कोलकाता । कोन्नगर स्थित स्टडी मिशन के सभागार में प्रगति प्रकाशन की ओर से ‘काव्यांचल’ काव्य संग्रह का लोकार्पण एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। काव्यांचल हिंदी के 120 वरिष्ठ एवं नव युवा कवि-कवयित्रियों का संग्रह है। इस संग्रह का संपादन श्रीप्रकाश गुप्ता ने किया है। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन एवं रुपम महतो द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ हुई। इस अवसर पर उच्च शिक्षा, साहित्य एवं संपादन के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सावित्री गर्ल्स कॉलेज की भूतपूर्व प्राध्यापिका एवं ‘मुक्तांचल’ पत्रिका की संपादक डॉ. मीरा सिन्हा को ‘प्रगति शिक्षा सम्मान 2023’, हिंदी जगत की सफल नाटककार, कहानीकर एवं निर्देशिका उमा झुनझुनवाला को ‘प्रगति नाट्य सम्मान 2023’ और हिंदी के जनवादी कवि राज्यवर्द्धन को ‘प्रगति रचना सम्मान 2023’ से सम्मानित किया गया। डॉ. मीरा सिन्हा ने प्रगति प्रकाशन को निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ने का आशीष दिया।
उमा झुनझुनवाला ने अपने वक्तव्य में कहा की वर्तमान समय में मानसिक विकृति को दूर करने के लिए समय-समय पर हिंदी भाषियों को ऐसे साहित्यिक खुराक की आवश्यकता है। राज्यवर्द्धन ने अपने वक्तव्य में साहित्य के विकेंद्रीकरण की बात कही ताकि साहित्य का लोकतांत्रिक विकास हो सके। डॉ. संजय जायसवाल ने ‘काव्यांचल को युवा सृजन के रचनात्मक संसार का फलक बताते हुए कहा कि रचनात्मकता से संकीर्णता टूटती है और उच्चतर मूल्यबोध विकसित होते हैं। यह मंच वरिष्ठ और युवा कवियों का सेतु बंधन भी है। दिव्या प्रसाद ने हिंदी जगत में ‘काव्यांचल’ के आगमन को नव रचनाकारों के लिए एक उपलब्धि माना। दूसरे सत्र में रवि प्रताप सिंह, जय कुमार रुसवा, रीमा पाण्डेय, मनीषा गुप्ता, डॉ. शाहिद फरोगी, प्रदीप धानुक ,अभिषेक गुंजन, अनिता ठाकुर,रास बिहारी गिरी, सूर्य देव राय, नुपुर श्रीवास्तव, प्रिया श्रीवास्तव, मुरली चौधरी, डॉ इबरार ख़ान, ऋषि तिवारी, अशोक आशीष, स्वेता गुप्ता ‘श्वेतांबरी’, रुपम महतो, स्वाति भारद्वाज, प्रिया पाण्डेय रोशनी, चंदन भगत, सोनी हक, सपना कुमारी, बृजेन्द्र कुमार राय ने अपनी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन सुषमा कुमारी एवं श्रद्धा गुप्ता केशरी ने किया। कार्यक्रम के संयोजन में वंदना तिलावत, सत्य प्रकाश गुप्ता, प्रकाश त्रिपाठी,शालिनी गुप्ता, प्राची गुप्ता आदि ने विशेष सहयोग दिया। धन्यवाद ज्ञापन विनोद यादव ने दिया।
काव्यांचल’ काव्य संग्रह का लोकार्पण एवं कवि सम्मेलन समारोह
युद्ध पीड़ित 80 से 90 प्रतिशत आम नागरिक ही होते हैं – जेरी व्हाइट
कोलकाता । मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने गत 11 जनवरी को नोबेल पुरस्कार विजेता एवं सीनियर अशोक फेलो जेरी व्हाइट के साथ एक विशेष सत्र आयोजित किया । व्हाइट 1997 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार के सह-प्राप्तकर्ता हैं। कोलकाता की अपनी पहली यात्रा में उन्होंने नैतिकता और व्यवसाय के सम्बन्धों पर बात की । सत्र की अध्यक्षता एमसीसीआई अध्यक्ष श्री नमित बाजोरिया ने की एवं स्वागत वक्तव्य दिया ।
नोबेल पुरस्कार विजेता मिस्टर व्हाइट ने कहा, “व्यवसाय और सरकारें एक साथ कभी-कभी युद्ध मशीन होती हैं”। उन्होंने परमाणु के प्रसार को रोकने के लिए अध्ययन करने में दस साल बिताए थे । इसके बाद बारूदी सुरंगों से विनाश का अध्ययन करने में और दस साल बिताए थे। उन्होंने कहा कि युद्ध पीड़ित लोगों में 80 – 90 प्रतिशत आम नागरिक होते हैं । उन्होंने युद्ध के कारण दिव्यांग होने वालों को नौकरी एवं समान अवसर देने पर जोर दिया । व्हाइट ने उद्योग जगत के शीर्ष में मूल्यबोध परक नेतृत्व के होने पर जोर दिया । एमसीसीआई समिति के सदस्य श्री प्रतीक चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया
मकर संक्रांति के 10 रोचक तथ्य
उन त्योहार, पर्व या उत्सवों को मनाने का महत्व अधिक है जिनकी उत्पत्ति स्थानीय परम्परा, व्यक्ति विशेष या संस्कृति से न होकर जिनका उल्लेख वैदिक धर्मग्रंथ, धर्मसूत्र और आचार संहिता में मिलता है। ऐसे कुछ पर्व हैं और इनके मनाने के अपने नियम भी हैं। इन पर्वों में सूर्य-चंद्र की संक्रांतियों और कुम्भ का अधिक महत्व है। सूर्य संक्रांति में मकर सक्रांति का महत्व ही अधिक माना गया है। माघ माह में कृष्ण पंचमी को मकर सक्रांति देश के लगभग सभी राज्यों में अलग-अलग सांस्कृतिक रूपों में मनाई जाती है। जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन कौन कौन से खास कार्य होते हैं…
(साभार – वेबदुनिया पर प्रकाशित अनिरुद्ध जोशी का आलेख)
नमित बाजोरिया एमसीसीआई के नये अध्यक्ष
कोलकाता । उद्योगपति नमित बाजोरिया एमसीसीआई के नये अध्यक्ष बन गये हैं । हाल ही में आयोजित चैंबर की 121वीं वार्षिक आम बैठक में नमित बाजोरिया को वर्ष 2022-23 के लिए मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का अध्यक्ष चुना गया है। वह कुचिना होम मेकर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केन्द्रीय बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग एवं आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया । एमसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष ने इस अवसर पर एमसीसीआई हल्दिया जोनल काउंसिल, एमसीसीआई शी अवार्ड्स 2022 एवं एमसीसीआई इकोनॉमिस्ट फोरम को शुरू करने की घोषणा की । पूर्व केन्द्रीय रेल, नागरिक परिवहन एवं वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में यह फोरम काम करेगा । एमसीसीआई की नवगठित हल्दिया जोनल काउंसिल की अध्यक्षता मित्शीबुशी के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट एवं प्लांट हेड ए.सी. मिश्रा इसकी अध्यक्षता करेंगे । एमसीसीआई सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के क्षेत्र में हो रहे उत्कृष्ट कार्यों के लिए भी शी अवार्ड्स (सेफ्टी, हेल्थ, इन्वारन्मेंट) प्रदान करेगा । यह पुरस्कार लघु एवं छोटे एन मध्यम एवं बड़े, उद्योग, इन दो श्रेणियों में प्रदान किये जाएंगे ।
एमसीसीआई एवं प्रेसीडेंसी अल्यूमनी एसोसिएशन में समझौता
कोलकाता । सोशल ग्रांट एप्लीकेशन प्रोसेस को लेकर एमसीसीआई और प्रेसिडेंसी अल्यूमनी एसोसिएशन कोलकाता के बीच समझौता हुआ है । प्रेसीडेंसी अल्यूमनी एसोसिएशन कलकत्ता ने मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सहयोग से कॉलेज स्ट्रीट इको सिस्टम यानी पारिस्थितिकी तंत्र में स्थित किसी भी खंड से शिक्षा, पानी और स्वच्छता, पर्यावरण और परियोजनाओं को प्राथमिकता देते हुए कोलकाता में और उसके आसपास स्थित सामाजिक क्षेत्र में हस्तक्षेप के लिए अनुदान आवेदन आमंत्रित किए। अनुदान आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर, 2022 थी।
परियोजना के लिए चेम्बर पार्टनर के रूप में, मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री संबंधित एनजीओ के साथ अनुदान आवेदन को प्रचारित करने और अनुदान आवेदनों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए जिम्मेदार है।
आवेदनों का मूल्यांकन प्रेसीडेंसी अल्यूमनी एसोसिएशन कलकत्ता द्वारा किया जाएगा और पुरस्कार विजेताओं की घोषणा एमसीसीआई के साथ संयुक्त रूप से की जाएगी। अनुदान लाभों में इसके वैश्विक पूर्व छात्रों के साथ नेटवर्किंग का अवसर और अधिकतम अवधि के भीतर परियोजना की आवश्यकता के अनुसार निर्धारित 3 साल की अवधि तक के लिए वित्तीय सहायता शामिल है।
एमसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष ऋषभ सी. कोठारी ने कहा, “इस साल सीएसआर स्पेस में हमारी गतिविधियों के क्रम में, हम प्रेसीडेंसी एलुमनी एसोसिएशन कलकत्ता के साथ एक और शानदार कार्यक्रम के साथ साझेदारी करके खुश हैं।”
प्रेसीडेंसी अल्यूमनी एसोसिएशन कलकत्ता के अध्यक्ष सुतीर्थ भट्टाचार्य ने कहा, “हमारे पूर्व छात्र प्रेसीडेंसी से परे समाज को वापस देने के बारे में बहुत दृढ़ता से महसूस करते हैं, जिसने हमें पोषित किया है और हमारी सफलता के लिए जिम्मेदार है। यह हमारे आस-पास के कुछ सामाजिक और आर्थिक अंतरालों को पाटने का प्रयास करने का एक विनम्र प्रयास है। इस बहुत प्रभावी सहयोग के कारण अनुदान आवेदनों के लिए पहली कॉल की भारी प्रतिक्रिया एक बड़े हिस्से में प्राप्त हुई है। हम कम्युनिटी गिविंग स्पेस में एमसीसीआई के साथ साझेदारी के लिए तत्पर हैं।”
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शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाएंगे ट्रांसफार्म स्कूल्स एवं एमसीसीआई
कोलकाता । शिक्षा क्षेत्र की संरचना को बेहतर बनाने के उद्देश्य से ट्रांसफार्म स्कूल्स एवं पिपल फॉर एक्शन ने एमसीसीआई के साथ समझौता किया है । ट्रांसर्फाम स्कूल्स सीखने एवं सिखाने, स्कूल प्रबंधन, लैंगिक समानता समेत अन्य क्षेत्रों को बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रहा है । ओडिशा, तेलेंगाना, हरियाणा एवं छत्तीसगढ़ के बाद अब यह पश्चिम बंगाल में काम करने को तैयार है । 122 साल पुराने मर्चेन्ट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स के साथ अब सीएसआर एवं परामर्श समेत अन्य प्रयासों से इस कार्य में सहायता प्रदान करेगा । एमसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष अतुल चूड़ीवाल ने कहा कि हमें विश्वास है कि उद्योग जगत भारत की बुनियादी शिक्षा को विकसित करने में महत्वपूर्ण भागीदार बन सकता है । ट्रांसफार्म स्कूल्स के सीईओ पंकज विनायक शर्मा ने कहा कि एमसीसीआई के साथ समझौता एक अग्रणी चेम्बर ऑफ कॉमर्स, पश्चिम बंगाल में हितधारकों की मदद से किफायती स्थान में परिणाम और विश्लेषण संचालित शिक्षा पर प्रभाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। समझौते पर ब्रेथवेट के सीएमडी यतीश कुमार की उपस्थति में हस्ताक्षर हुए ।
विद्यासागर विश्वविद्यालय में विश्व हिन्दी दिवस’ का आयोजन
मिदनापुर । विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर काव्यपाठ, कविता-कोलाज एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विभाग की छात्रा श्रेया सरकार ने ‘ बीती विभावरी जाग री’ स्वागत गीत के साथ किया। स्वागत वक्तव्य देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार प्रसाद ने कहा कि विश्व हिन्दी दिवस की पृष्ठभूमि में हिंदी के वैश्विक प्रसार की भावना है।इस अवसर पर राया सरकार, श्रेया सरकार, नेहा शर्मा, प्रगति दूबे, प्रिंसू कुमारी और लक्ष्मी यादव ने कविता कोलाज और सुषमा कुमारी, संजीत कुमार ,नाजिया सरवर, लक्ष्मी यादव, सत्यम पटेल, मुस्कान अग्रवाल, पूजा कुमारी ने काव्यपाठ किया। विभाग के शोधार्थी मिथुन नोनिया, उष्मिता गौड़, मदन शाह एवं सोनम सिंह ने विश्व मंच पर हिंदी की उपस्थिति और उसके प्रसार पर अपना विचार रखा। बतौर वक्ता डॉ संजय जायसवाल ने कहा हिंदी का चरित्र समावेशी है।यह भाषा-विरोध की जगह भाषायी-संवाद और सृजन के संस्कार से आगे बढ़ी है।इसमें ज्ञान-विज्ञान, तकनीक और वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप विकास करने की क्षमता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. दामोदर मिश्र ने हिन्दी भाषा एवं विश्व हिन्दी दिवस की एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में बताते हुए कहा हिन्दी को जब राजभाषा का दर्जा मिला उसके साथ अंग्रेजी विकल्प के रुप में उपस्थित थी। अब उस विकल्प की जरूरत नहीं है। आज हिन्दी सक्षम हो गई है। हिन्दी के बिना भारतवर्ष नहीं चल सकता। वर्तमान समय में हिन्दी का प्रयोजन है इसलिए हम चाहे न चाहे हिन्दी का विस्तार होता रहेगा। धन्यवाद ज्ञापन देते डॉ श्रीकांत द्विवेदी ने कहा कि हिंदी का यह सफर हमारी प्रतिबद्धता और रचनाधर्मिता से और अधिक व्यापक और अर्थपूर्ण होगा। कार्यक्रम का सफल संचालन रिया श्रीवास्तव ने किया।
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी का निधन
प्रयागराज: बंगाल के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पूर्व अध्यक्ष पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी का आज सुबह पांच बजे यहां निधन हो गया। वह 88 साल के थे। कुछ दिन पहले ही उन्हें सांस में दिक्कत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। स्वजन उन्हें घर ले गए थे। केशरीनाथ त्रिपाठी के निधन पर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने शोक प्रकट करते हुए परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है। पंडित केसरी नाथ त्रिपाठी अपने पीछे पुत्र अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी और दो बेटियों को छोड़ गए हैं। पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी शोक जताया है। लगभग 11.30 बजे राष्ट्रपति ने पूर्व राज्यपाल के पुत्र नीरज त्रिपाठी को फोन पर सांत्वना दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचने वाले हैं। उनके साथ पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी आ रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने निवास पर पहुंचकर सांत्वना दी। राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी , स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती भी निवास पर संवेदना व्यक्त करने पहुंचे। श्रद्धांजलि व्यक्त करने वालों का पहुंचना लगातार जारी है। पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी का जन्म 10 नवंबर 1934 को हुआ था। उनकी गिनती बीजेपी के सीनियर नेताओं में होती थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ ही साथ वह कई सालों तक यूपी विधानसभा अध्यक्ष के पद पर भी काबिज रहे। वह तीन बार यूपी विधानसभा अध्यक्ष रहे। इसके अलावा वह भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी 2014 से 2019 तक पश्चिम बंगाल के गवर्नर रहे इस बीच उन्हें बिहार, मेघालय और मिजोरम राज्यों का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था।
सौजन्य एवं सामंजस्य – जब साहित्यकार के सामने झुके एक सीएम
नयी दिल्ली । यह तस्वीर खास है। सिर्फ इसलिए नहीं कि इसमें दो जानी-मानी शख्सीयतें हैं। अलबत्ता इसलिए भी कि यही हमारे संस्कार हैं। हमारी संस्कृति है। यह उस दौर की तस्वीर है जब साहित्य के सम्मान में सत्ता नतमस्तक होती थी। जब किसी और चीज के बयाज व्यक्तित्व और मूल्यों को सर्वोपरि रखा जाता था। अब एक सवाल आपके मन में जरूर उठ रहा होगा कि आखिर ये दोनों कौन हैं? यह कब की तस्वीर है? इस तस्वीर में झुककर आशीर्वाद लेने वाले हैं मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र। काला चश्मा पहने जिन बुजुर्ग के द्वारका प्रसाद मिश्र पैर छू रहे हैं वह कोई और नहीं बल्कि जाने-माने कवि और लेखक माखनलाल चतुर्वेदी हैं। यह तस्वीर 1965 की बताई जाती है।
कवि, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी थे माखनलाल चतुर्वेदी
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के बाबई गांव में 4 अप्रैल 1889 को हुआ था। उनके पिता का नाम नंदलाल चतुर्वेदी था। 16 साल की उम्र में ही माखनलाल स्कूलटीचर बन गए थे। बाद में प्रभा, प्रताप और कर्मवीर जैसे प्रतिष्ठित पत्रों का उन्होंने संपादन किया। इनके जरिये उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जोरदार धावा बोला। वह कवि, लेखक, संपादक के साथ सच्चे क्रांतिकारी भी थे। हिंदी साहित्य के छायावाद में उन्होंने बड़ा योगदान दिया। 1955 में हिमतरंगिनी के लिए उन्हें पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। 1963 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया। 30 जनवरी 1968 में उनका निधन हो गया था।
द्वारका प्रसाद मिश्र मध्यप्रदेश के चौथे सीएम थे। राजनीतिज्ञ होने के साथ ही वह लेखक, स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार भी थे। 30 सितंबर 1963 से 29 जुलाई 1967 तक उन्होंने एमपी का सीएम पद संभाला। वह कांग्रेस के सदस्य थे। द्वारका प्रसाद मिश्र का जन्म 1901 में उन्नाव के पड़री गांव में हुआ था। चंद्रभानु गुप्ता के साथ उन्होंने 1967 के चुनाव के बाद इंदिरा गांधी और मोरारजी देसाई के बीच पावर शेयरिंग फॉर्मूला में बड़ी भूमिका निभाई थी। इसकी वजह से देसाई को उपप्रधानमंत्री का पद मिला था। लेकिन, यह समझौता 1969 में टूट गया था। इसके बाद कांग्रेस विभाजित हुई थी। 87 साल की उम्र में 1988 में द्वारका प्रसाद मिश्रा का निधन हो गया था।
ब्रिटेन में छाया कोलकाता का स्वाद, लंदन की सड़कों पर झालमूढ़ी बेच रहा शख्स
लंदन । अपनी संस्कृति की दुनियाभर में लोकप्रियता जानने का सबसे अच्छा तरीका विदेशों की सड़कों पर अपने स्थानीय खाने को बिकते देखना है। ब्रिटेन की सड़कों पर झालमुड़ी (भेलपूरी) बिकते देखना इस बात का सबूत है कि भारत की संस्कृति पूरी दुनिया में फैली हुई है। ब्रिटेन की गलियों में भेलपूरी बेचते हुए एक बूढ़े व्यक्ति के वीडियो में कुछ लोगों को चौंका दिया है। भेलपूरी भारत का एक लोकप्रिय स्नैक है जिसे देश के अधिकांश हिस्सों में लोग खाना पसंद करते हैं। यह वीडियो दुनिया के अलग-अलग देशों में बसे प्रवासी भारतीयों के मुंह में पानी ला सकता है। यह वीडियो अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तेजी से शेयर हो रहा है। कहा जा रहा है कि ब्रिटिश शख्स को अपनी भारत यात्रा के दौरान भेलपूरी से ‘प्यार’ हो गया था। भेल बेच रहे शख्स की पहचान एंगस डेनून के रूप में हुई है जो एक शेफ हैं। वीडियो लंदन के ओवल का है जिसमें वह भेलपूरी बेचते देखे जा सकते हैं। भारत के पूर्वी हिस्से में भेलपूरी को ‘झालमूढ़ी’ कहते हैं। डेनून एक पूर्व ब्रिटिश शेफ हैं। 2019 वर्ल्ड कप के दौरान ओवल के बाहर कागर के कोन में ‘झालमुड़ी’ बेचते हुए उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसके बाद वह इंटरनेट सेंसेशन बन गए थे। डेनून को 2005 में अपनी भारत यात्रा के दौरान कोलकाता में उन्हें लोकप्रिय स्ट्रीट फूड झालमुड़ी से प्यार हो गया था। अपने देश ब्रिटेन वापस लौटने पर उन्होंने फुल-टाइम जॉब से इस्तीफा दे दिया और झालमुड़ी बेचने लगे। आज वह झालमुड़ी और अन्य भारतीय स्ट्रीट फूड जैसे पानीपुरी, लस्सी और चाय आदि बेचने का एक बेहद सफल बिजनेस चलाते हैं। सड़क किनारे उनके साथ उनकी रोडसाइड वैन को भी देखा जा सकता है जिस पर लिखा है- एवरीबडी लव, लव झालमूढ़ी एक्सप्रेस लंदन में अपने देश के स्वाद को याद करने वाले भारतीयों के लिए डेनून एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं।
अब घरेलू प्रवासी कहीं भी दे पाएंगे वोट, चुनाव आयोग विकसित किया रिमोट वोटिंग सिस्टम
नयी दिल्ली । पिछले साल 29 दिसबंर को चुनाव आयोग ने वोट प्रतिशत बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम आगे बढ़ाया, जब आयोग ने रिमोट ईवीएम या आरवीएम सिस्टम को डेवलेप किया। इसकी मदद से प्रवासी नागरिक बिना गृह राज्य आए वोट डाल पाएंगे। चार साल पहले टीओआई ने ‘लॉस्ट वोट्स’ मुहिम के जरिए उन लाखों प्रवासी भारतीयों की परेशानी को उजागर किया था, जो वोट देना चाहते थे लेकिन इसके लिए भारत आना उनके लिए मुश्किल था। इस सिस्टम के सामने आने के बाद ऐसे लोग भी वोट डाल पाएंगे। चुनाव आयोग ने देश की सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों को रिमोट वोटिंग सिस्टम की लीगल, प्रशासनिक और तकनीकी पहलुओं की जानकारी देने के लिए पत्र लिखा है। आयोग ने 31 जनवरी तक इन पार्टियों से इस पर फीडबैक भी मांगा है। लेकिन आखिर ये रिमोट वोटिंग सिस्टम है क्या और ये कैसे काम करेगा? आइए बताते हैं।
रिमोट वोटिंग की जरूरत
भारत में करीब एक तिहाई आबादी वोट नहीं देते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में करीब 30 करोड़ लोगों ने वोट ही नहीं दिया। ये संख्या अमेरिका की कुल आबादी के बराबर है। चुनाव आयोग ने लोगों के वोट न देने के तीन कारण बताए। इसमें शहरों में चुनाव के प्रति उदासीनता, युवाओं की कम भागीदारी और प्रवासी नागरिकों का दूर रहना शामिल है। रिमोट वोटिंग सिस्टम इन्हीं प्रवासी लोगों के लिए काम करेगा।
क्या कहते हैं नियम?
फिलहाल समस्या यह है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 19 के तहत मतदाता केवल उसी निवार्चन क्षेत्र में वोट डाल सकता है, जहां को वो निवासी है। अगर आप नौकरी या पढ़ाई की वजह से किसी दूसरी शहर या राज्य में शिफ्ट हो गए हैं, तो आपको उस जगह का नया वोट बनवाना होगा और पुरानी वोटर लिस्ट से अपना नाम भी हटवाना पड़ेगा। लेकिन ये प्रक्रिया काफी जटिल है इसलिए कई लोग नए सिरे से वोट बनवाने की जहमत नहीं उठाते। इसकी सबसे बड़ी ये है कि वो ये नहीं जानते कि नई जगह पर वो कितने वक्त तक रहेंगे।
नियम यह भी है कि वोटर्स को मतदान केंद्र पर जाकर ही वोट देना होता है। पोस्टल बैलेट का ऑप्शन केवल चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी, आवश्यक सेवाओं में लगे सरकारी कर्मचारी, 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, दिव्यांग और कोविड पॉजिटिव वोटर्स के लिए है। 2015 में घरेलू प्रवासियों को मतदान के अधिकार से वंचित करने के एक मामले की सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से रिमोट वोटिंग के ऑप्शन पर विचार करने के लिए भी कहा था।
चुनाव आयोग ने क्या कदम उठाए?
सुप्रीम कोर्ट के विचार के बाद 29 अगस्त 2016 को चुनाव आयोग के पैनल के प्रतिनिधियों और राजनीतिक पार्टियों के बीच इसे लेकर चर्चा शुरू हुई। आयोग के पैनल ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की एक स्टडी को देखा, जिसमें घरेलू प्रवासन से मतदान पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया गया था। इस स्टडी में सरकारी मंत्रालय, संगठनों और एक्सपर्ट्स के साथ चर्चा करके एक रिपोर्ट तैयार की गई थी।
प्रवासी मतदाताओं के लिए इंटरनेट वोटिंग, प्रॉक्सी वोटिंग, तय तारीख से पहले मतदान और पोस्टल बैलेट जैसे समाधानों पर विचार किया गया, लेकिन चुनाव आयोग ने इनमें से किसी की सिफारिश करने से परहेज किया। इसके बजाय आयोग ने मतदाता सूची की तरफ फोकस किया ताकि किसी भी व्यक्ति के दो वोट न बन पाएं।
बाद में चुनाव आयोग ने आईआईटी मद्रास और अन्य संस्थानों के प्रतिष्ठित तकनीकी एक्सपर्ट्स के परामर्श से रिमोट वोटिंग पर एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया। इस प्रोजेक्ट में मतदाताओं को उनके निवास स्थान से दूर मतदान केंद्रों पर टू-वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करके बायोमेट्रिक डिवाइस और वेब कैमरे की मदद से वोट डालने की अनुमति दी।
आरवीएम के लिए अब जोर क्यों?
पिछले साल मई में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने उत्तराखंड के सुदूर मतदान केंद्रों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने 18 किलोमीटर की यात्रा की। उन्होंने पहली बार जाना कि कम मतदान होने के पीछे घरेलू प्रवासन कितना बड़ा कारण है। इसके साथ ही प्रवासी मतदाता केवल इसलिए वोट नहीं दे पाते क्योंकि वो वोटिंग वाले दिन अपने क्षेत्र में नहीं पहुंच पाते। इसके बाद चुनाव आयोग ने रिमोट वोटिंग सिस्टम को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति का गठन किया और 29 दिसंबर को सभी राजनीतिक पार्टियों के सामने ड्राफ्ट पेश किया, जिसमें इस सिस्टम के तमाम पहलुओं का जिक्र है।
चुनाव आयोग ने ईवीएम की आपूर्ति करने वाले दो पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) के साथ काम किया। आयोग ने ईवीएम के मौजूदा ‘एम3’ मॉडल पर आधारित रिमोट वोटिंग सिस्टम को मजबूत और फुलप्रूफ बनाने के लिए इन संस्थाओं के साथ काम किया। ईसीआईएल ने अब आरवीएम का एक प्रोटोटाइप विकसित किया है जो एक रिमोट पोलिंग बूथ से 72 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान करा सकता है। आरवीएम ईवीएम की तरह ही नॉन नेटवर्क डिवाइस है। चुनाव आयोग का दावा है कि बिल्कुल सुरक्षित है।
कैसे काम करता है आरवीएम?
इसे समझने के लिए मान लीजिए कि आप उत्तर प्रदेश में पैदा हुए हैं और वहीं आपका वोट है। लेकिन नौकरी के सिलसिले में आपको महाराष्ट्र में रहना पड़ रहा है। अब वोटिंग वाले दिन महाराष्ट्र में ही एक खास वोटिंग स्टेशन होगा, जहां से आप उत्तर प्रदेश में अपने नेता को चुन पाएंगे। इस वोटिंग स्टेशन से आप तो वोट डाल ही पाएंगे साथ में उत्तर प्रदेश के अन्य विधानसभा के लोग भी वोट दे पाएंगे। शुरुआत में ये रिमोट वोटिंग सिस्टम इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लगाए जा सकते हैं। आरवीएम वोटिंग स्टेशन पर कई निवार्चन क्षेत्र की जानकारी होगी। जैसे ही निर्वाचन क्षेत्र को चुनेंगे सभी उम्मीदवारों की सूची सामने आ जाएगी। इसे देखकर प्रवासी लोग वोट दे पाएंगे।
क्या चुनौतियां बाकी हैं?
1. कानूनी चुनौतियां
रिमोट वोटिंग सिस्टम के सामने पहली चुनौती तो कानूनी नियम में संसोधन की जरूरत होगी। इसके लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951 में संशोधन करना पड़ेगा। इसके साथ ही रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल-1960 में भी बदलाव करना होगा। इसमें प्रवासी नागरिकों की दूसरे राज्य में रहने की अवधि और वजह को भी लिखना होगा। साथ ही रिमोट वोटिंग को भी परिभाषित करना होगा।
2. प्रशासनिक चुनौतियां
इसके साथ रिमोट वोटर्स की गणना, रिमोट लोकेशन पर मतदान की गोपनियता, रिमोट वोटिंग स्टेशन की संख्या और स्थान तय करना, दूर-दराज के मतदान केंद्रों के लिए मतदान कर्मियों की नियुक्ति, और मतदान वाले राज्य के बाहर के स्थानों में मॉडल कोड लागू करना।
3. तकनीकी चुनौतियां
रिमोट वोटिंग की प्रक्रिया, मतदाताओं को आरवीएम सिस्टम की समझ,दूर-दराज के बूथों पर डाले गए वोटों की गिनती करना और मतदान वाले राज्य में रिटर्निंग अधिकारियों को नतीजे भेजना।
कैसे होगी रिमोट वोटिंग?
1 रिमोट मतदाताओं को एक तय समय में ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन के लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा।
2 रिमोट मतदाताओं द्वारा दी गई जानकारी को उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र में वेरिफाई किया जाएगा।
3 बहु निर्वाचन क्षेत्रों के दूरस्थ मतदान बूथ चुनाव स्थल के बाहर स्थापित किए जाएंगे।
4 मतदान केंद्र पर वोट डालने वाले के वोटर आईडीकार्ड को आरवीएम पर मतपत्र प्रदर्शित करने के लिए स्कैन किया जाएगा।
5 मतदाता आरवीएम पर अपनी पसंद के प्रत्याशी का बटन दबाएंगे।
6 वोट रिमोट कंट्रोल यूनिट में राज्य कोड, निर्वाचन क्षेत्र संख्या और उम्मीदवार संख्या के साथ दर्ज किया जाएगा।
7 वीवीपीएटी राज्य और निर्वाचन क्षेत्र कोड के अलावा उम्मीदवार का नाम, प्रतीक और क्रम संख्या जैसे विवरण के साथ पर्ची प्रिंट करेगा।
8 मतगणना के दौरान आरवीएम की रिमोट कंट्रोल यूनिट उम्मीदवारों के क्रम में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के कुल मतों को पेश करेगी।
9 मतगणना के लिए नतीजे गृह राज्य में रिटर्निंग अधिकारियों के साथ शेयर किए जाएंगे।
अब होवित्जर और रॉकेट सिस्टम भी संभालेंगी महिलाएं
आर्टिलरी रेजिमेंट्स में तैनाती की तैयारी कर रही सेना
नयी दिल्ली । वे राफेल जैसा फाइटर जेट उड़ाती हैं, युद्धपोतों का जिम्मा संभालती हैं। जल्द ही आप महिलाओं को बोफोर्स होवित्जर, के-9 वज्र जैसी तोपें चलाते देखेंगे। भारतीय सेना एक अहम बदलाव की तैयारी में है। महिला अधिकारियों को सेना में परमानेंट कमिशन पहले ही मिल चुका है। अब उन्हें आर्टिलरी रेजिमेंट में शामिल करने की तैयारी है। 12 लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना में आर्टिलरी की भूमिका ‘कॉम्बेट सपोर्ट आर्म’ की है। फिर भी चीन और पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर आर्टिलरी यूनिट्स तैनात हैं। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के अनुसार, यह कवायद सेना को जितना हो सके, जेंडर न्यूट्रल बनाने की दिशा में है। हालांकि, अभी महिला अधिकारियों को इन्फैंट्री की ‘कॉम्बेट आर्म्स’, आर्मर्ड रेड कॉर्प्स (टैंक) और मेकेनाइज्ड इन्फैंट्री में रखने की योजना नहीं है। इसी तरह, नौसेना ने भी अभी पनडुब्बियों से महिलाओं को दूर रखा है।
भारतीय सेना में 280 से ज्यादा आर्टिलरी रेजिमेंट्स हैं। इनके पास 105 एमएम फील्ड गन्स, बोफोर्स होवित्जर, धनुष, सारंग से लेकर नई एम-777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर और K-9 वज्र जैसी सेल्फ-प्रोपेल्ड गन्स का जिम्मा है। स्वदेशी पिनाका मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम और रूसी स्मर्च एंड ग्रैड यूनिट्स भी आर्टिलरी का हिस्सा हैं।
सेना में अभी खासी कम है महिलाओं की भागीदारी
आर्म्ड फोर्सेज में महिला अधिकारियों की भर्ती 1990s से होती आई है। इसके बावजूद, तीनों सेनाओं के कुल 65,000 अधिकरियों में महिलाओं की संख्या 3,900 से थोड़ी ही ज्यादा है। सेना में 1,710 महिला अधिकारी हैं तो वायुसेना में 1,650 और नौसेना में 600 महिला ऑफिसर्स हैं। इसके अलावा, मिलिट्री मेडिकल स्ट्रीम में करीब 1,670 महिला डॉक्टर्स, 190 डेंटिस्ट्स और 4,750 नर्सेज हैं। बहुत वक्त तक अड़ंगा रहा, अब हर बंधन तोड़ रहीं महिलाएं
लंबे वक्त तक सैन्य नेतृत्व बड़े पैमानें पर महिलाओं की भर्ती का विरोध करता रहा। उन्हें ‘ऑपरेशन, प्रैक्टिकल या कल्चरल प्रॉब्लम्स’ के आधार पर कॉम्बेट रोल असाइन करने या परमानेंट कमिशन देने में आनाकानी हुई। लेकिन महिलाओं ने हार नहीं मानी। अक्सर सुप्रीम कोर्ट की मदद मिली, अब वे एक-एक करके रुकावटें दूर कर रही हैं। उदाहरण के लिए, पिछले साल अगस्त से खड़कवासला स्थित नैशनल डिफेंस एकेडमी में 19 महिला कैडेट्स (आर्मी से 10, आईएएफ से 6 और नेवी की 3) तीन साल का कोर्स कर रही हैं।