Monday, September 15, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]
Home Blog Page 739

पहली बार रितेश को जेनेलिया ने किया था नजरअंदाज

मुंबई. रितेश देशमुख और जेनेलिया डिसूजा की पहली मुलाकात हैदराबाद में फिल्म ‘तुझे मेरी कसम’ के टेस्ट शूट के दौरान हुई थी। दोनों एक-दूसरे के को-स्टार थे। जेनेलिया जब पहली बार रितेश से एयरपोर्ट पर मिलीं तो उन्हें इग्नोर करती रहीं। वे अपनी मां के साथ थीं।  रितेश के पिता उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। इसलिए जेनेलिया को लगा कि रितेश भी नेता ही होंगे, लेकिन जब वे उनसे मिलीं और उन्होंने अपने परिवार वालों के प्रति उनके दिल में सम्मान देखा तो वे बहुत प्रभावित हुईं।  शूटिंग के बाद रितेश ने कई दिनों तक जेनेलिया को मिस किया। फिर दोनों की फोन पर बातें होने लगीं। दोनों देर रात को कॉफी हाउस में मिलते और घंटों बतियाते। धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई। दोनों करीब दस साल तक एक-दूसरे को डेट करते रहे। ये बात आज तक किसी को याद नहीं कि किसने किसे पहले प्रपोज किया। 2012 में दोनों ने शादी कर ली। रितेश कहते हैं कि उन्हें जेनेलिया की मजबूत याददाश्त सबसे बेकार लगती है। उन्हें हर बात याद रहती है। कब उन्होंने क्या कहा था। जबकि जेनेलिया को रितेश की सबसे खराब आदत लगती है उनका हर समय बिजी रहना। वे कहती हैं कि रितेश खुद को हर समय बिजी दिखाने की कोशिश करते हैं।नवंबर 2014 में जेनेलिया ने बेटे रियान को जन्म दिया। अब वे दूसरे बच्चे की मां बनने वाली हैं।

 

ईडेन में रचा गया विराट इतिहास, भारत जीता

कोलकाता.यहां ईडन गार्डन्स पर हाईवोल्टेज मैच में भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर हरा दिया। विराट कोहली का जादू ऐसा चला कि पाकिस्तान मैच में वापसी तक नहीं कर पाया। विराट हीरो बन गए। शोएब अख्तर ने कहा- अब तो कहना पड़ेगा कि विराट कोहली जैसा बैट्समैन मैंने आज तक नहीं देखा। आफरीदी ने हार के बाद कहा कि अगर उनकी टीम ने 30 रन ज्यादा बनाए होते तो नतीजा शायद कुछ और होता। वहीं, पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान ने बिना नाम लिए आफरीदी को धोनी से सीखने की नसीहत दी है। विराट जैसा फिनिशर नहीं देखा………

– एक टीवी चैनल से बातचीत में शोएब ने कहा, “कई बैट्समैन की बात होती है। लेकिन मैं आज सिर्फ विराट की बात करूंगा। मैं बहुत बड़ा स्टेटमेंट दे रहा हूं लेकिन सच्चाई तो बतानी पड़ेगी। और सच्चाई ये है कि मैंने अपने 20-22 साल के कॅरियर में विराट जैसा बैट्समैन और उसके जैसा फिनिशर नहीं देखा।”

इमरान ने उठाए आफरीदी की कप्तानी पर सवाल

 पाकिस्तान को वर्ल्ड कप जिता चुके पूर्व कप्तान इमरान खान आफरीदी से खासे खफा नजर आए।

– इमरान ने आफरीदी की नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा, “भारत के तीन विकेट जल्दी गिर जाने के बाद उन पर प्रेशर बनाना चाहिए था। यहां कप्तान का रोल था लेकिन कहना पड़ेगा कि ऐसा किया नहीं गया। वो भी तब जबकि हमारी टीम में सीनियर प्लेयर भी राय देने के लिए मौजूद थे। धोनी से सीखने की जरूरत है।”

खुद विराट ने क्या कहा?

मैन ऑफ द मैच से नवाजे गए विराट ने मैच के बाद कहा, “विकेट काफी चैलेंजिंग था। और एक क्रिकेटर के नाते आपको ऐसे ही विकेट्स चाहिए। पिछले मैच में जल्दी आउट हो गया था। इसके बाद मैं काफी मायूस हुआ था। पाकिस्तान के खिलाफ ढाका में 49 रन की पारी ने मुझे बहुत ताकत दी थी। बहुत अच्छा लगता है जब आप एक शानदार बॉलिंग साइड के खिलाफ न सिर्फ रन बनाते हैं बल्कि अपनी टीम को खराब हालात से निकालकर मैच जिता देते हैं। युवी ने कुछ देर हालात को समझा और इसके बाद वो अपने अंदाज में नजर आए। ये उनके लिए बहुत अच्छा रहा।”

आफरीदी को मलाल कि 30 रन कम बनाए

हार के बाद शाहिद आफरीदी बोले- धोनी और टीम इंडिया को बधाई। मुझे ऐसी पिच की उम्मीद नहीं थी। हमने 30 रन कम बनाए और बॉलिंग भी अच्छी नहीं की। मैं खुद भी अच्छी बॉलिंग नहीं कर पाया। विराट ने बेहतरीन बैटिंग की।

धोनी ने क्या कहा?

“विकेट पर इतने टर्न की उम्मीद नहीं थी। हमने अच्छा खेला लेकिन इम्प्रूवमेंट की बहुत गुंजाइश है। नॉकआउट में पहुंचने के बाद दूसरा मौका नहीं मिलेगा। अगर मैच के पहले पता होता कि पिच पर इतना टर्न होगा तो मैं एक और स्पिनर खिलाता।”

मैच से पहले दोनों देशों के लिजेन्ड्स का सम्मान

– मैच से पहले सीएम ममता बनर्जी ने दोनों देशों के लिजेन्ड्स को सम्मानित किया। इनमें सुनील गावसकर, इमरान खान, सचिन तेंडुलकर, वसीम अकरम, वीरेंद्र सहवाग और वकार यूनिस शामिल हैं।

– अमिताभ बच्चन भी बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन की तरफ से नवाजे गए। सौरव गांगुली भी मौजूद थे।

– सचिन, अंजली, अमिताभ, अभिषेक बच्चन, मुकेश और नीता अंबानी तिरंगा लहराते नजर आए। मोदी ने भी टीम को बधाई दी।

स्पीच में क्या बोले तेंडुलकर-अमिताभ?

– सम्मान समारोह के दौरान जब-जब भारतीय खिलाड़ियों का नाम लिया गया, पूरा स्टेडियम जोश से भर उठा।
– सबसे ज्यादा चीयर-अप सचिन के नाम पर हुआ। काफी देर तक पूरा स्टेडियम ‘सचिन…सचिन…’ के नारों से गूंजता रहा।
– लगा जैसे एक बार फिर सचिन मैदान पर कोई ऐतिहासिक पारी खेल रहे हों।

– मैच खत्म होते ही नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “Congratulations Team India for the amazing victory.”

– मैच देखने कोलकाता पहुंचे अमिताभ बच्चन सचिन तेंडुलकर की फैमिली के साथ बैठे थे।

– जैसे ही इंडिया जीती सचिन और अमिताभ तिरंगा लहराते नजर आए। इस दौरान अमिताभ का उत्साह देखते ही बनता था।

स्पीच में क्या बोले तेंदुलकर?
– दर्शकों के रिएक्शन से गदगद नजर आ रहे सचिन ने बंगाली में अपनी स्पीच देने की कोशिश की और बोले, “कमोन आचो भालो आचि”।
– “यहां का माहौल बहुत शानदार है। मैं यहां आने के लिए हमेशा उत्साहित रहता हूं। पाकिस्तान के दिग्गजों को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।”
– “हम सभी उनका स्वागत करते हैं। क्रिकेट का मजा लीजिए।”

अमिताभ बोले- मैं आपका जमाई बाबू…
सम्मानित किए जाने पर अमिताभ ने कहा, ”मैं आपका जमाई बाबू हूं। मेरा नमस्कार स्वीकार करें। मुझे यहां इनवाइट करने के लिए सौरव और सीएबी का शुक्रिया जिन्होंने मुझे इस

ऐतिहासिक ग्राउंड पर इस ऐतिहासिक मैच का गवाह बनाया। मैं मैच के लिए दोनों टीमों को बेस्ट ऑफ लक कहता हूं। उम्मीद है बेहतर टीम जीतेगी। मैं ममता दी का भी शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने हमें दोनों देशों के बीच शांति का सिंबल बनाया।”

इमरान ने कोलकाता को कहा- थैंक्य यू!
– इमरान ने कहा, ”पाकिस्तान टीम की तरफ से मैं कोलकाता के लोगों का इस शानदार स्वागत के लिए शुक्रिया अदा करता हूं। उम्मीद करता हूं आज भी वही रिजल्ट होगा जो 1991 में जब मैं आखिरी बार इस ग्राउंड पर खेला था।”

 ऐसी पिच पर टारगेट का पीछा आसान नहीं

– इस पिच पर 6 रन प्रति ओवर का टारगेट भी आसान नहीं होता। – @bhogleharsha
– ईडन गार्डन्स के इस पिच पर 40 रन का स्कोर किसी भी दूसरे विकेट पर 100 रन बनाने के बराबर है। – Mohammad Kaif ‎@KaifSays
– पाकिस्तान ने एक पेस बॉलर के बदले एक स्पिनर को ड्रॉप किया। ऐसी पिच के बावजूद यह फैसला तो मजाक हो गया। – @iramizraja
– डियर पिच क्यूरेटर्स। पिच पर थोड़ी सी घास छोड़ देने के मायने ये नहीं हैं कि वह सीम कराने लायक हो जाए। यह स्पिन फ्रेंडली जरूर रहेगा। – @sanjaymanjrekar

– #ROCKSTAR Pandya ने क्या जबर्दस्त कैच लिया। – @JontyRhodes8

– 26 रन बनाकर आउट हुए शोएब मलिक ने कहा कि टीम के लिए कुछ रन बनाना बेहद मुश्किल है। इस पिच पर बैटिंग आसान नहीं है। मैंने सोचा था कि अगर हम 120 रन बना लेंगे तो टीम इंडिया के लिए काफी मुश्किल होगा।

बॉलीवुड पर भी छाया क्रिकेट का खुमार

– अमिताभ बच्चन और पाकिस्तानी गायक शफाकत अमानत अली ने मैच से पहले अपने-अपने देश की एंथम गाई।
– कोलकाता के लिए रवाना होने से पहले अभिषेक ने पिता के साथ एक फोटो शेयर करते हुए लिखा “Bachchan boyz in da house!!! Let’s do this India!!”
– प्रियंका चोपड़ा ने इंस्टाग्राम पर टीम इंडिया का सपोर्ट करती एक फोटो शेयर करते हुए लिखा ”I’ll always #bleedblue can’t wait!! Indiaaaaaaa india! Go team !”
– बिपाश बसु ने भी टीम इंडिया के सपोर्ट में अपनी सेल्फी अपलोड की। उन्होंने बाकी लोगों को भी ऐसा करने के लिए कहा।

टी20 वर्ल्ड कप में भारत-पाकिस्तान

– टी20 वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच 5 मैच हुए हैं। सभी में टीम इंडिया की जीत हुई है।

– 50 ओवर के वर्ल्ड कप को मिला दें तो अब टीम इंडिया पाक के खिलाफ सभी 11 मुकाबले जीत चुकी है।

कब कहां कितना रहा इंडिया की जीत का अंतर

14 सितंबर, 2007 डरबन बॉल आउट से मिली जीत

24 सितंबर, 2007 जोहानिसबर्ग 5 रन

30 सितंबर, 2012 कोलंबो 8 विकेट

21 मार्च, 2014 ढाका 7 विकेट

19 मार्च, 2016 कोलकाता भारत 6 विकेट से जीता।

ये तो जैसे आदत हो गई…
– WC में फिर हारा पाक, भारत का स्कोर अब 11-0
– विकेट गिरे, कोहली टिके
– आखिर में आए धोनी, मारा छक्का, मिली जीत
– आफरीदी फिर फेल

ऐसा जो अक्सर नहीं होता…

– एक मैदान पर नजर आए गावस्कर, सचिन, गांगुली, इमरान खान, वसीम अकरम, वकार यूनुस और अमिताभ बच्चन।
– टीम जीती तो अमिताभ, सचिन, अंजली, मुकेश और नीता अंबानी तिरंगा लहराते दिखे।

और इत्तेफाक

– 2007 T20 WC में इंडिया पहले न्यूजीलैंड से हारा, फिर पाक से जीता, बाद में बना चैम्पियन।
– क्या इस बार भी इसी राह पर है धोनी ब्रिगेड?

 

रंगों के त्योहार पर हो जाए तीखा और मीठा

बेक्ड गुझिया

baked gujhia

सामग्री – गुझिया के आटे के लिए, 1 कप मैदा, 2 टेबल स्पून घी ,1/4 कप दूध

भरावन के लिए -200 ग्राम मावा, 100 ग्राम चीनी पाउडर,1 टेबल स्पून कन्डेन्स्ड मिल्क,1 टेबल स्पून इलाइची पाउडर, 10-12 काजू, कटे हुए , 1 टेबल स्पून किशमिश, 1 टेबल स्पून चिरोंजी 

विधि – एक बॉउल में मैदा और घी को गरम करके मिला लें। इसके बाद दूध को हल्का गरम करके इससे सख्त आटा गूंथ लें और आटे को ढककर 20 मि‍नट के लिए अलग रख दें। मावा को एक प्‍लेट में डालकर 1 मिनट के लिए माइक्रोवेव में रख कर भून लें। भूने हुए मावा में कटे हुए काजू, किशमिश, चिरौंजी और इलाइची पाउडर डालकर अच्‍छी तरह मिला दें और इसे ठंडा होने के लिए रख दें। मावा ठंडा होने पर उसमें पिसी हुई चीनी डालकर मिला दें। आटे को मसल कर चिकना कर लें और आटे से छोटी-छोटी लोइयां बना लें। लोइयां बनाकर कपड़े से ढककर रख लें और इनकी पूरियां बेल लें। बेली हुई पूरी को गुझिया बनाने वाले सांचे के ऊपर रखें और फिर उसमें एक चम्‍मच भरावन डालें और पूरी के किनारों पर उंगली से पानी या मैदा का पेस्‍ट लगाकर सांचे को अच्छी तरह बंद कर दें। बाकी की लोइयों से भी ऐसे ही गुझियां तैयार कर लें। बेकिंग ट्रे को चिकना कर लें और थोड़ी-थोड़ी दूर पर गुझिया रख दें। ओवन को 200 डिग्री से. पर प्रीहीट कर लें और गुझिया की ट्रे को ओवन में रखकर 10 मिनट के लिए सेट कर दें। 10 मिनट बाद गुझिया की ट्रे ओवन से निकालकर चेक कर लें. अगर गुझिया ऊपर की तरफ से ब्राउन हो गई है तो उसमें कन्डेन्स्ड मिल्क का पतला पेस्‍ट ब्रश की सहायता से गुझिया के ऊपर लगा दें। गुझिया को पलट दें और फिर से गुझिया को 8 मिनट के लिए बेक कर लें। बेक्ड गुझिया अच्छी तरह ठंडा करके कन्टेनर में भरकर रख लें और होली में आए मेहमानों को परोसें।

 

गठिया

gathia

सामग्री – आधा किलो बेसन, एक चम्‍मच अजवायन , आधा चम्‍मच लाल मिर्च पाउडर , आधा चम्‍मच बेकिंग सोडा,100 ग्राम तेल ,स्‍वादानुसार नमक ,2 कप तेल, तलने के लिए 

विधि – बेसन को छान लें. इसमें सोडा, अजवायन, लाल मिर्च पाउडर और नमक डालकर मिक्स करें। अब बेसन में थोड़ा तेल डालकर दोनों हाथों से रगड़कर मिक्स करें।इसके बाद बेसन में थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर गूंद लें. बेसन न ज्यादा सख्त, न ज्यादा नर्म हो। फिर हाथों में तेल लगाकर गुंदे हुए बेसन पर लगाएं और कुछ देर के लिए ढककर रख दें। अब गठिया तलने के लिए गैस पर कड़ाही में तेल गर्म करें। बेसन को दो हिस्सो में बांटकर लंबा कर लें. अब इसे नमकीन बनाने वाली मशीन में डालकर बड़े छेद वाला सांचा इस्तेमाल करें। गैस की आंच को मध्यम करें और मशीन को दबाते हुए तेल में गठिया के लच्छे डालकर तलें। गठिया को सुनहरा होने तक फ्राई करें। अब प्लेट में टिश्यू पेपर लगाएं और इसमें तले हुए गाठिया निकाल लें। इसी तरह बचे हुए बेसन से बाकी के गाठिया बनाएं और फ्राई करने के बाद लच्छे छोटे टुकड़ों में तोड़ लें। तैयार हैं गाठिया इन्हें ठंडा करके एयरटाइट डिब्बे में रखें।

 सेवई बर्फी

india-dessert-02-barfi

सामग्री – 1 कप सूजी ,1 कप बारीक सेवइयां , 2 कप चीनी, 3 कप पानी, 1/2 कप देसी घी, 1/2 कप सूखे मेवे (काजू, बादाम, किशमिश)

विधि – कड़ाही में एक चम्‍मच घी डालकर उसमें सेवइयों को भूनकर एक प्‍लेट में निकाल लें और बचे हुए घी में सूजी डालकर उसे भी सुनहरा भूरा होने तक भून लें। अब एक भारी तले के पैन में पानी और चीनी डालकर एक तार की चाशनी तैयार कर लें। सूजी और सेवइयों को एक साथ मिलाकर धीमी आंच में एक मिनट तक पकाएं और फिर इसमें चाशनी डालकर चलाएं। अब इस मिश्रण में सूखे मेवे डालकर चलाएं और आंच को धीमा ही रखें। जब मिश्रण बर्फी जमाने लायक गाढ़ा हो जाए तो एक थाली में तेल लगाकर बर्फी के मिश्रण को इसमें डाल दें। जब यह ठंडा हो जाए तो इसे मनचाहे टुकड़ों में काटकर परोसें।

 

 

 

जब रैना खुदकुशी करना चाहते थे

 दिल्ली.सुरेश रैना ने खुद के क्रिकेटर बनने की कहानी बताते हुए कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा है कि उन्हें लखनऊ स्पोर्ट्स हॉस्टल में साथी एथलीट्स परेशान करते थे। इस वजह से एक बार उनके मन में सुसाइड का भी विचार आया था। वे हांलाकि ऐसा नहीं कर सके।  रैना ने बताया कि ऐसी घटनाओं की वजह से होस्टल छोड़ घर वापस जाने के बारे में भी सोचा। एक बार मेरे दिमाग में आत्महत्या करने का भी विचार आया था, लेकिन कर नहीं सका। मैं अच्छा खेलता था इस वजह से हॉस्टल के कुछ एथलीट जलते थे मुझसे।

रैना बताते हैं- ट्रेन आगरा की तरफ जा रही थी और मैं अखबार बिछाकर फर्श पर सो रहा था। रात में ठंड से बचने के लिए पैड, चेस्ट गार्ड, थाइ गार्ड पहने हुआ था।
– दरअसल, आगरा क्रिकेट टूर्नामेंट खेलने जा रहे 12-15 साल के और भी बच्चे ट्रेन में सवार थे।
– देर रात रैना को महसूस हुआ कि सीने पर कोई बैठा है। आंखें खोली तो देखा कि हाथ बंधे हुए हैं।
– एक मोटा बच्चा उनकी छाती पर बैठकर उनके चेहरे पर पेशाब कर रहा है।
– काफी मशक्कत के बाद मैंने उसे एक घूसा मारा और स्टेशन पर रुकी ट्रेन से नीचे गिरा दिया।

– रैना को 2003 में इंग्लैंड क्लब क्रिकेट खेलने पर एक सप्ताह के 250 पाउंड मिले।
– रैना ने 2005 में पहली बार टीम इंडिया के लिए वनडे करियर का पहला मैच खेला।

– रैना बताते हैं कि सीरीज से पहले कैम्प में महेंद्र सिंह धोनी के साथ रूम शेयर किया था।
– रैना जमीन पर सोते थे, क्योंकि वे बेड यूज नहीं करते थे। धोनी भी जल्द ही उनके साथ नीचे सोने लगे।
– दरअसल, धोनी ने रैना से कहा- उन्हें भी बेड पर सोने की आदत नहीं है। अब हम एक साथ नीचे ही सोने लगे थे।

– आईपीएल के दौरान जब रैना को चोट लगी तो वे सकते में थे।
– घुटने की सर्जरी करवाने के बाद उन्हें डर था कि कहीं करियर ही न खत्म हो जाए।
– उस वक्त मुझे मेरे घर के लोन के 80 लाख रुपए चुकाने थे, लेकिन मैं दोबारा वापसी करने में सफल रहा।

 

बनारस के घाटों को चमका रही ये नगालैंड की महिला

जयपुर।नगालैंड की तेमसुतुला इमसोंग तीन साल से बनारस में गंगा किनारे बने घाटों की सफाई कर रही हैं। पीएम मोदी भी इनके इस काम की तारीफ कर चुके हैं। इमसोंग इन दिनों जयपुर के जेईसीआरसी कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने आई हुईं हैं।  तेमसुतुला नगालैंड के मोकोकुचुंग जिले के उनगमा गांव की रहने वाली हैं। बचपन से ही समाज के प्रति कुछ ऐसा करने का सपना था, जिसे देश और समाज का विकास हो। फिर इन्होंने नगालैंड के कुछ जलस्रोतों की सफाई की। फिलहाल वर्ष 2013 से ये बनारस के गंगा घाटों की सफाई कर रही हैं। इनके साथ करीब 25 लोगों की टीम है जो इस काम को अंजाम दे रही है। सोशल नेटवर्किंग फ्रेंडली तेमसुतुला अक्सर अपने इस अयान की फोटोज और इससे जुड़ी अनेक बातें ट्वि‍टर पर पोस्ट करती रहती हैं। 31 मार्च की रात में इनको मोदी का पोस्ट आया। मोदी ने इनके इस कोशिश की तारीफ की थी। इसके बाद वे बनारस आए और मिले। दिल्ली में भी आमंत्रित किया।  दिल्ली में एक औपचारिक मुलाकात के दौरान पीएम ने कहा कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल सकारात्मक चीजों के लिए करो। तेमसुतुला ने सपने में भी नहीं सोचा था कि देश के पीएम उनके काम पर गौर करेंगे। बिग बी के एक टीवी शो में भी तेमसुतुला संजीव कपूर के साथ नजर आई थी।
 तेमसुतुला और इनके साथियों के प्रयास ने ऐसा रंग जमाया है कि बनारस के घाटों पर स्वच्छता को लेकर मुकाबला हो गया है। अब कई संस्थाएं और स्थानीय लोग घाटों को साफ करते दिखाई देते हैं। फाइनेंशियल सपोर्ट के बिना ही ये लोग गंगा और उसके घाटों को साफ करने में लगे हुए हैं। हां ग्लब्स, मास्क और साफ-सफाई वाले औजार की जरूरत पड़ने पर ये ट्विट करते हैं। इसके बाद कोई न कोई ये सामान इन तक पहुंचा देता है। चाहे प्रभु घाट हो या पांडेय घाट या केदार घाट, सबका कायाकल्प हो गया है। तेमसुतुला का कहना है कि अब बनारस बदल रहा है। जिसने डेढ़ साल पहले बनारस को देखा था उसे अब देखने आना चाहिए। फेसबुक पर गंदगी के अंबार वाले पुराने फोटोज के बजाय लोगों को हाल ही के फोटोज शेयर करने चाहिए।

महिलाओं को बेहतर क्रेता बनाने को लेकर कार्यशाला का आयोजन

एक क्रेता के रूप में महिलाओं को और भी सजग होने की जरूरत है। खरीददारी से संबंधित कोई भी समस्या होने पर उसकी शिकायत महिलाओं को खुद उपभोक्ता विभाग तक पहुँचानी चाहिए। खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में उपभोक्ता मामलों के विभाग के सहयोग से महिला दिवस पर आयोजित कार्यशाला में विभाग के पूर्व अधिकारियों ने कुछ ऐसे ही विचार रखे। कार्यशाला खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की विमेन सेल द्वारा विशेष रूप से महिलाओं को ध्यान में रखकर आयोजित की गयी थी। कार्यशाला में बोलते हुए कलकत्ता विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार डॉ. सोमा बंद्योपाध्याय ने क्रेता सुरक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर रोशनी डाली और कहा कि महिलाओं को और भी सजग होना होगा। इस अवसर पर कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के प्रेसिडेंट अशोक चौधरी भी उपस्थित थे। कार्यशाला को सफल बनाने में कॉलेज की विमेन सेल की संयोजक डॉ. शुभ्रा उपाध्याय का विशेष योगदान रहा।

क्रिकेट के सितारों के साथ बच्चों ने छेडा स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए अभियान

टी 20 क्रिकेट की धूम में अगर कुछ दुनिया को बेहतर बनाने की कोशिश जुड़ जाए तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। आईसीसी क्रिकेट फॉर गुड और टीम स्वच्छ अभियान के जरिए कुछ ऐसा ही किया गया और इससे कामयाब बनाने में क्रिकेट के सितारे बच्चॆ के साथ आए। हाल ही में जादवपुर विश्वविद्यालय के सॉल्टलेक परिसर में टीम स्वच्छ वॉश क्लिनिक में इस अभियान के माध्यम से शौचालय के इस्तेमाल और स्वच्छता अभियान को लेकर जागरूकता फैलायी गयी। द. 24 परगना के विभिन्न स्कूलों के 14 विद्यार्थियों ने क्रिकेट के सितारों के साथ यह संदेश दिया  जिसमें श्रीलंका के खिलाड़ी भी शामिल थे। बच्चों जिन खिलाड़ियों को अब तक टीवी के परदे पर देखा करते थे, उनसे मिलने का मौका पाकर काफी खुश थे। टीम स्वच्छ आईसीसी और यूनिसेफ की साझी परिकल्पना है और बीसीसीआई के सहयोग से यह पूरे देश में शैनिटेशन, शौचालय के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता फैला रही है। आईसीसी टी 20 टूर्नामेंट के दौरान ये क्रिकेट खिलाड़ी बच्चों के साथ इस अभियान में हिस्सा ले रहे हैं और यह अगले 5 साल तक चलेगा।

 

सिनी की अरबन यूनिट ने आयोजित की बाल संसद, जमकर बोले बाल प्रतिनिधि

संविधान कहता है कि बच्चों को भी अपनी बात कहने का हक है और ये बच्चों का अधिकार है कि उनकी बात सुनी जाए। यह अलग बात है कि आए दिन उनके इस अधिकार का हनन होता है क्योंकि सच तो यह है कि बच्चे सोचते हैं और उनकी अपनी विचारधारा होती है, यह मानने के लिए तो हम तैयार ही नहीं होते। संविधान की धारा 12 के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों की बात सुनी जाए। साफ है कि बच्चे मतदाता नहीं है इसलिए बड़ी राजननीतिक पार्टियों के एजेंडे में उनका विकास नहीं है और तमाम चुनावों में उनके अधिकारों और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए मुश्किल से कुछ शब्द खर्च किए जाते है।cini child parliament 2

ऐसी स्थिति में उनके लिए बाल संसद का होना हैरत की बात हो सकती है मगर हाल ही में महानगर में सिनी की अरबन यूनिट ने यह नेक काम किया और महानगर के 10 वार्डों के बच्चों को लेकर बाल संसद आयोजित की जिसमें 7 चुने गए बाल प्रतिनिधियों ने इन वार्डों के बच्चों की समस्याएं रखीं। इस मौके पर बच्चों की शिकायत सुनने के लिए नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के चेयरमैन अशोकेंदु सेनगुप्त भी उपस्थित थे। बच्चों ने अपने स्कूलों की लचर हालत से लेकर नशीले पदार्थों को लेकर पुलिस की उदासीनता से लेकर कई सामाजिक समस्याओं पर रोशनी डाली। सिनी इन समस्याओं को जनप्रतिनिधियों तक पहुँचाएगी।

गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करता है ये तो हम सभी जानते हैं पर गर्भवती महिलाओं के लिए ये बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. खासतौर पर तब जब महिला दमा से पीड़ित हो।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का कहना है कि ऐसी गर्भवती महिलाएं जिन्हें दमा है, जब वायु प्रदूषण के संपर्क में आती हैं तो उनमें निर्धारित समय से पूर्व प्रसव की आशंका बढ़ जाती है।

दमा पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए आखिरी छह सप्ताह का समय काफी गंभीर होता है. अत्यधिक प्रदूषण वाले कणों, जैसे एसिड, मेटल और हवा में मौजूद धूल कणों के संपर्क में आने से भी समयपूर्व प्रसव का खतरा बढ़ जाता है।

यह जानकारी जरनल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनॉलॉजी में प्रकाशित हुई है।

वायु प्रदूषण हमारी सांस प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है और दमा, ब्रांकाइटिस, लंग कैंसर, टीबी और निमोनिया जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. के के अग्रवाल का कहना है कि दमा से पीड़ित लोगों को वायु प्रदूषण से बचने के लिए अत्यधिक प्रदूषण के समय घर से बाहर जाने से परहेज करना चाहिए. साथ ही हमें वायु प्रदूषण कम करने के उपाय करने चाहिए.

 

गृहिणियों का श्रम भी मान का हकदार

हाल ही में सोशल मीडिया में एक पति का लिखा वो पत्र लोगों को भावुक कर गया, जिसमें उसने अपनी पत्नी को समर्पण के लिए शुक्रिया कहा और कृतज्ञता जताई। पति ने लिखा कि एक गृहिणी होने के नाते मुझे लगता था कि मेरी पत्नी घर पर रहती है तो उसके पास काम ही क्या है? इसलिए मैंने उसे कभी उसके काम का क्रेडिट नहीं दिया। वह दिनभर घर और बच्चे की देखभाल में थकी रहती। लेकिन मुझे घर लौटने पर हमेशा अपनी ही थकान दिखती।

ऑफिस से लौटकर मैं उसे अक्सर यही कहता कि तुमने क्या किया दिनभर? लेकिन अब गंभीरता से सोचने पर लगता है कि यह महिला कितनी गजब की है। जो बच्चे और घर की अनगिनत जिम्मेदारियां अकेले ही संभालती है। इतना सोचा तो खुद पर ही गुस्सा आया। इसलिए सबसे कहूंगा कि अपने बच्चों की मां का सम्मान करें। जो घर-परिवार के लिए अपनी हर खुशी से नाता तोड़ लेती हैं।

हर मोर्चे पर है डटी

चिंता में डूबी पत्नी, नसीहतें और समझाइशें देती मां, बड़ों की देखभाल का जिम्मा उठाने वाली बहू और नाते रिश्तेदारी के बुलावे और दिखावे की रीति-नीति निभाने वाली एक जिम्मेदार स्त्री। वह हर मोर्चे पर डटी रहती है। भागती है, दौड़ती है, हांफती है, थकती है। भीतर ही भीतर जूझती भी है। बस, मन की नहीं कहती कभी। गृहिणी जो है। सामाजिक-पारिवारिक छवि कुछ ऐसी कि वह सब कुछ करती है पर कुछ नहीं कहती। वाकई, गृहिणी के रूप में स्त्री की यह भूमिका साधारण होकर भी कितनी असाधारण है। रोजमर्रा की अनगिनत जिम्मेदारियों को निभाते हुए समय के साथ कितना कुछ रीत जाता है गृहिणियों के मन के भीतर। लेकिन इसे समझने का अवकाश ना उसे मिलता है और ना ही उसके अपनों को।

बदलते समय में बढ़ी जिम्मेदारियां

समय के साथ गृहिणी की भूमिका भी बदल गई है। लेकिन उसके हिस्से आई जिम्मेदारियां कम नहीं हुई हैं। आज हर काम के लिए घरों में मशीनें मौजूद हैं पर उसकी भागमभाग अब भी जारी है। पहले जिम्मेदारियां तो थीं लेकिन दायरा सीमित था। मगर आज दायरा असीमित है घर से लेकर बाहर की जिम्मेदारी के अलावा बच्चों की पढ़ाई से लेकर फ्यूचर इंवेस्टमेंट की तैयारियों में वह जुटी रहती है। फिर भी वह हर बात में तालमेल बैठा ही लेती है।

सबके लिए कुछ न कुछ

चाहे गांव हो या शहर सुबह सबसे पहले बिस्तर छोड़ने और रात को सबके बाद अपने आराम की सोचने वाली महिलाएं पति, बच्चों और घर के अन्य सदस्यों की देखरेख में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि खुद को हमेशा दोयम दर्जे पर ही रखती हैं। दूसरों की शर्तों, इच्छाओं और खुशियों के लिए जीने की उन्हें न केवल आदत-सी हो जाती है बल्कि किसी काम में जरा-सी भी कमी रह जाए तो, वे अपराधबोध से ग्रस्त हो जाती हैं। लेकिन फिर भी देखने में आता है कि उन्हें ताने ही सुनने को मिलते हैं। उनके काम का श्रेय और सम्मान उनके हिस्से नहीं आता।

कुल मिलाकर कहा जाए तो वो एक ऐसा ‘सपोर्ट सिस्टम है जो हमें जीने का हौसला देती हैं। न कोई छुट्टी ना कोई वेतन। सच कहें तो कोई गृहिणी वेतन चाहती भी नहीं। पर वो अपनों की जो सेवा सहायता करती है उसके बदले सम्मान की अपेक्षा तो करती ही है जो कि उसका मानवीय हक भी है। एक राष्ट्रीय सर्वे के मुताबकि 45 प्रतिशत ग्रामीण और 56 प्रतिशत शहरी महिलाएं जिनकी उम्र पंद्रह साल या उससे ज्यादा है पूरी तरह से घरेलू कार्यों में लगी रहती हैं। यह आंकड़ा हैरान करने वाला है कि 60 साल से ज्यादा की उम्र वाली एक तिहाई महिलाएं ऐसी हैं, जिनका सबसे ज्यादा समय इस आयु में भी घरेलू कार्यों को करने में ही जाता है।

भागीदारी का आर्थिक पहलू

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ भारत में ही महिलाएं दिनभर में 352 मिनट अवैतनिक कार्यों को करने में बिताती हैं। यानी इन कामों के लिए उन्हें कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलता। जबकि कुछ सालों पहले अमेरिका में हुए एक अध्ययन ने वहां गृहिणियों द्वारा किए गए घरेलू कामों की सालाना कीमत 57 लाख रुपए के बराबर आंकी थी। गौरतलब है कि पश्चिमी देशों में घर की जिम्मेदारियां केवल महिलाओं के हिस्से नहीं हैं।

इसलिए वहां गृहिणी के रूप में भी महिलाओं के श्रम और आर्थिक भागीदारी के पक्ष को महत्व दिया जाता है। जबकि हमारे यहां का रहन-सहन और सामाजिक ढांचा कुछ इस तरह का है कि घर पर रहने वाली महिलाओं के हिस्से में काम विकसित देशों से ज्यादा हैं और सुविधाएं कम हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि हमारे यहां घरेलू कार्य का जिम्मा पूरी तरह से महिलाओं का ही होता है। पुरुषों का सहयोग नाममात्र को ही मिलता है। हमारे यहां घरेलू कामकाज में पुरुषों की भागीदारी प्रतिदिन केवल 19 मिनट है।

अनदेखी की शिकार

गृहिणी हर परिवार की पृष्ठभूमि तैयार करती है। किसी कलाकृति को उकेरने के लिए जो स्थान कैनवास का होता है घर के सदस्यों के जीवन में वही भूमिका होती है गृहिणियों की। ये बात और है कि तस्वीर बन जाने पर वे भी कैनवास की तरह ही कहीं पीछे छुप जाती हैं। शायद यही वजह है कि इस रूप में महिलाओं की भागीदारी को हर जगह और हर हाल में अनदेखा करने की ही कोशिश की जाती है। घर का कोई भी सदस्य किसी भी समय कह देता है कि ‘तुम दिन भर घर में करती ही क्या हो?’

मनोवैज्ञानिक आधार

मनोवैज्ञानिक रूप से देखा जाय तो यह अनदेखी एक अपराधबोध के भाव को जन्म देती है। वे सबके साथ होकर भी अकेली हो जाती हैं। उनके मन में सब कुछ करके भी खुद को कुछ भी करने योगय ना समझने का भाव इतना गहरा जाता है कि वे तनाव और अवसाद की शिकार बन जाती हैं। एक हालिया अध्ययन में भी सामने आया है कि 96 फीसद महिलाएं दिन में कम से कम एक बार खुद को दोषी या अपराधी मानती हैं। अपराधबोध से जुड़ा उनका यह भाव अधिकतर मामलों में बच्चों की परवरिश या परिवार की संभाल से ही जुड़ा होता है। इसके बावजूद उनके कार्यों का आकलन ठीक से नहीं किया जाता है।

(साभार – नयी दुनिया)