Friday, September 19, 2025
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संग्रहालय में तब्दील किया जाएगा त्रिपुरा महल

अगरतला । त्रिपुरा के एक तत्कालीन महाराजा द्वारा निर्मित एवं एक सदी पुराने पुष्पबंता पैलेस को राष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय एवं सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
राज्य की राजधानी में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित इस महल का निर्माण 1917 में महाराजा बीरेंद्र किशोर माणिक्य द्वारा किया गया था। वह खुद एक चित्रकार थे और इस महल को एक स्टूडियो के रूप में इस्तेमाल करते थे।
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर का शाही परिवार से घनिष्ठ संबंध था। उन्होंने सात बार त्रिपुरा का दौरा किया था। वर्ष 1926 में राज्य के अपने अंतिम दौरे के दौरान, टैगोर पुष्पबंता पैलेस में रुके थे।
विशेषज्ञों ने कहा कि टैगोर का 80वां जन्मदिन यहां महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य द्वारा मई 1941 में एक कार्यक्रम के दौरान मनाया गया था।
टैगोर के पुष्पबंता पैलेस आगमन से संबंधित दस्तावेज और उनके काम के अंश प्रस्तावित संग्रहालय में प्रदर्शित किए जाएंगे।
वर्ष 1949 में रियासत के भारतीय संघ में विलय होने के बाद, 4.31 एकड़ में फैले महल को मुख्य आयुक्त के बंगले और फिर राजभवन में तब्दील कर दिया गया था। यहां 2018 तक राजभवन रहा, जिसे बाद में एक नये भवन में स्थानांतरित कर दिया गया।
राज्य के पर्यटन मंत्री प्रणजीत सिन्हा रॉय ने बताया कि महल को महाराजा बीरेंद्र किशोर माणिक्य संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए 40.13 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि यह सभी पूर्वोत्तर राज्यों की समृद्ध विरासत, दक्षिण-पूर्व एशियाई ललित कला और समकालीन फोटोग्राफी के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अभिलेखागार को प्रदर्शित करेगा।

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 384 परियोजनाओं की लागत 4.66 लाख करोड़ रुपये बढ़ गयी – रिपोर्ट

नयी दिल्ली । बुनियादी ढांचागत क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 384 परियोजनाओं की लागत तय अनुमान से 4.66 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है। मंत्रालय की जून 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,514 परियोजनाओं में से 384 की लागत बढ़ गई है जबकि 713 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 1,514 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 21,21,471.79 करोड़ रुपये थी लेकिन अब इसके बढ़कर 25,87,946.13 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 21.99 प्रतिशत यानी 4,66,474.34 करोड़ रुपये बढ़ गई है।’’ रिपोर्ट के अनुसार, जून 2022 तक इन परियोजनाओं पर 13,30,885.21 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 51.43 प्रतिशत है। हालांकि मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 552 पर आ जाएगी।
वैसे इस रिपोर्ट में 523 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 713 परियोजनाओं में से 123 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 122 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 339 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की और 129 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी से चल रही हैं।
इन 647 परियोजनाओं में हो रहे विलंब का औसत 42.13 महीने है। इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है।
इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से भी परियोजनाओं में विलंब हुआ है। रिपोर्ट कहती है कि परियोजना एजेंसियां कई परियोजनाओं के लिए संशोधित लागत और चालू होने के समय की जानकारी नहीं दे रही हैं। इससे पता चलता है कि लागत में बढ़ोतरी के आंकड़े को ‘कम’ दिखाया जा रहा है।

अभिनेता रसिक दवे का 65 साल की उम्र में निधन

मुम्बई । हिंदी, गुजराती फिल्मों और टेलीविजन शो में नज़र आने वाले अभिनेता रसिक दवे का लंबी बीमारी के बाद गत 30 जुलाई को निधन हो गया। वह 65 वर्ष के थे।
दवे की सास और अभिनेत्री सरिता जोशी ने बताया कि पिछले चार साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहे दवे ने शुक्रवार शाम को अंतिम सांस ली। जोशी ने “पीटीआई-भाषा” को बताया, “दवे कमज़ोरी महसूस कर रहे थे। उन्हें रक्तचाप और गुर्दे की समस्या थी। वह डायलिसिस पर थे और बीते 15-20 दिनों से अस्पताल में थे। उन्हें घर लाया गया था और मैं उनसे मिली और वह मुझे देखकर मुस्कुराए, लेकिन शुक्रवार शाम साढ़े सात बजे उनका निधन हो गया।”
दवे का अंतिम संस्कार शनिवार सुबह करीब सात बजे परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में किया गया। अभिनेता ने अपने करियर की शुरुआत 1982 में एक गुजराती फिल्म “पुत्र वधू” से की थी। हिंदी फिल्मों और टीवी शो में दवे निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म “झूठी”, “महाभारत”, “संस्कार-धरोहर अपनों की” के लिए प्रसिद्ध रहे।
रसिक दवे के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है।

2017 से अब तक विज्ञापनों पर 3,339.49 करोड़ रुपये खर्च : अनुराग ठाकुर

नयी दिल्ली । सरकार ने वर्ष 2017 से जुलाई 2022 के बीच प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों पर कुल 3,339.49 करोड़ रुपये खर्च किए है। हालांकि इस दौरान सरकार ने विदेशी मीडिया में विज्ञापन पर कोई खर्च नहीं किया है।
सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। सरकार द्वारा वर्ष 2017 से केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) के माध्यम से प्रिंट ओर इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों पर किए गए व्यय का ब्योरा देते उन्होंने बताया कि 12 जुलाई 2022 तक प्रिंट मीडिया पर 1756.48 करोड़ रुपये और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 1583.01 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
उनके मुताबिक सरकार ने वर्ष 2017-18 के दौरान प्रिंट मीडिया पर सबसे अधिक 636.09 करोड़ रुपये और 2018-19 के दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर सबसे अधिक 514.28 करोड़ रुपये खर्च किए।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के किसी मंत्रालय या विभाग द्वारा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से विदेशी मीडिया में विज्ञापन पर कोई व्यय नहीं किया गया है।’’

सरकारों से यूजर की जानकारी की मांग बढ़ी, ट्विटर ने किया खुलासा

वाशिंगटन । ट्विटर ने खुलासा किया कि दुनियाभर की सरकारें कंपनी से यूजर अकाउंट्स से सामग्री हटाने या उनके निजी विवरणों की जासूसी करने को कह रही हैं। सोशल मीडिया कंपनी ने एक नयी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि उसने पिछले साल छह महीने की अवधि के दौरान स्थानीय, राज्य या राष्ट्रीय सरकारों की रिकॉर्ड 60,000 कानूनी मांगों पर कार्रवाई की। रिपोर्ट के अनुसार, ये सरकारें चाहती थीं कि ट्विटर अकाउंट से या तो सामग्री हटाई जाए या कंपनी यूजर की गोपनीय जानकारी यथा- प्रत्यक्ष संदेश या यूजर के स्थान, का खुलासा करे।
ट्विटर की सुरक्षा और अखंडता मामलों के प्रमुख योएल रोथ ने साइट पर प्रसारित बातचीत में कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि सरकारें हमारी सेवा का उपयोग करने वाले लोगों को बेनकाब करने के लिए कानूनी रणनीति का उपयोग करने, अकाउंट के मालिकों के बारे में जानकारी एकत्र करने और कानूनी मांगों का उपयोग करने की कोशिश करने और लोगों को चुप कराने के तरीके के रूप में अधिक आक्रामक हो जाती हैं।’’
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका से सबसे अधिक 20 प्रतिशत अनुरोध आए, जिसमें अकाउंट की जानकारी, उसकी सूचना मांगी गई थी, जबकि भारत इस मामले में काफी पीछे है। ट्विटर का कहना है कि उसने मांगी गई सूचना के हिसाब से लगभग 40 प्रतिशत यूजर के अकाउंट की जानकारी साझा की।
जापान की ओर से अकाउंट की जानकारी पाने का अनुरोध लगातार किया जाता है और वह अकाउंट से सामग्री हटाने के लिए ट्विटर से सबसे अधिक अनुरोध करता है। सामग्री को हटाने के लिए जापान ने सभी अनुरोधों का आधा 23,000 से अधिक अनुरोध किए। रूस भी इसमें पीछे नहीं रहा।
फेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिक मेटा ने भी इसी समय सीमा के दौरान सरकार द्वारा निजी यूजर डेटा की मांग में वृद्धि की सूचना दी।
ट्विटर ने 2021 की अंतिम छमाही के दौरान सत्यापित पत्रकारों और समाचार आउटलेट्स को निशाना बनाकर सरकारों के अनुरोधों में भारी वृद्धि की भी सूचना दी।
सरकारों ने पिछले साल जुलाई और दिसंबर के बीच दुनिया भर में सत्यापित पत्रकारों या समाचार आउटलेट्स की जानकारी पाने के लिए 349 अकाउंट के खिलाफ कानून का सहारा लिया, जो 103 प्रतिशत अधिक है।
ट्विटर ने इस बात का विवरण नहीं दिया कि किन देशों ने पत्रकारों के अकाउंट के लिए अनुरोध किए या उन्होंने कितने प्रश्नों का अनुपालन किया। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट के कार्यकारी निदेशक रॉब महोनी ने एसोसिएटेड प्रेस (एपी) को एक ईमेल में दिए गए बयान में कहा कि सरकार आलोचकों और पत्रकारों को चुप कराने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों का इस्तेमाल कर रही है।

 

मिस्र में 4500 पुराना प्राचीन ‘सूर्य मंदिर’, चार खोए हुए मंदिरों में से हो सकता है एक

काहिरा । भारत में कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में आपने सुना होगा। इसे 13वीं शताब्दी में बनवाया गया था। लेकिन अब मिस्र में एक प्राचीन मंदिर की खोज हुई है। ये मंदिर 4500 साल पुराना है। मिस्र के पुरातत्वविदों ने इसकी पुष्टि की है। कहा जा रहा है कि ये मिट्टी के ईंट से बनी इमारत मिस्र के पांचवें राजवंश के खोए हुए सूर्य मंदिरों में से एक है। मिस्र का पांचवां राजवंश 2465 से 2323 ईसा पूर्व तक था। मंदिर काहिरा के दक्षिण में अबुसीर में राजा नुसेरे के मंदिर के नीचे मिला है। मिस्र के पुरावशेष और पर्यटन मंत्रालय ने शनिवार को ट्वीट कर इस नई रोमांचक खोज के बारे में घोषणा की। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘अबू सर के उत्तर में अबू घोराब में राजा नुसेरे के मंदिर में काम कर रहे इटालिन और पोलिश पुरातात्विक मिशन को मंदिर के नीचे एक मिट्टी की ईंट से बनी इमारतों के अवशेष मिले हैं।’
मंत्रालय ने आगे कहा, ‘खोज से मिले संकेत बताते हैं कि ये पांचवें राजवंश के खोए हुए चार सूर्य मंदिरों में से एक का हो सकता है। इन मंदिरों के बारे में सिर्फ ऐतिहासिक स्रोतों से जाना जाता है, अभी तक वह मिले नहीं हैं।’ आगे कहा गया कि इमारत का एक हिस्सा पांचवें राजवंश के छठे शासक ने अपना मंदिर बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया था।
खुदाई करने वाली टीम को जमीन के नीचे मिट्टी के बर्तन मिले हैं। ये आगे की रिसर्च में काम आएंगे। पांचवें राजवंश के राजाओं के नाम वाले कुछ स्टांप भी मिले हैं। मंत्रालय ने फोटो शेयर कर बताया कि ये साइट अभी भी काम कर रही है। 19वीं शताब्दी में पहला सूर्य मंदिर खोजा गया था, इसके बाद ऐसी खोज हुई जो बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कहा जाता है कि मिस्र में ऐसे है छह या सात मंदिर थे, जिनमें से अभी तक सिर्फ दो ही मिल सके हैं।

जीएसटी के 5 वर्षों का एमसीसीआई ने किया आकलन

कोलकाता । मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने “जीएसटी के पांच वर्षों का आकलन करते हुए एक सत्र आयोजित किया। सत्र को , केंद्रीय जीएसटी और सीएक्स की प्रधान मुख्य आयुक्त वी रमा मैथ्यू ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि भुगतान प्रक्रिया में एमएसएमई क्षेत्रों को जीएसटी से काफी हद तक लाभ हुआ है। इस क्षेत्र में समस्या बड़े पैमाने पर अनधिकृत पंजीकरण को लेकर है।
राज्य सरकार के कर आयुक्त खालिद ऐजाज अनवर ने कर धोखाधड़ी, विवादास्पद मुद्दों, पोर्टल गड़बड़ियों और अनुपालन की कठिनाइयों के साथ राजस्व संग्रह में चुनौतियां भी।
सत्र में डॉलर इंडस्ट्रीज के प्रबन्ध निदेशक विनोद कुमार गुप्ता ने उद्योग जगत, रोड कार्गो मूवर्स प्रा. लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक और परिवहन क्षेत्र पर एमसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष संतोष सराफ ने परिवहन क्षेत्र पर, किंग केमिकल्स के प्रोपराइटर और एमसीसीआई एमएसएमई काउंसिल के चेयरमैन संजीब कोठारी ने एमएसएमई समेत अन्य सदस्यों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात रखी। अरुण कुमार अग्रवाल, जीएसटी के अध्यक्ष, एमसीसीआई के अप्रत्यक्ष और राज्य कर परिषद ने सत्र का संचालन किया।। चर्चा के बाद एक ओपन हाउस सत्र हुआ।

‘प्रेमचंद का लेखन राजनीति को मशाल दिखाने का काम करता है’

भारतीय साहित्य मंच और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन ने मनायी प्रेमचंद जयंती 

भाटपाड़ा में हिन्दी कॉलेज स्थापित करने की माँग उठी

बैरकपुर । भारतीय साहित्य मंच और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा प्रेमचंद भवन, भाटपाड़ा में प्रेमचंद जयंती के अवसर पर संगोष्ठी, काव्य पाठ, लोकगीत और नाट्य मंचन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर इस वर्ष माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में 75% से अधिक नंबर प्राप्त लगभग 800 विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन हिंदी अकादमी, पश्चिम बंगाल के चेयरमैन विवेक गुप्ता ने किया। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद पूरे भारतीय समाज के लेखक है। स्वागत भाषण देते हुए भारतीय साहित्य मंच के अध्यक्ष प्रियांगु पांडेय ने भाटपाड़ा में एक हिंदी कॉलेज के निर्माण का प्रस्ताव रखा। कार्यक्रम का मुख्य केंद्र बिंदु था- भाटपाड़ा में हिंदी कॉलेज के निर्माण हेतु प्रस्ताव रखना। इस अवसर पर हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा के कुलपति प्रो. दामोदर मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद सभी के लिए शिक्षा की बात करते हैं। उनका पूरा लेखन समाज के हर वर्ग के हित से जुड़ा था। उन्होंने जूट बहुल क्षेत्र में हिंदी भाषी विद्यार्थियों की बड़ी संख्या के उच्च शिक्षा के लिए यहां के जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि इस अंचल में एक हिंदी माध्यम का महाविद्यालय हो। हिंदी अकादमी के सदस्य मनोज कुमार यादव ने कहा कि कोलकाता आसनसोल के बाद यह जूट मिल अंचल हिंदी भाषी बहुल क्षेत्र है। यहां के दर्जनों उच्च माध्यमिक स्कूलों के विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा के लिए यहां पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए। मैं चाहता हूं कि इस क्षेत्र में एकाधिक हिंदी माध्यम कॉलेजों की स्थापना हो। इसके लिए हम सभी को हिंदी अकादमी और उच्च शिक्षा विभाग से आग्रह करना चाहिए। बैरकपुर लोकसभा के सांसद अर्जुन सिंह ने कॉलेज के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दर्ज करते हुए कहा कि हिंदी भाषी क्षेत्र होने के कारण यहां के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में काफी दिक्कतें हो रही है। अतः हिंदी कॉलेज का निर्माण होने से इस अंचल समेत आस पास के हिंदी भाषी विद्यार्थियों को उच्च माध्यमिक के बाद पढ़ाई छोड़नी नहीं पड़ेगी और वे अपनी भाषा में ही स्नातक की पढ़ाई कर पाएंगे। प्रेमचंद के बारे में लेखक उदयराज जी ने कहा कि प्रेमचंद ने वंचितों की बात करते हैं। प्रेमचंद का लेखन राजनीति को मशाल दिखाने का काम करता है। इस अवसर पर अष्टभुजा शुक्ल, उमरचंद जायसवाल, रॉवेल पुष्प, डॉ. राजेश मिश्रा, रचना सरन, डॉ. कलावती कुमारी, डॉ. मंटू कुमार, नागेंद्र पंडित, मनीषा गुप्ता, मधु सिंह और सूर्य देव रॉय ने काव्य पाठ किया और डॉ राजेश मिश्रा,पंकज सिंह और राजेश तिवारी ने लोकगीत प्रस्तुत किया। संस्कृति नाट्य मंच की ओर से प्रेमचंद की कहानी ‘पंच परमेश्वर’ और ‘धर्मयुद्ध’ नाटकों का मंचन हुआ। इसमें प्रियांगु पांडेय, राजेश सिंह, निखिता पांडेय, सुनील यादव, विकास मिश्रा, सुशील सिंह, स्वीटी दास, अपराजिता विनय, सूरज शर्मा, मो. हाशिम, गौरव गोंड, विशाल बैठा, निखिल विनय, चंदन भगत, नेहा राय, मो. इज़राइल, हिमांशु राय, श्रुति दास, अंजलि साव, संटु चौधरी, अंकित साव और रवि पंडित ने अभिनय किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. संजय जायसवाल ने कॉलेज के प्रस्ताव पर सहमति दर्ज करते हुए कहा कि प्रेमचंद का एक सपना यह था कि सबको शिक्षा का अधिकार मिले। लोकतांत्रिक तरीके से शिक्षा को व्यापक समाज का हिस्सा बनाना होगा। इस अवसर पर डॉ. श्रीकांत द्विवेदी, सिद्धार्थ पासवान,सुमन शर्मा, नवनिता दास, रूपेश कुमार यादव सहित सैकड़ों साहित्यप्रेमी और जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

प्रेमचंद का साहित्य हमें भारतीयता की मुकम्मल दृष्टि देता है – सदानंद शाही

 कोलकाता । भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से परिषद सभागार में आयोजित की गयी। प्रेमचंद विमशों के बीच पुल’ विषय पर चर्चा के दौरान यह कहा गया कि आज स्त्री, दलित, आदिवासी विमशों के विभाजनों के सामने प्रेमचंद सभी तरह के सामाजिक उत्पीड़नों के बीच एक मजबूत पुल की तरह दिखाई देते हैं। उनका कथा साहित्य हिंदुस्तान को जानने की खिड़की है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. सदानंद शाही ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य हमें भारतीयता की मुकम्मल दृष्टि देता है। उन्होंने भारतीय जनता के सुख-दुख का साहित्य लिखा जो आज भी प्रेरणादायक है। ओडिशा के रेवेंशा बुनिवर्सिटी की प्रो. अंजुमन आरा ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने कथा साहित्य के केंद्र में स्त्री को रखकर उसकी वास्तविक स्वतंत्रता का सवाल उठाया। स्काटिश चर्च कॉलेज की प्रो. गीता दूबे ने यह बताया कि प्रेमचंद के साहित्य में सभी विमशों के बीज हैं। उनका उद्देश्य मानवीय दृष्टि का प्रसार करना था। खुदीराम बोस कॉलेज की प्रो. शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि प्रेमचंद से बताना चाहा कि सांप्रदायिकता से बाहर निकलकर ही राष्ट्र का विकास संभव है।

प्रथम सत्र के अध्यक्ष डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि प्रेमचंद विमशों के बीच पुल हैं। वे अपने समय के सभी उत्पीड़नों के बीच फुल बनाना चाहते थे जो आज के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रेरणा है। उनका साहित्य हिंदुस्तान की हालत और ताकत का आईना है। आरंभ में परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप चोपड़ा ने कहा कि प्रेमचंद ने नमक का दारोगा’ कहानी में भ्रष्टाचार को एक समस्या के रूप में दिखाया है जिसमें आज के भारत की भी तस्वीर है। प्रेमचंद जयंती के संयोजक और विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि आज विद्यार्थियों और नौजवानों की इतनी बड़ी उपस्थिति प्रेमचंद की लोकप्रियता का प्रमाण है। इस सत्र का संचालन श्रीमती मनीषा गुप्ता ने किया।

दूसरे सत्र में खिदिरपुर कॉलेज के प्रो. इतु सिंह ने अल्पसंख्यकों की समस्या उठाते हुए प्रेमचंद के नाटक कर्बला की चर्चा की। उन्होंने कहा हर धर्म का व्यक्ति उदार है पर राजनीति उसे क्रूर बना देती है। राजभाषा से जुड़े श्री मृत्युंजय ने कहा कि आज गांधी और प्रेमचंद जैसे व्यक्तियों को छोटा दिखाने की कोशिश हो सकती है पर ये भारतीय राष्ट्रीयता के सच्चे निर्माता थे। प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के प्रो. वेद रमन ने कहा कि प्रेमचंद का लेखन और जीवन दोनों महत्वपूर्ण है। वे राष्ट्रीयता तक सीमित नहीं थे बल्कि अंतरराष्ट्रीय भाईचारे की बात करते थे। हिंदी के वरिष्ठ कवि श्री अष्टभुजा शुक्ल (बस्ती) ने कहा कि प्रेमचंद बिगाड़ से डरे बिना ईमान की बात कही। उनका साहित्य प्रश्न उठाता है और वे अपने लेखन से नए भारत की कल्पना कर रहे थे। इस सत्र का संचालन श्री नरेंद्र पंडित ने किया। प्रेमचंद जयंती के विभिन्न सत्रों में गुलनाज बेगम, लिली शाह, अनूप कुमार, प्रियंका सिंह, सुमन शर्मा, आदित्य कुमार गिरि, पूजा मिश्रा, दीक्षा गुप्ता, नवारुण भट्टाचार्य, श्रद्धा सिंह, प्रकाश त्रिपाठी, निखिता पांडेय ने आलेख पाठ किया। इस अवसर पर संस्कृति नाट्य मंच की ओर से ‘हिंसा परमो धर्मः नाटक का मंचन हुआ। इसमें इबरार खान,मधु सिंह, राहुल गौड़,पंकज सिंह, विशाल कुमार साव,राजेश सिंह, सूर्यदेव राय,रवि पंडित, कोमल साव,चंदन भगत,सपना कुमारी, मो.इजराइल ने अभिनय किया। जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा। इस अवसर पर आसनसोल, वर्द्धमान, मिदनापुर, खड़गपुर, कुल्टी,कल्याणी आदि शहरों के साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन श्रीप्रकाश गुमा ने किया।

वीरांगनाओं ने मनाया सावन मिलन उत्सव

कोलकाता । अंतरराष्ट्रीय क्षत्रिय वीरांगना फाउंडेशन पश्चिम बंगाल की प्रदेश इकाई की ओर से काशीपुर में ‘सावन मिलन उत्सव’ मनाया गया। कार्यक्रम का संयोजन संगठन की काशीपुर इकाई ने किया था। समारोह में सावन से जुड़े गीतों की सांगीतिक प्रस्तुति की गयी। जिसमें प्रतिभा सिंह, कुमार सुरजित, बेबी काजल, साईं मोहन ने अपने गीतों पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। समारोह को सम्बोधित करते हुए वीरांगना की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि सावन का महीना भारतीय सांस्कृतिक जीवन में बहुत महत्व का है। लोगों के जीवन में जिम्मेदारियां और संघर्ष बहुत हैं लेकिन हरियाली कम दिखायी देती है। हरियाली जरूरी है और वह बनी रहे, इसी कामना के साथ वीरांगनाओं ने यह उत्सव उल्लास के साथ मनाया। समारोह में पश्चिम बंगाल प्रदेश महासचिव प्रतिमा सिंह, उपाध्यक्ष रीता राजेश सिंह, संयुक्त सचिव ममता सिंह, संगठन सचिव किरण सिंह, सुमन सिंह, कोलकाता महानगर (काशीपुर) इकाई की संरक्षक गिरिजा दारोगा सिंह, गिरिजा दुर्गादत्त सिंह, अध्यक्ष मीनू सिंह, उपाध्यक्ष ललिता सिंह, महासचिव इंदु सिंह, कोषाध्यक्ष संचिता सिंह, संयुक्त सचिव विद्या सिंह, सदस्य सरोज सिंह, मीरा सिंह, पूनम सिंह, जूही सिंह, लाजवंती सिंह, रूपाली सिंह, मीना सिंह, सोदपुर इकाई की अध्य़क्ष सुनीता सिंह, सचिव मंजू सिंह, संयुक्त सचिव जयश्री सिंह तथा बालीगंज इकाई की अध्यक्ष रीता सिंह उपस्थित थीं। नारी शक्ति वीरांगना की सदस्याएं अनीता साव, शकुंतला साव, काजल गुप्ता, मीनू तिवारी, सुनीता शर्मा, स्तुति शर्मा, बेबी श्री आदि उपस्थित थीं।