उम्र बढ़ने के साथ जीवनशैली बदलती है मगर आहार कई बार नहीं बदलता। वैसे सच तो यह है कि 30 साल का होने के बाद ऐसा भोजन करना सही रहता है जो उम्र के असर को कम कर सके। इसके साथ व्यायाम तो जरूरी है ही मगर भाग – दौड़ भरी जिन्दगी में हम खुद
कोलकाता ः वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण बिहारी मिश्र को इस बार पद्मश्री सम्मान मिलने जा रहा है। गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या को घोषित पद्मपुरस्कारों की घोषणा में इसकी जानकारी दी गयी। 1936 को उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्मे कृष्ण बिहारी ने हिन्दी पत्रकारिता और बंगाल के योगदान पर गहन शोध किया है। उनको हिन्दी पत्रकारिता विषयक
जयशंकर प्रसाद अरुण यह मधुमय देश हमारा। जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।। सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर। छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा।। लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे। उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़ निज प्यारा।। बरसाती आँखों के बादल, बनते
तिरंगा ढोकला सामग्री : 1 कप सूजी, 1 कप दही , 1 चम्मच अदरक पेस्ट, 2 चम्मच तेल, नमक स्वादानुसार, 1 चम्मच ईनो, आवश्यकतानुसार पानी, 1 कप पालक प्यूरी, छोटा चम्मच खाने वाला नारंगी रंग, 2-3 हरी मिर्च, 1/2 चम्मच लाल मिर्च पाउडर , 1 चम्मच सरसों के दाने, कुछ करी पत्ते, 2 चम्मच चीनी,
नयी दिल्ली : आज देश अपना 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर भारत ने राजपथ पर अपनी सांस्कृतिक धरोहर एवं विविधताओं के साथ सैन्य और स्त्री शक्ति का ऐसा अद्भुत प्रदर्शन किया, जिसे देखकर हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा उठ गया होगा। इस मौके पर भारतीय इतिहास में पहली बार
देश इस बार 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा है और इस बार खास वजह यह है कि आसियान देशों के नेता बतौर मुख्य अतिथि जश्न का हिस्सा बने। 10 देशों के नेताओं के भारत आने से इंडियन-आसियान समिट को मजबूती मिलेगी। आसियान देशों से भारत के हैं ये संबंध… ब्रुनई ब्रुनेई के साथ भारत के
गणतंत्र दिवस हमारा गौरव है…हमारे लोकतंत्र की उपलब्धि का दिन है। ऐसे दिन पर तिरंगे को न सिर्फ हम सम्मान देते हैं बल्कि हमारा मन झूम उठता है और हम रंग उठते हैं इन तीन रंगों में। खासकर आप साड़ी पहनने के मूड में नहीं हैं और गणतंत्र के जश्न को तीन रंग में ढालना
भारतीय हर साल 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस मनाते हैं। संविधान को लागू करवाने में योगदान देने वाले और देश को लिए प्राण न्योछावर करने वाले महान पूर्वजों को याद कर श्रद्धांजलि देते हैं। लेकिन इसे हर बार मनाने की वजह जानते हैं आप? इसके पीछे हमारा गौरवशाली इतिहास तो है ही, लेकिन हम इसलिए