Thursday, September 18, 2025
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फ्लैट की सीलन से हैं परेशान? 47 लाख रुपये की राहत वाले फैसले ने दिखा दिया है नया रास्ता

नयी दिल्ली । जब आप किसी बिल्डर से फ्लैट या घर खरीदते हैं तो आपको उसके रखरखाव के लिए मेंटेनेंस चार्ज देना होता है। जरूरत पड़ने पर मरम्मत भी बिल्डर या सोसाइटी की जिम्मेदारी होती है लेकिन मेंटेनेंस चार्ज देने के बावजूद अगर सीलन या छत या फिर दीवारों से रिसाव से परेशान हैं तो बॉम्बे हाई कोर्ट का हालिया फैसला उम्मीद जगाने वाला है। कोर्ट ने हाउसिंग सोसाइटी को आदेश दिया है कि वह छत की रिसाव के लिए फ्लैट खरीददार को 47 लाख रुपये अदा करे। 12 प्रतिशत की दर से ब्याज अतिरिक्त होगा। सीलन या रिसाव ही क्यों, मेंटेनेंस को लेकर किसी भी तरह की परेशानी की हालत में ये फैसला नई राह दिखाने वाला है।
रिसाव से परेशान फ्लैट मालिक को 47 लाख रुपये देने का आदेश
सबसे पहले बात बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले की। कृष्णा बजाज नाम की एक महिला ने भारतीय भवन को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में 1992 में पिछले मालिक से एक फ्लैट खरीदा। लेकिन सोसाइटी ने मेंटेनेंस को नजरअंदाज किया जिस वजह से फ्लैट के छत से रिसाव होने लगा। इससे फर्नीचर समेत घर के सामानों को नुकसान हुआ। उसने हाउसिंग सोसाइटी से कई बार मरम्मत की गुहार लगाई लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। आखिरकार, फ्लैट मालिक ने 2004 में खुद के खर्च से दोबारा छत की ढलाई कराई जिसमें करीब 47 लाख रुपये खर्च हुए। को-ऑपरेटिव अपीलेट कोर्ट से महिला के पक्ष में फैसला आया। उसने सोसाइटी को छत ढलाई में आए खर्च को फ्लैट ओनर को देने का आदेश दिया। साथ में रिसाव की वजह से हुए नुकसान की भरपाई के लिए अलग से 40 लाख रुपये देने का आदेश दिया।
इस फैसले के खिलाफ हाउसिंग सोसाइटी हाई कोर्ट पहुंची। हाई कोर्ट ने मरम्मत पर आए खर्च को फ्लैट मालिक को देने के आदेश को बरकरार रखा। सोसाइटी को 47 लाख रुपये 12 प्रतिशत साधारण ब्याज के हिसाब से देने का आदेश दिया। हालांकि, कोर्ट ने सोसाइटी को भी राहत दी। उसने निचली अदालत के फर्नीचर और अन्य सामानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 40 लाख रुपये अतिरिक्त देने के आदेश को रद्द कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि फ्लैट मालिक यह साबित करने में नाकाम रहीं हैं कि उन्हें नुकसान हुआ है। जस्टिस एस. के. शिंदे की बेंच ने कहा कि छत सोसाइटी की संपत्ति है और उसे अच्छी हालत में रखना उसकी जिम्मेदारी है। कोर्ट ने कहा कि अगर सोसाइटी ने छत की मरम्मत करा दी होती तो फ्लैट मालिक को 1992 से अबतक परेशान नहीं होना पड़ता।
क्या होता है मेंटेनेंस चार्ज
मेंटेनेंस चार्ज में आमतौर पर हाउसिंग सोसाइटी के रखरखाव का खर्च और बाद में मरम्मत के काम में आने वाला खर्च शामिल होता है। इस्तेमाल में लाए जा रहे कॉमन एरिया के रखरखाव और मरम्मत के लिए भी मेंटेंनेंस चार्ज वसूला जाता है। भारत में आमतौर पर मेंटेनेंस चार्ज 2 रुपये से लेकर 25 रुपये प्रति वर्ग फुट है। मेंटेनेंस की जिम्मेदारी सोसाइटी की होती है और अगर उसकी लापरवाही की वजह से किसी शख्स को नुकसान होता है तो इसका हर्जाना भी उसे ही देना होगा। पार्किंग, सीढ़ियों, बेसमेंट वगैरह की साफसफाई और रखरखाव की जिम्मेदारी हाउसिंग सोसाइटी की होती है।
जब सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर को 33 करोड़ रुपये मेंटेनेंस चार्ज लौटाने को कहा
मेंटेंनेंस चार्ज वसूलने का मतलब है कि बिल्डर सही से रखरखाव करेगा। अगर वह ऐसा नहीं करता तो उसे मैंटिनेंस चार्ज वसूलने का हक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में गुरुग्राम के एक बिल्डर को फ्लैट खरीदारों से वसूले गए 33 करोड़ मेंटेनेंस चार्ज को लौटाने का आदेश दिया। मामला एंबिएंस लगून अपार्टमेंट का था जो नैशनल हाईवे 8 पर बने एंबिएंस मॉल के पीछे है। इसमें 15 ब्लॉक हैं। 2002 में बिल्डर ने खरीदारी के वक्त फ्लैट बायर्स से वादा किया था कि वह हर 10 फ्लैट पर एक लिफ्ट देगा। लेकिन ज्यादातर ब्लॉक में वादे के मुताबिक 4 के बजाय सिर्फ 2 ही लिफ्ट उपलब्ध कराया गया। इसके खिलाफ 66 फ्लैट मालिकों ने कोर्ट का रुख किया। 19 मार्च 2014 को नैशनल कंज्यूमर डिस्पुट रिड्रेसल कमिशन ने फ्लैट खरीदारों के पक्ष में फैसला सुनाया। लेकिन बिल्डर इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीडीआरसी के फैसले को बरकरार रखते हुए बिल्डर को आदेश दिया कि 2002 से फ्लैट बायर्स से मेंटेनेंस फीस के तौर पर जितनी भी राशि वसूली गई है, उसका 70 प्रतिशत उन्हें रीफंड किया जाए। ये राशि 33.38 करोड़ रुपये थी। इसका फायदा एंबिएंट लगून अपार्टमेंट के सभी 345 फ्लैट मालिकों को हुआ।
बिना ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट बिल्डर नहीं वसूल सकते मेंटेंनेंस चार्ज
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इसी साल जनवरी में फ्लैट खरीददार के लिए बहुत बड़ी राहत देने वाला फैसला सुनाया। आयोग ने कहा कि बिना ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट के बिल्डर मेंटेनेंस चार्ज नहीं वसूल सकते। आयोग ने कहा कि जबतक सिविक अथॉरिटी से फ्लैट बायर्स को ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता तबतक उनसे मेंटेनेंस चार्ज की मांग करना उचित नहीं है। यह बात तब भी लागू होगी जब फ्लैट बायर पजेशन लेने के बाद अपने-अपने फ्लैटों में रहने भी लगे हों। जबतक ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता, मैंटिनेंस चार्ज नहीं वसूला जाएगा।
वादाखिलाफी करे बिल्डर तो क्या है रास्ता?
अगर बिल्डर ने वादाखिलाफी की है या गैरवाजिब पैसे वसूले हैं या उससे किसी अन्य तरह की शिकायत है तो इसे कहां और कैसे दर्ज कराएं? इसका जवाब है रेरा या फिर उपभोक्ता आयोग में। फ्लैट खरीददार बिल्डर के खिलाफ रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (RERA) में शिकायत दर्ज करा सकता है। लेकिन अगर फ्लैट 2016 में रेरा कानून लागू होने से पहले खरीदा गया है तो उसे कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट, 1986 के तहत ही शिकायत दर्ज करानी पड़ेगी।

(साभार – नवभारत टाइम्स)

यूट्यूब से बढ़ी जीडीपी, हुई 10 हजार करोड़ की वृद्धि

मीडिया में एक खबर चर्चा में है कि यूट्यूब से कमाई कर ब्रिटेन में रहने वाले एक शख्स ने न सिर्फ 40 लाख रुपये का कर्ज चुका दिया बल्कि अब उसकी जिंदगी भी पूरी तरह से बदल गई है ।जी हां, आज के दिन में यूट्यूब रोजगार और कमाई का एक बड़ा जरिया बनता जा रहा है ।
भारत में इसका आकार और नये नये लोग लगातार जुड़ रहे हैं । लोग यूट्यूब पर वीडियो डालकर अच्छी कमाई कर रहे हैं । ऑक्सफोर्ड की एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में भारत की जीडीपी में यूट्यूब ने 10 हजार करोड़ से ज्यादा का योगदान दिया जो देश में साढ़े 7 लाख नौकरियों के बराबर है ।
जीडीपी में 10 हजार करोड़ से ज्यादा का योगदान: यूट्यूब की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूट्यूब ने भारत के जीडीपी में 10 हजार करोड़ से ज्यादा का योगदान दिया है । यूट्यूब हाल के दिनों में रोजगार का एक बड़ा जरिया बनकर उभरा है । देश में कई लोग यूट्यूब में वीडियो डालकर लाखों की कमाई कर रहे है । सबसे ज्यादा युवाओं का आकर्षण इस क्षेत्र में बढ़ा है ।
गौरतलब है कि हाल के दिनों में खास कर कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में यूट्यूबर्स की संख्या में काफी इजाफा हुआ है । यूट्यूब के जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत की जीडीपी में यूट्यूब का योगदान 6800 करोड़ रुपये का था । वहीं, यूट्यूब के जरिये 6,83,900 लोग फुल टाइम जुड़कर जॉब की तरह पैसे कमा रहे हैं । कोरोना काल के लॉकडाउन में यूट्यूब चैनलों की संख्या काफी बढ़ी है ।
कमाई का अच्छा जरिया है यूट्यूब: गौरतलब है कि देश में कमाई का यूट्यूब अच्छा जरिया बनता जा रहा है । लोग यू ट्यूब पर किसी खास कैटेगरी में वीडियो बनाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं । हालांकि, कमाई के लिए आपके चैनल का मॉनिटाइजेशन जरूरी है, लेकिन जब मॉनिटाइजेशन शुरू होने लगता है तो इससे अच्छी खासी कमाई होने लगती है ।
विज्ञापनों के जरिए होती है तगड़ी कमाई: यूट्यूब पर यूट्यूबर्स विज्ञापनों के जरिए तगड़ी कमाई कर सकते हैं । इसके लिए जरूरी है कि आपके यूट्यूब चैनल पर कंपनी विज्ञापन दे । हालांकि जब चैनल मोनेटाइज होने लगता है तो ऐड भी मिलने शुरू हो जाते हैं । दरअसल, वीडियो के बीच में दिखने वाला ऐड से क्रिएटर को पैसे मिलते हैं ।

 

सदैव गतिशील रहता है महाविध्वंसक सुदर्शन चक्र

​हिंदू धर्म के सभी देवी देवताओं ने कोई न कोई अस्त्र और शस्त्र धारण किया हुआ है जिसमें जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु सुदर्शन चक्र धारण करते हैं मान्यता है कि ये चक्र बेहद शक्तिशाली और महाविध्वंसक अस्त्र है यह भगवान ब्रह्मा के ब्रह्मास्त्र से भी अधिक ताकतवार है भगवान श्री हरि विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कई बड़े बड़े राक्षसों का वध किया था तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भगवान श्री हरि विष्णु के इसी महाविध्वंसक अस्त्र के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।


शास्त्रों के अनुसार सभी महा अस्त्रों में से सिर्फ सुदर्शन चक्र ही ऐसा है जो लगातार गतिशील रहता है सुदर्शन चक्र के निर्माण को लेकर यह कहा जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने खांडव वन को जलाने में अग्नि देवता की सहायता की थी बदले में उन्होंने श्री कृष्ण को एक चक्र और एक कौमोदकी गदा भेंद की थी एक प्रचलित कथा यह भी है कि परशुराम ने भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया था।
वही सुदर्शन चक्र की खासियत यह है कि इसे दुश्मन पर फेंका नहीं जाता है यह मन की गति से चलता है और शत्रु का विनाश करके फिर वापस लौट आता है ऐसा माना जाता है कि इस चक्र से बचने के लिए पूरी धरती पर कोई जगह नहीं है वही पुराणों और धार्मिक ग्रंथों की मानें तो यह एक सेकंड में लाखों बार घूमता है ।
इसका वजन 2200 किलो माना जाता है। आपको बता दें कि सुदर्शन चक्र एक गोलाकार अस्त्र है जो आकार में लगभग 12-30 सेंटीमीटर व्यास का है इस चक्र में दो पंक्तियों में लाखों कीलें विपरीत दिशाओं में चलती हैं जो इसे एक दांतेदार किनारा देती है ऐसा कहा जाता है कि यह अस्त्र ब्रह्मास्त्र से भी कई गुना अधिक शक्तिशाली अस्त्र है।

(साभार – प्रदेश लाइव डॉट कॉम)

 

सेहत के साथ सौन्दर्य का खजाना है घी

घी सेहत का खजाना है, क्योंकि इसमें विटामिन और कैलोरी समेत कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. घी खाने का स्वाद भी दोगुना करता है, साथ ही सेहत भी दुरुस्त रखता है। प्राचीन काल से ही लोग घी का उपयोग इसके सौंदर्य गुणों के लिए भी करते आ रहे हैं, यह त्वचा, होंठ और बालों से संबंधित कई समस्याओं को दूर कर आपको कोमल और चिकनी त्वचा पाने में मदद करता है। आइए जानते हैं इसके चमत्कारी फायदे –
त्वचा से रूखापन दूर करें- सर्दियों में अक्सर त्वचा रूखी और बेजान नजर आती है, ऐसे में अगर आप अपनी रूखी त्वचा पर कॉस्मेटिक क्रीम मॉइश्चराइजर की कितनी भी मात्रा लगा लें, तब भी रूखापन बना रहता है. ऐसे में घी लगाकर कुछ मिनट तक मसाज करें। आपकी रूखी त्वचा की समस्या बहुत जल्द दूर हो सकती है। घी आपकी रूखी त्वचा को हमेशा स्वस्थ रखने में मदद करेगा।
बढ़ती उम्र को करे दूर – बढ़ती उम्र के साथ त्वचा पर उम्र बढ़ने के लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसे में आपको चेहरे के लिए एंटी एजिंग गुणों से भरपूर घी का इस्तेमाल करना चाहिए। पानी से चेहरे की मसाज करें, यह फाइन लाइन्स और झुर्रियों को कम करने में काफी असरदार होता है। घी में मौजूद विटामिन ई त्वचा को जवां और चमकदार बनाने में मददगार होता है।
त्वचा को रखता है जवां – घी त्वचा की लचक को बढ़ाता है और त्वचा को लचीला बनाता है, जिससे त्वचा जवां बनी रहती है। यह एक प्राकृतिक स्क्रब भी है। घी में बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर इससे एक्सफोलिएट करें। मसाज करते हुए त्वचा को स्क्रब करें ताकि घी त्वचा में गहराई तक जा सके। इसके बाद इसे टिश्यू पेपर या सूखे कपड़े से पोंछ लें।
काले घेरे दूर करें – आंखों के आसपास घी की मालिश करने से काले घेरे दूर हो जाते हैं। साथ ही आंखों की थकान भी दूर होगी।
रूखी त्वचा को करें मॉइस्चराइज– 1 चम्मच देसी घी में 1 चम्मच शहद मिलाकर उसमें थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाएं। इस मास्क को लगाएं और सूखने पर धो लें। रूखी त्वचा के लिए यह एक बेहतरीन मॉइश्चराइजर का काम करेगा।
होंठों को बनाएं मुलायम- सर्दियों के मौसम में होंठ बहुत रूखे हो जाते हैं। कई बार वैसलीन या लिप केयर प्रोडक्ट लगाने के बाद भी रूखापन दूर नहीं होता है। अगर आप अपने होठों पर घी लगाते हैं तो आपके होठों का रूखापन बहुत जल्द खत्म हो जाएगा और होंठ चमकदार और मुलायम नजर आएंगे। बालों को बनाएं चमकदार – सिर्फ घी लगाने से ही नहीं बल्कि इसे आहार में शामिल करने से त्वचा और बालों को पोषण मिलता है. यह त्वचा और बालों को चमकदार बनाता है। गुनगुने देसी घी से स्कैल्प की मसाज करें। यह बालों को मुलायम बनाता है। इसमें मौजूद विटामिन ई और ए बालों की सेहत और ग्रोथ के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
सन बर्न दूर करे- घी सन बर्न की समस्या को दूर करने में फायदेमंद साबित होता है। आप रात को सोते समय अपने चेहरे को अच्छे से साफ करें फिर प्रभावित जगह पर घी लगाएं। ऐसा करने से आपको सनबर्न की समस्या से राहत मिल सकती है।

 

शीतकालीन खेलों का लोकप्रिय गन्तव्य उत्तराखंड

पर्यटन के आकर्षक गन्तव्यों की बात हो तो उत्तराखंड बहुत पसन्द किया जाने वाली जगह है । बर्फ से ढके पहाड़ों में शीतकालीन खेलों के लिए घरेलू और विदेशी पर्यटकों को यह स्थान खूब भा रहा है । एक तरफ जहाँ अपने तीर्थ स्थानों के लिए उत्तराखंड जाना जाता है शीतकालीन खेलों के लिए भी पर्यटक यहाँ आ रहे हैं ।
अगर आप साहसी हैं तो पहाड़ों की बर्फबारी में खेलना, ट्रैकिंग करना आपको पसन्द आएगा । अगर आपको शांति और सुकून चाहिए तो खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों से भरे शांत गाँवों में जाना और स्थानीय संस्कृति और जायकों का आनन्द उठाना आपको अच्छा लगेगा ।
गढ़वाल के औली में स्कींग करना यहाँ का मुख्य आकर्षण है । राज्य सरकार यहाँ बच्चों को प्रशिक्षित करने की तैयारी कर रही है और संरचना विकसित करने का काम चल रहा है । सरकार औली में स्किंग चैम्पियनशिप आयोजित करने पर विचार कर रही है । स्किंग बेतुईधार, दायरा बुग्याल, मुन्डली और खलिया टॉप में भी लोकप्रिय है । कुमायुँ में स्थित खलिया टॉप 3500 मीटर ऊँचा है और यहाँ से पंचाचुलीली, राजरम्भा एवं नंद कोट के मनोरम दृश्य देखे जा सकते हैं ।
पिथौरागढ़ जिले में स्थित चौकोरी अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से सबका मन मोह रहा है । यहाँ आपको सूर्योदय एवं सूर्यास्त की अद्भुत छटा दिखती है और साथ ही नंदा देवी पंचाचुली, नंद कोट, त्रिशूल एवं चौखंभा के मनोरम वातावरण से आप मुग्ध हो उठेंगे ।
उत्तराखंड के शीतकालीन खेलों की बात चलती है तो रिवर राफ्टिंग ऐसा खेल है जो बहुत पसंद किया जाता है । ऋषिकेश इस खेल के लिए विश्व प्रसिद्ध है और दुनिया भर से यहाँ पर्यटक इस खेल का आनन्द लेने आते हैं । धवल शीत गंगा जल के अतिरिक्त शारदा नदी में यह खेल आरम्भ किया गया है । शारदा नदी सरयू की सहायक नदी है जो चम्पावत जिले के तनकपुर से होकर गुजरती है । इस नदी के साथ एक राफ्टिंग पर्यटन पर्यटकों को टनकपुर में चरण मंदिर और 13 किमी दूर बूम तपस्वी बाबा आश्रम के बीच 4 रैपिड्स के माध्यम से ले जाती है। रिवर राफ्टिंग के लिए सबसे अच्छा समय दिसंबर से फरवरी तक है, जब बारिश के बाद जल स्तर कम होने के बाद ग्लेशियर से लदी नदियां एकदम स्वच्छ जल से भर जाती हैं। रिवर राफ्टिंग के साथ, पर्यटक नदी घाटियों और घाटियों की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं, जिसमें रोमांच, आनंद और प्रफुल्ल कर देने वाला अनुभव है ।
अगर आप खुले आसमान में ऊंची उड़ान का अनुभव चाहते हैं तो उत्तराखंड में पैराग्लाइडिंग का प्रयास करें। आसमान की ऊंचाई पर जब पैरों के नीचे जमीन नहीं होती तो पहाड़ों और घाटियों को देखने का रोमांच भरने वाली स्मृति बन जाता है। उत्तराखंड में पैराग्लाइडिंग की सबसे अच्छी बात यह है कि यहां पैराग्लाइडिंग के लिए किसी पूर्व सूचना की जरूरत नहीं है। उत्तराखंड में पैराग्लाइडिंग के लिए दो सबसे प्रसिद्ध स्थान मुक्तेश्वर और रानीखेत हैं; यहां विशेषज्ञों के साथ जोड़ी पैराग्लाइडिंग उड़ानें उपलब्ध हैं। प्रिय शीतकालीन गंतव्य के अलावा, जो सुंदर सैर, साहसिक खेल और दर्शनीय स्थलों की यात्रा प्रदान करता है, पूरे उत्तराखंड में सर्दियों के महीनों में दिन के दौरान तेज धूप और रात में टिमटिमाते सितारों के साथ ट्रेकिंग और कैंपिंग के बेहतरीन अवसर मिलते हैं। तो सर्दियों के रोमांच के लिए उत्तराखंड की ओर निकल पड़िए..और क्या ।

 

शुभजिता क्लासरूम – बाघ कविता पर प्रो. राजश्री शुक्ला का व्याख्यान

 

यह वीडियो हिन्दी के विद्यार्थियों के लिए सादर अनुमति लेते हुए लिया गया है । इस स्तम्भ के माध्यम से हम विषय के बन्धन से परे ऑनलाइन माध्यम से विद्यार्थियों की सहायता करने का प्रयास करते हैं । अगर आप शिक्षक हैं और यूट्यूब पर भी हैं तो अपने आलेखों एवं वीडियो से हमारे इस अभियान को मजबूत बना सकते हैं जिससे शिक्षा वहाँ तक पहुँचे और उन सभी तक पहुँचे…जहाँ इसकी जरूरत है…खासकर उन बच्चों तक जिनके पास महँगी शिक्षा प्राप्त के लिए पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं हैं । इस तरह की प्रस्तुतियों में चैनल का लिंक आपके चैनल का ही होगा जिससे लोग आपके चैनल तक पहुँच सके अर्थात इस प्रस्तुति में साझेदारी आपके लिए सेतु का काम भी कर सकती है । इस वीडियो को उपयोग में लाने हेतु अनुमति देने के लिए हम प्रो. राजश्री शुक्ला के आभारी हैं ।

  • शुभजिता 

कामायनी में राष्ट्रीयता के साथ सार्वभौमिकता का समावेश – प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित

प्रो. कल्याणमल लोढ़ा जन्मशती समारोह का समापन

सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय एवं श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय का साझा आयोजन
कोलकाता । ‘आनन्द के भारतीय दर्शन के शाश्वत कालजयी स्वरूप को प्रसाद प्रस्तुत करते हैं। कामायनी प्रासंगिकता का नहीं, शाश्वतता का प्रमाण है। रामचरितमानस की भाँति कामायनी भी शाश्वत कृति है। उसकी प्रासंगिकता की नहीं शाश्वत दर्शन की चर्चा होनी चाहिए। ‘सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय एवं श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रो. कल्याणमल लोढ़ा जन्मशती समारोह में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित (लखनऊ) ने कामायनी के दर्शन पर विचार रखते हुए यह बात कही। जन्मशती समारोह की श्रृंखला में आयोजित इस चतुर्थ एवं समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रो. दीक्षित ने अपने वैदुष्यपूर्ण वक्तव्य में ‘कामायनी के दर्शन’ में विश्वदर्शन की अवधारणा, वैज्ञानिकता और उपनिषदीय तत्वों के समावेश की चर्चा की। प्रसाद की समन्वयवादी– समष्टिवाद चेतना द्वारा समस्त मानव जाति, संस्कृति विचारधारा को व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कि जयशंकर प्रसाद की कामायनी में राष्ट्रीयता के साथ सार्वभौमिकता भी है।
विशिष्ट वक्ता डॉ. राहुल अवस्थी ने जयशंकर प्रसाद की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए कहा कि अतीत के माध्यम से भविष्य को संवारने की दृष्टि प्रसाद साहित्य से प्राप्त होती है। डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. कल्याणमल लोढ़ा से जुड़े प्रेरक संस्मरणों का उल्लेख किया एवं कवि – हृदय की चर्चा की। उन्होंने पाठकों को कामायनी के अध्ययन हेतु ‘चैतन्यवादी–आनंदवादी–समष्टिवादी’ सूत्र दिया। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन करते हुए डॉ. कमल कुमार ने प्रो. लोढ़ा की जन्मशती के दौरान हुये कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की। सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के अध्यक्ष भरत जालान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच पर श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुआत महानगर के लोकप्रिय गायक ओम प्रकाश मिश्र द्वारा प्रसाद के गीतों की सांगीतिक प्रस्तुति से हुई। स्वागत भाषण सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय की मंत्री दुर्गा व्यास ने दिया। अथितियों का स्वागत किया प्रो. राजश्री शुक्ला, डॉ सत्या उपाध्याय, डॉ. तारा दूगड़, विश्वम्भर नेवर, डॉ अभिजीत सिंह, अरुण प्रकाश मल्लावत ने।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में महानगर के साहित्यकार, पत्रकार, शिक्षाविद एवं विद्यार्थी विद्यार्थी उपस्थित थे। जिनमें अनिल ओझा नीरद, राजगोपाल सुरेका, डॉ. कमलेश पाण्डेय, डॉ किरण सिपानी, डॉ. कमलेश जैन, रामपुकार सिंह, लक्ष्मण केडिया, डॉ. संजय कुमार जायसवाल, विधुशेखर शास्त्री, रमाकांत सिन्हा, नंदलाल रोशन, योगेशराज उपाध्याय, डॉ. रामप्रवेश रजक, डॉ. राकेश पाण्डेय, मनीषा त्रिपाठी, डॉ. अभिजीत सिंह, मंटू दास, ब्रह्माशंकर दूबे, दिव्या प्रसाद, रोशन पाण्डेय, गायत्री बजाज, बलवंत सिंह, सत्यप्रकाश राय, देवेश मिश्रा, मौसमी प्रसाद, राहत सिंह प्रमुख थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी, परमजीत पंडित, विवेक तिवारी, मनीषा गुप्ता, अरविंद तिवारी एवं विजय कुमार जोशी समेत अन्य कई लोगों का योगदान रहा।

हीरों के आभूषण ब्रांड जिवाराह का नया शोरूम महानगर में

कोलकाता । हीरा आभूषण निर्माता ब्रांड जिवाराह का शोरूम महानगर में खुल गया है । महानगर के सॉल्टलेक में सिटी सेंटर 1 मॉल में अपना दूसरा आउटलेट शुरू किया है । यह ब्रांड हल्के वजन वाले असली हीरों से बने नवीनतम ज्वेलरी कलेक्शन के लिए काफी प्रसिद्ध है। टॉलीवुड अभिनेत्री नुसरत जहाँ ने शोरूम का उद्घाटन किया ।
कम्पनी के मुताबिक इसका प्रत्येक उत्पाद आईजीआई प्रमाणित है, जिस पर डायमंड वेट लेजर एन्क्रिप्टेड है, जो बेहतरीन कट और चमक के साथ प्राकृतिक हीरे की सुंदरता प्रदान करता है। इस ब्रांड की सोने की चेन, सोने के गहने, हीरे के आभूषण, प्राचीन आभूषण, मंदिर के आभूषण और जड़ाऊ आभूषण का नवीनतम कलेक्शन इसमें शामिल हैं। इसके अलावा लेटेस्ट डिजाइन की अंगूठियां, झुमके, टॉप, कंगन, आकर्षण कंगन, चूड़ियाँ, नाक पिन, चेन, हार, लटकन, बच्चों का संग्रह और भी बहुत कुछ इन स्टोर में उपलब्ध है।

प्रदर्शित हुई बांग्लादेशी फिल्म ‘हवा’

कोलकाता । लोकप्रिय बांग्लादेशी अभिनेता चंचल चौधरी ने अपनी फिल्म ‘हवा’ के बांग्लादेश की ओर से ऑस्कर के लिए के आधिकारिक प्रविष्टि बनने के बीच भारत और बांग्लादेश के बीच मुक्त कलात्मक आदान- प्रदान पर जोर दिया। । चौधरी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि ‘विजय दिवस’ पर शुक्रवार से पश्चिम बंगाल के सिनेमाघरों में -‘हवा’ प्रदर्शित की गयी । 1971 में पाकिस्तान पर भारत की जीत के तौर पर विजय दिवस मनाया जाता है। इस युद्ध के फलस्वरूप बांग्लादेश अस्तित्व में आया था जो पूर्वी पाकिस्तान के तौर पर पाकिस्तान का हिस्सा था। चौधरी ने कहा, ‘‘ हमारी फिल्में कोलकाता के सिनेमाघरों में नहीं दिखायी जा सकती हैं, आपकी फिल्में ढाका के सिनेमाघरों में नहीं दिखायी जा सकती हैं। जब जिंसों का व्यापारिक विनिमय आसान बनाया गया है और साहित्यिक विनिमय बढ़ गया है, तब बांग्लादेश और भारत में बनने वाली फीचर फिल्मों के साथ ऐसा क्यों नहीं हो सकता है?’’

चौधरी को अतीत में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का बांग्लादेश का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। उनकी हाल की फिल्म ‘हवा’ मछुआरों के एक समूह की कहानी है जिसके जाल में गहरे समुद्र में एक सुंदर महिला आ जाती है। चौधरी 28 वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में हिस्सा लेने के लिए कोलकाता पहुँचे थे ।

अपनी भाषा में लौटना अपने ‘चित्त’ में लौटना है : डॉ. विजय बहादुर सिंह

कोलकाता  । ‘अपनी भाषा’ संस्था का ‘जस्टिस शारदा चरण मित्र स्मृति भाषा सेतु सम्मान 2022’ अपने रचनात्मक अवदान एवं अनुवाद कार्य द्वारा हिन्दी व संताली के बीच सेतु निर्मित करने वाले विशिष्ट अनुवादक साहित्यकार अशोक सिंह को प्रदान किया गया। यह समारोह महाबोधि सदन सभागार में संपन्न हुआ। समारोह के उत्सव- मूर्ति रहे श्री अशोक सिंह ने संताली भाषा के इतिहास और वर्तमान पर विशद चर्चा की। उन्होंने संताली की वाचिक परम्परा से लिखित स्वरूप तक आने के भाषाई संघर्ष को रेखांकित करते हुए उसकी व्यापकता में अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका पर बात रखी । इस अवसर पर ‘भाषिक उदासीनता और हमारा समय’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि भाषा के मामले में समाज को पहले सचेत और आजाद होना होगा । केवल सरकार, राजनीति या बाजार को दोष न देकर भाषा की अस्मिता को बचाया जाना चाहिए । उन्होंने धर्मपाल की प्रसिद्ध पुस्तक भारतीय चित्त मानस और काल के हवाले से कहा कि अपनी भाषा में लौटने का सवाल अपने चित्त में लौटने से है । प्रधान वक्ता के तौर पर डॉ. राकेश पांडेय ने कहा कि देश की सारी भाषाओं को संरक्षण मिलना चाहिए और उन्हें समृद्ध किया जाना चाहिए । हिंदी के लगातार सिमटते जाने के मूल में हमारी भाषिक उदासीनता ही जिम्मेवार है । विशिष्ट वक्ता डॉ. सुप्रकाश सरकार ने बांग्ला में अपनी बात रखते हुए कहा कि भाषा का समाजीकरण करना जरूरी है ताकि विभिन्न भाषा-भाषी एक दूसरे के और करीब आ सकें । डॉ. इबरार खान ने भाषा और धर्म के घालमेल पर चिंता जताते हुए कहा कि भाषा को धर्म के साथ जोड़ना विल्कुल अनुचित है । संस्था के मुख्य संरक्षक व पुर्व अध्यक्ष प्रो. अमरनाथ ने कार्यक्रम में नई पीढ़ी की सार्थक सहभागिता को धन्यवाद देते हुए कहा कि आने वाला समय बड़ा खतरनाक है । हम सभी को एकजुट होकर भारतीय भाषाओं की उन्नति के लिए लगातार संघर्ष करना होगा । स्वागत भाषण रखते हुए संस्था के महासचिव डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी ने अपनी भाषा संस्था के अब तक के संघर्ष को रेखांकित किया । सत्र का सफल संचालन डॉ. विक्रम साव ने किया। कार्यक्रम का समापन सुश्री लिली साह के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।  कार्यक्रम की सफलता में संस्था के अध्यक्ष डॉ. अरूण होता की महती भूमिका रही । इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय से बड़ी संख्या में आए विद्वानों एवं विद्यार्थियों ने शिरकत की ।

 प्रस्तुतिः डॉ.बीरेन्द्र सिंह