बसन्त की खूबसूरती बढ़ा देता है पीला रंग

हिन्दू धर्म में पीले रंग को शुभ माना गया है। पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है। यह सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है। वसंत पंचमी के पर्व पर वैसे भी चटख पीला रंग उत्साह और विवेक का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ सफेद रंग से जुड़ी शांति भी

परिवार और समाज के खिलाफ जाकर कराई विधवा मां की शादी

समय बदल रहा है और इस बात तस्दीक करती है यह घटना। जयपुर की एक लड़की जिसने परिवार और समाज के खिलाफ जाकर अपने विधवा मां की शादी करवाई। संहिता अग्रवाल जयपुर की रहने वाली हैं। साल 2016 में इनके पिता मुकेश गुप्ता की दिल का दौरा पड़ने के कारण मृत्यु हो गई थी। इनकी

कहानियों को सब तक पहुँचाने की कोशिश है…..सुनो कहानी

अनिमेष जोशी फेसबुक, सरीखा माध्यम बहुत बड़ा वर्चुअल अड्डा है…! जहां हम सब भांति – भांति के अनुभवों से दो – चार होते है। ये माध्यम किसी भी तरह की सूचनाओं को बड़े फलक तक ले जाने का एक महत्वपूर्ण टूल भी है। इस माध्यम ने बहुत से लोगों से जुड़ने का मौका दिया। जो

दो पूर्व छात्राओं ने अपने स्कूल की हजारों छात्राओं को मिलवा दिया

माधवी श्री सुबह अगर आँख खुले और दो दशक से ज्यादा हो चुके अपने स्कूल के दिनों की सहपाहियों को आप धड़ा – धड़ एक के बाद एक आप मिलने लगे तो दो चीजों का आप तहे दिल से शुक्रिया अदा करेगे – एक फेसबुक जो मीलों दूर बैठे आपको आपके अपनों से मिलवाता है

मैत्रेयी पुष्पा को मिलेगा भारतीय भाषा परिषद का कृतित्व समग्र पुरस्कार

  भारतीय भाषा परिषद की कार्यसमिति ने 4 भारतीय भाषाओं के वरिष्ठ साहित्यकारों को एक-एक लाख रुपए का कृतित्व समग्र सम्मान और इक्कीस-इक्कीस हजार रुपये का युवा पुरस्कार देने का सर्वसम्मति से निर्णय ले लिया  है। हिन्दी में कृतित्व समग्र सम्मान इस बार वरिष्ठ लेखिका मैत्रेयी पुष्पा को प्रदान किये जायेंगे ये पुरस्कार विद्वानों को

साहित्यिकी ने राहुल सांकृत्यायन पर आयोजित की संगोष्ठी

“साहित्यिकी” द्वारा भारतीय भाषा परिषद में राहुल सांकृत्यायन की 125वीं जयंती मनायी गयी। इस उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए किरण सिपानी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को राहुल से प्रेरणा लेने की जरूरत है। राहुल के काम को जितना महत्व मिलना चाहिए था, नहीं मिला है। राहुल में अद्भुत

धैर्य, श्रद्धा और विनम्रता से सपने पूरे होंगे

अपराजिता की ओर से अपराजिता की कोशिश रही है कि नयी प्रतिभाओं को सामने लाया जाए और ऐसे लोगों की कहानी कही जाए जिन्होंने अपना एक मुकाम बनाया है और प्रेरक रहे हैं। आज के बदलते दौर में जहाँ सफलता की पूजा होती है, वहीं जरूरी है कि हम उन लोगों की भी बात करें

हिन्दी मेला…नयी पीढ़ी का मंच और हम सबका ऑक्सीजन

बस एक साल और पूरे 25 साल हो जाएंगे….हिन्दी मेले को। पहली बार आई तो प्रतिभागी के रूप में…सेठ सूरजमल जालान गर्ल्स कॉलेज में स्नातक की छात्रा थी और अब बतौर पत्रकार 15 साल होने जा रहे हैं और 20 साल हो रहे हैं मेले से जुड़े हुए। इन 20 सालों में उतार –चढ़ाव भी देखे

अब मेरा लाइब्रेरी कार्ड अधूरा रह जायेगा

सुषमा त्रिपाठी जीवन में आश्वस्ति हो तो संघर्ष आसान हो जाते हैं और पुस्तकालयाध्यक्ष आश्वस्त करने वाला हो तो किताबों तक पहुँचना आसान हो जाता है। जालान पुस्तकालय में वह आश्वस्त करने वाली कुर्सी सूनी हो गयी है…तिवारी सर नहीं हैं वहाँ पर। अब मुझसे कोई नहीं कहेगा – कहाँ हो आजकल। दिखायी नहीं पड़ती हो या

कमजोरियों से भागकर हम इतिहास नहीं बदल सकते

साल की उल्टी गिनती आज से शुरू हो चुकी है और ऐसा लग रहा है जैसे हमारे विकास और प्रगतिशीलता की उल्टी गिनती शुरू हो रही है। परम्परा के नाम पर वर्चस्व की राजनीति करने वाले तमाम लोग एकजुट हो रहे हैं और बहाना है एक फिल्म। बहाना कहें या निशाना ही सही शब्द है