लाइंग के लिए पहले प्राईवेट पायलट लायसेंस जारी होता है। ऐसे पायलट छोटे विमान उड़ाते हैं। पैसेंजर एयरक्राफ्ट सिर्फ कमर्शियल पायलट लाइसेंस हासिल करने वाले पायलेट्स ही उड़ा सकते हैं। इसके लिए मैथ और फिजिक्स में 12वीं में कम से कम 50 परसेंट मार्क होने चाहिए। आई साइट 6/6 वाले ऐसे पायलट जो प्राइवेट एयरक्राफ्ट उड़ाने का कम से कम 150 घंटे का एक्सपीरियंस रखते हों। उनके पास कम से कम 50 घंटे तक लीड पायलट रहने का एक्सपीरियंस भी होना चाहिए, तभी उन्हें कमर्शियल पायलट लाइसेंस दिया जा सकता है।