Tuesday, March 18, 2025
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शरीर के अनुसार चुनें फैब्रिक

Faballey-Red-Colored-Embroidered-Bodycon-Dress-8020-8463541-1-pdp_slider_mसुन्दर तो हम सभी महिलाएं दिखना चाहती हैं मगर इसके लिए जरूरी है कि हम ऐसे कपड़े पहनें जो हम पर फबें। जाहिर है कि इसमें कपड़े की फैब्रिक एक खास भूमिका निभाती है मगर खरीददारी करने जाओ तो सबसे ज्यादा गड़बड़ यहीं होती है। आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि हमें अपने शरीर के हिसाब से सही रंग, फैब्रिक और सिलुएट चुनने और पहनने चाहिए और अगर आप भी यही करना चाहती हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें –

एथलेटिक बॉडी – अगर आप पतली हैं और आपका फिगर बिल्कुल स्ट्रेट है तो आपकी बॉडी एंगुलर है और साथ ही आपकी बॉडी में कर्व्स की भी कमी है। ऐसे में आपको अपनी शरीर में कुछ ऐसा करना होगा जिससे आपको कर्वी लुक मिले. इसके लिए आप टाइट फैब्रिक या बॉडीकॉन ड्रेसेज़ चुनें। शेपलेस ड्रेसेस और अपने साइज़ से बड़ी आउटफिट या बैगी फिट्स को न पहनें। मोनोक्रोम ड्रेसेज़ आपके लिए बेहतरीन लगेंगी। मैट जर्सी, स्पैनडेक्स और कॉटन, सिल्क और सैटिन वाले टॉप पहनें। ये आपके शरीर को एक अच्छा आकार भी देतें हैं।salwar-for-pear-shape

पीयर शेप्ड शरीर –  अगर आपकी बाँहें पतली हैं और शरीर का निचला हिस्सा चौड़ा तो आपके शरीर का आकार है पीयर शेप्ड। ऐसे परिधान पहनें जो सॉफ्ट हों और जो पहनने के बाद आपके नीचे के पार्ट पर चिपके नहीं। आप हमेशा इस बात का ध्यान रखिए कि आपकी टी-शर्ट या टॉप का किनारा आपके कमर पर खत्म ना होता हो इसलिए आप अपने लिए थो़ड़ी लंबी टी-शर्ट्स पहना करें। फैब्रिक की बात करें तो आपको ऐसे अपने लिए फैब्रिक चुनें जो हल्के हों और जिसे पहनकर आप मोटी न लगें. इसके लिए आप कॉटन, पॉलियस्टर ब्लेंड्स, मेट जर्सी, जॉर्जेट और शिफॉन चुन सकती हैं। लेदर, ऊनी, बुने फैब्रिक, के साथ साटन, मेटेलिक कपड़ों से दूर रहें। आप स्ट्रेचेबल डेनिम्स और कॉटन ट्राउजर्स भी पहन सकती हैं।apple-shape

 एपल शेप्ड शरीर – अगर आपका ऊपरी शरीर भारी और नीचे का पार्ट पतला है तो आप चमकदार फैब्रिक से दूर रहें और कॉटन व विज्कोस आउटफिट पहनें। ये आपके निचले हिस्से को अच्छे तरीके से उभारता है। मोनोक्रॉम टॉप्स या ड्रेस भी आप पर अच्छी लगेगी।priyanka-chopra-photos-in-saree-3

आवरग्लास शेप्ड शरीर – आपकी पतली कमर, चौड़े हिप्स  हैं तो आपका फिगर बिलकुल परफेक्ट है। आप शिफॉन, बॉडीकॉन, लेदर, सॉटन, सिल्क आउटफिट पहन सकती हैं।

 

अनपढ़ महिला सरपंच ने बदल दी पूरे गांव की तस्वीर

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 25 किमी दूर सारागांव को गांव की सरपंच प्रमिला साहू की जिद ने बदलकर रख दिया है। प्रमिला जब सरपंच बनी तो लोगों ने ताना दिया कि अनपढ़ है, क्या विकास करेगी। यह सुनने के बाद प्रमिला ने पढ़ाई शुरू की। फिर गांव की तरक्की के लिए सरकारी मदद नहीं मिली तो खुद के नाम पर 24 लाख का कर्ज लिया और गांव के हर घर से स्कूल तक टॉयलेट बनवा दिए।  150 बुजुर्गों-महिलाओं को भी पढ़ाई से जोड़ा

बलौदाबाजार रोड पर रायपुर से लगे सारागांव में छह माह पहले 70 फीसदी घरों में टॉयलेट नहीं थे। स्कूल में छात्राओं के लिए कोई सुविधा नहीं थी। यह तस्वीर सिर्फ छह महीने पहले की है।

प्रमिला के सरपंच बनने पर लोगों ने उसके पढ़े-लिखे न हाेने पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक अनपढ़ क्या गांव का विकास करेगी।

इस बात को संजीदगी से लेते हुए प्रमिला ने खुद पढ़ाई शुरू की। साथ ही, धीरे-धीरे गांव के 150 बुजुर्गों-महिलाओं को भी जोड़ा।

सरकारी मदद नहीं मिलने पर प्रमिला ने खुद के नाम पर 24 लाख का कर्ज लिया और गांव के हर घर से स्कूल तक टॉयलेट बनवा दिए।

अब सबने मिलकर ठाना है, सारागांव को मॉडल के तौर पर डेवलप करना है।

ऐसे चली तरक्की की लहर

जब प्रमिला साहू सरपंच बनी थी तो सबसे पहले उसने हर घर में टॉयलेट बनवाने की ठानी। पति ने पूरी मदद की और कुछ महिलाओं के साथ निकल पड़ी लोगों को समझाने के लिए।

कई लोगों ने बार-बार दरवाजे से लौटाया, जहां खाना पकता है, पूजा-पाठ होता है, उस घर में टॉयलेट नहीं बनाएंगे। लेकिन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी।

– आखिर मेहनत रंग लाई है। सारागांव में 741 मकान हैं। इनमें से 419 मकानों में सिर्फ छह महीने के भीतर टॉयलेट बने हैं। जिनके घर में जगह नहीं थी, उन्हें सरकारी जमीन पर टॉयलेट बनाकर दिया।

शुरुआत अच्छी हुई तो गांव के व्यापारी भी सामने आ गए। उधार में सामान देते रहे। इन पैसों से एक बोर खुदवाया और पाइप लाइनें भी बिछवा दीं।

लोग खुलकर कहते रहे, छह महीने के भीतर ही गांव में जबर्दस्त सफाई हो गई। किसी को बाहर नहीं जाना पड़ता। ज्यादातर के पास पीने का पानी पहुंच गया।

प्रमिला ने बताया कि उसने जितना काम किया है, उसमें 44 लाख रुपए लगे हैं। 24 लाख का सामान उसने खुद उधार लिया है। उधार लौटाने के लिए लोग रोज ही टोकते हैं। सरकार की तरफ से अब तक एक रुपए नहीं मिला।

बुजुर्ग और महिलाएं किताब-कॉपी लेकर नजर आएं, हर घर में टॉयलेट दिखे, सरकारी स्कूल में छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट बना हो तो समझो कि ये सारागांव है।

 

कॉन्टैक्ट लेंसेज़ पहनने से पहले रखें ध्यान

आप वही पुराने सनग्लासेज़ यूज़ करते हुए बोर जाती हैं और कुछ नया और बोल्ड लुक के लिए कॉन्टैक्ट लेंस पहनना चाहती हैं. या हो सकता है आप पहले ही कॉन्टैक्ट लेंसेज़ पहन रही हों और अब कोई नया कलर इस्तेमाल करना चाहती हैं। बिना किसी खास मेहनत के एक नया आई कलर पाने के लिए कॉन्टैक्ट लेंसेज़ अच्छा विकल्प हैं लेकिन क्या आपको कॉन्टैक्ट लेंसेज़ खरीदते हुए और इसके साथ आई मेकअप करते हुए क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए, ये पता है? यहां जानिए लेंसेज़ खरीदने से लेकर रोजाना इस्तेमाल करने तक सबसे ज्यादा जरूरी सावधानियां:

आपने शायद ध्यान न दिया हो, लेकिन हर किसी की आंखें और पुतलियां अलग-अलग साइज़ की होती हैं. इसलिए लेंसेज़ आपकी आंखों की साइज़ के हों, इसका खास ध्यान रखें। बेहतर होगा अगर किसी नेत्र विशेषज्ञ से आप अपनी आंखों की सही नाप के साथ लेंसेज़ का साइज़ पूछ लें और उससे मैच किए बिना लेंसेज़ न लें।

 सबसे ज़रूरी बात जो हर लेंस पहनने वाले को जानना चाहिए, वो ये कि उन्हें अपने लेंसेज़ को बहुत सावधानी से और सुरक्षित रखना चाहिए। इसमें भी सबसे जरूरी है लेंसेज़ को पानी से बचाना। स्विमिंग के दौरान या नहाते हुए, या यहां तक कि आपको चेहरा धोते हुए भी लेंसेज़ उतार देने चाहिए। कितना भी साफ पानी हो, लेकिन उनमें कुछ ऐसी गंदगी जरूर होगी जो आपके लेंस पर चिपक जाते हैं. बार-बार इन गंदगियों से संपर्क में आकर आपकी आंखों की रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है। कुछ सेंसेटिव मामलों में यहां तक कि आंखें हमेशा के लिए भी खराब हो सकती हैं।

 हो सकता है कि आपको पलकों के नीचे की लाइन पर और वॉटरलाइन पर आइलाइनर लगाने की आदत हो, लेकिन लेंसेज़ पहनते हुए आपको ये आदत बदलनी होगी। लेंसेज़ बहुत सेंसेटिव होते हैं और किसी छोटे से एसिड पार्टिकल से भी ये रिएक्ट कर सकते हैं। आइलाइनर हो या इसकी स्टिक, ये लेंसेज़ से टच हो सकते हैं और इनके एसिड पार्टिकल्स लेंसेज़ तक पहुंच सकते हैं. ये न सिर्फ लेंस को बल्कि आपकी आंखों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

 आपको पाउडर आइशैडो पसंद है, इसमें कोई बुरी बात नहीं, लेकिन लेंस पहनते हुए ये आपकी आंखों के लिए अच्छी चीज़ नहीं है। पाउडर आइशैडो हवा में उड़कर आपकी आंखों तक पहुंच सकते हैं। हो सकता है, आपकी आंखों में जाकर आंसू के साथ ये बाहर निकल आएं और आंखें साफ हो जाएं लेकिन आंखों पर लगे लेंसेज़ साफ नहीं होते. इसलिए लेंस पहनते हुए बजाय पाउडर आइशैडो के कोई क्रीम या लिक्विड आइशैडो इस्तेमाल करें। अगर फिर भी आप पाउडर आइशैडो इस्तेमाल करना ही चाहती हैं, तो इसका खास ध्यान रखें कि इसे लगाते हुए आपकी आंखें पूरी तरह बंद हों और तब तक बंद रखें जब तक ये पूरी तरह सेट न हो जाए.

पलकों को बड़ा दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मस्कारा लेंसेज़ पहनते हुए पूरी तरह अवॉयड किया जाना चाहिए. उनमें माइक्रो-फ्लेक्स होते हैं जो आपकी आंखों में खुजली पैदा कर उसे नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा वाटर-प्रूफ मस्कारा से भी दूर रहें। ये मस्कारा साफ होने में ज्यादा टाइम लेता है और पलकों पर ज्यादा टाइम तक टिका भी रहता है, जो आपके लेंसेज़ को भी नुकसान पहुंचा सकता है। फिर भी अगर आप लेंसेज़ के साथ इसे इस्तेमाल करना ही चाहती हैं, तो कम एलर्जिक, ऑयल-फ्री और फ्रैगरेंस-फ्री मस्कारा इस्तेमाल करें।

 

प्रोफेशनल लुक को खास बनाएंगे शर्ट के ये खास पैटर्न्स

]कहते हैं कि व्यक्ति का पहला प्रभाव उसके कपड़ों से बनता है और बात जब नौकरी की हो या किसी प्रोफेशनल मीटिंग की, तो यह पहला प्रभाव बहुत मायने रखता है। आप खुद को कैसे पेश करते हैं, इसमें आपके परिधानों की भूमिका बेहद खास होती है और शर्ट पहन रहे हैं तो उसका पैटर्न काफी कुछ कह जाता है।

यह वक्त न तो पूरी तरह सादगी से पेश आने का और न ही तड़क – भड़क का, संतुलन बहुत जरूरी है। आपकी शर्ट का पैटर्न आपको सही लुक देने में काफी मदद कर सकता है, कुछ इस तरह-

 गिंघम – चेक्स जैसा, लेकिन उससे एक कदम आगे. गिंघम इस सीज़न ट्रेंड में है। इसे फॉर्मली पहनें ये बहुत स्टनिंग लुक और शार्प इम्प्रेशन भी देती हैं। चेक्स – सदियों से चले आ रहे हैं और आगे भी सालों साल फैशन में रहेंगे। ये इंटरव्यू के लिए सबसे सेफ हैं, लेकिन इस मौके पर न बड़े चेक्स पहनें और न ही वो चंकी स्क्वेयर चेक्स। कलर को लाइट रखें और बस आप तैयार हैं अपने ट्राउज़र्स के साथ कॉम्प्लिमेंट करने के लिए।

 स्ट्राइप्स – एक और ट्रेंडी ऑप्शन है स्ट्राइप्स। चेक्स की ही तरह ये सब पर पहनें जा सकते हैं। स्ट्राइप्स का सीक्रेट ही इसे विड्थ में है जहां चंकी स्ट्राइप्स कैज़ुअल लुक देती हैं. वहीं, हॉरिजॉंटल और वर्टिकल स्ट्राइप्स प्रोफेशनल लुक के साथ-साथ आपको पतला और लंबा भी दिखाती है।

जियोमैट्रिक प्रिंट्स – अगर आपको कोई बहुत ही फॉर्मल कॉर्पोरेट इंटरव्यू के लिए जाना है तो जियोमैट्रिक प्रिंट्स पहनें। ये मेन्सवेयर को और भी कमाल का बना देते हैं। इस प्रिंट की खास बात है कि ये कैज़ुअल लुक देने के साथ ही कभी भी इन्फॉर्मल लुक नही देते। इस प्रिंट को फिटेड ट्राउज़र्स या डेनिम्स के साथ पहनें।

 

चाँद

 

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  • रेखा श्रीवास्तव

चाँद तुम कितने शीतल हो

तुम्हारी शीतलता केवल अंधेरे में ही क्यों

तुम्हारी सुंदरता केवल अंधेरे में ही क्यों

क्यों नहीं तुम उजाले में पास आते हो

अपनी शीतलता का आभास दिलाते हो

भरी दोपहरी में काश तुम आते

दिन भर की जलन भगा जाते

शाम को तुम आते पूरे दिन की थकान मिटा देते

पर तुम रात में ही क्यों आते हो?

चाँद तुम कितने शीतल हो

तुम्हारी शीतलता केवल रात में ही क्यों

तुम्हारी सुंदरता केवल अंधेरे में ही क्यों

क्यों तुम बच्चों के मामा हो

दूर रहते हो, इसलिए

या ज्यादा प्यारे हो इसलिए

बच्चे तुम्हारी कहानी सुनकर ही क्यों सोते हैं

बच्चे तुम्हें देखने के बाद ही क्यों सोते हैं

चाँद तुम कितने शीतल हो

चाँद तुम कितने प्यारे हो

करवा चौथ हो या तीज

औरतें तुम्हें देखकर ही क्यों

अन्न-जल ग्रहण करती हैं

अगर तुम जल्दी आते होते

तो उन्हें ज्यादा देर तक भूखे प्यासे रहना नहीं होता

चाँद तुम कितने शीतल हो

तुम्हारी सुंदरता देखकर ही प्यार करने वाले प्यार करते हैं

परिवार वाले एक साथ तुम्हारे ही गोद में रहते हैं

चाँद तुम अंधेरे में रहकर भी

दूसरों के घर रोशनी जलवा कर जग-मग कर देते हों

चाँद तुम अंधेरे में गुमनाम रहकर भी

बच्चों को परिजन, बाहर वालों को घर, घर को सकून,

प्यार, एकजुटता का पाठ सिखाते हो

चाँद तुम कितने शीतल हो

चाँद तुम कितने सुंदर हो

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार तथा कवियत्री हैं)

बदलते पुरुष और समाज की झलक दिखाती है की एंड का

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  •  रेखा श्रीवास्तव

चीनी कम और पा जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन कर चुके आर. बाल्की की एक नयी फिल्म की एंड का मल्टीप्लेक्स में पिछले दस दिनों से छाई हुई है। पहले की तरह उनकी यह फिल्म भी लीक से अलग हट कर है। या यूँ कहें एक बिल्कुल नयी सोच और नया तरीके से भरपूर फिल्म। पर कुछ हद तक सही। जिस चीज को हमलोग मानने को नहीं तैयार हो सकते, कुछ ऐसे दृश्य भी इस फिल्म में देखने को मिले हैं। जैसे फिल्म का हीरो कबीर (अर्जुन कपूर) जो अच्छा स्टूडेंट होते हुए भी कामयाबी के लिए भटकता नहीं दिखता है। उसे घर संभालने में कोई शर्मींदगी महसूस नहीं होती है, और बहुत ही अच्छे तरीके से घर-गृहस्थी को संभालता है। आर्थिक समस्या आने पर घर पर ही रहकर कमाने का तरीका भी ढूँढ़ता है और उसमें भी सफल होता है। बिल्कुल इगो नहीं दिखता है। हर एक चीज को नये तरीके से करना चाहता है। घर की सजावट और रसोई में भी नयापन दिखा। वहीं दूसरी तरफ करीना को घर-गृहस्थी से कोई मतलब नहीं है। वह बाहरी दुनिया में सफल है। इन दोनों के बीच अच्छा तालमेल है। कोई कोई शिकवा नहीं, कोई परेशानी नहीं। फिल्म के आखिरी की तरफ में थोड़ी ईर्ष्या जरूर दिखती है, लेकिन वो भी ठीक हो जाता है। यह एक सामान्य बात है। अर्थात् यह दिखता है कि जीवन में यह नया तरीका भी अपनाया जा सकता है। हम अपने ढांचे से थोड़ा हटकर सोच सकते हैं और उस नये तरीके से भी जी सकते हैं। ऐसा नहीं है कि लड़की होने का मतलब हो कि पढ़ने लिखने के बाद भी रसोई और घर तक ही सीमित रहें या लड़का पढ़ाई में टॉप होने के बाद अच्छा बिजनेस मैन या अच्छी नौकरी ही करें। नहीं, हम स्वतंत्र हो सकते हैं। हमें अपनी पसंद के अनुसार अपनी जिंदगी जीने की राह दिखा रहा है की एंड का। की एंड का का मतलब है लड़की और लड़का। अर्थात् संक्षेप में कहे तो हमलोग पढ़ते आये हैं कि फिल्म  समाज का आईना है। फिल्म निर्देशक आर बाल्की को इसका अहसास हुआ। समाज में धीरे-धीरे ही सही पर महिलाएं आज काफी आगे निकल चुकी हैं। वह केवल रसोई, घर और बच्चे तक ही सीमित नहीं है। वह बाहरी दुनिया में अपना वर्चस्व बना चुकी हैं। पर सच्चाई यह है कि जिस तरह वाहन के लिए आगे और पीछे दोनों चक्के होने की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही परिवार नामक गाड़ी को चलाने के लिए भी कमाई और घर-गृहस्थी दोनों चक्कों में पकड़ होनी चाहिए। ऐसी हालत में अगर लड़की पढ़कर बाहरी दुनिया संभाल रही है, तो पुरुष को भी बाहरी दुनिया को छोड़कर घर की दुनिया संभाल लेना चाहिए। वैसे जो यह फिल्म में दिखा है, वह समाज में भी दिख रहा है। कुछ प्रतिशत ही सही, पर पुरुषों ने भी बच्चों और घरों में अपनी रुचि दिखानी शुरू कर दी है। अब यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में की एंड का का अंतर ही खत्म हो जाए, और दोनों अपनी-अपनी पसंद से अपनी दुनिया को चुन सके और अच्छी जिंदगी जी सके। वैसे इस फिल्म में जहाँ करीना ने अच्छा अभिनय किया है, वहीं अर्जुन कपूर ने तो अपनी अमिट छाप बनाई है। इस फिल्म में पुरुष बिल्कुल नये रूप में दिखा। ना ही वह किसी लड़की के पीछे चक्कर लगा रहा है, ना ही वह नाम और शोहरत कमाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है और न ही गुंडो से मारपीट कर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। फिर भी लड़कियों को अर्जुन का यह नया रूप पसंद आया।

‘स्वीटी-हनी’ कहे जाने से इंद्रा नूई को है नफरत

न्यूयॉर्क. पेप्सिको की सीईओ इंद्रा नूई ने वर्कप्लेस और सोसाइटी में महिलाओं से समान बर्ताव किए जाने की मांग की है। भारतीय मूल की नूई ने कहा कि उन्हें ‘स्वीटी’ या ‘हनी’ जैसे शब्दों से नफरत है। महिलाओं को ऐसे नामों से न बुलाकर उन्हें इज्जत देनी चाहिए। समान बर्ताव को लेकर इंद्रा ने और क्या कहा…
– न्यूयॉर्क में वुमन इन द वर्ल्ड समिट में उन्होंने कहा, ”हमें अभी भी समान बर्ताव किए जाने का इंतजार है।”

– ”जब भी मुझे स्वीटी या हनी कहा जाता है, बहुत बुरा लगता है। हमें स्वीटी, हनी, बेब कहने के बजाय एग्जीक्यूटिव की तरह ट्रीट किया जाना चाहिए। महिलाओं को इस तरह से बुलाने का तरीका बदला जाना चाहिए।”
– “बहुत सालों से महिलाएं ‘रेवोल्यूशन मोड’ में रही हैं। अब वे ब्वॉयज क्लब में दाखिल हो चुकी हैं और समान सैलरी की मांग कर रही हैं।”
– ”महिलाएं अपनी डिग्री, स्कूलों-कॉलेजों में अच्छे ग्रेड के बदले वर्कप्लेस में अपनी जगह बना रही हैं। पुरुष साथियों को इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है।”
– ”हम अपनी मेहनत से ऑफिस में जगह बना रहे हैं, लेकिन हमें अभी भी समान पेमेंट की जरूरत है। हमें इसके लिए अभी भी लड़ाई करनी पड़ रही है।”

महिलाएं नहीं कर रही हैं महिलाओं की मदद
– हालांकि, नूई ने कहा कि वर्कप्लेस पर महिलाएं ही महिलाओं की मदद नहीं कर रही हैं।
– ”यह एक बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में हमें बात करनी चाहिए। मैं नहीं समझती हूं कि वर्कप्लेस पर महिलाएं महिलाओं की पूरी मदद करती हैं।”
– ”आज हम जितना भी कर रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा मदद करने की जरूरत है।”

वर्ल्ड की मोस्ट पावरफुल वुमन में हैं शुमार

– इंद्रा की गिनती दुनिया की सबसे पावरफुल वुमन में होती है।

– वे पेप्सिको की सीईओ बनने के पहले जॉनसन एंड जॉनसन, मोटोरोला जैसी कंपनियों में काम कर चुकी हैं।

 

शनि शिंगणापुर में 400 साल की परंपरा खत्म मगर लड़ाई अब भी बाकी है

महिलाओं को देवी माना जाता है। शक्ति का स्वरूप माना जाता है और मातृरूप की आराधना की जाती है मगर देवियों को पूजने वाले इस देश में एक आम औरत इस कदर अपवित्र मान ली जाती है कि ईश्वर के मंदिर में उसका प्रवेश पुरोधाओं को गवारा नहीं होता। जिस औरत से सृष्टि का विस्तार होता है, उसके प्राकृतिक हालात और शारीरिक परिवर्तन से पुरूष प्रधान समाज इतना डर जाता है कि अपना एकाधिकार वह मंदिरों पर जमाता है। मंदिरों में स्त्रियाँ उसे देवदाासी के रूप में मंजूर हैं मगर वह समानता की बात करे तो परम्परा के खत्म होने का डर समाज के एक वर्ग को सताता हैै। तृप्ति देसाई की यह जीत बड़ी जीत है मगर इसे आखिरी नहीं होने देना है। आखिर क्या वजह है कि किसी धर्म की प्रमुख कभी महिला नहीं होती। धर्म आखिर महिलाओं को समान अधिकार देने से इतना कतराता है तो इसके पीछे कहीं न कहीं आधिपत्य टूटने की भावना है और यह सभी धर्मों के साथ है। हाल ही में नवरात्र के पहले ही दिन शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के हक में फैसला हुआ। मंदिर ट्रस्ट ने 400 साल से चली आ रही परंपरा खत्म कर दी। एलान हुआ कि अब महिलाएं भी चबूतरे पर चढ़कर शनि भगवान की पूजा कर सकेंगी और उन्हें तेल चढ़ा सकेंगी। इसे भूमाता ब्रिगेड की लीडर तृप्ति देसाई की जीत कहा जा रहा है मगर इस बदलाव का असर देश के और भी मंदिरों में दिखना बाकी है।

। त्र्यम्बकेश्वर से सबरीमाला तक महिलाओं को अंदर जाने की अनुमति नहीं…

1# त्र्यम्बकेश्वर मंदिर (नासिक)

यहां मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं को जाने की इजाजत नहीं थी। भूमाता ब्रिगेड ने हाल ही में यहां भी बैन तोड़ने की कोशिश की थी।

– बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद मंदिर अथॉरिटी ने गर्भगृह में पुरुषों की एंट्री पर भी बैन लगा दिया।

– शनि शिंगणापुर में अपनी कामयाबी के बाद तृप्ति देसाई अब इस मंदिर में भी महिलाओं को पूजा का हक दिलाने की लड़ाई तेज करेंगी।

2# सबरीमाला मंदिर (केरल)

– केरल के सबसे पुराने और भव्य मंदिरों में शामिल सबरीमाला श्री अयप्पा मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं की एंट्री पर बैन है। ये प्रथा एक हजार साल से चली आ रही है।

– कुछ समय पहले मंदिर बोर्ड के चीफ ने एक बयान में कहा था कि जब तक महिलाओं की शुद्धता (पीरियड्स) की जांच करने वाली कोई मशीन नहीं बन जाती है, मंदिर में महिलाओं को एंट्री की इजाजत नहीं दी जा सकती।

– इससे जुड़ा एक मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

3# हाजी अली दरगाह (मुंबई)

– हाजी अली शाह बुखारी की दरगाह में महिलाओं की एंट्री बैन है। 2011 तक यहां महिला जायरीनों को बेरोकटोक जाने दिया जाता था।

– हाजी अली ट्रस्ट का तर्क है कि ये एक पुरुष संत की मजार है, इसलिए वहां महिलाओं के जाने पर रोक लगाई गई है।

– इस बैन खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में केस चल रहा है।

– 9 फरवरी, 2016 को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है। आखिरी फैसले का इंतजार है।

4#पद्मनाभस्वामी मंदिर (केरल)

– दुनिया के सबसे अमीर पद्मनाभस्वामी मंदिर में महिलाएं बाहर से पूजा कर सकती हैं। पर गर्भगृह में इनका प्रवेश मना है।

– ऐसी मान्यता है कि यदि महिलाएं यहां जाती हैं, तो खजाने पर बुरी नजर लग जाती है। इससे भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं।

यहां भी महिलाओं के अंदर जाने पर रोक

– म्हसकोबा मंदिर (पुणे) :यहां महिलाओं को नवरात्र जैसे खास दिनों पर ही एंट्री दी जाती है।
– घाटी देवी और सोला शिवलिंग (सतारा) –इस मंदिर में भी महिलाओं को पूजा करने की अनुमति नहीं है।
– वैबातवाड़ी मारुति (बीड़)-परंपरा के मुताबिक यहां भी महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है।

कामाख्या मंदिर (असम)-यहां पीरियड्स के दौरान महिलाओं की मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी है।

– राजस्थान में पुष्कर के कार्तिकेय मंदिर, रणकपुर के जैन मंदिरमें भी महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है।

– दिल्ली में निजामुद्दीन दरगाहके अंदर के एरिया में भी महिलाएं नहीं जा सकती हैं।

शिंगणापुर में शुक्रवार को ऐसे चला घटनाक्रम…

शुक्रवार को शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने एेतिहासिक फैसला लिया। हालांकि, इससे पहले रोक के बावजूद करीब 250 पुरुषों ने चबूतरे पर चढ़कर शनि की शिला पर तेल और जल चढ़ाया था। यह सारा घटनाक्रम शुक्रवार को महज ढाई घंटे के अंदर हुआ।

1# सुबह 10.30 बजे : पुरुषों ने की पूजा

– महिलाओं को पूजा का हक दिलाने का विवाद बढ़ने के बाद मंदिर ट्रस्ट ने शनि चबूतरे तक पुरुषों की भी एंट्री बंद कर दी थी। जबकि गुड़ी पड़वा पर यहां शिला पूजन का रिवाज रहा है।

– एंट्री बैन होने के विरोध में सुबह करीब 250 पुरुषों ने बैरिकेड और सिक्युरिटी को तोड़ते हुए चबूतरे तक पहुंचे।

– इन पुरुषों ने यहां तेल और प्रवर संगम स्थल से गोदावरी और मूले नदी से लाया गया जल चढ़ाया।

2# दोपहर 12 बजे : तृप्ति देसाई ने कहा- हम भी मंदिर जाएंगे

– दरअसल, बॉम्बे हाईकाेर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिरों में पूजा बुनियादी हक है। इससे महिलाओं को नहीं रोका जा सकता।

– इसी फैसले के बाद मांग उठी थी कि जब पुरुषों को पूजा की इजाजत है, तो महिलाओं को क्यों न हो?

– विवाद से बचने के लिए शनि शिंगणापुर और बाद में नासिक त्र्यंबकेश्वर मंदिर ट्रस्ट ने पुरुषों की भी गर्भगृह तक एंट्री रोक दी थी।

– जब शुक्रवार सुबह पुरुषों ने बैरिकेड तोड़कर पूजा की तो महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ रहीं भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने कहा कि हम भी मंदिर में जाकर पूजन करेंगे। जब पुरुषों को इजाजत दी गई तो महिलाओं को भी हक मिलना चाहिए, क्योंकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने ही ऐसा कहा है।

3# दोपहर 1 बजे : मंदिर ट्रस्ट का ऐतिहासिक फैसला

– ढाई घंटे बाद मंदिर ट्रस्ट ने महिलाओं को भी शनि शिंगणापुर के गर्भगृह यानी चबूतरे पर जाकर तेल चढ़ाने और पूजा करने की इजाजत देने का फैसला किया।

– शनि मंदिर के ट्रस्टी सयाराम बनकर ने कहा कि ट्रस्टियों की आज मीटिंग हुई। इसमें फैसला किया गया है कि महिलाओं-पुरुषों की एंट्री पर रोक नहीं रहेगी। ऐसा हमने हाईकोर्ट का आदेश मानने के लिए किया है। हम भूमाता ब्रिगेड की लीडर तृप्ति देसाई का भी स्वागत करेंगे।
– वहीं, मंदिर ट्रस्ट के प्रवक्ता हरिदास गायवाले ने कहा कि अब किसी के साथ मंदिर परिसर में भेदभाव नहीं होगा।

4# शाम 5:15 बजे : महिलाओं ने पहली बार की पूजा

– मंदिर ट्रस्ट के फैसले के बाद पहली बार महिलाएं मंदिर के गर्भगृह यानी चबूतरे पर पहुंचीं।

– इन महिलाओं ने यहां पूजा की और शनि देव को तेल चढ़ाया।

– शाम करीब 7 बजे तृप्ति देसाई ने भी मंदिर में जाकर पूजा की। उन्हें मंदिर के ट्रस्टियों ने पूजा करने के लिए आमंत्रित किया था।

 

रामनवमी पर गोस्वामी तुलसीदास की रचनाएं

राम लला नहछू

आदि सारदा गनपति गौरि मनाइय हो।
रामलला कर नहछू गाइ सुनाइय हो।।
जेहि गाये सिधि होय परम निधि पाइय हो।
कोटि जनम कर पातक दूरि सो जाइय हो ।।१।।krama_thumb[2]

कोटिन्ह बाजन बाजहिं दसरथ के गृह हो ।
देवलोक सब देखहिं आनँद अति हिय हो।।
नगर सोहावन लागत बरनि न जातै हो।
कौसल्या के हर्ष न हृदय समातै हो ।।२।।

आले हि बाँस के माँड़व मनिगन पूरन हो।
मोतिन्ह झालरि लागि चहूँ दिसि झूलन हो।।
गंगाजल कर कलस तौ तुरित मँगाइय हो।
जुवतिन्ह मंगल गाइ राम अन्हवाइय हो ।।३।।

गजमुकुता हीरामनि चौक पुराइय हो।
देइ सुअरघ राम कहँ लेइ बैठाइय हो।।
कनकखंभ चहुँ ओर मध्य सिंहासन हो।
मानिकदीप बराय बैठि तेहि आसन हो ।।४।।

बनि बनि आवति नारि जानि गृह मायन हो।
बिहँसत आउ लोहारिनि हाथ बरायन हो।।
अहिरिनि हाथ दहेड़ि सगुन लेइ आवइ हो।
उनरत जोबनु देखि नृपति मन भावइ हो ।।५।।

रूपसलोनि तँबोलिनि बीरा हाथहि हो।
जाकी ओर बिलोकहि मन तेहि साथहि हो।।
दरजिनि गोरे गात लिहे कर जोरा हो।
केसरि परम लगाइ सुगंधन बोरा हो ।।६।।

मोचिनि बदन-सकोचिनि हीरा माँगन हो।
पनहि लिहे कर सोभित सुंदर आँगन हो।।
बतिया कै सुधरि मलिनिया सुंदर गातहि हो।
कनक रतनमनि मौरा लिहे मुसुकातहि हो।।७।।

कटि कै छीन बरिनिआँ छाता पानिहि हो।
चंद्रबदनि मृगलोचनि सब रसखानिहि हो।।
नैन विसाल नउनियाँ भौं चमकावइ हो।
देइ गारी रनिवासहि प्रमुदित गावइ हो ।।८।।

कौसल्या की जेठि दीन्ह अनुसासन हो।
“नहछू जाइ करावहु बैठि सिंहासन हो।।
गोद लिहे कौसल्या बैठी रामहि बर हो।
सोभित दूलह राम सीस पर आँचर हो ।।९।।

नाउनि अति गुनखानि तौ बेगि बोलाई हो।
करि सिँगार अति लोन तो बिहसति आई हो।।
कनक-चुनिन सों लसित नहरनी लिये कर हो।
आनँद हिय न समाइ देखि रामहि बर हो ।।१०।।

काने कनक तरीवन, बेसरि सोहइ हो।
गजमुकुता कर हार कंठमनि मोहइ हो।।
कर कंचन, कटि किंकिन, नूपुर बाजइ हो।
रानी कै दीन्हीं सारी तौ अधिक बिराजइ हो ।।११।।

काहे रामजिउ साँवर, लछिमन गोर हो।
कीदहुँ रानि कौसलहि परिगा भोर हो।।
राम अहहिं दसरथ कै लछिमन आन क हो।
भरत सत्रुहन भाइ तौ श्रीरघुनाथ क हो ।।१२।।

आजु अवधपुर आनँद नहछू राम क हो।
चलहू नयन भरि देखिय सोभा धाम क हो।।
अति बड़भाग नउनियाँ छुऐ नख हाथ सों हों
नैनन्ह करति गुमान तौ श्रीरघुनाथ सों हो ।।१३।।

जो पगु नाउनि धोवइ राम धोवावइँ हो।
सो पगधूरि सिद्ध मुनि दरसन पावइ हो।।
अतिसय पुहुप क माल राम-उर सोहइ हो।।
तिरछी चितिवनि आनँद मुनिमुख जोहइ हो ।।१४।।

नख काटत मुसुकाहिं बरनि नहिं जातहि हो।
पदुम-पराग-मनिमानहुँ कोमल गातहि हो।।
जावक रचि क अँगुरियन्ह मृदुल सुठारी हो।
प्रभू कर चरन पछालि तौ अनि सुकुमारी हो ।।१५।।

भइ निवछावरि बहु बिधि जो जस लायक हो ।
तुलसिदास बलि जाउँ देखि रघुनायक हो।।
राजन दीन्हे हाथी, रानिन्ह हार हो।
भरि गे रतनपदारथ सूप हजार हो ।।१६।।

भरि गाड़ी निवछावरि नाऊ लेइ आवइ हो।
परिजन करहिं निहाल असीसत आवइ हो।।
तापर करहिं सुमौज बहुत दुख खोवहिँ हो।
होइ सुखी सब लोग अधिक सुख सोवहिं हो ।।१७।।

गावहिं सब रनिवास देहिं प्रभु गारी हो।
रामलला सकुचाहिं देखि महतारी हो।।
हिलिमिलि करत सवाँग सभा रसकेलि हो।
नाउनि मन हरषाइ सुगंधन मेलि हो ।।१८।।

दूलह कै महतारि देखि मन हरषइ हो।
कोटिन्ह दीन्हेउ दान मेघ जनु बरखइ हो।।
रामलला कर नहछू अति सुख गाइय हो।
जेहि गाये सिधि होइ परम निधि पाइय हो ।।१९।।

दसरथ राउ सिंहसान बैठि बिराजहिं हो।
तुलसिदास बलि जाहि देखि रघुराजहि हो।।
जे यह नहछू गावैं गाइ सुनावइँ हो।
ऋद्धि सिद्धि कल्यान मुक्ति नर पावइँ हो ।।२०।।Tulsidas-or-Sri-Ram-milan

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन

श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम्।

नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरम्।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक-सुतानरम्।।

भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्य-वंश-निकंदनम्।
रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनम्।।

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खर-दूषणम्।।

इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन रंजनम्।
मम् हृदय-कंज-निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनम्।।

मां दुर्गा इसलिए करती हैं शेर की सवारी

मां दुर्गा का वाहन शेर है, क्या कभी आपने सोचा है कि शक्ति की पर्याय मां भगवती की सवारी शेर ही क्यों है? आज हम आपको इससे जुड़ी एक रोचक बात बताते हैं। दरअसल इस बारे में एक दंत कथा है..पुराणों में उल्लेख है कि एक बार भगवान शिव और मां पार्वती आपस में हास-परिहास कर रहे थे लेकिन इसी हास-परिहास के बीच में भगवान शिव ने माता पार्वती को काली कह दिया जिस पर मां रूठ गईं और वन में जाकर तपस्या करने लगीं। मां पार्वती के साथ शेर ने भी सालों तपस्या की इस तपस्या में कई साल गुजर गये कि तभी एक शेर जो बहुत दिनों से भूखा-प्यासा था वो मां पार्वती को खाने के लिए उनके पास आ गया लेकिन ना जानें शेर को क्या सूझा, उसने तपस्या कर रही माता पार्वती पर हमला नहीं किया बल्कि उनके समझ बैठ गया। कई सालों बाद जब पार्वती की तपस्या से शिव प्रसन्न हुए तो उन्होंनें मां के सामने प्रकट होकर उन्हें गोरी होने का वरदान दिया। शेर के धैर्य से माता हुईं प्रसन्न जिसके बाद मां ने शेर की ओर देखा जो कि काफी समय से बिना हमला किये उनकी प्रतिक्षा कर रहा था और तपस्या का हिस्सेदार था। माता ने प्रसन्न होकर उसे हमेशा विजयी रहने का आशीर्वाद दिया और अपना वाहन बना लिया। शेरराजा, शक्ति, भव्यता और जीत का प्रतीक मालूम हो कि शेर का आशय राजा, शक्ति, भव्यता और जीत से होता। यह कहानी ये सीख देती है कि अगर आप सच्चे मन से मां को याद करते हैं तो मां आपकी हर इच्छा की पूर्ति करती है वो भी बिना मांगे।