Friday, August 1, 2025
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स्पाइसजेट बना ‘सेफ्टी परफॉर्मर ऑफ द ईयर’

कोलकाता । स्पाइसजेट ने वार्षिक जीएमआर दिल्ली एयरपोर्ट अवार्ड्स में ‘सेफ्टी परफॉर्मर ऑफ द ईयर’ का पुरस्कार जीता है। जमीनी सुरक्षा उल्लंघनों को कम करने में सफलता प्राप्त करने और सुरक्षा मानकों के पालन में शीर्ष पर रहने के लिए स्पाइस जेट को यह पुरस्कार मिला है ।
दिल्ली एयरपोर्ट पर स्पाइसजेट की ग्राउंड हैंडलिंग टीम ने यह सफलता प्राप्त की है । स्पाइसजेट के चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर जीपी गुप्ता ने कहा, ‘स्पाइसजेट में हमारे यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। यह हमारे सभी कार्यों का एक अभिन्न अंग है और हमारी संस्कृति में शामिल है। हम अपने यात्रियों के लिए एक सुरक्षित और सुरक्षित यात्रा वातावरण प्रदान करने के लिए उच्चतम सुरक्षा मानकों को अपनाने का लगातार प्रयास करेंगे।
स्पाइसजेट का हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) द्वारा ऑडिट किया गया था और इसके संचालन, सुरक्षा प्रक्रियाओं और प्रणालियों को संयुक्त राष्ट्र विमानन शाखा द्वारा एक विस्तृत ऑडिट के बाद वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और सुरक्षा मानकों के साथ मजबूत और समतुल्य पाया गया। स्पाइसजेट आईसीएओ द्वारा किए गए ऑडिट का एकमात्र अनुसूचित भारतीय एयरलाइन हिस्सा था। स्पाइसजेट सुरक्षा प्रणालियों के ऑडिट ने भारत को आईसीएओ ऑडिट में अब तक की सर्वोच्च सुरक्षा रैंकिंग हासिल करने में मदद की।

पेटीएम ने अक्टूबर और नवंबर में वितरित किये 6.8 मिलियन ऋण

कोलकाता । पेटीएम ने लगातार मजबूत वृद्धि दिखाई है। कंपनी ने आज अक्टूबर और नवंबर के लिए अपने ऑपरेटिंग मेट्रिक्स के बारे में एक एक्सचेंज फाइलिंग साझा की। ऋण वितरण व्यवसाय के लिए कंपनी की वार्षिक दर अब ₹39,000 करोड़ ($4.8 बिलियन) है।
दो महीनों में, पेटीएम ने 150 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 6.8 मिलियन ऋण वितरित किए हैं । यह दर वर्ष दर वर्ष 374 प्रतिशत के ऋण संवितरण ₹ 6,292 करोड़ के साथ है । कंपनी ने अपने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “हम एक महत्वपूर्ण विकास रनवे देखते हैं, जबकि हम अपने भागीदारों के साथ पुस्तक की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए काम करना जारी रखते हैं।” ऑफलाइन भुगतान में कंपनी का नेतृत्व 5.5 मिलियन से अधिक भुगतान उपकरणों के लिए भुगतान करने वाले व्यापारियों के साथ मजबूत होता है। पेटीएम सुपर ऐप का उपयोग भी एक और उच्च स्तर पर पहुंच गया है क्योंकि कंपनी ने कहा है कि उसके औसत मासिक लेनदेन उपयोगकर्ता (एमटीयू) नवंबर 2022 को समाप्त दो महीनों के लिए 33% वर्ष-दर-वर्ष 84 मिलियन हैं।
इस उपभोक्ता और मर्चेंट इकोसिस्टम ने कंपनी को नवंबर 2022 को समाप्त हुए दो महीनों के लिए ₹2.28 लाख करोड़ ($28 बिलियन), 37% की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि के लिए मर्चेंट पेमेंट वॉल्यूम (जीएमवी) एकत्र करने के लिए प्रेरित किया है। गौरतलब है कि पेटीएम अपने प्रस्तावित बायबैक को लेकर सुर्खियों में है। कंपनी के बोर्ड की योजना पर चर्चा करने के लिए 13 दिसंबर को बैठक होगी और मंजूरी मिलने के बाद ही पेटीएम एक्सचेंजों के साथ अधिक विवरण साझा करेगा। हालाँकि, बायबैक की खबर ने निवेशकों का विश्वास जगाया है ।

आम नागरिक की कहानी ‘तफ्तीश’

समीक्षक – शिव जायसवाल

तफ्तीश की कहानी गुलशाद नाम के एक आदमी की कहानी है। उसे बम विस्फोट की घटना के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसमें वह शामिल नहीं था। उसे आग लगा दी जाती थी और पुलिस द्वारा अनावश्यक रूप से पूछताछ की जाती थी। कहानी में एक पत्रकार है जो एक कवर तैयार करने की कोशिश करता है अपने अखबार में गुलशाद के लिए कहानी क्योंकि गुलशाद को मौत की सजा की घोषणा की गई थी। एक दिन रेहान थाने में अपने एक पुलिस मित्र से मिलने गया। वहां उसे एटीएस टीम और स्थानीय पुलिस इंस्पेक्टर त्यागी ने फंसा लिया। उन्होंने उसे साबित करके गोली मारने की कोशिश की। झूठे आतंकवादी के रूप में। लेकिन वे उसे मारने में असमर्थ थे। आखिरकार रेहान को उसके पुलिस मित्र प्रशांत वर्मा के विरोध के बावजूद पुलिस हिरासत में ले लिया गया। अंत में कहानी का नैतिक है सट्टा मे जयते (इसका मतलब है कि सत्ता में रहने वाले लोग और प्रशासनिक में। सत्ता उनके हाथ में है, वे सब कुछ हैं। आम नागरिक के लिए कुछ भी काम नहीं करता है। हमारे देश में कोई “सत्यमेव जयते” नहीं है, सट्टा मेव जयते है।

 हिंदी नाटक : तफ्तीश
लेखक : राजेश कुमार
निर्देशक : मृत्युंजय भट्टाचार्य
संगीत निर्देशक : दिशारी चक्रवर्ती
संगीत चालक : अधीर गांगुली
प्रकाश सज्जा : जयंत मुखर्जी
मंच सज्जा : नील कौशिक
रूप सज्जा : स्वपन आड्डी
वीडियोग्राफी : अरविंद गिरी
पोस्टर डिजाइन : विश्वजीत विश्वास
कलाकार :
अमित आदित्य
गगनदीप कौर
शिव जायसवाल
सुरजीत प्रमाणिक
अर्घ्य रॉय
आकाश मल्लिक

संजीव रॉय
मृत्युंजय भट्टाचार्य
एवं
गंभीरा भट्टाचार्य
पर्दे पर : समर्पिता चक्रवर्ती
: ज्यालिया नफीसा

साहित्य अकादमी कोलकाता में दलित चेतना केन्द्रित बहुभाषी कविता पाठ

कोलकाता । बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के 67वें महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर साहित्य अकादेमी क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता द्वारा ‘दलित चेतना’ कार्यक्रम के अंतर्गत बहुभाषी कविता पाठ का आयोजन किया गया। आरंभ में अकादेमी के क्षेत्रीय सचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने औपचारिक स्वागत करते हुए बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन और संघर्ष को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि अंबेडकर का जीवन हमे प्रेरणा तो देता ही है लेकिन उनका संघर्ष हमारे जीवन को हारने नहीं देता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बंगला दलित साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार मनोहर मौली विश्वास ने बाबा साहेब के जीवन से सीखने और उसको लागू करने की बात कही। उन्होंने बांग्ला और अंग्रेजी कविताओं का पाठ भी किया। कार्यक्रम में हिंदी कवि डॉ. कार्तिक चौधरी ने बाबा साहेब के जीवन को आधार बनाकर ‘आप न होते’, ‘नीला रंग’, ‘हमारे पूर्वज’ कविता का पाठ किया। बांग्ला के चर्चित कवि आशीष हीरा ने राम राजत्व, गृहज, दास दासत्व कविता का पाठ किया। वरिष्ठ कवि श्यामल कुमार प्रमाणिक ने हे आमार स्वदेश, एबार घूरे दारानो जाक कविता का पाठ किया। भोजपुरी कवि रामजीत राम उन्मेष ने मजदूरन का हाल, मरत बाटे जनता शीर्षक कविताओं का गीतात्मक शैली में पाठ किया। शशि कुमार शर्मा ने जब तक है संविधान तथा अन्य कविताओं का पाठ किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन अकादेमी के कार्यक्रम अधिकारी मिहिर कुमार साहू ने किया।

दर्द रहित हो सकती है दंत चिकित्सा – डॉ. मून चट्टराज

कोलकाता । दंत चिकित्सा पीड़ारहित हो सकती है और यह वास्तविकता है । आधुनिक दंत चिकित्सा पद्धति ने इसे सम्भव बनाया है । हाल ही में दंत चिकित्सक डॉ मून चट्टराज ने आधुनिक दर्द रहित दंत चिकित्सा की जानकारी दी । उन्होंने कहा, डेंटिस्ट शब्द सुनते ही हम सिहर जाते हैं । हम दाँतों की शल्य चिकित्सा और दर्द के बारे में सोचकर ही दांतों से जुड़े किसी भी उपचार से पीछे हट जाते हैं । बदलते समय के साथ दंत चिकित्सा से दर्द शब्द को गायब करने के लिए प्रयास चल रहे हैं । दंत चिकित्सक डॉ. मून चट्टराज ने दर्द रहित दंत चिकित्सा पद्धति पर विस्तृत चर्चा की । हाल ही में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में इस चर्चा के दौरान उनके द्वारा की गयी चिकित्सा से लाभान्वित कुछ अतिथियों भी अपने अनुभव साझा किये । अनुभव साझा करने वालों में ईस्ट बंगाल क्लब के अध्यक्ष एवं गायना डॉ. प्रणव दासगुप्ता, आमरी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के सीईओ रूपक बरुआ, कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. राजीव सील, निर्देशक जय गांगुली उपस्थित थे । डॉ. चट्टराज ने दंत चिकित्सा के क्षेत्र में नयी तकनीक, जानकारी, उपकरण की जानकारी दी । उन्होंने उन्नत एवं सफल चिकित्सा के लिए एंथेशिया पर चर्चा की । डॉक्टर डॉ मून चट्टराज ने कहा कि नई तकनीक, ज्ञान और नवीनतम उपकरणों के आगमन के साथ, दंत चिकित्सा लगभग दर्द मुक्त हो गई है। हम यहां तक कह सकते हैं कि अगर आधुनिक दंत चिकित्सा के इस युग में एक दंत चिकित्सक अपने रोगियों को दर्द और परेशानी पैदा कर रहा है, तो वे अधूरा इलाज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़े तो मरीज को किसी अच्छे चिकित्सक के पास भेजना चाहिए । एनेस्थीसिया और आईवी कॉन्शस सेडेशन देने के नए तरीकों ने रोगियों के लिए उपचार को बहुत आरामदायक बना दिया है। डॉ चटराज ने कहा हममें से अधिकांश रूट कैनाल उपचार को एक यातना मानते हैं और इसे गंभीर दर्द और परेशानी से जोड़ते हैं लेकिन रूट कैनाल प्रक्रिया जब एक कुशल दंत चिकित्सक द्वारा की जाती है, एंडोडोंटिस्ट माइक्रोस्कोप के तहत लगभग दर्द रहित होता है।
एस्थेटिक डेंटिस्ट्री का मतलब था किसी व्यक्ति की मुस्कान को ठीक करना और दांतों को अनैस्थेटिक तारों और धातु का उपयोग करके स्थिति में लाना। डेंटिस्ट्री की आधुनिक दुनिया विनियर और एस्थेटिक क्राउन के साथ इनविजिबल अलाइनर्स (इनविजलाइन) का विकल्प प्रदान करती है। डिजिटल डेंटिस्ट्री के आगमन के साथ अब रोगी के दांतों और प्रोफाइल को एक सॉफ्टवेयर से स्कैन किया जाता है और उसकी संपूर्ण मुस्कान के अनुसार इसे डिजाइन किया जाता है, इसे डिजिटल स्माइल डेंटिस्ट्री कहा जाता है। ऐसे मामलों में जहां समय सीमित है या रोगी ऑर्थोडॉन्टिक हस्तक्षेप की इच्छा नहीं रखता है या वांछित मुस्कान प्राप्त करने के लिए महीनों तक इंतजार करना चाहता है। डॉ. मून चट्टराज सदर्न एवेन्यू स्थित आमरी मेडिकल सेंटर में आधुनिक दंत चिकित्सा पद्धति से मरीजों का उपचार कर रही हैं ।

 

 

भवानीपुर एजुकेशन सोसायटी में 74वें एनसीसी स्थापना दिवस का आयोजन

कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज ने अपना पहला एनसीसी दिवस बड़े उत्साहपूर्वक मनाया। छात्र मामलों के हमारे डीन – प्रोफेसर दिलीप शाह, सम्मानित डीजी बीबीए विभाग के डॉ सुमन चक्रवर्ती सहित प्रतिष्ठित सेना कार्मिक
कमांडिंग ऑफिसर 31 बंगाल बटालियन एनसीसी, कर्नल सोमनाथ गुप्ता, मेजर समर प्रताप, 4/9 गोरखा राइफल्स और कमांडिंग ऑफिसर नंबर 1 बंगाल एयर स्क्वाड्रन, ग्रुप कैप्टन विष्णु शर्मा उपस्थिति ने कार्यक्रम का गौरव बढ़ाया।
जोश से भरे राष्ट्रीय कैडेट कोर पर एक संक्षिप्त परिचय के बाद, दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में फ्लेम कलेक्टिव और एनसीसी के छात्रों द्वारा वंदना नृत्य किया। इसके बाद सीडीटी अदिति ए संजय और सीडीटी रोहित दुबे द्वारा रचित एक कविता का पाठ हुआ,जिसका शीर्षक ‘कैडेट की अभिलाषा’ था फिर अग्नि मशाल द्वारा भारत माता को श्रद्धांजलि दी गई । छात्र
क्रेस्केंडो सामूहिक के छात्रों ने देश भक्ति गीत गाया जिसका सभी ने आनंद लिया। इसके बाद पूरे भारत में विभिन्न नृत्य रूपों और संस्कृतियों का सम्मिलन हुआ। एनसीसी कैडेटों द्वारा “एक भारत श्रेष्ठ भारत” का प्रदर्शन करते हुए प्राण-प्रतिष्ठा की गई। भवानीपुर कॉलेज के
कैडेटों ने हाल ही में जोधपुर राजस्थान में आयोजित कैम्प 22 में अखिल भारतीय वायु सैनिक ने कमाल का प्रदर्शन किया एक पत्र के साथ सम्मानित किया गया जो काबिलेतारीफ था। सीडब्ल्यूओ स्नेहा सेठिया, सीडब्ल्यूओ शशांक शेखर तिवारी, सी/एसजीटी सबिहा नूर, सी/एसजीटी की सराहना राहिल हक, एलएफसी मुकद्दस बिन नासिर और सीडीटी रोहन सिंह चावला। डीन प्रो दिलीप शाह ने लिया संबंधित अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया। कर्नल गुप्ता द्वारा प्रेरक वक्तव्य से अत्यधिक प्रेरणा मिली। सभी को भारतीय सेना द्वारा एक शानदार बैंड प्रदर्शन के लिए निर्देशित किया गया था बैंड के बाद मिलिट्री कॉम्बैट में इस्तेमाल किए गए वेपनरी के साथ-साथ ए 4/9 गोरखा राइफल्स रेजिमेंट के हमारे एयर विंग कैडेटों द्वाराएयरोमॉडलिंग का प्रदर्शन किया।
भवानीपुर स्कूल और कॉलेज दोनों के छात्रों और शिक्षकों ने हथियारों के उपयोग और निर्माण के विषय में जानकारी ली जो हरेक व्यक्ति के लिए रोमांचित करने वाला रहा।
पूरी प्रदर्शनी न केवल हमारे स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए बल्कि अन्य कॉलेजों के एनसीसी इकाइयों से संबद्ध के लिए भी खुली थी। एनसीसी दिवस समारोह का दर्शकों ने खूब लुत्फ उठाया और यह वास्तव में एक
सफल प्रदर्शन रहा। कैडेटों की व्यवस्थाओं और प्रयासों की सभी ने खूब सराहना की। बीबीए संकाय डायरेक्टर जनरल डॉ सुमन चक्रवर्ती और प्रोफेसर दिलीप शाह ने एनसीसी दिवस समारोह के लिए विद्यार्थियों को विभिन्न सुविधाएं देकर उत्साहित किया ।

सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में आयोजित हुआ समायन

कोलकाता । सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल ने हाल ही में स्कूल फेस्ट समायन आयोजित किया । महानगर के विशेष जरूरतमंद बच्चों के लिए आयोजित इस फेस्ट में स्कूल के स्नेह क्लब की कमेटी ने अपनी शिक्षिकाओं के मार्गदर्शन में 50 हजार रुपये की प्रायोजक राशि एकत्रित करने में सफलता प्राप्त की । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सुजाता सेन एवं प्रधान अतिथि के रूप में डॉ. प्रवीण कुमार उपस्थित थे ।
विशेष जरूरतमंद बच्चों से जुड़े सभी शिक्षण संस्थानों को आमंत्रित किया गया । फेस्ट में नोबेल मिशन, ओरल स्कूल, न्यू मिशन जूलियन डे, आई कैन फ्लाई, आशा स्कूल, मनोविकास केन्द्र, मेन्टेड, अक्षर एवं आईआईसीपी ने भाग लिया । कार्यक्रम का उद्घाटन श्लोक, गीतों एवं नृत्य की प्रस्तुति के साथ किया गया । इस फेस्ट में फैशन शो, नृत्य प्रतियोगिता, कला, आवृत्ति, रंगोली के अतिरिक्त कम्प्यूटर कौशल प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी । स्नेह क्लब ने इस अवसर पर स्टॉल भी लगाये।

शिक्षाविद अवधेश प्रधान और चंद्रकला पांडेय को प्रो.कल्याणमल लोढ़ा-लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान

 कोलकाता । इस वर्ष का ‘प्रोफेसर कल्याणमल लोढ़ा – लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान’ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी प्रोफेसर और सुप्रसिद्ध आलोचक डा. अवधेश प्रधान और कलकता विश्वविद्यालय की पूर्व- हिंदी प्रोफेसर और शिक्षाविद डा. चंद्रकला पांडेय को प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 28वें हिंदी मेला में 31 दिसंबर को दिया जाएगा। यह घोषणा आज सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की चयन समिति की ओर से डा. राजेश मिश्र और प्रो. संजय जायसवाल ने की। पुरस्कार में 21 हजार की प्रतीकात्मक राशि के अलावा शाल और मानपत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।
हिंदी मेला के पुरस्कार समारोह और ‘वर्तमान सभ्यता और आदिवासी’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में उपस्थित रहेंगे जानेमाने हिंदी लेखक रविभूषण, मोहनदास नैमिशराय, भगवानदास मोरवाल, मधु कांकरिया, महादेव टोप्पो,मृत्युंजय कुमार सिंह, पार्वती तिर्की आदि।

प्रो. कल्याणमल लोढ़ा लंबे समय तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर थे और एक समय उन्होंने बंगाल के विभिन्न कॉलेजों में हिन्दी विभाग खुलवाने और हिन्दी शिक्षण के प्रसार में बड़ी भूमिका निभाई थी। उनका जन्म राजस्थान में 1921 में हुआ था। वे कई ग्रंथों के लेखक और एक कुशल वक्ता थे। प्रो. चंद्रकला पांडेय ने लंबे समय तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर रहने के अलावा पूर्वोत्तर भारत के कई विश्वविद्यालयों से जुड़ी हुई थीं। वे एक कुशल अनुवादक हैं । 1993 से 2005 तक वे राज्यसभा की सांसद भी रहीं। उनके काव्य संकलन हैं ‘उत्सव नहीं है मेरे शब्द’, ‘आकाश कहां है’ ।

प्रो. अवधेश प्रधान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से साढ़े तीन दशक से अध्यापन से जुड़े हुए थे।। आपने ‘हिन्दी साहित्य के इतिहास की समस्याएँ,’ ‘कीर्तिलता और विद्यापति का युग’ , ‘साहित्य और समय’, ‘स्वामी सहजानंद सरस्वती और किसान आंदोलन’, ‘सीता की खोज’ सहित दर्जनों पुस्तकों का लेखन एवं संपादन किया है ।
पुरस्कार की निर्णायक समिति के अध्यक्ष हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक एवं भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डा. शम्भुनाथ थे। हिंदी शिक्षण में गुणवत्ता के सम्मान स्वरूप ‘ प्रोफेसर कल्याणमल लोढ़ा – लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान’ पश्चिम बंगाल के एक तथा देश के अन्य राज्यों के एक शिक्षाविद को लोढ़ा जी की पुत्री श्रीमती सुषमा लोढ़ा के सौजन्य से प्रति वर्ष प्रदान किया जाएगा।

पीढ़ी नयी हो या पुरानी, बदलाव की जरूरत दोनों को है

2022 का यह अंतिम महीना है और यह समय है गुजरे दिनों को देखने का..। क्या देखा और क्या सीखा हमने…यह साल तो युद्ध और हिंसा की वीभत्स तस्वीरें दिखाते हुए ही बीता है । बहुत कुछ बदला है, बहुत कुछ नया हुआ है मगर इस नयेपन के बीच हमारे हिस्से क्या आया और हम आने वाली पीढ़ी को क्या देने जा रहे हैं, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है । इस साल का अंत एक दिल दहला देने वाली घटना के साथ हो रहा है । श्रद्धा और आफताब को लीजिए क्या इस तरह की किसी भी नृशंस घटना को और उसके पीछे झाँकिए तो पता चलता है कि हमने हमारे आस – पास की दुनिया को कैसा बना दिया है। ऐसी विकृत मानसिकता कहाँ से आती है, हम अपने बच्चों को क्या सिखा रहे हैं और क्या दे रहे हैं…इस पर हमें सोचने की जरूरत है । कम से कम जो समाज मानवता, सहिष्णुता की बात करता है, उस समाज को तो अपने बचपन का इतना ध्यान तो रखना ही चाहिए था…क्या इस तरह की विकृत मानसिकता एक दिन की देन है…नहीं..और इसका समाधान क्या है ? हम यह कैसी दुनिया बना रहे हैं जहाँ आपसी सम्मान, सौहार्द और भावनाओं का कोई मोल ही नहीं है ?
युवाओं को दोष देकर अपनी जिम्मेदारी से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता । हमने उनके हिस्से के अधिकार और सम्मान का आधार उनको मिलने वाले मोटे पैकेज के अनुसार तय किया और यह देखे या सोचे बिना कि इस पैकेज के नाम पर हम उनकी गलतियों को नजरअंदाज करते रहे हैं क्योंकि उस पैकेज का लाभ हमें मिलता रहा है । हमने स्वतन्त्रता और स्वच्छंदता का अन्तर खुद मिटाया है…आधुनिकता के नाम पर शराब, धोखा, व्याभिचार…हर एक चीज को स्वीकार किया है और उसे अपनी जिन्दगी में जगह दी । बोया पेड़ बबूल का…आम कहाँ से होय..बच्चों को सब कुछ देने का मतलब उनकी गलतियों को नजरअंदाज करना, उनको अपना स्टेटस सिंबल बनाना नहीं होता । आप समझिए कि ऐसा क्यों है कि वह आपसे बात नहीं करते..बदलाव की जरूरत दोनों को है और जब दोनों साथ आएंगे…तभी नया सूरज उगेगा ।