Thursday, September 18, 2025
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तपसिया ड्रीम हाउस गैलेरिया पहुंचे  सीआईडी फेम दयानंद शेट्टी

कोलकाता । पूरी तरह से सजावटी और डिज़ाइन उत्पादों पर केंद्रित अत्याधुनिक ब्रांड “ड्रीम हाउस गैलेरिया” एक ऐसा अनूठा ब्रांड है, जिसका एक्सक्लूसिव स्टोर 86A, तोपसिया रोड के हाउते स्ट्रीट कोलकाता 700046 के रूम नंबर 102 में (लैंडमार्क- ओजस बैंक्वेट) में बनाया गया है। इस ब्रांड के 3,000 वर्ग फुट फ्लैगशिप स्टोर में प्लाईवुड, विनियर, लैमिनेट, लौवर, ऐक्रेलिक और इंटीरियर और एक्सटीरियर के साथ अन्य अभिनव सजावटी उत्पादों के अत्याधुनिक डिजाइन की एक विस्तृत श्रृंखला मौजूद है । इस एक्सक्लूसिव स्टोर का उद्घाटन बॉलीवुड अभिनेता और सीआईडी ​​फेम (सीनियर इंस्पेक्टर के रूप में) दयानंद शेट्टी ने किया। इस मौके पर उन्होंने पत्रकारों से अपने अनुभव को शेयर करते हुए कहा कि ,”सिटी ऑफ़ जॉय और खास तौर पर “ड्रीम हाउस गैलेरिया” के एक्सक्लूसिव स्टोर में आना मेरे लिए एक रोमांचक और आनंददायक अनुभव है। मैं यहाँ उपलब्ध विकल्पों और उत्पादों की विविधता से प्रभावित हूँ। यहां बेहतरीन संसाधन की उत्कृष्ट श्रृंखला मौजूद है। मैं लोगों से यही निवेदन करूंगा कि, अपने सपनों का घर बनाने वाले किसी भी व्यक्ति को इस स्टोर में एकबार ज़रूर आना चाहिए। यहां आकर मैं एकबार फिर कहना चाहूंगा कि, ‘दया का वादा, मज़बूती सबसे ज़्यादा। ड्रीम हाउस गैलेरिया के प्रबंध निदेशक सुरेन सराफ और प्रियंका सराफ ने कहा, मशहूर सीआईडी फेम दयानंद शेट्टी द्वारा हमारे स्टोर का उद्घाटन किए जाने पर मुझे बेहद खुशी है। भव्य उद्घाटन मौके पर हमने अपने उत्पादों की उत्कृष्ट श्रृंखला को प्रदर्शित करने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें प्लाईवुड, विनियर, लेमिनेट, लौवर, ऐक्रेलिक और आपके सपनों के घर के लिए अन्य अभिनव सजावटी सामान मौजूद हैं। इस आउटलेट में हमारे उत्पादों की बेहतरीन गुणवत्ता और ग्राहक की संतुष्टि के प्रति प्रतिबद्धता के साथ हम आपके रहने या काम करने की जगहों की सुंदरता और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए शीर्ष-श्रेणी के उत्पादों की एक विविध श्रृंखला प्रदान करते हैं। ड्रीम हाउस गैलेरिया में हम साधारण स्थानों को असाधारण सपनों के जगह में बदलने के लिए गुणवत्तापूर्ण सामग्रियों और त्रुटिहीन शिल्प कौशल की शक्ति प्रदान करने में विश्वास करते हैं।

शुभजिता दुर्गोत्सव 2024 :  भवानीपुर 75 पल्ली की खूंटी पूजा सम्पन्न  

कोलकाता । सांस्कृतिक एकता और सामुदायिक जुड़ाव के लिए प्रसिद्ध भवानीपुर 75 पल्ली दुर्गोत्सव कमेटी ने रविवार को अनोखे तरीके से समाज में अंतरधार्मिक हस्तियों के साथ खुटी पूजा का भव्य आयोजन कर एक नए इतिहास की रचना की। इस वर्ष इस क्लब की दुर्गा पूजा 60वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। इस अभूतपूर्व आयोजन में विभिन्न धर्मों से ताल्लुक रखनेवाले लोग अपने धार्मिक एकता और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक साथ एकजुट हुए।  इसमें जैन धर्म से कैलाश जैन, सिख धर्म से तरसीम सिंह, पारसी धर्म से जिम्मी टेंगरी, हिंदू धर्म से देवाकर चैतन्य, रामकृष्ण मिशन की ओर से स्वामी परमानंद महाराज, चाइनीज बुधिष्ट, मिस लूसी, क्रिश्चियन समुदाय से फादर मार्टिन, बहाई समुदाय से पल्लब गुहा, सिंधी समुदाय से मुराली पंजाबी और इस्लाम धर्म से इमरान जाकी मौजूद थे। इस भव्य आयोजन में शामिल होनेवाले विभिन्न प्रतिष्ठित हस्तियों में श्रीमती माला रॉय (संसद सदस्य), देबाशीष कुमार (विधायक), असीम बसु (पार्षद), श्रीमती चंद्रेयी मित्रा (रोटरी क्लब ऑफ कलकत्ता अव्याना की अध्यक्ष), सनातन डिंडा (कलाकार) और शिव शंकर दास (कलाकार) के साथ कई अन्य प्रतिष्ठित हस्ती इसमें शामिल हुए। भवानीपुर 75 पल्ली क्लब सचिव श्री सुबीर दास ने इस आयोजन को सफल बनाने से जुड़े लोगों के प्रति गहरा आभार और उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, अपने 60वें वर्ष में हम अंतरधार्मिक खुटी पूजा की शुरुआत करते हुए काफी रोमांचित हैं। यह आयोजन सांस्कृतिक विविधता के माध्यम से एकता को बढ़ावा देने के लिए हमारे समर्पण का उदाहरण है। यह आयोजन न केवल हमारी सांस्कृतिक परंपराओं की मिशाल पेश करता है, बल्कि हर समुदाय के लोगों के साथ हमारे बंधन को भी मजबूत करता है। नेताजी भवन मेट्रो स्टेशन के पास, 1/1सी, देबेंद्र घोष रोड, भवानीपुर में आयोजित इस “अंतरधार्मिक खुटी पूजा” का समायोजन और सांस्कृतिक विविधता भवानीपुर 75 पल्ली की प्रतिबद्धता का प्रमाण था। विभिन्न धर्म से जुड़े लोगों के साथ समाज की कई प्रतिष्ठित हस्तियां इस आयोजन में शामिल हुए और विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सामंजस्यपूर्ण एकता और भाईचारे के महत्व को रेखांकित किया। भवानीपुर 75 पल्ली दुर्गापूजा के आयोजन को हर वर्ष पूजा समारोहों के अपने अभिनव दृष्टिकोण के लिए लंबे समय से सराहा जाता रहा है, जिसमें अद्वितीय पंडाल की डिजाइन और कलात्मक प्रयास इसमें शामिल हैं। जो हर साल आगंतुकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। भवानीपुर 75 पल्ली अपने सांस्कृतिक महत्व से परे हटकर दुर्गा पूजा के दौरान एकत्र किए गए दान के माध्यम से वर्ष भर अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाना जारी रखता है। इनमें स्वास्थ्य सेवा, शैक्षिक सहायता और पूरे वर्ष वंचित परिवारों के लिए सहायता से जुड़े आयोजन शामिल है।

 

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“हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति” की खूंटी पूजा

कोलकाता । दक्षिण कोलकाता के हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति में शनिवार को खूटी पूजा के साथ शरदकालीन उत्सव की शुरुआत हो गई। इस वर्ष जतिन दास पार्क (हाजरा क्रॉसिंग) में दुर्गापूजा के आयोजन की शुरुआत के लिए उल्टारथ यात्रा की पूर्व संध्या यानी शनिवार का शुभ दिन चुना गया है। शनिवार को विधिवत मंत्रोच्चारण से खूटी पूजा का आयोजन किया गया। हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति अपनी अभिनव अवधारणा और उत्सव शैली के लिए शहर की सबसे आकर्षक पूजा में से एक है। यह पूजा कमेटी विशेष रूप से अपने पंडालों में दिखने वाली अनूठी शैली और समिति द्वारा वर्ष भर किए जाने वाले सामाजिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध है।

इस अवसर पर विभिन्न प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति से आयोजन की रौनक बढ़ गई। इस मौके पर शोभनदेव चट्टोपाध्याय (कृषि मंत्री, पश्चिम बंगाल सरकार), देबाशीष कुमार (विधायक), सायन देब चटर्जी ( संयुक्त सचिव, हजार पार्क दुर्गोत्सव समिति), त्रिना साहा (अभिनेत्री) के साथ समाज की कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इसमें शामिल हुए। मीडिया से बात करते हुए हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति के संयुक्त सचिव सायन देब चटर्जी ने कहा, पिछले साल “81वें वर्ष की बड़ी सफलता के बाद जिसमें “तीन चाकार गोलपो” थीम पर हमें कई पुरस्कार मिले। हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति की पूरी टीम इस वर्ष भी भव्य आयोजन के लिए पूरी तरह से तैयार है। हमें विश्वास है कि इस वर्ष भी यहां आनेवाले दर्शकों के लिए हमारे मंडप की भव्यता उनके लिए यादगार पल साबित होगा। हमारा दृढ़ विश्वास है कि हमारे प्रयास की दर्शक भरपूर सराहना करेंगे। उन्होंने सभी को परिवार और दोस्तों के साथ पूजा में आने के लिए आमंत्रित किया।

टीटीएफ कोलकाता 2024 में कर्नाटक पर्यटन स्टैंड को सर्वश्रेष्ठ सजावट का पुरस्कार

कोलकाता । कर्नाटक पर्यटन, जो अपने राज्य की जीवंत विरासत, समृद्ध संस्कृति, लुभावने वन्य जीवन, प्राचीन समुद्र तटों और रोमांचकारी साहसिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। इस वर्ष टीटीएफ कोलकाता 2024 में कर्नाटक पर्यटन ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। गत 12 से 14 जुलाई तक विश्व बांग्ला मेला प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में कर्नाटक पर्यटन को एक शानदार 100-वर्ग मीटर का स्टैंड मुहैया कराकर इसके माध्यम से अपनी विविध पेशकशों को बढ़ावा देने के लिए एक असाधारण मंच प्रदान किया गया। कर्नाटक पर्यटन स्टैंड ने राज्य की समृद्ध विरासत और विविध वन्य जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ शानदार प्रदर्शन कर यहां आए आगंतुकों को आकर्षित किया। इस अद्भुत सजावट और आकर्षक प्रस्तुति के कारण कर्नाटक पर्यटन स्टैंड को सर्वश्रेष्ठ सजावट के लिए उत्कृष्टता का पुरस्कार मिला, जो इसके उत्कृष्ट डिजाइन और रचनात्मक निष्पादन का प्रमाण है। इस स्टैंड ने विरासत और वन्य जीवन के तत्वों को कुशलता से जोड़ा, जो राज्य के अनूठे आकर्षण को लोगों के बीच लाकर उनमें व्यापक असर डाला है। इन थीमों को सहजता से एकीकृत करके, कर्नाटक पर्यटन स्टैंड ने आगंतुकों को एक आकर्षक अनुभव प्रदान किया। इसके साथ यहां आने वाले आगंतुकों को राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक टेपेस्ट्री और प्राकृतिक चमत्कारों का पता लगाने के लिए कर्नाटक आने के लिए आमंत्रित किया गया। कर्नाटक पर्यटन प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पर्यटन निदेशक और केएसटीडीसी के प्रबंध निदेशक डॉ. के.वी. राजेंद्र और कर्नाटक पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक प्रभु लिंगा तालाकेरे ने प्रमुख हितधारकों के बीच किया। उनकी उपस्थिति के बीच कर्नाटक में उपलब्ध व्यापक स्तर पर पर्यटन क्षेत्र से जुड़ी नई जानकारियों पर भी प्रकाश डाला गया। पूरे कार्यक्रम के दौरान कर्नाटक पर्यटन के प्रतिनिधिमंडल ने घरेलू टूर ऑपरेटरों, ट्रैवल एजेंटों और अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ सार्थक चर्चा की। इन बातचीत का उद्देश्य मौजूदा संबंधों को मजबूत करना और नई साझेदारियां बनाना था, जिससे आगे चलकर कर्नाटक में पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिल सके।

 

भारत में 2050 तक दुगनी हो जाएगी बुजुर्गों की आबादी : यूएनएफपीए- इंडिया

नयी दिल्ली । दुनिया में सबसे नौजवान देश के तौर पर माने जाने वाले भारत में बुजुर्गों की आबादी अब तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की भारत इकाई ‘यूएनएफपीए- इंडिया’ ने भारत में अगले कुछ वर्षों में बुजुर्गों की आबादी 2 गुना तक बढ़ जाने की सनसनीखेज रिपोर्ट दी है।

‘यूएनएफपीए- इंडिया’ की प्रमुख एंड्रिया वोजनार ने कहा है कि भारत की बुजुर्ग आबादी 2050 तक दोगुनी हो जाने की संभावना है और देश में खासकर उन बुजुर्ग महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन में अधिक निवेश किए जाने की जरूरत है, जिनके ‘‘अकेले रह जाने और गरीबी का सामना करने की अधिक आशंका है।’’ ‘

यूएनएफपीए-इंडिया’ की ‘रेजिडेंट’ प्रतिनिधि वोजनार ने विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) के कुछ दिनों बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार में जनसंख्या के उन प्रमुख रुझानों को रेखांकित किया, जिन्हें भारत सतत विकास में तेजी लाने के लिए प्राथमिकता दे रहा है। इनमें युवा आबादी, वृद्ध जनसंख्या, शहरीकरण, प्रवासन और जलवायु के अनुसार बदलाव करना शामिल हैं। ये कारक सभी देश के लिए अनूठी चुनौतियां और अवसर पेश करते हैं। वोजनार ने कहा कि 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों की संख्या 2050 तक दोगुनी होकर 34 करोड़ 60 लाख हो जाने का अनुमान है, इसलिए स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन योजनाओं में निवेश बढ़ाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘सकर वृद्ध महिलाओं के लिए ऐसा करना आवश्यक है, जिनके अकेले रहने और गरीबी का सामना करने की अधिक आशंका है।’’

भारत में युवा आबादी सबसे ज्यादा – यूएनएफपीए-इंडिया’ प्रमुख ने कहा कि भारत में युवा आबादी काफी है और 10 से 19 वर्ष की आयु के 25 करोड़ 20 लाख लोग हैं। उन्होंने जिक्र किया कि लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी के लिए प्रशिक्षण और रोजगार सृजन में निवेश करने से इस जनसांख्यिकीय क्षमता को भुनाया जा सकता है और देश को सतत प्रगति की ओर अग्रसर किया जा सकता है। वोजनार ने कहा, ‘‘भारत में 2050 तक 50 प्रतिशत शहरी आबादी होने का अनुमान है, इसलिए झुग्गी बस्तियों की वृद्धि, वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए स्मार्ट शहरों, मजबूत बुनियादी ढांचे और किफायती आवास का निर्माण महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘शहरी योजनाओं में महिलाओं की सुरक्षा संबंधी जरूरतों, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा एवं नौकरियों तक पहुंच को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, ताकि लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जा सके और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार हो सके।’’ वोजनार ने यह भी कहा कि आंतरिक और बाहरी प्रवासन को प्रबंधित करने के लिए अच्छे से सोच-विचार कर योजना बनाने, कौशल विकास करने और आर्थिक अवसर वितरण की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के अनुसार बदलाव को विकास योजनाओं में शामिल करना और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करना भारत के लिए महत्वपूर्ण है।

 

आपके सामने किसी को हार्ट अटैक आए तो तुरंत करें ये काम

नयी दिल्ली ।  बीते कुछ सालों में हार्ट अटैक भारत के लिए एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं देश में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 25-45 साल के उम्र वाले नौजवानों में लगातार हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। यह दिन पर दिन एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है. यह बीमारी सिर्फ बुजुर्गों तक ही नहीं जवान लोगों में भी काफी ज्यादा देखने को मिल रही है। जैसा कि आए दिन आप देख रहे हैं जिम में एक्सरसाइज, डांस, गरबा के दौरान, रेस्तरां में खाना खाने के दौरान लोगों को हार्ट अटैक आ रहे हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर किस कारण यह हो रहा है साथ ही यह भी बताएंगे कि अगर आपके सामने किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आ जाए तो सबसे पहले क्या करना चाहिए?

हार्ट अटैक आने के बाद क्या करना चाहिए

अगर आपके सामने किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आज जाए तो सबसे पहले किसी समतल जगह पर उसे सीधा लेटाएं। अगर कोई व्यक्ति बेहोश हो गया है तो नब्ज चेक करें। अगर नब्ज बिल्कुल नहीं महसूस हो रही है तो समझ लें कि व्यक्ति को हार्ट अटैक पड़ा है क्योंकि हार्ट अटैक में दिल की धड़कन रुक जाती है, इसलिए नब्ज नहीं मिल पाती। ऐसे दो से तीन मिनट के अंदर उसके हार्ट को रिवाइव करना जरूरी होता है, नहीं तो ऑक्सीजन के कमी के चलते उसका ब्रेन डैमेज हो सकता है. ऐसे में हार्ट अटैक आने पर तुरंत सीने पर जोर-जोर से मुक्का मारें। तब तक मारे जब तक वह होश में नहीं आ जाता है। इससे उसका दिल फिर से काम करना शुरू कर देगा।

बेहोश व्यक्ति को तुरंत सीपीआर दें – अगर कोई बेहोश हो गया है और उसका नब्ज नहीं चल रही है तो उसको तुरंत अपने हाथ से सीपीआर दें। सीपीआर में मुख्य रूप से दो काम किए जाते हैं। पहला छाती को दबाना और दूसरा मुंह से सांस देना जिसे माउथ टु माउथ रेस्पिरेशन कहते हैं। पहले व्यक्ति के सीने पर बीचोबीच हथेली रखें. पंपिंग करते समय हथेली को एक हाथ को दूसरे हाथ के ऊपर रख कर उंगलियों को अच्छे से बांध लें और हाथ और कोहनी दोनों सीधा रखेंष उसके बाद छाती को पंपिंग करते हुए छाती को दबाया जाता है। ऐसे करने से धड़कनें फिर शुरू हो जाती हैं। हथेली से छाती को 1 -2 इंच तक दबाएं ऐसा एक मिनट में सौ बार करें।

 

कॉलेज कैंटीन में नहीं मिलेंगे समोसा, कचौड़ी, नूडल्स, यूजीसी ने दिए निर्देश

नयी दिल्ली । देश के कॉलजों में बड़ी संख्या में छात्र पढ़ते हैं। ऐसे में छात्रों की सुविधा के लिए कॉलेजों में कैंटीन भी खुली रहती है। अगर आप भी कॉलेज कैंटीन से खाना खाते हैं, तो यह खबर आपके लिए ही है।दरअसल, यूजीसी ने हाल ही में विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों की कैंटीन में मिलने वाले खाने को लेकर एक नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक आहार की बिक्री बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।

इस नोटिस के बाद, जल्द ही आपको अपने कॉलेड की कैंटीन में समोसा, नूडल्स, ब्रेड पकौडा आदि जैसे कई अनहेल्दी फूड आइटम्स खाने को नहीं मिलेंगे। यूजीसी ने नोटिस में निर्देश दिया है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में संचालित हो रहे कैंटीन द्वारा अब सिर्फ सेहतमंद भोज्य पदार्थ ही परोसे जाएंगे।

आधिकारिक नोटिस के अनुसार, “जैसा कि आप जानते हैं, नेशनल एडवोकेसी इन पब्लिक इंटरेस्ट (एनएपी|) पोषण पर एक राष्ट्रीय थिंक टैंक है, जिसमें महामारी विज्ञान, मानव पोषण, सामुदायिक पोषण और बाल चिकित्सा, चिकित्सा शिक्षा, प्रशासन, सामाजिक कार्य और प्रबंधन में स्वतंत्र विशेषज्ञ शामिल हैं। बढ़ते मोटापे, मधुमेह और अन्य गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) पर चिंतित, सामान्य एनसीडी (2017-2022) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय बहु-क्षेत्रीय कार्य योजना (एनएमएपी) के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एनएपी ने शैक्षणिक संस्थानों में अनहेल्दी फूड की बिक्री पर रोक लगाने और कैंटीनों में स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा देने का अनुरोध किया है।”

नोटिस में यूजीसी ने कहा है कि इस सम्बन्ध में उच्च शिक्षा संस्थानों को पहले भी, 10 नवंबर 2016 और 21 अगस्त 2018, एडवाइजरी जारी जा चुकी है। इस क्रम में संस्थानों को एक बार फिर से चेताया जाता है कि वे अपनी कैंटीन में हानिकारक आहार की बिक्री पर रोक लगाएं और सिर्फ हेल्दी फूड ही परोसे जाने को बढ़ावा दें। ऐसा करके हम गैर-संचारी रोगों की लगातार बढ़ रही महामारी पर रोक लगाने में सक्षम हो सकेंगे।

 

पेस और अमृतराज अंतरराष्ट्रीय टेनिस हॉल ऑफ फेम में शामिल

नयी दिल्ली । युगल में दुनिया के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी लिएंडर पेस और टेनिस प्रसारक अभिनेता और खिलाड़ी विजय अमृतराज शनिवार को अंतरराष्ट्रीय टेनिस हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले पहले एशियाई पुरुष खिलाड़ी बन गए। यह दोनों दिग्गज ब्रिटिश टेनिस पत्रकार और लेखक रिचर्ड इवांस के साथ हॉल ऑफ फेम में शामिल हुए। पेस ने टेनिस को बतौर करियर चुनने से पहले फुटबॉल और हॉकी में भी हाथ आजमाया था और अंततः ओलंपिक पदक विजेता के रूप में अपने हॉकी-कप्तान पिता का अनुसरण किया।

पेस बोले- मेरे लिए सम्मान की बात
पेस ने कहा, ‘इस मंच पर सिर्फ खेल के दिग्गजों के साथ ही नहीं, जिंदगी के हर दिन मुझे प्रेरित करने वाले लोगों के साथ होना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है। इसलिए नहीं कि आपने सिर्फ ग्रैंडस्लैम जीते हैं, इसलिए नहीं कि आपने हमारे खेल को आकार दिया बल्कि इनमें से हरेक व्यक्ति ने उस दुनिया को आकार दिया जिसमें हम रहते हैं।’

अमृतराज ने जीते कई खिताब
70 वर्षीय अमृतराज ने 1970 में डेब्यू किया था और 1993 में संन्यास ले लिया था। इस दौरान उन्होंने 15 एटीपी एकल खिताब और 399 मैच जीते और एकल में सर्वश्रेष्ठ 18वीं रैंकिंग भी हासिल की। उन्होंने भारत को 1974 और 1987 में डेविस कप फाइनल में पहुंचाने में मदद की थी।अमृतराज ने कहा, ‘मैं इस अविश्वसनीय और विशिष्ट समूह में शामिल होने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इस समूह ने इस खेल को गौरव दिलाया है।’

अभिनय भी कर चुके अमृतराज
अपने खेल के दिनों के बाद अमृतराज ने मानवीय कारणों में मदद की। साथ ही भारत में एटीपी और डब्ल्यूटीए कार्यक्रमों का समर्थन किया और जेम्स बॉन्ड और स्टार ट्रेक फिल्म सीरीज में अभिनय किया। अमृतराज ने कहा, ‘यह सिर्फ मेरे, मेरे परिवार, मेरे माता-पिता के लिए ही नहीं, बल्कि मेरे सभी साथी भारतीयों और मेरे देश के लिए जो पूरी दुनिया में रहते हैं, के लिए एक सम्मान है।’

पेस ने  18 ग्रैंडस्लैम जीते
पेस युगल और मिश्रित युगल में 18 बार के ग्रैंडस्लैम चैंपियन रहे हैं। उन्हें अमृतराज युवा अकादमी में खेलने के बाद खिलाड़ी वर्ग में चुना गया था। पेस और अमृतराज ने भारत को हॉल ऑफ फेम में प्रतिनिधित्व करने वाला 28वां राष्ट्र बनाया। पेस ने कहा, ‘मैं अपने हर एक देशवासियों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मेरा समर्थन किया, जो उतार-चढ़ाव में मेरे साथ खड़े रहे। आप सभी मेरे लिए प्रेरणा थे, समर्थन थे, मेरा मार्गदर्शन करने की ताकत थे जब मुझे खुद पर विश्वास नहीं था।

पेस करियर ग्रैंड स्लैम भी जीत चुके
पेस ने पुरुष और मिश्रित युगल दोनों में करियर ग्रैंड स्लैम जीते। उन्होंने 2012 ऑस्ट्रेलियन ओपन जीतकर पुरुषों में और 2016 फ्रेंच ओपन पर कब्जा करके मिश्रित में यह उपलब्धि हासिल की। उन्होंने ब्राजील के फर्नांडो मेलिगेनी को 3-6, 6-2, 6-4 से हराकर 1996 अटलांटा ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। उनका एकमात्र एटीपी एकल खिताब 1998 में न्यूपोर्ट घास पर उसी स्थान पर आया था जहां उन्हें शामिल किया गया था।

पेस ने पिता की कही बातों को किया याद
पेस ने कहा, ‘जैसा कि मेरे पिता ने हमेशा मुझसे कहा कि अगर आप खुद पर भरोसा करते हैं, आप कड़ी मेहनत करते हैं, आप सिर्फ पुरस्कार राशि और ट्रॉफी जीतने के लिए ही नहीं बल्कि आप दुनिया को प्रेरित करने के लिए ऐसा करते हैं। सात ओलंपिक में देशवासियों के लिए खेलना, उन सभी डेविस कप में राष्ट्रगान के लिए खड़े होना और यह साबित करना कि हम एशियाई ग्रैंडस्लैम जीत सकते हैं और अपने क्षेत्र में नंबर एक भी बन सकते हैं मेरे लिए सम्मान की बात थी।

 

घुटनों की समस्या का समाधान करेगा रोबोट

कोलकाता । डॉ. सौम्य चक्रवर्ती ने फोर्टिस अस्पताल आनंदपुर में घुटने के प्रतिस्थापन के लिए अत्याधुनिक रोबोटिक-सहायता प्राप्त समाधान वेलेज के लॉन्च की घोषणा की। यह कोलकाता का पहला रोबोट है, जो कुल या आंशिक घुटने के प्रतिस्थापन की आवश्यकता वाले रोगियों के लिए महत्वपूर्ण लाभ का वादा करता है, निकट भविष्य में हिप प्रतिस्थापन के लिए सॉफ़्टवेयर लॉन्च करने की योजना है। ऑर्थोपेडिक रोबोटिक घुटने के प्रतिस्थापन सर्जरी में कई लाभ प्रदान करता है, जिसमें सभी हड्डियों को काटने और प्रत्यारोपण की स्थिति की गतिशीलता के कारण सटीक और सटीक सर्जिकल प्रक्रियाएं शामिल हैं। मरीज़ बेहतर गति की उम्मीद कर सकते हैं, रिकवरी के दौरान कम से कम असुविधा और वसा एम्बोलिज्म जैसी जटिलताओं के कम जोखिम की उम्मीद कर सकते हैं। यह तकनीक बेहतर संरेखण और प्रत्यारोपण दीर्घायु को बढ़ावा देती है, उपचार प्रक्रिया को तेज करती है और अस्पताल में रहने को कम करती है। इसके अतिरिक्त, सर्जिकल प्रक्रिया सरल है क्योंकि इसमें इंस्ट्रूमेंटेशन की आवश्यकता नहीं होती है। 2021 में दुनिया भर के प्रमुख बाजारों में अपनी शुरुआत के बाद से, रोबोट ने कई उल्लेखनीय विशेषताओं का प्रदर्शन किया है।  यह प्री-सर्जिकल सीटी स्कैन की आवश्यकता को समाप्त करके रोगियों के लिए समय और लागत को कम करता है। इन्फ्रारेड कैमरा और ऑप्टिकल ट्रैकर्स जैसी उन्नत तकनीक का उपयोग करते हुए, रोबोट रोगियों की शारीरिक रचना के बारे में सटीक डेटा एकत्र करता है। इसकी अनुकूली ट्रैकिंग तकनीक सर्जिकल योजना के सटीक और सुसंगत निष्पादन के लिए एक उच्च गति वाले कैमरे, ट्रिपल-ड्राइव मोशन तकनीक और प्योर साइट ऑप्टिकल रिफ्लेक्टर के साथ वास्तविक समय का मुआवजा प्रदान करती है। प्राकृतिक नियंत्रण तकनीक कटिंग ब्लॉक की आवश्यकता के बिना सटीक, पुनरुत्पादित सर्जन-नियंत्रित कटौती के लिए आरी कट प्लेन को बनाए रखती है। एक्यूबैलेंस ग्राफ संयुक्त स्थिरता की भविष्यवाणी करने के लिए गति की पूरी श्रृंखला में संतुलन डेटा का प्री-रिसेक्शन विज़ुअलाइज़ेशन प्रदान करता है, जबकि प्रो एडजस्ट  प्लानिंग आसानी से मापदंडों को समायोजित करती है, जिससे सर्जन नरम ऊतकों के सापेक्ष संरेखण और संतुलन को वैयक्तिकृत कर सकते हैं। यह रोबोट एक आरी-आधारित प्रणाली है जिसे संभालना आसान है और यह सर्जिकल समय को नहीं बढ़ाता है, और यह सर्जिकल डेटा के दस्तावेज़ीकरण को सक्षम करता है जिसे रोगियों या उनके रिश्तेदारों को सौंपा जा सकता है।  यह सिस्टम अपग्रेड नी सिस्टम के साथ भी संगत है, जो उद्योग में सबसे अच्छे घुटने के सिस्टम में से एक है, जो उच्च गुणवत्ता वाले परिणाम सुनिश्चित करता है। रोबोट की शुरुआत के साथ, हमारा लक्ष्य अपने आर्थ्रोप्लास्टी देखभाल को अगले स्तर तक ले जाना है, जिसमें कौशल को सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीक के साथ जोड़कर रोगियों को अधिकतम लाभ प्रदान करना है। डॉ. सौम्या चक्रवर्ती ने लॉन्च के बारे में अपना उत्साह व्यक्त किया: “हम शहर में रोबोट को पेश करके रोमांचित हैं। यह अत्याधुनिक तकनीक घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी में क्रांति लाएगी, जिससे हमारे रोगियों को बेजोड़ सटीकता, कम रिकवरी समय और बेहतर समग्र परिणाम मिलेंगे। हमारी विशेषज्ञता के साथ सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीक का उपयोग करने की हमारी प्रतिबद्धता यह सुनिश्चित करती है कि हमारे रोगियों को उच्चतम स्तर की देखभाल मिले। रोबोट आर्थ्रोप्लास्टी में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, और हम अपने रोगियों के जीवन पर इसके सकारात्मक प्रभाव को लेकर उत्साहित हैं।”

तेजी से बदल रही राजनीति, टूट रहा है एक युग का तिलिस्म

सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया

तिलिस्म कैसा भी हो, किसी का भी हो, टूटता है…। जब आप निरंतर सफल होते जाते हैं तो आप एक तिलस्मी दुनिया में जीते हैं कि आपको कोई हरा नहीं सकता, आप हमेशा लोकप्रिय बने ही रहेंगे और जब ऐसा होता है तो आप इसे स्वीकार करना नहीं चाहते और नतीजा यह अपनी ही गढ़ी दुनिया से बाहर निकलने का साहस आप खो बैठते हैं, सच को सच नहीं मानते । एक प्रश्न यह भी कि एक समय के बाद राजनीति में या किसी भी क्षेत्र में सेवानिवृत्ति को इतने बुरे तरीके से क्यों देखा जाता है? सत्य यह है कि शरीर में उम्र के साथ बदलाव आते हैं, आपके आस – पास की दुनिया बदलती है मगर आप चाहते हैं कि समय वहीं का वहीं ठहर जाए जो असम्भव है । एक समय के बाद अपनी क्षमता के साथ सीमा को भी स्वीकार कर लेना चाहिए। यह बात जब लिख रही हूँ तो देश में एक बार फिर मोदी युग तो लौटा है मगर सीटें बुरी तरह घटी हैं, विरोधी मजबूत हो रहे हैं। गठबंधन की राजनीति का युग लौट आया है, तुष्टीकरण की राजनीति बरकरार है। कभी संन्यास न लेने वाले नेताओं से परेशान युवा नेता दल बदल रहे हैं और एक तिलिस्म टूटने का समय आ चुका है । ऐसा लग रहा है कि देश की राजनीति जैसे करवट लेने जा रही है। यह समय है कि जब सभी वरिष्ठ नेताओं को अपनी मोह –माया त्यागकर परिवार के हित से ऊपर उठकर उस दल के हित के बारे में सोचना चाहिए जिसे आपने अपनी मेहनत से खड़ा किया है । वैसे कांग्रेस की बात करें तो पार्टी की नींव ए ओ ह्यूम ने डाली थी..स्वाधीनता संग्राम में भी गांधी की छाया तले यह पार्टी सिमटकर रह गयी, इसके सरोकार सिमटकर रह गये । तब नेहरू और इंदिरा का तिलिस्म था और आज मोदी का युग एक तिलिस्म है । मेरा मानना है कि राजनीति में भी आयु सीमा होनी चाहिए और 75 के बाद नेताओं युवाओं के लिए अपनी सत्ता छोड़नी चाहिए। मैं जो कह रही हूँ, अभी यह यूटोपिया ही है मगर इसी देश में यह परम्परा रही है। सत्ता में रहते – रहते मोह हो जाना स्वाभाविक है। दूसरों को कोसने से अपने पाप नहीं धुलते। यह पहली बार है जब नरेंद्र मोदी राजनीतिक पारी में असफलता का स्वाद चख रहे हैं। यह समय है जब उनको खुद आत्ममंथन की जरूरत है । विपक्ष में रहकर राहुल गांधी ने लगभग यही करने का प्रयास किया और 99 पर रहकर भी प्रगति की गुंजाइश बताती है कि वह बदल रहे हैं और जनता को समझ भी रहे हैं । अगर बंगाल की बात करें तो ममता बनर्जी के दल में भी युवा और वरिष्ठ की जंग तेज हो चुकी है और भविष्य में अभिषेक बनर्जी उनकी जगह लें या ऐसा न होने पर अपने लिए नयी राह खड़ी कर दें तो आश्चर्य नहीं होगा..वैसे ममता ने भी तो कांग्रेस छोड़कर यही किया था ।

समय के साथ बदलना किसी के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि परिवर्तन प्रकृति का नियम है और समय की मांग भी है। घिसी – पिटी परम्पराएं और राजनीति जनता को बहुत लम्बे समय तक रास नहीं आतीं और इसके साथ एक बड़ी बात यह है कि परिवर्तन के लिए उठाए गए कदम कई बार समय से आगे के लिए होते हैं और यह ऐसी दोधारी तलवार है जो परिवर्तन लाने वाले का वर्तमान तो खत्म कर देती है मगर एक समय के बाद भविष्य उसका सम्मान जरूर करता है। सत्ता पाने का अर्थ शासक बन जाना नहीं होता अपितु जनता और सहयोगियों के साथ उन सबको साथ लेकर चलना भी होता है जिनको आप पसन्द नहीं करते । किसी भी प्रकार का परिवर्तन हो, क्रांति हो या इतिहास हो, अपने फायदे के लिए आप उसे रबर की तरह खींच नहीं सकते । यह सबसे बड़ा मिथक है कि कुर्सी पर बैठने वाला व्यक्ति बहुत ताकतवर होता है, सत्य तो यह है कि सिंहासन पर बैठने वाले व्यक्ति की अपनी कोई शक्ति नहीं होती, वह सबसे अधिक निर्भर होता है दूसरों पर…कई बार तो उससे अधिक लाचार कोई नहीं होता । ऐसे व्यक्ति की सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि वह चाहे भी तो खुलकर रो नहीं सकता, वह किसी को बता नहीं सकता कि उसे भी जरूरत है क्योंकि बताने के लिए झुकने की जरूरत होती है और झुकना उसके लिए हार मानने जैसा होता है और सिंहासन पर बैठने वाला या लोकप्रियता के शिखर छूने वाला मनुष्य कभी हार नहीं मानता। अहंकारियों की विवशता यह है कि अकेला हो जाना उसकी नियति है। कबीर की चदरिया..ज्यों की त्यों धर दीनी..वाली पँक्ति को अपनाना उनको नहीं आता । यह सृष्टि के नियमों में समाहित अटल सत्य है कि अगर आपने पर्वत की चढ़ाई की है तो आपको उतरना भी होगा..अगर आपके जीवन में सफलता है तो असफलता भी होगी । ईश्वर की प्रार्थना किसी के जीवन से कष्ट हटाती भले न हो मगर वह उस व्यक्ति को इतना सक्षम बना तो देती ही है कि वह उन परिस्थितियों का सामना डटकर कर सके और चुनौतियों से जूझ सके। ईश्वर जब परीक्षण करते हैं तो रक्षण भी वही करते हैं । आपमें इतना सामर्थ्य होना चाहिए कि शिखर को छूते हुए ही आप शांति से शिखर को विदा कर सकें और अपने लिए एक ऐसे जीवन का चयन करें जिनमें आप हों…आपकी वह सभी दमित इच्छाएं हों जो सफलता के पीछे – पीछे भागते आप भूल चुके हैं । जीवन की दूसरी पारी भी होनी चाहिए…जहां आप एक साधारण जीवन जी सकें…स्व विकास कर सकें। स्व विकास का अर्थ हमेशा यह नहीं होता कि आपको हर एक दौड़ में प्रथम ही आना है । इतनी सारी बातें मैंने राजनीति और मनोरंजन की मायावी दुनिया के सन्दर्भ में कही तो हैं पर लागू वह हम  सबके जीवन पर होती हैं । हर एक पेशे में सेवानिवृत्ति है…मगर राजनीति में नहीं क्यों?

जबकि आप अगर परम्पराओं की बात करें तो इसी भारतीय सनातन समाज में एक आश्रम वानप्रस्थ का भी है  मगर यहाँ इसे आधुनिक सन्दर्भ में जोड़कर देखने की जरूरत है । इस देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम ने अपनी लोकप्रियता के बावजूद दोबारा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया और वापस अपनी शिक्षण की पुरानी दुनिया में लौटे । अगर आप इस देश के विकास की बात कर रहे हैं तो मैं यह मानती हूँ कि सेवानिवृत्ति का अर्थ निष्क्रिय हो जाना नहीं होता अपितु आप अपने अनुभवों को नयी पीढ़ी को तैयार करने में लगा सकते हैं मतलब सेवानिवृत्ति आपके जीवन का एक और अध्याय है…जहाँ विश्राम है और मन की शांति भी…जहां आप अपने लिए जी सकते हैं। अब यह कर पाना किसी के वश की बात नहीं होती क्योंकि हर कोई आचार्य विष्णुकांत शास्त्री नहीं हो सकता । इसके लिए जल में कमलवत रहकर निष्काम कर्म करना जरूरी है और वह भी बगैर किसी अपेक्षा के मगर हम जिस युग में और जिस संसार में जी रहे हैं, वहाँ आरम्भ और अंत का प्रतिफलन और मूल्यांकन का आधार ही परिणाम है और वह भी विशेषकर पेशेवर कॉरपोरेट संसार में, चुनावी राजनीति में, खेल के मैदान में..परिवार में जहाँ अपने शब्द का अर्थ सिमटकर अपना कुनबा रह गया है। बच्चे माता – पिता को सर्वस्व मानते हैं मगर उसके आगे एक और दुनिया है..सम्बन्ध है, वह नहीं समझना चाहते..उनके लिए सिर्फ वही सम्बन्ध अच्छा है जो उनके माता – पिता के लिए अच्छा हो, फिर भले ही उनके माता –पिता कितने ही गलत क्यों न हों…। क्या आपको लगता है कि जो परिवार में ही निष्पक्षता का अर्थ नहीं समझ पा रहा, वह समाज में क्या निष्पक्ष होना सीखेगा और अगर नहीं सीखेगा तो वह देश को सही नेतृत्व कैसे देगा । विश्वास होना और विश्वास करना अच्छी बात है मगर यह मान लेना कि हम जिस पर विश्वास कर रहे हैं, वह गलत हो ही नहीं सकता..यह खुद को धोखा देने वाली बात है।

अब इस बात को अलग – अलग सन्दर्भ में समझा जाए…हमारा धर्म अच्छा है..यह अच्छी बात है मगर जब आप यह कहते हैं कि हमारा ही धर्म अच्छा है तो समस्या होती है । ठाकुर रामकृष्ण परमहंस ने कहा है कि जतो मत, ततो पथ…अगर इस मध्यमार्गी विचारधारा को हम साथ लेकर चलें तो जीवन की आधी से अधिक समस्याएं ही सुलझ जाएंगी । जब आप किसी पर हंसते हैं या किसी का मजाक बनाते हैं तो यकीन रखिए कहीं न कहीं, खुद को बहला रहे होते हैं, अपनी असुरक्षा को छिपा रहे होते हैं क्योंकि आप सत्य को स्वीकार करना ही नहीं चाहते…। जब आप सत्य को स्वीकार नहीं करते तो खुद से भागते हैं और हर उस मुद्दे को खारिज करते हैं जो हैं मगर वह आपके विरोध में हैं । अब इसे देश की राजनीति के सन्दर्भ में समझा जाए…यह राजनीति सिर्फ अस्वीकृति और एक दूसरे को खारिज करने पर तुली है जबकि सत्य यह है कि हर एक व्यक्ति में अच्छाई भी है, बुराई भी है, खूबियां भी हैं और खामियां भी हैं ।

यहां देश के हित में राजनीतिक स्तर पर वैचारिक संतुलन जरूरी है मगर सारे के सारे नेता एक दूसरे के दल को तोड़ने और नीचा दिखाने में व्यस्त हैं..फिर वह इस देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या विपक्ष के नेता राहुल गाँधी हों । सोनिया गांधी हों या बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हों..इनमें से कोई समझ नहीं पा रहा है कि आपके आचार – व्यवहार – आचरण पर इस देश की 140 करोड़ से अधिक जनता की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की नजर है । आपका आचरण इस देश की छवि और इतिहास, दोनों गढ़ रहा है। पक्ष – विपक्ष, दोनों ने ही संविधान और धर्म…दोनों को तमाशा बनाकर रख दिया है और यह भूल गये कि जो ऊपर बैठा है, वह रिश्वत नहीं लेता। आप उसकी पूजा करें या न करें….वह देगा वही….आप जिसके लायक होंगे । इस देश की जनता को धर्म चाहिए मगर रोटी भी चाहिए और सिर पर छत भी चाहिए । ऐसी स्थिति में आप राम, शिव और शक्ति की आड़ में जरूरी मुद्दों को खारिज नहीं कर सकते। विकास के नाम पर विकल्प दिए बगैर किसी से सिर की छत नहीं छीन सकते । इस देश में न्यायालय हैं मगर आप न्यायाधीश नहीं हैं…आप अपराधी को दंडित कीजिए..अवश्य कीजिए मगर उसके अपराध का दंड आप समूचे परिवार को नहीं दे सकते क्योंकि जब बुलडोजर चलता है तो निर्दोषों के घर भी गिरते हैं…वह जिनका उस अपराध में दूर – दूर तक कोई भी हाथ नहीं था । अगर किसी प्रदेश में या देश में आपको शासन करना है तो सबसे पहले आपको वहां संगठन अपने दम पर मजबूत करना होगा। उधार के हथियारों से युद्ध नहीं जीते जाते मगर एनडीए लगातार यही कर रही है जबकि उसकी सीटें लगातार घट रही हैं। अब जब अयोध्या के बाद बद्रीनाथ भी भाजपा गंवा चुकी है तो उसे मान लेना चाहिए जनता तिलिस्म से उभर रही है। तिलिस्म किसी दल का हो या नेता का…वह कुछ वर्ष ही रहता है…हमेशा नहीं…हर बाद नरेंद्र मोदी आपको जीत नहीं दिला सकते । यह भाजपा का मंत्र है कि 75 पार के नेता मार्गदर्शक मंडल में आते हैं, फिर दो साल बाद मोदी भी 75 के हो जाएंगे। ईमानदारी का तकाजा तो यही है कि मोदी अब अपने लिए उत्तराधिकारी के चयन की प्रक्रिया आरम्भ कर दें वरना आडवाणी, जोशी और वाजपेयी ने जिस तरह नेपथ्य में रहना चुना, वह एक स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्परा की जरूरत है । भाजपा को अब एक युवा नेतृत्व की जरूरत है जो डंडे के जोर पर ननहीं बल्कि जनता को साथ लेकर काम करना चाहे । यह वही देश है जहां भरत ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने एक भी पुत्र को नहीं चुना और आज हजारों वर्ष बाद यह वही देश है जहां परिवार और संतान से आगे इस देश की राजनीति को कुछ दिखता ही नहीं । परिवारवाद हर जगह है, भाजपा से लेकर कांग्रेस तक, बसपा से लेकर तृणमूल तक…सब के सब परिवार प्राइवेट लिमिटेड में परिणत हो चुके हैं। निश्चित रूप से यह उन तमाम सर्मथकों और कार्यकर्ताओं के साथ इस देश की जनता का अपमान है जिनमें मेधा की कोई कमी नहीं । नेपोटिज्म हर जगह है, सिर्फ बॉलीवुड को दोष देना समस्या का समाधान नहीं है। यह बात बंगाल के नतीजों से भी स्पष्ट हो चुकी है मगर जो गलती एनडीए कर रही है, वही गलती ममता बनर्जी और राहुल भी कर रहे हैं।  जब आप हिंसा को हिन्दुओं से जोड़ते हैं तो चोट लगती है। जब आपके प्रदेशों में तुष्टीकरण के लिए अपराधियों को बढ़ावा दिया जा रहा हो और अपना पक्ष चुनने वालों को पीटकर मार दिया जाता हो, तो आप बम्पर जीत हासिल करके भी कुछ नहीं पाते । जिस प्रकार देश को संविधान हत्या दिवस की कोई जरूरत नहीं, उसी प्रकार देश को संविधान के नाम पर किसी तमाशे की जरूरत नहीं थी । जब आप सेना से आतंकी कार्रवाई को लेकर सबूत मांगते हैं तो वह पूरे देश का अपमान होता है । संसद आंखमिचौली और गलबहियां करने की जगह नहीं है। वह ऐसी जगह नहीं है कि आप हिन्दुत्व का मुद्दा जबरन उठाएं। आपको कोई अधिकार नहीं कि किसी के धर्मग्रंथ या किसी की संस्कृति की आड़ में परिहास करें जबकि संस्कृति और धर्म भारतीयता की आत्मा है । मीडिया पर हमला बोलने से आपकी अपनी गलतियां नहीं छुप सकतीं । आप स्वीकार कीजिए या नहीं कीजिए …मगर आपको स्वीकार करना होगा कि आप जिससे घृणा करते हैं, वह एक संवैधानिक पद पर आसीन है और उस पद का सम्मान करना आपका संवैधानिक दायित्व है मगर बंगाल में दीदी और राज्यपाल के बीच जिस प्रकार की खींचतान चल रही है, वह बेहद विकृत रूप ले चुकी है। राज्यपाल का चरित्र हनन करना किसी संवैधानिक पद पर बैठी नेत्री को शोभा नहीं देता और न ही अपराधियों को प्रश्रय देना ही सही है।

अम्बानी के बेटे की शादी में व्यस्त मीडिया बहुत जरूरी मसलों को भूलती जा रही है। विज्ञापन किसी भी संस्थान की आवश्यकता होता है मगर आपकी प्राथमिकता आपकी जनता ही होनी चाहिए । खबरों के नाम पर किसी के व्यक्तिगत जीवन की धज्जियां उड़ा देना पत्रकारिता नहीं है । किसी का जबरदस्त महिमा मंडन और किसी निर्दोष को खलनायक बना देना पत्रकारिता नहीं हो सकता । किसी की पीड़ा आपके लिए तमाशा नहीं होनी चाहिए । यह एक मिथक है कि जनता जो चाहती है, वही हम छापते हैं । वस्तुतः जनता की रुचि को सात्विक बनाना आपके काम का हिस्सा है । हालांकि इस काम के खतरे बहुत हैं मगर एक बात तय है कि लोग अन्त में उसे ही चुनेंगे जो उनके हित की बात करेगा और उसे लागू करेगा ।

अगर आप मुफ्तखोर हैं और मुफ्त का राशन पाने के लिए वोट दे रहे हैं तो भूल जाइए कि आपको कोई अच्छी सरकार मिलेगी। अगर जाति और धर्म के नाम पर आप किसी अपराधी को मजबूत कर रहे हैं तो आप नागरिक नहीं बल्कि अपराधी हैं । अगर आप चुनाव को छुट्टी का दिन मानते हैं तो आप व्यवस्था पर उंगली उठाने का अधिकार खो चुके होते हैं इसलिए जब आपका मन मीडिया को, नेताओं को, व्यवस्था को गरियाने का करे तो एक बार आइने के सामने जरूर खड़ा हो जाइए और अपने गिरेबान में झांकने की कोशिश कीजिए क्योंकि व्यवस्था आम आदमी के विचारों का प्रतिबिम्ब है, और कुछ नहीं ।

लोकतंत्र में चयन और परिवर्तन का आधार सृजनात्मकता हो, प्रगतिशील सोच हो

बाधाएं हमारे जीवन का हिस्सा हैं..मुश्किलें आती हैं और चली भी जाती हैं मगर हर बार कुछ न कुछ सिखाती भी हैं। सही मायनों में देखा जाए तो कठिन परिस्थितियाँ हमारे जीवन को समृद्ध करने के लिए आती हैं। हम उनसे जूझते हैं, सीखते हैं और अपने एक बेहतर संस्करण के साथ सामने आते हैं । राजनीति या धर्म से परहेज है मगर इन दोनों के नाम पर जिस प्रकार का वितण्डावाद चलाया जाता है वह किसी भी समाज के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि वह सृजनात्मकता की कसौटी पर खरा नहीं उतरता। हम इन क्षेत्रों में शोधपरक सामग्री आपके समक्ष रखना चाहते हैं अथवा किसी आवश्यक मुद्दे पर सोचने के लिए विवश करने वाले विषय शुभजिता लाना पसन्द करती है…किसी भी दल के पक्ष – विपक्ष से परे..।  प्रयास है कि अतीत के गलियारों में झाँककर देखा जाए जब नयी – नयी आजादी मिलने के बाद भारत का लोकतंत्र अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास कर रहा था। तब से लेकर आज तक राजनीति, राजनीतिक परिस्थितियाँ और राजनेता बहुत बदल चुके हैं और इसके साथ ही पत्रकारिता भी बदल चुकी है। जीवन में परिवर्तन काम्य है मगर शर्त यही है कि देश हो या समाज.. लोकतंत्र में चयन और परिवर्तन का आधार सृजनात्मकता हो, प्रगतिशील सोच हो। देश और समाज को आगे ले जाने की भावना इसमें निहित हो…पर्यावरण के प्रति मैत्री और साहचर्य का भाव हो…। सम्भवतः यही कारण था कि नवजागरण काल आज भी हर क्षेत्र में उतना ही प्रासंगिक है, जितना अपने समय में था। मतदाता और एक नागरिक के रूप में हम सभी अपने दायित्व का निर्वहन कर सकें..अपनी भूमिका निभा सकें।