Thursday, August 21, 2025
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27 साल बाद भारत में होगी मिस वर्ल्ड सौन्दर्य प्रतियोगिता 2023

नयी दिल्ली । मिस वर्ल्ड 2023 ब्यूटी पेजेंट इवेंट का आयोजन इस बार इंडिया में होने वाला है. इंडिया में ये आयोजन 27 साल के लंबे अंतराल के बाद हो रहा है.।
इसकी जानकारी हाल ही में मिस वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन की चेयरपर्सन और सीईओ मिस जूलिया मॉर्ले ने दी है. इससे पहले ये कार्यक्रम साल 1996 में भारत में आयोजित किया गया था ।
इस प्रतियोगिता की जानकारी देते हुए जूलिया मॉर्ले ने बताया कि मुझे ये घोषित करते हुए बहुत खुशी हो रही हूं कि 71वां मिस वर्ल्ड का फिनाले इस बार भारत में होने जा रहा है. इंडिया से मेरा हमेशा से खास लगाव रहा है. 30 साल पहल जब में यहां आई थी तभी भारत में मेरे दिल में बस गया था.
वहीं साल 2022 में मिस वर्ल्ड की विजेता रही कैरोलीना बिएलावस्क ने इस बात पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ‘भारत खुली बाहों से इस समारोह का स्वागत करने के लिए तैयार है। ‘
बता दें कि इस प्रतियोगिता में 130 से ज्यादा देशों की प्रतिभागी शामिल होंगी. जो इसमें होने वाले कई पड़ावों से गुजरेंगी । वहीं प्रतियोगिता का अंतिम चरण इसी साल के आखिर में नवंबर या दिसंबर में किया जाएगा ।
भारत में अभी तक इस प्रतियोगिता को रीता फारिया, बॉलीवुड अबिनेत्रियों, ऐश्वर्या राय बच्चन, डायना हेडन, युक्ता मुखी, प्रियंका चोपड़ा और साल 2017 में मानुषी छिल्लर ने जीता है । मिस वर्ल्ड 2022 करोलिना बिलावस्का ने बीते दिन गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से मुलाकात की थी ।

किऊल नदी में खुदाई के दौरान मिली 2000 साल पुरानी मूर्ति

लखीसराय । चानन प्रखंड के रामपुर गांव में देर शाम किऊल नदी से बालू उठाव के दरम्यान प्राचीन कालीन एक बड़ी अष्टधातु की मूर्ति किऊल नदी से बरामद हुई है । इसके पूर्व में भी कई मूर्तियां किउल नदी, लाल पहाड़ी और काली पहाड़ी से प्राप्त हो चुकी हैं, जो कि पटना संग्रहालय और लखीसराय के संग्रहालय थाना में रखी हुई हैं । इस संबध में लखीसराय के जिला अधिकारी अमरेन्द्र कुमार ने जानकारी दी है।
अमरेंद्र कुमार ने कहा कि किउल नदी चानन में बालू उठाव के दरम्यान रामपुर गांव के समीप किऊल नदी में बीस फीट खुदाई की गई । बालू उठाव के दरम्यान एक मूर्ति बरामद हुई थी और विशेषज्ञों के अनुसार  कि दो हजार वर्ष पुरानी मूर्ति है.
“लोक देवी की मूर्ति बताई जाती है । ये मूर्ति दो हजार वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के बौद्ध धर्म के उपासकों द्वारा यहां लाई गई होगी । वहीं लखीसराय में संचालित म्यूजियम एक्सपर्ट का भी कहना है कि मथुरा की रेड स्टोन की मूर्ति है ।
लोगों से डीएम की अपील: प्रेस के माध्यम से जिला अधिकारी ने लखीसराय के लोगों से अपील भी की है. उन्होंने कहा कि अब भी कई स्थानों पर प्राचीनकालीन मूर्तियों को प्रशासन के हवाले नहीं किया गया है । किसी को भी कोई मूर्ति मिलती है तो तुरंत इसकी सूचना दें ताकि समय पर कार्य शुरू हो सके । मूर्ति वापस करने वाले दाता का नाम हम मूर्ति में अंकित करवाएंगे.
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मूर्तियों के मिलने की सूचना के बाद अपने देखरेख में यहां काम शुरू करवाया और लखीसराय के लाल पहाड़ी की खुदाई की शुरूआत की गई थी।  करीबन दो सौ से अधिक अष्टधातु मूर्तियां मिली और उसे पटना के संग्रहालय में रखा गया. कई मूर्ति लखीसराय संग्रहालय में भी रखी हुई हैं ।

अभिनेत्री पद्मिनी, जिन्होंने सात समन्दर पार खोली नृत्य अकादमी

हिंदी सिनेमा में कई ऐसी अभिनेत्रियाँ हुई हैं, जिन्होंने अपने अभिनय के अलावा नृत्य प्रतिभा से लोगों के दिलों पर राज किया। कुछ हीरोइनें ऐसी रहीं, जिनके हुनर का रंग पूरी दुनिया पर छा गया, और हर किसी ने उनका लोहा माना। ऐसी ही एक अभिनेत्री रहींपद्मिनी। पद्मिनी का पूरा नाम पद्मिनी रामचंद्रन था। भरतनाट्यम में पारंगत पद्मिनी जब डांस करती थीं, तो सभी देखते रह जाते थे। इनके वैजयंतीमाला के साथ राइवलरी के चर्चे खूब आम रहे थे। पद्मिनी की 12 जून को 9वीं जयंती होती है ।
पद्मिनी का जन्म 12 जून 1932 को तिरुवनंतपुरम में हुआ था। उनकी दो और बहनें थीं, ललिता और रागिनी। इन तीनों बहनों को ‘ट्रावनकोर सिस्टर्स’ कहा जाता था। पद्मिनी ने 16 साल की उम्र में एक्टिंग की दुनिया में कदम रखे थे। फिल्मों में आने के बाद पद्मिनी ने तमिल और तेलुगू से लेकर हिंदी, मलयालम, और यहां तक कि रूसी भाषा की फिल्मों में भी खूब काम किया था।
पद्मिनी ने अपने कॅरियर में राजकुमार, प्रेम नजीर, शम्मी कपूर, राज कपूर, एनटी रामाराव और रेखा के पिता व एक्टर जैमिनी गणेशन तक के साथ काम किया। बॉलीवुड में पद्मिनी ‘मेरा नाम जोकर’ और ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में नजर आई थीं। 1960 में आई ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में पद्मिनी की जोड़ी राज कपूर के साथ थी। पद्मिनी ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1948 में बॉलीवुड फिल्म ‘कल्पना’ से की थी। इसके बाद उन्होंने अन्य भाषाओं की फिल्मों में काम किए।
अमेरिका को दी सबसे बड़ी शास्त्रीय नृत्य अकादमी
मात्र 16 साल की उम्र में करियर शुरू करने वालीं पद्मिनी ने दुनियाभर में अपनी सफलता का परचम लहराया। उनकी जिंदगी की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। साल 1961 में पद्मिनी ने अमेरिका के रहने वाले फिजिशयन से शादी कर ली, और फिर फिल्मों को अलविदा कह दिया। वह पति के साथ अमेरिका जाकर बस गईं और गृहस्थी पर ध्यान देने लगीं।
वार्नर ब्रदर्स संग काम करता है बेटा
पद्मिनी ने 1963 में एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम प्रेम रामचंद्रन है और वह अभी वार्नर ब्रदर्स के साथ काम करता है। साल 1977 में पद्मिनी ने न्यू जर्सी में एक क्लासिकल डांस स्कूल खोला, जिसका नाम ‘पद्मिनी स्कूल ऑफ आर्ट्स’ रखा। आज पद्मिनी के इस स्कूल की गिनती अमेरिका के सबसे बड़े शास्त्रीय नृत्य संस्थानों में होती है।

14 की उम्र में शादी, 18 साल तक दो बेटियों की मां और अब आईपीएस

दसवीं से स्नातक तक दूरस्थ शिक्षा केन्द्र से की पढ़ाई

चेन्नई । किसी भी हुनर को सीखने, पढ़ाई करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती । पढ़ाई करना भी ऐसा ही एक हुनर है जो आपको हर ओर से रौशन करता है. ये कहानी आईपीएस बन चुकी एन अंबिका की । अंबिका का सफर ज़िंदगी के उस मोड़ से शुरू हुआ, जहां पहुंचकर ज्यादातर लोगों को लगता है, अब कुछ नहीं कर सकते । वह यही ज़िंदगी है. लेकिन अंबिका ने उस मुश्किल दौर से अपने सफर की शुरुआत की ।
एन अंबिका तमिलनाडु से हैं. उनकी शादी जब हुई, तब उनकी उम्र 14 साल थी । पति पुलिस में कांस्टेबल थे । 18 साल तक की उम्र तक वे दो बेटियों की मां बन गई थीं । ज़िंदगी खुशी से बीत रही थी. लेकिन कब कहां क्या बात कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित कर जाए, इसका अंदाजा हम में से किसी को नहीं है । दो बच्चों की मां अंबिका कांस्टेबल पति के साथ ‌गणतंत्र दिवस पर गईं थी. वहां देखा, पति ने अधिकारियों को सैल्यूट किया । वो लम्हा उनके मन में ठहर गया.
अंबिका ने पति से पूछा, उन्होंने जिन लोगों का सैल्यूट किया, वे कौन थे । पति ने बताया वे सीनियर अधिकारी थे. वैसा ही सीनियर अधिकारी बनने का ख्वाब उन्होंने मन में बसा लिया ।  बचपन में छूटी पढ़ाई फिर से शुरू की । गृहस्थ जीवन में रम चुकी दो बच्चों की मां रेगुलर तो पढ़ने नहीं जा सकी, डिस्टेंस मोड से पढ़ाई शुरू की. 10वीं, 12वीं, और स्नातक की पढ़ाई की । .
ग्रेजुएशन के बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू करनी चाही, लेकिन जहां रहती, वहां यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग वगैरह की सुविधा नहीं थी । कोचिंग के लिए चेन्नई जाने का फैसला किया ।  बच्चों को छोड़कर जाना, मां के लिए दुनिया का सबसे मुश्किल काम है । अंबिका के लिए भी था।  पति ने यकीन दिलाया. साथ दिया, बच्चों को संभाला, तब वे जा पाईं।
एन. अम्बिका के पति ने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । जब वह परीक्षा की तैयारी कर रही थी तो उसने अपने बच्चों की देखभाल की,  इस समर्थन से वे सपना सच कर सकीं ।  परीक्षा की तैयारी करने के लिए वह चेन्नई चली गईं । प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती. उनका मानना ​​है कि अखबार पढ़ना यूपीएससी की तैयारी का एक अनिवार्य हिस्सा है. उम्मीदवारों को परीक्षा के प्रत्येक खंड के लिए केवल एक ही स्रोत का उपयोग करने की सलाह दी है।
प्रत्येक सेक्शन के लिए कई स्रोतों का उपयोग करने से उम्मीदवार भ्रमित हो सकते हैं और उनके रिवीजन का समय सीमित हो सकता है । एन. अम्बिका यह भी सुझाव देती हैं कि अधिक से अधिक प्रश्नों के उत्तर दें और मॉक टेस्ट सीरीज़ में उपस्थित हों ताकि अच्छे उत्तर लिखने के बारे में एक स्पष्ट विचार बने जो अच्छी यूपीएससी रैंक पाने में मदद करेग ।
पिछली गलतियों से सीखते हुए एन. अंबिका ने अपने चौथे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की। उसने अपनी हर कोशिश से कुछ न कुछ सीखा ।  अंबिका को सिविल सेवा परीक्षा के शुरुआती तीन प्रयास में केवल निराशा हाथ लगी थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.उनके पति ने भी नौकरी कर रही औरतों की तरह, नौकरी के साथ घर व बच्चे संभाले. 2008 में सभी की मेहनत रंग लाई. सिविल सेवा परीक्षा के चौथे प्रयास में अंबिका का आईपीएस बनने का सपना पूरा हुआ ।
(स्त्रोत – न्यूज 18)

पुराना किला में एएसआई को मिले 2500 साल पुराने ऐतिहासिक प्रमाण

मौर्य काल में इस्‍तेमाल किए जाने वाली राज मुद्राएं और सिक्‍के भी मिले
दिल्ली के मथुरा रोड स्थित पांडवों के गढ़ पुराना किला की खुदाई चर्चा में बनी हुई है। देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी जगह पर 2500 साल का इतिहास मिला हो। खास बात है कि यहां भगवान विष्‍णु, गणेश और माता लक्ष्‍मी की मूर्तियां भी मिली हैं। इसके अलावा मौर्य काल में इस्‍तेमाल किए जाने वाली राज मुद्राएं और सिक्‍के मिले हैं।
कहा जाता है कि यमुना किनारे स्थित प्राचीन किलों में से एक पुराना किला पांडवों की राजधानी थी, लेकिन अबतक की खुदाई में इसका कोई सबूत नहीं मिला था। अब ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने 2500 साल का इतिहास खोज निकाला है। महाभारत से जुड़े पुराने किले के राज को दुनिया के सामने लाने के लिए एएसआई ने पांचवीं बार किले की खुदाई जनवरी में शुरू की थी।
पुराना किला की खुदाई के पीछे क्‍या है सरकार की मंशा?
दिल्‍ली का पुराना किला 300 एकड़ में फैला है लेकिन किले के अंदर की जमीन के भीतर 3000 साल पुरानी सभ्‍यता मौजूद हैं। किले के बाहर जो शिला लगी हुई है उसपर भी महाभारत काल का जिक्र किया गया है। साथ में इस बात का भी जिक्र है कि ये किला जिस टीले पर स्थित है वो महाभारत काल में इंद्रप्रस्‍थ रहा होगा।
एएसआई अब उसी का पता लगाना चाहती है लिहाजा खुदाई का काम जारी है। 1954 से लेकर अब तक 4 बार खुदाई हो चुकी है। 5वीं बार दिल्ली के पुराने किले की खुदाई एएसआई कर रहा है। 4 बार की खुदाई के दौरान मुगल काल, सल्तनत काल, राजपूत काल, गुप्त काल, कुषाण काल और मौर्य काल के सबूत मिले थे। एएसआई को उम्मीद है कि मौर्य काल से पहले की जो सभ्यता है उसके सबूत किले के अंदर मौजूद हैं और वो महाभारत काल के हो सकते हैं।
कब-कब हुए महाभारत काल के खोज
पुराना किले की खुदाई 1969, 1973 में पद्मश्री प्रोफेसर बीबी लाल की अगुवाई में हुई थी। इसके बाद साल 2013 और 2014 में एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी वसंत कुमार स्वर्णकार की अगुवाई में खुदाई हुई।
खुदाई में मिला करीब 1000 साल पुराना कुआं मिला
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को यहां मौर्यकालीन कुआं मिला है। इसकी गोलाई करीब 70 सेंटीमीटर है। अभी यहां खुदाई का काम जारी है। उम्मीद है कि कुएं से बहुत से दूसरे अवेशष भी मिल सकते हैं। इससे यहां का इतिहास 2500-3000 साल पहले का हो सकता है। एएसआई इसे अपनी बड़ी कामयाबी मान रहा है। पुरातत्वविदों का कहना है कि पांडव काल की खोज से जुड़ी एएसआई की कोशिश को इससे बल मिलेगा।
खुदाई में अबतक क्‍या-क्‍या मिला
कुंठ विष्णु की मूर्ति
टेराकोटा लक्ष्मी की मूर्ति
भगवान गणेश के स्टोन की मूर्ति
अलग-अलग काल की राज मुद्राएं
इंसान और जानवर के कंकाल

एमसीसीआई में क्यूरेटेड सोशल स्टॉक एक्सचेंज और सोशल ऑडिट पर विशेष चर्चा सत्र 

मर्चेंट्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की लीगल काउंसिल की चेयरपर्सन ममता बिनानी द्वारा संयोजित

कोलकाता । मर्चेंट्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआई )में सोशल स्टॉक एक्सचेंज और सोशल ऑडिट पर एक विशेष चर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इसे आईसीएसआई के पूर्व अध्यक्ष और मर्चेंट्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की लीगल काउंसिल की चेयरपर्सन ममता बिनानी द्वारा क्यूरेट किया गया।
इस मौके पर श्री अनिकेत तलाती (राष्ट्रीय अध्यक्ष, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया), श्रीमती रूपंजना दे (सदस्य, सेंट्रल काउंसिल, इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनीज सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया), श्री विजेंदर शर्मा (राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया), श्री दिलीप बी देसाई (अध्यक्ष, डीएचसी – देसाई हरिभक्ति), श्री रजनीश गोयनका (राष्ट्रीय अध्यक्ष, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम), श्रीमती रचना भुसारी, (उपाध्यक्ष, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड), श्री मिलन बोचीवाल (सलाहकार, जीवाईआर कैपिटल एडवाइजर्स, मर्चेंट बैंकर), श्री सिद्धार्थ सान्याल (मुख्य अर्थशास्त्री और प्रमुख अनुसंधान, बंधन बैंक), श्री अविक गुप्ता (वरिष्ठ प्रबंधक, प्राथमिक बाजार संबंध, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड) और श्रीमती सहाना भौमिक, (निदेशक, डीआईटीओ समाज कल्याण संघ) इस चर्चा सत्र में ऑनलाइन शामिल हुए, जबकि देसाई, सान्याल, गुप्ता और बोचीवाल इस सत्र में शारीरिक रूप से उपस्थित थे।

इस मौके पर सीएस, डॉ. और अधिवक्ता श्रीमती ममता बिनानी (पूर्व अध्यक्ष आईसीएसआई और लीगल काउंसिल ऑफ मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की चेयरपर्सन) ने कहा, सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) को एक मंच के रूप में बनाया गया था, ताकि सामाजिक उद्यमों को विभिन्न प्रकार के फंडिंग करने वाले संगठनों को इससे जुड़ने में सक्षम बनाया जा सके। इन उद्यमों के लिए उनकी सामाजिक पहलों में वित्त की तलाश करने और धन जुटाने के साथ बढ़ी हुई पारदर्शिता और उत्तरदायित्व प्रदान करने के लिए एक माध्यम के रूप में सेवा करके लाभकारी संगठनों (एफपीओ) और गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) के बीच की खाई को पूरा किया जा सके। वर्ष 2018 में सेबी के आईसीडीआर के 16 ​​सम्मोहक मानदंड हैं, जैसे भूख, गरीबी और कुपोषण को दूर करना, शिक्षा को आगे बढ़ाना, रोजगार, समानता और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे अन्य महत्वपूर्ण विचार इसमें शामिल हैं।

भवानीपुर कॉलेज में ‘पर्यावरण बचाओ, हरियाली लाओ’ नृत्य कार्यशाला 

कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज में पर्यावरण बचाओ, हरियाली लाओ और पेड़ों को बचाओ विषय पर एक नृत्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ों को बचाना आवश्यक है। इसके लिए तीन दिन की शास्त्रीय नृत्य कार्यशाला में छात्र छात्राओं ने नृत्य द्वारा अपने भावों को अभिनयात्मक रूप दिया। यह हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे अच्छा उपहार है। पर्यावरण को हरा-भरा रखने के लिए नृत्य द्वारा विद्यार्थियों के लिए अभिव्यक्ति देना सबसे अच्छा तरीका है। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर विश्व को ग्रीन हाउस बनाने में योगदान दिया जा सकता है। इस कार्यशाला का संचालन प्रसिद्ध नृत्यांगना आचार्य अनुसूया घोष बनर्जी द्वारा किया गया और श्रीमती संचिता मुंशी साहा द्वारा समन्वयित किया गया। कार्यशाला बहुत सफल रहा और छात्र छात्राओं ने बहुत आनंद उठाया। इस कार्यक्रम की सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

भवानीपुर कॉलेज में मजरूह सुल्तानपुरी की याद में गजलों भरी शाम

कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के बुक रिडिंग सेशन के अंतर्गत उर्दू साहित्य के शायर और फिल्मों के गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को ग़ज़ल कार्यक्रम में श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर विद्यार्थियों के लिए ग़ज़ल विधा पर चर्चा की गई और उनके गीतों को गाया गया। उनकी मशहूर ग़ज़ल ‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर /लोग आते गए और कारवाँ बनता गया’ थीम पर आधारित इस कार्यक्रम में अन्य शायरों के गीतों को भी गाया गया।
उर्दू साहित्य के शायर और फिल्मों के गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने अपने जीवन के छह दशकों में 350 फिल्मों में 2000 से भी अधिक गाने लिखे। मजरूह साहब की फिल्मों के बहुत से गाने लगभग हिट रहे। तीसरी मंजिल, तीन देवियाँ, ज्वेल थीफ आदि के बेहतरीन गानों के लिए अवार्ड भी मिले और पहले गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को 1993 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित सम्मानित हुए।
इस कार्यक्रम के मेहमानों में प्रसिद्ध युवा पीढ़ी की ग़ज़लकारा स्वाति वर्धन जो नई कविता और गजलों की कमपोजर और गायिका ने अपने गीतों को गाया। डॉ अभिज्ञात हिंदी साहित्यकार, कवि, लेखक, गजलकार और पेशे से पत्रकार, हिंदी और बांग्ला की कई फिल्मों में अभिनय , भोजपुरी गीतकार ने ग़ज़ल विधा की बारिकियों पर चर्चा की और अपनी ग़ज़लें भी सुनाई जिसे बहुत पसंद।किया गया। किस्सा गोई और थियेटर पर्सनालिटी पलाश चतुर्वेदी ने शेर सुनाए। युवा थियेटर और दस्ताने गोई के बेहतरीन कलाकार ने ग़ज़ल के लिखने के क़ायदे पर अपने अंदाज़ में गजल सुनाई। संगीतज्ञ और युवाओं के लोकप्रिय गायक सौरभ गोस्वामी ने गीत ‘होठों से छू लो तुम’ गाकर सभी श्रोताओं को मुग्ध किया। इस अवसर पर डॉ वसुंधरा मिश्र ने बहादुर शाह जफ़र की ग़ज़ल हमने दुनिया में आके क्या देखा जो भी देखा इक ख़्वाब सा देखा सुनाई। दस से अधिक विद्यार्थियों ने ग़ज़ल कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उज्जवल करमचंदानी,प्रत्युष तिवारी, रवि सिंह, कशिश सॉ, पीटर, देवांग नागर, अर्पिता विश्वास, अंजली अग्रवाल,मुस्कान कोठारी, नम्रता चौधरी आदि कई छात्र- छात्राओं ने गीत और ग़ज़ल सुनाई जिसे सभी ने पसंद करते हुए दाद दी गई।
ग़ज़ल विधा को विद्यार्थी जाने इसलिए इस कार्यक्रम के आयोजन में कॉलेज के डीन प्रो दिलीप शाह ने अपने वक्तव्य में कहा और कार्यक्रम में पूर्ण सहयोग दिया। प्लेसमेंट हॉल में ग़ज़ल गायकों और विद्यार्थियों के शामे – ग़ज़ल के अनुरूप साज- सज्जा का इंतजाम करवाया गया जिसमें जमीन पर गद्दों पर बैठने के इंतजाम के साथ, लाइटिंग, शमां लैंप, झूमर और गुलाब जल का छिड़काव किया गया। कार्यक्रम के पश्चात चाय और नाश्ते का इंतजाम किया गया। संचालन और संयोजन डॉ वसुंधरा मिश्र ने किया।मयंक शर्मा ने काव्य, गीत और ग़ज़ल पाठ के लिए विद्यार्थियों को आमंत्रित किया। क्रिसेंडो, इन एक्ट, आर्ट एन मी के विद्यार्थियों और कार्यक्रम की कोआर्डिनेटर काव्या गुप्ता ने कार्यक्रम के रजिस्ट्रेशन और व्यवस्थाओं में सक्रिय योगदान दिया। प्रातःकालीन कॉमर्स सत्र की कोआर्डिनेटर प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी, प्रो दिव्या उदेशी और समीक्षा खंडूरी का विशेष सहयोग रहा। ग़ज़ल कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

डॉ. वसुंधरा मिश्र की 2 नयी ई पुस्तकें शुभ सृजन प्रकाशन पर

प्रख्यात साहित्यकार डॉ. वसुंधरा मिश्र की नयी ई पुस्तक शुभ सृजन प्रकाशन पर…यह पुस्तक लेखिका की साहित्यिक धरोहर का खजाना है । पुस्तक में आलेख, साहित्यिक संस्मरण, समीक्षा और कविताएं हैं जो इन्होंने समकालीन साहित्यकारों एवं घटनाओं को आधार बनाकर रची हैं ।
गीताश्री, ज्योत्सना मिलन, उषा किरण खान से लेकर गालिब, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर से लेकर पद्मश्री डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र, गौतम बुद्ध, महावीर, आयुर्वेद समेत कई विविध विषयों पर लेखनी चली है ।
इसके साथ ही कई पुस्तकों की समीक्षा भी इस पुस्तक में है जिसमें किशन दाधीच, नमिता जायसवाल, पूनम त्रिपाठी जैसी लेखिकाओं की कृतियों की समीक्षा है ।
सृजन के पन्ने (ई पुस्तक)
शुभ सृजन प्रकाशन
मूल्य – 100 रुपये

खबरों में भवानीपुर का दूसरा संस्करण सामने है…ई पुस्तक में संस्थान की गतिविधियों की झलक है..

पुस्तक की कीमत 50 रुपये

मैं बनारस हूं

  • बब्बन

मैं बनारस हूं।
भक्ति भाव से ओतप्रोत,
आध्यामिकता का उज्जवल कपोत,
पूजन,वन्दन का अक्षय श्रोत।
जिसको स्पर्श किया वो बना सोना,
वो अनमोल मैं पत्थर पारस हूं।
बाबाभोले का नगर बनारस हूं।

कहीं कबीर की साखी हूं।
कहीं नजीर की रूबाई हूं।
भारतेन्दु का अमर साहित्य हूं मैं,
कहीं तुलसी के मानस की चौपाई हूं।
संकट मोचन की आरती में गूंजे,
वो बिस्मिल्लाह खान की मैं शहनाई हूं।
लमही का प्रेमचंद भी मेरे अन्दर,
यहीं कामायनी के हैं जयशंकर।
विश्वनाथ धाम पहचान मेरी,
मैं हीं हूं मानस मन्दिर।
कबीर ने जिसको धरिदीन्ही,
वो चदरिया मैं जस की तस हूं।
बाबा भोले का नगर बनारस हूं।
आस्था की डगर बनारस हूं।

  • बनारस से