महिला लड़ाकू पायलट छुड़ाएंगी दुश्मनों के छक्के

भारतीय वायु सेना के इतिहास ने ऐतिहासिक क्षण देखा क्योंकि  महिला लड़ाकू पायलटों के पहले दस्ते को कड़ी ट्रेनिंग के बाद अहम जिम्मेदारी सौंपी दी गयी है। इंडियन एयरफोर्स में अभी तक महिला पायलट केवल ट्रांसपोर्ट विमान और हेलीकॉप्टर ही उड़ाती रहीं हैं लेकिन अब देश को तीन पहली महिला फाइटर पायलट मिली हैं जो अब सुखोई और तेजस जैसे फाइटर प्लेन से दुश्मनों के छक्के छुड़ाती नजर आएंगी. इंटरनेशनल विमेन्स डे के मौके पर एयरफोर्स चीफ अरूप राहा ने पहले ही इसकी घोषणा की थी।

18 जून को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर वायु सेना की हैदराबाद स्थित अकादमी में इस दस्ते की सभी तीन महिला पायलटों भावना कांत, अवानी चतुर्वेदी और मोहाना सिंह को वायु सेना की लड़ाकू पायलट शाखा में विधिवत रूप से शामिल किया ये तीनों महिला अधिकारी पिछले एक साल से इस अकादमी में लड़ाकू पायलट के दूसरे चरण का प्रशिक्षण ले रही थीं। इनकी 6 महीने की ट्रेनिंग पिलेट्स ट्रेनर पर हुई और 6 महीने की ट्रेनिंग किरण ट्रेनर पर हुई। 55 घंटे पिलेट्स पर उड़ान भरने के बाद 87 घंटे किरन ट्रेनर पर ट्रेनिंग हुई. वायु सेना में कमीशन के बाद इन महिला पायलटों को बीदर में एक साल की हाई टेक ट्रेनिंग एडवांस हॉक पर दी जाएगी और जून 2017 से ये लडाकू विमान उड़ाना शुरू कर देंगी. पिछले एक साल से हैदराबाद में ट्रेनिंग के दौरान इनकी ट्रेनिंग सुबह 4 बजे से शुरू होकर रात 10 तक बजे चल रही थी। अवनी मध्य प्रदेश के रीवा से हैं. उनके पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और भाई आर्मी में हैं। वहीं भावना बिहार के बेगुसराय की रहने वाली हैं। मोहना गुजरात के वडोदरा की हैं। उनके पिता एयरफोर्स में वारंट ऑफिसर हैं। अवनी कहती हैं कि यह एक बहुत ही एडवेंचरस लाइफ है। कोई भी एयर फोर्स अपने फाइटर्स से ही डिफाइन होती है। उधर मोहना कहती हैं कि फाइटर पायलट बनना उनका बचपन का सपना था। 1991 में पहली बार महिला पायलट्स ने हेलिकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाना शुरू किया था। 2012 में 2 विमेन फ्लाइट लेफ्टिनेंट अल्का शुक्ला और एमपी शुमाथि ने लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स के लिए ट्रेनिंग पूरी की थी। वायु सेना में अभी महिलाओं को फ्लाइंग ब्रांच की परिवहन तथा हेलिकॉप्टर विंग, नेविगेशन, एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, प्रशासन, लॉजिस्टिक्स, लेखा और शिक्षा विभाग में ही कमीशन दिया जा रहा था।

 

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