35 बार सरकारी नौकरी की परीक्षा में हुए असफल, अब हैं आईएएस अधिकारी
रक्षाबंधन पर दमकता रहे आपका चेहरा
त्योहारों के दिन हैं, कुछ मीठा तो चाहिए
बादाम पेड़ा
सामग्री: 1 कप भीगे और छिलके उतारे हुए बादाम, 1/4 कप दूध, 2 बड़े चम्मच घी, 1/2 कप या स्वादानुसार चीनी, 1/2 चम्मच इलायची पाउडर, चुटकी भर इच्छानुसार केसर, सजावट के लिए पिस्ता
विधि: बादाम का पेस्ट तैयार करें। सबसे पहले रात भर भीगे हुए बादामों को दूध के साथ मिलाकर एक चिकना पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को ज्यादा पतला न करें ।
मिश्रण पकाएं: अब एक पैन में घी गर्म करें और उसमें बादाम का पेस्ट डालें। इसे मध्यम आंच पर लगातार चलाते हुए पकाएं जब तक कि इसका रंग हल्का सुनहरा न हो जाए और घी अलग न होने लगे।
चीनी मिलाएं: अब इसमें चीनी डालें और अच्छी तरह मिलाएं। चीनी पिघलने के बाद, इलायची पाउडर और केसर डालें। इसे तब तक पकाएं जब तक कि मिश्रण गाढ़ा होकर पैन के किनारों से अलग न होने लगे।
पेड़े का आकार दें: अब इस मिश्रण को आंच से उतार लें और थोड़ा ठंडा होने दें। अपने हथेली पर हल्का घी लगाएं और इस मिश्रण को छोटे-छोटे पेडों का आकार दें। हर पेडे के ऊपर एक-एक पिस्ता का टुकड़ा रखें और हल्के हाथ से दबाएं।
ठंडा करें और परोसें: अब इन पेड़ों को आप फ्रिज में रख कर ठंडा कर सकते हैं। जब पेड़े अच्छी तरह ठंडे हो जाएं तो आप इन्हें परोसें।
इन बातों का रखें ख्याल
– इसे एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें जिससे यह अधिक दिनों तक ताजा रहे। अगर आप इसे और भी अधिक पौष्टिक बनाना चाहते हैं तो इसमें काजू भी डाल सकते हैं।
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अंगूरी रसमलाई
सामग्री : डेढ़ लीटर दूध, 1/3 कप कंडेंस्ड मिल्क, 1 बड़ा चम्मच नींबू का रस, 1 कप चीनी, 4 इलायची, 1 चुटकी केसर, सजाने के लिए कटे हुए बादाम और पिस्ता
विधि : अंगूरी रसमलाई बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में दूध गर्म कर लें। जब इस दूध में उबाल आने लगे तो उसमें नींबू का रस मिलाकर दूध को फाड़ लें। अब एक मलमल का कपड़ा लेकर उसमें गाढ़ा दूध निकाल दें। नींबू के रस की खटास छैने से दूर करने के लिए उसे पानी से धो लें। अंगूरी रसमलाई बनाने के लिए आपका छैना बनकर तैयार हो चुका है। अब एक दूसरे पैन में बचे हुए एक लीटर दूध को गर्म करें। दूध को गर्म करते समय इसमें केसर, चीनी, कटे हुए बादाम और इलायची पाउडर मिलाकर दूध को आधा होने तक पकाएं। अब पहले से तैयार किया हुआ छैना लेकर उसे सॉफ्ट आटे की तरह गूंधें। इसके बाद इस छैने से छोटी-छोटी आकार के गोले बना कर तैयार करें। इन बॉल्स को अपनी हथेलियों से दबाएं। अब अंगूरी रस मलाई की चाशनी बनाने के लिए एक पैन में चार कप पानी गर्म, डेढ़ कप चीनी डालकर उबाल लें। जब चाशनी उबलने लगे, तब उसमें तैयार की हुई छैना बॉल्स डालकर कुछ देर इन्हें चाशनी के साथ ही पकने दें। कुछ देर बाद, बॉल्स को चाशनी से बाहर निकालकर दूध वाले मिश्रण के बॉउल में डाल दें। आपकी अंगूरी रसमलाई बनकर बिल्कुल तैयार है। आप इस डेजर्ट रेसिपी को ठंडा करके खाना चाहते हैं तो इसे 4-5 घंटे फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दे। अंगूरी रसमलाई को सर्व करने से पहले उसके ऊपर अपने मनपसंद के कटे हुए मेवे डालकर गार्निश करें।
दोसा प्रीमिक्स और दोसा
दोसा सभी को पसंद होता है और घर पर बने डोसे के स्वाद का तो कोई मुकाबला ही नहीं .. पर डोसा बनाने की तैयारी लम्बी होती है , जो कई बार करना मुश्किल होता है। प्रीमिक्स बना के रख लिजिये और जब भी डोसा बनाना हो , 1/2 घंटे भिगो के रखिये और दोसे का घोल तैयार…जितने मन करे दोसे बनाये..यह पौष्टिक भी है सस्ता भी..विधि यह रही जो हमें फेसबुक के एक पेज पर मिली –
दोसा प्रीमिक्स
सामग्री – 1 कटोरी उड़द दाल, 2 टेबल स्पून चना दाल , 1/2 कटोरी पोहा , 1/2 छोटी चम्मच मेथीदाना, सेंधा
नमक या साधारण नमक, 1 चम्मच चीनी पाउडर, 3 कटोरी चावल का आटा
विधि – एक पैन में उड़द, चना दाल मेथीदाना को 3-4 मिनिट भूनिये। पोहा मिलाइये और 2 मिनिट और भूनिये। ठंडा होने पर नमक, चीनी पाउडर डालिये और मिक्सर में पीस कर लें। चावल का आटा मिलाइये और चलाइये। एयर टाइट कंटेनर में स्टोर करें। बाहर रख के 1 महीने और फ्रीज में रख के 3-4 महीने तक इस्तेमाल कर सकते हैं।
दोसा बनाने के लिए- 1 कप डोसा मिक्स में 1/2 कप दही मिलाये और पानी मिला के पकोड़े के जैसा घोल बना ले। 1/2 घंटा रख दे और बाद में नॉन स्टिक या डोसा तवा पर डोसा का घोल डाले । 2 मिनट बाद किनारों पर तेल डाले और कुरकुरा होने तक सेक ले। .सादा डोसा ऐसे ही बनाएं और मसाला डोसा में बीच में मसाला रखे और मोड़ दे।
बावड़ी जिसमें पसन्द नहीं आने वाली रानियां रखी जाती थीं
मांडू । राजाओं ने रानियों की लिए बहुत किले और महल बनवाए लेकिन मध्य प्रदेश के मांडू में बनी चंपा बावड़ी एक अलग कहानी दिखाती है। लोगों का कहना है कि राजा ने इस बावड़ी को कई कारणों से बनवाया था। एक कारण राजा की कम पसंदीदा रानियां भी थीं. वो यहां रहा करती थीं. इस 500 साल पुरानी बावड़ी की बनावट भी उम्दा है। मांडू की चंपा बावड़ी की कहानी – 14वी-15वीं शताब्दी में बनी चंपा बावड़ी सिर्फ एक बावड़ी नहीं है। यह धरती के नीचे बना एक महल है। पानी को इक्कठा करने के लिए बावड़ी को बनवाया गया था। दुश्मनों से बचने के लिए रानी बावड़ी के पानी में कूदा करती थीं। पानी के नीचे बनी सुंरगे कोठरियों से जुड़ती थी। इसका इस्तेमाल सिर्फ राजसी परिवार किया करता था। लोगों का कहना है कि राजा अपनी कम पसंदीदा रानियों को भी इस कोठरी में जगह देता था।
कमाल की इंजीनियरिंग है उदाहरण – ऊपर से देखने पर चंपा बावड़ी जलाशय की तरह दिखती है. लेकिन जैसे-जैसे नीचे उतरो एक मंजिल और नजर आने लगती है। कई सारे भूमिगत कमरे यहां बने हैं, जो किसी भूलभुलैया जैसे हैं. धनुषाकार के कमरे हैं. उन पर अलमारियां बनी हैं। कमरों तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हैं। रोशनी और वेंटिलेशन का भी इंजीनियर ने पूरा ख्याल रखा है। गर्मी के दिनों में भी यह बावड़ी ठंडी रहती है.
कैसे रखा चंपा बावड़ी नाम – राजा ने इस बावड़ी का नाम चंपा की क्यों रखा? इसके पीछे कई कहानी हैं। एक कारण है चंपा की बेले, जो बावड़ी में मौजूद हैं। इसी वजह से पानी से भी चंपा की खुशबू आती थी। कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि इस बावड़ी का आकार चंपा के फूल जैसा है, जिसकी 5 पंखुड़ी होती है। तभी लोग इसे चंपा बावड़ी कहते हैं।
इस बावड़ी के पास एक हमाम भी बना हैं। यहां रानियां नहाया करती थीं। हमाम में रोशनी और हवा सही तरीके से पहुंचे, इसके लिए छत पर सितारों के डिजाइन बनाए गए हैं। हमाम में ठंडे और गर्म पानी का प्रबंध मौजूद था।
हमला होने पर कूद जाती थीं महिलाएं – चंपा बावड़ी जल प्रबंधन और दुश्मनों से सुरक्षा के लिए भी खास है। हमले की स्थिति में शाही महिलाएं बावड़ी के पानी में कूद जाती थीं। बावड़ी के अंदर ही अंदर कई रास्ते थे, जिनकी मदद से शाही परिवार भाग जाता था।
कहां है बावड़ी – मांडू के जहाज महल के उत्तर-पश्चिम में यह बावड़ी बनी हुई है. इंदौर या भोपाल से होते हुए आप यहां पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन तक बावड़ी तक का आप रिक्शा कर सकते हैं।
फिएस्टा गैलरी की ओर से फैशन एक्सट्रावेगांज़ा का पहला संस्करण हुआ संपन्न
भवानीपुर कॉलेज के अनाथालय के बच्चों को दिया आत्मविश्वास और वित्तीय ज्ञान
कोलकाता । गत 3 अगस्त को भवानीपुर एजुकेशन सोसायटी कॉलेज के वाणिज्य विभाग (दोपहर और शाम अनुभाग) ने आशादीप और एनएसएस के सहयोग से, आनंद मार्ग चिल्ड्रन होम में एक विस्तार और आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किया।3अगस्त 2024 को होने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य वंचित बच्चों को अनुकूलित कपड़े उपलब्ध कराना और उन्हें वित्तीय फिटनेस पर शिक्षित करना था। आशादीप ने प्रत्येक बच्चे के नाम के साथ व्यक्तिगत कपड़े उपलब्ध कराए, जिससे बच्चों में खुशी और उत्साह आया। वाणिज्य विभाग ने बुनियादी वित्तीय अवधारणाओं, बजट और बचत को कवर करते हुए वित्तीय साक्षरता और जिम्मेदारी सिखाने के लिए आकर्षक गतिविधियाँ आयोजित कीं। यह कार्यक्रम 42 अनाथ बच्चों को वित्तीय ज्ञान और आत्मविश्वास के साथ सशक्त बनाने और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने का एक प्रयास था। संयोजन किया एनएसएस प्रभारी प्रोफेसर गार्गी ने। इस कार्यक्रम में दोपहर और सांध्य वाणिज्य विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ सास्पो चक्रवर्ती, प्रोफेसर रोजलीन मुखर्जी,सौमी राय चौधरी ,पूर्व रेक्टर डॉ संदीप दान और प्रोफेसर शुभेंदु बैनर्जी ने बच्चों से बात की और जीवन में बचत करने के अनेक उपाय बताए। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि भवानीपुर एजुकेशन सोसायटी कॉलेज की एन एस एस टीम वृद्धाश्रम , घाटों की सफाई, गरीब बच्चों को पढ़ाने आदि अनेक सामाजिक कार्यौं में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
पीहू पापिया की दो कविताएं

मुक्तांचल के 41वें और 42वें अंक का लोकार्पण
हावड़ा/कोलकाता । पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले से डॉ. मीरा सिन्हा के संपादन में प्रकाशित होने वाली पत्रिका मुक्तांचल के 41वें और 42वें अंक का लोकार्पण रविवार 7 जुलाई को विद्यार्थी मंच के कार्यालय में किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से वे रचनाकार उपस्थित थे जिनकी रचनाएं इन दो अंकों में प्रकाशित हुई है। सर्वप्रथम प्रिया श्रीवास्तव ने मुक्तांचल के 42वें अंक में प्रकाशित संस्तुति का वाचन किया। इस संस्तुति में शोध पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए संपादक ने लिखा है कि साहित्य के संसार में बाजार की आवाजाही ने भयंकर विडंबना भर दी है। दिनोंदिन शोध और समीक्षा का दायरा संकीर्ण होता जा रहा है। नई पीढ़ी में काम करने की यांत्रिकता और सोच की गतानुगतिकता इतनी बढ़ गई है कि मौलिकता का सर्वथा अभाव हो गया है। वक्ताओं के रूप में अशोक आशीष (आसनसोल), डॉ. विनय कुमार मिश्र (बंगवासी कॉलेज, कोलकाता), प्रीति सिंह (खांद्रा कॉलेज, आसनसोल), डॉ. विजया सिंह (रानी बिरला गर्ल्स कॉलेज, कोलकाता), सरिता खोवाला, नगीना लाल दास आदि उपस्थित थे। विवेक लाल, स्वराज पांडे, प्रिया श्रीवास्तव, आकाश गुप्ता ने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष जनवादी कवि राज्यवर्धन थे। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में उन्होंने कहा कि आज का समय साहित्य के उदासीनता का समय है और इसका सबसे अधिक लाभ बाजारवाद उठा रहा है। अशोक आशीष ने कहा कि जहां अधिक मात्रा में उत्पादन होता है वहां सृजन नहीं होता ; साहित्य का सृजन होता है उत्पादन नहीं। विद्यार्थी मंच के सदस्य नगीना लाल दास ने इसी माह में डॉ. मीरा सिन्हा के निर्देशन में कलकत्ता विश्वविद्यालय से अपनी पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। इसके लिए विद्यार्थी मंच और मुक्तांचल के उपस्थित सदस्यों द्वारा उन्हें शुभकामनाएं दी गई। कार्यक्रम को सफल बनाने में सुशील पांडेय, बलराम साव, संजय दास, प्रदीप धानुक, विनीता लाल आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई। मुक्तांचल का 43वां अंक रमेश कुंतल मेघ पर केंद्रित होगा। कार्यक्रम का संचालन विनोद यादव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन परमजीत पंडित ने दिया।
नैहाटी में बहुभाषी काव्य उत्सव एवं पुस्तक लोकार्पण का आयोजन
नैहाटी । वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी की जन्मभूमि नैहाटी में नैहाटी कल्चरल सोसाइटी और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के संयुक्त तत्वावधान में समरेस बसु कक्ष में हिंदी, बांग्ला और उर्दू में बहुभाषी काव्य उत्सव और पुस्तक लोकार्पण का आयोजन हुआ। मंजू श्रीवास्तव के संपादन में ‘राम सुंदर लाल चयनित गीत चयनित ग़ज़लें’ का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर श्री रामनिवास द्विवेदी ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि मंजू श्रीवास्तव जी ने जिस तरह से समय की धूल से राम सुंदर लाल के गज़लों का संग्रह किया है वह अपनी सार्थकता के साथ भविष्य में अन्य धूमिल रचनाकारों को प्रकाश में लाने की प्रेरणा बिंदु बनेगी। डॉ. अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा कि समकालीन यथार्थ को प्रस्तुत करता यह संग्रह विमर्शों के दौर में एक जरूरी काव्य दस्तावेज है।प्रो. ममता त्रिवेदी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत करते हुए इस भाषायी मेल बंधन की बहुत जरूरत है।डॉ. सुशील कुमार पाण्डेय ने कहा बहुभाषी काव्य पाठ से सांस्कृतिक आयोजनों को बल मिलेगा। मंजू श्रीवास्तव ने कहा कि यह गज़ल संग्रह न केवल जीवन बल्कि समाज के बुनियादी चीजों एवं मुद्दों को बेहद बारीक़ी से हमारे समक्ष रखती है और न सिर्फ रखती है बल्कि हम सें प्रश्न भी करती। इस अवसर पर सेराज खान बातिश,राज्यवर्धन, परवेज अख़्तर, अतनु मजूमदार, इंदु सिंह, सोमनाथ कर, सुजीत पाल, मंजू श्रीवास्तव, राजेश पांडे,सुशील कांति, असित पाण्डेय, कलावती कुमारी, अमरजीत पंडित, आनंद गुप्ता, सीता चौधरी,शकील अख्तर, मनीषा गुप्ता,इबरार खान, राहुल गौंड़, विशाल साव, सूर्यदेव राय,सुषमा कुमारी, ज्योति चौरसिया,संजय यादव, चंदन भगत, प्रभाकर साव और फरहान अजीज में काव्य पाठ किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में नैहाटी कल्चरल सोसाइटी के सचिव प्रो.मंटू दास ने विशेष सहयोग दिया। इस अवसर पर उपस्थित थे राजभाषा अधिकारी राजेश साव,नारायण साव,संजय दास,संजीव पंडित, पतित पावन रेड्डी, डॉ विकास साव,धीरज केसरी, विकास साव,संजय यादव,विकास कुमार,रोहित गुप्ता,विकास गुप्ता, कंचन भगत,अनिल साह,कुसुम भगत,कृष्णा दीक्षित, मंजीत दास सहित सैकडों साहित्य एवं कला प्रेमी। कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए डॉ. संजय जायसवाल ने कहा इस तरह के आयोजन वरिष्ठ कवियों एवं युवा कवियों में एक सेतु का कार्य करेगी जिससे भविष्य में साहित्य एवं सृजन के क्षेत्र में कई नये अवसर खुलेंगे।कविताएं हमें मनुष्य बनाती हैं तथा धन्यवाद ज्ञापन सुबोध गुप्ता ने दिया।