Tuesday, December 16, 2025
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सावधान इंडिया की एक्ट्रेस बनी मिस टीन इंटरनेशनल, मां ने की थी ड्रेस डिजाइन

रांची/हजारीबाग.छोटे शहर की बेटियां मेट्रो सिटी की लड़कियों को भी अपने टैलेंट से मात दे रही है। ऐसी ही एक बेटी झारखंड के छोटे शहर हजारीबाग की है, जिन्होंने मिस टीन इंटरनेशनल 2016 (ब्यूटी कॉम्पिटीशन) का खिताब अपने नाम किया है। जी हां, 19 साल की स्टेफी पटेल ने थाइलैंड के चियांगमै में 52 देशों की ब्यूटीज को पीछे छोड़कर क्रॉउन अपने नाम कर ली। वे इस कॉम्पिटीशन में भारत को रिप्रजेंट कर रही थीं।

मां की डिजाइन की हुई ड्रेस में परफॉर्मेंस…

बता दें कि स्टेफी पटेल के सारे ड्रेस उनकी मां माधुरी सिन्हा डिजाइन करती हैं। वे अपनी मां के डिजाइन किए हुए कपड़ों में ही थाइलैंड में भी परफॉर्म की थीं।  मिस टीन इंटरनेशनल 2016 की विनर बनने पर उनके घर में बधाई देने वालों की भीड़ लगी है। उनके पिता अमरेंद्र कुमार ने कहा है कि स्टेफी ने देश के साथ-साथ झारखंड का भी नाम रोशन किया है। स्टेफी के दादा अर्जुन प्रसाद तो पोती की जीत की खुशी में रो पड़े।  उन्होंने कहा कि मिडिल क्लास की फैमिली से निकलकर इस मुकाम तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है।

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सावधान इंडिया में कर चुकी हैं काम

स्टेफी पटेल कई सीरियल में भी काम कर चुकी हैं। वे सावधान इंडिया, वी चैनल, डीडी बिहार में अपना टैलेंट दिखा चुकी हैं। इसके अलावा वे 2014 में मिस टीन इंडिया में रनरअप, फेमिना मिस इंडिया की फाइनलिस्ट सहित इंडियन प्रिंसेस 2015 मिस इंप्रेसोनेट आईआईटी कानपुर रह चुकी हैं। मिस वर्ल्ड रह चुकीं सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय की तरह वो मिस वर्ल्ड कॉम्पिटीशन जीतना चाहती हैं। साथ ही अलिनोर के लिए कैम्पेनिंग ऐड, प्लाजा केबल एड के अलावा कई नामीगिरामी कंपनियों की ऐड कर चुकी हैं।

सभी राउंड में जजेज को किया इम्प्रेस

मिस टीन इंटरनेशनल 2016 कॉम्पिटीशन 21 से 25 जुलाई तक थाइलैंड में चल रही थी। इसके सभी राउंड में स्टेफी पटेल ने अपने परफॉर्मेंस जजेज को इंप्रेस कर दिया। 21 जुलाई को ओरिएंटेशन राउंड, 22 को इंटरो राउंड, 23 को कॉस्ट्यूम राउंड और टेलेंट राउंड हुआ।  स्टेफी ने सभी राउंड में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए यह प्रतियोगिता अपने नाम कर ली। 24-25 जुलाई की शाम 6.00 बजे से रात 12.00 बजे तक चले फाइनल राउंड में स्टेफी ने यह खिताब अपने नाम कर लिया।

फिल्मों में नहीं किया था काम

बता दें कि स्टेफी पटेल खेल की दुनिया में भी झारखंड में पॉपुलर हुई है। उन्होंने हजारीबाग जिले और झारखंड को बैडमिंटन में रिप्रेजेंट किया है। हजारीबाग के डीएवी स्कूल से उन्होंने बारहवीं तक पढ़ाई की है। स्कूलिंग के दौरान वो कई स्टेज शो में हिस्सा लेती थीं। स्टेफी पटेल दिल्ली यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में ग्रैजुएशन कर रही हैं। उनका कहना है कि मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखने के बावजूद पढ़ाई को कभी नहीं छोड़ा। 2014 में मिस टीन इंडिया बनने पर कई ऑफर आए थे, लेकिन मिस यूनिवर्स की तैयारी के लिए उन्होंने ठुकरा दिया। बता दें कि स्टेफी को सोशल वर्क में भी काफी इंटरेस्ट है। हजारीबाग आने पर वो कई सोशल एक्टिविटी में हिस्सा लेती हैं।

 

एक्सिस बैंक ने खोला ऑल विमेन ब्रांच

एक्सिस बैंक ने लेक गार्डन्स में ऑल विमेन ब्रांच शुरू किया। ब्रांच का उद्घाटन अभिनेत्री ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने किया। एक्सिस बैंक के एक्जिक्यूजेटिव डायरेक्टर राजीव आनंद ने उम्मीद जाहिर की कि इस ब्रांच के खुलने से महिलाओं की भागेदारी बढ़ेगी। अब एक्सिस बैंक के कोलकाता मे अब 119 शाखाएं हैं।

नेत्रहीनों तथा विशेष जरूरतमंद लोगों के लिए एनआईपी का निःशुल्क कोचिंग सेंटर

एनआईपी नामक गैर सरकारी संस्था ने नेत्रहीनों तथा विशेष जरूरतमंद लोगों के लिए निःशुल्क कोचिंग सेंटर खोला है। यह गैर सरकारी संगठन ऐसे लोगों के लिए ऑडियो बुक भी जारी कर चुका है जिसमें पाठ्य सामग्री भी होगी। कोचिंग सेंटर के उद्घाटन समारोह में राज्य की महिला विकास तथा बाल कल्याण राज्य मंत्री डॉ. शशि पाँजा उपस्थित थीं। इस परियोजना को विभाग ने सहायता प्रदान की है। एनआईपी के सचिव देबज्योति रॉय ने बताया कि इन केन्द्रों के माध्यम से नेत्रहीनों तथा विशेष जरूरतमंद लोगों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा। गौरतलब है कि इस कोटे में नौकरियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है। ऑडियो बुक ब्रेल और बड़े अक्षरों की प्रिंट वाली पुस्तक के रूप में उपलब्ध है।

दोस्तों के साथ जिंदगी का चटपटा स्वाद

चटपटी मटर चाट

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सामग्री – दो कप सूखे मटर, दो उबले और मैश किए हुए आलू, एक प्‍याज, टमाटर, खीरा, नींबू, आधा चम्‍मच बेकिंग सोडा, चुटकीभर हींग, हरी चटनी, इमली चटनी, एक चम्‍मच काला नमक, एक चम्‍मच भुना जीरा, स्‍वादानुसार नमक, दो चम्‍मच हरा धनिया, आलू भुजिया

विधि – सबसे पहले मटर को धो कर पांच घंटे के लिए पानी में भिगो दें। जब मटर अच्छी तरह से भीग जाए तो उसका पानी निकाल दें। अब भीगी हुई मटर को एक बार और धुल लें। फिर उसे प्रेशर कुकर में रखकर थोड़ा सा पानी, बेकिंग सोडा और हींग डालें और मटर को गलने तक पका लें। इसके बाद एक छोटे से बाउल में थोड़ी सी मटर निकालें। इसमें ऊपर से मैश किया हुआ आलू, कटा हुआ खीरा, टमाटर और प्याज डाल दें। साथ ही सभी मसाले और नींबू का रस मिलाकर आवश्यकतानुसार इमली की चटनी और हरी चटनी भी डालें। अब आपकी मटर की चाट बनकर तैयार है। इसे सर्व करने से पहले ऊपर से आलू भुजिया और कटी हुई हरी धनिया डालें और बारिश का आनंद उठाते हुए खाएं।

 

दही-खस्ता पापड़ी चाट

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सामग्री – 15 से 20 पापड़ी, एक खस्ता, डेढ़ कप दही, एक चम्मच चीनी, नमक स्वादानुसार, दो उबले हुए आलू, अंकुरित हरे चने या मूंग-मोठ, थोड़ी-थोड़ी हरी लहसुन की चटनी, इमली की चटनी या सौंठ, चाट मसाला, बारीक कटा हुआ हरा धनिया व हरी मिर्च, सेव, अनार के दाने, टमाटर व बारीक प्याज कटी हुई।

विधि – सबसे पहले दही में चीनी व नमक मिलाकर अच्छी तरह से फेंट लें और ठंडा करने फ्रिज में रख दें। अब मठरी की तरह पतली-पतली पापड़ी और पराठे की तरह खस्ता या तो घर पर बनाएं या बाजार से ले लें। अब इन्हें एक बोल में थोड़ा चूरा कर लें। एक अन्य बोल में मैश किए आलू, अंकुरित चने या मूंग-मोठ मिलाकर, कटे हुए प्याज व टमाटर, हरी मिर्च व हरा धनिया डालें।अब इसमें थोड़ा-सा नमक व चाट मसाला मिलाएं। इस मिश्रण में थोड़ी हरी चटनी, लाल चटनी डालें और चूरा की हुई खस्ता पापड़ी भी मिला लीजिए। इस मिश्रण को एक गहरी प्लेट में लेकर ऊपर से ठंडा किया हुआ दही डालें। इसके ऊपर चाट मसाला, हरी-लाल चटनी, हरा ध्ानिया, सेव और अनार दाने डालकर स्वाद ले स्वादिष्ट दही-खस्ता पापड़ी चाट का।

 

अभिनेत्री मुमताज ने सिनी के बच्चों के लिए फ्रेंडशिप डे बनाया खास

सिनी के बच्चों के लिए अभिनेत्री मुमताज सरकार ने इस बार का फ्रेंडशिप डे काफी अनूठा बनाया दिया और इसमें साथ दिया पाम रेस्तरां ने। अभिनेत्री मुमताज ने न सिर्फ बच्चों के साथ वक्त दिया बल्कि इन 20 बच्चों के लिए उन्होंने केक भी बनाया। मुमताज ने कहा कि अपनी सुविधा भरी भागदौड़ वाली जिंन्दगी से बाहर निकलकर बच्चों के साथ वक्त बिताकर उनको काफी अच्छा लगा।  पाम रेस्तरां की प्रमुख व संचालक प्रियदर्शिनी दे ने कहा कि दोस्ती का दिन काफी खास होता ह और बच्चों के मुस्कुराते चेहरे देखकर अच्छा लगा।

मोहम्मद ज़हीर जो सावन में ही नहीं, साल भर लगे रहते हैं शिवलिंग की सेवा में

खंडवा/इंदौर। धर्म के नाम पर बात-बात पर मरने-मारने को आमादा होने वालों के ये खबर आई ओपनर है। सावन का महीना मोहम्मद जहीर के लिए बहुत व्यस्तता भरा होता है, क्यूंकि वे शिवलिंग की सेवा में जुटे रहते हैं। यूँ तो वे 12 महीने शिव मंदिर की देखरेख वैसे ही करते हैं, जैसे दरगाह की।

क्यों  इतनी शिद्दत से करते हैं शिवलिंग की सेवा….

सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक जहीर यहां सेवा देते हैं, लेकिन कभी भी उन्होंने धर्म की बाधा को आड़े नहीं आने दिया। मंदिर परिसर की सफाई तथा गर्भगृह में शिवलिंग पर पड़े हार-फूल बदलते उन्हें जो भी देखता, उनसे धर्म की बाधा के बारे में प्रश्न जरूर करता है। वह भी सहजता से जवाब देते हैं, ईश्वर-अल्लाह एक है। इनमें फर्क नहीं, फर्क है तो हमारी सोच में।

बुरहानपुर से 20 किमी दूर असीरगढ़ किले के सामने बने ऐतिहासिक शिव मंदिर की। असीरगढ़ के रहने वाले 40 वर्षीय जहीर यहां सात साल से सेवा दे रहे हैं। पुरातत्व विभाग के अधीन इस शिव मंदिर में लेबर के रूप में कार्यरत जहीर ने कहा इससे पहले परिवार के किसी भी सदस्य ने यहां काम नहीं किया। पहले मैं खुली मजदूरी करता था। जब मुझे मंदिर में काम करने का अवसर मिला तो इसे कैसे छोड़ सकता था।

कोई पुजारी नहीं है तो खुद संभाल लिया जिम्मा…

उन्होंने बताया यहां कोई स्थायी पंडित नहीं है। जो पर्यटक शिवजी की पूजा करने आते हैं, उनके द्वारा चढ़ाई गई फूलमालाएं बदलने का काम भी मैं ही करता हूं। साफ-सफाई तो करना ही है। उन्होंने बताया कि श्रावण मास यहां बहुत से भक्त शिव आराधना के लिए पहुंचते हैं। वहीं प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर खंडवा का पंसारी परिवार यहां पूजन करवाता है।

दरगाह पर भी देते हैं सेवा

इस मंदिर से करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित दरगाह पर भी जहीर सेवा देते हैं। यह दरगाह भी पुरातत्व विभाग के अधीन है। उन्होंने बताया मेरे लिए जैसी दरगाह है, वैसा ही शिव मंदिर भी। दोनों ही जगह बराबर ध्यान देता हूं। रमजान या ईद का दिन भी मंदिर की सेवा के आड़े नहीं आता। उन्होंने बताया मेरे पांच बच्चे हैं। उन्हें भी इस तरह की एकता को बनाए रखने की सीख दूंगा।

 

हबीब बना ‘बजरंगी भाईजान’, 9 साल की बच्ची को 7 महीने बाद मां से मिलवाया

गाजियाबाद. रीयल लाइफ के एक बजरंगी भाईजान ने अपनी मां से बिछुड़ी 9 साल की बच्ची को करीब 7 महीने बाद उसके परिजनों को सौंप दि‍या। इस दौरान हबीब नाम के इस व्यक्ति ने उसकी परवरिश अपनी बेटी की तरह की। बेटी वापस पाकर उसकी मां बेहद खुश है।
अलीगढ़ की रहने वाली मंजू 7 जनवरी को गाजियाबाद में अपने बेटे के इलाज के लिए आई थी। उसके साथ उसकी बड़ी बेटी 9 वर्षीय रितू भी थी। मंजू अपनी बेटी रितू को अस्पताल में एक जगह बैठाकर दवा लेने चली गई थी। जब वह वापस वहां पहुंची तो उसकी बेटी वहां नहीं थी।  उसने उस वक्त उसकी काफी तलाश की लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला तो वह वापस अलीगढ़ चली आई।
हबीब को मिली थी रास्ते में खाना मांगते हुए
मसूरी स्थित मयूर विहार निवासी हबीब का कहना है कि उसे रितू रास्ते में खाना मांगते हुए मिली थी।  उसने जब उससे पूछताछ की थी तब उसने अपनी मां से बिछुड़ने की बात कही थी। हबीब ने बताया कि तब वह रितू को अपने साथ अपने घर ले आया। उसने थाना मसूरी पुलिस को इस बार में जानकारी दे दी।पुलिस ने जानकारी के आधार पर रितू के मां-बाप की तलाश शुरू कर दी। इस दौरान हबीब ने रितू को अपनी सगी बेटी की तरह साथ रखा।  हबीब का कहना है कि जब उसने रितू को देखा तो उसे लगा इस बच्ची को भीख मांगने के लिए सड़क पर छोड़ना ठीक नहीं।  उसके अनुसार पुलिस को सूचना देने के बावजूद वह रितू के परिवार की तलाश में खुद भी जुटा रहा।

रितू के रिश्तेदारों ने पहचाना
हबीब का कहना है कि ईद पर उन्होंने अपने बच्चों के साथ रितू को भी रफीकाबाद मसूरी के मेले में भेजा था। वहां रीतू के कुछ रिश्तेदार रहते हैं। उन्होंने रीतू को पहचान लिया।  इसके बाद उनके रिश्तेदारों ने हबीब से संपर्क कर बता दिया कि रीतू मिल गई है।  इसके बाद रितू के परिजनों ने थाना मसूरी पुलिस से संपर्क साधा।  पुलिस ने उन्हें रितू के सुरक्षित होने की जानकारी देते हुए मसूरी आने के लिए कहा।  परिजन मसूरी पहुंचे जहां पुलिस की मौजूदगी में हबीब ने रितू को उसकी मां मंजू को सौंप दिया।  मंजू और उसके रिश्तेदारों ने हबीब का धन्यवाद अदा किया, बेटी को पाकर सभी बहुत खुश थे।

 

ये हैं यासीन जो 40 साल से कर रहे हैं मंदिरों की रखवाली मगर अपनी सर्जरी के लिए पैसे नहीं

कोलकाता से 125 किलोमीटर दूर मिदनापुर जिले का पथरा गांव में लगभग 300 साल पुराने 84 से ज्यादा मंदिर हुआ करते थे। लेकिन यदि ये मंदिर आज भी खड़े हैं तो इसकी एक वजह है मोहम्मद यासीन पठान। इस काम के लिए 1993 में उन्हें कबीर पुरस्कार जो पिछले साल उन्होंने वापस कर दिया। आज पठान काफी बीमार हैं और पैसे की तंगी के चलते अपनी सर्जरी के लिए फंड जुटा रहे हैं।

पठान बताते हैं कि वह बचपन से अक्सर इन मंदिरों को देखने जाता था। यहीं से मुझे इन पुराने मंदिरों के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ी और मुझे इन मंदिरों से जोड़ दिया।  लेकिन समय के साथ इन मंदिरों की हालत बद से बदतर होती जा रही थी। यहां आने वाले लोग जिनमें से ज्यादातर खुद हिंदू थे यहां से ईटें, पत्थर, मंदिर के अवशेष उठा कर ले जाते थे। ऐसे में यासिन ने ठान लिया कि इन मंदिरों और उनके बचे हुए अवशेषों को बर्बाद नहीं होने देंगे। इसी के साथ यासीन ने मंदिरों की निगरानी शुरु कर दी और उन्हें नुकसान पहुंचाने वालों को रोकना शुरु कर दिया।

मुसलमान होने के चलते आई दिक्कत, किया बिरादारी से बाहर

यासिन का लोगों ने विरोध किया क्योंकि वह मुसलमान थे। लोगों ने कहा कि उन्हें मंदिरों में घुसने या उनके बारे में कुछ कहने-करने का अधिकार नहीं है।  उनकी बिरादरी के लोगों ने काफिर कह अलग-थलग कर दिया। इसके अलावा उन्हें कई तरह की धमकियां भी दी गई। लेकिन उन्होंने 1992 में इस मामले को लेकर जागरुकता फैलाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस मुहिम से जोड़ने के लिए उन्होंने ‘पथरा आर्कियोलॉजिकल कमिटी’ बनाई। जिसमें गांव के मुसलमान और हिंदू शामिल हुए और आस-पास के इलाकों के आदिवासियों को भी इस समिती का हिस्सा बनाया।1998 में प्लानिंग कमीशन के तत्कालीन मेंबर प्रणब मुखर्जी ने इन मंदिरों के लिए 20 लाख रुपए की सहायता राशि घोषित की और आर्क्योलॉजिकल डिपार्टमेंट को इन मंदिरों का जिम्मेदारी सौंपी गई।

केवल 10 हजार रुपए में कर रहे हैं गुजारा

आज पथरा में पक्की सड़की, बिजली और टेलिफोन की सुविधा है। लेकिन 62 साल के यासीन केवल 10 हजार रुपए महीने में गुजारा कर रहे हैं। उन्होंने मंदिर की देखरेख के लिए कई लोन भी लिए। यासीन के चार बच्चे हैं और उनकी किडनी में स्टोन और दिल की बीमारी है। एक इंटरव्यू में वह कहते हैं कि निजी अनुभव भी बेहद खराब रहे। यासीन के मुताबिक वह इलाज के लिए चेन्नई गया। जहां होटल ने उनका वोटर आइकार्ड देखा और कहा कि हम मुस्लिमों को कमरा नहीं देते। यासीन कहते हैं कि साम्प्रदायिक सद्भाव का ताना-बाना कमजोर हो रहा है। इसे देखकर उन्हें काफी दुख है और इसी के चलते उन्होंने अपना सम्मान वापस करने का फैसला किया।

(साभार – दैनिक भास्कर)

बेटी ने की हिंदू लड़के से शादी, मुस्लिम पुलिस ऑफिसर पिता कर रहे मंदिर की सुरक्षा

मुंबई: पुणे के लोनावला में पला बढ़ा और मुंबई में जन्मा एक मुस्लिम पुलिस ऑफिसर अमेरिका के इंडियानापोलिस शहर के सबसे बड़े हिन्दू मंदिर का सुरक्षा कर रहा है। इसे विदेश में हिंदू-मुस्लिम एकता के एक बड़े उदाहरण के रूप में देखा जा रह है।

मंदिर का अभिन्न हिस्सा हैं जावेद..

स्थानीय पुलिस विभाग के लेफ्टिनेंट जावेद खान ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट और किक बॉक्सिंग में चैंपियन हैं। 2001 से इंडियानापोलिस शहर में रह रहे खान मंदिर के सुरक्षा निदेशक हैं।  वह पहली बार 1986 में विभिन्न मार्शल आर्ट चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए भारत से अमेरिका गए थे।इंडियानापोलिस में पुलिस ज्वाइन करने से एक साल पहले वे अमेरिका शिफ्ट हुए थे। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु उन्हें मंदिर का एक अभिन्न हिस्सा मानते हैं और उनका सम्मान करता है।  जावेद खान समय-समय पर मुंबई आते रहते हैं। कुछ महीनों पहले वे मुंबई पुलिस के जवानों को ट्रेनिंग देने के लिए आये थे। कराटे में ग्रैंडमास्टर जावेद खान इंडियानापोलिस में ‘फाइटिंग आर्ट अकादमी’ भी चलाते हैं। वे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग भी देते हैं।

बेटी ने की हिंदू लड़के से शादी

खान का कहना है कि,”हम सब एक हैं, यही मेरा संदेश है। हम सब ईश्वर की संतान हैं। एक ही ईश्वर है जिसकी हम अलग-अलग नाम और रूपों में पूजा करते हैं।” उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले उनकी बेटी ने इस हिन्दू मंदिर में एक तेलुगु लड़के से शादी की जिसके बाद वह मंदिर में लोगों को जानने लगे। खान ने कहा, “जल्द ही मुझे लगा कि वहां सुरक्षा की जरूरत है। फिर मैंने अपनी सेवाएं देने की पेशकश की। मैं अब मंदिर का सुरक्षा निदेशक हूं।”उन्होंने कहा, “जब भी मैं मंदिर जाता हूं, मुझे नहीं लगता कि मैं अमेरिका में हूं, मुझे लगता है कि मैं भारत में हूं।”

 

ढाई घंटे पहले बेटी को दिया जन्म, फिर जान जोखिम में डालकर दी परीक्षा

धनबाद.बोकारो की कविता महतो। गर्भ में नौ माह का बच्चा और दूसरी तरफ परीक्षा। एक तरफ मां बनने की खुशी तो दूसरी तरफ कोर्स पूरा करने का जज्बा। इसी बीच शनिवार को उसे प्रसव पीड़ा हुई। झरिया के चक्रवर्ती नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। जहां सुबह 10:24 बजे उसने बेटी को जन्म दिया। होश में आते ही वो एग्जाम देने की जिद करने लगी। पति निखिल ने बॉन्ड भरकर अपनी जिम्मेदारी पर कविता को एग्जाम सेंटर तक पहुंचाया।

डॉक्टर ने हौसले को किया सलाम…

बता दें कि दोपहर एक बजे धनबाद के पीके राय कॉलेज में बीएड की परीक्षा थी।  बच्ची के जन्म के बाद जैसे ही कविता को होश आया, वो डॉक्टर से परीक्षा में जाने की अनुमति मांगने लगी। उसका हौसला देखकर डॉक्टर भी हैरान थे। वे कविता की हालत का हवाला देकर एग्जाम देने से मना कर रहे थे। डॉक्टर के नहीं मानने पर उसने पति निखिल कुमार महतो से परीक्षा दिलाने की मिन्नतें करती रहीं। आखिरकार पत्नी की जिद के आगे निखिल को झुकना पड़ा। उन्होंने कविता की जिंदगी का बॉन्ड भरकर उसे कॉलेज पहुंचाया।

एग्जाम सेंटर में भी दर्द से रही परेशान

जब कविता परीक्षा केंद्र पहुंचीं तो उसकी हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि बैठकर परीक्षा दे सके लेकिन वह जिद पर अड़ी रही। उसकी हालत देखकर कॉलेज प्रशासन ने भी कविता और उसके पति से इस बात का बाॅन्ड भरवाया कि वह अपनी मर्जी से परीक्षा में शामिल हो रही हैं।- इस दौरान अगर कुछ होता है तो इसके लिए वे दोनों ही जिम्मेदार होंगे।  परीक्षा हॉल में भी कविता तीन घंटे तक दर्द से परेशान रहीं, लेकिन उसके हाथ नहीं रुके।  वो लगातार प्रश्नों का जवाब लिखती रही।

बच्ची को पढ़ाई की अहमियत बताऊंगी

कविता ने कहा कि वो किसी भी कीमत पर अपना एक साल बर्बाद नहीं करना चाहती थी।  इसलिए उन्होंने फैसला लिया कि बच्चे को जन्म देने के बाद भी परीक्षा दूंगी। भविष्य में बेटी को पढ़ाई की अहमियत समझाऊंगी। इसलिए, भी उन्होंने परीक्षा देना जरूरी समझा। उन्होंने कहा कि फैमिली परीक्षा देने के फैसले का साथ दिया। बता दें कि कविता बचपन से टीचर बनना चाहती हैं।

प्रसव के दो दिन पहले भी दी परीक्षा

कविता ने प्रसव से दो दिन पहले 28 जुलाई को भी पीके राय कॉलेज में आकर परीक्षा दी थी। उसी दिन से बीएड के पहले सेमेस्टर की परीक्षा शुरू हुई थी। उस समय भी डॉक्टरों ने उसे परीक्षा में शामिल न होने की सलाह दी थी, लेकिन वह नहीं मानी। परीक्षा देने की जिद पर अड़ी रहीं। कविता प्रजन्या बीएड कॉलेज बलियापुर में सत्र 2015-17 की स्टूडेंट है।

कविता के पति निखिल सेना में हैं

कविता के पति निखिल सेना में हैं और अभी जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं। पत्नी के प्रसव का समय नजदीक आने पर 27 जुलाई को वे धनबाद पहुंचे थे। निखिल ने बताया कि कविता फिलहाल अपने मायके झरिया के कुसमाटांड़ में रह रही है। वहीं के अस्पताल में उसकी डिलिवरी हुई। मुश्किल परिस्थिति के बावजूद वह साल बर्बाद नहीं करना चाहती थी। इसलिए बात माननी पड़ी।