Wednesday, September 17, 2025
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अणुओं पर अनुसंधान के लिये तीन वैज्ञानिकों को मिला रसायन का नोबेल पुरस्कार

स्टाकहोम ।  रसायन विज्ञान में इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार कैरोलिन आर बर्टोज्जी, मोर्टन मेल्डल और के. बैरी शार्पलेस को समान भागों में ‘अणुओं के एक साथ विखंडन’ का तरीका विकसित करने के लिए प्रदान किया गया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के महासचिव हैंस एलेग्रेन ने बुधवार को स्वीडन के स्टॉकहोम में करोलिंस्का इंस्टीट्यूट में विजेताओं की घोषणा की। उनके काम को क्लिक रसायन और बायोऑर्थोगोनल प्रतिक्रियाओं के रूप में जाना जाता है। इसका उपयोग कैंसर की दवाएं बनाने, डीएनए मैपिंग करने और एक विशिष्ट उद्देश्य के अनुरूप सामग्री बनाने के लिए किया जाता है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के महासचिव हैंस एलेग्रेन ने बुधवार को स्वीडन के स्टॉकहोम में करोलिंस्का इंस्टीट्यूट में विजेताओं की घोषणा की।
उनके काम को क्लिक रसायन और बायोऑर्थोगोनल प्रतिक्रियाओं के रूप में जाना जाता है। इसका उपयोग कैंसर की दवाएं बनाने, डीएनए मैपिंग करने और एक विशिष्ट उद्देश्य के अनुरूप सामग्री बनाने के लिए किया जाता है।
बर्टोज्जी कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में स्थित हैं, मेल्डल डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय से हैं और शार्पलेस कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स रिसर्च से संबद्ध हैं। शार्पलेस ने पहले 2001 में नोबेल पुरस्कार जीता था। वह दो बार पुरस्कार प्राप्त करने वाले पांचवें व्यक्ति हैं।
निएंडरथल डीएनए के रहस्यों को उजागर करने वाले वैज्ञानिक को सम्मानित करने वाले चिकित्सा पुरस्कार के साथ सोमवार को नोबेल पुरस्कार की घोषणाओं का सप्ताह शुरू हो गया। तीन वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से मंगलवार को भौतिकी में यह पुरस्कार जीता कि छोटे कण अलग होने पर भी एक दूसरे के साथ संबंध बनाए रख सकते हैं।

जानिए, क्या है क्लिक केमिस्ट्री
स्वीडन के स्टॉकहोम स्थित नोबेल कमेटी ने बुधवार को रसायन के नोबेल पुरस्कार का एलान कर दिया। अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की कैरोलिन बेरटोजी, स्क्रिप्स रिसर्च के बैरी शार्पलेस और डेनमार्क की यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के मॉर्टेन मिएलडॉल को साझा तौर पर यह सम्मान दिया गया है। तीनों को केमिस्ट्री की एक अहम खोज- ‘क्लिक केमिस्ट्री’ के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया। इन वैज्ञानिकों की खोज कितनी अहम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज दवाओं के निर्माण से लेकर मरीजों के डायग्नोस्टिक और नए पदार्थों के निर्माण में भी क्लिक केमिस्ट्री का अहम योगदान है।

स्वाद से लीजिए विजय के उत्सव का आनन्द

 गुलगुला

सामग्री : 250 ग्राम गेहूं का आटा, पाव कटोरी बेसन, 150 ग्राम शकर, 1 चम्मच इलायची पाउडर, 1 छोटी चम्मच खसखस, तलने के लिए तेल।

विधि : सर्वप्रथम आटे में शकर डालकर उसका गाढ़ा घोल करके आधे घंटे के लिए रख दें। तत्पश्चात उसमें इलायची पाउडर, खसखस के दाने डालकर मिश्रण को एकसार कर लें। एक कड़ाही में तेल गरम कर उसके गोल-गोल पकौड़े तल लें। लीजिए तैयार है क्रंची मीठे गुलगुले। दशहरा पर्व पर इसे बनाएं, खाएं और खिलाएं।

 

चटपटी कुरकुरी कचौरी


सामग्री : 500 ग्राम मैदा, 1/2-1/2 कटोरी उड़द मोगर-मूंग मोगर, 2 चुटकी हींग, 2 चम्मच दरदरी सौंफ, 2 चम्मच धनिया पाउडर, 1 कटोरी दही, गरम मसाला 1/2 चम्मच, लाल मिर्च 1 चम्मच, तेल तलने के लिए।
विधि : सबसे पहले दोनों दालों को कचोरी बनाने के 3-4 घंटे पूर्व भिगो दें। कुछ दाल छोड़ कर बाकी को दरदरा पीस लें। अब कड़ाही में थोड़ा-सा तेल लेकर सौंफ का बघार व हींग डालें, दाल दरदरी एवं खड़ी दोनों को भूनें व सभी मसाले मिलाकर ठंडा कर लें।
मैदे में 1/2 टी स्पून नमक मिलाकर छान लें। डेढ़ बड़ा चम्मच मोयन डालकर रोटी जैसा गूंध लें, छोटी-छोटी लोई बना लें, हथेली को चिकना करके लोई फैलाएं, किनारे पतले करके मसाला भरें व बंद करके कचौरियां तैयार कर लें। तेल गर्म करें फिर गुनगुने तेल में कचौरियां डालें। धीमी आंच पर कचौरियां सुनहरी होने तक तल लें। गर्मा-गर्म कचौरियों को हरी चटनी के साथ सर्व करें और पर्व का आनंद उठाएं।

तो यह है पूजा और त्योहारों में गेंदे का महत्व

त्योहार कोई भी हो, उत्सव कोई भी हो, गेंदे के फूलों का अपना महत्व है। केसरिया और हल्के पीले गेंदे के फूल किसी भी सजावट में रौनक ला देते हैं। जानिए इसके महत्व के बारे में –
गेंदे का रंग केसरिया है। यह रंग विजय, हर्ष और उल्लास का प्रतिनिधित्व करता है। इस फूल का धार्मिक महत्व भी अन्य फूलों से ज्यादा है। यूं तो गुलाब तथा चमेली के साथ और भी अन्य कई प्रकार के सुगंधित फूल धरती पर मौजूद हैं तब भी गेंदे के फूल का रंग शुभ का प्रतीक माना जाता है। इनके चटख रंग देखकर ही मन प्रफुल्लित हो जाता है। केसरिया मिश्रित पीला या लाल मिश्रित पीला दोनों ही रंग पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं अत: प्रकृति प्रदत्त यह उपहार पर्व के प्रति स्नेह, सम्मान और प्रसन्नता दर्शाते हैं।
2. इसका अपना अलग धार्मिक महत्व भी है। अत: विजय पर्व पर गेंदे को सजाने और पूजा में चढ़ाने का महत्व है। इसे सूर्य का प्रतीक भी माना गया है। प्राचीन ग्रंथों में यह फूल सुंदरता और ऊर्जा का प्रतीक भी माना गया है। ये फूल शब्दों के बिना ही विजय पर्व के प्रति प्रसन्नता जाहिर कर देते हैं।

3. यह दिव्य शक्तियों के साथ सत्य का प्रतीक माना गया है। इसके लाल मिश्रित पीले रंग को भगवान के प्रति समर्पण का प्रतीक माना है। इसकी गंध सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को दूरकर तनाव को कम करती है। यह सामान्यत: वातावरण को शांति प्रदान करने वाला होता है।
4. इसके अंदर कैंसर जैसी घातक बीमारियों से दूर रखने का गुण होते हैं। यह सजावटी फूल प्राकृतिक रूप से कीट-पतंगों के साथ मच्छरों को भी दूर रखने में सहायता प्रदान करता है। रिसर्च से पता चला है कि इसके अंदर कान के संक्रमण को दूर करने की क्षमता होती है। यह प्राकृतिक रूप से एंटीसेप्टिक भी है।

5. दशहरा आते ही गेंदे के भाव आसमान छूने लगते हैं। इसे मेरीगोल्ड भी कहते हैं परंतु संपूर्ण भारत में यह गेंदे के नाम से जाना जाता है। इसे संस्कृत में स्थूलपुष्प के नाम से जाना जाता है।

गेंदे के फूलों को सांगली, सातारा और बैंगलोर से विशेष रूप से मंगवाया जाता है। दशहरे से लेकर दिवाली तक गेंदे की बिक्री करोड़ों में होती है। घर में खुशनुमा माहौल बनाने वाले गेंदे की मांग हर तरफ दिखाई देती है।
(साभार – वेब दुनिया)

विजयादशमी विशेष : बहुत महत्व रखती है शमी पूजा और अपराजिता

विजयादशमी के दिन अपराजिता पूजा और शमी पूजा का विशेष महत्व है। घर वापसी के लिए यह दिन आदर्श है। नारी पूजा की जाती है। नए कपड़े और आभूषण पहनाए जाते हैं। राजाओं द्वारा अपने हथियारों या धन की पूजा की जाती है। विजयादशमी के दिन रावण दहन होता है। नवरात्रि के दसवें दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि विजयादशमी का मतलब सिर्फ रावण दहन नहीं है। इस दिन का महत्व इससे आगे भी है। विजयादशमी के दिन नवरात्रि पर्व का समापन होता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन मां दुर्गा धरती से अपने संसार के लिए प्रस्थान करती हैं। यही कारण है कि विजयादशी को यात्रा तिथि भी कहा जाता है। इस दिन किसी भी दिशा में यात्रा करने में कोई दोष नहीं है।
विजयादशमी के दिन अपराजिता पूजा और शमी पूजा का विशेष महत्व है। घर वापसी के लिए यह दिन आदर्श है। नारी पूजा की जाती है। नए कपड़े और आभूषण पहनाए जाते हैं। राजाओं द्वारा अपने हथियारों या धन की पूजा की जाती है। यह राजाओं, सामंतों और क्षत्रियों के लिए विशेष महत्व का दिन है।


नीलकंठ के दर्शन होते हैं शुभ
इस दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माने जाते हैं। नीलकंठ पक्षी को शास्त्रों में भगवान का प्रतिनिधि बताया गया है। यही कारण है कि यह पक्षी दशहरे पर देखा जाता है। भगवान शंकर ने विष पिया था और नीलकंठ कहलाए। यह पक्षी भी नीलकंठ है, इसलिए इसकी दृष्टि शुभ मानी जाती है। नीलकंठ को भारत में किसानों का मित्र भी माना जाता है क्योंकि यह अनावश्यक कीड़ों को खाकर किसान की मदद करता है।
पढ़िए शमी के पत्तों की कहानी
शास्त्रों में एक कथा है। कौत्स महर्षि वर्तंतु के शिष्य थे। अपनी शिक्षा पूरी होने पर वर्तुन्तु ने उनसे गुरु दक्षिणा में 14 करोड़ सोने के सिक्के मांगे। इसकी व्यवस्था करने के लिए कौत्स महाराज रघु के पास गए। रघु ने पहले ही दान के लिए खजाना खाली कर दिया था।
उन्होंने कौत्स से तीन दिन का समय मांगा और इंद्र पर हमला करने का विचार किया। इंद्र ने घबराकर कोषाध्यक्ष कुबेर को रघु के राज्य में सोने के सिक्कों की बारिश करने का आदेश दिया। कुबेर ने शमी के पेड़ से सोने की वर्षा की। जिस दिन बारिश हुई थी, उसी दिन विजयदशमी का त्योहार मनाया गया था।

सृजन सारथी सम्मान के लिए चयनित हुईं प्रो. प्रेम शर्मा

कोलकाता । शुभ सृजन नेटवर्क का पहला सृजन सारथी सम्मान प्रो. प्रेम शर्मा को देने की घोषणा की गयी है। संस्था के तृतीय वर्षपूर्ति आयोजन में आभासी पटल पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय की मंत्री एवं मुख्य अतिथि दुर्गा व्यास ने इसकी घोषणा की। उन्होंने प्रो. शर्मा की सरलता, सृजनात्मकता, जीजिविषा एवं कर्मठता की सराहना की। प्रो. प्रेम शर्मा की सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘एक दीप जलाकर देखो’ पर केन्द्रित वक्तव्य रखते हुए भवानीपुर कॉलेज गुजराती एडुकेशन सोसायटी की प्रवक्ता डॉ. वसुन्धरा मिश्र ने कहा कि संग्रह की कविताओं में लय है, दृढ़ता है और सन्देश भरा पड़ा है। अपनी सृजनात्मक यात्रा पर बात करते हुए प्रो. प्रेम शर्मा ने कहा कि लेखन के प्रति उनको साहित्यकार अरुण अवस्थी एवं कवि कालीप्रसाद जायसवाल से प्रेरणा मिली। प्रो. प्रेम शर्मा ने 40 वर्षों तक अध्यापन किया है, समाज सेवा में सक्रिय रही हैं और अब तक 3 पुस्तकें लिख चुकी हैं। कार्यक्रम का संचालन कामायनी संजय ने किया। शुभ सृजन नेटवर्क की संस्थापक एवं प्रमुख सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिय़ा ने कहा कि वरिष्ठ जनों के प्रति कृतज्ञता बोध को अभिव्यक्त करते हुए सृजन सारथी सम्मान की घोषणा की गयी है। प्रो. प्रेम शर्मा को प्रथम सृजन सारथी सम्मान प्रदान करना गौरव की बात है और इसे लेकर समारोह आयोजित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त सृजनात्मकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले युवाओं के लिए सृजन प्रहरी सम्मान भी आरम्भ किया जा रहा है। आभासी कार्यक्रम में कई वरिष्ठ साहित्यकार एवं युवाओं ने भी भाग लिया।

शुभजिता दुर्गोत्सव – 2022 पूजा परिक्रमा

दुर्गापूजा के रंग में सारा महानगर ही नहीं बल्कि सारी दुनिया झूम उठी है। महानगर से लेकर जिलों तक में आकर्षक बहुरंगी मंडप सज उठे हैं…तो चलते हैं शुभजिता दुर्गोत्सव 2022 की पूजा परिक्रमा में –

भवानीपुर 75 पल्ली 

भवानीपुर 75 पल्ली की पूजा की थीम परम्परा पर केन्द्रित है। थीम है एतिज्य बेचे थाकूक यानी धरोहर बची रहे। इसकी परिकल्पना प्रशान्त पाल ने की है। पूजा मण्डप को बंगाल के परम्परागत पट्ट चित्रों से सजाया गया है। मिदनापुर के नयाग्राम स्थित पिंगला इस परम्परा को निभा रहे हैं। पूजा कमेटी के सचिव सुबीर दास ने कहा कि पट्ट चित्र में चीजों को रिसाइकिल किया जाता है। इस पूजा का 58वाँ वर्ष है।


यंग बॉयज क्लब

यंग बॉयज क्लब की दुर्गापूजा में माँ मयूरपंखी नौका पर सवार हैं। मध्य कोलकाता के ताराचंद दत्त स्ट्रीट पर स्थित इस पूजा मंडप को सजाने के लिए होगला के पत्ते, पथकाठी और सूखे मेवों का इस्तेमाल किया गया है। पूजा का यह 53वाँ वर्ष है। यंग बॉयज क्लब के युवा अध्यक्ष विक्रांत सिंह ने कहा कि मंडप के निर्माण में आधुनिक कलाकारों के साथ ग्रामीण कलाकारों की भी सहायता ली गयी है।


मोहम्मद अली पार्क

मोहम्मद अली पार्क के यूथ एसोसिएशन की दुर्गा पूजा में इस बार राजस्थान की स्थापत्य शैली दिखेगी। मंडप राजस्थान के उदयपुर स्थित शीश महल की प्रतिकृति है। इय पूजा कमेटी के महासचिव सुरेन्द्र वर्मा के अनुसार बहुत से लोग राजस्थान नहीं जा पाते इसलिए उनको ध्यान में रखकर यह थीम चुनी गयी है। पूरे मंडप में शीशे, कांच की झालर और बहुरंगी चित्रों की छटा दिखाई पड़ रही है। इस पूजा की शुरुआत 1969 में हुई थी। प्रतिमा पारम्परिक है। इस पूजा का यह 54वाँ वर्ष है। आक्रर्षक प्रकाश सज्जा मंडप की सुन्दरता में और भी निखार ला रही है।

राजू श्रीवास्तव : सबके दिल में बस गये गजोधर भइया

कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का निधन हो गया है। राजू श्रीवास्तव स्टेज पर तो अपनी शानदार कॉमेडी से सबको हंसाते ही थे इसके अलावा वह असल जिंदगी में भी बहुत जिंदादिल इंसान थे। राजू की प्रोफेशनल लाइफ के बारे में तो ज्यादातर लोग जानते हैं लेकिन उनके निजी जीवन के बारे में कम ही लोगों को पता है। यहां जानिए उनकी जिंदगी के अनसुने किस्से…

पहली बार घर से भागने में असफल

राजू श्रीवास्तव सिनेमा को बहुत पसंद करते थे और इसी वजह से उनकी मां को हमेशा लगता था कि वह एक दिन कहीं भागकर मुंबई न चले जाए। एक बार ऐसा हुआ भी। एक दिन राजू श्रीवास्तव अचानक ही अपने घर से मुंबई जाने के लिए निकल गए थे। हालांकि, तब उनके दोस्त ने मां को सब बता दिया था, जिसके बाद मां तुरंत ही स्टेशन निकल पड़ीं। इस दौरान राजू श्रीवास्तव की मां ने बड़ी मशक्कत के बाद उन्हें एक ट्रेन से खोज निकाला। इसके बाद उन्हें स्टेशन पर भी खूब डांट पड़ी।

झूठ बोलकर फिल्म देखने जाते थे

राजू श्रीवास्तव को बचपन से ही सिनेमा का शौक रहा था। इसी वजह से वह स्कूल बंक करके भी सिनेमा देखने जाते थे। लेकिन जब उनकी मां को यह सब पता चला तो वह राजू को सिनेमा हॉल में ही ढूंढ़ने चली गईं। कहा जाता है कि उस दिन उन्हें खूब डांट पड़ी। हालांकि, इसके बाद भी उन्होंने सिनेमा देखने का तोड़ निकाल लिया था। उनकी मां धार्मिक इंसान थीं और इसी वजह से पकड़े जाने पर वह रामलीला का बहाना करके फिल्म देखने जाते थे। लेकिन इसके बाद भी कॉमेडियन पकड़े गए थे।

बेहद नेकदिल इंसान थे 
राजू श्रीवास्तव एक बेहद ही नेकदिल इंसान थे और समय पड़ने पर सभी की मदद भी किया करते थे। उनके दोस्त अशोक (जो खुद भी कॉमेडियन हैं) ने राजू श्रीवास्तव के साथ बिताए पलों को याद करते हुए बताया कि एक दिन अचानक राजू श्रीवास्तव ने उन्हें महालक्ष्मी के डीएस स्टूडियो में रिकॉर्डिंग के लिए बुलाया था और कहा था कि आईए एक दो लाइन आप भी बोल दीजिए। अशोक कहते हैं कि मैं उनका बड़प्पन कभी नहीं भूल सकता। जिंदगी में पहली बार मेरे हाथ में डेढ़ सौ रुपया कैश था जो उन्होंने दिलवाया था। इसके  बाद उन्होंने खाना भी खिलवाया। अशोक कहते हैं कि मुंबई आने के बाद पहली बार मैंने भरपेट खाना खाया था। इसके बाद राजू श्रीवास्तव ने यहां तक कहा था कि तुम मेरे घर पर आकर रहो।
जब भीड़ से बचने के लिए महिला के घर चले गए थे 
राजू श्रीवास्तव असल जिंदगी में भी बेहद सरल इंसान थे। एक बार कॉमेडियन राजू मसूरी गए हुए थे, जहां पर वह सुबह को मॉर्निंग वॉक करने निकले। इस दौरान लोगों ने उन्हें पहचान लिया और सेल्फी खींचने के लिए घेर लिया। भीड़ से बचने के लिए राजू श्रीवास्तव एक व्यापारी की मां के साथ उनके घर चले गए थे।
(साभार – अमर उजाला)

नवरात्रि में पोषक हो आपका आहार

नौ दिवसीय नवरात्रि उपवास 26 सितंबर से शुरू हो गए हैं और 4 अक्टूबर तक चलेंगे। शरद ऋतु के दौरान अश्विन के चंद्र महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है, जबकि मार्च या अप्रैल में मनाया जाने वाला नवरात्रि पहले वर्ष में चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। इन दोनों नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के भक्त सभी दिन उपवास रखते हैं।

उपवास के दौरान फलाहारी आहार का पालन किया जाता है और त्योहार के दौरान केवल चयनित अनाज या चावल जैसे सम के चावल, कुट्टू का आटा, राजगिरा आटा, सिंघाड़ा आटा, साबूदाना का उपयोग सात्विक भोजन तैयार करने के लिए किया जाता है, जबकि गेहूं, चावल, फलियां, प्याज, लहसुन का उपयोग नहीं किया जाता।

पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कार्ब्स, स्वस्थ वसा, विटामिन और खनिजों के साथ संतुलित भोजन करने से आपको उपवास के दौरान स्वस्थ रहने में मदद मिल सकती है। समय पर और पौष्टिक भोजन करने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों को लक्षणों का प्रबंधन करने में भी मदद मिल सकती है। नवरात्रि उपवास के दौरान अच्छी तरह से हाइड्रेट रहना भी जरूरी है। फैट टू स्लिम की डायरेक्टर और न्यूट्रिशनिस्ट एंड डाइटीशियन शिखा अग्रवाल शर्मा बता रही हैं कि आप इन दिनों स्वस्थ रहने और ताजगी के लिए घर में कौन-कौन से पेय बना सकते हैं।

नारियल का माचासिर्फ तीन चीजों से बना माचा ड्रिंक एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है और वास्तव में स्वादिष्ट हो सकता है। माचा को एक बड़े मग में डालें, गर्म पानी डालें और झाग आने तक तेज गति से फेंटें। नारियल का दूध और अपनी पसंद का स्वीटनर डालें। आप मेपल सिरप, खजूर या गुड़ का उपयोग करके नेचुरल मिठास जोड़ सकते हैं।

​संतरे के साथ नींबू पानी का रस

ताजा निचोड़ा हुआ संतरे का रस और संतरे के स्लाइस जोड़कर एक शानदार क्लासिक होममेड नींबू पानी बनाया जा सकता है। इस पेय का खट्टा-मीठा स्वाद पाचन में भी सहायता करता है। संतरे और नींबू की खुशबू इसे और बढ़िया सुगंध और स्वाद देती ह। यह पेय एंटीऑक्सीडेंट से भी भरपूर हो जाता है।

गोल्डन जूस

इसके लिए एक चुटकी काली मिर्च के साथ हल्दी और खजूर चाहिए। इन सभी चीजों को बादाम के दूध में डालकर मिक्स कर लें। स्वाद बढ़ाने के लिए एक चुटकी हिमालयन पिंक सॉल्ट मिला सकते हैं।

​ठंडी अदरक और हरी चाय

गर्म ग्रीन टी पीने की हमेशा सलाह दी जाती है। लेकिन चलिए इसे ठंडा पीने का भी एक अलग आनंद है। ग्रीन टी को ठंडा करें और उसमें थोड़ा सा नींबू, शहद और ताजा निचोड़ा हुआ अदरक का रस मिलाएं। इसे पुदीने की पत्तियों से गार्निश करें।

​तरबूज और तुलसी का रस

इसे बनाने के लिए आपको एक चुटकी काला नमक, ताजा तुलसी और नींबू का रस चाहिए। सभी चीजों को मिक्स कर लें। इसमें तरबूज के टुकड़े डाले जा सकते हैं। ऊपर से बर्फ के टुकड़े डालकर सर्व करें। यह निश्चित रूप से आपको तरोताजा कर देगा और आपको आने वाले लंबे दिन के लिए रिचार्ज करेगा।

​ चिया-कोको वाटर

ताजा नारियल पानी एक अच्छा डिटॉक्स है और इसे बेहतर बनाने के लिए इसमें चिया सीड्स मिक्स करें। ये छोटे बीज फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट के बढ़िया स्रोत हैं। आप चिया सीड्स की जगह तुलसी के बीज भी ले सकते हैं। इसके अलावा आप इसमें नीबू का रस मिला सकते हैं ताकि इसे एक टेंगी ट्विस्ट दिया जा सके।

(साभार – नवभारत टाइम्स)

डीवीसी के मुख्यालय में राजभाषा पखवाड़ा समारोह 2022

कोलकाता। दामोदर घाटी निगम के मुख्यालय में राजभाषा पखवाड़ा समारोह 2022 का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सरकारी कार्यालयों में राजभाषा की उपयोगिता, महत्व और हिंदी में कामकाज की संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यपालक निदेशक, मानव संसाधन श्री राकेश रंजन के संबोधन के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि दामोदर घाटी निगम में राजभाषा समारोह का बड़े पैमाने पर आयोजन हिंदी के व्यापकत्व का ही परिणाम है। विद्यासागर विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर तथा ‘संस्कृति नाट्य मंच’ के संयोजक डॉ संजय जायसवाल ने राजभाषा के महत्त्व पर चर्चा करते हुए कहा कि राजभाषा को व्यावहारिक धरातल पर सरल बनाते हुए कामकाज में अधिक से अधिक प्रयोग करने की जरूरत है। हिंदी को भारतीय भाषाओं के बीच संवाद की भाषा के तौर पर लिया जाना चाहिए।हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सरकारी कामकाज के अलावा साहित्य और कलाओं से भी जोड़ने की जरूरत है।नाटक की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए उन्होंने निगम के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा स्थापित नाट्य संस्था ‘संस्कृति नाट्य मंच’ द्वारा दो नाटकों की प्रस्तुति की गई। पहला नुक्कड़ नाटक ”आज़ादी का रंग तिरंगा” था जिसमें तिरंगे के महत्त्व को प्रतिपादित किया गया और दूसरा नाटक प्रेमचंद की कहानी पर आधारित ”हिंसा परमो धर्मः” था जिसमें धार्मिक वैमनस्यता की निर्रथकता की ओर संकेत किया गया। इन दोनों नाटकों में इबरार खान, मधु सिंह, राहुल गौड़, विशाल साव, सूर्य देव रॉय, राजेश सिंह, रवि पंडित, आशुतोष झा, कोमल साव, सपना कुमारी, राज घोष, चंदन भगत और मो. इज़राइल ने प्रभावी अभिनय किया। कार्यक्रम का सफल संचालन पिंकी जायसवाल शासमल ने किया। इस पूरे कार्यक्रम का संयोजन राजभाषा हिंदी विभाग के आशुतोष पांडे, सुधीर कुमार साव, रवि सिन्हा समेत निगम के अन्य अधिकारियों ने किया।

केओपीटी ने 30 वर्ष के लिए बढ़ाई लीज

कोलकाता । व्यावसायिक सुगमता की दृष्टि से लंबी लीज महत्वपूर्ण है। केओपीटी ने लीज 30 साल के लिए बढ़ा दी है। मर्चेन्ट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के चेयरमैन विनीत कुमार ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट ने आधारभूत संरचना परियोजनाओं में पीपीपी मॉडल पहले से अपना लिया है। हल्दिया में 1 करोड़ और और एक निजी समूह के साथ 250 करोड़ की परियोजना है। कोलकाता से बांग्लादेश होते हुए उत्तर -पूर्व एशिया तक के कार्गो यातायात के लिए ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हुआ है। भारत सरकार बांग्लादेश से इसे लेकर समझौता करेगी। 32 में से 24 किमी की पोर्ट के पास की सड़क फिर से निर्मित की गयी है। स्वागत भाषण में एमसीसीआई के अध्यक्ष ऋषभ कोठारी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर लॉजिस्टिक सम्बन्धी नीतियाँ सम्पर्क को बढ़ाने वाली और परिवहन से सम्बन्धित चुनौतियों के समाधान पर बात करती हैं। धन्यवाद ज्ञापन एमसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष विशाल झांझरिया ने किया।