Friday, September 19, 2025
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राष्ट्रमंडल खेल : भारत का पांचवा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, इंग्लैंड ने बनाया पदकों का रिकॉर्ड

बर्मिंघम । भारत ने गत 9 अगस्त को संपन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में 22 स्वर्ण सहित 61 पदक जीतकर अपना पांचवा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जबकि मेजबान इंग्लैंड पदकों का अपना नया रिकॉर्ड बनाने में सफल रहा।
भारत निशानेबाजी के बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल नहीं होने के बावजूद 61 पदक जीतने में सफल रहा जिसमें 22 स्वर्ण, 16 रजत और 23 कांस्य पदक शामिल है। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और कनाडा के बाद भारत पदक तालिका में चौथे स्थान पर रहा। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2010 में नयी दिल्ली में किया था। तब उसने 38 स्वर्ण पदक सहित कुल 101 पदक जीते थे और वह पदक तालिका में दूसरे स्थान पर रहा था।
भारत ने मैनचेस्टर में 2002 में खेले गए राष्ट्रमंडल खेलों में 30 स्वर्ण पदक सहित 69 पदक जीते थे जो हर चार साल में होने वाले इन खेलों में भारत का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारत ने पिछली बार गोल्ड कोस्ट खेलों में 66 पदक जीते थे जिसमें 26 स्वर्ण पदक शामिल है।
मेलबर्न में 2006 में खेले गए राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारत ने 22 स्वर्ण पदक जीते थे लेकिन तब उसके रजत पदकों की संख्या 17 थी। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को पुरुष खिलाड़ियों ने 13 स्वर्ण सहित 35 पदक जबकि महिला खिलाड़ियों ने आठ स्वर्ण सहित 23 पदक दिलाए। भारत में मिश्रित स्पर्धाओं में तीन पदक हासिल किए जिसमें एक स्वर्ण भी शामिल है।
भारत में कुश्ती में सर्वाधिक 12 पदक जीते जिसमें छह स्वर्ण पदक शामिल हैं। इसके अलावा उसने टेबल टेनिस में चार तथा भारोत्तोलन, मुक्केबाजी और बैडमिंटन में तीन तीन स्वर्ण पदक हासिल किए।

बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में 28 जुलाई से 8 अगस्त तक लगभग 200 भारतीय एथलीटों ने 16 विभिन्न खेलों में पदक के लिए प्रतिस्पर्धा की।

गोल्ड कोस्ट 2018 में पिछले संस्करण में, भारतीय एथलीटों ने कुल 66 पदक जीते थे। जिसमें 26 स्वर्ण, 20 रजत और 20 कांस्य पदक शामिल थे। इस तरह भारत मेजबान ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बाद तीसरे स्थान पर रहा था।

निशानेबाजी के खेल ने गोल्ड कोस्ट 2018 में 66 पदकों में से 16 पदक जीतने में मदद की। हालांकि, बर्मिंघम 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों के प्रोग्राम से इस खेल को हटा दिया गया था।

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 से पहले हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के जीते गए कुल 503 पदकों में से 135 पदक निशानेबाजी में आए, जो किसी भी अन्य खेल में जीते गए पदकों की तुलना में सबसे अधिक रहे। इसमें 2010 में नई दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेल के दौरान जीते गए भारतीय निशानेबाजों के 30 पदक भी शामिल हैं। इसकी वजह से भारत ने इतिहास में अपने सबसे सफल कॉमनवेल्थ गेम्स का लुत्फ उठाया, जिसमें उन्होंने कुल 101 पदक जीते।

टोक्यो ओलंपिक भाला फेंक चैंपियन और विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता नीरज चोपड़ा की चोट के कारण CWG 2022 से बाहर होने से निश्चित रूप से भारत एक पदक से चूक गया।

निशानेबाजी खेल के शामिल नहीं होने और नीरज चोपड़ा की अनुपस्थिति में, भारतीय कुश्ती दल के ओलंपिक पदक विजेता रवि कुमार दहियाबजरंग पुनियासाक्षी मलिक और दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु, विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता किदांबी श्रीकांत और लक्ष्य सेन की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में शानदार प्रदर्शन किया।

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में, भारतीय एथलीटों ने कुल 61 पदक जीते। जिसमें 22 स्वर्ण, 16 रजत और 23 कांस्य पदक शामिल रहे। संकेत सरगर बर्मिंघम में पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे, जिन्होंने पुरुषों की 55 किग्रा भारोत्तोलन स्पर्धा में रजत पदक जीता था।

वहीं, मीराबाई चानू CWG 2022 में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय थीं, जबकि जेरेमी लालरिनुंगा बर्मिंघम में शीर्ष पोडियम हासिल करने वाले पहले भारतीय एथलीट थे।

इसके अलावा सुधीर ने सीडब्ल्यूजी 2022 में पैरा स्पोर्ट्स में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता। वह पैरा पावरलिफ्टिंग पुरुषों के हैवीवेट वर्ग में चैंपियन बने।

राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारतीय पदक विजेता

नम्बर एथलीट/टीम मेडल इवेंट खेल
1 संकेत सरगर रजत पुरुष, 55 किग्रा वेटलिफ्टिंग
2 गुरुराज पुजारी कांस्य मेंस 61 किग्रा वेटलिफ्टिंग
3 मीराबाई चानू स्वर्ण वूमेंस 49 किग्रा वेटलिफ्टिंग
4 बिंदियारानी देवी रजत वूमेंस 55 किग्रा वेटलिफ्टिंग
5 जेरेमी लालरिनुंगा स्वर्ण मेंस 67 किग्रा वेटलिफ्टिंग
6 अचिंता शेउली स्वर्ण मेंस 73 किग्रा वेटलिफ्टिंग
7 सुशीला देवी रजत वूमेंस 48 किग्रा जूडो
8 विजय कुमार यादव कांस्य मेंस 60 क्रिग्रा जूडो
9 हरजिंदर कौर कांस्य वूमेंस 71 किग्रा वेटलिफ्टिंग
10 भारतीय महिला टीम स्वर्ण वूमेंस फोर लॉन बाउल्स
11 भारतीय पुरुष टीम स्वर्ण मेंस इवेंट टेबल टेनिस
12 विकास ठाकुर रजत मेंस 96 क्रिग्रा वेटलिफ्टिंग
13 भारतीय मिक्स्ड टीम रजत मिक्स्ड टीम बैडमिंटन
14 लवप्रीत सिंह कांस्य मेंस 109 किग्रा वेटलिफ्टिंग
15 सौरव घोषाल कांस्य मेंस सिंगल्स स्क्वैश
16 तूलिका मान रजत वूमेंस +78किग्रा जूडो
17 गुरदीप सिंह कांस्य मेंस 109+ किग्रा वेटलिफ्टिंग
18 तेजस्विन शंकर कांस्य मेंस हाई जंप एथलेटिक्स
19 मुरली श्रीशंकर रजत मेंस लॉन्ग जंप एथलेटिक्स
20 सुधीर स्वर्ण मेंस हेवीवेट पैरा पावरलिफ्टिंग
21 अंशु मलिक रजत वूमेंस 57 किग्रा रेसलिंग
22 बजरंग पुनिया स्वर्ण मेंस 65 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग
23 साक्षी मलिक स्वर्ण वूमेंस 62 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग
24 दीपक पूनिया स्वर्ण मेंस 86 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग
25 दिव्या काकरन कांस्य वूमेंस 68 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग
26 मोहित ग्रेवाल कांस्य मेंस 125 किग्रा रेसलिंग
27 प्रियंका गोस्वामी रजत वूमेंस 10,000 मीटर रेस वॉक एथलेटिक्स
28 अविनाश साबले रजत मेंस 3000 मीटर स्टीपलचेज एथलेटिक्स
29 भारतीय पुरुष टीम रजत मेंस फोर लॉन बाउल्स
30 जैस्मीन लम्बोरिया कांस्य वूमेंस 60 किग्रा लाइटवेट बॉक्सिंग
31 पूजा गहलोत कांस्य वूमेंस 50 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग
32 रवि कुमार दहिया स्वर्ण मेंस 57 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग
33 विनेश फोगाट स्वर्ण वूमेंस 53 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग
34 नवीन स्वर्ण मेंस 74 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग
35 पूजा सिहाग कांस्य वूमेंस 76 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग
36 दीपक नेहरा कांस्य मेंस 97 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग
37 मोहम्मद हुसामुद्दीन कांस्य मेंस 57 किग्रा फेदरवेट बॉक्सिंग
38 रोहित टोकस कांस्य मेंस 67 किग्रा वेल्टरवेट बॉक्सिंग
39 भाविना पटेल स्वर्ण वूमेंस सिंगल्स क्लासेस 3-5 पैरा टेबल टेनिस
40 सोनलबेन पटेल कांस्य वूमेंस सिंगल्स क्लासेस 3-5 पैरा टेबल टेनिस
41 महिला हॉकी टीम कांस्य वूमेंस टीम हॉकी
42 नीतू घंगास स्वर्ण वूमेंस 48 किग्रा मिनिममवेट बॉक्सिंग
43 अमित पंघल स्वर्ण मेंस फ्लाईवेट 51 किग्रा बॉक्सिंग
44 एल्धोस पॉल स्वर्ण मेंस ट्रिपल जंप एथलेटिक्स
45 अब्दुल्ला अबूबकर रजत मेंस ट्रिपल जंप एथलेटिक्स
46 संदीप कुमार कांस्य मेंस 10000 मीटर रेस वॉक एथलेटिक्स
47 अन्नू रानी कांस्य वूमेंस जैवलिन थ्रो एथलेटिक्स
48 निकहत जरीन स्वर्ण वूमेंस 50 किग्रा लाइट फ्लाईवेट बॉक्सिंग
49 शरत कमल/जी साथियान रजत मेंस डबल्स टेबल टेनिस
50 दीपिका पल्लीकल / सौरव घोषाल कांस्य मिक्स्ड डबल्स स्क्वैश
51 किदांबी श्रीकांत कांस्य मेंस सिंगल्स बैडमिंटन
52 भारतीय महिला टीम रजत वूमेंस T20 क्रिकेट
53 शरत कमल/श्रीजा अकुला स्वर्ण मिक्स्ड डबल्स टेबल टेनिस
54 त्रिशा जॉली / पुलेला गायत्री गोपीचंद कांस्य वूमेंस डबल्स बैडमिंटन
55 सागर अहलावत रजत मेंस 92+ किग्रा सुपर हेवीवेट बॉक्सिंग
56 पीवी सिंधु स्वर्ण वूमेंस सिंगल्स बैडमिंटन
57 लक्ष्य सेन स्वर्ण मेंस सिंग्ल्स बैडमिंटन
58 साथियान गणानाशेखरन कांस्य मेंस सिंग्ल्स टेबल टेनिस
59 सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी / चिराग शेट्टी स्वर्ण मेंस डबल्स बैडमिंटन
60 शरत कमल स्वर्ण मेंस सिंग्ल्स टेबल टेनिस
61 भारतीय पुरुष हॉकी टीम रजत मेंस हॉकी हॉकी

मध्य प्रदेश की प्रियंका ने अंतरराष्ट्रीय वुशु टूर्नामेंट में जीता स्वर्ण

नयी दिल्ली । मध्य प्रदेश की प्रियंका केवट ने जॉर्जिया के बटुमी में आयोजित किये गये अंतरराष्ट्रीय वुशु टूर्नामेंट के अंडर-18 आयु वर्ग के 48 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। प्रियंका मध्य प्रदेश के सीधी जिले के मधिला गांव के आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से संबंध रखती हैं। उनके पिता स्थानीय नर्सिंग होम में कैशियर का काम करते हैं।
प्रियंका ने कहा, ‘‘ यह मेरी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता थी और भारत का ध्वज ऊंचा करके मैं गर्व महसूस कर रही हूं। मैं अपने प्रशिक्षकों, माता-पिता और एम3एम फाउंडेशन की आभारी हूं जिन्होंने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में पूरा सहयोग दिया।’’
उन्होंने कहा , ‘‘यह स्वर्ण पदक मुझे और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा। मैं अब आगामी चैंपियनशिप में भाग लेने पर पूरा ध्यान दे रही हूं।’’ प्रियंका शुरू में अपने बचपन के कोच मनिंद शेर अली खान से प्रशिक्षण ले रही थी लेकिन अभी वह भोपाल में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के कोच रत्नेश ठाकुर, कल्याणी और सारिका गुप्ता से प्रशिक्षण ले रही हैं। वुशु चाइनीज मार्शल आर्ट है जो की पूरी तरह से संपर्क वाला खेल है। यह खेल एशियाई खेलों, दक्षिण पूर्व एशियाई खेलों और कई अन्य बड़ी खेल प्रतियोगिताओं का हिस्सा है।

मुफ्त की सौगातें और कल्याणकारी योजनाएं भिन्न चीजें : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मुफ्त की सौगातें और सामाजिक कल्याणकारी योजनाएं दो अलग-अलग चीजें हैं तथा अर्थव्यवस्था को पैसे के नुकसान एवं कल्याणकारी कदमों के बीच संतुलन कायम करना होगा।
इसके साथ ही न्यायालय ने मुफ्त सौगात देने का वादा करने के लिए राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने की संभावना से भी इनकार किया। न्यायालय ने विभिन्न पक्षों को 17 अगस्त से पहले इस पहलू पर सुझाव देने को कहा है।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि चुनाव के दौरान तर्कहीन मुफ्त सौगात देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने का विचार ‘अलोकतांत्रिक’ है।
पीठ की ओर से प्रधान न्यायाधीश रमण ने कहा, “मैं किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने के विषय में नहीं जाना चाहता क्योंकि यह एक अलोकतांत्रिक विचार है… आखिरकार हमारे यहां लोकतंत्र है।”
उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान तर्कहीन मुफ्त सौगात देने का वादा एक “गंभीर मुद्दा” है, लेकिन वह इस संबंध में वैधानिक स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर भी विधायी क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेंगे।
पीठ ने कहा, “आप मुझे अनिच्छुक या परंपरावादी कह सकते हैं लेकिन मैं विधायी क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करना चाहता… मैं रूढ़िवादी हूं। मैं विधायिका से जुड़े क्षेत्रों में अतिक्रमण नहीं करना चाहता। यह एक गंभीर विषय है। यह कोई आसान बात नहीं है। हमें दूसरों को भी सुनने दें।’’
प्रधान न्यायाधीश 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकीलों की ओर से कुछ सुझाव दिए गए हैं। उन्होंने शेष पक्षों से उनकी सेवानिवृत्ति से पहले आवश्यक कदम उठाने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की।
उन्होंने कहा, ‘‘मुफ्त सौगात और समाज कल्याण योजना भिन्न हैं… अर्थव्यवस्था को पैसे का नुकसान और लोगों का कल्याण- दोनों के बीच संतुलन कायम करना होगा और इसीलिए यह बहस है। कोई एक तो ऐसा होना चाहिए जो अपनी दृष्टि और विचार सामने रख सके। कृपया मेरी सेवानिवृत्ति से पहले कुछ सुझाव सौंपे।’’
सर्वोच्च अदालत वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस याचिका में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सौगातों का वादा करने के चलन का विरोध किया गया है और निर्वाचन आयोग से उनके चुनाव चिह्नों पर रोक लगाने तथा उनका पंजीकरण रद्द करने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करने का अनुरोध किया गया है।
उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह की दलीलों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘यह एक गंभीर मुद्दा है और जिन्हें (मुफ्त सौगात मिल रही हैं) वे इसे चाहते हैं। हमारा एक कल्याणकारी राज्य है। कुछ लोग कह सकते हैं कि वे कर का भुगतान कर रहे हैं और इसका उपयोग विकास कार्यक्रमों के लिए किया जाना है … इसलिए समिति को दोनों पक्षों को सुनना चाहिए।’’
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “हाल में कुछ राजनीतिक दलों ने मुफ्त सौगातों के वितरण को एक कला के स्तर तक बढ़ा दिया है। चुनाव इसी आधार पर लड़े जाते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के चुनावी परिदृश्य में कुछ दल समझते हैं कि चीजों का मुफ्त वितरण ही समाज के लिए ‘कल्याणकारी उपायों’ का एकमात्र तरीका है। यह समझ पूरी तरह से अवैज्ञानिक है और इससे गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति बनेगी।”
शीर्ष विधि अधिकारी ने ‘संकटग्रस्त’ बिजली क्षेत्र का उदाहरण दिया और कहा कि कई बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियां पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) हैं और वे वित्तीय संकट में हैं।

सूजी की कचौड़ी

सामग्री – 1 कप सूजी, 1/4 छोटी चम्मच अजवायन, 1 बड़े चम्मच तेल
स्टफिंग बनाने के लिए– 2 बड़े चम्मच तेल, 1/4 छोटी चम्मच जीरा,  1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर, 1 छोटा चम्मच अदरक, 1 छोटा चम्मच हरी मिर्च,  1/2 कप मटर, 1/4 छोटी चम्मच हल्दी,  1/2 चुटकी हींग, 1/2 छोटा चम्मच नमक, 1/2 छोटा चम्मच लाल मिर्च, 1/4 छोटा चम्मच अमचूर,  2 उबले हुए आलू, 1 बड़ा चम्मच कसूरी मेथी
कटा हुआ
सूजी की कचौड़ी बनाने की विधि – सबसे पहले सूजी से आप आटा तैयार कर लें। इसके लिए पैन में 2 कप पानी, 1/2 छोटी चम्मच नमक, 1/4 छोटी चम्मच अजवाइन और 1 चम्मच तेल डालें। अब इसमें उबाल आने दें. अब इसमें धीरे धीरे चलाते हुए 1 कप बारीक वाली सूजी मिला लें. इसे आप लगातार चलाते हुए मिला लें। अब इसके लिए डो तैयार कर लें गैस बंद कर दें और सूजी को किसी बर्तन में फैलाकर ठंडा होने के लिए रखें। अब स्टफिंग तैयार कर लें। इसके लिए पैन में को 2 बड़े चम्मच तेल डालें और इसमें 1/4 छोटी चम्मच जीरा, 1 छोटी चम्मच धनिया पाउडर, 1 छोटी चम्मच कसी हुई अदरक और 1 छोटी चम्मच बारीक कटी हुई हरी मिर्च डाल दें।
इन सारी चीजों को हल्का भून लें. इसमें 1/2 कप फ्रोजन हरी मटर, 1/4 छोटी चम्मच हल्दी और 1/2 पिंच हींग डाल दें। सभी चीजों को अच्छी तरह से मिला लें और इसमें 1/2 छोटी चम्मच लाल मिर्च पाउडर, 1/4 छोटी चम्मच अमचूर पाउडर और 1/2 छोटी चम्मच नमक डाल दें। इस मसाले में उबले हुए आलू डाल दें। तैयार स्टफिंग में कसूरी मेथी और हरा धनिया मिला लें। इस मिश्रण को ठंडा होने दें।

कचौरी बनाने का तरीका – सबसे पहले सूजी का गुंथा हुआ आटा लें और उसे अच्छी तरह गूंथ लें। अब लोई लेकर थोड़ा फैला लें और स्टफ्फिंग भर लें। चारों तरफ से बंद करके कचौड़ी को हल्का बेल लें।
अब कड़ाही में तेल डालकर तेज गर्म कर लें। अब कचौड़ी तेल में डाल दें और 3-4 मिनट तक इसे तेज आंच पर ही तल लों करें. आपको इन्हें सुनहरा होने तक तलना है। तैयार हैं सूजी की खस्ता कचौड़ी. आप इन्हें चटनी या सॉस के साथ खाएं।

बहनों के कारण खेल की दुनिया के सितारे बने ये 5 दिग्गज खिलाड़ी

आज पूरे देश में राखी का त्योहार मनाया जा रहा है। भारतीय खिलाड़ी भी इसे मनाने में पीछे नहीं रहते। आज हम आपको उन 5 क्रिकेटरों के बारे में बताएंगे जिनकी कामयाबी के पीछे उनकी बहनों का हाथ रहा और अगर बहनें ना होतीं तो शायद वो क्रिकेटर भी नहीं बन पाते।

सचिन तेन्दुलकर

क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन की जिंदगी बहन के प्यार के बगैर अधूरी है। उनकी बहन का नाम सविता है और वो सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर की पहली पत्नी की बेटी हैं। सचिन ने कई बार अपनी सफलता का श्रेय उन्हें दिया है। सचिन ने जब 200 टेस्ट मैच खेलने के बाद क्रिकेट को अलविदा कहा तो उस समय उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा था कि उन्हें पहला कश्मीरी विलो क्रिकेट बैट उनकी बहन ने ही तोहफे में दिया था। इतना ही नहीं सचिन के हर मैच में बहन उपवास भी रखती थीं।

हरभजन सिंह

टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी हरभजन सिंह की गिनती भारत के ग्रेट स्पिनर्स में की जाती है। पंजाब के रहने वाले इस क्रिकेटर की 5 बहनें हैं, जिनमें चार उनसे बड़ी हैं और एक बहन छोटी है। भज्जी को 1998 में भारत के लिए डेब्यू करने का मौका मिल गया था, लेकिन जल्द ही वह टीम से बाहर हो गए थे।

बेहद कम लोग जानते हैं कि उसके कुछ दिन बाद वह क्रिकेट छोड़कर ट्रक ड्राइवर बनने चले गए थे। दरअसल, साल 2000 में उनके पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद मां और पांच बहनों की जिम्मेदारी उन्हीं पर आ गई थी। ऐसे में उन्होंने यह ठान लिया था कि वह कनाडा जाकर ट्रक चलाएंगे और पैसे कमाएंगे, लेकिन बहनों की सलाह पर रुक गए और क्रिकेट खेलते रहे। साल 2000 की रणजी ट्रॉफी में उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर टीम इंडिया में जगह बनाई थी। फिर जो हुआ, वह इतिहास है। अगर बहनों ने नहीं रोका होता तो भारत को मैच विनर स्पिनर नहीं मिलता।

महेन्द्र सिंह धोनी

महेन्द्र सिंह धोनी टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे हैं। धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने कई बड़े मुकाम हासिल किए हैं। माही की सफलता के पीछे बहन जयंती का बड़ा हाथ रहा है। जहां एक तरफ धोनी के पिता उन्हें क्रिकेटर नहीं बनाना चाहते थे। वहीं, धोनी की बहन जयंती हर मोड़ पर अपने भाई के साथ खड़ी रहीं। स्कूल टाइम में जब पिता टीम इंडिया के पूर्व कप्तान को पढ़ने पर ध्यान लगाने के लिए कहते थे, उस वक्त जयंती उनको खेलने देने की पैरवी करती थीं। बहन का निरंतर समर्थन पाकर ही धोनी मैदान पर बेधड़क छक्के उड़ाते रहे और टीम इंडिया के कैप्टन कूल बन सके। माही की बहन जयंती एक स्कूल शिक्षिका हैं।

विराट कोहली

विराट कोहली का अपनी बड़ी बहन भावना कोहली से भावनात्मक रिश्ता है। साल 2006 में जब विराट महज 18 साल के थे तो ब्रेन स्ट्रोक के चलते उनके पिता का निधन हो गया। इतनी छोटी उम्र में पिता को गंवाने के बाद विराट भीतर से सिहर गए थे। इसके बाद उनकी बहन ने हर तरह से उनका साथ दिया। इसका जिक्र कई बार कोहली पहले कर चुके हैं। पिता के जाने के बाद बहन और मां के साथ के कारण ही विराट क्रिकेटर बनने का सपना पूरा कर सके। भावना कोहली को लाइमलाइट बिल्‍कुल भी पसंद नहीं है। उन्‍हें परिवार और दोस्‍तों के साथ ही समय बिताना अच्छा लगता है। भावना को कैमरे से दूर रहना भाता है। भावना ने अपने छोटे भाई के बिजनेस को बुलंदियों तक पहुंचाया है। भावना विराट के फैशन लेबल का अहम हिस्‍सा हैं। कोहली तो क्रिकेट में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में उनकी बहन ने उनके बिजनेस की जिम्‍मेदारी संभाल रखी है।

ऋषभ पंत

ऋषभ पंत के पिता के निधन के बाद बहन साक्षी भाई के साथ साए की तरह बनी रहीं। जिस वक्त वह टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय साक्षी भाई के साथ हर घरेलू मैच के दौरान स्टेडियम जाती थीं। दर्शक दीर्घा में खड़े होकर भाई के लिए निरंतर तालियां बजाती थीं। वह सिलसिला आज पंत के इंडियन टीम के स्टार विकेटकीपर बैटर बनने के बाद भी बदस्तूर जारी है। आईपीएल और टीम इंडिया के मुकाबलों में पंत की बहन अक्सर दर्शक दीर्घा में भाई की हौसला अफजाई करते नजर आती हैं। सोशल मीडिया पर भी निरंतर वह भाई के समर्थन में पोस्ट करती रहती हैं। यहां तक कि कई बार टांग खिंचाई करने से भी नहीं चूकतीं। पंत बार-बार कह चुके हैं कि बहन का साथ उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

(साभार – दैनिक भास्कर)

कोलकाता पहुँची आनंद एल राय की ‘रक्षाबंधन’ की टीम

कोलकाता । आनंद एल राय की नयी फिल्म ‘रक्षा बंधन’ की टीम रक्षा बंधन उत्सव के शुभ अवसर पर रिलीज होने से पहले देश भर के विभिन्न शहरों का दौरा कर रही है। फिल्म की टीम ने दुबई, पुणे, हैदराबाद, अहमदाबाद और इंदौर के बाद कोलकाता पहुंची।
इस दौरे में अक्षय कुमार, निर्देशक और निर्माता आनंद एल राय सहित सह कलाकार सादिया खतीब, स्मृति श्रीकांत, सहजमीन कौर और दीपिका खन्ना शामिल रहे। कोलकाता दौरे के दौरान टीम ने दिल्ली पब्लिक स्कूल का भी दौरा किया। आनंद एल राय द्वारा निर्देशित, ज़ी स्टूडियो, अलका हीरानंदानी और केप ऑफ गुड फिल्म्स के सहयोग से आनंद एल राय और हिमांशु शर्मा द्वारा निर्मित, हिमांशु शर्मा और कनिका ढिल्लों द्वारा लिखित, ‘रक्षा बंधन’ का संगीत हिमेश रेशमिया द्वारा तैयार किया गया है। गीत इरशाद कामिल के हैं।
भूमि पेडनेकर, अक्षय कुमार, नीरज सूद, सीमा पाहवा, सादिया खतीब, अभिलाष थपलियाल, दीपिका खन्ना, स्मृति श्रीकांत और सहजमीन कौर अभिनीत रक्षा बंधन 11 अगस्त 2022 को प्रदर्शित होगी।

आजादी का सन्दर्भ : ‘भारत – भारती’ और ‘पथिक’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज एवं खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज का साझा आयोजन

कोलकाता । कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज एवं खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज द्वारा पश्चिम बंग हिन्दी अकादमी एवं पश्चिम बंगाल सरकार के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी। संगोष्ठी का विषय ‘आजादी का सन्दर्भ : ‘भारत – भारती’ और ‘पथिक’’ था।
समारोह का उद्घाटन कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डा. सत्या उपाध्याय, विशिष्ट अतिथि एवं खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की संचालन समिति के अध्यक्ष देवाशीष मल्लिक, खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज के प्रिंसिपल सुबीर कुमार दत्त, कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की जीबी की सदस्य मैत्रेयी भट्टाचार्य ने किया एवं अपने विचार रखे। स्वागत भाषण कलकत्ता गर्ल्स की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय ने दिया। उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के सर्व भारतीय आयोजन में कलकत्ता गर्ल्स कालेज की अपनी भूमिका और अपने उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कॉलेज में इस कार्यक्रम की यह छठीं कड़ी है। आजादी के अमृत महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जनमानस के पुनरविवेचन और पुनरनिरीक्षण के लिए इसकी महती आवश्यकता है। महाविद्यालयी स्तर पर यह अपने ढंग का अनूठा और अकेला आयोजन है। बंगाल में किसी भी कॉलेज में इस तरह का कार्यक्रम नहीं आयोजित किया गया है।
संगोष्ठी में बीज वक्तव्य विश्वभारती, शांति निकेतन की प्रो. डॉक्टर मंजूरानी सिंह ने दिया। उन्होंने कहा कि देश और समाज के साथ खुद के लिए भी आजादी का महत्व समझना आवश्यक है। भारत – भारती में मैथिली शरण गुप्त ने अतीत में जाकर प्राचीन वेदो एवं पौराणिक साहित्य के माध्यम से भारत के अतीत का गौरव गान किया है। गुप्त जी भारतीय संस्कृति के सच्चे उपासक हैं। वहीं रामनरेश त्रिपाठी ‘पथिक’ लिखते हैं और यह गाँधी जी के उदित होने का समय है। इन दोनों कृतियों से यह स्पष्ट है कि युद्ध और हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।
उत्तर बंग विश्वविद्यालय के प्रो. सुनील कुमार द्विवेदी ने कहा कि रचनाकार भी इतिहासकार होता है जो वर्तमान की जमीन पर बैठकर लिखता है और भविष्य को दृष्टि देता है। गुप्त जी ने ईश वंदना के माध्यमसे देश की वंदना की है। ‘भारत – भारती’ और ‘पथिक’ एक दूसरे से जुड़ी हुई कृतियाँ हैं। अध्यक्षीय वक्तव्य में कलकत्ता विश्वविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. राजश्री शुक्ला ने कहा कि ‘भारत – भारती’ ने हिन्दी के कवियों की भाषिक सोच एवं चिन्तन को आधार दिया। पथिक अपने समय की महत्वपूर्ण कृति है जो ‘भारत – भारती’ की चिन्तन धारा को आगे ले जाती है। ‘भारत – भारती’ एवं ‘पथिक’, दोनों ही कृतियाँ भौतिकता से आगे बढ़कर आध्यात्मिकता की बात करती हैं।
उद्घाटन सत्र का संचालन कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय साव एवं प्रथम अकादमिक सत्र का संचालन नवारुणा भट्टाचार्य ने किया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में गोविन्द यादव, प्रो. कमल कुमार, विक्रम साव, दिव्या प्रसाद, मधु सिंह, डॉ. पलाशी विश्वास, राहुल गौड़, नवारुणा भट्टाचार्य, डॉ. विजया शर्मा, पुष्पा मिश्रा ने शोध पत्र वाचन किया।
संगोष्ठी के दूसरे दिन प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के प्रो. ऋषिभूषण चौबे ने ‘भारत – भारती’ और ‘पथिक’ के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि जब भी वर्तमान परेशान करे तब पीछे जाकर संघर्ष को देखने की जरूरत है। इस परिप्रेक्ष्य में ये दोनों कृतियाँ महत्वपूर्ण है।
ऋषि बंकिम चन्द कॉलेज के प्रो. ऋषिकेश सिंह ने कहा कि वह बौद्धिकता किसी काम की नहीं जो स्वाधीनता न दिलाए। वहीं ‘पथिक’ में अभिव्यक्ति के अधिकार की बात की गयी है। ‘भारत – भारती’ एवं ‘पथिक’ दोनों ही युग बोध से परिपूर्ण कृतियाँ हैं।
इस अकादमिक सत्र की अध्यक्षता करते हुए रामनरेश त्रिपाठी संस्थान के प्रो. डॉ. ओंकारनाथ द्विवेदी ने ‘पथिक’ पर केन्द्रित अपने व्याख्यान में कहा कि मैथिली शऱण गुप्त की ‘भारत – भारती’ चिन्तन की पृष्ठभूमि देती है और ‘पथिक’ उस राह पर चल देते हैं। रामनरेश त्रिपाठी ‘पथिक’ के माध्यम से स्थितियों का अवगाहन कर आँखों देखा हाल बताते हैं। पथिक को गाँधी ने पढ़ा था, स्वीकार किया, यह स्वाधीनता सेनानियों एवं युवाओं के हाथ में रहती थी। इसके 90 संस्करण निकल चुके हैं जो इस कृति की लोकप्रियता का उदाहरण हैं। सत्र का संचालन मधु सिंह ने किया।
रेवेंसा विश्वविद्यालय की प्रो. अंजुमन आरा ने कहा कि मैथिली शरण गुप्त निराश मन में आशा का संचार करते हैं। उनमें जनजागरण की भावना, युगबोध विद्यमान है। विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रो. प्रमोद कुमार साव ने कहा कि हमें अपने रचनाकारों से प्रेरणा लेनी चाहिए। खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने पथिक की पँक्तियों का पाठ करते हुए कहा कि ‘पथिक’ हमारे पराधीन भारत की गीता है। भारत – भारती के साथ हम चिन्तन कर रहे हैं और पथिक के साथ यात्रा कर रहे हैं। कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय कुमार साव ने कहा कि इतिहास दृष्टि का अर्थ अतीत जीवी होना नहीं है। ‘भारत – भारती’ के माध्यम से गुप्त जी ने पराधीन ‘भारत – भारती’ की समीक्षा की है और इसके लिए इतिहास, पुराण एवं लोक की सहायता ली है। सत्र की अध्यक्षता डॉ. मंजूरानी सिंह ने की। इस अवसर पर प्रख्यात रंगकर्मी उमा झुनझुनवाला ने भारत – भारती एवं पथिक की पँक्तियों का पाठ किया। सत्र का संचालन राहुल गौड़ ने किया। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में युवा एवं साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे। संगोष्ठी का समापन सबके प्रति आत्मीय आभार के साथ डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने किया।

प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की ‘डिस्प्ले’ तस्वीर पर तिरंगा लगाया

नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की ‘डिस्प्ले’ तस्वीर पर मंगलवार को ‘तिरंगा’ लगाया और लोगों से भी ऐसा करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था कि ‘आजादी का अमृत महोत्वस’ जन आंदोलन में बदल रहा है और उन्होंने लोगों से दो अगस्त से 15 अगस्त के बीच अपने सोशल मीडिया खातों पर प्रोफाइल तस्वीर के रूप में ‘तिरंगा’ लगाने को कहा था।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘दो अगस्त का आज का दिन खास है। जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो ऐसे में हमारा देश तिरंगे का सम्मान करने की सामूहिक मुहिम के तहत ‘हर घर तिरंगा’ के लिए तैयार है। मैंने मेरे सोशल मीडिया पेज पर डीपी (डिस्प्ले तस्वीर) बदल दी है और मैं आप से भी ऐसा करने का आग्रह करता हूं।’’
मोदी ने तिरंगे का डिजाइन तैयार करने वाले पिंगली वेंकैया की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मोदी ने कहा, ‘‘ हमारा देश हमें तिरंगा देने के उनके प्रयासों के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा। हमें अपने तिरंगे पर बहुत गर्व है। मैं कामना करता हूं कि तिरंगे से ताकत एवं प्रेरणा लेते हुए हम राष्ट्र की प्रगति के लिए काम करते रहें।’’

जुलाई में जीएसटी संग्रह 28 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये

नयी दिल्ली । आर्थिक सुधार और कर चोरी को रोकने के लिए किए गए उपायों के कारण जुलाई में जीएसटी संग्रह 28 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया। सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह जुलाई, 2021 में 1,16,393 करोड़ रुपये था।
वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि जुलाई, 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से यह दूसरा सबसे बड़ा मासिक संग्रह है।
इससे पहले अप्रैल, 2022 में संग्रह 1.68 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया था।
मंत्रालय ने कहा कि यह छठा मौका है और मार्च, 2022 से लगातार पांचवां महीना है, जब मासिक जीएसटी संग्रह 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।
समीक्षाधीन अवधि में वस्तुओं के आयात से राजस्व में 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) से राजस्व पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक था।
जुलाई में जमा किए गए 1,48,995 करोड़ रुपये के जीएसटी में केंद्रीय जीएसटी 25,751 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी 32,807 करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी 79,518 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर एकत्रित 41,420 करोड़ रुपये सहित) और उपकर 10,920 करोड़ रुपये वस्तुओं के आयात पर एकत्र किए गए 995 करोड़ रुपये सहित) है।
सरकार ने आईजीएसटी से 32,365 करोड़ रुपये सीजीएसटी और 26,774 करोड़ रुपये एसजीएसटी की मद में तय किए हैं। नियमित निपटान के बाद जुलाई में केंद्र और राज्यों का कुल राजस्व क्रमश: 58,116 करोड़ रुपये और 59,581 करोड़ रुपये है।
जून, 2022 में 7.45 करोड़ ई-वे बिल सृजित हुए, जो मई 2022 के 7.36 करोड़ के मुकाबले मामूली अधिक हैं।
बयान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में जुलाई, 2022 तक जीएसटी राजस्व में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि बेहतर कर अनुपालन सुनिश्चित करने के चलते यह वृद्धि हुई है। जीएसटी के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि संग्रह में एक स्वस्थ रुझान देखने को मिला है, जिसमें सालाना आधार पर 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘जुलाई 2022 में जीएसटी संग्रह इस साल के मासिक औसत अनुमान 1.45 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। हमें इसमें सीजीएसटी संग्रह के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों के मुकाबले बढ़ोतरी की उम्मीद है।’’
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम एस मणि ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में उच्च संग्रह उन राज्यों को कुछ राहत देगा जो गारंटीकृत मुआवजे की अवधि से बाहर आ गए हैं और अपनी राजस्व जुटाने की क्षमताओं के बारे में चिंतित हैं।

5जी स्पेक्ट्रम नीलामी से रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ रुपये मिले

बोली लगाने में जियो रही अव्वल
नयी दिल्ली । भारत में अबतक की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी सोमवार को खत्म हो गई। सात दिन तक चली इस नीलामी में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 5जी दूरसंचार स्पेक्ट्रम की रिकॉर्ड बिक्री हुई।
इस नीलामी में अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी की कंपनी जियो ने अपनी अग्रणी स्थिति को मजबूत करने के लिए सबसे अधिक बोली लगाई। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक कुल 1,50,173 करोड़ रुपये की बोलियां लगाई गईं।

अत्यधिक उच्च गति के मोबाइल इंटरनेट संपर्क की पेशकश करने में सक्षम 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की यह राशि पिछले साल बेचे गए 77,815 करोड़ रुपये के 4जी स्पेक्ट्रम से लगभग दोगुना है। यह राशि 2010 में 3जी नीलामी से मिले 50,968.37 करोड़ रुपये के मुकाबले तीन गुना है।

रिलायंस जियो ने 4जी की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक तेज गति से संपर्क की पेशकश करने वाले रेडियो तरंगों के लिए सबसे अधिक बोली लगाई।
इसके बाद भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का स्थान रहा। बताया जाता है कि अडाणी समूह ने निजी दूरसंचार नेटवर्क स्थापित करने के लिए 26 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदा है। सूत्रों ने कहा कि किस कंपनी ने कितना स्पेक्ट्रम खरीदा, इसका ब्योरा नीलामी के आंकड़ों के पूरी तरह आने के बाद ही पता चलेगा।
सरकार ने 10 बैंड में स्पेक्ट्रम की पेशकश की थी, लेकिन 600 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज और 2300 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए कोई बोली नहीं मिली।
लगभग दो-तिहाई बोलियां 5जी बैंड (3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज) के लिए थीं, जबकि एक-चौथाई से अधिक मांग 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में आई। यह बैंड पिछली दो नीलामियों (2016 और 2021) में बिना बिके रह गया था।
पिछले साल हुई नीलामी में रिलायंस जियो ने 57,122.65 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम लिया था। भारती एयरटेल ने लगभग 18,699 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी और वोडाफोन आइडिया ने 1,993.40 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम खरीदा था।
इस साल कम से कम 4.3 लाख करोड़ रुपये के कुल 72 गीगाहर्ट्ज रेडियो तरंगों को बोली के लिए रखा गया था।